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उत्सर्जन सिद्धांत

सूची उत्सर्जन सिद्धांत

उत्सर्जन सिद्धांत (Emission theory) को विशिष्ट आपेक्षिकता सिद्धांत का प्रतिस्पर्ध्दा सिद्धांत भी कहा जाता है, क्योंकि यह सिद्धांत भी माइकलसन मोर्ले प्रयोग के परिणामों को समझाने में सक्षम रहा था। उत्सर्जन सिद्धांत प्रकाश संचरण के लिए कोई प्रधान निर्देश तंत्र नहीं होने के कारण आपेक्षिकता सिद्धांत का पालन करते हैं, लेकिन ये सिद्धांत निश्चरता अभिगृहीत के स्थान पर स्रोत के सापेक्ष उत्सर्जित प्रकाश का प्रकाश के वेग c लेते हैं। अतः उत्सर्जन सिद्धांत सरल न्यूटनीय सिद्धांत के साथ विद्युतगतिकी और यांत्रिकी को जोड़ती है। यद्दपि यहाँ वैज्ञानिक मुख्यधारा के बाहर इस सिद्धांत के समर्थक अब तक भी हैं, यह सिद्धांत अधिकांश वैज्ञानिकों द्वारा अन्त में उपयोग रहित माना जाता है। .

8 संबंधों: प्रिंसिपिया, प्रकाश, प्रकाश का वेग, माइकलसन मोर्ले प्रयोग, मुख्यधारा, विशिष्ट आपेक्षिकता, आपेक्षिकता सिद्धांत, आइज़क न्यूटन

प्रिंसिपिया

प्रिंसिपिया के सन् १६८७ के प्रथम संस्करण का शीर्षपृष्ठ प्रिन्सिपिया या 'फिलासफी नेचुरालिस् प्रिंसिपिया मैथेमैटिका' (Philosophiæ Naturalis Principia Mathematica / प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धान्त) महान वैज्ञानिक आइजक न्यूटन द्वारा रचित ग्रन्थ है। यह लैटिन भाषा में है और तीन भागों में है। इसका सर्वप्रथम प्रकाशन ५ जुलाई १६८७ को हुआ था। इसी ग्रन्थ में न्यूटन के गति के नियम, न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम और केप्लर के ग्रहीय गति के नियमों की उपपत्ति दी गयी थी। प्रिंसपिया को विज्ञान के इतिहास के सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रन्थों में गिना जाता है। श्रेणी:विश्व के प्रमुख ग्रन्थ.

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प्रकाश

सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित एक मेघ प्रकाश एक विद्युतचुम्बकीय विकिरण है, जिसकी तरंगदैर्ध्य दृश्य सीमा के भीतर होती है। तकनीकी या वैज्ञानिक संदर्भ में किसी भी तरंगदैर्घ्य के विकिरण को प्रकाश कहते हैं। प्रकाश का मूल कण फ़ोटान होता है। प्रकाश की तीन प्रमुख विमायें निम्नवत है।.

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प्रकाश का वेग

प्रकाश की चाल (speed of light) (जिसे प्राय: c से निरूपित किया जाता है) एक भौतिक नियतांक है। निर्वात में इसका सटीक मान 299,792,458 मीटर प्रति सेकेण्ड है जिसे प्राय: 3 लाख किमी/से.

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माइकलसन मोर्ले प्रयोग

माइकलसन मोर्ले का व्यतिकरणमापी यन्त्र। माइकलसन-मोर्ले प्रयोग (Michelson–Morley experiment), अल्बर्ट मिशेलसन और एडवर्ड मोर्ले द्वारा १८८७ में किया गया प्रयोग है। कई बार इसे माइकलसन मोर्ले व्यतिकरणमापी भी कहा जाता है। इस प्रयोग के परिणाम ने ईथर सिद्धान्त (aether) को असत्य सिद्ध कर दिया। इस प्रयोग ने परम्परागत रास्ते से हटकर उस रास्ते पर कदम बढ़ाया जो वैज्ञानिक समाज को 'द्वितीय वैज्ञानिक क्रान्ति' की दिशा में ले गया। विशिष्ट आपेक्षिकता के मूलभूत परीक्षण करने वाले तीन प्रयोग हैं- माइकलसन मोर्ले प्रयोग, इव्स-इस्टिवेल प्रयोग (Ives–Stilwell) तथा केनेडी-थॉर्नडाइक प्रयोग (Kennedy–Thorndike experiments)। .

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मुख्यधारा

मुख्यधारा (अंग्रेज़ी: मेनस्ट्रीम, mainstream) किसी समाज, देश या अन्य संगठन के उस बहुसंख्यक समूह को कहते हैं जिनके विचार, धारणाएँ, व्यवहार व आदतें उस वातावरण के लिए सामान्य व मानक समझी जाएँ।, Carolyn Long, pp.

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विशिष्ट आपेक्षिकता

विशिष्ट आपेक्षिकता सिद्धांत अथवा आपेक्षिकता का विशिष्ट सिद्धांत (Spezielle Relativitätstheorie, special theory of relativity or STR) गतिशील वस्तुओं में वैद्युतस्थितिकी पर अपने शोध-पत्र में अल्बर्ट आइंस्टीन ने १९०५ में प्रस्तावित जड़त्वीय निर्देश तंत्र में मापन का एक भौतिक सिद्धांत दिया।अल्बर्ट आइंस्टीन (1905) "", Annalen der Physik 17: 891; अंग्रेजी अनुवाद का जॉर्ज बार्कर जेफ़री और विल्फ्रिड पेर्रेट्ट ने 1923 में किया; मेघनाद साहा द्वारा (1920) में अन्य अंग्रेजी अनुवाद गतिशील वस्तुओं की वैद्युतगतिकी गैलीलियो गैलिली ने अभिगृहीत किया था कि सभी समान गतियाँ सापेक्षिक हैं और यहाँ कुछ भी निरपेक्ष नहीं है तथा कुछ भी विराम अवस्था में भी नहीं है, जिसे अब गैलीलियो का आपेक्षिकता सिद्धांत कहा जाता है। आइंस्टीन ने इस सिद्धांत को विस्तारित किया, जिसके अनुसार प्रकाश का वेग निरपेक्ष व नियत है, यह एक ऐसी घटना है जो माइकलसन-मोरले के प्रयोग में हाल ही में दृष्टिगोचर हुई थी। उन्होने एक अभिगृहीत यह भी दिया कि यह सभी भौतिक नियम, यांत्रिकी व स्थिरवैद्युतिकी के सभी नियमों, वो जो भी हों, समान रहते हैं। इस सिद्धांत के परिणामों की संख्या वृहत है जो प्रायोगिक रूप से प्रेक्षित हो चुके हैं, जैसे- समय विस्तारण, लम्बाई संकुचन और समक्षणिकता। इस सिद्धांत ने निश्चर समय अन्तराल जैसी अवधारणा को बदलकर निश्चर दिक्-काल अन्तराल जैसी नई अवधारणा को जन्म दिया है। इस सिद्धांत ने क्रन्तिकारी द्रव्यमान-ऊर्जा सम्बन्ध E.

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आपेक्षिकता सिद्धांत

सामान्य आपेक्षिकता में वर्णित त्रिविमीय स्पेस-समय कर्वेचर की एनालॉजी के का द्विविमीयप्रक्षेपण। आपेक्षिकता सिद्धांत अथवा सापेक्षिकता का सिद्धांत (अंग्रेज़ी: थ़िओरी ऑफ़ रॅलेटिविटि), या केवल आपेक्षिकता, आधुनिक भौतिकी का एक बुनियादी सिद्धांत है जिसे अल्बर्ट आइंस्टीन ने विकसित किया और जिसके दो बड़े अंग हैं - विशिष्ट आपेक्षिकता (स्पॅशल रॅलॅटिविटि) और सामान्य आपेक्षिकता (जॅनॅरल रॅलॅटिविटि)। फिर भी कई बार आपेक्षिकता या रिलेटिविटी शब्द को गैलीलियन इन्वैरियन्स के संदर्भ में भी प्रयोग किया जाता है। थ्योरी ऑफ् रिलेटिविटी नामक इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले सन १९०६ में मैक्स प्लैंक ने किया था। यह अंग्रेज़ी शब्द समूह "रिलेटिव थ्योरी" (Relativtheorie) से लिया गया था जिसमें यह बताया गया है कि कैसे यह सिद्धांत प्रिंसिपल ऑफ रिलेटिविटी का प्रयोग करता है। इसी पेपर के चर्चा संभाग में अल्फ्रेड बुकरर ने प्रथम बार "थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी" (Relativitätstheorie) का प्रयोग किया था। .

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आइज़क न्यूटन

सर आइज़ैक न्यूटन इंग्लैंड के एक वैज्ञानिक थे। जिन्होंने गुरुत्वाकर्षण का नियम और गति के सिद्धांत की खोज की। वे एक महान गणितज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक, ज्योतिष एवं दार्शनिक थे। इनका शोध प्रपत्र "प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धांतों "" सन् १६८७ में प्रकाशित हुआ, जिसमें सार्वत्रिक गुर्त्वाकर्षण एवं गति के नियमों की व्याख्या की गई थी और इस प्रकार चिरसम्मत भौतिकी (क्लासिकल भौतिकी) की नींव रखी। उनकी फिलोसोफी नेचुरेलिस प्रिन्सिपिया मेथेमेटिका, 1687 में प्रकाशित हुई, यह विज्ञान के इतिहास में अपने आप में सबसे प्रभावशाली पुस्तक है, जो अधिकांश साहित्यिक यांत्रिकी के लिए आधारभूत कार्य की भूमिका निभाती है। इस कार्य में, न्यूटन ने सार्वत्रिक गुरुत्व और गति के तीन नियमों का वर्णन किया जिसने अगली तीन शताब्दियों के लिए भौतिक ब्रह्मांड के वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया। न्यूटन ने दर्शाया कि पृथ्वी पर वस्तुओं की गति और आकाशीय पिंडों की गति का नियंत्रण प्राकृतिक नियमों के समान समुच्चय के द्वारा होता है, इसे दर्शाने के लिए उन्होंने ग्रहीय गति के केपलर के नियमों तथा अपने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के बीच निरंतरता स्थापित की, इस प्रकार से सूर्य केन्द्रीयता और वैज्ञानिक क्रांति के आधुनिकीकरण के बारे में पिछले संदेह को दूर किया। यांत्रिकी में, न्यूटन ने संवेग तथा कोणीय संवेग दोनों के संरक्षण के सिद्धांतों को स्थापित किया। प्रकाशिकी में, उन्होंने पहला व्यवहारिक परावर्ती दूरदर्शी बनाया और इस आधार पर रंग का सिद्धांत विकसित किया कि एक प्रिज्म श्वेत प्रकाश को कई रंगों में अपघटित कर देता है जो दृश्य स्पेक्ट्रम बनाते हैं। उन्होंने शीतलन का नियम दिया और ध्वनि की गति का अध्ययन किया। गणित में, अवकलन और समाकलन कलन के विकास का श्रेय गोटफ्राइड लीबनीज के साथ न्यूटन को जाता है। उन्होंने सामान्यीकृत द्विपद प्रमेय का भी प्रदर्शन किया और एक फलन के शून्यों के सन्निकटन के लिए तथाकथित "न्यूटन की विधि" का विकास किया और घात श्रृंखला के अध्ययन में योगदान दिया। वैज्ञानिकों के बीच न्यूटन की स्थिति बहुत शीर्ष पद पर है, ऐसा ब्रिटेन की रोयल सोसाइटी में 2005 में हुए वैज्ञानिकों के एक सर्वेक्षण के द्वारा प्रदर्शित होता है, जिसमें पूछा गया कि विज्ञान के इतिहास पर किसका प्रभाव अधिक गहरा है, न्यूटन का या एल्बर्ट आइंस्टीन का। इस सर्वेक्षण में न्यूटन को अधिक प्रभावी पाया गया।.

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