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ईरानी भाषा परिवार

सूची ईरानी भाषा परिवार

ईरानी भाषाओँ का वृक्ष, जिसमें उसकी उपशाखाएँ दिखाई गई हैं आधुनिक ईरानी भाषाओँ का फैलाव ईरानी भाषाएँ हिन्द-ईरानी भाषा परिवार की एक उपशाखा हैं। ध्यान रहे कि हिन्द-ईरानी भाषाएँ स्वयं हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार की एक उपशाखा हैं। आधुनिक युग में विश्व में लगभग १५-२० करोड़ लोग किसी ईरानी भाषा को अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं और ऍथ़नॉलॉग भाषाकोष में सन् २०११ तक ८७ ईरानी भाषाएँ दर्ज थीं।, Gernot Windfuhr, Routledge, 2009, ISBN 978-0-7007-1131-4, Raymond Gordon, Jr.

40 संबंधों: चीनी भाषा, एशिया, ताजिकिस्तान, तिब्बत, तुर्की, पश्तो भाषा, पहलवी, पामीरी भाषाएँ, पारसी धर्म, पार्थिया, पालि भाषा, पाकिस्तान, प्राकृत, फ़ारसी भाषा, फ़ारसी-अरबी लिपि, बलूचिस्तान (पाकिस्तान), बुख़ारा, ब्राह्मी लिपि, बौद्ध धर्म, मंगोलिया, समरक़न्द, सासानी साम्राज्य, संस्कृत भाषा, संस्कृति, सोग़दा, हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार, हिन्द-ईरानी भाषाएँ, हिन्द-आर्य भाषाएँ, हख़ामनी साम्राज्य, ईरान, वैदिक संस्कृत, ख़ैबर पख़्तूनख़्वा, आदिम हिन्द-ईरानी भाषा, इराक़, अफ़ग़ानिस्तान, अवस्ताई भाषा, अवेस्ता, अंकन (लिपि), अक्कादी भाषा, ऋग्वेद

चीनी भाषा

चीनी भाषा (अंग्रेजी: Chinese; 汉语/漢語, पिनयिन: Hànyǔ; 华语/華語, Huáyǔ; या 中文 हुआ-यू, Zhōngwén श़ोंग-वॅन) चीन देश की मुख्य भाषा और राजभाषा है। यह संसार में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। यह चीन एवं पूर्वी एशिया के कुछ देशों में बोली जाती है। चीनी भाषा चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार में आती है और वास्तव में कई भाषाओं और बोलियों का समूह है। मानकीकृत चीनी असल में एक 'मन्दारिन' नामक भाषा है। इसमें एकाक्षरी शब्द या शब्द भाग ही होते हैं और ये चीनी भावचित्र में लिखी जाती है (परम्परागत चीनी लिपि या सरलीकृत चीनी लिपि में)। चीनी एक सुरभेदी भाषा है। .

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एशिया

एशिया या जम्बुद्वीप आकार और जनसंख्या दोनों ही दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है, जो उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। पश्चिम में इसकी सीमाएं यूरोप से मिलती हैं, हालाँकि इन दोनों के बीच कोई सर्वमान्य और स्पष्ट सीमा नहीं निर्धारित है। एशिया और यूरोप को मिलाकर कभी-कभी यूरेशिया भी कहा जाता है। एशियाई महाद्वीप भूमध्य सागर, अंध सागर, आर्कटिक महासागर, प्रशांत महासागर और हिन्द महासागर से घिरा हुआ है। काकेशस पर्वत शृंखला और यूराल पर्वत प्राकृतिक रूप से एशिया को यूरोप से अलग करते है। कुछ सबसे प्राचीन मानव सभ्यताओं का जन्म इसी महाद्वीप पर हुआ था जैसे सुमेर, भारतीय सभ्यता, चीनी सभ्यता इत्यादि। चीन और भारत विश्व के दो सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश भी हैं। पश्चिम में स्थित एक लंबी भू सीमा यूरोप को एशिया से पृथक करती है। तह सीमा उत्तर-दक्षिण दिशा में नीचे की ओर रूस में यूराल पर्वत तक जाती है, यूराल नदी के किनारे-किनारे कैस्पियन सागर तक और फिर काकेशस पर्वतों से होते हुए अंध सागर तक। रूस का लगभग तीन चौथाई भूभाग एशिया में है और शेष यूरोप में। चार अन्य एशियाई देशों के कुछ भूभाग भी यूरोप की सीमा में आते हैं। विश्व के कुल भूभाग का लगभग ३/१०वां भाग या ३०% एशिया में है और इस महाद्वीप की जनसंख्या अन्य सभी महाद्वीपों की संयुक्त जनसंख्या से अधिक है, लगभग ३/५वां भाग या ६०%। उत्तर में बर्फ़ीले आर्कटिक से लेकर दक्षिण में ऊष्ण भूमध्य रेखा तक यह महाद्वीप लगभग ४,४५,७९,००० किमी क्षेत्र में फैला हुआ है और अपने में कुछ विशाल, खाली रेगिस्तानों, विश्व के सबसे ऊँचे पर्वतों और कुछ सबसे लंबी नदियों को समेटे हुए है। .

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ताजिकिस्तान

अंतरिक्ष से ताजिकिस्तान का मंज़र ताज़िकिस्तान (ताजिक: Тоҷикистон,, तोजिकिस्तोन) मध्य एशिया मे स्थित एक देश है जो चारों ओर से ज़मीन से घिरा (स्थलवेष्ठित) है। यह पहले सोवियत संघ का हिस्सा था और उस देश के विघटन के बाद सन् १९९१ में एक स्वतंत्र देश बना। १९९२-९७ के काल में गृहयुद्धों की मार झेल चुके इस देश की कूटनीतिक-भौगोलिक स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है। यह उज़बेकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, किर्गिज़स्तान तथा चीन के मध्य स्थित है। इसके अलावा पाकिस्तान के उत्तरी इलाके से इसे केवल अफ़ग़ानिस्तान के बदख़्शान प्रान्त का पतला-सा वाख़ान गलियारा ही अलग करता है। ताजिकिस्तान की राजधानी दुशानबे शहर है और यहाँ की भाषा को ताजिक कहा जाता है जो फ़ारसी भाषा का एक रूप माना जाता है। इस भाषा को सीरीलिक अक्षरों में लिखा जाता है जिसमें रूसी तथा कुछ अन्य भाषाएँ भी लिखी जाती हैं। .

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तिब्बत

तिब्बत का भूक्षेत्र (पीले व नारंगी रंगों में) तिब्बत के खम प्रदेश में बच्चे तिब्बत का पठार तिब्बत (Tibet) एशिया का एक क्षेत्र है जिसकी भूमि मुख्यतः उच्च पठारी है। इसे पारम्परिक रूप से बोड या भोट भी कहा जाता है। इसके प्रायः सम्पूर्ण भाग पर चीनी जनवादी गणराज्य का अधिकार है जबकि तिब्बत सदियों से एक पृथक देश के रूप में रहा है। यहाँ के लोगों का धर्म बौद्ध धर्म की तिब्बती बौद्ध शाखा है तथा इनकी भाषा तिब्बती है। चीन द्वारा तिब्बत पर चढ़ाई के समय (1955) वहाँ के राजनैतिक व धार्मिक नेता दलाई लामा ने भारत में आकर शरण ली और वे अब तक भारत में सुरक्षित हैं। .

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तुर्की

तुर्की (तुर्क भाषा: Türkiye उच्चारण: तुर्किया) यूरेशिया में स्थित एक देश है। इसकी राजधानी अंकारा है। इसकी मुख्य- और राजभाषा तुर्की भाषा है। ये दुनिया का अकेला मुस्लिम बहुमत वाला देश है जो कि धर्मनिर्पेक्ष है। ये एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है। इसके एशियाई हिस्से को अनातोलिया और यूरोपीय हिस्से को थ्रेस कहते हैं। स्थिति: 39 डिग्री उत्तरी अक्षांश तथा 36 डिग्री पूर्वी देशान्तर। इसका कुछ भाग यूरोप में तथा अधिकांश भाग एशिया में पड़ता है अत: इसे यूरोप एवं एशिया के बीच का 'पुल' कहा जाता है। इजीयन सागर (Aegean sea) के पतले जलखंड के बीच में आ जाने से इस पुल के दो भाग हो जाते हैं, जिन्हें साधारणतया यूरोपीय टर्की तथा एशियाई टर्की कहते हैं। टर्की के ये दोनों भाग बॉसपोरस के जलडमरूमध्य, मारमारा सागर तथा डारडनेल्ज द्वारा एक दूसरे से अलग होते हैं। टर्की गणतंत्र का कुल क्षेत्रफल 2,96,185 वर्ग मील है जिसमें यूरोपीय टर्की (पूर्वी थ्रैस) का क्षेत्रफल 9,068 वर्ग मील तथा एशियाई टर्की (ऐनाटोलिआ) का क्षेत्रफल 2,87,117 वर्ग मील है। इसके अंतर्गत 451 दलदली स्थल तथा 3,256 खारे पानी की झीलें हैं। पूर्व में रूस और ईरान, दक्षिण की ओर इराक, सीरिया तथा भूमध्यसागर, पश्चिम में ग्रीस और बुल्गारिया और उत्तर में कालासागर इसकी राजनीतिक सीमा निर्धारित करते हैं। यूरोपीय टर्की - त्रिभुजाकर प्रायद्वीपी प्रदेश है जिसका शीर्षक पूर्व में बॉसपोरस के मुहाने पर है। उसके उत्तर तथा दक्षिण दोनों ओर पर्वतश्रेणियाँ फैली हुई हैं। मध्य में निचला मैदान मिलता है जिसमें होकर मारीत्सा और इरजिन नदियाँ बहती हैं। इसी भाग से होकर इस्तैस्म्यूल का संबंध पश्चिमी देशों से है। एशियाई टर्की - इसको हम तीन प्राकृतिक भागों में विभाजित कर सकते हैं: 1.

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पश्तो भाषा

कोई विवरण नहीं।

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पहलवी

पहलवी का निम्नलिखित अर्थों में प्रयोग होता है-.

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पामीरी भाषाएँ

पामीरी भाषाएँ पामीर पर्वत क्षेत्र में बोली जाती हैं पामीरी भाषाएँ (फ़ारसी:, ज़बानहा-ए-पामीरी; अंग्रेज़ी: Pamir languages) पूर्वी ईरानी भाषा-परिवार की एक उपशाखा हैं जिसकी सदस्य भाषाएँ पामीर पर्वत क्षेत्र में बसने वाले बहुत से समुदाय बोलते हैं, विशेषकर वह समुदाय जो पंज नदी और उसकी उपनदियों के किनारे वास करते हैं। इसे बोलने वाले इलाक़ों में पूर्वोत्तरी अफ़्ग़ानिस्तान का बदख़्शान प्रान्त और पूर्वी ताजिकिस्तान के कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रान्त हैं। इनके अलावा एक सरिकोली नामक भाषा अफ़्ग़ानिस्तान और चीन के शिनजियांग प्रान्त के सीमावर्ती इलाक़ों में बोली जाती है। सरिकोली को चीन में 'ताजिकी भाषा' कहा जाता है लेकिन ध्यान दें कि यह ताजिकिस्तान में बोली जाने वाली ताजिकी भाषा से बिलकुल अलग है।, Frank Bliss, Psychology Press, 2006, ISBN 978-0-415-30806-9,...

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पारसी धर्म

पारसी धर्म ईरान का प्राचीन काल से प्रचलित धर्म है। ये ज़न्द अवेस्ता नाम के धर्मग्रंथ पर आधारित है। इसके प्रस्थापक महात्मा ज़रथुष्ट्र हैं, इसलिये इस धर्म को ज़रथुष्ट्री धर्म (Zoroastrianism) भी कहते हैं। .

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पार्थिया

पार्थी घुड़सवार पार्थ या पार्थिया (फ़ारसी:, पार्त; अंग्रेज़ी: Parthia) उत्तर-पूर्वी ईरान और उस के समीप के क्षेत्र का ऐतिहासिक नाम है। यहाँ कभी पार्थी लोग अपना साम्राज्य चलाया करते थे जो २४७ ईसापूर्व से २२४ ईसवी तक चला। इस साम्राज्य को अशकानी साम्राज्य (फ़ारसी:, अशकानियाँ; अंग्रेज़ी: Arsacid Empire) के नाम से भी जाना जाता है। पार्थी लोग एक ईरानी भाषा बोलने वाली जाति थी।, Malcolm A. R. Colledge, BRILL, 1986, ISBN 978-90-04-07115-5,...

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पालि भाषा

ब्राह्मी तथा भाषा '''पालि''' है। पालि प्राचीन उत्तर भारत के लोगों की भाषा थी। जो पूर्व में बिहार से पश्चिम में हरियाणा-राजस्थान तक और उत्तर में नेपाल-उत्तरप्रदेश से दक्षिण में मध्यप्रदेश तक बोली जाती थी। भगवान बुद्ध भी इन्हीं प्रदेशो में विहरण करते हुए लोगों को धर्म समझाते रहे। आज इन्ही प्रदेशों में हिंदी बोली जाती है। इसलिए, पाली प्राचीन हिन्दी है। यह हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में की एक बोली या प्राकृत है। इसको बौद्ध त्रिपिटक की भाषा के रूप में भी जाना जाता है। पाली, ब्राह्मी परिवार की लिपियों में लिखी जाती थी। .

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पाकिस्तान

इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान या पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र या सिर्फ़ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। 20 करोड़ की आबादी के साथ ये दुनिया का छठा बड़ी आबादी वाला देश है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची व लाहौर रावलपिंडी हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा। क़बाइली इलाक़े और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा पाक अधिकृत कश्मीर (तथाकथित आज़ाद कश्मीर) और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं हालाँकि भारत इन्हें अपना भाग मानता है। पाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था। सर्वप्रथम सन् 1930 में कवि (शायर) मुहम्मद इक़बाल ने द्विराष्ट्र सिद्धान्त का ज़िक्र किया था। उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफ़गान (सूबा-ए-सरहद) को मिलाकर एक नया राष्ट्र बनाने की बात की थी। सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने पंजाब, सिन्ध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान के लोगों के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना) शब्द का सृजन किया। सन् 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बंटा रहा - पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। दिसम्बर, सन् 1971 में भारत के साथ हुई लड़ाई के फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान रह गया। .

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प्राकृत

सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र । इसकी रचना मूलतः तीसरी-चौथी शताब्दी ईसापूर्व में की गयी थी। भारतीय आर्यभाषा के मध्ययुग में जो अनेक प्रादेशिक भाषाएँ विकसित हुई उनका सामान्य नाम प्राकृत है और उन भाषाओं में जो ग्रंथ रचे गए उन सबको समुच्चय रूप से प्राकृत साहित्य कहा जाता है। विकास की दृष्टि से भाषावैज्ञानिकों ने भारत में आर्यभाषा के तीन स्तर नियत किए हैं - प्राचीन, मध्यकालीन और अर्वाचीन। प्राचीन स्तर की भाषाएँ वैदिक संस्कृत और संस्कृत हैं, जिनके विकास का काल अनुमानत: ई. पू.

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फ़ारसी भाषा

फ़ारसी, एक भाषा है जो ईरान, ताजिकिस्तान, अफ़गानिस्तान और उज़बेकिस्तान में बोली जाती है। यह ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान की राजभाषा है और इसे ७.५ करोड़ लोग बोलते हैं। भाषाई परिवार के लिहाज़ से यह हिन्द यूरोपीय परिवार की हिन्द ईरानी (इंडो ईरानियन) शाखा की ईरानी उपशाखा का सदस्य है और हिन्दी की तरह इसमें क्रिया वाक्य के अंत में आती है। फ़ारसी संस्कृत से क़ाफ़ी मिलती-जुलती है और उर्दू (और हिन्दी) में इसके कई शब्द प्रयुक्त होते हैं। ये अरबी-फ़ारसी लिपि में लिखी जाती है। अंग्रेज़ों के आगमन से पहले भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ारसी भाषा का प्रयोग दरबारी कामों तथा लेखन की भाषा के रूप में होता है। दरबार में प्रयुक्त होने के कारण ही अफ़गानिस्तान में इस दारी कहा जाता है। .

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फ़ारसी-अरबी लिपि

फ़ारसी-अरबी लिपि या सिर्फ़ फ़ारसी लिपि (अलिफ़बाई फ़ारसी) अरबी लिपि पर आधारित एक लिपि है जिसका प्रयोग फ़ारसी, उर्दू, सिन्धी, पंजाबी और अन्य भाषाओँ को लिखने के लिए किया जाता है। इसका इजाद मुख्य रूप से इसलिए हुआ क्योंकि फ़ारसी में कुछ ध्वनियाँ हैं जो अरबी भाषा में नहीं हैं इसलिए उन्हें दर्शाने के लिए अरबी लिपि में कुछ नए अक्षरों को जोड़ना पड़ा।, Guy Ankerl, INU PRESS, 2000, ISBN 978-2-88155-004-1,...

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बलूचिस्तान (पाकिस्तान)

बलूचिस्तान (उर्दू: بلوچستان) पाकिस्तान का पश्चिमी प्रांत है। बलूचिस्तान नाम का क्षेत्र बड़ा है और यह ईरान (सिस्तान व बलूचिस्तान प्रांत) तथा अफ़ग़ानिस्तान के सटे हुए क्षेत्रों में बँटा हुआ है। यहां की राजधानी क्वेटा है। यहाँ के लोगों की प्रमुख भाषा बलूच या बलूची के नाम से जानी जाती है। १९४४ में बलूचिस्तान के स्वतंत्रता का विचार जनरल मनी के विचार में आया था पर १९४७ में ब्रिटिश इशारे पर इसे पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया। १९७० के दशक में एक बलूच राष्ट्रवाद का उदय हुआ जिसमें बलूचिस्तान को पाकिस्तान से स्वतंत्र करने की मांग उठी। यह प्रदेश पाकिस्तान के सबसे कम आबाद इलाकों में से एक है। .

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बुख़ारा

बुख़ारा के अमीर के महल का दरवाज़ा, यह यूनेस्को द्वारा पंजीकृत विश्व धरोहर स्थल है बुख़ारा में पाया गया यवन-बैक्ट्रियाई सम्राट युक्राटीडीस (१७०-१४५ ईसापूर्व) द्वारा ज़र्ब सिक्का जो प्राचीनकाल का सबसे बड़ा सोने का सिक्का है। इसका वज़न १६९.२ ग्राम और व्यास (डायामीटर) ५८ मिलीमीटर है। इसे फ़्रांसिसी सम्राट नेपोलियन तृतीय ने ले लिया था और अब यह पैरिस के एक संग्राहलय में है। अलीम ख़ान (१८८०-१९४४), बुख़ारा का अंतिम अमीर, जिसे १९२० में सिंहासन से हटा दिया गया कलाँ मीनार (यानि 'बड़ी मीनार') नादिर दीवान-बेग़ी मदरसे के दरवाज़े पर अमरपक्षी (काल्पनिक फ़ीनिक्स पक्षी), यह लब-ए-हौज़ स्थल का हिस्सा है बुख़ारा (रूसी: Бухара, फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Bokhara) मध्य एशिया में स्थित उज़बेकिस्तान देश के बुख़ारा प्रान्त की राजधानी है। यह उज़बेकिस्तान की पाँचवी सबसे बड़ी नगरी है। इसकी जनसंख्या २,३७,९०० है (सन् १९९९ अनुमानानुसार) और यह शहर लगभग पाँच हजार वर्षों से बसा हुआ है।, Europa Publications Limited, Taylor & Francis, 2002, ISBN 978-1-85743-137-7,...

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ब्राह्मी लिपि

कान्हेरी गुफा की एक शिला पर ब्राह्मी लेख ब्राह्मी एक प्राचीन लिपि है जिससे कई एशियाई लिपियों का विकास हुआ है। देवनागरी सहित अन्य दक्षिण एशियाई, दक्षिण-पूर्व एशियाई, तिब्बती तथा कुछ लोगों के अनुसार कोरियाई लिपि का विकास भी इसी से हुआ था। इथियोपियाई लिपि पर ब्राह्मी लिपि का स्पष्ट प्रभाव है। .

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बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और महान दर्शन है। इसा पूर्व 6 वी शताब्धी में बौद्ध धर्म की स्थापना हुई है। बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध है। भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी, नेपाल और महापरिनिर्वाण 483 ईसा पूर्व कुशीनगर, भारत में हुआ था। उनके महापरिनिर्वाण के अगले पाँच शताब्दियों में, बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैला और अगले दो हजार वर्षों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फैल गया। आज, हालाँकि बौद्ध धर्म में चार प्रमुख सम्प्रदाय हैं: हीनयान/ थेरवाद, महायान, वज्रयान और नवयान, परन्तु बौद्ध धर्म एक ही है किन्तु सभी बौद्ध सम्प्रदाय बुद्ध के सिद्धान्त ही मानते है। बौद्ध धर्म दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है।आज पूरे विश्व में लगभग ५४ करोड़ लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी है, जो दुनिया की आबादी का ७वाँ हिस्सा है। आज चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैण्ड, म्यान्मार, भूटान, श्रीलंका, कम्बोडिया, मंगोलिया, तिब्बत, लाओस, हांगकांग, ताइवान, मकाउ, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया एवं उत्तर कोरिया समेत कुल 18 देशों में बौद्ध धर्म 'प्रमुख धर्म' धर्म है। भारत, नेपाल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, रूस, ब्रुनेई, मलेशिया आदि देशों में भी लाखों और करोडों बौद्ध हैं। .

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मंगोलिया

मंगोलिया (मंगोलियन: Монгол улс) पूर्व और मध्य एशिया में एक भूमि से घिरा (लेंडलॉक) देश है। इसकी सीमाएं उत्तर में रूस, दक्षिण, पूर्वी और पश्चिमी में चीन से मिलती हैं। हालांकि, मंगोलिया की सीमा कज़ाख़िस्तान से नहीं मिलती, लेकिन इसकी सबसे पश्चिमी छोर कज़ाख़िस्तान के पूर्वी सिरे से केवल 24 मील (38 किमी) दूर है। देश की राजधानी और सबसे बड़ा शहर उलान बाटोर है, जहां देश की लगभग 38% जनसंख्या निवास करती है। मंगोलिया में संसदीय गणतंत्र है। .

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समरक़न्द

समरक़न्द शहर का 'रेगिस्तान' नामक पुरातन स्थल समरक़न्द (Samarqand, Самарқанд, سمرقند) उज़बेकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा नगर है। मध्य एशिया में स्थित यह नगर ऐतिहासिक और भौगोलिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण शहर रहा है। इस नगर का महत्व रेशम मार्ग पर पश्चिम और चीन के मध्य स्थित होने के कारण बहुत अधिक है। भारत के इतिहास में भी इस नगर का महत्व है क्योंकि बाबर इसी स्थान के शासक बनने की चेष्टा करता रहा था। बाद में जब वह विफल हो गया तो भागकर काबुल आया था जिसके बाद वो दिल्ली पर कब्ज़ा करने में कामयाब हो गया था। 'बीबी ख़ानिम की मस्जिद' इस शहर की सबसे प्रसिद्ध इमारत है। २००१ में यूनेस्को ने इस २७५० साल पुरान शहर को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया। इसका उस सूची में नाम है: 'समरकन्द - संस्कृति का चौराहा'। .

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सासानी साम्राज्य

सासानी साम्राज्य (गहरा हरा रंग); मध्यम हरे रंग में दिखाया गया क्षेत्र में पूर्वी रोमनों से युद्धरत सासानी (तीसरी सदी - 648) ईरान के इतिहास में सबसे प्रभावशाली शासकों में से एक हैं। इनका स्थान ईरान में हख़ामनी वंश के बाद सबसे सशक्त शासक वंशों में गिना जाता है। इनका उदय ईरान के दक्षिण में फ़ार्स में हुआ था - ये वही राज्य है जिसे हख़ामनी शासकों का मूल स्थान माना जाता है। अप्रैल 224 में एक अर्सासिद परिवार के लोग सशक्त हो गए। पर उनको क़ुज़ेस्तान में लड़े एक युद्ध में हरा कर अर्दाशिर नाम के एक व्यक्ति ने अपनी प्रभुता स्थापित की। उन्होंने अपने को हख़ामनी वंश (एकेमेनिड) के मूल का बताया। इसके बाद बने वंश को सासानी कहते हैं क्योंकि उनका पूर्ववर्ती सासान था। .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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संस्कृति

संस्कृति किसी समाज में गहराई तक व्याप्त गुणों के समग्र रूप का नाम है, जो उस समाज के सोचने, विचारने, कार्य करने, खाने-पीने, बोलने, नृत्य, गायन, साहित्य, कला, वास्तु आदि में परिलक्षित होती है। संस्कृति का वर्तमान रूप किसी समाज के दीर्घ काल तक अपनायी गयी पद्धतियों का परिणाम होता है। ‘संस्कृति’ शब्द संस्कृत भाषा की धातु ‘कृ’ (करना) से बना है। इस धातु से तीन शब्द बनते हैं ‘प्रकृति’ (मूल स्थिति), ‘संस्कृति’ (परिष्कृत स्थिति) और ‘विकृति’ (अवनति स्थिति)। जब ‘प्रकृत’ या कच्चा माल परिष्कृत किया जाता है तो यह संस्कृत हो जाता है और जब यह बिगड़ जाता है तो ‘विकृत’ हो जाता है। अंग्रेजी में संस्कृति के लिये 'कल्चर' शब्द प्रयोग किया जाता है जो लैटिन भाषा के ‘कल्ट या कल्टस’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है जोतना, विकसित करना या परिष्कृत करना और पूजा करना। संक्षेप में, किसी वस्तु को यहाँ तक संस्कारित और परिष्कृत करना कि इसका अंतिम उत्पाद हमारी प्रशंसा और सम्मान प्राप्त कर सके। यह ठीक उसी तरह है जैसे संस्कृत भाषा का शब्द ‘संस्कृति’। संस्कृति का शब्दार्थ है - उत्तम या सुधरी हुई स्थिति। मनुष्य स्वभावतः प्रगतिशील प्राणी है। यह बुद्धि के प्रयोग से अपने चारों ओर की प्राकृतिक परिस्थिति को निरन्तर सुधारता और उन्नत करता रहता है। ऐसी प्रत्येक जीवन-पद्धति, रीति-रिवाज रहन-सहन आचार-विचार नवीन अनुसन्धान और आविष्कार, जिससे मनुष्य पशुओं और जंगलियों के दर्जे से ऊँचा उठता है तथा सभ्य बनता है, सभ्यता और संस्कृति का अंग है। सभ्यता (Civilization) से मनुष्य के भौतिक क्षेत्र की प्रगति सूचित होती है जबकि संस्कृति (Culture) से मानसिक क्षेत्र की प्रगति सूचित होती है। मनुष्य केवल भौतिक परिस्थितियों में सुधार करके ही सन्तुष्ट नहीं हो जाता। वह भोजन से ही नहीं जीता, शरीर के साथ मन और आत्मा भी है। भौतिक उन्नति से शरीर की भूख मिट सकती है, किन्तु इसके बावजूद मन और आत्मा तो अतृप्त ही बने रहते हैं। इन्हें सन्तुष्ट करने के लिए मनुष्य अपना जो विकास और उन्नति करता है, उसे संस्कृति कहते हैं। मनुष्य की जिज्ञासा का परिणाम धर्म और दर्शन होते हैं। सौन्दर्य की खोज करते हुए वह संगीत, साहित्य, मूर्ति, चित्र और वास्तु आदि अनेक कलाओं को उन्नत करता है। सुखपूर्वक निवास के लिए सामाजिक और राजनीतिक संघटनों का निर्माण करता है। इस प्रकार मानसिक क्षेत्र में उन्नति की सूचक उसकी प्रत्येक सम्यक् कृति संस्कृति का अंग बनती है। इनमें प्रधान रूप से धर्म, दर्शन, सभी ज्ञान-विज्ञानों और कलाओं, सामाजिक तथा राजनीतिक संस्थाओं और प्रथाओं का समावेश होता है। .

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सोग़दा

३०० ईसापूर्व में सोग़दा का क्षेत्र एक चीनी शिल्प-वस्तु पर सोग़दाई लोगों का चित्रण सोग़दाई व्यापारी भगवान बुद्ध को भेंट देते हुए (बाएँ की तस्वीर के निचले हिस्से को दाई तरफ़ बड़ा कर के दिखाया गया है) सोग़दा, सोग़दिया या सोग़दियाना (ताजिक: Суғд, सुग़्द; तुर्की: Soğut, सोग़ुत) मध्य एशिया में स्थित एक प्राचीन सभ्यता थी। यह आधुनिक उज़्बेकिस्तान के समरक़न्द, बुख़ारा, ख़ुजन्द और शहर-ए-सब्ज़ के नगरों के इलाक़े में फैली हुई थी। सोग़दा के लोग एक सोग़दाई नामक भाषा बोलते थे जो पूर्वी ईरानी भाषा थी और समय के साथ विलुप्त हो गई। माना जाता है कि आधुनिक काल के ताजिक, पश्तून और यग़नोबी लोगों में से बहुत इन्ही सोग़दाई लोगों के वंशज हैं। .

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हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार

हिन्द - यूरोपीय भाषाओं देश बोल रही हूँ. गाढ़े हरे रंग के देश में जो बहुमत भाषा हिन्द - यूरोपीय परिवार हैं, लाइट ग्रीन एक देश वह जिसका आधिकारिक भाषा हिंद- यूरोपीय है, लेकिन अल्पसंख्यकों में है। हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा-परिवार संसार का सबसे बड़ा भाषा परिवार (यानी कि सम्बंधित भाषाओं का समूह) हैं। हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा परिवार में विश्व की सैंकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ सम्मिलित हैं। आधुनिक हिन्द यूरोपीय भाषाओं में से कुछ हैं: हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी, फ़्रांसिसी, जर्मन, पुर्तगाली, स्पैनिश, डच, फ़ारसी, बांग्ला, पंजाबी, रूसी, इत्यादि। ये सभी भाषाएँ एक ही आदिम भाषा से निकली है, उसे आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा का नाम दे सकता है। यह संस्कृत से बहुत मिलती-जुलती थी, जैसे कि वह सांस्कृत का ही आदिम रूप हो। .

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हिन्द-ईरानी भाषाएँ

हिन्द ईरानी शाखा हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की एक शाखा है। ये सातम वर्ग के अन्दर आती है। इसकी दो उपशाखाएँ हैं.

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हिन्द-आर्य भाषाएँ

हिन्द-आर्य भाषाएँ हिन्द-यूरोपीय भाषाओं की हिन्द-ईरानी शाखा की एक उपशाखा हैं, जिसे 'भारतीय उपशाखा' भी कहा जाता है। इनमें से अधिकतर भाषाएँ संस्कृत से जन्मी हैं। हिन्द-आर्य भाषाओं में आदि-हिन्द-यूरोपीय भाषा के 'घ', 'ध' और 'फ' जैसे व्यंजन परिरक्षित हैं, जो अन्य शाखाओं में लुप्त हो गये हैं। इस समूह में यह भाषाएँ आती हैं: संस्कृत, हिन्दी, उर्दू, बांग्ला, कश्मीरी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, रोमानी, असमिया, गुजराती, मराठी, इत्यादि। .

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हख़ामनी साम्राज्य

अजमीढ़ साम्राज्य अपने चरम पर - ईसापूर्व सन् 500 के आसपास हख़ामनी वंश या अजमीढ़ साम्राज्य(अंग्रेज़ी तथा ग्रीक में एकेमेनिड, अजमीढ़ साम्राज्य (ईसापूर्व 550 - ईसापूर्व 330) प्राचीन ईरान (फ़ारस) का एक शासक वंश था। यह प्राचीन ईरान के ज्ञात इतिहास का पहला शासक वंश था जिसने आज के लगभग सम्पूर्ण ईरान पर अपनी प्रभुसत्ता हासिल की थी और इसके अलावा अपने चरमकाल में तो यह पश्मिम में यूनान से लेकर पूर्व में सिंधु नदी तक और उत्तर में कैस्पियन सागर से लेकर दक्षिण में अरब सागर तक फैल गया था। इतना बड़ा साम्राज्य इसके बाद बस सासानी शासक ही स्थापित कर पाए थे। इस वंश का पतन सिकन्दर के आक्रमण से सन ३३० ईसापूर्व में हुआ था, जिसके बाद इसके प्रदेशों पर यूनानी (मेसीडोन) प्रभुत्व स्थापित हो गया था। पश्चिम में इस साम्राज्य को मिस्र एवम बेबीलोन पर अधिकार, यूनान के साथ युद्ध तथा यहूदियों के मंदिर निर्माण में सहयोग के लिए याद किया जाता है। कुरोश तथा दारुश को इतिहास में महान की संज्ञा से भी संबोधित किया जाता है। इस वंश को आधुनिक फ़ारसी भाषा बोलने वाले ईरानियों की संस्कृति का आधार कहा जाता है। इस्लाम के पूर्व प्राचीन ईरान के इस साम्राज्य को ईरानी अपने गौरवशाली अतीत की तरह देखते हैं, जो अरबों द्वारा ईरान पर शासन और प्रभाव स्थापित करने से पूर्व था। आज भी ईरानी अपने नाम इस काल के शासकों के नाम पर रखते हैं जो मुस्लिम नाम नहीं माने जाते हैं। ज़रदोश्त के प्रभाव से पारसी धर्म के शाही रूप का प्रतीक भी इसी वंश को माना जाता है। तीसरी सदी में स्थापित सासानी वंश के शासकों ने अपना मूल हख़ामनी वंश को ही बताया था। .

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ईरान

ईरान (جمهوری اسلامی ايران, जम्हूरीए इस्लामीए ईरान) जंबुद्वीप (एशिया) के दक्षिण-पश्चिम खंड में स्थित देश है। इसे सन १९३५ तक फारस नाम से भी जाना जाता है। इसकी राजधानी तेहरान है और यह देश उत्तर-पूर्व में तुर्कमेनिस्तान, उत्तर में कैस्पियन सागर और अज़रबैजान, दक्षिण में फारस की खाड़ी, पश्चिम में इराक और तुर्की, पूर्व में अफ़ग़ानिस्तान तथा पाकिस्तान से घिरा है। यहां का प्रमुख धर्म इस्लाम है तथा यह क्षेत्र शिया बहुल है। प्राचीन काल में यह बड़े साम्राज्यों की भूमि रह चुका है। ईरान को १९७९ में इस्लामिक गणराज्य घोषित किया गया था। यहाँ के प्रमुख शहर तेहरान, इस्फ़हान, तबरेज़, मशहद इत्यादि हैं। राजधानी तेहरान में देश की १५ प्रतिशत जनता वास करती है। ईरान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः तेल और प्राकृतिक गैस निर्यात पर निर्भर है। फ़ारसी यहाँ की मुख्य भाषा है। ईरान में फारसी, अजरबैजान, कुर्द और लूर सबसे महत्वपूर्ण जातीय समूह हैं .

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वैदिक संस्कृत

ऋग्वेद में वैदिक संस्कृत का सब से प्राचीन रूप मिलता है ऋग्वेद १०.९०:२ का श्लोक: यह पुरुष वह सर्वस्व है जो हुआ है (भूतं) या होगा (भव्यं)। अमरता का ईश्वर (ईशानः) अन्न से और भी विस्तृत (अतिऽरोहति) होता है। वैदिक संस्कृत २००० ईसापूर्व (या उस से भी पहले) से लेकर ६०० ईसापूर्व तक बोली जाने वाली एक हिन्द-आर्य भाषा थी। यह संस्कृत की पूर्वज भाषा थी और आदिम हिन्द-ईरानी भाषा की बहुत ही निकट की संतान थी। उस समय फ़ारसी और संस्कृत का विभाजन बहुत नया था, इसलिए वैदिक संस्कृत और अवस्ताई भाषा (प्राचीनतम ज्ञात ईरानी भाषा) एक-दूसरे के बहुत क़रीब हैं। वैदिक संस्कृत हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की हिन्द-ईरानी भाषा शाखा की सब से प्राचीन प्रमाणित भाषा है।, Alain Daniélou, Kenneth Hurry, Inner Traditions / Bear & Co, 2003, ISBN 978-0-89281-923-2,...

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ख़ैबर पख़्तूनख़्वा

मकरा चोटी ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा (पहले:उत्तर पश्चिम सीमांत प्रान्त) पाकिस्तान का एक प्रान्त या सूबा है। इसे सूबा-ए-सरहद के नाम से भी जाना जाता है जो अफ़ग़ानिस्तान की सीमा पर स्थित है। यहाँ पर पश्तूनों की आबादी अधिक है जिन्हें स्थानीय रूप से पख़्तून भी कहते हैं। इनकी मातृभाषा पश्तो है। इस प्रांत की जनसंख्या करीब 2 करोड़ है जिसमें अफ़ग़ानिस्तान से आए शरणार्थियों की 15 लाख की आबादी सम्मिलित नहीं है। .

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आदिम हिन्द-ईरानी भाषा

हिन्द-ईरानी भाषा आदिम हिन्द-ईरानी भाषा वह लुप्त भाषा थी जो हिन्द-ईरानी भाषा परिवार की सभी भाषाओँ की जननी थी, जिनमें संस्कृत, हिन्दी, कश्मीरी, सिन्धी, पंजाबी, असमिया, अवस्ताई, फ़ारसी, पश्तो, बलोची और कुर्दी भाषाएँ शामिल हैं। यह हिन्द-यूरोपी भाषा परिवार की एक भाषा थी और इस से ही हिन्द-ईरानी भाषा शाखा शुरू हुई। अनुमान किया जाता है के इसे बोलने वाले आदिम-हिन्दी-ईरानी लोग 2500 ईसा-पूर्व के आसपास के दौर में रहते थे। .

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इराक़

इराक़ पश्चिमी एशिया में स्थित एक जनतांत्रिक देश है जहाँ के लोग मुख्यतः मुस्लिम हैं। इसके दक्षिण में सउदी अरब और कुवैत, पश्चिम में जोर्डन और सीरिया, उत्तर में तुर्की और पूर्व में ईरान अवस्थित है। दक्षिण पश्चिम की दिशा में यह फ़ारस की खाड़ी से भी जुड़ा है। दजला नदी और फरात इसकी दो प्रमुख नदियाँ हैं जो इसके इतिहास को ५००० साल पीछे ले जाती हैं। इसके दोआबे में ही मेसोपोटामिया की सभ्यता का उदय हुआ था। इराक़ के इतिहास में असीरिया के पतन के बाद विदेशी शक्तियों का प्रभुत्व रहा है। ईसापूर्व छठी सदी के बाद से फ़ारसी शासन में रहने के बाद (सातवीं सदी तक) इसपर अरबों का प्रभुत्व बना। अरब शासन के समय यहाँ इस्लाम धर्म आया और बगदाद अब्बासी खिलाफत की राजधानी रहा। तेरहवीं सदी में मंगोल आक्रमण से बगदाद का पतन हो गया और उसके बाद की अराजकता के सालों बाद तुर्कों (उस्मानी साम्राज्य) का प्रभुत्व यहाँ पर बन गया २००३ से दिसम्बर २०११ तक अमेरिका के नेतृत्व में नैटो की सेना की यहाँ उपस्थिति बनी हुई थी जिसके बाद से यहाँ एक जनतांत्रिक सरकार का शासन है। राजधानी बगदाद के अलावा करबला, बसरा, किर्कुक तथा नजफ़ अन्य प्रमुख शहर हैं। यहाँ की मुख्य बोलचाल की भाषा अरबी और कुर्दी भाषा है और दोनों को सांवैधानिक दर्जा मिला है। .

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अफ़ग़ानिस्तान

अफ़ग़ानिस्तान इस्लामी गणराज्य दक्षिणी मध्य एशिया में अवस्थित देश है, जो चारो ओर से जमीन से घिरा हुआ है। प्रायः इसकी गिनती मध्य एशिया के देशों में होती है पर देश में लगातार चल रहे संघर्षों ने इसे कभी मध्य पूर्व तो कभी दक्षिण एशिया से जोड़ दिया है। इसके पूर्व में पाकिस्तान, उत्तर पूर्व में भारत तथा चीन, उत्तर में ताजिकिस्तान, कज़ाकस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान तथा पश्चिम में ईरान है। अफ़ग़ानिस्तान रेशम मार्ग और मानव प्रवास का8 एक प्राचीन केन्द्र बिन्दु रहा है। पुरातत्वविदों को मध्य पाषाण काल ​​के मानव बस्ती के साक्ष्य मिले हैं। इस क्षेत्र में नगरीय सभ्यता की शुरुआत 3000 से 2,000 ई.पू.

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अवस्ताई भाषा

अवस्ताई भाषा में अनुहावैती गाथा का यस्न 28.1 अवस्ताई एक पूर्वी ईरानी भाषा है जिसका ज्ञान आधुनिक युग में केवल पारसी धर्म के ग्रंथों, यानि अवस्ता, के द्वारा पहुँच पाया है। इतिहासकारों का मानना है के मध्य एशिया के बॅक्ट्रिया और मार्गु क्षेत्रों में स्थित याज़ संस्कृति में यह भाषा या इसकी उपभाषाएँ 1500-1100 ईसापूर्व के काल में बोली जाती थीं। क्योंकि यह एक धार्मिक भाषा बन गई, इसलिए इस भाषा के साधारण जीवन से लुप्त होने के पश्चात भी इसका प्रयोग नए ग्रंथों को लिखने के लिए होता रहा। .

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अवेस्ता

जिस भाषा के माध्यम का आश्रय लेकर जरथुस्त्र धर्म (पारस इरान) का मूल धर्म) का विशाल साहित्य निर्मित हुआ है उसे अवेस्ता कहते हैं। अवेस्ता या "ज़ेंद अवेस्ता" नाम से भी धार्मिक भाषा और धर्म ग्रंथों का बोध होता है। उपलब्ध साहित्य में इसका प्रमाण नहीं मिलता कि पैंगंबर अथवा उनके समकालीन अनुयायियों के लेखन अथवा बोलचाल की भाषा का नाम क्या था। परंतु परंपरा से यह सिद्ध है कि उस भाषा और साहित्य का भी नाम "अविस्तक" था। अनुमान है कि इस शब्द के मूल में "विद्" (जानना) धातु है जिसका अभिप्राय ज्ञान अथवा बुद्धि है। .

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अंकन (लिपि)

२६शती ईसा पूर्व का सुमेरी अभिलेख अंकन लिपि, क्यूनिफार्म लिपि (Cuneiform script) या कीलाक्षर विश्व में लिखने की प्राचीनतम विधियों में से एक है। छठी-सातवीं सदी ई.पू.

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अक्कादी भाषा

अक्कादी भाषा (Akkadian या Accadian या Assyro-Babylonian) एक मृत सामी भाषा है। यह प्राचीन मेसोपोटामिया में बोली जाती थी। यह अंकन लिपि (cuneiform writing system) में लिखी जाती थी। अक्कादी का यह नाम उस अक्काद नगर से पड़ा जो ईसा पूर्व 24वीं सदी में प्रसिद्ध सम्राट् शर्रूकीन की राजधानी था। तभी अक्कादी को राजभाषा का पद मिला। कालांतर में अक्कादी, प्रदेश और काल के अनुसार, असूरी (Assyrian) और बाबुली (Babylonian) नामक जनबोलियों में विकसित होकर बँट गई। असूरी दजला नदी (इराक) की उपरली घाटी में और बाबुली दजला-फरात के सागरवर्ती दोआब में बोली जाती थी। काल क्रम से अक्कादी के तीन युग माने जाते हैं- 1. प्राचीन काल (लगभग 2000 ई.पू.-लगभग 1500 ई.पू.), 2. मध्यकाल (लगभग 1500 ई.पू.- लगभग 1000 ई.पू.) और 3. उत्तरकाल (लगभग 1000 ई.पू - लगभग 500 ई.पू.)। .

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ऋग्वेद

ऋग्वेद सनातन धर्म का सबसे आरंभिक स्रोत है। इसमें १०२८ सूक्त हैं, जिनमें देवताओं की स्तुति की गयी है इसमें देवताओं का यज्ञ में आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं, यही सर्वप्रथम वेद है। ऋग्वेद को इतिहासकार हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की अभी तक उपलब्ध पहली रचनाऔं में एक मानते हैं। यह संसार के उन सर्वप्रथम ग्रन्थों में से एक है जिसकी किसी रूप में मान्यता आज तक समाज में बनी हुई है। यह एक प्रमुख हिन्दू धर्म ग्रंथ है। ऋक् संहिता में १० मंडल, बालखिल्य सहित १०२८ सूक्त हैं। वेद मंत्रों के समूह को सूक्त कहा जाता है, जिसमें एकदैवत्व तथा एकार्थ का ही प्रतिपादन रहता है। ऋग्वेद में ही मृत्युनिवारक त्र्यम्बक-मंत्र या मृत्युंजय मन्त्र (७/५९/१२) वर्णित है, ऋग्विधान के अनुसार इस मंत्र के जप के साथ विधिवत व्रत तथा हवन करने से दीर्घ आयु प्राप्त होती है तथा मृत्यु दूर हो कर सब प्रकार का सुख प्राप्त होता है। विश्व-विख्यात गायत्री मन्त्र (ऋ० ३/६२/१०) भी इसी में वर्णित है। ऋग्वेद में अनेक प्रकार के लोकोपयोगी-सूक्त, तत्त्वज्ञान-सूक्त, संस्कार-सुक्त उदाहरणतः रोग निवारक-सूक्त (ऋ०१०/१३७/१-७), श्री सूक्त या लक्ष्मी सूक्त (ऋग्वेद के परिशिष्ट सूक्त के खिलसूक्त में), तत्त्वज्ञान के नासदीय-सूक्त (ऋ० १०/१२९/१-७) तथा हिरण्यगर्भ सूक्त (ऋ०१०/१२१/१-१०) और विवाह आदि के सूक्त (ऋ० १०/८५/१-४७) वर्णित हैं, जिनमें ज्ञान विज्ञान का चरमोत्कर्ष दिखलाई देता है। ऋग्वेद के विषय में कुछ प्रमुख बातें निम्नलिखित है-.

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