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उल्का

सूची उल्का

आकाश के एक भाग में उल्का गिरने का दृष्य; यह दृष्य एक्स्ोजर समय कबढ़ाकर लिया गया है आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं उन्हें उल्का (meteor) और साधारण बोलचाल में 'टूटते हुए तारे' अथवा 'लूका' कहते हैं। उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुँचता है उसे उल्कापिंड (meteorite) कहते हैं। प्रायः प्रत्येक रात्रि को उल्काएँ अनगिनत संख्या में देखी जा सकती हैं, किंतु इनमें से पृथ्वी पर गिरनेवाले पिंडों की संख्या अत्यंत अल्प होती है। वैज्ञानिक दृष्टि से इनका महत्व बहुत अधिक है क्योंकि एक तो ये अति दुर्लभ होते हैं, दूसरे आकाश में विचरते हुए विभिन्न ग्रहों इत्यादि के संगठन और संरचना (स्ट्रक्चर) के ज्ञान के प्रत्यक्ष स्रोत केवल ये ही पिंड हैं। इनके अध्ययन से हमें यह भी बोध होता है कि भूमंडलीय वातावरण में आकाश से आए हुए पदार्थ पर क्या-क्या प्रतिक्रियाएँ होती हैं। इस प्रकार ये पिंड ब्रह्माण्डविद्या और भूविज्ञान के बीच संपर्क स्थापित करते हैं। .

22 संबंधों: एल्युमिनियम, निकल, पृथ्वी, पेरिस, फ़्रान्स, ब्रह्माण्डविद्या, भारतीय संग्रहालय, भूविज्ञान, मिश्रातु, मैग्नेशियम, लोहा, साइबेरिया, सिलिकॉन, विज्ञान, गंधक, ग्रह, ऑक्सीजन, आकाश, इटली, कैल्सियम, कोन्ड्राइट, अकोन्ड्राइट

एल्युमिनियम

एलुमिनियम एक रासायनिक तत्व है जो धातुरूप में पाया जाता है। यह भूपर्पटी में सबसे अधिक मात्रा में पाई जाने वाली धातु है। एलुमिनियम का एक प्रमुख अयस्क है - बॉक्साईट। यह मुख्य रूप से अलुमिनियम ऑक्साईड, आयरन आक्साईड तथा कुछ अन्य अशुद्धियों से मिलकर बना होता है। बेयर प्रक्रम द्वारा इन अशुद्धियों को दूर कर दिया जाता है जिससे सिर्फ़ अलुमिना (Al2O3) बच जाता है। एलुमिना से विद्युत अपघटन द्वारा शुद्ध एलुमिनियम प्राप्त होता है। एलुमिनियम धातु विद्युत तथा ऊष्मा का चालक तथा काफ़ी हल्की होती है। इसके कारण इसका उपयोग हवाई जहाज के पुर्जों को बनाने में किया जाता है। भारत में जम्मू कश्मीर, मुंबई, कोल्हापुर, जबलपुर, रांची, सोनभद्र, बालाघाट तथा कटनी में बॉक्साईट के विशाल भंडार पाए जाते है। उड़ीसा स्थित नाल्को (NALCO) दुनिया की सबसे सस्ती अलुमिनियम बनाने वाली कम्पनी है। .

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निकल

निकल एक रासायनिक तत्व है जो रासायनिक रूप से संक्रमण धातु समूह का सदस्य है। यह एक श्वेत-चाँदी रंग की धातु है जिसमें ज़रा-सी सुनहरी आभा भी दिखती है। यह सख़्त और तन्य होता है। हालाँकि निकल के बड़े टुकड़ों पर ओक्साइड की परत बन जाती है जिस से अंदर की धातु सुरक्षित रहती है, निकल वैसे ओक्सीजन से तेज़ी से रासायनिक अभिक्रिया (रियेक्शन) कर लेता है। इस कारणवश पृथ्वी की सतह पर निकल शुद्ध रूप में नहीं मिलता और अगर मिलता है तो इसका स्रोत अंतरिक्ष से गिरे लौह उल्का होते हैं। वैज्ञानिक यह मानते हैं कि पृथ्वी का क्रोड निकल-लौह के मिश्रित धातु का बना हुआ है। .

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पृथ्वी

पृथ्वी, (अंग्रेज़ी: "अर्थ"(Earth), लातिन:"टेरा"(Terra)) जिसे विश्व (The World) भी कहा जाता है, सूर्य से तीसरा ग्रह और ज्ञात ब्रह्माण्ड में एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन उपस्थित है। यह सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। रेडियोधर्मी डेटिंग और साक्ष्य के अन्य स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन साल हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष में अन्य पिण्ड के साथ परस्पर प्रभावित रहती है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा से, जोकि पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है; इस प्रकार, पृथ्वी का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसके धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ही ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये (ऋतुएँ) पाई जाती हैं। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार-भाटे आते है, यह पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसकी परिक्रमण को धीमा कर देता है। पृथ्वी न केवल मानव (human) का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों (species) का भी घर है और साथ ही ब्रह्मांड में एकमात्र वह स्थान है जहाँ जीवन (life) का अस्तित्व पाया जाता है। इसकी सतह पर जीवन का प्रस्फुटन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशाएँ (जैसे सूर्य से सटीक दूरी इत्यादि) न केवल पहले से उपलब्ध थी बल्कि जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने इस ग्रह के वायुमंडल (the atmosphere) और अन्य अजैवकीय (abiotic) परिस्थितियों को भी बदला है और इसके पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया है। पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन की वर्तमान प्रचुरता वस्तुतः जीवन की उत्पत्ति का कारण नहीं बल्कि परिणाम भी है। जीवधारी और वायुमंडल दोनों अन्योन्याश्रय के संबंध द्वारा विकसित हुए हैं। पृथ्वी पर श्वशनजीवी जीवों (aerobic organisms) के प्रसारण के साथ ओजोन परत (ozone layer) का निर्माण हुआ जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) के साथ हानिकारक विकिरण को रोकने वाली दूसरी परत बनती है और इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन की अनुमति देता है। पृथ्वी का भूपटल (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास (geological history) के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से धरातल का करीब ७१% नमकीन जल (salt-water) के सागर से आच्छादित है, शेष में महाद्वीप और द्वीप; तथा मीठे पानी की झीलें इत्यादि अवस्थित हैं। पानी सभी ज्ञात जीवन के लिए आवश्यक है जिसका अन्य किसी ब्रह्मांडीय पिण्ड के सतह पर अस्तित्व ज्ञात नही है। पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर (inner core) के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी बाह्य अंतरिक्ष (outer space), में सूर्य और चंद्रमा समेत अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया करता है वर्तमान में, पृथ्वी मोटे तौर पर अपनी धुरी का करीब ३६६.२६ बार चक्कर काटती है यह समय की लंबाई एक नाक्षत्र वर्ष (sidereal year) है जो ३६५.२६ सौर दिवस (solar day) के बराबर है पृथ्वी की घूर्णन की धुरी इसके कक्षीय समतल (orbital plane) से लम्बवत (perpendicular) २३.४ की दूरी पर झुका (tilted) है जो एक उष्णकटिबंधीय वर्ष (tropical year) (३६५.२४ सौर दिनों में) की अवधी में ग्रह की सतह पर मौसमी विविधता पैदा करता है। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (natural satellite) है, जिसने इसकी परिक्रमा ४.५३ बिलियन साल पहले शुरू की। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है, धुरिय झुकाव को स्थिर रखता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है। ग्रह के प्रारंभिक इतिहास के दौरान एक धूमकेतु की बमबारी ने महासागरों के गठन में भूमिका निभाया। बाद में छुद्रग्रह (asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बदलाव किया। .

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पेरिस

पेरिस (फ़्रांसीसी: Paris, फ़्रांसिसी उच्चारण: पारी) फ़्रांस का सबसे बड़ा नगर और उसकी राजधानी है। यह 105 वर्ग किलोमीटर (41 वर्ग मील) में फैला हुआ है, और इसकी प्रशासनिक सीमा के भीतर 2015 में 22,29,621 की आबादी थी। 17वीं शताब्दी में पेरिस, यूरोप में वित्त, वाणिज्य, फैशन, विज्ञान और कला के प्रमुख केंद्रों में से एक बना, और यह आज भी उस स्थिति को बरकरार रखता है। 2012 में पेरिस क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद 649.6 अरब यूरो (763.4 अरब अमेरिकी डॉलर) था, जो कि पूरे फ्रांस के सकल घरेलू उत्पाद का 30.4 प्रतिशत होता है। इसे दुनिया के सबसे सुन्दर नगरों में से एक और दुनिया की फ़ैशन और ग्लैमर राजधानी माना जाता है। पेरिस के शहर को सेन नदी के किनारे एक निर्मित क्षेत्र के केंद्र के रूप में बनाया गया था, जोकि अब प्रशासनिक सीमाओं से परे भी फैल चुकी है। 2013 की जनगणना के अनुसार पेरिस शहर की आबादी 10,601,122 है, जो इसे यूरोपीय संघ में सबसे बड़ा बनाता है। वही इसके महानगरीय क्षेत्र की अबादी 12,405,426 है, जोकि फ्रांस की कुल आबादी का पांचवाँ हिस्सा है। और साथ लंदन के बाद, यूरोपीय संघ में दूसरा सबसे बड़ा महानगर क्षेत्र है। पेरिस-चार्ल्स डी गॉल (2014 में 63.8 मिलियन यात्रियों के साथ लंदन हीथ्रो विमानक्षेत्र के बाद यूरोप में दूसरा सबसे व्यस्त हवाई अड्डा) और पेरिस-ओरली सहित दो प्रमुख अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों के साथ शहर, रेल, राजमार्ग और हवाई-परिवहन का केंद्र है। 1900 में खोला गया, शहर की मेट्रो प्रणाली (पेरिस मेट्रो) रोजाना 5.23 मिलियन यात्रियों की सेवाएं देती है। मॉस्को मेट्रो के बाद यह यूरोप में दूसरा सबसे व्यस्त मेट्रो प्रणाली है। पेरिस में कई महत्वपूर्ण सांस्कृतिक संस्थान हैं: इसकी लौवर संग्रहालय दुनिया में सबसे अधिक देखी जाने वाली है; इसकी मुसे डी'ओर्से, फ्रांसिस इंपीरियनिस्ट कला के संग्रह के लिए प्रसिद्ध है, और इसकी पोम्पिडु-केंद्र म्यूसिक नेशनल डी'आर्ट मॉर्डेन, यूरोप में आधुनिक और समकालीन कला का सबसे बड़ा संग्रह है। सेन नदी के साथ शहर के केंद्रीय क्षेत्र को यूनेस्को विरासत स्थल के रूप में वर्गीकृत किया गया है, और नॉट्रे डेम कैथेड्रल, सैंट-चैपल, पुर्व यूनिवर्सल प्रदर्शनी ग्रैंड पैलेस, पेटिट पालिसी और आइफ़िल टावर सहित कई उल्लेखनीय स्मारक शामिल हैं। 2015 में 22.2 मिलियन पर्यटक पेरिस घुमने आये थे, इसके साथ ही यह दुनिया का शीर्ष पर्यटन स्थलों में से एक बन गया। .

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फ़्रान्स

फ़्रान्स,या फ्रांस (आधिकारिक तौर पर फ़्रान्स गणराज्य; फ़्रान्सीसी: République française) पश्चिम यूरोप में स्थित एक देश है किन्तु इसका कुछ भूभाग संसार के अन्य भागों में भी हैं। पेरिस इसकी राजधानी है। यह यूरोपीय संघ का सदस्य है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह यूरोप महाद्वीप का सबसे बड़ा देश है, जो उत्तर में बेल्जियम, लक्ज़मबर्ग, पूर्व में जर्मनी, स्विट्ज़रलैण्ड, इटली, दक्षिण-पश्चिम में स्पेन, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्यसागर तथा उत्तर पश्चिम में इंग्लिश चैनल द्वारा घिरा है। इस प्रकार यह तीन ओर सागरों से घिरा है। सुरक्षा की दृष्टि से इसकी स्थिति उत्तम नहीं है। लौह युग के दौरान, अभी के महानगरीय फ्रांस को कैटलिक से आये गॉल्स ने अपना निवास स्थान बनाया। रोम ने 51 ईसा पूर्व में इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया गया। फ्रांस, गत मध्य युग में सौ वर्ष के युद्ध (1337 से 1453) में अपनी जीत के साथ राज्य निर्माण और राजनीतिक केंद्रीकरण को मजबूत करने के बाद एक प्रमुख यूरोपीय शक्ति के रूप में उभरा। पुनर्जागरण के दौरान, फ्रांसीसी संस्कृति विकसित हुई और एक वैश्विक औपनिवेशिक साम्राज्य स्थापित हुआ, जो 20 वीं सदी तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी थी। 16 वीं शताब्दी में यहाँ कैथोलिक और प्रोटेस्टैंट (ह्यूजेनॉट्स) के बीच धार्मिक नागरिक युद्धों का वर्चस्व रहा। फ्रांस, लुई चौदहवें के शासन में यूरोप की प्रमुख सांस्कृतिक, राजनीतिक और सैन्य शक्ति बन कर उभरा। 18 वीं शताब्दी के अंत में, फ्रेंच क्रांति ने पूर्ण राजशाही को उखाड़ दिया, और आधुनिक इतिहास के सबसे पुराने गणराज्यों में से एक को स्थापित किया, साथ ही मानव और नागरिकों के अधिकारों की घोषणा के प्रारूप का मसौदा तैयार किया, जोकि आज तक राष्ट्र के आदर्शों को व्यक्त करता है। 19वीं शताब्दी में नेपोलियन ने वहाँ की सत्ता हथियाँ कर पहले फ्रांसीसी साम्राज्य की स्थापना की, इसके बाद के नेपोलियन युद्धों ने ही वर्तमान यूरोप महाद्वीपीय के स्वरुप को आकार दिया। साम्राज्य के पतन के बाद, फ्रांस में 1870 में तृतीय फ्रांसीसी गणतंत्र की स्थापना हुई, हलाकि आने वाली सभी सरकार लचर अवस्था में ही रही। फ्रांस प्रथम विश्व युद्ध में एक प्रमुख भागीदार था, जहां वह विजयी हुआ, और द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्र में से एक था, लेकिन 1940 में धुरी शक्तियों के कब्जे में आ गया। 1944 में अपनी मुक्ति के बाद, चौथे फ्रांसीसी गणतंत्र की स्थापना हुई जिसे बाद में अल्जीरिया युद्ध के दौरान पुनः भंग कर दिया गया। पांचवां फ्रांसीसी गणतंत्र, चार्ल्स डी गॉल के नेतृत्व में, 1958 में बनाई गई और आज भी यह कार्यरत है। अल्जीरिया और लगभग सभी अन्य उपनिवेश 1960 के दशक में स्वतंत्र हो गए पर फ्रांस के साथ इसके घनिष्ठ आर्थिक और सैन्य संबंध आज भी कायम हैं। फ्रांस लंबे समय से कला, विज्ञान और दर्शन का एक वैश्विक केंद्र रहा है। यहाँ पर यूरोप की चौथी सबसे ज्यादा सांस्कृतिक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल मौजूद है, और दुनिया में सबसे अधिक, सालाना लगभग 83 मिलियन विदेशी पर्यटकों की मेजबानी करता है। फ्रांस एक विकसित देश है जोकि जीडीपी में दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तथा क्रय शक्ति समता में नौवीं सबसे बड़ा है। कुल घरेलू संपदा के संदर्भ में, यह दुनिया में चौथे स्थान पर है। फ्रांस का शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, जीवन प्रत्याशा और मानव विकास की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में अच्छा प्रदर्शन है। फ्रांस, विश्व की महाशक्तियों में से एक है, वीटो का अधिकार और एक आधिकारिक परमाणु हथियार संपन्न देश के साथ ही यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से एक है। यह यूरोपीय संघ और यूरोजोन का एक प्रमुख सदस्यीय राज्य है। यह समूह-8, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो), आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी), विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) और ला फ्रैंकोफ़ोनी का भी सदस्य है। .

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ब्रह्माण्डविद्या

हिन्दू मान्यता के अनुसार ब्रहाण्ड का चित्रण ब्रह्माण्डविद्या या कॉस्मोलॉजी खगोल विज्ञान की एक शाखा है, जिसमें ब्रह्माण्ड से जुड़ी तमाम बातों का अध्ययन किया जाता है। इसमें ब्रह्माण्ड के बनने की प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी दी जाती है। बीसवीं शताब्दी में आए वैज्ञानिक बदलावों ने वैज्ञानिकों की ब्रह्माण्ड के बारे में दिलचस्पी बढ़ा दी। वैज्ञानिक उससे जुड़े तमाम रहस्यों को तलाशने लगे। यह बीसवीं शताब्दी में कॉस्मोलॉजी के बारे में बढ़ती जिज्ञासा का ही प्रतिफल था कि वैज्ञानिकों ने ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति से जुड़ी बिग बैंग सिद्धांत दे डाला। कॉस्मोलॉजी की शुरुआत एक तरह से आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत के बाद से मानी जाती है। उससे पूर्व ब्रह्माण्ड के शुरुआत और अंत के बारे में कोई निश्चित धारणा नहीं थी। आइंस्टीन ने कहा कि ब्रह्माण्ड में कुछ पदार्थ है। इसी सिद्धांत के आधार पर फ्रेडमेन ने अपना सिद्धान्त दिया जिसमें कहा कि ब्रह्माण्ड फैल रहा है या सिकुड़ रहा है। 1927 में जॉर्ज लेमेत्री ने बिग बैंग थ्योरी देकर फ्रेडमेन के सिद्धांत की पुष्टि की। इसके बाद हबल के कॉस्मोलॉजिकल सिद्धांत ने बिग बैंग थ्योरी और फ्रेड के गैलैक्सी के नियम को आधार प्रदान किया। 1965 में माइक्रोवेव की खोज और ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के नियम के बाद इस बात को माना जाने लगा कि वह फैल रहा है। माइक्रोवेव की खोज के दौरान यह बात भी सामने आई कि ब्रह्माण्ड के 25 प्रतिशत हिस्से में डार्क मैटर है जिसमे से केवल 4 प्रतिशत को ही देखा जा सकता है। वैज्ञानिकों ने भी इस बात को माना कि विस्फोट से पहले ब्रह्माण्ड सिकुड़ा हुआ था। कॉस्मोलॉजी के मानक सिद्धान्त अनुसार ब्रह्माण्ड को विभिन्न समय में बांटा जा सकता है। इन्हें 'इपोस' कहते हैं। मोटे तौर पर कहा जाए तो फिजिकल कास्मोलॉजी के माध्यम से ब्रह्माण्ड के बड़े ऑब्जेक्ट मसलन गैलेक्सी, क्लस्टर और सुपरक्लस्टर के बारे में जनकारी मिलती है। कॉस्मोलॉजी की मदद से ब्लैक होल के बारे में जानने में मदद मिली। कॉस्मोलॉजी से यह भी देखा गया कि भौतिकी के नियम ब्रह्माण्ड में हर जगह समान हैं या नहीं। .

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भारतीय संग्रहालय

कोलकाता का भारतीय संग्रहालय भारतीय संग्रहालय (Indian Museum) भारत का सर्वश्रेष्ठ संग्रहालय है। इसमें प्राचीन वस्तुओं, युद्धसामग्री, गहने, कंकाल, ममी, जीवाश्म, तथा मुगल चित्र आदि का दुर्लभ संग्रह है। इसकी स्थापना डॉ नथानियल वालिक (Dr Nathaniel Wallich) नामक डेनमार्क के वनस्पतिशास्त्री ने सन् १८१४ में की थी। यह एशिया का सबसे पुराना और भारत का सबसे बड़ा संग्रहालय है। I .

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भूविज्ञान

पृथ्वी के भूवैज्ञनिक क्षेत्र पृथ्वी से सम्बंधित ज्ञान ही भूविज्ञान कहलाता है।भूविज्ञान या भौमिकी (Geology) वह विज्ञान है जिसमें ठोस पृथ्वी का निर्माण करने वाली शैलों तथा उन प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है जिनसे शैलों, भूपर्पटी और स्थलरूपों का विकास होता है। इसके अंतर्गत पृथ्वी संबंधी अनेकानेक विषय आ जाते हैं जैसे, खनिज शास्त्र, तलछट विज्ञान, भूमापन और खनन इंजीनियरी इत्यादि। इसके अध्ययन बिषयों में से एक मुख्य प्रकरण उन क्रियाओं की विवेचना है जो चिरंतन काल से भूगर्भ में होती चली आ रही हैं एवं जिनके फलस्वरूप भूपृष्ठ का रूप निरंतर परिवर्तित होता रहता है, यद्यपि उसकी गति साधारणतया बहुत ही मंद होती है। अन्य प्रकरणों में पृथ्वी की आयु, भूगर्भ, ज्वालामुखी क्रिया, भूसंचलन, भूकंप और पर्वतनिर्माण, महादेशीय विस्थापन, भौमिकीय काल में जलवायु परिवर्तन तथा हिम युग विशेष उल्लेखनीय हैं। भूविज्ञान में पृथ्वी की उत्पत्ति, उसकी संरचना तथा उसके संघटन एवं शैलों द्वारा व्यक्त उसके इतिहास की विवेचना की जाती है। यह विज्ञान उन प्रक्रमों पर भी प्रकाश डालता है जिनसे शैलों में परिवर्तन आते रहते हैं। इसमें अभिनव जीवों के साथ प्रागैतिहासिक जीवों का संबंध तथा उनकी उत्पत्ति और उनके विकास का अध्ययन भी सम्मिलित है। इसके अंतर्गत पृथ्वी के संघटक पदार्थों, उन पर क्रियाशील शक्तियों तथा उनसे उत्पन्न संरचनाओं, भूपटल की शैलों के वितरण, पृथ्वी के इतिहास (भूवैज्ञानिक कालों) आदि के अध्ययन को सम्मिलित किया जाता है। .

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मिश्रातु

इस्पात एक मिश्रधातु है दो या अधिक धात्विक तत्वों के आंशिक या पूर्ण ठोस-विलयन को मिश्रातु या मिश्र धातु (Alloy) कहते हैं। इस्पात एक मिश्र धातु है। प्रायः मिश्र धातुओं के गुण उस मिश्रधातु को बनाने वाले संघटकों के गुणों से भिन्न होते हैं। इस्पात, लोहे की अपेक्षा अधिक मजबूत होता है। काँसा, पीतल, टाँका (सोल्डर) आदि मिश्रातु हैं। .

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मैग्नेशियम

कोई विवरण नहीं।

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लोहा

एलेक्ट्रोलाइटिक लोहा तथा उसका एक घन सेमी का टुकड़ा लोहा या लोह (Iron) आवर्त सारणी के आठवें समूह का पहला तत्व है। धरती के गर्भ में और बाहर मिलाकर यह सर्वाधिक प्राप्य तत्व है (भार के अनुसार)। धरती के गर्भ में यह चौथा सबसे अधिक पाया जाने वाला तत्व है। इसके चार स्थायी समस्थानिक मिलते हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्या 54, 56, 57 और 58 है। लोह के चार रेडियोऐक्टिव समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या 52, 53, 55 और 59) भी ज्ञात हैं, जो कृत्रिम रीति से बनाए गए हैं। लोहे का लैटिन नाम:- फेरस .

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साइबेरिया

साइबेरिया का नक़्शा (गाढ़े लाल रंग में साइबेरिया नाम का संघी राज्य है, लेकिन लाल और नारंगी रंग वाले सारे इलाक़े साइबेरिया का हिस्सा माने जाते हैं गर्मी के मौसम में दक्षिणी साइबेरिया में जगह-जगह पर झीलें और हरियाली नज़र आती है याकुत्स्क शहर में 17वी शताब्दी में बना एक रूसी सैनिक-गृह साइबेरिया (रूसी: Сибирь, सिबिर) एक विशाल और विस्तृत भूक्षेत्र है जिसमें लगभग समूचा उत्तर एशिया समाया हुआ है। यह रूस का मध्य और पूर्वी भाग है। सन् 1991 तक यह सोवियत संघ का भाग हुआ करता था। साइबेरिया का क्षेत्रफल 131 लाख वर्ग किमी है। तुलना के लिए पूरे भारत का क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग किमी है, यानि साइबेरिया भारत से क़रीब चार गुना है। फिर भी साइबेरिया का मौसम और भूस्थिति इतनी सख़्त है के यहाँ केवल 4 करोड़ लोग रहते हैं, जो 2011 में केवल उड़ीसा राज्य की आबादी थी। यूरेशिया का अधिकतर स्टॅप (मैदानी घासवाला) इलाक़ा साइबेरिया में आता है। साइबेरिया पश्चिम में यूराल पहाड़ों से शुरू होकर पूर्व में प्रशांत महासागर तक और उत्तर में उत्तरध्रुवीय महासागर (आर्कटिक महासागर) तक फैला हुआ है। दक्षिण में इसकी सीमाएँ क़ाज़ाक़स्तान, मंगोलिया और चीन से लगती हैं। .

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सिलिकॉन

सिलिकॉन (Silicon); प्रतीक: Si) एक रासायनिक तत्व है। यह पृथ्वी पर ऑक्सीजन के बाद सबसे अधिक पाया जाने वाला तत्व है। सिलिकॉन के यौगिक एलेक्ट्रॉनिक अवयव, साबुन, शीशे एवं कंप्यूटर चिप्स में इस्तेमाल किए जाते हैं। सिलिकॉन की खोज १८२४ में स्वीडन के रसायनशास्त्री जोंस जकब बज्रेलियस ने की थी। आवर्त सारिणी में इसे १४वें स्थान पर रखा गया है। .

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विज्ञान

संक्षेप में, प्रकृति के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान (Science) कहते हैं। विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है। इस प्रकार कह सकते हैं कि किसी भी विषय के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कह सकते है। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के 'ज्ञान-भण्डार' के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है। .

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गंधक

हल्के पीले रंग के गंधक के क्रिस्टल गंधक (Sulfur) एक रासायनिक अधातुक तत्त्व है। .

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ग्रह

हमारे सौरमण्डल के ग्रह - दायें से बाएं - बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, युरेनस और नेप्चून सौर मंडल के ग्रहों, सूर्य और अन्य पिंडों के तुलनात्मक चित्र सूर्य या किसी अन्य तारे के चारों ओर परिक्रमा करने वाले खगोल पिण्डों को ग्रह कहते हैं। अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार हमारे सौर मंडल में आठ ग्रह हैं - बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, युरेनस और नेप्चून। इनके अतिरिक्त तीन बौने ग्रह और हैं - सीरीस, प्लूटो और एरीस। प्राचीन खगोलशास्त्रियों ने तारों और ग्रहों के बीच में अन्तर इस तरह किया- रात में आकाश में चमकने वाले अधिकतर पिण्ड हमेशा पूरब की दिशा से उठते हैं, एक निश्चित गति प्राप्त करते हैं और पश्चिम की दिशा में अस्त होते हैं। इन पिण्डों का आपस में एक दूसरे के सापेक्ष भी कोई परिवर्तन नहीं होता है। इन पिण्डों को तारा कहा गया। पर कुछ ऐसे भी पिण्ड हैं जो बाकी पिण्डों के सापेक्ष में कभी आगे जाते थे और कभी पीछे - यानी कि वे घुमक्कड़ थे। Planet एक लैटिन का शब्द है, जिसका अर्थ होता है इधर-उधर घूमने वाला। इसलिये इन पिण्डों का नाम Planet और हिन्दी में ग्रह रख दिया गया। शनि के परे के ग्रह दूरबीन के बिना नहीं दिखाई देते हैं, इसलिए प्राचीन वैज्ञानिकों को केवल पाँच ग्रहों का ज्ञान था, पृथ्वी को उस समय ग्रह नहीं माना जाता था। ज्योतिष के अनुसार ग्रह की परिभाषा अलग है। भारतीय ज्योतिष और पौराणिक कथाओं में नौ ग्रह गिने जाते हैं, सूर्य, चन्द्रमा, बुध, शुक्र, मंगल, गुरु, शनि, राहु और केतु। .

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ऑक्सीजन

ऑक्सीजन या प्राणवायु या जारक (Oxygen) रंगहीन, स्वादहीन तथा गंधरहित गैस है। इसकी खोज, प्राप्ति अथवा प्रारंभिक अध्ययन में जे.

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आकाश

ऊँचाई से वायुयान द्वारा आकाश का दृष्य किसी भी खगोलीय पिण्ड (जैसे धरती) के वाह्य अन्तरिक्ष का वह भाग जो उस पिण्ड के सतह से दिखाई देता है, वही आकाश (sky) है। अनेक कारणों से इसे परिभाषित करना कठिन है। दिन के प्रकाश में पृथ्वी का आकाश गहरे-नीले रंग के सतह जैसा प्रतीत होता है जो हवा के कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन के परिणामस्वरूप घटित होता है। जबकि रात्रि में हमे धरती का आकाश तारों से भरा हुआ काले रंग का सतह जैसा जान पड़ता है। .

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इटली

इटली यूरोप महाद्वीप के दक्षिण में स्थित एक देश है जिसकी मुख्यभूमि एक प्रायद्वीप है। इटली के उत्तर में आल्प्स पर्वतमाला है जिसमें फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रिया तथा स्लोवेनिया की सीमाएँ आकर लगती हैं। सिसली तथा सार्डिनिया, जो भूमध्य सागर के दो सबसे बड़े द्वीप हैं, इटली के ही अंग हैं। वेटिकन सिटी तथा सैन मरीनो इटली के अंतर्गत समाहित दो स्वतंत्र देश हैं। इटली, यूनान के बाद यूरोप का दूसरा का दूसरा प्राचीनतम राष्ट्र है। रोम की सभ्यता तथा इटली का इतिहास देश के प्राचीन वैभव तथा विकास का प्रतीक है। आधुनिक इटली 1861 ई. में राज्य के रूप में गठित हुआ था। देश की धीमी प्रगति, सामाजिक संगठन तथा राजनितिक उथल-पुथल इटली के 2,500 वर्ष के इतिहास से संबद्ध है। देश में पूर्वकाल में राजतंत्र था जिसका अंतिम राजघराना सेवाय था। जून, सन् 1946 से देश एक जनतांत्रिक राज्य में परिवर्तित हो गया। इटली की राजधानी रोम प्राचीन काल के एक शक्ति और प्रभाव से संपन्न रोमन साम्राज्य की राजधानी रहा है। ईसा के आसपास और उसके बाद रोमन साम्राज्य ने भूमध्य सागर के क्षेत्र में अपनी प्रभुता स्थापित की थी जिसके कारण यह संस्कृति और अन्य क्षेत्रों में आधुनिक यूरोप की आधारशिला के तौर पर माना जाता है। तथा मध्यपूर्व (जिसे भारतीय परिप्रेक्ष्य में मध्य-पश्च भी कह सकते हैं) के इतिहास में भी रोमन साम्राज्य ने अपना प्रभाव डाला था और उनसे प्रभावित भी हुआ था। आज के इटली की संस्कृति पर यवनों (ग्रीक) का भी प्रभाव पड़ा है। इटली की जनसंख्या २००८ में ५ करोड़ ९० लाख थी। देश का क्षेत्रफल ३लाख वर्ग किलोमीटर के आसपास है। १९९१ में यहाँ की सरकार के शीर्ष पदस्थ अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ जिसके बाद यहाँ की राजनैतिक सत्ता और प्रशासन में कई बदलाव आए हैं। रोम यहाँ की राजधानी है और अन्य प्रमुख नगरों में वेनिस, मिलान इत्यादि का नाम लिया जा सकता है। .

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कैल्सियम

कैल्सियम (Calcium) एक रासायनिक तत्व है। यह आवर्तसारणी के द्वितीय मुख्य समूह का धातु तत्व है। यह क्षारीय मृदा धातु है और शुद्ध अवस्था में यह अनुपलब्ध है। किन्तु इसके अनेक यौगिक प्रचुर मात्रा में भूमि में मिलते है। भूमि में उपस्थित तत्वों में मात्रा के अनुसार इसका पाँचवाँ स्थान है। यह जीवित प्राणियों के लिए अत्यावश्यक होता है। भोजन में इसकी समुचित मात्र होनी चाहिए। खाने योग्य कैल्शियम दूध सहित कई खाद्य पदार्थो में मिलती है। खान-पान के साथ-साथ कैल्शियम के कई औद्योगिक इस्तेमाल भी हैं जहां इसका शुद्ध रूप और इसके कई यौगिकों का इस्तेमाल किया जाता है। आवर्त सारणी में कैल्शियम का अणु क्रमांक 20 है और इसे अंग्रेजी शब्दों ‘Ca’ से इंगित किया गया है। 1808 में सर हम्फ्री डैवी ने इसे खोजा था। उन्होंने इसे कैल्सियम क्लोराइड से अलग किया था। चूना पत्थर, कैल्सियम का महत्वपूर्ण खनिज स्रोत है। पौधों में भी कैल्शियम पाया जाता है। अपने शुद्ध रूप में कैल्शियम चमकीले रंग का होता है। यह अपने अन्य साथी तत्वों के बजाय कम क्रियाशील होता है। जलाने पर इसमें से पीला और लाल धुआं उठता है। इसे आज भी कैल्शियम क्लोराइड से उसी प्रक्रिया से अलग किया जाता है जो सर हम्फ्री डैवी ने 1808 में इस्तेमाल की थी। कैल्शियम से जुड़े ही एक अन्य यौगिक, कैल्सियम कार्बोनेट को कंक्रीट, सीमेंट, चूना इत्यादि बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अन्य कैल्शियम कंपाउंड अयस्कों, कीटनाशक, दुर्गन्धहर, खाद, कपड़ा उत्पादन, कॉस्मेटिक्स, लाइटिंग इत्यादि में इस्तेमाल किया जाता है। जीवित प्राणियों में कैल्शियम हड्डियों, दांतों और शरीर के अन्य हिस्सों में पाया जाता है। यह रक्त में भी होता है और शरीर की अंदरूनी देखभाल में इसकी विशेष भूमिका होती है। कैल्सियम अत्यंत सक्रिय तत्व है। इस कारण इसको शुद्ध अवस्था में प्राप्त करना कठिन कार्य है। आजकल कैल्सियम क्लोराइड तथा फ्लोरस्पार के मिश्रण को ग्रेफाइट मूषा में रखकर विद्युतविच्छेदन द्वारा इस तत्व को तैयार करते हैं। शुद्ध अवस्था में यह सफेद चमकदार रहता है। परन्तु सक्रिय होने के कारण वायु के आक्सीजन एवं नाइट्रोजन से अभिक्रिया करता है। इसके क्रिस्टल फलक केंद्रित घनाकार रूप में होते हैं। यह आघातवर्ध्य तथा तन्य तत्व है। इसके कुछ गुणधर्म निम्नांकित हैं- साधारण ताप पर यह वायु के ऑक्सीजन और नाइट्रोजन से धीरे धीरे अभिक्रिया करता है, परंतु उच्च ताप पर तीव्र अभिक्रिया द्वारा चमक के साथ जलता है और कैलसियम आक्साइड (CaO) बनाता है। जल के साथ अभिक्रिया कर यह हाइड्रोजन उन्मुक्त करता है और लगभग समस्त अधातुओं के साथ अभिक्रिरिया कर यौगिक बनाता है। इसके रासायनिक गुण अन्य क्षारीय मृदा तत्वों (स्ट्रांशियम, बेरियम तथा रेडियम) की भाँति है। यह अभिक्रिया द्वारा द्विसंयोजकीय यौगिक बनाता है। ऑक्सीजन के साथ संयुक्त होने पर कैलसियम ऑक्साइड का निर्माण होता है, जिसे कली चूना और बिना बुझा चूना (quiklime) भी कहते हैं। पानी में घुलने पर कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड या शमित चूना या बुझा चूना (slaked lime) बनता है। यह क्षारीय पदार्थ है जिसका उपयोग गृह निर्माण कार्य में पुरतान काल से होता आया है। चूने में बालू, जल आदि मिलाने पर प्लास्टर बनता है, जो सूखने पर कठोर हो जाता है और धीरे-धीरे वायुमण्डल के कार्बन डाइऑक्साइड से अभिक्रिया कर कैलसियम कार्बोनेट में परिणत हो जाता है। कैलसियम अनेक तत्वों (जैसे हाइड्रोजन, फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन आयोडीन, नाइट्रोजन सल्फर आदि) के साथ अभिक्रिया कर यौगिक बनता है। कैलसियम क्लोराइड, हाइड्रोक्साइड, तथा हाइपोक्लोराइड का एक मिश्रण और ब्लिचिंग पाउडर कहलाता है जो वस्त्रों आदि के विरंजन में उपयोगी है। कैलसियम कार्बोनेट तथा बाइकार्बोनेट भी उपयोगी है। अपाचयक तत्व होने के कारण कैलसियम अन्य धातुओं के निर्माण में काम आता है। कुछ धातुओं में कैलसियम मिश्रित करने पर उपयोगी मिश्र धातुएँ बनती हैं। कैलसियम के यौगिक के अनेक उपयोग हैं। कुछ यौगिक (नाइट्रेट, फॉसफेट आदि) उर्वरक के रूप में उपयोग में आते है। कैलसियम कार्बाइड का उपयोग नाइट्रोजन स्थिरीकरण उद्योग में होता है और इसके द्वारा एसिटिलीन गैस बनाई जाती है। कैलसियम सल्फेट द्वारा प्लास्टर ऑफ पेरिस बनाया जाता है। इसके अतिरक्ति कुछ यौगिक चिकित्सा, पोर्स्लोिन उद्योग, काच उद्योग, चर्म उद्योग तथा लेप आदि के निर्माण में उपयोगी है। भारत के प्राचीन निवासी कैलसियम के यौगिक तत्वों से परिचित थे। उनमें चूना (कैलसियम आक्साइड) मुख्य है। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के भग्नावशेषों से ज्ञात होता है तत्कालीन निवासी चूने का उपयोग अनेक कार्यों में करते थे। चूने के साथ कतिपय अन्य पदार्थों के मिश्रण से 'वज्रलेप' तैयार करने का प्राचीन साहित्य में प्राप्त होता है। चरक ने ऐसे क्षारों का वर्णन किया है जिनको विभिन्न समाक्षारों पर चूने की अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता था। कुछ समय पूर्व उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में कोपिया नामक एक स्थान से काँच बनाने के एक प्राचीन कारखाने के अवशेष प्राप्त हुए हैं। उसका काल लगभग पाँचवी शती ईसवी पूर्व अनुमान किया जाता है। वहाँ से मिली काँच की वस्तुओं की परीक्षा से ज्ञात हुआ है कि उस काल के काँच बनाने में चूने का उपयोग होता था। .

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कोन्ड्राइट

NWA८६९ नामक कोन्ड्राइट उल्का का एक ७०० ग्राम का अंश कोन्ड्राइट (Chondrite) ऐसे पत्थरीले (ग़ैर-धातुदार) उल्काओं (मीट्योराइटों) को कहा जाता है जो उस धूल व कणों के बने हों जो सौर मंडल के शुरुआती सृष्टि-क्रम में मौजूद थे। ग्रहों, उपग्रहों और अन्य बड़ी वस्तुओं के निर्माण में उनमें शामिल सामग्री में पिघलाव और परतों में छट जाने जैसी प्रक्रिया हुई। प्रहारों के कारण इनसे भी उखड़कर उल्का बने लेकिन कोन्ड्राइट केवल वही उल्का होते हैं जिनमें ऐसी प्रक्रियाएँ न हुई हों और जो काफ़ी हद तक सौर मंडल के आरम्भिक काल में जैसे थे वैसे ही हों। ध्यान दें कि किसी कोन्ड्राइट में अक्सर ज़रा-बहुत धातु भी उपस्थित हो सकती है लेकिन उसका अधिकतर भाग पत्थरीला होता है। .

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अकोन्ड्राइट

कम्बरलैंड फ़ॉल्ज़ नामक अकोन्ड्राइट उल्का का कटा अंश अकोन्ड्राइट (Chondrite) ऐसे पत्थरीले (ग़ैर-धातुदार) उल्काओं (मीट्योराइटों) को कहा जाता है जिनमें कोन्ड्रूल (गोलाकार पत्थरीले आदि-कण) न हों। क्योंकि यह कण सौर मंडल के शुरुआती सृष्टि-क्रम में मौजूद थे इनकी अनुपस्थिति का मतलब यह है कि उल्का किसी बड़ी वस्तु का अंश है जिसमें उसकी सामग्री पर पिघलाव और परतीकरण जैसी प्रक्रियाएँ हुई हैं। इस कारणवश कोन्ड्राइट और अकोन्ड्राइट उल्काओं को काटकर देखा जाए तो उनका ग्रंथन एक-दूसरे से भिन्न लगता है। .

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