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ऊर्जा (वैशेशिक दर्शन के अनुसार)

सूची ऊर्जा (वैशेशिक दर्शन के अनुसार)

वैशेषिक दर्शनके अनुसार 'ऊर्जा' (तेज) एक तीव्र चाकचक्य (चमक) युक्त पदार्थ है। प्रकृति से यह आणविक होती है। ऊर्जा का एक महत्त्वपूर्ण गुण ऊष्ण उत्तेजना प्रदान करना है, अत: कोई भी पिण्ड जो इसके साथ संयोग करता है उच्चतापमान प्रदर्शित करता है। तेज का संयोग कर्म (Motion) में परिवर्तन ले आता है। रासायनिक अभिक्रियाएँ, ऊर्जा (तेज) की मात्रा के संयोग के कारण होती है। द्रव्य अवरोध दो प्रकार (material obstructions) के होते हैं- १. शोषण व २. आवर्तन जैसे लकड़ी शोषण के द्वारा इसके मार्ग को अवरुद्ध कर देती है। उसी प्रकार काँच जैसे द्रव्य आवर्तन के द्वारा अपने अन्दर से तेज गुजर जाने की अनुमति प्रदान करते हैं। पिण्ड में तेज के संयोगिक प्रभाव के कारण जो रंग का प्रत्यक्ष होता है, वह उसके छितराए हुए (scattering) तेजोघन (photon) के कारण दिखाई देता है। अंशुबोधिनी के अध्ययन से ज्ञात होता है कि प्राचीन भारत में वर्ण-क्रम-मापन-विज्ञान (spectroscopy) का अस्तित्व रहा है। हम इस विषय पर अलग से अष्टादश अध्याय में विचार करेंगे। .

4 संबंधों: चुम्बकत्व, तापमान, रंग, विद्युत

चुम्बकत्व

भौतिकी में चुम्बकत्व वह प्रक्रिया है, जिसमें एक वस्तु दूसरी वस्तु पर आकर्षण या प्रतिकर्षण बल लगाती है। जो वस्तुएँ यह गुण प्रदर्शित करती हैं, उन्हें चुम्बक कहते हैं। निकल, लोहा, कोबाल्ट एवं उनके मिश्रण आदि सरलता से पहचाने जाने योग्य चुम्बकीय गुण रखते हैं। ज्ञातव्य है कि सब वस्तुएं न्यूनाधिक मात्रा में चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति से प्रभावित होती हैं। चुम्बकत्व अन्य रूपों में भी प्रकट होता है, जैसे विद्युतचुम्बकीय तरंग में चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति। .

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तापमान

आदर्श गैस के तापमान का सैद्धान्तिक आधार अणुगति सिद्धान्त से मिलता है। तापमान किसी वस्तु की उष्णता की माप है। अर्थात्, तापमान से यह पता चलता है कि कोई वस्तु ठंढी है या गर्म। उदाहरणार्थ, यदि किसी एक वस्तु का तापमान 20 डिग्री है और एक दूसरी वस्तु का 40 डिग्री, तो यह कहा जा सकता है कि दूसरी वस्तु प्रथम वस्तु की अपेक्षा गर्म है। एक अन्य उदाहरण - यदि बंगलौर में, 4 अगस्त 2006 का औसत तापमान 29 डिग्री था और 5 अगस्त का तापमान 32 डिग्री; तो बंगलौर, 5 अगस्त 2006 को, 4 अगस्त 2006 की अपेक्षा अधिक गर्म था। गैसों के अणुगति सिद्धान्त के विकास के आधार पर यह माना जाता है कि किसी वस्तु का ताप उसके सूक्ष्म कणों (इलेक्ट्रॉन, परमाणु तथा अणु) के यादृच्छ गति (रैण्डम मोशन) में निहित औसत गतिज ऊर्जा के समानुपाती होता है। तापमान अत्यन्त महत्वपूर्ण भौतिक राशि है। प्राकृतिक विज्ञान के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों (भौतिकी, रसायन, चिकित्सा, जीवविज्ञान, भूविज्ञान आदि) में इसका महत्व दृष्टिगोचर होता है। इसके अलावा दैनिक जीवन के सभी पहलुओं पर तापमान का महत्व है। .

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रंग

रंग प्रकाश का गुण है। इसके तीन गुण होते है- रंगत,मान,सघनता।वर्ण, चाक्षुक या आभासी कला के महत्वपूर्ण अंग हैं। वर्ण या रंग होते हैं, आभास बोध का मानवी गुण धर्म है, जिसमें लाल, हरा, नीला, इत्यादि होते हैं। रंग, मानवी आँखों की वर्णक्रम से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से से उत्पन्न होते हैं। रंग की श्रेणियाँ एवं भौतिक विनिर्देश जो हैं, जुड़े होते हैं वस्तु, प्रकाश स्त्रोत, इत्यादि की भौतिक गुणधर्म जैसे प्रकाश अन्तर्लयन, विलयन, समावेशन, परावर्तन या वर्णक्रम उत्सर्ग पर निर्भर भी करते हैं। .

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विद्युत

वायुमण्डलीय विद्युत विद्युत आवेशों के मौजूदगी और बहाव से जुड़े भौतिक परिघटनाओं के समुच्चय को विद्युत (Electricity) कहा जाता है। विद्युत से अनेक जानी-मानी घटनाएं जुड़ी है जैसे कि तडित, स्थैतिक विद्युत, विद्युतचुम्बकीय प्रेरण, तथा विद्युत धारा। इसके अतिरिक्त, विद्युत के द्वारा ही वैद्युतचुम्बकीय तरंगो (जैसे रेडियो तरंग) का सृजन एवं प्राप्ति सम्भव होता है? विद्युत के साथ चुम्बकत्व जुड़ी हुई घटना है। विद्युत आवेश वैद्युतचुम्बकीय क्षेत्र पैदा करते हैं। विद्युत क्षेत्र में रखे विद्युत आवेशों पर बल लगता है। समस्त विद्युत का आधार इलेक्ट्रॉन हैं। इलेक्ट्रानों के हस्तानान्तरण के कारण ही कोई वस्तु आवेशित होती है। आवेश की गति ही विद्युत धारा है। विद्युत के अनेक प्रभाव हैं जैसे चुम्बकीय क्षेत्र, ऊष्मा, रासायनिक प्रभाव आदि। जब विद्युत और चुम्बकत्व का एक साथ अध्ययन किया जाता है तो इसे विद्युत चुम्बकत्व कहते हैं। विद्युत को अनेकों प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है किन्तु सरल शब्दों में कहा जाये तो विद्युत आवेश की उपस्थिति तथा बहाव के परिणामस्वरूप उत्पन्न उस सामान्य अवस्था को विद्युत कहते हैं जिसमें अनेकों कार्यों को सम्पन्न करने की क्षमता होती है। विद्युत चल अथवा अचल इलेक्ट्रान या प्रोटान से सम्बद्ध एक भौतिक घटना है। किसी चालक में विद्युत आवेशों के बहाव से उत्पन्न उर्जा को विद्युत कहते हैं। .

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