लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

उत्तराखण्ड के नगरों की सूची

सूची उत्तराखण्ड के नगरों की सूची

उत्तराखण्ड के नगर नामक इस सूची में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के सभी नगरों की ज़िलेवार सूची दी गई है, जो वर्णमालानुसार क्रमित है। .

131 संबंधों: चम्पावत, चम्पावत तहसील, चम्पावत जिला, चमोली जिला, चमोली-गोपेश्वर, चकराता, चौखुटिया, चौखुटिया तहसील, टनकपुर, टिहरी गढ़वाल जिला, एफ़आरआई और कॉलेज एरिया, डीडीहाट, डीडीहाट तहसील, दमुवाढूंगा बन्‍दोबस्‍ती, हल्द्वानी तहसील, दिनेशपुर, दुगड्डा-सीला-१, यमकेश्वर तहसील, द्वाराहाट, द्वाराहाट तहसील, देहरादून, देहरादून जिला, देवप्रयाग, धारचूला, धारचूला तहसील, नाग्ला, नई टिहरी, नगाँव, नंदप्रयाग, नैनीताल, नैनीताल तहसील, नैनीताल जिला, पिथौरागढ़, पिथौरागढ़ तहसील, पिथौरागढ़ जिला, पौड़ी, पौड़ी गढ़वाल जिला, पोखरी, बड़कोट (उत्तराखंड), बद्रीनाथ मन्दिर, बनबसा, बान्दिया, बाजपुर, बाजपुर तहसील, बागेश्वर, बागेश्वर तहसील, बागेश्वर जिला, बेरीनाग, बेरीनाग तहसील, भारत, भिकियासैंण, भिक्यासैंण तहसील, ..., भवाली, भगवानपुर, भीमताल (बहुविकल्पी), मसूरी, महुआ डाबरा हरिपुरा, महुआ खेरागंज, मुनि की रेती, मुखानी जोगा, हल्द्वानी तहसील, मैंगलुरु, रानीखेत, रानीखेत तहसील, रामनगर तहसील, रामनगर, उत्तराखण्ड, रुड़की, रुड़की तहसील, रुद्रपुर, रुद्रप्रयाग, रुद्रप्रयाग जिला, लण्ढोर, लालकुआँ, लालकुआँ तहसील, लक्सर, लक्सर तहसील, लैंसडाउन, लैंसडाउन तहसील, लोहाघाट, लोहाघाट तहसील, शिवालिक नगर, शक्तिगढ़, श्री पूर्णागिरी तहसील, श्रीनगर, उत्तराखण्ड, सितारगंज, सितारगंज तहसील, हरिद्वार, हरिद्वार तहसील, हरिद्वार जिला, हल्द्वानी, हल्द्वानी तहसील, हल्‍द्वानी तल्‍ली, हल्द्वानी तहसील, जसपुर, जसपुर तहसील, जोशीमठ, विकासनगर, खटीमा, खटीमा तहसील, गढ़वाल मण्डल, गदरपुर, गदरपुर तहसील, गंगोत्री, गंगोलीहाट, गंगोलीहाट तहसील, गैरसैंण, गोचर, कच्नाल गोसांई, कपकोट, कपकोट तहसील, कर्णप्रयाग, कालाढूंगी, काशीपुर तहसील, काशीपुर, उत्तराखण्ड, किच्छा, किच्छा तहसील, कुमाऊँ मण्डल, केदारनाथ कस्बा, केला खेरा, कोटद्वार, कोटद्वार तहसील, कीर्ति नगर, अल्मोड़ा, अल्मोड़ा तहसील, अल्मोड़ा जिला, अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड, उत्तराखण्ड के नगर निगमों की सूची, उत्तराखण्ड के मण्डल, उत्तराखण्ड के जिले, उत्तरकाशी, उत्तरकाशी जिला, उधम सिंह नगर जिला, उखीमठ, ऋषिकेश सूचकांक विस्तार (81 अधिक) »

चम्पावत

चम्पावत भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चम्पावत जिले का मुख्यालय है। पहाड़ों और मैदानों के बीच से होकर बहती नदियाँ अद्भुत छटा बिखेरती हैं। चंपावत में पर्यटकों को वह सब कुछ मिलता है जो वह एक पर्वतीय स्थान से चाहते हैं। वन्यजीवों से लेकर हरे-भरे मैदानों तक और ट्रैकिंग की सुविधा, सभी कुछ यहाँ पर है। यह कस्बा समुद्र तल से १६१५ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। चम्पावत कई वर्षों तक कुमाऊँ के शासकों की राजधानी रहा है। चन्द शासकों के किले के अवशेष आज भी चम्पावत में देखे जा सकते हैं। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और चम्पावत · और देखें »

चम्पावत तहसील

चम्पावत तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में चम्पावत जनपद की एक तहसील है। चम्पावत जनपद के मध्य भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय चम्पावत नगर में स्थित हैं। इस तहसील का गठन १९वीं शताब्दी की शुरुआत में ब्रिटिश सरकार द्वारा किया गया था, और तब यह अल्मोड़ा जनपद की दो तहसीलों में से एक हुआ करती थी। इसके पूर्व में नेपाल, पश्चिम में पाटी तहसील, उत्तर में लोहाघाट तहसील तथा दक्षिण में श्री पूर्णागिरी तहसील है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और चम्पावत तहसील · और देखें »

चम्पावत जिला

चम्पावत भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है। इसका मुख्यालय चंपावत में है। उत्तराखंड का ऐतिहासिक चंपावत जिला अपने आकर्षक मंदिरों और खूबसूरत वास्तुशिल्प के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। पहाड़ों और मैदानों के बीच से होकर बहती नदियां अद्भुत छटा बिखेरती हैं। चंपावत में पर्यटकों को वह सब कुछ मिलता है जो वह एक पर्वतीय स्थान से चाहते हैं। वन्यजीवों से लेकर हरे-भरे मैदानों तक और ट्रैकिंग की सुविधा, सभी कुछ यहां पर है। समुद्र तल से 1615 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। चंपावत कई सालों तक कुंमाऊं के शासकों की राजधानी रहा है। चन्द शासकों के किले के अवशेष आज भी चंपावत में देखे जा सकते हैं। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और चम्पावत जिला · और देखें »

चमोली जिला

चमोली भारतीय राज्य उत्तरांचल का एक जिला है। बर्फ से ढके पर्वतों के बीच स्थित यह जगह काफी खूबसूरत है। चमोली अलकनंदा नदी के समीप बद्रीनाथ मार्ग पर स्थित है। यह उत्तराचंल राज्य का एक जिला है। यह प्रमुख धार्मिल स्थानों में से एक है। काफी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। चमोली की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। पूरे चमोली जिले में कई ऐसे मंदिर है जो हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। चमोली में ऐसे कई बड़े और छोटे मंदिर है तथा ऐसे कई स्थान है जो रहने की सुविधा प्रदान करते हैं। इस जगह को चाती कहा जाता है। चाती एक प्रकार की झोपड़ी है जो अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। चमोली मध्य हिमालय के बीच में स्थित है। अलकनंदा नदी यहाँ की प्रसिद्ध नदी है जो तिब्बत की जासकर श्रेणी से निकलती है। चमोली का क्षेत्रफल 3,525 वर्ग मील है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और चमोली जिला · और देखें »

चमोली-गोपेश्वर

चमोली गोपेश्वर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल का एक प्रमुख नगर है। यह चमोली जनपद का मुख्यालय है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और चमोली-गोपेश्वर · और देखें »

चकराता

उत्तराखंड में स्थित चकराता अपने शांत वातावरण और प्रदूषण मुक्त पर्यावरण के लिए जाना जाता है। समुद्र तल से 7000 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह नगर देहरादून 98 किलोमीटर दूर है। चकराता प्रकृति प्रेमियों और ट्रैकिंग में रुचि लेने वालों के लिए एकदम उपयुक्त स्थान है। यहाँ के सदाबहार शंकुवनों में दूर तक पैदल चलने का अपना ही मजा है। चकराता में दूर-दूर फैले घने जंगलों में जौनसारी जनजाति के आकर्षक गांव हैं। यह नगर उत्तर पश्चिम उत्तराखंड के जौनसर बावर क्षेत्र के अंतर्गत आता है। चकराता का स्थापना कर्नल ह्यूम और उनके सहयोगी अधिकारियों ने की थी। उनका सम्बंध ब्रिटिश सेना के 55 रेजिमेंट से था। यहां के वातावरण को देखते हुए अंग्रेजों ने इस स्थान को समर आर्मी बेस के रूप में इस्तेमाल किया। वर्तमान में यहां सेना के जवानों को कमांडों की ट्रैनिंग दी जाती है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और चकराता · और देखें »

चौखुटिया

चौखुटिया, अल्मोड़ा जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और चौखुटिया · और देखें »

चौखुटिया तहसील

चौखुटिया तहसील भारत के उत्तराखण्ड राज्य में अल्मोड़ा जनपद की एक तहसील है। अल्मोड़ा जनपद के मध्य भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय चौखुटिया नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में सोमेश्वर तथा बागेश्वर जनपद की गरुड़ तहसील, पश्चिम में भिक्यासैंण तहसील, उत्तर में चमोली जनपद की थराली तहसील, तथा दक्षिण में द्वाराहाट है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और चौखुटिया तहसील · और देखें »

टनकपुर

टनकपुर भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख नगर है। चम्पावत जनपद के दक्षिणी भाग में स्थित टनकपुर नेपाल की सीमा पर बसा हुआ है। टनकपुर, हिमालय पर्वत की तलहटी में फैले भाभर क्षेत्र में स्थित है। शारदा नदी टनकपुर से होकर बहती है। इस नगर का निर्माण १८९८ में नेपाल की ब्रह्मदेव मंडी के विकल्प के रूप में किया गया था, जो शारदा नदी की बाढ़ में बह गई थी। कुछ समय तक यह चम्पावत तहसील के उप-प्रभागीय मजिस्ट्रेट का शीतकालीन कार्यालय भी रहा। १९०१ में इसकी जनसंख्या ६९२ थी। सुनियोजित ढंग से निर्मित बाजार, चौड़ी खुली सड़कें, फैले हुए फुटपाथ, खुली हवादार कालोनियां इस नगर की विशेषताएं हैं। पूर्णागिरि मन्दिर के मुख्य द्वार के रूप में शारदा नदी के तट पर बसा हुआ यह नगर पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के आकर्षण का केन्द्र है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और टनकपुर · और देखें »

टिहरी गढ़वाल जिला

टिहरी गढ़वाल भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक जिला है। पर्वतों के बीच स्थित यह स्थान बहुत सौन्दर्य युक्त है। प्रति वर्ष बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पर घूमने के लिए आते हैं। यह स्थान धार्मिक स्थल के रूप में भी काफी प्रसिद्ध है। यहां आप चम्बा, बुदा केदार मंदिर, कैम्पटी फॉल, देवप्रयाग आदि स्थानों में घूम सकते हैं। यहां की प्राकृतिक खूबसूरती काफी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और टिहरी गढ़वाल जिला · और देखें »

एफ़आरआई और कॉलेज एरिया

एफ़आरआई और कॉलेज एरिया एफ़आरआई का आवासीय क्षेत्र है, जो उत्तराखण्ड के देहरादून जिले में स्थित है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और एफ़आरआई और कॉलेज एरिया · और देखें »

डीडीहाट

डीडीहाट उत्तराखण्ड राज्य के पिथौरागढ़ जनपद में स्थित एक नगर है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है, और डीडीहाट तहसील का मुख्यालय है। २०११ की जनगणना के अनुसार डीडीहाट की जनसंख्या ६,५२२ है, और यह उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून से ५२० किमी (३२० मील) की दूरी पर स्थित है। डीडीहाट नाम दो कुमाउँनी शब्दों, 'डांडी' और 'हाट' से जुड़कर बना है, जिनका अर्थ क्रमशः 'छोटी पहाड़ी' और 'बाजार' होता है। डीडीहाट 'कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रा' के मार्ग पर पड़ता है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और डीडीहाट · और देखें »

डीडीहाट तहसील

डीडीहाट तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में पिथौरागढ़ जनपद में एक तहसील है। पिथौरागढ़ जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय डीडीहाट नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में धारचूला तहसील, पश्चिम में बेरीनाग तहसील, उत्तर में मुनस्यारी तहसील तथा दक्षिण में पिथौरागढ़ तहसील है। तहसील के अधिकार क्षेत्र में कुल 363 गाँव आते हैं, और 2011 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या 80411 है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और डीडीहाट तहसील · और देखें »

दमुवाढूंगा बन्‍दोबस्‍ती, हल्द्वानी तहसील

दमुवाढूंगा बन्‍दोबस्‍ती, हल्द्वानी तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के नैनीताल जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और दमुवाढूंगा बन्‍दोबस्‍ती, हल्द्वानी तहसील · और देखें »

दिनेशपुर

दिनेशपुर, उधम सिंह नगर जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और दिनेशपुर · और देखें »

दुगड्डा-सीला-१, यमकेश्वर तहसील

दुगड्डा-सीला-१, यमकेश्वर तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के पौड़ी जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और दुगड्डा-सीला-१, यमकेश्वर तहसील · और देखें »

द्वाराहाट

द्वाराहाट उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा ज़िले का एक कस्बा है जो रानीखेत से लगभग 21 किलोमीटर दूर स्थित है। द्वाराहाट में तीन वर्ग के मन्दिर हैं—कचहरी, मनिया तथा रत्नदेव। इसके अतिरिक्त बहुत से मन्दिर प्रतिमाविहीन हैं। द्वाराहाट में गूजरदेव का मन्दिर सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और द्वाराहाट · और देखें »

द्वाराहाट तहसील

द्वाराहाट तहसील भारत के उत्तराखण्ड राज्य में अल्मोड़ा जनपद की एक तहसील है। अल्मोड़ा जनपद के मध्य भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय द्वाराहाट नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में सोमेश्वर तथा अल्मोड़ा तहसील, पश्चिम में भिक्यासैंण तहसील, उत्तर में चौखुटिया तहसील, तथा दक्षिण में रानीखेत तहसील है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और द्वाराहाट तहसील · और देखें »

देहरादून

यह लेख देहरादून नगर पर है। विस्तार हेतु देखें देहरादून जिला। देहरादून (Dehradun), देहरादून जिले का मुख्यालय है जो भारत की राजधानी दिल्ली से २३० किलोमीटर दूर दून घाटी में बसा हुआ है। ९ नवंबर, २००० को उत्तर प्रदेश राज्य को विभाजित कर जब उत्तराखण्ड राज्य का गठन किया गया था, उस समय इसे उत्तराखण्ड (तब उत्तरांचल) की अंतरिम राजधानी बनाया गया। देहरादून नगर पर्यटन, शिक्षा, स्थापत्य, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। इसका विस्तृत पौराणिक इतिहास है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और देहरादून · और देखें »

देहरादून जिला

यह लेख देहरादून जिले के विषय में है। नगर हेतु देखें देहरादून। देहरादून, भारत के उत्तराखंड राज्य की राजधानी है इसका मुख्यालय देहरादून नगर में है। इस जिले में ६ तहसीलें, ६ सामुदायिक विकास खंड, १७ शहर और ७६४ आबाद गाँव हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ १८ गाँव ऐसे भी हैं जहाँ कोई नहीं रहता। देश की राजधानी से २३० किलोमीटर दूर स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह नगर अनेक प्रसिद्ध शिक्षा संस्थानों के कारण भी जाना जाता है। यहाँ तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग, सर्वे ऑफ इंडिया, भारतीय पेट्रोलियम संस्थान आदि जैसे कई राष्ट्रीय संस्थान स्थित हैं। देहरादून में वन अनुसंधान संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय मिलिटरी कालेज और इंडियन मिलिटरी एकेडमी जैसे कई शिक्षण संस्थान हैं। यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। अपनी सुंदर दृश्यवाली के कारण देहरादून पर्यटकों, तीर्थयात्रियों और विभिन्न क्षेत्र के उत्साही व्यक्तियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। विशिष्ट बासमती चावल, चाय और लीची के बाग इसकी प्रसिद्धि को और बढ़ाते हैं तथा शहर को सुंदरता प्रदान करते हैं। देहरादून दो शब्दों देहरा और दून से मिलकर बना है। इसमें देहरा शब्द को डेरा का अपभ्रंश माना गया है। जब सिख गुरु हर राय के पुत्र रामराय इस क्षेत्र में आए तो अपने तथा अनुयायियों के रहने के लिए उन्होंने यहाँ अपना डेरा स्थापित किया। www.sikhiwiki.org.

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और देहरादून जिला · और देखें »

देवप्रयाग

देवप्रयाग भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित एक नगर एवं प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। यह अलकनंदा तथा भागीरथी नदियों के संगम पर स्थित है। इसी संगम स्थल के बाद इस नदी को पहली बार 'गंगा' के नाम से जाना जाता है। यहाँ श्री रघुनाथ जी का मंदिर है, जहाँ हिंदू तीर्थयात्री भारत के कोने कोने से आते हैं। देवप्रयाग अलकनंदा और भागीरथी नदियों के संगम पर बसा है। यहीं से दोनों नदियों की सम्मिलित धारा 'गंगा' कहलाती है। यह टेहरी से १८ मील दक्षिण-दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित है। प्राचीन हिंदू मंदिर के कारण इस तीर्थस्थान का विशेष महत्व है। संगम पर होने के कारण तीर्थराज प्रयाग की भाँति ही इसका भी नामकरण हुआ है। देवप्रयाग समुद्र सतह से १५०० फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है और निकटवर्ती शहर ऋषिकेश से सड़क मार्ग द्वारा ७० किमी० पर है। यह स्थान उत्तराखण्ड राज्य के '''पंच प्रयागों''' में से एक माना जाता है। इसके अलावा इसके बारे में कहा जाता है कि जब राजा भगीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर उतरने को राजी कर लिया तो ३३ करोड़ देवी-देवता भी गंगा के साथ स्वर्ग से उतरे। तब उन्होंने अपना आवास देवप्रयाग में बनाया जो गंगा की जन्म भूमि है। भागीरथी और अलकनंदा के संगम के बाद यही से पवित्र नदी गंगा का उद्भव हुआ है। यहीं पहली बार यह नदी गंगा के नाम से जानी जाती है। गढ़वाल क्षेत्र में मान्यतानुसार भगीरथी नदी को सास तथा अलकनंदा नदी को बहू कहा जाता है। यहां के मुख्य आकर्षण में संगम के अलावा एक शिव मंदिर तथा रघुनाथ मंदिर हैं जिनमें रघुनाथ मंदिर द्रविड शैली से निर्मित है। देवप्रयाग प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण है। यहां का सौन्दर्य अद्वितीय है। निकटवर्ती डंडा नागराज मंदिर और चंद्रवदनी मंदिर भी दर्शनीय हैं। देवप्रयाग को 'सुदर्शन क्षेत्र' भी कहा जाता है। यहां कौवे दिखायी नहीं देते, जो की एक आश्चर्य की बात है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और देवप्रयाग · और देखें »

धारचूला

धारचूला, पिथौरागढ़ जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और धारचूला · और देखें »

धारचूला तहसील

धारचूला तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में पिथौरागढ़ जनपद में एक तहसील है। पिथौरागढ़ जनपद के पूर्वी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय धारचूला नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में नेपाल, पश्चिम में मुनस्यारी तहसील, उत्तर में चीन तथा दक्षिण में डीडीहाट तहसील है। तहसील के अधिकार क्षेत्र में कुल 71 गाँव आते हैं, और 2011 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या 65,689 है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और धारचूला तहसील · और देखें »

नाग्ला

नाग्ला, उधम सिंह नगर जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और नाग्ला · और देखें »

नई टिहरी

नई टिहरी (न्यू टिहरी) टिहरी जिले का मुख्यालय है। पर्वतों के बीच स्थित यह जगह काफी खूबसूरत है। हर वर्ष काफी संख्या में पर्यटक यहां पर घूमने के लिए आते हैं। यह स्थान धार्मिक स्थल के रूप में भी काफी प्रसिद्ध है। यहां आप चम्बा, बूढा केदार मंदिर, कैम्पटी फॉल, देवप्रयाग आदि स्थानों में घूम सकते हैं। यहां की प्राकृतिक खूबसूरती काफी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर खिंचती है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और नई टिहरी · और देखें »

नगाँव

कोलोंग नदी का दृष्य नगाँव भारत के असम प्रान्त के नगांव जिले का एक नगर है। यह गौहाटी से १२० किमी पूरब में कलंग नदी के तट पर स्थित है। यह असम का ५वाँ सबसे बड़ा नगर है। पहले इसका नाम 'नौगाँव' था। नगांव कृषि व्यापार केंद्र है और यहाँ गुवाहाटी विश्वविद्यालय से संबद्ध कई होमोयोपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय स्थित हैं। नगांव से पांच किमी दक्षिण-पश्चिम में संचोआ में एक रेल जंक्शन हैं। नगांव के आसपास का क्षेत्र ब्रह्मपुत्र नदी घाटी का एक हिस्सा है और इसमें कई दलदल और झीलें हैं, जिनमें से कई मत्स्यपालन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं। इसके इर्द-गिर्द के जंगल सागौन व साल की इमारती लकड़ियां और लाख उपलब्ध कराते हैं कृषि उत्पादों में चावल, जूट, चाय और रेशम शामिल हैं। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और नगाँव · और देखें »

नंदप्रयाग

यह हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध पर्वतीय तीर्थों में से एक है। मन्दाकिनी तथा अलकनंदा नदियों के संगम पर नन्दप्रयाग स्थित है। यह सागर तल से २८०५ फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां पर गोपाल जी का मंदिर दर्शनीय है। धार्मिक पंच प्रयागों में से दूसरा नंदप्रयाग अलकनंदा नदी पर वह जगह है जहां अलकनंदा एवं नंदाकिनी नदियों का मिलन होता है। ऐतिहासिक रूप से शहर का महत्व इस बात में है कि यह बद्रीनाथ मंदिर जाते तीर्थयात्रियों का पड़ाव स्थान होता है साथ ही यह एक महत्वपूर्ण व्यापारिक स्थल भी है। वर्ष 1803 में आई बाढ़, शहर का सब कुछ बहा ले गयी जिसे एक ऊंची जगह पर पुनर्स्थापित किया गया। नंदप्रयाग का महत्व इस तथ्य से भी है यह स्वाधीनता संग्राम के दौरान ब्रिटिश शासन के विरोध का स्थानीय केंद्र रहा था। यहां के सपूत अनुसूया प्रसाद बहुगुणा का योगदान इसमें तथा कुली बेगार प्रथा की समाप्ति में, सबको हमेशा याद रहेगा। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और नंदप्रयाग · और देखें »

नैनीताल

नैनीताल भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख पर्यटन नगर है। यह नैनीताल जिले का मुख्यालय भी है। कुमाऊँ क्षेत्र में नैनीताल जिले का विशेष महत्व है। देश के प्रमुख क्षेत्रों में नैनीताल की गणना होती है। यह 'छखाता' परगने में आता है। 'छखाता' नाम 'षष्टिखात' से बना है। 'षष्टिखात' का तात्पर्य साठ तालों से है। इस अंचल में पहले साठ मनोरम ताल थे। इसीलिए इस क्षेत्र को 'षष्टिखात' कहा जाता था। आज इस अंचल को 'छखाता' नाम से अधिक जाना जाता है। आज भी नैनीताल जिले में सबसे अधिक ताल हैं। इसे भारत का लेक डिस्ट्रिक्ट कहा जाता है, क्योंकि यह पूरी जगह झीलों से घिरी हुई है। 'नैनी' शब्द का अर्थ है आँखें और 'ताल' का अर्थ है झील। झीलों का शहर नैनीताल उत्तराखंड का प्रसिद्ध पर्यटन स्‍थल है। बर्फ़ से ढ़के पहाड़ों के बीच बसा यह स्‍थान झीलों से घिरा हुआ है। इनमें से सबसे प्रमुख झील नैनी झील है जिसके नाम पर इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा है। इसलिए इसे झीलों का शहर भी कहा जाता है। नैनीताल को जिधर से देखा जाए, यह बेहद ख़ूबसूरत है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और नैनीताल · और देखें »

नैनीताल तहसील

नैनीताल तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में नैनीताल जनपद की एक तहसील है। नैनीताल जनपद के मध्य में स्थित इस तहसील के मुख्यालय नैनीताल नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में धारी तहसील, पश्चिम में रामनगर तथा कालाढूंगी तहसील, उत्तर में बेतालघाट और कोश्याकुटौली तहसील, तथा दक्षिण में लालकुआँ और हल्द्वानी तहसील है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और नैनीताल तहसील · और देखें »

नैनीताल जिला

नैनीताल जिला भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है। जिले का मूख्यालय नैनीताल है। नैनीताल जिला, कुमाऊँ मण्डल में स्थित है और इसके उत्तर में अल्मोड़ा जिला और दक्षिण में उधमसिंहनगर जिला है। हल्द्वानी इस जिले में सबसे बड़ा नगर है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और नैनीताल जिला · और देखें »

पिथौरागढ़

पिथौरागढ़ भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख शहर है। पिथौरागढ़ का पुराना नाम सोरघाटी है। सोर शब्द का अर्थ होता है-- सरोवर। यहाँ पर माना जाता है कि पहले इस घाटी में सात सरोवर थे। दिन-प्रतिदिन सरोवरों का पानी सूखता चला गया और यहाँपर पठारी भूमि का जन्म हुआ। पठारी भूमी होने के कारण इसका नाम पिथौरा गढ़ पड़ा। पर अधिकांश लोगों का मानना है कि यहाँ राय पिथौरा (पृथ्वीराज_चौहान) की राजधानी थी। उन्हीं के नाम से इस जगह का नाम पिथौरागढ़ पड़ा। राय पिथौरा ने नेपाल से कई बार टक्कर ली थी। यही राजा पृथ्वीशाह के नाम से प्रसिद्ध हुआ। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और पिथौरागढ़ · और देखें »

पिथौरागढ़ तहसील

पिथौरागढ़ तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में पिथौरागढ़ जनपद में एक तहसील है। पिथौरागढ़ जनपद के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय पिथौरागढ़ नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में नेपाल, पश्चिम में गंगोलीहाट तहसील, उत्तर में डीडीहाट तहसील तथा दक्षिण में चम्पावत जनपद की लोहाघाट तहसील है। तहसील के अधिकार क्षेत्र में कुल ३२४ गाँव आते हैं, और २०११ की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या १,६६,८०१ है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और पिथौरागढ़ तहसील · और देखें »

पिथौरागढ़ जिला

पिथौरागढ़ भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है। यह क्षेत्र 2,750 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। 2011 के जनसंख्या गणना के अनुसार यहाँ कुल 4,85,993 लोग रहते हैं। जिले का मुख्यालय पिथौरागढ़ है। यहाँ आधिकारिक रूप से और शिक्षा के लिए हिन्दी भाषा का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा यहाँ अधिक संख्या में कुमाऊँनी भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं। 24 फरवरी 1960 को पिथौरागढ़ की 30 पट्टियां और अल्मोड़े की दो पट्टियों को मिलाकर पिथौरागढ़ जिले का गठन किया गया था। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और पिथौरागढ़ जिला · और देखें »

पौड़ी

पौढ़ी गढ़वाल भारतीय राज्य उत्तराखंड का एक शहर है। यह पौढ़ी गढ़वाल जिला का मु़यालय है। पौढ़ी गढ़वाल जिला वृत्ताकार रूप में है। जिसमें हरिद्वार, देहरादून, टिहरी गढ़वाल, रूद्वप्रयाग, चमोली, अल्‍मोड़ा और नैनीताल सम्मिलित है। यहां स्थित हिमालय, नदियां, जंगल और ऊंचे-ऊंचे शिखर यहां की खूबसूरती को अधिक बढ़ाते हैं। पौढ़ी समुद्र तल से लगभग 1814 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बर्फ से ढके हिमालय शिखर पौढ़ी की खूबसूरती को कहीं अधिक बढ़ाते हैं। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और पौड़ी · और देखें »

पौड़ी गढ़वाल जिला

पौड़ी गढ़वाल भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है। जिले का मुख्यालय पौड़ी है। जो कि 5,440 वर्ग किलोमीटर के भौगोलिक दायरे में बसा है यह ज़िला एक गोले के रूप मैं बसा है जिसके उत्तर मैं चमोली, रुद्रप्रयाग और टेहरी गढ़वाल है, दक्षिण मैं उधमसिंह नगर, पूर्व मैं अल्मोरा और नैनीताल और पश्चिम मैं देहरादून और हरिद्वार स्थित है। पौढ़ी हेडक्वार्टर है। हिमालय कि पर्वत श्रृंखलाएं इसकी सुन्दरता मैं चार चाँद लगते हैं और जंगल बड़े-बड़े पहाड़ एवं जंगल पौढी कि सुन्दरता को बहुत ही मनमोहक बनाते हैं। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और पौड़ी गढ़वाल जिला · और देखें »

पोखरी

पोखरी नेपालके पुर्वांचल विकास क्षेत्रके सगरमाथा अंचलके उदयपुर जिलाकी एक गाँव विकास समिति है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और पोखरी · और देखें »

बड़कोट (उत्तराखंड)

बड़कोट उत्तराखंड में स्थित है। इस छोटे-से नगर को यहाँ के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दिसम्बर 2014 में नगर पालिका का दर्जा दिया है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और बड़कोट (उत्तराखंड) · और देखें »

बद्रीनाथ मन्दिर

Badrinath बदरीनाथ मंदिर, जिसे बदरीनारायण मंदिर भी कहते हैं, अलकनंदा नदी के किनारे उत्तराखंड राज्य में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के रूप बदरीनाथ को समर्पित है। यह हिन्दुओं के चार धाम में से एक धाम भी है। ऋषिकेश से यह २९४ किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित है। ये पंच-बदरी में से एक बद्री हैं। उत्तराखंड में पंच बदरी, पंच केदार तथा पंच प्रयाग पौराणिक दृष्टि से तथा हिन्दू धर्म की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और बद्रीनाथ मन्दिर · और देखें »

बनबसा

बनबसा उत्तराखण्ड राज्य के चम्पावत जिले की श्री पूर्णागिरी तहसील में नेपाल सीमा पर स्थित एक जनगणना नगर है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। उत्तराखण्ड के जिले .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और बनबसा · और देखें »

बान्दिया

बान्दिया, उधम सिंह नगर जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और बान्दिया · और देखें »

बाजपुर

बाजपुर, उधम सिंह नगर जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और बाजपुर · और देखें »

बाजपुर तहसील

बाजपुर तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में उधम सिंह नगर जनपद की एक तहसील है। उधम सिंह नगर जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय बाजपुर नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में गदरपुर तहसील, पश्चिम में काशीपुर तहसील, उत्तर में नैनीताल जनपद की कालाढूंगी तहसील, तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य का रामपुर जिला है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और बाजपुर तहसील · और देखें »

बागेश्वर

बागेश्वर उत्तराखण्ड राज्य में सरयू और गोमती नदियों के संगम पर स्थित एक तीर्थ है। यह बागेश्वर जनपद का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। यहाँ बागेश्वर नाथ का प्राचीन मंदिर है, जिसे स्थानीय जनता "बागनाथ" या "बाघनाथ" के नाम से जानती है। मकर संक्रांति के दिन यहाँ उत्तराखण्ड का सबसे बड़ा मेला लगता है। स्वतंत्रता संग्राम में भी बागेश्वर का बड़ा योगदान है। कुली-बेगार प्रथा के रजिस्टरों को सरयू की धारा में बहाकर यहाँ के लोगों ने अपने अंचल में गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन शुरवात सन १९२० ई. में की। सरयू एवं गोमती नदी के संगम पर स्थित बागेश्वर मूलतः एक ठेठ पहाड़ी कस्बा है। परगना दानपुर के 473, खरही के 66, कमस्यार के 166, पुँगराऊ के 87 गाँवों का समेकन केन्द्र होने के कारण यह प्रशासनिक केन्द्र बन गया। मकर संक्रान्ति के दौरान लगभग महीने भर चलने वाले उत्तरायणी मेले की व्यापारिक गतिविधियों, स्थानीय लकड़ी के उत्पाद, चटाइयाँ एवं शौका तथा भोटिया व्यापारियों द्वारा तिब्बती ऊन, सुहागा, खाल तथा अन्यान्य उत्पादों के विनिमय ने इसको एक बड़ी मण्डी के रूप में प्रतिष्ठापित किया। 1950-60 के दशक तक लाल इमली तथा धारीवाल जैसी प्रतिष्ठित वस्त्र कम्पनियों द्वारा बागेश्वर मण्डी से कच्चा ऊन क्रय किया जाता था। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और बागेश्वर · और देखें »

बागेश्वर तहसील

बागेश्वर तहसील भारत के उत्तराखण्ड राज्य में बागेश्वर जनपद की सदर तहसील है। बागेश्वर जनपद के दक्षिणी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय बागेश्वर नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में कांडा और पिथौरागढ़ जनपद की गंगोलीहाट तहसील, पश्चिम में गरुड़ तहसील, उत्तर में कपकोट तहसील, तथा दक्षिण में अल्मोड़ा जनपद की सदर तहसील है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और बागेश्वर तहसील · और देखें »

बागेश्वर जिला

बागेश्वर भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक जिला है, जिसके मुख्यालय बागेश्वर नगर में स्थित हैं। इस जिले के उत्तर तथा पूर्व में पिथौरागढ़ जिला, पश्चिम में चमोली जिला, तथा दक्षिण में अल्मोड़ा जिला है। बागेश्वर जिले की स्थापना १५ सितंबर १९९७ को अल्मोड़ा के उत्तरी क्षेत्रों से की गयी थी। २०११ की जनगणना के अनुसार रुद्रप्रयाग तथा चम्पावत के बाद यह उत्तराखण्ड का तीसरा सबसे कम जनसंख्या वाला जिला है। यह जिला धार्मिक गाथाओं, पर्व आयोजनों और अत्याकर्षक प्राकृतिक दृश्यों के कारण प्रसिद्ध है। प्राचीन प्रमाणों के आधार पर बागेश्वर शब्द को ब्याघ्रेश्वर से विकसित माना गया है। यह शब्द प्राचीन भारतीय साहित्य में अधिक प्रसिद्ध है। बागनाथ मंदिर, कौसानी, बैजनाथ, विजयपुर आदि जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। जिले में ही स्थित पिण्डारी, काफनी, सुन्दरढूंगा इत्यादि हिमनदों से पिण्डर तथा सरयू नदियों का उद्गम होता है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और बागेश्वर जिला · और देखें »

बेरीनाग

बेरीनाग, जिसे बेड़ीनाग या बेणीनाग भी कहा जाता है, भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के पिथौरागढ जिनपद का एक नगर तथा तहसील मख्यालय है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और बेरीनाग · और देखें »

बेरीनाग तहसील

बेरीनाग तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में पिथौरागढ़ जनपद में एक तहसील है। पिथौरागढ़ जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय बेरीनाग नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में डीडीहाट तहसील, पश्चिम में बागेश्वर जनपद की कांडा तहसील, उत्तर में मुनस्यारी तहसील तथा दक्षिण में गंगोलीहाट तहसील है। तहसील के अधिकार क्षेत्र में कुल 283 गाँव आते हैं, और 2011 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या 52069 है। तहसील में कुल १५ पट्टियां हैं: चौकोड़ी, बेरीनाग, चौड़मन्या, गढ़ति, राईआगर, संगौड़, डुंगरी पंत, भुवनेश्वर, कालेटी, कालासीला, खितोली, त्रिपुरादेवी, लोहाथल, उप्राड़ा पाठक और पांखू। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और बेरीनाग तहसील · और देखें »

भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और भारत · और देखें »

भिकियासैंण

भिकियासैंण रामगंगा नदी के किनारे पर उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमांऊँ क्षेत्र के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। यह एक शहर तथा अल्मोड़ा जिले की भिक्यासैंण तहसील का मुख्यालय है, जिसके अन्तर्गत अल्मोड़ा जिले के 376 गॉंव आते हैं। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और भिकियासैंण · और देखें »

भिक्यासैंण तहसील

भिक्यासैंण तहसील भारत के उत्तराखण्ड राज्य में अल्मोड़ा जनपद की एक तहसील है। अल्मोड़ा जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय भिक्यासैंण नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में चौखुटिया, द्वाराहाट तथा रानीखेत तहसील, पश्चिम में सल्ट तहसील, उत्तर में चमोली जनपद की गैरसैंण तहसील, तथा दक्षिण में नैनीताल जनपद की बेतालघाट तहसील है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और भिक्यासैंण तहसील · और देखें »

भवाली

भवाली या भुवाली उत्तराखण्ड राज्य के नैनीताल जनपद में स्थित एक नगर है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। शान्त वातावरण और खुली जगह होने के कारण 'भवाली' कुमाऊँ की एक शानदार नगरी है। यहाँ पर फलों की एक मण्डी है। यह एक ऐसा केन्द्र - बिन्दु है जहाँ से काठगोदाम हल्द्वानी और नैनीताल, अल्मोड़ा - रानीखेत भीमताल - सातताल और रामगढ़ - मुक्तेश्वर आदि स्थानों को अलग - अलग मोटर मार्ग जाते हैं। भवाली नगर अपने प्राचीन टीबी सैनिटोरियम के लिए विख्यात है, जिसकी स्थापना १९१२ में हुई थी। चीड़ के पेड़ों की हवा टी.

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और भवाली · और देखें »

भगवानपुर

भगवानपुर फ़र्रूख़ाबाद जिले का एक गाँव। श्रेणी:फर्रुखाबाद जिला के गाँव श्रेणी:उत्तर प्रदेश.

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और भगवानपुर · और देखें »

भीमताल (बहुविकल्पी)

भीमताल उत्तराखण्ड राज्य के नैनीताल जनपद में स्थित एक प्रसिद्ध झील है, जिसके इर्द-गिर्द बसे नगर को भी इसी नाम से जाना जाता है। इससे संबंधित पृष्ठ निम्न हैं.

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और भीमताल (बहुविकल्पी) · और देखें »

मसूरी

मसूरी भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक पर्वतीय नगर है, जिसे पर्वतों की रानी भी कहा जाता है। देहरादून से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, मसूरी उन स्थानों में से एक है जहाॅं लोग बार-बार आते जाते हैं। घूमने-फिरने के लिए जाने वाली प्रमुख जगहों में यह एक है। यह पर्वतीय पर्यटन स्थल हिमालय पर्वतमाला के शिवालिक श्रेणी में पड़ता है, जिसे पर्वतों की रानी भी कहा जाता है। निकटवर्ती लैंढ़ौर कस्बा भी बार्लोगंज और झाड़ीपानी सहित वृहत या ग्रेटर मसूरी में आता है। इसकी औसत ऊंचाई समुद्र तल से 2005 मी.

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और मसूरी · और देखें »

महुआ डाबरा हरिपुरा

महुआ डाबरा हरिपुरा, उधम सिंह नगर जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और महुआ डाबरा हरिपुरा · और देखें »

महुआ खेरागंज

महुआ खेरागंज, उधम सिंह नगर जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और महुआ खेरागंज · और देखें »

मुनि की रेती

मुनि की रेती - पवित्र चार धाम तीर्थयात्रा का एक समय में प्रवेश द्वार - आज गलतीवश ऋषिकेश का एक भाग समझा जाता है। लेकिन पवित्र गंगा के किनारे तथा हिमालय की तलहटी में अवस्थित इस छोटे से शहर की एक खास पहचान है। मुनि की रेती भारत के योग, आध्यात्म तथा दर्शन को जानने के उत्सुक लोगों का केन्द्र है, यहां कई आश्रम हैं जहां स्थानीय आबादी के 80 प्रतिशत लोगों को रोजगार मिलता है और यह जानकर आश्चर्य नहीं होगा कि यह विश्व का योग केन्द्र है। अनुभवों के खुशनुमा माहौल में प्राचीन मंदिरों, पवित्र पौराणिक घटना के कारण जाने वाली स्थानों, तथा एक सचमुच आध्यात्मिक स्वातंत्र्य का एक ठोस वास्तविक अहसास - और वो भी आरामदायक आधुनिक होटलों, रेस्टोरेन्ट तथा भीड़भाड़ वाले बाजारों में - उपलब्ध है। यहां इजराइली तथा इटालियन व्यंजनों के साथ शुद्ध शाकाहारी भोजन मिलता है, भजन-कीर्तन एंव आरती के साथ टेकनो संगीत, एक ओर पर्यटक गंगा में राफ्टिंग करते हैं और दुसरी और भक्त इसमें स्नान करते हैं; इनमें से जो भी आप ढुंढ रहे हैं, मुनि की रेती में ही आपको मिल जायेगा। मुनि की रेती में इतिहास, पौराणिक परम्परा तथा आधुनिकता का एक जादुई मिश्रण है। जबकि यहां के लोग तथा सभ्यता रामायण तथा इससे भी पहले के युग से जुड़े हैं, यह शहर वर्तमान तथा भविष्य का एक बड़ा हिस्सा है। गंगा नदी के किनारे स्थित इस शहर का पर्यावरण प्रेरणा तथा शांत दोनों प्रदान करता है। मुनि की रेती के स्थानीय आकर्षणों में अनेकानेक प्राचीन मंदिर, आश्रम, परंपरागत स्थल शामिल हैं तथा भारत के वास्तविक रूप का आनंद उठाने का तीव्र मिश्रण है। शहर के आस-पास सैर-सपाटा आपको प्रसन्नता तथा शांति दोनो प्रदान करेगा। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और मुनि की रेती · और देखें »

मुखानी जोगा, हल्द्वानी तहसील

मुखानी जोगा, हल्द्वानी तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के नैनीताल जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और मुखानी जोगा, हल्द्वानी तहसील · और देखें »

मैंगलुरु

मैंगलुरु (तुळु: कुड्ला; कोंकणी: कोडयाल; ब्यारि: मायकला; कन्नड: ಮಂಗಳೂರು / मंगलुरु) भारत के कर्नाटक प्रान्त का एक शहर है। यह शहर देश के पश्चिमी भाग में आता है। इस शहर के पूर्व में पश्चिमी घाट और पशिचम में अरब सागर है। मैंगलूर दक्षिण कन्नड जिले का मुख्यालय है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और मैंगलुरु · और देखें »

रानीखेत

रानीखेत भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख पहाड़ी पर्यटन स्थल है। यह राज्य के अल्मोड़ा जनपद के अंतर्गत स्थित एक फौजी छावनी है। देवदार और बलूत के वृक्षों से घिरा रानीखेत बहुत ही रमणीक हिल स्टेशन है। इस स्थान से हिमाच्छादित मध्य हिमालयी श्रेणियाँ स्पष्ट देखी जा सकती हैं। रानीखेत से सुविधापूर्वक भ्रमण के लिए पिण्डारी ग्लेशियर, कौसानी, चौबटिया और कालिका पहुँचा जा सकता है। चौबटिया में प्रदेश सरकार के फलों के उद्यान हैं। इस पर्वतीय नगरी का मुख्य आकर्षण यहाँ विराजती नैसर्गिक शान्ति है। रानीखेत में फ़ौजी छावनी भी है और गोल्फ़ प्रेमियों के लिए एक सुन्दर पार्क भी है। १८६९ में ब्रिटिश सरकार ने कुमाऊं रेजिमेंट के मुख्यालय की स्थापना रानीखेत में की, और भारतीय गर्मियों से बचने के लिए हिल स्टेशन के रूप में इस नगर का प्रयोग किया जाने लगा। ब्रिटिश राज के दौरान एक समय में, यह शिमला के स्थान पर भारत सरकार के ग्रीष्मकालीन मुख्यालय के रूप में भी प्रस्तावित किया गया था। १९०० में इसकी गर्मियों की ७,७०५ जनसंख्या थी, और उसी साल की सर्दियों की जनसंख्या १९०१ में ३,१५३ मापी गई थी। स्वच्छ सर्वेक्षण २०१८ के अनुसार रानीखेत दिल्ली और अल्मोड़ा छावनियों के बाद भारत की तीसरी सबसे स्वच्छ छावनी है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और रानीखेत · और देखें »

रानीखेत तहसील

रानीखेत तहसील भारत के उत्तराखण्ड राज्य में अल्मोड़ा जनपद की एक तहसील है। अल्मोड़ा जनपद के मध्य भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय रानीखेत छावनी में स्थित हैं। इसके पूर्व में अल्मोड़ा तहसील, पश्चिम में भिक्यासैंण तहसील, उत्तर में द्वाराहाट तहसील, तथा दक्षिण में नैनीताल जनपद की कोश्याकुटौली तहसील है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और रानीखेत तहसील · और देखें »

रामनगर तहसील

रामनगर तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में नैनीताल जनपद की एक तहसील है। नैनीताल जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय रामनगर नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में कालाढूंगी तहसील, पश्चिम में उत्तर प्रदेश राज्य का बिजनौर जिला, और गढ़वाल जनपद की कोटद्वार तहसील, उत्तर में नैनीताल और अल्मोड़ा जनपद की सल्ट तहसील, तथा दक्षिण में उधम सिंह नगर जनपद की जसपुर, और काशीपुर तहसील है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और रामनगर तहसील · और देखें »

रामनगर, उत्तराखण्ड

रामनगर, उत्तराखण्ड, भारत के नैनीताल ज़िले में स्थित एक कस्बा और नगर निगम बोर्ड है। यह जिला मुख्यालय नैनीताल से ६५ किमी और देश की राजधानी दिल्ली से लगभग २६० किमी की दूरी पर स्थित है। रामनगर, जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के लिए प्रसिद्ध है। यह कस्बा इस राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेशद्वार है। आसपास के अन्य प्रसिद्ध स्थल हैं गर्जिया देवी मन्दिर और सीता बनी मन्दिर। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और रामनगर, उत्तराखण्ड · और देखें »

रुड़की

रुड़की, भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित एक नगर और नगरपालिका परिषद है। इसे रुड़की छावनी के नाम से भी जाना जाता है और यह देश की सबसे पुरानी छावनियों में से एक है और १८५३ से बंगाल अभियांत्रिकी समूह (बंगाल सैप्पर्स) का मुख्यालय है। यह नगर गंग नहर के तट पर राष्ट्रीय राजमार्ग ५८ पर देहरादून और दिल्ली के मध्य स्थित है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और रुड़की · और देखें »

रुड़की तहसील

रुड़की तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में हरिद्वार जनपद की एक तहसील है। हरिद्वार जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय रुड़की नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में लक्सर और हरिद्वार तहसील, पश्चिम और दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य का सहारनपुर जिला, तथा उत्तर में देहरादून जनपद की देहरादून तहसील है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और रुड़की तहसील · और देखें »

रुद्रपुर

रुद्रपुर भारत के उत्तराखण्ड राज्य में उधम सिंह नगर जनपद का एक नगर है। जनसंख्या के आधार पर यह कुमाऊँ का दूसरा, जबकि उत्तराखण्ड का पांचवां सबसे बड़ा नगर है। इस नगर की स्थापना कुमाऊँ के राजा रुद्र चन्द ने सोलहवीं शताब्दी में की थी, और तब यह तराई क्षेत्र के लाट (अधिकारी) का निवास स्थल हुआ करता था। यह दिल्ली तथा देहरादून से २५० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रुद्रपुर उत्तराखण्ड का एक प्रमुख औद्योगिक और शैक्षणिक केंद्र होने के साथ साथ उधम सिंह नगर जनपद का मुख्यालय भी है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और रुद्रपुर · और देखें »

रुद्रप्रयाग

रुद्रप्रयाग की एक पेंटिंग रुद्रप्रयाग भारत के उत्तरांचल राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में एक शहर तथा नगर पंचायत है। रुद्रप्रयाग अलकनंदा तथा मंदाकिनी नदियों का संगमस्थल है। यहाँ से अलकनंदा देवप्रयाग में जाकर भागीरथी से मिलती है तथा गंगा नदी का निर्माण करती है। प्रसिद्ध धर्मस्थल केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग से ८६ किलोमीटर दूर है। भगवान शिव के नाम पर रूद्रप्रयाग का नाम रखा गया है। रूद्रप्रयाग अलकनंदा और मंदाकिनी नदी पर स्थित है। रूद्रप्रयाग श्रीनगर (गढ़वाल) से 34 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदाकिनी और अलखनंदा नदियों का संगम अपने आप में एक अनोखी खूबसूरती है। इन्‍हें देखकर ऐसा लगता है मानो दो बहनें आपस में एक दूसरे को गले लगा रहीं हो। ऐसा माना जाता है कि यहां संगीत उस्‍ताद नारद मुनि ने भगवान शिव की उपासना की थी और नारद जी को आर्शीवाद देने के लिए ही भगवान शिव ने रौद्र रूप में अवतार लिया था। यहां स्थित शिव और जगदम्‍बा मंदिर प्रमुख धार्मिक स्‍थानों में से है। रुद्रप्रयाग नगर पंचायत का गठन वर्ष २००२ में किया गया था, और २००६ में इसे नगरपालिका का दर्जा प्राप्त हुआ। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और रुद्रप्रयाग · और देखें »

रुद्रप्रयाग जिला

रुद्रप्रयाग जिला भारत के उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल का एक जिला है। इस जिले का कुल क्षेत्रफल २,४३९ वर्ग किमी है। रुद्रप्रयाग क्स्बा में इस जिले का प्रशासनिक मुख्यालय स्थित है। यह जिला उत्तर में उत्तरकाशी जिले, पूर्व में चमोली जिले, दक्षिण में पौड़ी जिले और दक्षिण में टिहरी जिले से घिरा हुआ है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और रुद्रप्रयाग जिला · और देखें »

लण्ढोर

लंढोर या लंढौर मसूरी से लगा हुआ एक छावनी नगर है। यह भारत के उत्तराखंड प्रांत में देहरादून से ३५ किलोमीटर दूर स्थित है।.

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और लण्ढोर · और देखें »

लालकुआँ

लालकुआँ उत्तराखण्ड राज्य के नैनीताल जनपद में स्थित एक नगर है। यह कुमाऊँ मण्डल के अंतर्गत आता है। लालकुआँ बिड़ला समूह की एक बड़ी पेपर मिल (सेंचुरी पल्प एंड पेपर) के लिए प्रसिद्ध है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और लालकुआँ · और देखें »

लालकुआँ तहसील

लालकुआँ तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में नैनीताल जनपद की एक तहसील है। नैनीताल जनपद के दक्षिणी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय लालकुआँ नगर में स्थित हैं। यह तहसील पूर्व, पश्चिम, और उत्तर में तीन ओर से हल्द्वानी तहसील से घिरी हुई है, और इसके दक्षिण में उधम सिंह नगर जनपद की किच्छा तहसील है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और लालकुआँ तहसील · और देखें »

लक्सर

लक्सर यह दक्षिण मिस्र का एक नगर है और लक्सर मुहाफ़ज़ात की राजधानी है| यह प्राचीन नगर थेब्स से जुड़ा हुआ था और यह कर्नाक के प्राचीन स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है| श्रेणी:मिस्र के मुहाफ़ज़ात श्रेणी:मिस्र.

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और लक्सर · और देखें »

लक्सर तहसील

लक्सर तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में हरिद्वार जनपद की एक तहसील है। हरिद्वार जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय लक्सर नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में उत्तर प्रदेश राज्य का बिजनौर जिला, पश्चिम में रुड़की तहसील, उत्तर में हरिद्वार तहसील, तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य का सहारनपुर जिला है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और लक्सर तहसील · और देखें »

लैंसडाउन

लैंसडाउन उत्तराखण्ड राज्य (भारत) के पौड़ी गढ़वाल जिले में एक छावनी शहर है। उत्तराखण्ड के गढ़वाल में स्थित लैंसडाउन बेहद खूबसूरत पहाड़ी है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई 1706 मीटर है। यहाँ की प्राकृतिक छटा सम्मोहित करने वाली है। यहाँ का मौसम पूरे साल सुहावना बना रहता है। हर तरफ फैली हरियाली आपको एक अलग दुनिया का एहसास कराती है। दरअसल, इस जगह को अंग्रेजों ने पहाड़ों को काटकर बसाया था। खास बात यह है कि दिल्ली से यह हिल स्टेशन काफी नजदीक है। आप 5-6 घंटे में लैंसडाउन पहुँच सकते हैं। अगर आप बाइक से लैंसडाउन जाने की योजना बना रहे हैं तो आनंद विहार के रास्ते दिल्ली से उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने के बाद मेरठ, बिजनौर और कोटद्वार होते हुए लैंसडाउन पहुँच सकते हैं। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और लैंसडाउन · और देखें »

लैंसडाउन तहसील

लैंसडाउन तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में गढ़वाल जनपद की एक तहसील है। गढ़वाल जनपद के दक्षिणी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय लैंसडाउन छावनी में स्थित हैं। इसके पूर्व में धूमाकोट तहसील, पश्चिम में यमकेश्वर, और टिहरी गढ़वाल जनपद की नरेंद्रनगर तहसील, उत्तर में पौड़ी, सतपुली, चौबट्टाखाल और थलीसैण तहसील, तथा दक्षिण में कोटद्वार तहसील है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और लैंसडाउन तहसील · और देखें »

लोहाघाट

लोहाघाट भारतीय राज्य उत्तराखण्ड के चम्पावत जनपद में स्थित एक प्रसिद्ध शहर, नगर पंचायत और हिल स्टेशन है। मनोरम प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण चारों ओर से छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा यह नगर पौराणिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। जनपद मुख्यालय से 13 किमी उत्तर की ओर टनकपुर-तवाघाट राष्ट्रीय राजमार्ग में लोहावती नदी के किनारे देवीधार, फोर्ती, मायावती, एबटमाउंट, मानेश्वर, बाणासुर का किला, झूमाधूरी आदि विशेष धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थलों के मध्य स्थित होने से इस नगर की सुन्दरता और बढ़ जाती है। जनपद का यह मुख्य शहर जहां से ग्रामीण क्षेत्रों को आवागमन होता है, प्रमुख व्यापारिक स्थल भी है। इसलिए इसे जनपद चम्पावत का हृदयस्थल कहा जाता है। देवदार वनों से घिरे इस नगर की समुद्रतल से ऊँचाई लगभग ५५०० फ़ीट है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और लोहाघाट · और देखें »

लोहाघाट तहसील

लोहाघाट तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में चम्पावत जनपद की एक तहसील है। चम्पावत जनपद के उत्तरी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय लोहाघाट नगर में स्थित हैं। १३ फरवरी २००४ को उत्तराखण्ड सरकार के शाशनादेश से चम्पावत तहसील के १४६ ग्रामों के साथ इसका गठन किया गया। इसके पूर्व में नेपाल, पश्चिम में पाटी तहसील और अल्मोड़ा जनपद की भनोली तहसील, उत्तर में पिथौरागढ़ जनपद की पिथौरागढ़ तहसील तथा दक्षिण में चम्पावत तहसील है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और लोहाघाट तहसील · और देखें »

शिवालिक नगर

शिवालिक नगर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के हरिद्वार जिले में स्थित एक नगर है। यह नगर भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड, रानीपुर टाउनशिप और राज्य सरकार की सिडकुल औद्योगिक क्षेत्र के किनारे, और साथ ही हिंदू तीर्थस्थल हरिद्वार से 10 किमी की दूरी पर स्थित है। यह हिमालय की शिवालिक पर्वतमालाओं के तलहटी में बसा है, जिस कारण इसका नाम शिवालिका नगर रखा गया, शिवालिक नगर मौसमी नाला “रानीपुर राव” के किनारे पर बसा है। यह दिल्ली और माणा पास के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग 58 के करीब है। इसके पड़ोसी क्षेत्र, पथरी, रोशनबाद, रोहल्की और ज्वालापुर है। शिवलिक नगर 1980 के दशक में आवास विकास या राज्य आवास विकास बोर्ड द्वारा बीएचईएल कर्मचारियों के लिए एक निजी आवासीय कॉलोनी के रूप में विकसित किया गया था। धीरे-धीरे यह चार चरणों में एक बड़ी कॉलोनी में विकसित हुआ, चरण 1, चरण II, चरण III और चरण V के पश्चिमी छोर पर एक औद्योगिक क्षेत्र है। हरिद्वार शहर में बढ़ते धार्मिक पर्यटन के साथ अगले दशक में यह तेजी से बढ़ रहा था, और 1998 में हरिद्वार जिले के गठन के बाद जिला प्रशासनिक भवनों के करीब आने के दौरान विकास में एक बड़ा वृद्धि हुई। भेल से सटे शिवालिक नगर को अलग नगर पंचायत या पालिका का दर्जा दिए जाने की मांग लंबे समय से चल रही थी। कई सरकारें आने-जाने के बाद 14 फरवरी 2014 को शिवालिक नगर अलग नगर पालिका बना दी गई। अभी तक पालिका में शिवालिक नगर के अलावा टिहरी विस्थापित कालोनी, सुभाषनगर के अलावा रामधाम व गंगानगरी कालोनी के रूप में रावली महदूद और सलेमपुर का आंशिक क्षेत्र शामिल किया गया था। यह हरिद्वार शहर से जुड़ा हुआ है, जोकि 10 किमी (6.2 मील) लंबी सड़क के माध्यम से मध्य मार्ग के रूप में जाना जाता है, जो एक ही समय में रानीपुर मोड़ में विलय करता है। निकटतम रेलवे हरिद्वार रेलवे स्टेशन एवं ज्वालापुर रेलवे स्टेशन है, जो भारतीय रेलवे भारत के सभी हिस्सों से जुड़ा हुआ है। निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून है, हालांकि नई दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को प्राथमिकता दी जाती है। प्रशासनिक रूप से यह बहादराबाद ब्लॉक के भीतर और हरिद्वार लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के भीतर आता है। उत्तराखंड के राज्य औद्योगिक विकास निगम, सिडकुल का एकीकृत औद्योगिक एस्टेट (IIE) एवं भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड शिवलिक नगर के नजदीक स्थित है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और शिवालिक नगर · और देखें »

शक्तिगढ़

शक्तिगढ़, उधम सिंह नगर जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और शक्तिगढ़ · और देखें »

श्री पूर्णागिरी तहसील

श्री पूर्णागिरी तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में चम्पावत जनपद की एक तहसील है। चम्पावत जनपद के दक्षिणी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय टनकपुर नगर में स्थित हैं। ३० अक्टूबर २००३ को उत्तरांचल सरकार के शाशनादेश से चम्पावत तहसील के ८१ ग्रामों के साथ इसका गठन किया गया। इसके पूर्व में नेपाल, पश्चिम में नैनीताल जनपद की हल्द्वानी तहसील, उत्तर में चम्पावत तहसील तथा दक्षिण में उधम सिंह नगर जनपद की खटीमा तहसील है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और श्री पूर्णागिरी तहसील · और देखें »

श्रीनगर, उत्तराखण्ड

पौराणिक काल से ही उत्तराखंड राज्य स्थित श्रीनगर का प्राचीन शहर, जो बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है, निरंतर बदलाव के बाद भी अपने अस्तित्व को बचाये रखा है। श्रीपुर या श्रीक्षेत्र उसके बाद नगर के बदलाव सहित श्रीनगर, टिहरी के अस्तित्व में आने से पहले एकमात्र शहर था। वर्ष 1680 में यहां की जनसंख्या 7,000 से अधिक थी तथा यह एक वाणिज्यिक केंद्र जो बाजार के नाम से जाना जाता था, पंवार वंश का दरबार बना। कई बार विनाशकारी बाढ़ का सामना करने के बाद अंग्रेजों के शासनकाल में एक सुनियोजित शहर के रूप में उदित हुआ और अब गढ़वाल का सर्वश्रेष्ठ शिक्षण केंद्र है। विस्थापन एवं स्थापना के कई दौर से गुजरने की कठिनाई के बावजूद इस शहर ने कभी भी अपना उत्साह नहीं खोया और बद्री एवं केदार धामों के रास्ते में तीर्थयात्रियों की विश्राम स्थली एवं शैक्षणिक केंद्र बना रहा है और अब भी वह स्वरूप विद्यमान है। श्रीनगर के स्थानीय आकर्षणों तथा आस-पास के घूमने योग्य स्थान यहां के समृद्ध इतिहास से जुड़े हैं। चूकि यह गढ़वाल के पंवार राजवंश के राजाओं की राजधानी थी, इसलिए श्रीनगर उन दिनों सांस्कृतिक तथा राजनीतिक गतिविधियों का केन्द्र था, जिसे यहां के लोग गौरव से याद करते है। पौराणिक तौर पर यह आदी शंकराचार्य से भी जुड़ा है। इस शहर के अतीत से आज तक में कई नाटकीय परिवर्तन हुए हैं, जहां अब गढ़वाल विश्वविद्यालय के केम्पस तथा कई खोज संस्थान हैं। यहां की महत्ता इस तथ्य में भी है कि आप यहां से बद्रीनाथ तथा केदारनाथ की यात्रा आसानीपूर्वक कर सकते हैं। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और श्रीनगर, उत्तराखण्ड · और देखें »

सितारगंज

सितारगंज, उधम सिंह नगर जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और सितारगंज · और देखें »

सितारगंज तहसील

सितारगंज तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में उधम सिंह नगर जनपद की एक तहसील है। उधम सिंह नगर जनपद के पूर्वी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय सितारगंज नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में खटीमा तहसील, पश्चिम में किच्छा तहसील, उत्तर में नैनीताल जनपद की हल्द्वानी तहसील, तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य का पीलीभीत जिला है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और सितारगंज तहसील · और देखें »

हरिद्वार

हरिद्वार, उत्तराखण्ड के हरिद्वार जिले का एक पवित्र नगर तथा हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थ है। यह नगर निगम बोर्ड से नियंत्रित है। यह बहुत प्राचीन नगरी है। हरिद्वार हिन्दुओं के सात पवित्र स्थलों में से एक है। ३१३९ मीटर की ऊंचाई पर स्थित अपने स्रोत गोमुख (गंगोत्री हिमनद) से २५३ किमी की यात्रा करके गंगा नदी हरिद्वार में मैदानी क्षेत्र में प्रथम प्रवेश करती है, इसलिए हरिद्वार को 'गंगाद्वार' के नाम से भी जाना जाता है; जिसका अर्थ है वह स्थान जहाँ पर गंगाजी मैदानों में प्रवेश करती हैं। हरिद्वार का अर्थ "हरि (ईश्वर) का द्वार" होता है। पश्चात्कालीन हिंदू धार्मिक कथाओं के अनुसार, हरिद्वार वह स्थान है जहाँ अमृत की कुछ बूँदें भूल से घड़े से गिर गयीं जब God Dhanwantari उस घड़े को समुद्र मंथन के बाद ले जा रहे थे। ध्यातव्य है कि कुम्भ या महाकुम्भ से सम्बद्ध कथा का उल्लेख किसी पुराण में नहीं है। प्रक्षिप्त रूप में ही इसका उल्लेख होता रहा है। अतः कथा का रूप भी भिन्न-भिन्न रहा है। मान्यता है कि चार स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरी थीं। वे स्थान हैं:- उज्जैन, हरिद्वार, नासिक और प्रयाग। इन चारों स्थानों पर बारी-बारी से हर १२वें वर्ष महाकुम्भ का आयोजन होता है। एक स्थान के महाकुम्भ से तीन वर्षों के बाद दूसरे स्थान पर महाकुम्भ का आयोजन होता है। इस प्रकार बारहवें वर्ष में एक चक्र पूरा होकर फिर पहले स्थान पर महाकुम्भ का समय आ जाता है। पूरी दुनिया से करोड़ों तीर्थयात्री, भक्तजन और पर्यटक यहां इस समारोह को मनाने के लिए एकत्रित होते हैं और गंगा नदी के तट पर शास्त्र विधि से स्नान इत्यादि करते हैं। एक मान्यता के अनुसार वह स्थान जहाँ पर अमृत की बूंदें गिरी थीं उसे हर की पौड़ी पर ब्रह्म कुण्ड माना जाता है। 'हर की पौड़ी' हरिद्वार का सबसे पवित्र घाट माना जाता है और पूरे भारत से भक्तों और तीर्थयात्रियों के जत्थे त्योहारों या पवित्र दिवसों के अवसर पर स्नान करने के लिए यहाँ आते हैं। यहाँ स्नान करना मोक्ष प्राप्त करवाने वाला माना जाता है। हरिद्वार जिला, सहारनपुर डिवीजनल कमिशनरी के भाग के रूप में २८ दिसम्बर १९८८ को अस्तित्व में आया। २४ सितंबर १९९८ के दिन उत्तर प्रदेश विधानसभा ने 'उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक, १९९८' पारित किया, अंततः भारतीय संसद ने भी 'भारतीय संघीय विधान - उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम २०००' पारित किया और इस प्रकार ९ नवम्बर २०००, के दिन हरिद्वार भारतीय गणराज्य के २७वें नवगठित राज्य उत्तराखंड (तब उत्तरांचल), का भाग बन गया। आज, यह अपने धार्मिक महत्त्व के अतिरिक्त भी, राज्य के एक प्रमुख औद्योगिक केन्द्र के रूप में, तेज़ी से विकसित हो रहा है। तेज़ी से विकसित होता औद्योगिक एस्टेट, राज्य ढांचागत और औद्योगिक विकास निगम, SIDCUL (सिडकुल), भेल (भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड) और इसके सम्बंधित सहायक इस नगर के विकास के साक्ष्य हैं। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और हरिद्वार · और देखें »

हरिद्वार तहसील

हरिद्वार तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में हरिद्वार जनपद की एक तहसील है। हरिद्वार जनपद के उत्तरी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय हरिद्वार नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में उत्तर प्रदेश राज्य का बिजनौर जिला, पश्चिम में रुड़की तहसील, उत्तर में गढ़वाल जनपद की कोटद्वार तहसील और देहरादून जनपद की ऋषिकेश तहसील, तथा दक्षिण में लक्सर तहसील है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और हरिद्वार तहसील · और देखें »

हरिद्वार जिला

हरिद्वार, जिसे हरद्वार भी कहा जाता है, भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है, जिसके मुख्यालय हरिद्वार नगर में स्थित हैं। इस जिले के उत्तर में देहरादून जिला, पूर्व में पौड़ी गढ़वाल जिला, पश्चिम में उत्तर प्रदेश राज्य का सहारनपुर जिला तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य के ही मुजफ्फरनगर तथा बिजनौर जिले हैं। हरिद्वार जिले की स्थापना २८ दिसंबर १९८८ को उत्तर प्रदेश राज्य के सहारनपुर मण्डल के अंतर्गत सहारनपुर जिले की हरिद्वार और रुड़की तहसीलों, मुजफ्फरनगर जिले की सदर तहसील के ५३ गांवों और बिजनौर जिले की नजीबाबाद तहसील के २५ गांवों को मिलाकर हुई थी। ९ नवंबर २००० को हरिद्वार नवगठित उत्तराखण्ड राज्य का हिस्सा बन गया। २०११ में १८,९०,४२२ की जनसंख्या के साथ यह उत्तराखण्ड का सबसे अधिक जनसंख्या वाला जिला है। हरिद्वार, भेल रानीपुर, रुड़की, मंगलाौर, धन्देरा, झबरेड़ा, लक्सर, लन्ढौरा और मोहनपुर-मोहम्मदपुर जिले के महत्वपूर्ण शहर हैं। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और हरिद्वार जिला · और देखें »

हल्द्वानी

हल्द्वानी, उत्तराखण्ड के नैनीताल ज़िले में स्थित एक नगर है जो काठगोदाम के साथ मिलकर हल्द्वानी-काठगोदाम नगर निगम बनाता है। हल्द्वानी उत्तराखण्ड के सर्वाधिक जनसँख्या वाले नगरों में से है और इसे "कुमाऊँ का प्रवेश द्वार" भी कहा जाता है। कुमाऊँनी भाषा में इसे "हल्द्वेणी" भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ "हल्दू" (कदम्ब) प्रचुर मात्रा में मिलता था। सन् १८१६ में गोरखाओं को परास्त करने के बाद गार्डनर को कुमाऊँ का आयुक्त नियुक्त किया गया। बाद में जॉर्ज विलियम ट्रेल ने आयुक्त का पदभार संभाला और १८३४ में "हल्दु वनी" का नाम हल्द्वानी रखा। ब्रिटिश अभिलेखों से हमें ये ज्ञात होता है कि इस स्थान को १८३४ में एक मण्डी के रूप में उन लोगों के लिए बसाया गया था जो शीत ऋतु में भाभर आया करते थे। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और हल्द्वानी · और देखें »

हल्द्वानी तहसील

हल्द्वानी तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में नैनीताल जनपद की एक तहसील है। नैनीताल जनपद के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय हल्द्वानी नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में चम्पावत जनपद की श्री पूर्णागिरी तहसील, पश्चिम में कालाढूंगी तहसील, उत्तर में नैनीताल और धारी तहसील, तथा दक्षिण में लालकुआँ तहसील और उधम सिंह नगर जनपद की गदरपुर, किच्छा, सितारगंज तथा खटीमा तहसील है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और हल्द्वानी तहसील · और देखें »

हल्‍द्वानी तल्‍ली, हल्द्वानी तहसील

हल्‍द्वानी तल्‍ली, हल्द्वानी तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के नैनीताल जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और हल्‍द्वानी तल्‍ली, हल्द्वानी तहसील · और देखें »

जसपुर

कोई विवरण नहीं।

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और जसपुर · और देखें »

जसपुर तहसील

जसपुर तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में उधम सिंह नगर जनपद की एक तहसील है। उधम सिंह नगर जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय जसपुर नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में काशीपुर तहसील, पश्चिम में उत्तर प्रदेश राज्य का बिजनौर जिला, उत्तर में नैनीताल जनपद की रामनगर तहसील, तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य का मुरादाबाद जिला है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और जसपुर तहसील · और देखें »

जोशीमठ

जोशीमठ उत्तराखण्ड राज्य में स्थित एक नगर है। यहां ८वीं सदी में धर्मसुधारक आदि शंकराचार्य को ज्ञान प्राप्त हुआ और बद्रीनाथ मंदिर तथा देश के विभिन्न कोनों में तीन और मठों की स्थापना से पहले यहीं उन्होंने प्रथम मठ की स्थापना की। जाड़े के समय इस शहर में बद्रीनाथ की गद्दी विराजित होती है जहां नरसिंह के सुंदर एवं पुराने मंदिर में इसकी पूजा की जाती है। बद्रीनाथ, औली तथा नीति घाटी के सान्निध्य के कारण जोशीमठ एक महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल बन गया है तथा अध्यात्म एवं साहसिकता का इसका मिश्रण यात्रियों के लिए वर्षभर उत्तेजना स्थल बना रहता है। जोशीमठ में आध्यात्मिता की जड़े गहरी है तथा यहां की संस्कृति भगवान विष्णु की पौराणिकता के इर्द-गिर्द बनी है। प्राचीन नरसिंह मंदिर जो उन्हे समर्पित है - उन्हे नमन तथा उनकी लोकप्रियता को दर्षाती है - लोगों का सालोंभर यहां लगातार आना रहता है। ऐतिहासिक तौर पर, जोशीमठ सदियों से वैदिक शिक्षा तथा ज्ञान का एक ऐसा केन्द्र जिसकी स्थापना 8वीं सदी में आदी शंकराचार्य ने की थी। यहां शहर की परिवेश तथा जलवायु निश्चित रूप से धार्मिक मान्यताओं से अधिकांशतः प्राचीन तथा पूजित स्थल हैं। शहर के आस-पास घूमने योग्य स्थानों में औली, उत्तराखंड का मुख्य स्की रिसॉर्ट शामिल है। जोशीमठ की यात्रा हमारे देश की संस्कृतिक विरासत का गहन दृश्य उपस्थित करेगा। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और जोशीमठ · और देखें »

विकासनगर

विकासनगर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के देहरादून ज़िले में स्थित एक नगर है। यह उत्तराखण्ड की हिमाचल प्रदेश के साथ लगती सीमा पर यमुना नदी के तट पर है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और विकासनगर · और देखें »

खटीमा

खटीमा भारत के उत्तराखण्ड राज्य के ऊधमसिंह नगर जिले में स्थित एक नगर निगम बोर्ड है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और खटीमा · और देखें »

खटीमा तहसील

खटीमा तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में उधम सिंह नगर जनपद की एक तहसील है। उधम सिंह नगर जनपद के पूर्वी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय खटीमा नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में नेपाल, पश्चिम में सितारगंज तहसील, उत्तर में चम्पावत जनपद की श्री पूर्णागिरी तहसील, तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य का पीलीभीत जिला है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और खटीमा तहसील · और देखें »

गढ़वाल मण्डल

यह लेख गढ़वाल मण्डल पर है। अन्य गढ़वाल लेखों के लिए देखें गढ़वाल। उत्तराखण्ड के मण्डल गढ़वाल भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख क्षेत्र है। यहाँ की मुख्य भाषा गढ़वाली तथा हिन्दी है। गढ़वाल का साहित्य तथा संस्कृति बहुत समृद्ध हैं। लोक संस्कृत भी अत्यंत प्राचीन और विकसित है। गढ़वाली लोकनृत्यों के २५ से अधिक प्रकार पाए जाते हैं इनमें प्रमुख हैं- १. मांगल या मांगलिक गीत, २. जागर गीत, ३. पंवाडा, ४. तंत्र-मंत्रात्मक गीत, ५. थड्या गीत, ६. चौंफुला गीत, ७. झुमैलौ, ८. खुदैड़, ९. वासंती गीत, १०.

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और गढ़वाल मण्डल · और देखें »

गदरपुर

गदरपुर, उधम सिंह नगर जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और गदरपुर · और देखें »

गदरपुर तहसील

गदरपुर तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में उधम सिंह नगर जनपद की एक तहसील है। उधम सिंह नगर जनपद के मध्य भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय गदरपुर नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में किच्छा तहसील, पश्चिम में बाजपुर तहसील, उत्तर में नैनीताल जनपद की कालाढूंगी तहसील, तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य का रामपुर जिला है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और गदरपुर तहसील · और देखें »

गंगोत्री

गंगोत्री गंगा नदी का उद्गम स्थान है। गंगाजी का मंदिर, समुद्र तल से 3042 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। भागीरथी के दाहिने ओर का परिवेश अत्यंत आकर्षक एवं मनोहारी है। यह स्थान उत्तरकाशी से 100 किमी की दूरी पर स्थित है। गंगा मैया के मंदिर का निर्माण गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा द्वारा 18 वी शताब्दी के शुरूआत में किया गया था वर्तमान मंदिर का पुननिर्माण जयपुर के राजघराने द्वारा किया गया था। प्रत्येक वर्ष मई से अक्टूबर के महीनो के बीच पतित पावनी गंगा मैंया के दर्शन करने के लिए लाखो श्रद्धालु तीर्थयात्री यहां आते है। यमुनोत्री की ही तरह गंगोत्री का पतित पावन मंदिर भी अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर खुलता है और दीपावली के दिन मंदिर के कपाट बंद होते है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और गंगोत्री · और देखें »

गंगोलीहाट

गंगोलीहाट उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित एक नगर और तहसील मुख्यालय है, जो हाट कलिका मंदिर नामक सिद्धपीठ के लिये प्रसिद्ध है। इस सिद्ध पीठ की स्थापना आदिगुरू शंकराचार्य द्वारा की गयी। हाट कलिका देवी रणभूमि में गए जवानों की रक्षक मानी जाती है। यह मंदिर जिला मुख्यालय से ७७ किलोमीटर की दूरी पर है तथा सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और गंगोलीहाट · और देखें »

गंगोलीहाट तहसील

गंगोलीहाट तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में पिथौरागढ़ जनपद में एक तहसील है। पिथौरागढ़ जनपद के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय गंगोलीहाट नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में पिथौरागढ़ तहसील, पश्चिम में बागेश्वर जनपद की कांडा तहसील, उत्तर में बेरीनाग तहसील तथा दक्षिण में अल्मोड़ा जनपद की अल्मोड़ा तहसील है। तहसील के अधिकार क्षेत्र में कुल 312 गाँव आते हैं, और 2011 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या 71946 है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और गंगोलीहाट तहसील · और देखें »

गैरसैंण

गैरसैंण भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जिले में स्थित एक शहर है। यह समूचे उत्तराखण्ड राज्य के मध्य में होने के कारण उत्तराखण्ड राज्य की पूर्व-निर्धारित व प्रस्तावित स्थाई राजधानी के नाम से बहुविदित है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और गैरसैंण · और देखें »

गोचर

गोचर। गोचर का अर्थ होता है गमन यानी चलना.

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और गोचर · और देखें »

कच्नाल गोसांई

कच्नाल गोसांई, उधम सिंह नगर जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और कच्नाल गोसांई · और देखें »

कपकोट

कपकोट भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के बागेश्वर जिले का एक नगर है। सरयू नदी के तट पर बसा कपकोट जनपद मुख्यालय, बागेश्वर से २५ किमी की दूरी पर स्थित है, और कपकोट तहसील का मुख्यालय है, जो क्षेत्रफल के आधार पर बागेश्वर जनपद की सबसे बड़ी तहसील है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और कपकोट · और देखें »

कपकोट तहसील

कपकोट तहसील भारत के उत्तराखण्ड राज्य में बागेश्वर जनपद की एक तहसील है। बागेश्वर जनपद के उत्तरी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय कपकोट नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में पिथौरागढ़ जनपद की बेरीनाग तहसील, पश्चिम में चमोली जनपद की जोशीमठ और थराली तहसील, उत्तर में पिथौरागढ़ जनपद की मुनस्यारी तहसील, तथा दक्षिण में कांडा, गरुड़ और बागेश्वर तहसील है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और कपकोट तहसील · और देखें »

कर्णप्रयाग

कर्णप्रयाग उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के चमोली जिले का एक कस्बा है।यह अलकनंदा तथा पिण्डर नदियों के संगम पर स्थित है। पिण्डर का एक नाम कर्ण गंगा भी है, जिसके कारण ही इस तीर्थ संगम का नाम कर्ण प्रयाग पडा। यहां पर उमा मंदिर और कर्ण मंदिर दर्शनीय है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और कर्णप्रयाग · और देखें »

कालाढूंगी

कालाढूंगी उत्तराखण्ड राज्य के नैनीताल जनपद में स्थित एक नगर है। यह नगर हल्द्वानी-रामनगर तथा बाजपुर-नैनीताल सड़कों के चौराहे पर हल्द्वानी से २६ किलोमीटर, नैनीताल से ३० किलोमीटर तथा बाजपुर से १९ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कालाढूंगी नैनीताल जनपद की ८ तहसीलों में से एक भी है। कालाढूंगी जिम कार्बेट का शीतकालीन आवास भी था। अब उनके कालाढूंगी स्थित बंगले को म्यूजियम बना दिया गया है। उत्तराखंड के प्रसिद्ध शिकारी और बाद में जिम कार्बेट वन्य जीव अभ्यारण्य की स्थापना के हिमायती जिम कार्बेट ने अपनी पुस्तकों "कुमाऊं के आदमखोर" " रुद्रप्रयाग का आदमखोर तेंदुआ" "कहानी जंगल की" "माई इंडिया" आदि पुस्तकों में कालाढूंगी का विवरण दिया है। उनके विवरणों में लिखा है कि कालाढूंगी पर्वतीय ढालों के अंत में स्थित गांव था। जो कि नैनीताल की कठोर सर्दियों से बचने का उपयुक्त स्थान था, क्योंकि यहां की जलवायु तराई के इलाकों की भांति उष्ण थी। खेती हेतु पर्याप्त जमीन थी। चारों ओर घने जंगल थे। जो विविध वन्यजीवों से भरे थे। जहां अक्सर शिकारी अपने भोजन व मनोरंजन हेतु शिकार करने जाते थे। कभी कभी एक मील से भी पास कोई बाघ या तेंदुआ विचरण करता पाया जाता था। जो स्थानीय निवासियों को कोई हानि पहुंचाए बिना फिर जंगल में भाग जाते थे। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और कालाढूंगी · और देखें »

काशीपुर तहसील

काशीपुर तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में उधम सिंह नगर जनपद की एक तहसील है। उधम सिंह नगर जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय काशीपुर नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में बाजपुर तहसील, पश्चिम में जसपुर तहसील, उत्तर में नैनीताल जनपद की रामनगर तहसील, तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य का मुरादाबाद जिला है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और काशीपुर तहसील · और देखें »

काशीपुर, उत्तराखण्ड

काशीपुर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के उधम सिंह नगर जनपद का एक महत्वपूर्ण पौराणिक एवं औद्योगिक शहर है। उधम सिंह नगर जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित काशीपुर जनसंख्या के मामले में कुमाऊँ का तीसरा और उत्तराखण्ड का छठा सबसे बड़ा नगर है। भारत की २०११ की जनगणना के अनुसार काशीपुर नगर की जनसंख्या १,२१,६२३, जबकि काशीपुर तहसील की जनसंख्या २,८३,१३६ है। यह नगर भारत की राजधानी, नई दिल्ली से लगभग २४० किलोमीटर, और उत्तराखण्ड की अंतरिम राजधानी, देहरादून से लगभग २०० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। काशीपुर को पुरातन काल से गोविषाण या उज्जयनी नगरी भी कहा जाता रहा है, और हर्ष के शासनकाल से पहले यह नगर कुनिन्दा, कुषाण, यादव, और गुप्त समेत कई राजवंशों के अधीन रहा है। इस जगह का नाम काशीपुर, चन्दवंशीय राजा देवी चन्द के एक पदाधिकारी काशीनाथ अधिकारी के नाम पर पड़ा, जिन्होंने इसे १६-१७ वीं शताब्दी में बसाया था। १८ वीं शताब्दी तक यह नगर कुमाऊँ राज्य में रहा, और फिर यह नन्द राम द्वारा स्थापित काशीपुर राज्य की राजधानी बन गया। १८०१ में यह नगर ब्रिटिश शासन के अंतर्गत आया, जिसके बाद इसने १८१४ के आंग्ल-गोरखा युद्ध में कुमाऊँ पर अंग्रेजों के कब्जे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। काशीपुर को बाद में कुमाऊँ मण्डल के तराई जिले का मुख्यालय बना दिया गया। ऐतिहासिक रूप से, इस क्षेत्र की अर्थव्यस्था कृषि तथा बहुत छोटे पैमाने पर लघु औद्योगिक गतिविधियों पर आधारित रही है। काशीपुर को कपड़े और धातु के बर्तनों का ऐतिहासिक व्यापार केंद्र भी माना जाता है। आजादी से पहले काशीपुर नगर में जापान से मखमल, चीन से रेशम व इंग्लैंड के मैनचेस्टर से सूती कपड़े आते थे, जिनका तिब्बत व पर्वतीय क्षेत्रों में व्यापार होता था। बाद में प्रशासनिक प्रोत्साहन और समर्थन के साथ काशीपुर शहर के आसपास तेजी से औद्योगिक विकास हुआ। वर्तमान में नगर के एस्कॉर्ट्स फार्म क्षेत्र में छोटी और मझोली औद्योगिक इकाइयों के लिए एक इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल एस्टेट निर्माणाधीन है। भौगोलिक रूप से काशीपुर कुमाऊँ के तराई क्षेत्र में स्थित है, जो पश्चिम में जसपुर तक तथा पूर्व में खटीमा तक फैला है। कोशी और रामगंगा नदियों के अपवाह क्षेत्र में स्थित काशीपुर ढेला नदी के तट पर बसा हुआ है। १८७२ में काशीपुर नगरपालिका की स्थापना हुई, और २०११ में इसे उच्चीकृत कर नगर निगम का दर्जा दिया गया। यह नगर अपने वार्षिक चैती मेले के लिए प्रसिद्ध है। महिषासुर मर्दिनी देवी, मोटेश्वर महादेव तथा मां बालासुन्दरी के मन्दिर, उज्जैन किला, द्रोण सागर, गिरिताल, तुमरिया बाँध तथा गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब काशीपुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और काशीपुर, उत्तराखण्ड · और देखें »

किच्छा

किच्छा भारत के उत्तराखण्ड राज्य के उधमसिंहनगर जिले में स्थित एक नगर निगम बोर्ड है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और किच्छा · और देखें »

किच्छा तहसील

किच्छा तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में उधम सिंह नगर जनपद की एक तहसील है। उधम सिंह नगर जनपद के मध्य भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय किच्छा नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में सितारगंज तहसील, पश्चिम में गदरपुर तहसील, उत्तर में नैनीताल जनपद की लालकुआँ तथा हल्द्वानी तहसील, तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य का बरेली जिला है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और किच्छा तहसील · और देखें »

कुमाऊँ मण्डल

यह लेख कुमाऊँ मण्डल पर है। अन्य कुमाऊँ लेखों के लिए देखें कुमांऊॅं उत्तराखण्ड के मण्डल कुमाऊँ मण्डल भारत के उत्तराखण्ड राज्य के दो प्रमुख मण्डलों में से एक हैं। अन्य मण्डल है गढ़वाल। कुमाऊँ मण्डल में निम्न जिले आते हैं:-.

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और कुमाऊँ मण्डल · और देखें »

केदारनाथ कस्बा

केदारनाथ हिमालय पर्वतमाला में बसा भारत के उत्तरांचल राज्य का एक कस्बा है। यह रुद्रप्रयाग की एक नगर पंचायत है। यह हिन्दू धर्म के अनुयाइयों के लिए पवित्र स्थान है। यहाँ स्थित केदारनाथ मंदिर का शिव लिंग १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक है और हिन्दू धर्म के उत्तरांचल के चार धाम और पंच केदार में गिना जाता है। श्रीकेदारनाथ का मंदिर ३,५९३ मीटर की ऊँचाई पर बना हुआ एक भव्य एवं विशाल मंदिर है। इतनी ऊँचाई पर इस मंदिर को कैसे बनाया गया, इस बारे में आज भी पूर्ण सत्य ज्ञात नहीं हैं। सतयुग में शासन करने वाले राजा केदार के नाम पर इस स्थान का नाम केदार पड़ा। राजा केदार ने सात महाद्वीपों पर शासन और वे एक बहुत पुण्यात्मा राजा थे। उनकी एक पुत्री थी वृंदा जो देवी लक्ष्मी की एक आंशिक अवतार थी। वृंदा ने ६०,००० वर्षों तक तपस्या की थी। वृंदा के नाम पर ही इस स्थान को वृंदावन भी कहा जाता है। यहाँ तक पहुँचने के दो मार्ग हैं। पहला १४ किमी लंबा पक्का पैदल मार्ग है जो गौरीकुण्ड से आरंभ होता है। गौरीकुण्ड उत्तराखंड के प्रमुख स्थानों जैसे ऋषिकेश, हरिद्वार, देहरादून इत्यादि से जुड़ा हुआ है। दूसरा मार्ग है हवाई मार्ग। अभी हाल ही में राज्य सरकार द्वारा अगस्त्यमुनि और फ़ाटा से केदारनाथ के लिये पवन हंस नाम से हेलीकाप्टर सेवा आरंभ की है और इनका किराया उचित है। सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण मंदिर बंद कर दिया जाता है और केदारनाथ में कोई नहीं रुकता। नवंबर से अप्रैल तक के छह महीनों के दौरान भगवान केदा‍रनाथ की पालकी गुप्तकाशी के निकट उखिमठ नामक स्थान पर स्थानांतरित कर दी जाती है। यहाँ के लोग भी केदारनाथ से आस-पास के ग्रामों में रहने के लिये चले जाते हैं। वर्ष २००१ की भारत की जनगणना के अनुसार केदारनाथ की जनसंख्या ४७९ है, जिसमें ९८% पुरुष और २% महिलाएँ है। साक्षरता दर ६३% है जो राष्ट्रीय औसत ५९.५% से अधिक है (पुरुष ६३%, महिला ३६%)। ०% लोग ६ वर्ष से नीचे के हैं। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और केदारनाथ कस्बा · और देखें »

केला खेरा

केला खेरा, उधम सिंह नगर जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और केला खेरा · और देखें »

कोटद्वार

कोटद्वार उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल मण्डल में स्थित पौड़ी जिले का एक मुख्य नगर है। इसे 'गढ़वाल का प्रवेशद्वार' भी कहा जाता है। कोटद्वार से दुगड्डा और लैंसडौन होते हुए पौड़ी तथा श्रीनगर तक पहुंचा जा सकता है। खोह नदी के तट पर स्थित यह नगर इतिहास में 'खोहद्वार' नाम से भी जाना जाता था। नगर का विकास वैसे तो १८९० में रेल के आगमन से ही शुरू हो गया था, किन्तु वास्तविक बसावट प्रमुखतः ५० के दशक में नगर पालिका के निर्माण के बाद ही हुई। २०११ की जनगणना के अनुसार नगर की जनसंख्या ३३,०३५ थी। २०१७ में उत्तराखण्ड शासन द्वारा ऋषिकेश के साथ साथ कोटद्वार को भी नगर निगम घोषित कर दिया गया। नगर निगम बनने के बाद नगर क्षेत्र में ७३ ग्रामों को शामिल किया गया, तथा इसकी जनसंख्या १,३५,००० तक पहुंच गई। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और कोटद्वार · और देखें »

कोटद्वार तहसील

कोटद्वार तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में गढ़वाल जनपद की एक तहसील है। गढ़वाल जनपद के दक्षिणी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय कोटद्वार नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में नैनीताल जनपद की रामनगर तहसील तथा अल्मोड़ा जनपद की सल्ट तहसील, पश्चिम में हरिद्वार जनपद की लक्सर तहसील, उत्तर में लैंसडौन, सतपुली और धूमाकोट तहसील, तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य का बिजनौर जिला है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और कोटद्वार तहसील · और देखें »

कीर्ति नगर

कीर्ति नगर दिल्ली के रिंग मार्ग पर पड़ने वाला एक चौराहा है। इसे सतगुरु रामसिंह मार्ग काटता है। श्रेणी:रिंग मार्ग, दिल्ली के चौक.

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और कीर्ति नगर · और देखें »

अल्मोड़ा

अल्मोड़ा भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक महत्वपूर्ण नगर है। यह अल्मोड़ा जिले का मुख्यालय भी है। अल्मोड़ा दिल्ली से ३६५ किलोमीटर और देहरादून से ४१५ किलोमीटर की दूरी पर, कुमाऊँ हिमालय श्रंखला की एक पहाड़ी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। भारत की २०११ की जनगणना के अनुसार अल्मोड़ा की कुल जनसंख्या ३५,५१३ है। अल्मोड़ा की स्थापना राजा बालो कल्याण चंद ने १५६८ में की थी। महाभारत (८ वीं और ९वीं शताब्दी ईसा पूर्व) के समय से ही यहां की पहाड़ियों और आसपास के क्षेत्रों में मानव बस्तियों के विवरण मिलते हैं। अल्मोड़ा, कुमाऊं राज्य पर शासन करने वाले चंदवंशीय राजाओं की राजधानी थी। स्वतंत्रता की लड़ाई में तथा शिक्षा, कला एवं संस्कृति के उत्थान में अल्मोड़ा का विशेष हाथ रहा है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और अल्मोड़ा · और देखें »

अल्मोड़ा तहसील

अल्मोड़ा तहसील भारत के उत्तराखण्ड राज्य में अल्मोड़ा जनपद की एक तहसील है। अल्मोड़ा जनपद के मध्य भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय अल्मोड़ा नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में भनोली, जैंती तथा पिथौरागढ़ जनपद की गंगोलीहाट तहसील, पश्चिम में सोमेश्वर, द्वाराहाट तथा रानीखेत तहसील, उत्तर में बागेश्वर जनपद की बागेश्वर तहसील, तथा दक्षिण में नैनीताल जनपद की नैनीताल तहसील है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और अल्मोड़ा तहसील · और देखें »

अल्मोड़ा जिला

अल्मोड़ा भारत के उत्तराखण्ड नामक राज्य में कुमांऊँ मण्डल के अन्तर्गत एक जिला है। इस जिले का मुख्यालय भी अल्मोड़ा में ही है। अल्मोड़ा अपनी सांस्कृतिक विरासत, हस्तकला, खानपान और ठेठ पहाड़ी सभ्यता व संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और अल्मोड़ा जिला · और देखें »

अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग

अगस्त्यमुनि भारत के उत्तराखण्ड राज्य में रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक शहर है। यह ऋषिकेश-केदारनाथ मार्ग पर स्थित है। रूद्रप्रयाग से अगस्त्यमुनि की दूरी १८ किलोमीटर है। यह समुद्र तल से १००० मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मन्दाकिनी नदी के तट पर स्थित है। यह वहीं स्‍थान है जहां ऋषि अगस्‍त्‍य ने कई वर्षों तक तपस्‍या की थी। महर्षि अगस्त्य के तपोस्थल होने से इसका नाम अगस्त्यमुनि पड़ा। यहाँ महर्षि अगस्त्य का प्राचीन मन्दिर है। अगस्त्यमुनि में एक बड़ा मैदान है जहाँ वर्तमान में एक स्टेडियम बना है। बैसाखी के अवसर पर यहाँ बहुत ही बड़ा मेला लगता है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और अपने इष्‍ट देवता से प्रार्थना करते हैं। इस स्टेडियम में ही एक हैलीपैड बना है जहाँ पर केदारनाथ जाने वाला पवनहँस नामक हैलीकॉप्टर उतरता है। शहर में दो बैंक एवं एक सरकारी अस्पताल है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग · और देखें »

उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण ९ नवम्बर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और उत्तराखण्ड · और देखें »

उत्तराखण्ड के नगर निगमों की सूची

नगर निगम उत्तराखण्ड राज्य के नगरों की स्थानीय शासी निकाय हैं। इस भारतीय राज्य में ८ नगर निगम हैं। २००३ में बना देहरादून नगर निगम राज्य का सबसे बड़ा और पुराना नगर निगम है। वर्ष २०११ में हरिद्वार और हल्द्वानी नगरपालिकाओं को नगर निगम बनाने के बाद राज्य सरकार ने २०१३ में रुद्रपुर, काशीपुर और रुड़की को, और फिर २०१७ में ऋषिकेश और कोटद्वार की नगरपालिकाओं को भी नगर निगम का दर्ज़ा दे दिया। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और उत्तराखण्ड के नगर निगमों की सूची · और देखें »

उत्तराखण्ड के मण्डल

उत्तराखण्ड के मण्डल भारत के उत्तराखण्ड राज्य के दो मण्डलों को कहते हैं। उत्तराखण्ड में दो मण्डल है: कुमाऊँ और गढ़वाल जो क्रमशः राज्य के पूर्वी और पश्चिमी भाग में हैं। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और उत्तराखण्ड के मण्डल · और देखें »

उत्तराखण्ड के जिले

उत्तराखण्ड के जिले इस सूची में उत्तराखण्ड के जिले और उनकी जनसंख्या, जिला मुख्यालय, क्षेत्रफल और घनत्व की सूचना है। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और उत्तराखण्ड के जिले · और देखें »

उत्तरकाशी

उत्तरकाशी ऋषिकेश से 155 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक शहर है, जो उत्तरकाशी जिले का मुख्यालय है। यह शहर भागीरथी नदी के तट पर बसा हुआ है। उत्तरकाशी धार्मिक दृष्‍िट से भी महत्‍वपूर्ण शहर है। यहां भगवान विश्‍वनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। यह शहर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहां एक तरफ जहां पहाड़ों के बीच बहती नदियां दिखती हैं वहीं दूसरी तरफ पहाड़ों पर घने जंगल भी दिखते हैं। यहां आप पहाड़ों पर चढ़ाई का लुफ्त भी उठा सकते हैं। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और उत्तरकाशी · और देखें »

उत्तरकाशी जिला

उत्तरकाशी या उत्तर काशी भारत के उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल का एक जिला है। इस जिले का मुख्यालय उत्तरकाशी कस्बा है। उत्तरकाशी जिला हिमालय रेंज की ऊँचाई पर बसा हुआ है और इस जिले में गंगा और यमुना दोनों नदियों का उद्गम है, जहाँ पर हज़ारों हिन्दू तीर्थयात्री प्रति वर्ष पधारते हैं। उत्तरकाशी कस्बा, गंगोत्री जाने के मुख्य मार्ग में पड़ता है, जहाँ पर बहुत से मंदिर हैं और यह एक प्रमुख हिन्दू तीर्थयात्रा केन्द्र माना जाता है। जिले के उत्तर और उत्तरपश्चिम में हिमाचल प्रदेश राज्य, उत्तरपूर्व में तिब्बत, पूर्व में, दक्षिणपूर्व में रूद्रप्रयाग जिला, दक्षिण में टिहरी गढ़वाल जिला और दक्षिणपश्चिम में देहरादून जिला पड़ते हैं। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और उत्तरकाशी जिला · और देखें »

उधम सिंह नगर जिला

उधमसिंहनगर भारतीय राज्य उत्तरांचल का एक जिला है। जिले का मुख्यालय रुद्रपुर है। उधमसिंह नगर पहले नैनीताल जिले में था। लेकिन अक्टूबर 1995 में इसे अलग जिला बना दिया गया। इस जिले का नाम स्वर्गीय उधम सिंह के नाम पर रखा गया है। उधम सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे। जलियांवाला बाग हत्याकांड होने के पश्चात् इन्होंने ही जनरल डायर की हत्या की थी। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और उधम सिंह नगर जिला · और देखें »

उखीमठ

ओमकारेश्वर मंदिर, उखीमठ उखीमठ भारत के उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक तीर्थ स्थल है। यह 1311 मीटर की ऊंचाई पर है और रुद्रप्रयाग से 41 किलोमीटर की दूरी पर है। सर्दियों के दौरान, केदारनाथ मंदिर और मध्यमहेश्वर से मूर्तियों (डोली) को उखीमठ रखा जाता है और छह माह तक उखीमठ में इनकी पूजा की जाती है। उषा (बाणासुर की बेटी) और अनिरुद्ध (भगवान कृष्ण के पौत्र) की शादी यहीं सम्पन की गयी थी। उषा के नाम से इस जगह का नाम उखीमठ पड़ा। सर्दियों के दौरान भगवान केदारनाथ की उत्सव डोली को इस जगह के लिए केदारनाथ से लाया जाता है। भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजा और पूरे साल भगवान ओंकारेश्वर की पूजा यहीं की जाती है। यह मंदिर उखीमठ में स्थित है। ७ जुलाई २०१२ को रुद्रप्रयाग जनपद के दो राजस्व ग्राम डंगवाड़ी तथा भटवाड़ी को मिलाकर नगर पंचायत ऊखीमठ की स्थापना की गई। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और उखीमठ · और देखें »

ऋषिकेश

ऋषिकेश (संस्कृत: हृषीकेश) उत्तराखण्ड के देहरादून जिले का एक नगर, हिन्दू तीर्थस्थल, नगरपालिका तथा तहसील है। यह गढ़वाल हिमालय का प्रवेश्द्वार एवं योग की वैश्विक राजधानी है। ऋषिकेश, हरिद्वार से २५ किमी उत्तर में तथा देहरादून से ४३ किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है। हिमालय का प्रवेश द्वार, ऋषिकेश जहाँ पहुँचकर गंगा पर्वतमालाओं को पीछे छोड़ समतल धरातल की तरफ आगे बढ़ जाती है। ऋषिकेश का शांत वातावरण कई विख्यात आश्रमों का घर है। उत्तराखण्ड में समुद्र तल से 1360 फीट की ऊंचाई पर स्थित ऋषिकेश भारत के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में एक है। हिमालय की निचली पहाड़ियों और प्राकृतिक सुन्दरता से घिरे इस धार्मिक स्थान से बहती गंगा नदी इसे अतुल्य बनाती है। ऋषिकेश को केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री का प्रवेशद्वार माना जाता है। कहा जाता है कि इस स्थान पर ध्यान लगाने से मोक्ष प्राप्त होता है। हर साल यहाँ के आश्रमों के बड़ी संख्या में तीर्थयात्री ध्यान लगाने और मन की शान्ति के लिए आते हैं। विदेशी पर्यटक भी यहाँ आध्यात्मिक सुख की चाह में नियमित रूप से आते रहते हैं। .

नई!!: उत्तराखण्ड के नगरों की सूची और ऋषिकेश · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

उत्तराखण्ड के नगर

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »