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""उत्‍पाद शुल्‍क"" या आबकारी एक अप्रत्‍यक्ष कर है जो भारत में विनिर्माण की जाने वाली उन वस्‍तुओं पर लगाया जाता है जो घरेलू खपत के लिए होती हैं। कर 'विनिर्माण' पर लगाया जाता है और जैसे ही वस्‍तुओं का विनिर्माण हो जाता है केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क देय हो जाता है। यह विनिर्माण पर लगाया गया कर है जो विनिर्माता द्वारा अदा किया जाता है, जो अपना कर भार ग्राहकों पर डाल देते हैं। उत्‍पाद शुल्‍क योग्‍य वस्‍तुएं शब्‍द का अर्थ है वे वस्‍तुएं जिन्‍हें केन्‍द्रीय उत्‍पाद प्रशुल्‍क अधिनियम, 1985, से संलग्‍न पहली अनुसूची और दूसरी अनुसूची में उत्‍पाद शुल्‍क योग्‍य वस्‍तुओं के रूप में निर्दिष्‍ट किया गया है जिनमें नमक भी शामिल है। सी कोई भी प्रक्रिया शामिल है जो, किसी उत्‍पाद का विनिर्माण पूरा होने से जुडी हैं अथवा उसमें सहायक है; और केन्‍द्रीय उत्‍पाद प्रशुल्‍क अधिनियम, 1985 से संलग्‍न पहली अनुसूची के खण्‍ड अथवा अध्‍याय की टिप्‍पणियों में विनिर्माण के लिए उल्लिखित किन्‍हीं वस्‍तुओं के संबंध में विनिर्दिष्‍ट है; और तीसरी अनुसूची में निर्दिष्‍ट वस्‍तुओं के संबंध्‍ में वस्‍तुओं के खुदरा बिक्री मूल्‍य की घोषणा करने अथवा उनमें परिवर्तन करने अथवा उत्‍पाद को उपभोक्‍ता के लिए विपणन योग्‍य बनाने के लिए वस्‍तुओं के संबंध में कोई अन्‍य कार्रवाई करने सहित उन वस्‍तुओं की किसी यूनिट पात्रों (कंटेनर) में पैकिंग अथवा पुन: लेबल लगाने से संबंधित हो। वस्‍तओं का उत्‍पादन अथवा विनिर्माण होने के बाद उत्‍पाद शुल्‍क का करागार शुरू हो जाता है, विधि के तहत एक अनिवार्य शर्त के रूप में विनिर्माण स्‍थल से वस्‍तुओं बिक्री करना अपेक्षित नहीं है। सामान्‍यत: कर वस्‍तुओं को वहां से 'ले जाने' पर देय होता है। केंद्रीय उत्‍पाद शुल्क नियमावली में यह उपबंध है कि ऐसा प्रत्‍येक व्‍यक्ति जो किन्‍हीं उत्‍पाद शुल्‍क योग्‍य वस्‍तुओं का उत्‍पादन अथवा विनिर्माण करता है अथवा इन वस्‍तुओं का उत्‍पादन अथवा विनिर्माण करता है अथवा इन वस्‍तुओं का भांडागार में संचयन करता है, इन वस्‍तुओं पर देय शुल्‍क का भुगतान इन नियामवली अथवा अन्‍य किसी नियम में दी गई विधि से करेगा। कोई भी उत्‍पाद - शुल्‍क योग्य वस्‍तु जिस पर कोई शुल्‍क देय है, शुल्‍क का भुगतान किए बिना उस स्‍थान से जहां इनका उत्‍पादन अथवा विनिर्माण हुआ हो अथवा भांडागार से 'उठाई' नहीं जा सकती जब तक कि अन्‍यथा व्‍यवस्‍था न की गई हो। जरुरी नहीं है कि 'उठाना' (रिमूवल) शब्‍द को बिक्री के अर्थ में लिया जाए। उठाने (रिमूवल) का अर्थ निम्‍नलिखित हो सकता है:- बिक्री डिपो को अंतरण आदि सीमित उपभोग किसी अन्‍य यूनिट को अंतरण नि:शुल्‍क वितरण इस प्रकार, यह देखा जा सकता है कि इस बात को ध्‍यान में रखे बगैर कि रिमूवल बिक्री के लिए है अथवा अन्‍य प्रयोजन के लिए, शुल्‍क देय हो जाता है। केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क लगाने के लिए नियम भारत में उत्‍पाद शुल्‍क केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क अधिनियम, 1944 के उपबंधो के अनुसार लगाया जाता है। यह एक मूलभूत अधिनियम है जो केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क लगाने और करने के संबंध में नियम निर्धारित करता है। यह अधिनियम केंद्रीय सरकार को इस अधिनियम के अनुसरण में नियम बनाने की शक्तियां प्रदान करता है। तदनुसार निम्‍नलिखित नियमों के सैट तैयार किए गए हैं:- केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क नियमावली, 2002 (वित्‍त अधिनियम, 2002 की धारा 43) केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क (मामलों का निपटान) नियमावली, 2001 केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क (उत्‍पाद शुल्‍क योग्‍य वस्‍तुओं के विनिर्माण के लिए रियायती शुल्‍क दर पर वस्‍तुओं को उठाना) नियमावली, 2001 केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क निर्धारण (उत्‍पाद-शुल्‍क योग्‍य वस्‍तुओं के मूल्‍य का निर्धारण) नियमावली, 2000 उपभोक्‍ता कल्‍याण निधि नियमावली, 1992 केंद्रीय उत्‍पाद-शुल्‍क (अग्रि व्‍यवस्था) नियमावली, 2002 केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क (अपराधों का समझौते के जरिए निपटारा) नियमावली, 2005 केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क एवं सीमाशुल्‍क बोर्ड (सीबीईसी) द्वारा प्रशासित होता है। केंन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क एवं सीमाशुल्‍क बोर्ड वित्त मंत्रालय भारत सरकार के अधीन राजस्‍व विभाग, का एक हिस्‍सा है। यह सीमाशुल्‍क और केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क लगाने और वसूल करने सं संबंधित नीतियां तैयार करने, तस्‍करी को रोकने और सीबीईसी के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सीमाशुल्‍क, केन्‍द्रीय उत्‍पाद-शुल्‍क और स्‍वापक से संबंधित मामलों के प्रशासन संबंधित कार्य करता है। यह बोर्ड अपने अपने अधीनस्‍थ संगठनों जैसे कि कस्‍टम हाउस, केंद्रीय उत्‍पाद शुल्‍क कमशिनरेटों और केंद्रीय राजस्‍व नियंत्रण प्रयोगशाला, का प्रशासनिक प्राधिकरण है। उत्‍पाद शुल्‍कों के भिन्‍न .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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