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उम्मैद भवन पैलेस

सूची उम्मैद भवन पैलेस

उम्मैद भवन पैलेस उम्मैद भवन पैलेस राजस्थान के जोधपुर ज़िले में स्थित एक महल है। यह दुनिया के सबसे बड़े निजी महलों में से एक है। यह ताज होटल का ही एक अंग है। इसका नाम महाराजा उम्मैद सिंह के पौत्र ने दिया था जो वर्तमान में मालिक है। अभी वर्तमान समय में इस पैलेस में ३४७ कमरे है। इस उम्मैद भवन पैलेस को चित्तर पैलेस के नाम से भी पहले जाना जाता था जब इसका निर्माण कार्य चालू था। यह पैलेस १९४३ में बनकर तैयार हुआ था। .

8 संबंधों: बालसमंद झील, महल, मेहरानगढ़, राजस्थान, संग्रहालय, जसवंत थड़ा, जोधपुर, कायलाना झील

बालसमंद झील

बालसमंद झील जोधपुर-मंडोर मार्ग पर जोधपुर से पांच किलोमीटर दूरी पर स्थित एक झील है। इसका निर्माण सन् ११५९ में बलक राव परिहार ने किया था। .

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महल

जयपुर स्थित हवामहल का एक दृश्य महल का अर्थ होता है भव्य और शानदार भवन जो सामानयतः शासकों, राजाओं के आवास के लिये निर्मित किये जाते थे। भारत में मध्यकाल तक ऐसे भवन निर्मित किये जाते रहे जिन्हें महल की संज्ञा दी जाती है और ऐसे कई तरह के महल पाये जाते हैं। यह मूलतः अरबी शब्द है जिसका मतलब होता है भवन। राजस्थान प्रान्त तो राजा महाराजाओं के महलों के कारण ही जाना जाता है। राजस्थानी महलों मे शेखावती महल अपनी खूबसूरती के लिये जाना जाता है। .

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मेहरानगढ़

मेहरानगढ़ दुर्गचामुंडा माता मंदिर मेहरानगढ दुर्ग भारत के राजस्थान प्रांत में जोधपुर शहर में स्थित है। पन्द्रहवी शताब्दी का यह विशालकाय किला, पथरीली चट्टान पहाड़ी पर, मैदान से १२५ मीटर ऊँचाई पर स्थित है और आठ द्वारों व अनगिनत बुर्जों से युक्त दस किलोमीटर लंबी ऊँची दीवार से घिरा है। बाहर से अदृश्य, घुमावदार सड़कों से जुड़े इस किले के चार द्वार हैं। किले के अंदर कई भव्य महल, अद्भुत नक्काशीदार किवाड़, जालीदार खिड़कियाँ और प्रेरित करने वाले नाम हैं। इनमें से उल्लेखनीय हैं मोती महल, फूल महल, शीश महल, सिलेह खाना, दौलत खाना आदि। इन महलों में भारतीय राजवेशों के साज सामान का विस्मयकारी संग्रह निहित है। इसके अतिरिक्त पालकियाँ, हाथियों के हौदे, विभिन्न शैलियों के लघु चित्रों, संगीत वाद्य, पोशाकों व फर्नीचर का आश्चर्यजनक संग्रह भी है। यह किला भारत के प्राचीनतम किलों में से एक है और भारत के समृद्धशाली अतीत का प्रतीक है। राव जोधा जोधपुर के राजा रणमल की २४ संतानों मे से एक थे। वे जोधपुर के पंद्रहवें शासक बने। शासन की बागडोर सम्भालने के एक साल बाद राव जोधा को लगने लगा कि मंडोर का किला असुरक्षित है। उन्होने अपने तत्कालीन किले से ९ किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर नया किला बनाने का विचार प्रस्तुत किया। इस पहाड़ी को भोर चिडिया के नाम से जाना जाता था, क्योंकि वहाँ काफ़ी पक्षी रहते थे। राव जोधा ने १२ मई १४५९ को इस पहाडी पर किले की नीव डाली महाराज जसवंत सिंह (१६३८-७८) ने इसे पूरा किया। मूल रूप से किले के सात द्वार (पोल) (आठवाँ द्वार गुप्त है) हैं। प्रथम द्वार पर हाथियों के हमले से बचाव के लिए नुकीली कीलें लगी हैं। अन्य द्वारों में शामिल जयपोल द्वार का निर्माण १८०६ में महाराज मान सिंह ने अपनी जयपुर और बीकानेर पर विजय प्राप्ति के बाद करवाया था। फतेह पोल अथवा विजय द्वार का निर्माण महाराज अजीत सिंह ने मुगलों पर अपनी विजय की स्मृति में करवाया था। राव जोधा को चामुँडा माता मे अथाह श्रद्धा थी। चामुंडा जोधपुर के शासकों की कुलदेवी होती है। राव जोधा ने १४६० मे मेहरानगढ किले के समीप चामुंडा माता का मंदिर बनवाया और मूर्ति की स्थापना की। मंदिर के द्वार आम जनता के लिए भी खोले गए थे। चामुंडा माँ मात्र शासकों की ही नहीं बल्कि अधिसंख्य जोधपुर निवासियों की कुलदेवी थी और आज भी लाखों लोग इस देवी को पूजते हैं। नवरात्रि के दिनों मे यहाँ विशेष पूजा अर्चना की जाती है। मेहरानगढ दुर्ग की नींव में ज्योतिषी गणपत दत्त के ज्योतिषीय परामर्श पर ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (तदनुसार, 12 मई 1459 ई) वार शनिवार को राजाराम मेघवाल को जीवित ही गाड़ दिया गया। राजाराम के सहर्ष किये हुए आत्म त्याग एवम स्वामी-भक्ति की एवज में राव जोधाजी राठोड़ ने उनके वंशजो को मेहरानगढ दुर्ग के पास सूरसागर में कुछ भूमि भी दी (पट्टा सहित), जो आज भी राजबाग के नाम से प्रसिद्ध हैं। होली के त्यौहार पर मेघवालों की गेर को किले में गाजे बाजे के साथ जाने का अधिकार हैं जो अन्य किसी जाति को नही है। राजाराम का जन्म कड़ेला गौत्र में केसर देवी की कोख से हुआ तथा पिता का नाम मोहणसी था। .

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राजस्थान

राजस्थान भारत गणराज्य का क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है। इसके पश्चिम में पाकिस्तान, दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब (भारत), उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि॰मी॰ (132139 वर्ग मील) है। 2011 की गणना के अनुसार राजस्थान की साक्षरता दर 66.11% हैं। जयपुर राज्य की राजधानी है। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान की एक मात्र पर्वत श्रेणी है, जो कि पर्यटन का केन्द्र है, माउंट आबू और विश्वविख्यात दिलवाड़ा मंदिर सम्मिलित करती है। पूर्वी राजस्थान में दो बाघ अभयारण्य, रणथम्भौर एवं सरिस्का हैं और भरतपुर के समीप केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान है, जो सुदूर साइबेरिया से आने वाले सारसों और बड़ी संख्या में स्थानीय प्रजाति के अनेकानेक पक्षियों के संरक्षित-आवास के रूप में विकसित किया गया है। .

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संग्रहालय

फ्रांस के लूव्र संग्रहालय में स्कूल के विद्यार्थी। लंदन में प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय टर्की के इस्तांबूल नगर में तोपकी संग्रहालय। संग्रहालय एक ऐसा संस्थान है है जो समाज की सेवा और विकास के लिए जनसामान्य के लिए खोला जाता है और इसमें मानव और पर्यावरण की विरासतों के संरक्षण के लिए उनका संग्रह, शोध, प्रचार या प्रदर्शन किया जाता है जिसका उपयोग शिक्षा, अध्ययन और मनोरंजन के लिए होता है। .

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जसवंत थड़ा

जोधपुर दुर्ग मेहरानगढ़ के पास ही सफ़ेद संगमरमर का एक स्मारक बना है जिसे जसवंत थड़ा कहते हैं। इसे सन 1899 में जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह जी (द्वितीय)(1888-1895) की यादगार में उनके उत्तराधिकारी महाराजा सरदार सिंह जी ने बनवाया था। यह स्थान जोधपुर राजपरिवार के सदस्यों के दाह संस्कार के लिये सुरक्षित रखा गया है। इससे पहले राजपरिवार के सदस्यों का दाह संस्कार मंडोर में हुआ करता था। इस विशाल स्मारक में संगमरमर की कुछ ऐसी शिलाएँ भी दिवारों में लगी है जिनमे सूर्य की किरणे आर-पार जाती हैं। इस स्मारक के लिये जोधपुर से 250 कि, मी, दूर मकराना से संगमरमर का पत्थर लाया गया था। स्मारक के पास ही एक छोटी सी झील है जो स्मारक के सौंदर्य को और बढा देती है इस झील का निर्माण महाराजा अभय सिंह जी (1724-1749) ने करवाया था। जसवंत थड़े के पास ही महाराजा सुमेर सिह जी, महाराजा सरदार सिंह जी, महाराजा उम्मेद सिंह जी व महाराजा हनवन्त सिंह जी के स्मारक बने हुए हैं। इस स्मारक को बनाने में 2,84,678 रूपए का खर्च आया था। .

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जोधपुर

जोधपुर भारत के राज्य राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा नगर है। इसकी जनसंख्या १० लाख के पार हो जाने के बाद इसे राजस्थान का दूसरा "महानगर " घोषित कर दिया गया था। यह यहां के ऐतिहासिक रजवाड़े मारवाड़ की इसी नाम की राजधानी भी हुआ करता था। जोधपुर थार के रेगिस्तान के बीच अपने ढेरों शानदार महलों, दुर्गों और मन्दिरों वाला प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है। वर्ष पर्यन्त चमकते सूर्य वाले मौसम के कारण इसे "सूर्य नगरी" भी कहा जाता है। यहां स्थित मेहरानगढ़ दुर्ग को घेरे हुए हजारों नीले मकानों के कारण इसे "नीली नगरी" के नाम से भी जाना जाता था। यहां के पुराने शहर का अधिकांश भाग इस दुर्ग को घेरे हुए बसा है, जिसकी प्रहरी दीवार में कई द्वार बने हुए हैं, हालांकि पिछले कुछ दशकों में इस दीवार के बाहर भी नगर का वृहत प्रसार हुआ है। जोधपुर की भौगोलिक स्थिति राजस्थान के भौगोलिक केन्द्र के निकट ही है, जिसके कारण ये नगर पर्यटकों के लिये राज्य भर में भ्रमण के लिये उपयुक्त आधार केन्द्र का कार्य करता है। वर्ष २०१४ के विश्व के अति विशेष आवास स्थानों (मोस्ट एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी प्लेसेज़ ऑफ़ द वर्ल्ड) की सूची में प्रथम स्थान पाया था। एक तमिल फ़िल्म, आई, जो कि अब तक की भारतीय सिनेमा की सबसे महंगी फ़िल्मशोगी, की शूटिंग भी यहां हुई थी। .

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कायलाना झील

कायलाना झील राजस्थान के जोधपुर से आठ किलोमीटर पूर्व में स्थित है। यह एक निर्मित झील है जिसे प्रताप सिंह ने 1872 में बनाया। यह झील लगभग 84 कीलोमीटर2 तक फैली है। प्राचीनकाल में इस क्षेत्र में जोधपुर के दो राजाओं भीम सिंह और तखत सिंह के बाग़ और महल हुआ करते थे। यह झील बनाने के लिए उन्हें तबाह कर दिया गया था। यह झील आग्नेय चट्टान से बनी अधर्ति पर स्थित है। इसे पानी हाथी नहर से मिलता है जो इंदिरा गाँधी नहर से जुड़ी है। यहाँ पेड़-पौधे बबूल की झाड़ियों पर आधारित हैं और शीतकाल में स्थान-परिवर्तन करने वाले पक्षी जैसे साईबीरियाई क्रेन यहाँ आते हैं। जोधपुर नगर और इसके आसपास के उपनगर और गाँव कायलाना झील से ही पीने का पानी प्राप्त करते हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

उम्मेद भवन पैलेस, जोधपुर

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