प्रगती उत्पाद्क गैस् उत्पादक गैस उत्पादक गैस (Producer gas) का उपयोग उद्योग धंधों में दिन दिन बढ़ रहा है। भट्ठे और भट्ठियों, विशेषत: लोहे और इस्पात तथा काँच की भट्ठियों, भभकों और गैस इंजनों को गरम करने में उत्पादक गैस का ही आजकल व्यवहार होता है। कोयले के उत्तापदीप्त तल पर भाप और वायु के मिश्रण के प्रवाह से उत्पादक गैस बनती है। इसमें कार्बन मोनोक्साइड, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाइ-आक्साइड और मेथेन रहते हैं। गैस में थोड़ा, आयतन में 0.10 से 0.15 प्रति शत तक, हाइड्रोजन सल्फाइड रहता है। प्रति टन कोयले से प्राप्त होनेवाली गैस की मात्रा कोयले की राख और जल पर निर्भर करती है। ऐंथ्रेसाइट से अधिक गैस प्राप्त होती है, पर उसका कलरीमान कम होता है। गैस जनित्र में बनती है। जनित्र अचल अयांत्रिक, अचल अर्धयांत्रिक अथवा यांत्रिक होते हैं। भाप बायलर में अथवा अन्य प्रकार के वाष्पकों आदि में बनती है। अच्छी गैस के लिय ईंधन का ताप कम से कम 1000 डिग्री सें.
1 संबंध: गैसनिर्माण।
गैसनिर्माण दो उद्देश्यों से होता है। कुछ गैसें प्रकाश उत्पन्न करने के लिये बनाई जाती हैं। ऐसी गैसों को "प्रदीपक गैस" कहते हैं। कुछ गैसें ईंधन के लिये बनाई जाती हैं। ऐसी गैसों को "तापन गैस" कहते हैं। दोनों किस्म की गैसें "दाह्म गैस" हैं। इन्हें "औद्योगिक गैस" भी कहते हैं। गैसनिर्माण के एक संयंत्र की रूपरेखा (IGCC .
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