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उत्तराखण्ड के राज्य राजमार्गों की सूची

सूची उत्तराखण्ड के राज्य राजमार्गों की सूची

निम्नलिखित सूची उत्तराखण्ड राज्य के राज्य राजमार्गों की है: .

94 संबंधों: चम्पावत, चम्पावत जिला, चम्बा, चमोली जिला, चकराता, चौखुटिया, चौकोड़ी, टिहरी गढ़वाल जिला, ठाकुरद्वारा, डोटियाल बाखल, भिकियासैण तहसील, त्यूनी, थल, दाडिमखेत, गरुङ तहसील, द्वाराहाट, देहरादून, देहरादून जिला, देवप्रयाग, धनारी, धानाचूली, धारी तहसील, धारचूला, नाग्ला, नई टिहरी, नौटी, कर्णप्रयाग तहसील, नैनीताल, नैनीताल जिला, पदमपुर, धारी तहसील, पहाडपानी, भिकियासैण तहसील, पाँखूसेरा, बेरीनाग तहसील, पिथौरागढ़, पिथौरागढ़ जिला, पौड़ी, पौड़ी गढ़वाल जिला, पैठाणी-कण्डारस्यूं-२, थलीसैंण तहसील, पूरनपुर, हल्द्वानी तहसील, बड़कोट (उत्तराखंड), बाराकोट, बाराकोट तहसील, बाजपुर, बागेश्वर, बागेश्वर जिला, बंूगीधार, भिकियासैण तहसील, बेरीनाग, भनोली, भनोली तहसील, भवाली, भगवानपुर, भीमताल (नगर), मसूरी, मुक्तेश्वर, मोरनौला, जैंती तहसील, रानीखेत, रामनगर, उत्तराखण्ड, ..., राजपुर, रुड़की, रुद्रप्रयाग, रुद्रप्रयाग जिला, लक्ष्मण झूला, लक्सर, लैंसडाउन, लोहाघाट, शामा, कपकोट तहसील, सरदार नगर, सराईखेत, सल्ट तहसील, सातसिलिंग, पिथौरागढ (सदर) तहसील, सितारगंज, सिमलखेत, पाटी तहसील, सिमली, कर्णप्रयाग तहसील, सुयालबाडी, कोश्याँकुटोली तहसील, हरिद्वार जिला, हल्द्वानी, जौलजीबी, जैनल, भिकियासैण तहसील, जोशीमठ, ईडा सेरा, द्वाराहाट तहसील, खटीमा, खैरना, गदरपुर, गनाई, चौखुटिया तहसील, गर्जिया देवी मन्दिर, गुप्तकाशी, ग्वालदम स्टेट, थराली तहसील, औली, कपकोट, कर्णप्रयाग, काठगोदाम, कालसी, कालाढूंगी, काशीपुर, किच्छा, अल्मोड़ा, अल्मोड़ा जिला, अस्कोट, उत्तरकाशी, उत्तरकाशी जिला, उधम सिंह नगर जिला, ऋषिकेश सूचकांक विस्तार (44 अधिक) »

चम्पावत

चम्पावत भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चम्पावत जिले का मुख्यालय है। पहाड़ों और मैदानों के बीच से होकर बहती नदियाँ अद्भुत छटा बिखेरती हैं। चंपावत में पर्यटकों को वह सब कुछ मिलता है जो वह एक पर्वतीय स्थान से चाहते हैं। वन्यजीवों से लेकर हरे-भरे मैदानों तक और ट्रैकिंग की सुविधा, सभी कुछ यहाँ पर है। यह कस्बा समुद्र तल से १६१५ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। चम्पावत कई वर्षों तक कुमाऊँ के शासकों की राजधानी रहा है। चन्द शासकों के किले के अवशेष आज भी चम्पावत में देखे जा सकते हैं। .

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चम्पावत जिला

चम्पावत भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है। इसका मुख्यालय चंपावत में है। उत्तराखंड का ऐतिहासिक चंपावत जिला अपने आकर्षक मंदिरों और खूबसूरत वास्तुशिल्प के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। पहाड़ों और मैदानों के बीच से होकर बहती नदियां अद्भुत छटा बिखेरती हैं। चंपावत में पर्यटकों को वह सब कुछ मिलता है जो वह एक पर्वतीय स्थान से चाहते हैं। वन्यजीवों से लेकर हरे-भरे मैदानों तक और ट्रैकिंग की सुविधा, सभी कुछ यहां पर है। समुद्र तल से 1615 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। चंपावत कई सालों तक कुंमाऊं के शासकों की राजधानी रहा है। चन्द शासकों के किले के अवशेष आज भी चंपावत में देखे जा सकते हैं। .

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चम्बा

चम्बा, हिमाचल प्रदेश का परिद्ध लोक नृत्य है। श्रेणी:लोक नृत्य श्रेणी:हिमाचल प्रदेश के लोक नृत्य.

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चमोली जिला

चमोली भारतीय राज्य उत्तरांचल का एक जिला है। बर्फ से ढके पर्वतों के बीच स्थित यह जगह काफी खूबसूरत है। चमोली अलकनंदा नदी के समीप बद्रीनाथ मार्ग पर स्थित है। यह उत्तराचंल राज्य का एक जिला है। यह प्रमुख धार्मिल स्थानों में से एक है। काफी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। चमोली की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। पूरे चमोली जिले में कई ऐसे मंदिर है जो हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। चमोली में ऐसे कई बड़े और छोटे मंदिर है तथा ऐसे कई स्थान है जो रहने की सुविधा प्रदान करते हैं। इस जगह को चाती कहा जाता है। चाती एक प्रकार की झोपड़ी है जो अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। चमोली मध्य हिमालय के बीच में स्थित है। अलकनंदा नदी यहाँ की प्रसिद्ध नदी है जो तिब्बत की जासकर श्रेणी से निकलती है। चमोली का क्षेत्रफल 3,525 वर्ग मील है। .

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चकराता

उत्तराखंड में स्थित चकराता अपने शांत वातावरण और प्रदूषण मुक्त पर्यावरण के लिए जाना जाता है। समुद्र तल से 7000 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह नगर देहरादून 98 किलोमीटर दूर है। चकराता प्रकृति प्रेमियों और ट्रैकिंग में रुचि लेने वालों के लिए एकदम उपयुक्त स्थान है। यहाँ के सदाबहार शंकुवनों में दूर तक पैदल चलने का अपना ही मजा है। चकराता में दूर-दूर फैले घने जंगलों में जौनसारी जनजाति के आकर्षक गांव हैं। यह नगर उत्तर पश्चिम उत्तराखंड के जौनसर बावर क्षेत्र के अंतर्गत आता है। चकराता का स्थापना कर्नल ह्यूम और उनके सहयोगी अधिकारियों ने की थी। उनका सम्बंध ब्रिटिश सेना के 55 रेजिमेंट से था। यहां के वातावरण को देखते हुए अंग्रेजों ने इस स्थान को समर आर्मी बेस के रूप में इस्तेमाल किया। वर्तमान में यहां सेना के जवानों को कमांडों की ट्रैनिंग दी जाती है। .

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चौखुटिया

चौखुटिया, अल्मोड़ा जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

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चौकोड़ी

चौकोरी एक छोटा सा पहाड़ी नगर है, जो पिथौरागढ़ जिले की बेरीनाग तहसील में स्थित है। समुद्र तल से २०१० मीटर की ऊंचाई पर स्थित चौकोड़ी से नंदा देवी, नंदा कोट, और पंचचूली पर्वत श्रंखलाओं के सुन्दर दृश्य देखे जा सकते हैं। यह राष्ट्रीय राजमार्ग ३०९ए पर बेरीनाग से १० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। .

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टिहरी गढ़वाल जिला

टिहरी गढ़वाल भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक जिला है। पर्वतों के बीच स्थित यह स्थान बहुत सौन्दर्य युक्त है। प्रति वर्ष बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पर घूमने के लिए आते हैं। यह स्थान धार्मिक स्थल के रूप में भी काफी प्रसिद्ध है। यहां आप चम्बा, बुदा केदार मंदिर, कैम्पटी फॉल, देवप्रयाग आदि स्थानों में घूम सकते हैं। यहां की प्राकृतिक खूबसूरती काफी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है। .

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ठाकुरद्वारा

ठाकुरद्वारा उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले की तहसील है। रामगंगा की कई सहायक नदियाँ यहाँ बहती हैं। यह मुरादाबाद नगर से 49 किमी दूर उत्तरी सीमा पर स्थित है। यहाँ तहसील की कचहरी, अस्पताल तथा विद्यालय हैं। यहाँ सप्ताह में 3 दिन बाजार लगता है। .

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डोटियाल बाखल, भिकियासैण तहसील

डोटियाल बाखल, भिकियासैण तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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त्यूनी

त्यूनी उत्तरांचल (भारत) राज्य के देहरादून जिला के अंतर्गत स्थित एक तहसील है। श्रेणी:देहरादून श्रेणी:उत्तराखण्ड की तहसीलें.

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थल

थल उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जनपद में रामगंगा नदी के तट पर स्थित एक छोटा सा नगर है। यहाँ १६वीं शताब्दी का एक शिव मंदिर है। १९५७ से १९६२ तक यह अल्मोड़ा जनपद का एक विकासखंड था। ३० सितम्बर २०१४ से यह पिथौरागढ़ जनपद की एक तहसील है। बेरीनाग तथा डीडीहाट तहसील के ११४ ग्रामों से इसका गठन किया गया। .

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दाडिमखेत, गरुङ तहसील

दाडिमखेत, गरुङ तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के बागेश्वर जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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द्वाराहाट

द्वाराहाट उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा ज़िले का एक कस्बा है जो रानीखेत से लगभग 21 किलोमीटर दूर स्थित है। द्वाराहाट में तीन वर्ग के मन्दिर हैं—कचहरी, मनिया तथा रत्नदेव। इसके अतिरिक्त बहुत से मन्दिर प्रतिमाविहीन हैं। द्वाराहाट में गूजरदेव का मन्दिर सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। .

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देहरादून

यह लेख देहरादून नगर पर है। विस्तार हेतु देखें देहरादून जिला। देहरादून (Dehradun), देहरादून जिले का मुख्यालय है जो भारत की राजधानी दिल्ली से २३० किलोमीटर दूर दून घाटी में बसा हुआ है। ९ नवंबर, २००० को उत्तर प्रदेश राज्य को विभाजित कर जब उत्तराखण्ड राज्य का गठन किया गया था, उस समय इसे उत्तराखण्ड (तब उत्तरांचल) की अंतरिम राजधानी बनाया गया। देहरादून नगर पर्यटन, शिक्षा, स्थापत्य, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। इसका विस्तृत पौराणिक इतिहास है। .

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देहरादून जिला

यह लेख देहरादून जिले के विषय में है। नगर हेतु देखें देहरादून। देहरादून, भारत के उत्तराखंड राज्य की राजधानी है इसका मुख्यालय देहरादून नगर में है। इस जिले में ६ तहसीलें, ६ सामुदायिक विकास खंड, १७ शहर और ७६४ आबाद गाँव हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ १८ गाँव ऐसे भी हैं जहाँ कोई नहीं रहता। देश की राजधानी से २३० किलोमीटर दूर स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह नगर अनेक प्रसिद्ध शिक्षा संस्थानों के कारण भी जाना जाता है। यहाँ तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग, सर्वे ऑफ इंडिया, भारतीय पेट्रोलियम संस्थान आदि जैसे कई राष्ट्रीय संस्थान स्थित हैं। देहरादून में वन अनुसंधान संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय मिलिटरी कालेज और इंडियन मिलिटरी एकेडमी जैसे कई शिक्षण संस्थान हैं। यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। अपनी सुंदर दृश्यवाली के कारण देहरादून पर्यटकों, तीर्थयात्रियों और विभिन्न क्षेत्र के उत्साही व्यक्तियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। विशिष्ट बासमती चावल, चाय और लीची के बाग इसकी प्रसिद्धि को और बढ़ाते हैं तथा शहर को सुंदरता प्रदान करते हैं। देहरादून दो शब्दों देहरा और दून से मिलकर बना है। इसमें देहरा शब्द को डेरा का अपभ्रंश माना गया है। जब सिख गुरु हर राय के पुत्र रामराय इस क्षेत्र में आए तो अपने तथा अनुयायियों के रहने के लिए उन्होंने यहाँ अपना डेरा स्थापित किया। www.sikhiwiki.org.

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देवप्रयाग

देवप्रयाग भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित एक नगर एवं प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। यह अलकनंदा तथा भागीरथी नदियों के संगम पर स्थित है। इसी संगम स्थल के बाद इस नदी को पहली बार 'गंगा' के नाम से जाना जाता है। यहाँ श्री रघुनाथ जी का मंदिर है, जहाँ हिंदू तीर्थयात्री भारत के कोने कोने से आते हैं। देवप्रयाग अलकनंदा और भागीरथी नदियों के संगम पर बसा है। यहीं से दोनों नदियों की सम्मिलित धारा 'गंगा' कहलाती है। यह टेहरी से १८ मील दक्षिण-दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित है। प्राचीन हिंदू मंदिर के कारण इस तीर्थस्थान का विशेष महत्व है। संगम पर होने के कारण तीर्थराज प्रयाग की भाँति ही इसका भी नामकरण हुआ है। देवप्रयाग समुद्र सतह से १५०० फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है और निकटवर्ती शहर ऋषिकेश से सड़क मार्ग द्वारा ७० किमी० पर है। यह स्थान उत्तराखण्ड राज्य के '''पंच प्रयागों''' में से एक माना जाता है। इसके अलावा इसके बारे में कहा जाता है कि जब राजा भगीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर उतरने को राजी कर लिया तो ३३ करोड़ देवी-देवता भी गंगा के साथ स्वर्ग से उतरे। तब उन्होंने अपना आवास देवप्रयाग में बनाया जो गंगा की जन्म भूमि है। भागीरथी और अलकनंदा के संगम के बाद यही से पवित्र नदी गंगा का उद्भव हुआ है। यहीं पहली बार यह नदी गंगा के नाम से जानी जाती है। गढ़वाल क्षेत्र में मान्यतानुसार भगीरथी नदी को सास तथा अलकनंदा नदी को बहू कहा जाता है। यहां के मुख्य आकर्षण में संगम के अलावा एक शिव मंदिर तथा रघुनाथ मंदिर हैं जिनमें रघुनाथ मंदिर द्रविड शैली से निर्मित है। देवप्रयाग प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण है। यहां का सौन्दर्य अद्वितीय है। निकटवर्ती डंडा नागराज मंदिर और चंद्रवदनी मंदिर भी दर्शनीय हैं। देवप्रयाग को 'सुदर्शन क्षेत्र' भी कहा जाता है। यहां कौवे दिखायी नहीं देते, जो की एक आश्चर्य की बात है। .

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धनारी

धनारी में भारत के बिहार राज्य के अन्तर्गत मगध मण्डल के औरंगाबाद जिले का एक गाँव है। बिहार के जिले .

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धानाचूली, धारी तहसील

धानाचूली, धारी तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के नैनीताल जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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धारचूला

धारचूला, पिथौरागढ़ जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

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नाग्ला

नाग्ला, उधम सिंह नगर जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

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नई टिहरी

नई टिहरी (न्यू टिहरी) टिहरी जिले का मुख्यालय है। पर्वतों के बीच स्थित यह जगह काफी खूबसूरत है। हर वर्ष काफी संख्या में पर्यटक यहां पर घूमने के लिए आते हैं। यह स्थान धार्मिक स्थल के रूप में भी काफी प्रसिद्ध है। यहां आप चम्बा, बूढा केदार मंदिर, कैम्पटी फॉल, देवप्रयाग आदि स्थानों में घूम सकते हैं। यहां की प्राकृतिक खूबसूरती काफी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर खिंचती है। .

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नौटी, कर्णप्रयाग तहसील

नौटी, कर्णप्रयाग तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के चमोली जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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नैनीताल

नैनीताल भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख पर्यटन नगर है। यह नैनीताल जिले का मुख्यालय भी है। कुमाऊँ क्षेत्र में नैनीताल जिले का विशेष महत्व है। देश के प्रमुख क्षेत्रों में नैनीताल की गणना होती है। यह 'छखाता' परगने में आता है। 'छखाता' नाम 'षष्टिखात' से बना है। 'षष्टिखात' का तात्पर्य साठ तालों से है। इस अंचल में पहले साठ मनोरम ताल थे। इसीलिए इस क्षेत्र को 'षष्टिखात' कहा जाता था। आज इस अंचल को 'छखाता' नाम से अधिक जाना जाता है। आज भी नैनीताल जिले में सबसे अधिक ताल हैं। इसे भारत का लेक डिस्ट्रिक्ट कहा जाता है, क्योंकि यह पूरी जगह झीलों से घिरी हुई है। 'नैनी' शब्द का अर्थ है आँखें और 'ताल' का अर्थ है झील। झीलों का शहर नैनीताल उत्तराखंड का प्रसिद्ध पर्यटन स्‍थल है। बर्फ़ से ढ़के पहाड़ों के बीच बसा यह स्‍थान झीलों से घिरा हुआ है। इनमें से सबसे प्रमुख झील नैनी झील है जिसके नाम पर इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा है। इसलिए इसे झीलों का शहर भी कहा जाता है। नैनीताल को जिधर से देखा जाए, यह बेहद ख़ूबसूरत है। .

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नैनीताल जिला

नैनीताल जिला भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है। जिले का मूख्यालय नैनीताल है। नैनीताल जिला, कुमाऊँ मण्डल में स्थित है और इसके उत्तर में अल्मोड़ा जिला और दक्षिण में उधमसिंहनगर जिला है। हल्द्वानी इस जिले में सबसे बड़ा नगर है। .

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पदमपुर, धारी तहसील

पदमपुर, धारी तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के नैनीताल जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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पहाडपानी, भिकियासैण तहसील

पहाडपानी, भिकियासैण तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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पाँखूसेरा, बेरीनाग तहसील

पाँखूसेरा, बेरीनाग तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के पिथोरागढ जिले का एक गाँव है। .

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पिथौरागढ़

पिथौरागढ़ भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख शहर है। पिथौरागढ़ का पुराना नाम सोरघाटी है। सोर शब्द का अर्थ होता है-- सरोवर। यहाँ पर माना जाता है कि पहले इस घाटी में सात सरोवर थे। दिन-प्रतिदिन सरोवरों का पानी सूखता चला गया और यहाँपर पठारी भूमि का जन्म हुआ। पठारी भूमी होने के कारण इसका नाम पिथौरा गढ़ पड़ा। पर अधिकांश लोगों का मानना है कि यहाँ राय पिथौरा (पृथ्वीराज_चौहान) की राजधानी थी। उन्हीं के नाम से इस जगह का नाम पिथौरागढ़ पड़ा। राय पिथौरा ने नेपाल से कई बार टक्कर ली थी। यही राजा पृथ्वीशाह के नाम से प्रसिद्ध हुआ। .

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पिथौरागढ़ जिला

पिथौरागढ़ भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है। यह क्षेत्र 2,750 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। 2011 के जनसंख्या गणना के अनुसार यहाँ कुल 4,85,993 लोग रहते हैं। जिले का मुख्यालय पिथौरागढ़ है। यहाँ आधिकारिक रूप से और शिक्षा के लिए हिन्दी भाषा का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा यहाँ अधिक संख्या में कुमाऊँनी भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं। 24 फरवरी 1960 को पिथौरागढ़ की 30 पट्टियां और अल्मोड़े की दो पट्टियों को मिलाकर पिथौरागढ़ जिले का गठन किया गया था। .

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पौड़ी

पौढ़ी गढ़वाल भारतीय राज्य उत्तराखंड का एक शहर है। यह पौढ़ी गढ़वाल जिला का मु़यालय है। पौढ़ी गढ़वाल जिला वृत्ताकार रूप में है। जिसमें हरिद्वार, देहरादून, टिहरी गढ़वाल, रूद्वप्रयाग, चमोली, अल्‍मोड़ा और नैनीताल सम्मिलित है। यहां स्थित हिमालय, नदियां, जंगल और ऊंचे-ऊंचे शिखर यहां की खूबसूरती को अधिक बढ़ाते हैं। पौढ़ी समुद्र तल से लगभग 1814 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बर्फ से ढके हिमालय शिखर पौढ़ी की खूबसूरती को कहीं अधिक बढ़ाते हैं। .

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पौड़ी गढ़वाल जिला

पौड़ी गढ़वाल भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है। जिले का मुख्यालय पौड़ी है। जो कि 5,440 वर्ग किलोमीटर के भौगोलिक दायरे में बसा है यह ज़िला एक गोले के रूप मैं बसा है जिसके उत्तर मैं चमोली, रुद्रप्रयाग और टेहरी गढ़वाल है, दक्षिण मैं उधमसिंह नगर, पूर्व मैं अल्मोरा और नैनीताल और पश्चिम मैं देहरादून और हरिद्वार स्थित है। पौढ़ी हेडक्वार्टर है। हिमालय कि पर्वत श्रृंखलाएं इसकी सुन्दरता मैं चार चाँद लगते हैं और जंगल बड़े-बड़े पहाड़ एवं जंगल पौढी कि सुन्दरता को बहुत ही मनमोहक बनाते हैं। .

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पैठाणी-कण्डारस्यूं-२, थलीसैंण तहसील

पैठाणी-कण्डारस्यूं-२, थलीसैंण तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के पौड़ी जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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पूरनपुर, हल्द्वानी तहसील

पूरनपुर, हल्द्वानी तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के नैनीताल जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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बड़कोट (उत्तराखंड)

बड़कोट उत्तराखंड में स्थित है। इस छोटे-से नगर को यहाँ के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दिसम्बर 2014 में नगर पालिका का दर्जा दिया है। .

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बाराकोट, बाराकोट तहसील

बाराकोट, बाराकोट तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के चम्पावत जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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बाजपुर

बाजपुर, उधम सिंह नगर जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

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बागेश्वर

बागेश्वर उत्तराखण्ड राज्य में सरयू और गोमती नदियों के संगम पर स्थित एक तीर्थ है। यह बागेश्वर जनपद का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। यहाँ बागेश्वर नाथ का प्राचीन मंदिर है, जिसे स्थानीय जनता "बागनाथ" या "बाघनाथ" के नाम से जानती है। मकर संक्रांति के दिन यहाँ उत्तराखण्ड का सबसे बड़ा मेला लगता है। स्वतंत्रता संग्राम में भी बागेश्वर का बड़ा योगदान है। कुली-बेगार प्रथा के रजिस्टरों को सरयू की धारा में बहाकर यहाँ के लोगों ने अपने अंचल में गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन शुरवात सन १९२० ई. में की। सरयू एवं गोमती नदी के संगम पर स्थित बागेश्वर मूलतः एक ठेठ पहाड़ी कस्बा है। परगना दानपुर के 473, खरही के 66, कमस्यार के 166, पुँगराऊ के 87 गाँवों का समेकन केन्द्र होने के कारण यह प्रशासनिक केन्द्र बन गया। मकर संक्रान्ति के दौरान लगभग महीने भर चलने वाले उत्तरायणी मेले की व्यापारिक गतिविधियों, स्थानीय लकड़ी के उत्पाद, चटाइयाँ एवं शौका तथा भोटिया व्यापारियों द्वारा तिब्बती ऊन, सुहागा, खाल तथा अन्यान्य उत्पादों के विनिमय ने इसको एक बड़ी मण्डी के रूप में प्रतिष्ठापित किया। 1950-60 के दशक तक लाल इमली तथा धारीवाल जैसी प्रतिष्ठित वस्त्र कम्पनियों द्वारा बागेश्वर मण्डी से कच्चा ऊन क्रय किया जाता था। .

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बागेश्वर जिला

बागेश्वर भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक जिला है, जिसके मुख्यालय बागेश्वर नगर में स्थित हैं। इस जिले के उत्तर तथा पूर्व में पिथौरागढ़ जिला, पश्चिम में चमोली जिला, तथा दक्षिण में अल्मोड़ा जिला है। बागेश्वर जिले की स्थापना १५ सितंबर १९९७ को अल्मोड़ा के उत्तरी क्षेत्रों से की गयी थी। २०११ की जनगणना के अनुसार रुद्रप्रयाग तथा चम्पावत के बाद यह उत्तराखण्ड का तीसरा सबसे कम जनसंख्या वाला जिला है। यह जिला धार्मिक गाथाओं, पर्व आयोजनों और अत्याकर्षक प्राकृतिक दृश्यों के कारण प्रसिद्ध है। प्राचीन प्रमाणों के आधार पर बागेश्वर शब्द को ब्याघ्रेश्वर से विकसित माना गया है। यह शब्द प्राचीन भारतीय साहित्य में अधिक प्रसिद्ध है। बागनाथ मंदिर, कौसानी, बैजनाथ, विजयपुर आदि जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। जिले में ही स्थित पिण्डारी, काफनी, सुन्दरढूंगा इत्यादि हिमनदों से पिण्डर तथा सरयू नदियों का उद्गम होता है। .

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बंूगीधार, भिकियासैण तहसील

बंूगीधार, भिकियासैण तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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बेरीनाग

बेरीनाग, जिसे बेड़ीनाग या बेणीनाग भी कहा जाता है, भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के पिथौरागढ जिनपद का एक नगर तथा तहसील मख्यालय है। .

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भनोली, भनोली तहसील

भनोली, भनोली तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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भवाली

भवाली या भुवाली उत्तराखण्ड राज्य के नैनीताल जनपद में स्थित एक नगर है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। शान्त वातावरण और खुली जगह होने के कारण 'भवाली' कुमाऊँ की एक शानदार नगरी है। यहाँ पर फलों की एक मण्डी है। यह एक ऐसा केन्द्र - बिन्दु है जहाँ से काठगोदाम हल्द्वानी और नैनीताल, अल्मोड़ा - रानीखेत भीमताल - सातताल और रामगढ़ - मुक्तेश्वर आदि स्थानों को अलग - अलग मोटर मार्ग जाते हैं। भवाली नगर अपने प्राचीन टीबी सैनिटोरियम के लिए विख्यात है, जिसकी स्थापना १९१२ में हुई थी। चीड़ के पेड़ों की हवा टी.

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भगवानपुर

भगवानपुर फ़र्रूख़ाबाद जिले का एक गाँव। श्रेणी:फर्रुखाबाद जिला के गाँव श्रेणी:उत्तर प्रदेश.

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भीमताल (नगर)

भीमताल उत्तराखण्ड राज्य के नैनीताल जनपद में स्थित एक नगर है। .

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मसूरी

मसूरी भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक पर्वतीय नगर है, जिसे पर्वतों की रानी भी कहा जाता है। देहरादून से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, मसूरी उन स्थानों में से एक है जहाॅं लोग बार-बार आते जाते हैं। घूमने-फिरने के लिए जाने वाली प्रमुख जगहों में यह एक है। यह पर्वतीय पर्यटन स्थल हिमालय पर्वतमाला के शिवालिक श्रेणी में पड़ता है, जिसे पर्वतों की रानी भी कहा जाता है। निकटवर्ती लैंढ़ौर कस्बा भी बार्लोगंज और झाड़ीपानी सहित वृहत या ग्रेटर मसूरी में आता है। इसकी औसत ऊंचाई समुद्र तल से 2005 मी.

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मुक्तेश्वर

मुक्तेश्वर उत्तराखण्ड के नैनीताल जिले में स्थित है। यह कुमाऊँ की पहाडियों में २२८६ मीटर (७५०० फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ से नंदा देवी, त्रिशूल आदि हिमालय पर्वतों की चोटियाँ दिखती हैं। यहाँ एक पहाड़ी के ऊपर शिवजी का मन्दिर है जो की २३१५ मीटर की ऊँचाई पर स्तिथ है। यह मंदिर 'मुक्तेश्वर मंदिर' के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। यहां भगवान शिव के साथ ब्रह्मा, विष्णु, पार्वती, हनुमान और नंदी जी भी विराजमान हैं। मंदिर के बाहर लंगूरों का जमावड़ा लगा रहता है। मन्दिर के पास चट्टानों में चौली की जाली है। इसे 'चौथी की जाली' भी कहते हैं। ये जगह मुक्तेश्वर मंदिर के साथ ही है। यहां भी पहाड़ की थोड़ी-सी चढ़ाई करके पहुंचा जा सकता है। ऐसा विश्वास है कि यहां देवी और राक्षस के बीच युद्ध हुआ था। ये एक पहाड़ की चोटी है जिसकी सबसे ऊपर वाली चट्टान पर एक गोल छेद है। कहा जाता है कि अगर कोई निःसंतान स्त्री इस छेद में से निकल जाए तो उसे संतान की प्राप्ति होती है। पहाड़ की चोटी से घाटी का सुंदर नजारा दिखता है। अगर मौसम साफ हो तो मुक्तेश्वर में हिमालय की पर्वत चोटियों के पाछे से उगते सूरज का सुंदर नजारा देखा जा सकता है और नालकंठ, नंदादेवी और त्रिशूल आदि पर्वतश्रेणियां भी देखी जा सकती हैं। यहां इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट है जहां जानवरों पर रिसर्च की जाती है। ये इंस्टीट्यूट सन्‌ 1893 में बनवाया गया था। यहां एक म्यूजियम और लाइब्रेरी भी है जहां जानवरों पर रिसर्च से संबंधित पुराने समय का समान और किताबें सुरक्षित रखी गई हैं। वैसे तो यहां साल में कभी भी जाया जा सकता है परंतु यहां जाने का उचित समय मार्च से जून और अक्टूबर से नवंबर तक है। अगर गर्मियों में यहां जाएं तो हल्के ऊनी कपड़े और सर्दियों में जाएं तो भारी ऊनी कपड़े साथ ले जाएं। गर्मियों में यहां का अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 15 डिग्री और सर्दियों में अधिकतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 0 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। जनवरी में यहां बर्फबारी भी हो जाती है। चूंकि मुक्तेश्वर एक छोटा-सा हिल स्टेशन है इसलिए यहां रहने और खाने के ढेर सारे ऑप्शन तो नहीं मिलेंगे पर रहने-खाने की कोई परेशानी भी नहीं होती है। मुक्तेश्वर के आस-पास देखने के लिए ढेर सारी जगह हैं। यहां से अल्मोड़ा, बिन्सर और नैनीताल पास ही हैं। अगर चाहें तो मुक्तेश्वर जाते हुए या मुक्तेश्वर से वापिस आते हुए भीमताल पर बोटिंग का आनंद लिया जा सकता है। मुक्तेश्वर जाएं तो यहां मिलने वाली सूखी आलू की सब्जी और प्याज के पकौड़े जरूर ट्राई करें। प्याज के पकौड़े तो चटनी के साथ खाए जाते हैं, जबकि आलू की चटपटी सूखी सब्जी ऐसे ही बिना चपाती के खाई जाती है। कुमाऊं की पहाड़ियों में बसा मुक्तेश्वर उत्तराखंड का एक खूबसूरत हिल स्टेशन है जो दिल्ली से करीब 350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दिल्ली से सड़क मार्ग द्वारा मुरादाबाद-हल्द्वानी-काठगोदाम-भीमताल होते हुए लगभग आठ घंटे की ड्राइव करके मुक्तेश्वर पहुंचा जा सकता है। रेलमार्ग से जाना चाहें तो दिल्ली से काठगोदाम तक सीधी रेल सेवा है। काठगोदाम से आगे मुक्तेश्वर तक का 73 किलोमीटर का सफर पूरा करने के लिए काठगोदाम से ही बस या टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं। अगर वायु मार्ग से जाना चाहें तो नजदीकी हवाईअड्डा पंतनगर है जो मुक्तेश्वर से लगभग 100 किलोमीटर पहले है। .

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मोरनौला, जैंती तहसील

मोरनौला, जैंती तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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रानीखेत

रानीखेत भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख पहाड़ी पर्यटन स्थल है। यह राज्य के अल्मोड़ा जनपद के अंतर्गत स्थित एक फौजी छावनी है। देवदार और बलूत के वृक्षों से घिरा रानीखेत बहुत ही रमणीक हिल स्टेशन है। इस स्थान से हिमाच्छादित मध्य हिमालयी श्रेणियाँ स्पष्ट देखी जा सकती हैं। रानीखेत से सुविधापूर्वक भ्रमण के लिए पिण्डारी ग्लेशियर, कौसानी, चौबटिया और कालिका पहुँचा जा सकता है। चौबटिया में प्रदेश सरकार के फलों के उद्यान हैं। इस पर्वतीय नगरी का मुख्य आकर्षण यहाँ विराजती नैसर्गिक शान्ति है। रानीखेत में फ़ौजी छावनी भी है और गोल्फ़ प्रेमियों के लिए एक सुन्दर पार्क भी है। १८६९ में ब्रिटिश सरकार ने कुमाऊं रेजिमेंट के मुख्यालय की स्थापना रानीखेत में की, और भारतीय गर्मियों से बचने के लिए हिल स्टेशन के रूप में इस नगर का प्रयोग किया जाने लगा। ब्रिटिश राज के दौरान एक समय में, यह शिमला के स्थान पर भारत सरकार के ग्रीष्मकालीन मुख्यालय के रूप में भी प्रस्तावित किया गया था। १९०० में इसकी गर्मियों की ७,७०५ जनसंख्या थी, और उसी साल की सर्दियों की जनसंख्या १९०१ में ३,१५३ मापी गई थी। स्वच्छ सर्वेक्षण २०१८ के अनुसार रानीखेत दिल्ली और अल्मोड़ा छावनियों के बाद भारत की तीसरी सबसे स्वच्छ छावनी है। .

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रामनगर, उत्तराखण्ड

रामनगर, उत्तराखण्ड, भारत के नैनीताल ज़िले में स्थित एक कस्बा और नगर निगम बोर्ड है। यह जिला मुख्यालय नैनीताल से ६५ किमी और देश की राजधानी दिल्ली से लगभग २६० किमी की दूरी पर स्थित है। रामनगर, जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के लिए प्रसिद्ध है। यह कस्बा इस राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेशद्वार है। आसपास के अन्य प्रसिद्ध स्थल हैं गर्जिया देवी मन्दिर और सीता बनी मन्दिर। .

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राजपुर

देहरादून का सामुदायिक विकास खंड श्रेणी:देहरादून जिला.

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रुड़की

रुड़की, भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित एक नगर और नगरपालिका परिषद है। इसे रुड़की छावनी के नाम से भी जाना जाता है और यह देश की सबसे पुरानी छावनियों में से एक है और १८५३ से बंगाल अभियांत्रिकी समूह (बंगाल सैप्पर्स) का मुख्यालय है। यह नगर गंग नहर के तट पर राष्ट्रीय राजमार्ग ५८ पर देहरादून और दिल्ली के मध्य स्थित है। .

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रुद्रप्रयाग

रुद्रप्रयाग की एक पेंटिंग रुद्रप्रयाग भारत के उत्तरांचल राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में एक शहर तथा नगर पंचायत है। रुद्रप्रयाग अलकनंदा तथा मंदाकिनी नदियों का संगमस्थल है। यहाँ से अलकनंदा देवप्रयाग में जाकर भागीरथी से मिलती है तथा गंगा नदी का निर्माण करती है। प्रसिद्ध धर्मस्थल केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग से ८६ किलोमीटर दूर है। भगवान शिव के नाम पर रूद्रप्रयाग का नाम रखा गया है। रूद्रप्रयाग अलकनंदा और मंदाकिनी नदी पर स्थित है। रूद्रप्रयाग श्रीनगर (गढ़वाल) से 34 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदाकिनी और अलखनंदा नदियों का संगम अपने आप में एक अनोखी खूबसूरती है। इन्‍हें देखकर ऐसा लगता है मानो दो बहनें आपस में एक दूसरे को गले लगा रहीं हो। ऐसा माना जाता है कि यहां संगीत उस्‍ताद नारद मुनि ने भगवान शिव की उपासना की थी और नारद जी को आर्शीवाद देने के लिए ही भगवान शिव ने रौद्र रूप में अवतार लिया था। यहां स्थित शिव और जगदम्‍बा मंदिर प्रमुख धार्मिक स्‍थानों में से है। रुद्रप्रयाग नगर पंचायत का गठन वर्ष २००२ में किया गया था, और २००६ में इसे नगरपालिका का दर्जा प्राप्त हुआ। .

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रुद्रप्रयाग जिला

रुद्रप्रयाग जिला भारत के उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल का एक जिला है। इस जिले का कुल क्षेत्रफल २,४३९ वर्ग किमी है। रुद्रप्रयाग क्स्बा में इस जिले का प्रशासनिक मुख्यालय स्थित है। यह जिला उत्तर में उत्तरकाशी जिले, पूर्व में चमोली जिले, दक्षिण में पौड़ी जिले और दक्षिण में टिहरी जिले से घिरा हुआ है। .

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लक्ष्मण झूला

लक्ष्मण झूला लक्ष्मण झूला ऋषिकेश में गंगा नदी पर बना एक पुल है। .

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लक्सर

लक्सर यह दक्षिण मिस्र का एक नगर है और लक्सर मुहाफ़ज़ात की राजधानी है| यह प्राचीन नगर थेब्स से जुड़ा हुआ था और यह कर्नाक के प्राचीन स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है| श्रेणी:मिस्र के मुहाफ़ज़ात श्रेणी:मिस्र.

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लैंसडाउन

लैंसडाउन उत्तराखण्ड राज्य (भारत) के पौड़ी गढ़वाल जिले में एक छावनी शहर है। उत्तराखण्ड के गढ़वाल में स्थित लैंसडाउन बेहद खूबसूरत पहाड़ी है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई 1706 मीटर है। यहाँ की प्राकृतिक छटा सम्मोहित करने वाली है। यहाँ का मौसम पूरे साल सुहावना बना रहता है। हर तरफ फैली हरियाली आपको एक अलग दुनिया का एहसास कराती है। दरअसल, इस जगह को अंग्रेजों ने पहाड़ों को काटकर बसाया था। खास बात यह है कि दिल्ली से यह हिल स्टेशन काफी नजदीक है। आप 5-6 घंटे में लैंसडाउन पहुँच सकते हैं। अगर आप बाइक से लैंसडाउन जाने की योजना बना रहे हैं तो आनंद विहार के रास्ते दिल्ली से उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने के बाद मेरठ, बिजनौर और कोटद्वार होते हुए लैंसडाउन पहुँच सकते हैं। .

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लोहाघाट

लोहाघाट भारतीय राज्य उत्तराखण्ड के चम्पावत जनपद में स्थित एक प्रसिद्ध शहर, नगर पंचायत और हिल स्टेशन है। मनोरम प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण चारों ओर से छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा यह नगर पौराणिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। जनपद मुख्यालय से 13 किमी उत्तर की ओर टनकपुर-तवाघाट राष्ट्रीय राजमार्ग में लोहावती नदी के किनारे देवीधार, फोर्ती, मायावती, एबटमाउंट, मानेश्वर, बाणासुर का किला, झूमाधूरी आदि विशेष धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थलों के मध्य स्थित होने से इस नगर की सुन्दरता और बढ़ जाती है। जनपद का यह मुख्य शहर जहां से ग्रामीण क्षेत्रों को आवागमन होता है, प्रमुख व्यापारिक स्थल भी है। इसलिए इसे जनपद चम्पावत का हृदयस्थल कहा जाता है। देवदार वनों से घिरे इस नगर की समुद्रतल से ऊँचाई लगभग ५५०० फ़ीट है। .

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शामा, कपकोट तहसील

शामा, कपकोट तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के बागेश्वर जिले का एक गाँव है। .

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सरदार नगर

भारत की जनगणना अनुसार यह गाँव, तहसील मुरादाबाद, जिला मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश में स्थित है। सम्बंधित जनगणना कोड: राज्य कोड:09 जिला कोड:135 तहसील कोड: 00719 सरदार नगर; Sardar Nagar; जनगणना 2011 की जानकारी के अनुसार सरदार नगर गांव का स्थान कोड या गांव कोड 115103 है। सरदार नगर गांव उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद जिले की मुरादाबाद तहसील में स्थित है। 2009 के आंकड़ों के अनुसार, सरदार नगर गांव भी ग्राम पंचायत है। गांव का कुल भौगोलिक क्षेत्र 548.38 हेक्टेयर है। और सरदार नगर की कुल आबादी 4,787 लोगों की है। सरदार नगर गांव में लगभग 709 घर हैं। सरदार नगर जिला मुरादाबाद के निकट स्थित है। .

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सराईखेत, सल्ट तहसील

सराईखेत, सल्ट तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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सातसिलिंग, पिथौरागढ (सदर) तहसील

सातसिलिंग, पिथौरागढ (सदर) तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के पिथोरागढ जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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सितारगंज

सितारगंज, उधम सिंह नगर जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

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सिमलखेत, पाटी तहसील

सिमलखेत, पाटी तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के चम्पावत जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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सिमली, कर्णप्रयाग तहसील

सिमली, कर्णप्रयाग तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के चमोली जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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सुयालबाडी, कोश्याँकुटोली तहसील

सुयालबाडी, कोश्याँकुटोली तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के नैनीताल जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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हरिद्वार जिला

हरिद्वार, जिसे हरद्वार भी कहा जाता है, भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है, जिसके मुख्यालय हरिद्वार नगर में स्थित हैं। इस जिले के उत्तर में देहरादून जिला, पूर्व में पौड़ी गढ़वाल जिला, पश्चिम में उत्तर प्रदेश राज्य का सहारनपुर जिला तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य के ही मुजफ्फरनगर तथा बिजनौर जिले हैं। हरिद्वार जिले की स्थापना २८ दिसंबर १९८८ को उत्तर प्रदेश राज्य के सहारनपुर मण्डल के अंतर्गत सहारनपुर जिले की हरिद्वार और रुड़की तहसीलों, मुजफ्फरनगर जिले की सदर तहसील के ५३ गांवों और बिजनौर जिले की नजीबाबाद तहसील के २५ गांवों को मिलाकर हुई थी। ९ नवंबर २००० को हरिद्वार नवगठित उत्तराखण्ड राज्य का हिस्सा बन गया। २०११ में १८,९०,४२२ की जनसंख्या के साथ यह उत्तराखण्ड का सबसे अधिक जनसंख्या वाला जिला है। हरिद्वार, भेल रानीपुर, रुड़की, मंगलाौर, धन्देरा, झबरेड़ा, लक्सर, लन्ढौरा और मोहनपुर-मोहम्मदपुर जिले के महत्वपूर्ण शहर हैं। .

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हल्द्वानी

हल्द्वानी, उत्तराखण्ड के नैनीताल ज़िले में स्थित एक नगर है जो काठगोदाम के साथ मिलकर हल्द्वानी-काठगोदाम नगर निगम बनाता है। हल्द्वानी उत्तराखण्ड के सर्वाधिक जनसँख्या वाले नगरों में से है और इसे "कुमाऊँ का प्रवेश द्वार" भी कहा जाता है। कुमाऊँनी भाषा में इसे "हल्द्वेणी" भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ "हल्दू" (कदम्ब) प्रचुर मात्रा में मिलता था। सन् १८१६ में गोरखाओं को परास्त करने के बाद गार्डनर को कुमाऊँ का आयुक्त नियुक्त किया गया। बाद में जॉर्ज विलियम ट्रेल ने आयुक्त का पदभार संभाला और १८३४ में "हल्दु वनी" का नाम हल्द्वानी रखा। ब्रिटिश अभिलेखों से हमें ये ज्ञात होता है कि इस स्थान को १८३४ में एक मण्डी के रूप में उन लोगों के लिए बसाया गया था जो शीत ऋतु में भाभर आया करते थे। .

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जौलजीबी

जौल्जिबि भारत-नेपाल सीमा (उत्तराखंड/महाकाली क्षेत्र) पर काली और गोरी नदियों के संगम पर स्थित एक छोटा बाज़ार है। यह नाम दोनो ओर के बाज़ारों के लिए प्रयुक्त होता है, जिसमें से नेपाल की ओर बसा बाज़ार भारत की ओर बसे बाज़ार से छोटा है। दोनों ओर के बाज़ार एक झूला पुल से जुड़े हुए हैं। श्रेणी:उत्तराखण्ड के गाँव श्रेणी:नेपाल के गाँव.

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जैनल, भिकियासैण तहसील

जैनल, भिकियासैण तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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जोशीमठ

जोशीमठ उत्तराखण्ड राज्य में स्थित एक नगर है। यहां ८वीं सदी में धर्मसुधारक आदि शंकराचार्य को ज्ञान प्राप्त हुआ और बद्रीनाथ मंदिर तथा देश के विभिन्न कोनों में तीन और मठों की स्थापना से पहले यहीं उन्होंने प्रथम मठ की स्थापना की। जाड़े के समय इस शहर में बद्रीनाथ की गद्दी विराजित होती है जहां नरसिंह के सुंदर एवं पुराने मंदिर में इसकी पूजा की जाती है। बद्रीनाथ, औली तथा नीति घाटी के सान्निध्य के कारण जोशीमठ एक महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल बन गया है तथा अध्यात्म एवं साहसिकता का इसका मिश्रण यात्रियों के लिए वर्षभर उत्तेजना स्थल बना रहता है। जोशीमठ में आध्यात्मिता की जड़े गहरी है तथा यहां की संस्कृति भगवान विष्णु की पौराणिकता के इर्द-गिर्द बनी है। प्राचीन नरसिंह मंदिर जो उन्हे समर्पित है - उन्हे नमन तथा उनकी लोकप्रियता को दर्षाती है - लोगों का सालोंभर यहां लगातार आना रहता है। ऐतिहासिक तौर पर, जोशीमठ सदियों से वैदिक शिक्षा तथा ज्ञान का एक ऐसा केन्द्र जिसकी स्थापना 8वीं सदी में आदी शंकराचार्य ने की थी। यहां शहर की परिवेश तथा जलवायु निश्चित रूप से धार्मिक मान्यताओं से अधिकांशतः प्राचीन तथा पूजित स्थल हैं। शहर के आस-पास घूमने योग्य स्थानों में औली, उत्तराखंड का मुख्य स्की रिसॉर्ट शामिल है। जोशीमठ की यात्रा हमारे देश की संस्कृतिक विरासत का गहन दृश्य उपस्थित करेगा। .

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ईडा सेरा, द्वाराहाट तहसील

ईडा सेरा, द्वाराहाट तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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खटीमा

खटीमा भारत के उत्तराखण्ड राज्य के ऊधमसिंह नगर जिले में स्थित एक नगर निगम बोर्ड है। .

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खैरना

खैरना उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले में एक छोटा सा नगर है, जो इसी नाम के पुल के दोनों ओर बस गया। खैरना पुल कोसी नदी पर ब्रिटिश काल के समय से ही स्थित है। खैरना मछिलयों के शिकार के लिए विख्यात है। .

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गदरपुर

गदरपुर, उधम सिंह नगर जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

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गनाई, चौखुटिया तहसील

गनाई, चौखुटिया तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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गर्जिया देवी मन्दिर

गर्जिया देवी मन्दिर गर्जिया देवी मन्दिर उत्तराखण्ड में स्थित एक प्रसिद्ध मन्दिर है। यह मन्दिर सुन्दर खाल गाँव में आता है। रामनगर से इस मन्दिर की दूरी लगभग १५ किमी है। यह मन्दिर एक छोटी-सी पहाड़ी के शीर्ष पर बना हुआ है। कोसी नदी मन्दिर के निकट से होकर बहती है। .

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गुप्तकाशी

गुप्तकाशी प्रसिद्ध तीर्थ धाम केदारनाथ को यातायात से जोड़ने वाले रुद्रप्रयाग-गौरीकुण्ड राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित एक कस्बा है। यह उत्तराखंड राज्य में रुद्रप्रयाग जिला में स्थित है। गुप्तकाशी क्षेत्र, केदारनाथ यात्रा का मुख्य पड़ाव भी है, साथ ही यहां कई खूबसूरत पर्यटक स्थल भी हैं। पाँच प्रसिद्ध प्रयाग हैं: देवप्रयाग, रुद्रप्रायाग, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग और विष्णुप्रयाग। रुद्रप्रयाग से मंदाकिनी नदी के किनारे गुप्तकाशी का मार्ग है। कुल दूरी लगभग ३५ किमी है। पैदल, घोड़ा या डाँडी से लोग जाते हैं, बहुत थोड़ी दूरी पैदल तय करनी होती है। चढ़ाई बड़ी विकट है। जहाँ चढ़ाई आरंभ होती है वहीं अगस्त्य मुनि नाम का स्थान है; वहाँ अगस्त्य का मंदिर है। मार्ग रमणीक है। सामने वाणासुर की राजधानी शोणितपुर के भगनावशेष हैं। चढ़ाई पूरी होने पर गुप्तकाशी के दर्शन होते हैं। गुप्तकाशी को गुह्यकाशी भी कहते हैं। तीन काशियाँ प्रसिद्ध हैं: भागीरथी के किनारे उत्तरकाशी, दूसरी गुप्तकाशी और तीसरी वाराणसी। गुप्तकाशी में एक कुंड है जिसका नाम है मणिकर्णिका कुंड। लोग इसी में स्नान करते हैं। इसमें दो जलधाराएँ बराबर गिरती रहती हैं जो गंगा और यमुना नाम से अभिहित हैं। कुंड के सामने विश्वनाथ का मंदिर है। इससे मिला हुआ अर्धनारीश्वर का मंदिर है। .

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ग्वालदम स्टेट, थराली तहसील

ग्वालदम स्टेट, थराली तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के चमोली जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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औली

औली उत्तराखण्ड का एक भाग है। यह 5-7 किलोमीटर में फैला छोटा सा स्की-रिसोर्ट है। इस रिसोर्ट को 9,500-10,500 फीट की ऊँचाई पर बनाया गया है। यहाँ बर्फ से ढकी चोटियाँ बहुत ही सुन्दर दिखाई देती हैं। इनकी ऊँचाई लगभग 23,000 फीट है। यहाँ पर देवदार के वृक्ष बहुतायत में पाए जाते हैं। इनकी महक यहाँ की ठंडी और ताजी हवाओं में महसूस की जा सकती है। .

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कपकोट

कपकोट भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के बागेश्वर जिले का एक नगर है। सरयू नदी के तट पर बसा कपकोट जनपद मुख्यालय, बागेश्वर से २५ किमी की दूरी पर स्थित है, और कपकोट तहसील का मुख्यालय है, जो क्षेत्रफल के आधार पर बागेश्वर जनपद की सबसे बड़ी तहसील है। .

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कर्णप्रयाग

कर्णप्रयाग उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के चमोली जिले का एक कस्बा है।यह अलकनंदा तथा पिण्डर नदियों के संगम पर स्थित है। पिण्डर का एक नाम कर्ण गंगा भी है, जिसके कारण ही इस तीर्थ संगम का नाम कर्ण प्रयाग पडा। यहां पर उमा मंदिर और कर्ण मंदिर दर्शनीय है। .

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काठगोदाम

काठगोदाम भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित हल्द्वानी नगर के अंतर्गत स्थित एक क्षेत्र है। इसे ऐतिहासिक तौर पर कुमाऊँ का द्वार कहा जाता रहा है। यह छोटा सा नगर पहाड़ के पाद प्रदेश में बसा है। गौला नदी इसके दायें से होकर हल्द्वानी बाजार की ओर बढ़ती है। पूर्वोतर रेलवे का यह अन्तिम स्टेशन है। यहाँ से बरेली, लखनऊ तथा आगरा के लिए छोटी लाइन की रेल चलती है। काठगोदाम से नैनीताल, अल्मोड़ा, रानीखेत और पिथौरागढ़ के लिए केएमओयू की बसें जाती है। कुमाऊँ के सभी अंचलों के लिए यहाँ से बसें जाती हैं। १९०१ में काठगोदाम ३७५ की जनसंख्या वाला एक छोटा सा गाँव था। १९०९ तक इसे रानीबाग़ के साथ जोड़कर नोटिफ़िएड एरिया घोषित कर दिया गया। काठगोदाम-रानीबाग़ १९४२ तक स्वतंत्र नगर के रूप में उपस्थित रहा, जिसके बाद इसे हल्द्वानी नोटिफ़िएड एरिया के साथ जोड़कर नगर पालिका परिषद् हल्द्वानी-काठगोदाम का गठन किया गया। २१ मई २०११ को हल्द्वानी-काठगोदाम को नगर पालिका परिषद से नगर निगम घोषित किया गया, और फिर इसके विस्तार को देखते हुए इसका नाम बदलकर नगर निगम हल्द्वानी कर दिया गया। .

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कालसी

कालसी यमुना और उसकी सहायक टोंस के संगम पर स्थित है। यह देहरादून से लगभग 56 किलोमीटर दूर है। कालसी में दून घाटी के कुछ बेहद लुभावने दृश्य हैं। यह जगह बाहर घूमने फिरने और दोस्तों तथा परिवार के साथ पिकनिक मनाने के लिए आदर्श है। यहां पक्षियों के बीच गाड़ी चलाने और शांत परिवेश में घूमना अपने आप में एक अनोखा अनुभव है। कालसी सम्राट अशोक के गौरव का भी गवाह है। तीसरी सदी ईसा पूर्व यह शक्तिशाली मौर्य साम्राज्य के प्रभाव के तहत सबसे दूर की जगह थी। यह जगह अशोक के पत्थर के शिलालेख के लिए भी प्रसिद्ध है। श्रेणी:देहरादून जिला.

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कालाढूंगी

कालाढूंगी उत्तराखण्ड राज्य के नैनीताल जनपद में स्थित एक नगर है। यह नगर हल्द्वानी-रामनगर तथा बाजपुर-नैनीताल सड़कों के चौराहे पर हल्द्वानी से २६ किलोमीटर, नैनीताल से ३० किलोमीटर तथा बाजपुर से १९ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कालाढूंगी नैनीताल जनपद की ८ तहसीलों में से एक भी है। कालाढूंगी जिम कार्बेट का शीतकालीन आवास भी था। अब उनके कालाढूंगी स्थित बंगले को म्यूजियम बना दिया गया है। उत्तराखंड के प्रसिद्ध शिकारी और बाद में जिम कार्बेट वन्य जीव अभ्यारण्य की स्थापना के हिमायती जिम कार्बेट ने अपनी पुस्तकों "कुमाऊं के आदमखोर" " रुद्रप्रयाग का आदमखोर तेंदुआ" "कहानी जंगल की" "माई इंडिया" आदि पुस्तकों में कालाढूंगी का विवरण दिया है। उनके विवरणों में लिखा है कि कालाढूंगी पर्वतीय ढालों के अंत में स्थित गांव था। जो कि नैनीताल की कठोर सर्दियों से बचने का उपयुक्त स्थान था, क्योंकि यहां की जलवायु तराई के इलाकों की भांति उष्ण थी। खेती हेतु पर्याप्त जमीन थी। चारों ओर घने जंगल थे। जो विविध वन्यजीवों से भरे थे। जहां अक्सर शिकारी अपने भोजन व मनोरंजन हेतु शिकार करने जाते थे। कभी कभी एक मील से भी पास कोई बाघ या तेंदुआ विचरण करता पाया जाता था। जो स्थानीय निवासियों को कोई हानि पहुंचाए बिना फिर जंगल में भाग जाते थे। .

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काशीपुर

काशीपुर निम्न में से कोई हो सकता है.

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किच्छा

किच्छा भारत के उत्तराखण्ड राज्य के उधमसिंहनगर जिले में स्थित एक नगर निगम बोर्ड है। .

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अल्मोड़ा

अल्मोड़ा भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक महत्वपूर्ण नगर है। यह अल्मोड़ा जिले का मुख्यालय भी है। अल्मोड़ा दिल्ली से ३६५ किलोमीटर और देहरादून से ४१५ किलोमीटर की दूरी पर, कुमाऊँ हिमालय श्रंखला की एक पहाड़ी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। भारत की २०११ की जनगणना के अनुसार अल्मोड़ा की कुल जनसंख्या ३५,५१३ है। अल्मोड़ा की स्थापना राजा बालो कल्याण चंद ने १५६८ में की थी। महाभारत (८ वीं और ९वीं शताब्दी ईसा पूर्व) के समय से ही यहां की पहाड़ियों और आसपास के क्षेत्रों में मानव बस्तियों के विवरण मिलते हैं। अल्मोड़ा, कुमाऊं राज्य पर शासन करने वाले चंदवंशीय राजाओं की राजधानी थी। स्वतंत्रता की लड़ाई में तथा शिक्षा, कला एवं संस्कृति के उत्थान में अल्मोड़ा का विशेष हाथ रहा है। .

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अल्मोड़ा जिला

अल्मोड़ा भारत के उत्तराखण्ड नामक राज्य में कुमांऊँ मण्डल के अन्तर्गत एक जिला है। इस जिले का मुख्यालय भी अल्मोड़ा में ही है। अल्मोड़ा अपनी सांस्कृतिक विरासत, हस्तकला, खानपान और ठेठ पहाड़ी सभ्यता व संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। .

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अस्कोट

अस्कोट, पिथौरागढ़ जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

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उत्तरकाशी

उत्तरकाशी ऋषिकेश से 155 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक शहर है, जो उत्तरकाशी जिले का मुख्यालय है। यह शहर भागीरथी नदी के तट पर बसा हुआ है। उत्तरकाशी धार्मिक दृष्‍िट से भी महत्‍वपूर्ण शहर है। यहां भगवान विश्‍वनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। यह शहर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहां एक तरफ जहां पहाड़ों के बीच बहती नदियां दिखती हैं वहीं दूसरी तरफ पहाड़ों पर घने जंगल भी दिखते हैं। यहां आप पहाड़ों पर चढ़ाई का लुफ्त भी उठा सकते हैं। .

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उत्तरकाशी जिला

उत्तरकाशी या उत्तर काशी भारत के उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल का एक जिला है। इस जिले का मुख्यालय उत्तरकाशी कस्बा है। उत्तरकाशी जिला हिमालय रेंज की ऊँचाई पर बसा हुआ है और इस जिले में गंगा और यमुना दोनों नदियों का उद्गम है, जहाँ पर हज़ारों हिन्दू तीर्थयात्री प्रति वर्ष पधारते हैं। उत्तरकाशी कस्बा, गंगोत्री जाने के मुख्य मार्ग में पड़ता है, जहाँ पर बहुत से मंदिर हैं और यह एक प्रमुख हिन्दू तीर्थयात्रा केन्द्र माना जाता है। जिले के उत्तर और उत्तरपश्चिम में हिमाचल प्रदेश राज्य, उत्तरपूर्व में तिब्बत, पूर्व में, दक्षिणपूर्व में रूद्रप्रयाग जिला, दक्षिण में टिहरी गढ़वाल जिला और दक्षिणपश्चिम में देहरादून जिला पड़ते हैं। .

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उधम सिंह नगर जिला

उधमसिंहनगर भारतीय राज्य उत्तरांचल का एक जिला है। जिले का मुख्यालय रुद्रपुर है। उधमसिंह नगर पहले नैनीताल जिले में था। लेकिन अक्टूबर 1995 में इसे अलग जिला बना दिया गया। इस जिले का नाम स्वर्गीय उधम सिंह के नाम पर रखा गया है। उधम सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे। जलियांवाला बाग हत्याकांड होने के पश्चात् इन्होंने ही जनरल डायर की हत्या की थी। .

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ऋषिकेश

ऋषिकेश (संस्कृत: हृषीकेश) उत्तराखण्ड के देहरादून जिले का एक नगर, हिन्दू तीर्थस्थल, नगरपालिका तथा तहसील है। यह गढ़वाल हिमालय का प्रवेश्द्वार एवं योग की वैश्विक राजधानी है। ऋषिकेश, हरिद्वार से २५ किमी उत्तर में तथा देहरादून से ४३ किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है। हिमालय का प्रवेश द्वार, ऋषिकेश जहाँ पहुँचकर गंगा पर्वतमालाओं को पीछे छोड़ समतल धरातल की तरफ आगे बढ़ जाती है। ऋषिकेश का शांत वातावरण कई विख्यात आश्रमों का घर है। उत्तराखण्ड में समुद्र तल से 1360 फीट की ऊंचाई पर स्थित ऋषिकेश भारत के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में एक है। हिमालय की निचली पहाड़ियों और प्राकृतिक सुन्दरता से घिरे इस धार्मिक स्थान से बहती गंगा नदी इसे अतुल्य बनाती है। ऋषिकेश को केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री का प्रवेशद्वार माना जाता है। कहा जाता है कि इस स्थान पर ध्यान लगाने से मोक्ष प्राप्त होता है। हर साल यहाँ के आश्रमों के बड़ी संख्या में तीर्थयात्री ध्यान लगाने और मन की शान्ति के लिए आते हैं। विदेशी पर्यटक भी यहाँ आध्यात्मिक सुख की चाह में नियमित रूप से आते रहते हैं। .

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