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उद्योग

सूची उद्योग

एक औद्योगिक क्षेत्र का दृश्य किसी विशेष क्षेत्र में भारी मात्रा में सामान का निर्माण/उत्पादन या वृहद रूप से सेवा प्रदान करने के मानवीय कर्म को उद्योग (industry) कहते हैं। उद्योगों के कारण गुणवत्ता वाले उत्पाद सस्ते दामों पर प्राप्त होते है जिससे लोगों का रहन-सहन के स्तर में सुधार होता है और जीवन सुविधाजनक होता चला जाता है। औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका में नये-नये उद्योग-धन्धे आरम्भ हुए। इसके बाद आधुनिक औद्योगीकरण ने पैर पसारना अरम्भ किया। इस काल में नयी-नयी तकनीकें एवं उर्जा के नये साधनों के आगमन ने उद्योगों को जबर्दस्त बढावा दिया। उद्योगों के दो मुख्य पक्ष हैं: १) भारी मात्रा में उत्पादन (मॉस प्रोडक्सन) उद्योगों में मानक डिजाइन के उत्पाद भारी मात्रा में उत्पन्न किये जाते हैं। इसके लिये स्वतः-चालित मशीनें एवं असेम्बली-लाइन आदि का प्रयोग किया जाता है। २) कार्य का विभाजन (डिविजन ऑफ् लेबर) उद्योगों में डिजाइन, उत्पादन, मार्कटिंग, प्रबन्धन आदि कार्य अलग-अलग लोगों या समूहों द्वारा किये जाते हैं जबकि परम्परागत कारीगर द्वारा निर्माण में एक ही व्यक्ति सब कुछ करता था/है। इतना ही नहीं, एक ही काम (जैसे उत्पादन) को छोटे-छोटे अनेक कार्यों में बांट दिया जाता है। सकल घरेलू उत्पाद (Gross domestic product/GDP) हरा - कृषि, लाल - उद्योग, नीला - सेवा क्षेत्र .

28 संबंधों: ऊर्जा, परिवहन, प्रौद्योगिकी, फरीदाबाद, फ़िरोज़ाबाद, फुटलूज उद्योग, बेसल नाभिक, बोकारो, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक, भिलाई, मजदूर, मोदीनगर, रामपुर, लुधियाना, शिवकाशी, शिकागो, श्रम का विभाजन, सांगली, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (भारत), सेवा, जमशेदपुर, ज्ञान, वाराणसी, विऔद्योगीकरण, वृहद उत्पादन, औद्योगिक क्रांति, आइसोडापेन, अलीगढ़

ऊर्जा

दीप्तिमान (प्रकाश) ऊर्जा छोड़ता हैं। भौतिकी में, ऊर्जा वस्तुओं का एक गुण है, जो अन्य वस्तुओं को स्थानांतरित किया जा सकता है या विभिन्न रूपों में रूपांतरित किया जा सकता हैं। किसी भी कार्यकर्ता के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा (Energy) कहते हैं। ऊँचाई से गिरते हुए जल में ऊर्जा है क्योंकि उससे एक पहिये को घुमाया जा सकता है जिससे बिजली पैदा की जा सकती है। ऊर्जा की सरल परिभाषा देना कठिन है। ऊर्जा वस्तु नहीं है। इसको हम देख नहीं सकते, यह कोई जगह नहीं घेरती, न इसकी कोई छाया ही पड़ती है। संक्षेप में, अन्य वस्तुओं की भाँति यह द्रव्य नहीं है, यद्यापि बहुधा द्रव्य से इसका घनिष्ठ संबंध रहता है। फिर भी इसका अस्तित्व उतना ही वास्तविक है जितना किसी अन्य वस्तु का और इस कारण कि किसी पिंड समुदाय में, जिसके ऊपर किसी बाहरी बल का प्रभाव नहीं रहता, इसकी मात्रा में कमी बेशी नहीं होती। .

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परिवहन

परिवहन उस विधि या व्यवस्था को कहते हैं जो कि व्यक्ति, वस्तुओं और सन्देश को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाते हैं। .

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प्रौद्योगिकी

२०वीं सदी के मध्य तक मनुष्य ने तकनीक के प्रयोग से पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकलना सीख लिया था। एकीकृत परिपथ (IC) के आविष्कार ने कम्प्यूटर क्रान्ति को जन्म दिया । प्रौद्योगिकी, व्यावहारिक और औद्योगिक कलाओं और प्रयुक्त विज्ञानों से संबंधित अध्ययन या विज्ञान का समूह है। कई लोग तकनीकी और अभियान्त्रिकी शब्द एक दूसरे के लिये प्रयुक्त करते हैं। जो लोग प्रौद्योगिकी को व्यवसाय रूप में अपनाते है उन्हे अभियन्ता कहा जाता है। आदिकाल से मानव तकनीक का प्रयोग करता आ रहा है। आधुनिक सभ्यता के विकास में तकनीकी का बहुत बड़ा योगदान है। जो समाज या राष्ट्र तकनीकी रूप से सक्षम हैं वे सामरिक रूप से भी सबल होते हैं और देर-सबेर आर्थिक रूप से भी सबल बन जाते हैं। ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिये कि अभियांत्रिकी का आरम्भ सैनिक अभियांत्रिकी से ही हुआ। इसके बाद सडकें, घर, दुर्ग, पुल आदि के निर्माण सम्बन्धी आवश्यकताओं और समस्याओं को हल करने के लिये सिविल अभियांत्रिकी का प्रादुर्भाव हुआ। औद्योगिक क्रान्ति के साथ-साथ यांत्रिक तकनीकी आयी। इसके बाद वैद्युत अभियांत्रिकी, रासायनिक प्रौद्योगिकी तथा अन्य प्रौद्योगिकियाँ आयीं। वर्तमान समय कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी का है। .

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फरीदाबाद

फ़रीदाबाद भारत के उतरी प्रांत हरियाणा प्रदेश का प्रमुख शहर है। यह फ़रीदाबाद जिले में आता है। इसे 1607 में शेख फरीद, जहांगीर के खजांची ने बनवाया था। उनका मकसद यहां से गुजरने वाले राजमार्ग की रक्षा करना था। यह दिल्ली से 25 किलोमीटर दक्षिण मे स्थित है। 15 अगस्त 1979 में यह हरियाणा का 12वां जिला बना। आज फ़रीदाबाद अपने उद्यॉगों के लिए प्रसिद्ध है। इसकी स्थापना 1607 ई. में सूफी संत शेख फरीद ने की थी। उन्होंने यहां किले और मस्जिद का निर्माण भी कराया था। समय के साथ यहां की आबादी बढ़ती गई और इसका औद्योगिकरण होता गया। अब यहां पर अनेक औद्योगिक इकाईयों की स्थापना हो चुकी है। हरियाणा की आय का 60 प्रतिशत हिस्सा फरीदाबाद से ही आता है। यह दिल्ली से मात्र १० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सरकार ने इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र घोषित कर दिया है। राष्ट्रीय राजमार्ग 2 से पर्यटक आसानी से फरीदाबाद तक पहुंच सकते हैं। सड़क मार्ग के अलावा रेल मार्ग से भी आसानी से फरीदाबाद तक पहुंचा जा सकता है। दिल्ली-मथुरा रेल लाइन पर फरीदाबाद में रेलवे स्टेशन भी बनाया गया है। यहां आने वाले पर्यटक कहीं भी नीरसता या बोरियत महसूस नहीं करते। वह यहां पर शानदार छुट्टियां मना सकते हैं और अनेक पर्यटक स्थलों की यात्रा भी कर सकते हैं। .

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फ़िरोज़ाबाद

फिरोजाबाद उत्तर प्रदेश का एक शहर एवं जिला मुख्यालय है।यह शहर चूड़ियों के निर्माण के लिये प्रसिद्ध है। यह आगरा से 40 किलोमीटर और राजधानी दिल्ली से 250 किलोमीटर की दूरी पर पूर्व की तरफ स्थित है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ यहाँ से लगभग 250 किमी पूर्व की तरफ है। फिरोज़ाबाद ज़िले के अन्तर्गत दो कस्बे टुंडला और शिकोहाबाद आते हैं। टुंडला पश्चिम तथा शिकोहाबाद शहर के पूर्व में स्थित है। फिरोज़ाबाद में मुख्यतः चूडियों का कारोबार होता है। यहाँ पर आप रंग बिरंगी चूडियों को अपने चारों ओर देख सकते हैं। लेकिन अब यहाँ पर गैस का कारोबार होता है। यहाँ पर काँच का अन्य सामान (जैसे काँच के झूमर) भी बनते हैं। इस शहर की आबो हवा गरम है। यहाँ की आबादी बहुत घनी है। यहाँ के ज्यादातर लोग कोरोबार से जुडे हैं। घरों के अन्दर महिलाएं भी चूडियों पर पालिश और हिल लगाकर रोजगार अर्जित कर लेती हैं। बाल मज़दूरी यहाँ आम है। सरकार तमाम प्रयासों के बावजूद उन पर अंकुश नहीं लगा सकी है। जबकि पंडित तोताराम सनाढय द्वारा बंधुआ मजदूरी/गिरमिटिया प्रथा को फिजी में समाप्त किया।जिनकी जन्म स्थली फीरोजाबाद से लगभग 8 किलो मीटर दूर गाओं हिरन गाओं में है !फिरोजाबाद को प्राचीन समय में चन्द्रनगर के नाम से जाना जाता था .

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फुटलूज उद्योग

आर्थिक भूगोल में फुटलूज़ उद्योग ऐसे उद्योगों को कहा जाता है जिनकी अवस्थिति पर कच्चे माल के स्रोत से दूरी (परिवहन लागत) का असर नहीं होता। ऐसे अधिकतर उद्योग कहीं भी स्थापित किया जा सकते हैं और इन्हें कच्चे माल के स्रोत के समीप लगाने की अनिवार्यता नहीं होती। उद्योग श्रेणी:औद्योगिक भूगोल.

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बेसल नाभिक

बेसल गैन्ग्लिया (अथवा बेसल नाभिक) रीढ़धारी जीवों के मस्तिष्क में स्थित विभिन्न मूल के नाभिकों का एक समूह है (अधिकांश भ्रूणीय मूल के टेलेंसिफेलिक होते हैं जबकि कुछ अन्य डाइएन्सिफेलिक एवं मीजेन्सिफेलिक तत्व होते हैं) जो एक संयुक्त कार्यात्मक इकाई के रूप में कार्य संपादन करते हैं। वे मस्तिष्क के अग्र भाग के आधार क्षेत्र में स्थित होते हैं और सेरेब्रल कॉर्टेक्स, थैलेमस तथा मस्तिष्क के अन्य क्षेत्रों से मजबूती से जुड़े होते हैं। बेसल गैन्ग्लिया विभिन्न कार्यों से जुड़े होते हैं, जिनमे स्वैच्छिक गतिशीलता नियंत्रण, दैनिक आचरण अथवा "आदतों" से संबंधित प्रक्रियात्मक शिक्षण, आँख की हलचल, संज्ञानात्मक एवं भावुक कार्य शामिल हैं। वर्तमान में लोकप्रिय सिद्धांत बेसल गैन्ग्लिया को मुख्यतः क्रिया चयन के लिए जिम्मेदार मानते हैं, अर्थात इस बात का निर्णय करना कि एक समय पर विभिन्न संभव व्यवहारों में से किसे करना है। प्रयोगात्मक अध्ययन दर्शाते हैं कि बेसल गैन्ग्लिया कई गतिशील तंत्रों पर निरोधात्मक प्रभाव डालते हैं और इस निरोधी प्रभाव के हटते ही गतिशील तंत्र सक्रिय हो जाता है। बेसल गैन्ग्लिया में "व्यवहार का बदलना" मस्तिस्क के कई हिस्सों से प्रसारित होने वाले संकेतों से प्रभावित होता है, जिसमें सम्मिलित है प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स जो कि कार्यकारी कामों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बेसल गैन्ग्लिया के मुख्य घटक हैं- स्ट्रिएटम जिसे निओस्ट्रिएटम भी कहते हैं और जो कॉडेट एवं पुटामेन से बना होता है, ग्लोबस पैलिडस या पैलिडम जो ग्लोबस पैलिडस एक्सटर्ना (जीपीइ) या ग्लोबस पैलिडस इंटर्ना (जीपीआई) से बना होता है, सब्सटैंशिया निग्रा जो सब्सटैंशिया निग्रा पार्स कॉम्पेक्टा (एसएनसी) एवं सब्सटैंशिया निग्रा पार्स रेटिकुलाटा (एसएनआर) से मिलकर बना होता है और सबथैलेमिक नाभिक (एसटीएन).

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बोकारो

बोकारो झारखंड राज्य का एक जिला है। यह शहर अपने सरकारी क्षेत्र के इस्पात उद्योग के लिये प्रसिद्ध है तथा "स्टील सिटी" के नाम से जाना जाता है। बोकारो छोटानागपुर पठार में स्थित है। .

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भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक

भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक या सिडबी (Small Industries Development Bank of India) भारत की स्वतंत्र वित्तीय संस्था है जो सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों की वृद्धि एवं विकास के लक्ष्य से स्थापित किया गया है। यह लघु उद्योग क्षेत्र के संवर्द्धन, वित्तपोषण और विकास तथा इसी तरह की गतिविधियों में लगी अन्य संस्थाओं के कार्यां में समन्वयन के लिए प्रमुख विकास वित्तीय संस्था है। सिडबी की स्थापना 2 अप्रैल 1990 को हुई। इसकी स्थापना संबंधी अधिकार-पत्र भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक अधिनियम, 1989 में सिडबी की परिकल्पना लघु उद्योग क्षेत्र के उद्योगों के संवर्द्धन, वित्तपोषण और विकास और लघु उद्योग क्षेत्र के उद्योगों को संवर्द्धन व वित्तपोषण अथवा विकास में लगी संस्थाओं के कार्यों में समन्वय करने और इसके लिए प्रासंगिक मामलों के लिए प्रमुख वित्तीय संस्था के रूप में की गई है। दि बैंकर, लंदन की हालिया रैंकिंग में सिडबी ने विश्व के 30 सर्वोच्च विकास बैंकों में अपनी जगह बनाए रखी। दि बैंकर, लंदन के मई 2001 अंक के अनुसार पूँजी व आस्तियों की दृष्टि से सिडबी का स्थान 25वाँ था। .

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भिलाई

भिलाई शहर करीबन भारत के मध्य में बसा है। 5,53,837 की जनसंख्या के साथ, भिलाई भारत के छत्तीसगढ़ राज्य का दूसरा बड़ा शहर है। मुम्बई-नागपुर-बिलासपुर-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग 6 पर स्थित, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 30 किलोमीटर पश्चिम में भारतीय इस्पात प्राधिकरण के अंतर्गत एकीकृत इस्पात संयंत्र के लिये जगप्रसिद्ध शहर शिक्षा और खेल के क्षेत्र में भी नाम रखता है। भारत-रूस मैत्री के फ़लस्वरूप बना भिलाई इस्पात संयंत्र श्रेष्ठ एकीकृत इस्पात संयंत्र के लिये लगातार ग्यारह बार प्रधानमंत्री ट्रॉफ़ी जीत चुका है। भिलाई नाम की उत्पत्ति भिलाई गांव से हुई है, जो इस नगर के उत्तर में स्थित है। सन् 1956 तक भिलाई गांव एक छोटा सा ग्राम था, जिसकी जनसंख्या 350 थी। सन् 1955 में भारत एवं सोवियत रुस में संपन्न एक समझौते के अंतर्गत इस्पात कारखाना स्थापित किया गया। भिलाई इस्पात संयंत्र कारखाना स्थापित होने से क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियों में वृद्वि हुई। संक्षिप्त परिचय - नगर पालिक निगम भिलाई मुम्बई - हावड़ा रेल्वे लाइन तथा राष्ट्रीय राजपथ क्रमांक-6 के किनारे,21013 उत्तर अक्षांश एवं 81026 पूर्व देशांश में, छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थित भिलाई, सन् 1955 तक एक छोटा, शांत और धान की खेती पर पोषित गांव मात्र था। 14 मार्च 1955 को भारत शासन और तत्कालीन सोवियत संघ के मध्य, भिलाई में एक मिलीयन टन क्षमता के इस्पात कारखाना लगाने का समझौता हुआ जिसने न केवल भिलाई जिसने न केवल भिलाई की, वरन् इसके आस-पास बसे सैकड़ों गांवों की काया पलट दी। मुंबई-हावड़ा रेल्वे लाइन के उत्तर में भिलाई इस्पात संयंत्र और उसकी टाउनशीप बनाने का निर्णय लिया गया और इसके दक्षिण में श्रमिकों के लिए अस्थायी निवास हेतु भूमि दी गई। अवधारणा यह थी कि कारखाना प्रारंभ होने के बाद, उक्त अस्थायी निवास हट जावेंगे और भूमि खाली हो जावेगी, किन्तु ऐसा हो न सका। बसाहट बढ़ती गई और मूलभूत सुविधा विहीन बस्तियाँ बनती गई। दुर्ग-भिलाई की जनसंख्या सन् 1951-71 के दशक में 86 प्रतिशत तथा 1971-81 के दशक में 113 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सन् 1981-91 के दशक में 89 प्रतिशत एवं सन् 1991-2001 के दशक में 77 प्रतिशत की वृद्धि हुई। चित्र:Gayatri Shakti Peeth, Sec-6.jpg|सेक्टर-6 स्थित गायत्री शक्ति पीठ चित्र:Nehru art gallary.jpg|सिविक सेंटर स्चित नेहरू आर्ट गैलरी चित्र:Bhilai Railway Station.jpg|भिलाई रेलवे स्टेशन श्रेणी:छत्तीसगढ़ के नगर hr:Bilaj hu:Bilaj sl:Bilaj.

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मजदूर

कोई विवरण नहीं।

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मोदीनगर

मोदीनगर की स्थिति यह २६.८६ उत्तर अक्षांश एवं ८०.९१ पूर्व रेखांश में है। यह शहर गाजियाबाद के उत्तर-पश्चिम में राष्ट्रीय राजमार्ग- ५८ (गाजियाबाद-देहरादून) पर मेरठ व गाजियाबाद के ठीक बीच में स्थित है। इससे लगा तीसरा शहर है हापुड़। राजमार्ग के समानांतर ही उत्तर रेलवे का दिल्ली-सहारनपुर रेल मार्ग भी जाता है। मोदीनगर से ही एक पक्की सड़क हापुड़ (२३ कि.मी) को भी जाती है। सन २०११की जनगणना अनुसार, मोदीनगर की जनसंख्या १३०३२५ है, जिसमें से ५३%पुरुष एवं ४७% स्त्रियां हैं। मोदीनगर का औसत साक्षरता दर ८८.४३% है। यहां हिंदुओं की जनसंख्या लगभग ९३.०४%है इस शहर की स्थापना १९३३ में रायबहादुर गूजर मल मोदी ने यहां मोदी चीनी मिल के आरंभ से की थी। इसका नाम अपने वंशनाम मोदी पर मोदीनगर बना कर रखा था। यहां मूलतः बेगमाबाद गाँव था, जिसका ५७१ एकड़ भाग अब इस कस्बे में आता है। बेगमाबाद की स्थापना नवाब ज़ाफर अली ने अपनी एक दिल्ली की बेगम के नाम पर की थी। इसका महत्व व मूल नाम मोदीनगर की औद्योगिक प्रगति के चलते समाप्त सा ही हो गया है। इसके साथ ही १९३९ में कोटोजेम वनस्पति और १९४० में साबुन उद्योग आरंभ किया। इस कंपनी के साबुन में खास बात यह थी, कि अबतक निर्मित साबुनों में चर्बी प्रयोग होती थी, किंतु गूजर मल जी के निर्देश पर पहली बार वनस्पति से पूर्ण हर्बल साबुन का निर्माण हुआ। उसके बाद यहां १९४१ में टिन उद्योग तथा खाद्य पदार्थ उद्योग स्थापित हुए, जिसमें से खाद्य पदार्थों की आपूर्ति भारतीय सेना के लिए की जाती थी। १९४३ में यहां बिस्कुट फैक्ट्री लगाई गई। १९४४में मोती ऑयल मिल की स्थापना हुई। मोदीनगर में मोदी के उद्योगों में मुख्यतः चीनी, खाद्य तेल, कपड़ा (रेयॉन एवं रेशम सहित), साबुन, पेण्ट-रोगन, वार्निश, लालटेन, ग्लीसरीन, सूती धागे, कार्बन डाइ ऑक्साइड एवं आटा का उत्पादन होता है। रानी बाला बाई सिंधिया द्वारा बनवाया गया एक मंदिर, जो पूर्व बेगमाबाद में आता था, अब मोदीनगर के क्षेत्र में आता है। यह मोदीनगर पुलिस स्टेशन के सामने रुक्मिणी देवी कन्या इंटर कॉलिज के निकट बना हुआ है। .

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रामपुर

रामपुर निम्न स्थानों के लिये प्रयोग हो सकता है.

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लुधियाना

लुधियाना भारत के पंजाब प्रांत का एक शहर है। इसका प्राचीन नाम लोदी-आना था, जो कि लोदी वन्श के नाम पर था। सतलुज नदी के किनारे स्थित यह शहर 1480 में दिल्ली की लोदी वंश द्वारा स्थापित किया गया था। प्रथम सिख युद्ध (1845) में लुधियाना में एक बड़ी लड़ाई लड़ी गयी थी। लुधियाना अब पंजाब का सबसे अधिक आबादी वाला महानगरीय शहर है। यहाँ का प्रमुख व्यापार कपड़ा निर्माण, ऊनी वस्त्र, मशीन टूल्स, मोपेड, तथा सिलाई मशीनों के इंजीनियरिंग केंद्र हैं। इसके होज़री माल की पूर्व और पश्चिम के सभी बाजारों में काफी मांग है, और यह ऊनी वस्त्र, मशीन टूल्स, मोपेड, सिलाई मशीन और मोटर पार्ट्स को पूरी दुनिया में निर्यात करता है। विशव प्रसिद्ध पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना में स्थित है। इसमें बड़े अनाज बाजार हैं, और यह ग्रामीण ओलंपिक के लिए भी प्रसिद्ध है। इस जगह के आसपास स्थित कई गुरुद्वारों का ऐतिहासिक महत्व है। एक और महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारक लोधी किला है, जो लगभग 500 वर्ष पुराना है, और मुस्लिम शासक सिकंदर लोदी द्वारा सतलुज नदी के तट पर बनाया गया था। .

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शिवकाशी

---- शिवकाशी भारत के राज्य तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले में स्थित एक सक्रिय शहर और नगरपालिका है। यह भारत के पटाखा उद्योग की राजधानी है जहाँ लगभग 8,000 बड़े और छोटे कारखाने हैं जिनमें कुल मिलाकर 90 प्रतिशत पटाखों का उत्पादन होता है। आंतरिक स्टुडियो एवं कलाकारों के साथ शिवकाशी के विशाल प्रिंटिंग प्रेस लाखों भारतीयों के लिए तेजी से बदलती हुई रंगीन व भड़कीले पोस्टरों तथा कैलेंडरों की श्रेणी का उत्पादन करते हैं। यह शहर अपने पटाखों के कारखानों के लिए पूरे भारत में मशहूर है। इस औद्योगिक शहर में लगभग 400 उत्पादक मौजूद हैं। यह शहर अपने शक्तिशाली छपाई उद्योग और माचिस-निर्माण उद्योगों के लिए भी जाना जाता है। जवाहरलाल नेहरू ने इसे "कुट्टी जापान" (अंग्रेजी में मिनी जापान) का नाम दिया था। इसके आसपास के शहर हैं श्रीविल्लीपुत्तूर, सत्तूर और थिरुथंगल। .

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शिकागो

right शिकागो अमरीका के इलिनाय प्रांत का पश्चिम-मध्य में सबसे बड़ा शहर है तीस लाख आबादी वाला यह शहर अमरीका का तीसरा सबसे बड़ी आबादी वाला शहर है। मिशिगन झील के दक्षिणी नोंक पर स्थित शिकागो विश्व का सबसे बड़ा रेलवे जंक्शन है। यहाँ तीस से भी अधिक रेलमार्ग मिलते हैं। मिशिगन झील पर स्थित होने के कारण यह एक उत्तम बन्दरगाह का भी कार्य करता है। यह मक्का पेटी के उत्तरी सिरे पर स्थित है। यह संसार में गल्ला और मांस की सबसे बड़ी मंडी है। यहाँ विश्व के सबसे अधिक पशु काटे जाते हैं। इसी से इसे विश्व का कसाईखाना कहते हैं। यहाँ से मक्का खिलाकर मोटा किये हुए जानवरों को काटकर उनका मांस डिब्बों में भरकर बाहर भेजा जाता है। यहाँ कृषि-यंत्रों, आटा पीसने, कागज, लुग्दी, इस्पात, मोटर गाड़ियों के उपकरण, वायुयान के पुर्जों, वस्त्र एवं जलयान का निर्माण किया जाता है। दक्षिणी शिकागो में तेलशोधक केन्द्र है। शिकागो मेट्रोपालिटिन क्षेत्र जिसे बोलचाल की भाषा में शिकागोलैंड के नाम से भी जाना जाता है अमरीकी परिवहन व्यवस्था, अमरीकी संस्कृति, अमरीकी राजनीति, अमरीकी शिक्षा और अमरीकी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा केंद्र है। शिकागो को पश्चिम मध्य अमरीका की व्यवसायिक और सांस्कृतिक राजधानी भी कहते हैं। इस शहर की स्थापना 1833 में लेक मिशिगन एवं मिसिसिपी नदी के बीच की गयी थी। इस क्षेत्र के निकट स्थित गैरी लौह-इस्पात उद्योग का केन्द्र है। .

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श्रम का विभाजन

जब किसी बड़े कार्य को छोटे-छोटे तर्कसंगत टुकड़ों में बाँटककर हर भाग को करने के लिये अलग-अलग लोग निर्धारित किये जाते हैं तो इसे श्रम विभाजन (Division of labour) या विशिष्टीकरण (specialization) कहते हैं। श्रम विभाजन बड़े कार्य को दक्षता पूर्वक करने में सहायक होता है। ऐतिहासिक रूप से श्रम-विभाजन व्यापार की वृद्धि, सम्पूर्ण आउटपुट की वृद्धि, पूंजीवाद का उदय तथा औद्योगीकरण की जटिलता में वृद्धि से जुड़ा रहा है। परिष्कृत होकर धीरे-धीरे श्रम-विभाजन वैज्ञानिक प्रबन्धन के स्तर तक जा पहुँचा। मोटे तौर पर यह कार्यकारी-समाज है जिसके अलग-अलग भाग भिन्न-भिन्न काम करते हैं। जैसे- कुछ लोग कृषि करते हैं; कुछ लोग कुम्भकारी करते हैं और कुछ लोग लोहारी करते हैं। भारत की वर्णाश्रम व्यवस्था मूलत: श्रम-विभाजन का ही रूप है। .

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सांगली

सांगली महाराष्ट्र राज्य के प्रमुख शहरों में से एक शहर हैं। सांगली शहर दक्षिण-पश्चिम भारत के पश्र्चिम एवं दक्षिण महाराष्ट्र राज्य में स्थित है। सांगली- नगर- पुणे- बैंगलोर रेलमार्ग पर कोल्हापुर के पूर्व में कृष्णा नदी के किनारे स्थित है। यह शहर भूतपूर्व सांगली राज्य (1761-1947) की राजधानी था। सांगली संस्थान के वर्तमान राजा विजयसिंहराजे पटवर्धन हैं। .

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सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (भारत)

भारत सरकार का सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (Ministry of Micro, Small and Medium Enterprises) सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों की नीति-निर्माण, संवर्ध, विकास एवं संरक्षण के लिये केन्द्रीय (नोडल) मंत्रालय है। इसे ९ मई २००७ को कृषि एवं ग्रामीण एवं उद्योग मंत्रालय तथा लघु-उद्योग मंत्रालय को मिलाकर बनाया गया। .

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सेवा

यह तो भावभावना की एक अवस्था है जो मन के राग और द्वेष से मुक्त होने पर ही होती है। सेवाभाव से चित्त निर्मल होता है। सेवा की सरलता ही मनुष्य को मुक्त अवस्था तक पहुंचाती है।.

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जमशेदपुर

जमशेदपुर जिसका दूसरा नाम टाटानगर भी है, भारत के झारखंड राज्य का एक शहर है। यह झारखंड के दक्षिणी हिस्से में स्थित पूर्वी सिंहभूम जिले का हिस्सा है। जमशेदपुर की स्थापना को पारसी व्यवसायी जमशेदजी नौशरवान जी टाटा के नाम से जोड़ा जाता है। १९०७ में टाटा आयरन ऐंड स्टील कंपनी (टिस्को) की स्थापना से इस शहर की बुनियाद पड़ी। इससे पहले यह साकची नामक एक आदिवासी गाँव हुआ करता था। यहाँ की मिट्टी काली होने के कारण यहाँ पहला रेलवे-स्टेशन कालीमाटी के नाम से बना जिसे बाद में बदलकर टाटानगर कर दिया गया। खनिज पदार्थों की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता और खड़कई तथा सुवर्णरेखा नदी के आसानी से उपलब्ध पानी, तथा कोलकाता से नजदीकी के कारण यहाँ आज के आधुनिक शहर का पहला बीज बोया गया। जमशेदपुर आज भारत के सबसे प्रगतिशील औद्योगिक नगरों में से एक है। टाटा घराने की कई कंपनियों के उत्पादन इकाई जैसे टिस्को, टाटा मोटर्स, टिस्कॉन, टिन्पलेट, टिमकन, ट्यूब डिवीजन, इत्यादि यहाँ कार्यरत है। .

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ज्ञान

निरपेक्ष सत्य की स्वानुभूति ही ज्ञान है। यह प्रिय अप्रिय सुख-दू:ख इत्यादि भावों से निरपेक्ष होता है। इसका विभाजन विषयों के आधार पर होता है। विषय पाँच होते हैं - रूप, रस, गंध, शब्द और स्पर्श। ज्ञान लोगों के भौतिक तथा बौद्धिक सामाजिक क्रियाकलाप की उपज; संकेतों के रूप में जगत के वस्तुनिष्ठ गुणों और संबंधों, प्राकृतिक और मानवीय तत्त्वों के बारे में विचारों की अभिव्यक्ति है। ज्ञान दैनंदिन तथा वैज्ञानिक हो सकता है। वैज्ञानिक ज्ञान आनुभविक और सैद्धांतिक वर्गों में विभक्त होता है। इसके अलावा समाज में ज्ञान की मिथकीय, कलात्मक, धार्मिक तथा अन्य कई अनुभूतियाँ होती हैं। सिद्धांततः सामाजिक-ऐतिहासिक अवस्थाओं पर मनुष्य के क्रियाकलाप की निर्भरता को प्रकट किये बिना ज्ञान के सार को नहीं समझा जा सकता है। ज्ञान में मनुष्य की सामाजिक शक्ति संचित होती है, निश्चित रूप धारण करती है तथा विषयीकृत होती है। यह तथ्य मनुष्य के बौद्धिक कार्यकलाप की प्रमुखता और आत्मनिर्भर स्वरूप के बारे में आत्मगत-प्रत्ययवादी सिद्धांतों का आधार है। gyan .

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वाराणसी

वाराणसी (अंग्रेज़ी: Vārāṇasī) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का प्रसिद्ध नगर है। इसे 'बनारस' और 'काशी' भी कहते हैं। इसे हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र नगरों में से एक माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है। यह संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक और भारत का प्राचीनतम बसा शहर है। काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था। वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः 'मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर', 'ज्ञान नगरी' आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है। प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।" .

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विऔद्योगीकरण

विऔद्योगीकरण (Deindustrialization) का अर्थ है - किसी देश या क्षेत्र में औद्योगिक क्रियाकलापों का क्रमशः कम होना तथा उससे सम्बन्धित सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन। यह औद्योगीकरण की उलटी प्रक्रिया है। विऔद्योगीकरण में विशेषतः भारी उद्योगों या निर्माण उद्योगों (manufacturing industry) में कमी आती है। विऔद्योगीकरण बाजार पर आधारित अर्थव्यवस्था की एक विशेष प्रक्रिया है। इसमें उत्पादन क्रमशः गिरता है, आर्थिक संकट को जन्म देता है और अन्ततः एक बिलकुल नयी अर्थव्यवस्था जन्म लेती है। विऔद्योगीकरण के बारे में निम्नलिखित बातें कही जा सकतीं है-.

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वृहद उत्पादन

सन् १९४४ में बेल्ल वायुयान कॉरपोरेशन का असेम्बली प्लान्ट बहुत बड़ी मात्रा में मानकीकृत उत्पादों का निर्माण विशालोत्पादन (Mass production) कहलाता है। इसे 'वृहत् उत्पादन' और 'पुंज उत्पादन' भी कहते हैं। .

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औद्योगिक क्रांति

'''वाष्प इंजन''' औद्योगिक क्रांति का प्रतीक था। अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तथा उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में कुछ पश्चिमी देशों के तकनीकी, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक स्थिति में काफी बड़ा बदलाव आया। इसे ही औद्योगिक क्रान्ति (Industrial Revolution) के नाम से जाना जाता है। यह सिलसिला ब्रिटेन से आरम्भ होकर पूरे विश्व में फैल गया। "औद्योगिक क्रांति" शब्द का इस संदर्भ में उपयोग सबसे पहले आरनोल्ड टायनबी ने अपनी पुस्तक "लेक्चर्स ऑन दि इंड्स्ट्रियल रिवोल्यूशन इन इंग्लैंड" में सन् 1844 में किया। औद्योगिक क्रान्ति का सूत्रपात वस्त्र उद्योग के मशीनीकरण के साथ आरम्भ हुआ। इसके साथ ही लोहा बनाने की तकनीकें आयीं और शोधित कोयले का अधिकाधिक उपयोग होने लगा। कोयले को जलाकर बने वाष्प की शक्ति का उपयोग होने लगा। शक्ति-चालित मशीनों (विशेषकर वस्त्र उद्योग में) के आने से उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि हुई। उन्नीसवी सदी के प्रथम् दो दशकों में पूरी तरह से धातु से बने औजारों का विकास हुआ। इसके परिणामस्वरूप दूसरे उद्योगों में काम आने वाली मशीनों के निर्माण को गति मिली। उन्नीसवी शताब्दी में यह पूरे पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका में फैल गयी। अलग-अलग इतिहासकार औद्योगिक क्रान्ति की समयावधि अलग-अलग मानते नजर आते हैं जबकि कुछ इतिहासकार इसे क्रान्ति मानने को ही तैयार नहीं हैं। अनेक विचारकों का मत है कि गुलाम देशों के स्रोतों के शोषण और लूट के बिना औद्योगिक क्रान्ति सम्भव नही हुई होती, क्योंकि औद्योगिक विकास के लिये पूंजी अति आवश्यक चीज है और वह उस समय भारत आदि गुलाम देशों के संसाधनों के शोषण से प्राप्त की गयी थी। .

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आइसोडापेन

यह एक आदर्शवादी निगमनात्मक सिद्धांत है। जिसमें सकल साधारणीकरण की प्रक्रिया से औद्योगिक अवस्थितिकी तथा अनुकूलतम अवस्थिती के आधार पर अधिकतम लाभ प्राप्ति को परिकल्पित किया गया है। 1909 में यह है दक्षिण जर्मनी के औद्योगिक केंद्रों की अवस्थिति की के अध्ययन पर आधारित सिद्धांत है जो स्थानिक विश्लेषण एवं तंत्र उपागम का एक अनुपम उदाहरण है सिद्धांत की निम्नलिखित आधार है। 1.

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अलीगढ़

अलीगढ़ उत्तर प्रदेश राज्य में अलीगढ़ जिले में शहर है। अलीगढ़ नगर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कारण विश्व प्रसिद्ध है और अपने तालों(Locks) के लिये भी.

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