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उजाले उनकी यादों के

सूची उजाले उनकी यादों के

उजाले उनकी यादों के - यह कार्यक्रम आजकल हर रविवार को रात में साढे नौ से दस बजे तक प्रसारित होता है जबकि पहले मंगलवार गुरूवार को इसी समय प्रसारित होता था। इस कार्यक्रम में जैसे कि नाम से ही पता चलता है बीते समय की फ़िल्मी हस्तियों से बातचीत की जाती है। इस कार्यक्रम की परिकल्पना (काँन्सेप्ट) बहुत अच्छा है। आमतौर पर ऐसे कार्यक्रमों में जिनसे बातचीत की जाती है उन्हीं के बारे में जानकारी मिलती है पर यहाँ ऐसा नहीं है। यहाँ उस कलाकार के पूरे कैरियर के दौरान जिन-जिन लोगों के साथ उनका साथ रहा उन सभी के बारे में बात होती है। इतना ही नहीं फ़िल्मी जीवन से हट कर दूसरे क्षेत्र में भी अगर उस कलाकार का योगदान है तो उस पर भी विस्तार से बातचीत होती है। यह कार्यक्रम शायद कमलेश (पाठक) जी प्रस्तुत करतीं है। इस कार्यक्रम के स्वरूप के लिए विविध भारती को बधाई। मेहमान कलाकार से बातचीत करते है कमल (शर्मा) जी। इस कार्यक्रम की लोकप्रियता में कमल (शर्मा) जी का बहुत बड़ा योगदान है। वह ख़ुद बहुत ही कम बोलते है पर मेहमान से सब कुछ उगलवा लेते है। ऐसी बातें भी जो आमतौर पर लोकप्रिय कलाकार शायद ही कहना पसन्द करें जैसे - आजकल चल रही श्रृंखला में लोकप्रिय कलाकार शशिकला ने बताया कि जब मदर टेरेसा के आश्रम में कलकत्ता में वो समाज सेवा कर रहीं थी तब उन्हें मदर से मिलने की बहुत इच्छा थी और जब मदर आईं तो कैसे छोटे बच्चों की तरह वो दरवाज़े के बाहर से मदर को देखने लगी थीं। जब मैनें इस स्तर पर बातचीत सुनी तो मुझे लगा यह तो कमल जी का ही कमाल है और क्या तरीका रहा होगा प्रस्तुतकर्ता (शायद कमलेश पाठक) का और क्या छवि है विविध भारती की कि एक कलाकार अपना दिल खोल कर रख देता है। सिर्फ़ एक ही श्रृंखला जो अभी पूरी भी नहीं हुई जिसको सुन कर व्ही शान्ताराम के बारे में बहुत जानकारी मिली जिसे शशिकला ने अन्ना साहेब कहा। मुझे याद आ गई फ़िल्म तीन बत्ती चार रास्ता जिसमें छह बहुओं वाले लालाजी की मराठी बहू बनी थी शशिकला। हृषि दा यानि हृषिकेश मुखर्जी के बारे में भी बातें हुई। बताया गया उनका काम करने का अंदाज़ और मुझे याद आ गई अनुपमा की शोख़ और चंचल पर सकारात्मक भूमिका वाली शशिकला जो अपनी सहेली शर्मिला टैगोर से फोन पर देर तक बात करती है और जवाब नहीं मिलने पर कहती है - ज़रूर सिर हिला रही होगी। लता मंगेशकर और मीनाकुमारी के बारे में बातें हुई तो मुझे याद आ गई फ़िल्म फूल और पत्थर जिसमें वैम्प बनी शशिकला गाती है - शीशे से पी या पैमाने से पी या मेरी आँखों के मयख़ाने से पी और सबसे ज्यादा याद आ आया वो अंतिम सीन जहाँ वो अपने ख़ास वैम्पनुमा कपड़े पहन कर धर्मेन्द्र से मिलने बस्ती में जाती है और सारी बस्ती उसे देखने जमा हो जाती है। .

9 संबंधों: नरगिस, नौशाद, प्रियंका चोपड़ा, प्रकाश मेहरा, महेन्द्र कपूर, लीना चन्दावरकर, शाहिद कपूर, वहीदा रहमान, खय्याम

नरगिस

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नौशाद

नौशाद अली (1919-2006) हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध संगीतकार थे। पहली फिल्म में संगीत देने के 64 साल बाद तक अपने साज का जादू बिखेरते रहने के बावजूद नौशाद ने केवल 67 फिल्मों में ही संगीत दिया, लेकिन उनका कौशल इस बात की जीती जागती मिसाल है कि गुणवत्ता संख्याबल से कहीं आगे होती है। .

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प्रियंका चोपड़ा

प्रियंका चोपड़ा (जन्म: १८ जुलाई, १९८२) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। .

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प्रकाश मेहरा

प्रकाश मेहरा (जन्म: 13 जुलाई, 1939 मत्यु: 17 मई2009) हिन्दी फ़िल्मों के एक निर्माता एवं निर्देशक हैं। प्रकाश मेहरा का जन्म उत्तरप्रदेश के बिजनौर में हुआ था। मेहरा ने 50 के दशक में अपने फ़िल्मी जीवन की शुरूआत एक प्रोडक्शन कंट्रोलर की हैसियत से की थी। 1968 में उन्होंने शशि कपूर की फ़िल्म हसीना मान जाएगी का निर्देशन किया जिसमें शशि कपूर ने दोहरी भूमिका निभाई थी। इसके बाद 1971 में उन्होंने में मेला का निर्देशन किया जिसमें फिरोज खान और संजय खान ने मुख्य भूमिका निभाई थी। 1973 में उन्होंने जंजीर का निर्माण और निर्देशन किया। यह फ़िल्म जबरदस्त हिट रही और इस फ़िल्म ने अमिताभ के डवांडोल कैरियर को पटरी पर ला दिया.

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महेन्द्र कपूर

महेन्द्र कपूर (९ जनवरी १९३४-२७ सितंबर २००८) हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध पार्श्वगायक थे। उन्होंने बी आर चोपड़ा की फिल्मों हमराज़, ग़ुमराह, धूल का फूल, वक़्त, धुंध में विशेष रूप से यादगार गाने गाए। संगीतकार रवि ने इनमें से अधिकाश फ़िल्मों में संगीत दिया। .

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लीना चन्दावरकर

लीना चन्दावरकर हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। .

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शाहिद कपूर

शाहिद कपूर (जन्म २५ फरवरी, १९८१ को मुंबई, भारत में हुआ।) वे एक बॉलीवुड मॉडल और अभिनेता हैं। उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत, संगीत विडियो और विज्ञापन में काम कर के की। कपूर ने पहली बार बॉलीवुड में सुभाष घई (Subhash Ghai) कीताल (Taal) (१९९९) में पृष्ठभूमी डांसर के रूप में काम किया। ४ साल के बाद, उन्होंने इश्क विश्क (Ishq Vishk) (२००३) में मुख्य अभिनेता के रूप में काम किया और अपने अच्छे प्रदर्शन के लिए फ़िल्म फेयर बेस्ट मेल डेब्यू पुरस्कार (Filmfare Best Male Debut Award) जीता। अपनी फिल्मों जैसे फिदा (२००४) और शिखर (Shikhar) (२००५) में किए गए प्रदर्शन के लिए उनकी बहुत अधिक समीक्षा की गई, उन्हें अपनी पहली व्यावसायिक सफलता सूरज आर के साथ मिली। बड़जात्या (Sooraj R. Barjatya) की विवाह (Vivah) (२००६), उनकी सबसे बड़ी व्यापारिक सफलता थी और बाद में उन्होंने इसे जब वी मेट (Jab We Met) (२००७) के साथ जारी रखा। तब से, उन्होंने अपने आप को फ़िल्म उद्योग का एक सफल अभिनेता के रूप में स्थापित कर लिया है। शाहिद कपूर का जन्म २५ फ़रवरी १९८१ को हुआ। शाहिद कपूर भारती कलाकार हैं। शाहिद कपूर पंकज कपूर के बेटे हैं। वह रझन्स विद्यालय में पड़ते थे। यह विद्यालया मुंबई मेे है। .

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वहीदा रहमान

वहीदा रहमान (जन्म: 14 मई, 1938) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। .

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खय्याम

मोहम्मद ज़हुर "खय्याम" हाशमी भारतीय फ़िल्मों के प्रसिद्ध संगीतकार हैं। .

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