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इराक़

सूची इराक़

इराक़ पश्चिमी एशिया में स्थित एक जनतांत्रिक देश है जहाँ के लोग मुख्यतः मुस्लिम हैं। इसके दक्षिण में सउदी अरब और कुवैत, पश्चिम में जोर्डन और सीरिया, उत्तर में तुर्की और पूर्व में ईरान अवस्थित है। दक्षिण पश्चिम की दिशा में यह फ़ारस की खाड़ी से भी जुड़ा है। दजला नदी और फरात इसकी दो प्रमुख नदियाँ हैं जो इसके इतिहास को ५००० साल पीछे ले जाती हैं। इसके दोआबे में ही मेसोपोटामिया की सभ्यता का उदय हुआ था। इराक़ के इतिहास में असीरिया के पतन के बाद विदेशी शक्तियों का प्रभुत्व रहा है। ईसापूर्व छठी सदी के बाद से फ़ारसी शासन में रहने के बाद (सातवीं सदी तक) इसपर अरबों का प्रभुत्व बना। अरब शासन के समय यहाँ इस्लाम धर्म आया और बगदाद अब्बासी खिलाफत की राजधानी रहा। तेरहवीं सदी में मंगोल आक्रमण से बगदाद का पतन हो गया और उसके बाद की अराजकता के सालों बाद तुर्कों (उस्मानी साम्राज्य) का प्रभुत्व यहाँ पर बन गया २००३ से दिसम्बर २०११ तक अमेरिका के नेतृत्व में नैटो की सेना की यहाँ उपस्थिति बनी हुई थी जिसके बाद से यहाँ एक जनतांत्रिक सरकार का शासन है। राजधानी बगदाद के अलावा करबला, बसरा, किर्कुक तथा नजफ़ अन्य प्रमुख शहर हैं। यहाँ की मुख्य बोलचाल की भाषा अरबी और कुर्दी भाषा है और दोनों को सांवैधानिक दर्जा मिला है। .

76 संबंधों: एशिया, तुर्क, तुर्की, तैमूरलंग, दहुक, दारा तृतीय, दियाला मंडल, दजला नदी, दजला-फरात, नाटो, नादिर शाह, निनावा, नजफ़, नूरी अल-मलिकी, पार्थिया, फ़ारस, फ़ारस की खाड़ी, बसरा, बाबिल, बाइबिल, बग़दाद, मयसन, मंगोल, मेसोपोटामिया, यहूदी, यज़ीदी, यूनाइटेड किंगडम, सद्दाम हुसैन, सफ़वी वंश, सला अल दीन, सासानी साम्राज्य, सिकंदर, सउदी अरब, सुमेर, स्वतन्त्रता, सीरिया, हख़ामनी साम्राज्य, जर्मनी, जलाल तालाबानी, ज़ी क़ार प्रान्त, जॉर्डन, ईरान, ईरान की इस्लामी क्रांति, ईरान-इराक़ युद्ध, ईसाई, ईसाई धर्म, वासित मंडल, ख़िलाफ़त, खाड़ी युद्ध, गणराज्य, ..., आईएसआईएस, इण्डिया गेट, इराक का इतिहास, इराक़ के प्रान्त, इराकी दीनार, इराकी कुर्दिस्तान, इस्लाम, करबला, कसदी, क़ादिसियाह प्रान्त, कुर्द लोग, कुर्दी भाषा, कुवैत, अत तमीम, अनुवाद, अब्बासी ख़िलाफ़त, अरब, अरबी, अरबी भाषा, अर्बिल, अल मुतन्ना, अल अनबार, अश्शूर, अस्सुलेमानिया मंडल, अक्कदी सभ्यता, उस्मानी साम्राज्य सूचकांक विस्तार (26 अधिक) »

एशिया

एशिया या जम्बुद्वीप आकार और जनसंख्या दोनों ही दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है, जो उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। पश्चिम में इसकी सीमाएं यूरोप से मिलती हैं, हालाँकि इन दोनों के बीच कोई सर्वमान्य और स्पष्ट सीमा नहीं निर्धारित है। एशिया और यूरोप को मिलाकर कभी-कभी यूरेशिया भी कहा जाता है। एशियाई महाद्वीप भूमध्य सागर, अंध सागर, आर्कटिक महासागर, प्रशांत महासागर और हिन्द महासागर से घिरा हुआ है। काकेशस पर्वत शृंखला और यूराल पर्वत प्राकृतिक रूप से एशिया को यूरोप से अलग करते है। कुछ सबसे प्राचीन मानव सभ्यताओं का जन्म इसी महाद्वीप पर हुआ था जैसे सुमेर, भारतीय सभ्यता, चीनी सभ्यता इत्यादि। चीन और भारत विश्व के दो सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश भी हैं। पश्चिम में स्थित एक लंबी भू सीमा यूरोप को एशिया से पृथक करती है। तह सीमा उत्तर-दक्षिण दिशा में नीचे की ओर रूस में यूराल पर्वत तक जाती है, यूराल नदी के किनारे-किनारे कैस्पियन सागर तक और फिर काकेशस पर्वतों से होते हुए अंध सागर तक। रूस का लगभग तीन चौथाई भूभाग एशिया में है और शेष यूरोप में। चार अन्य एशियाई देशों के कुछ भूभाग भी यूरोप की सीमा में आते हैं। विश्व के कुल भूभाग का लगभग ३/१०वां भाग या ३०% एशिया में है और इस महाद्वीप की जनसंख्या अन्य सभी महाद्वीपों की संयुक्त जनसंख्या से अधिक है, लगभग ३/५वां भाग या ६०%। उत्तर में बर्फ़ीले आर्कटिक से लेकर दक्षिण में ऊष्ण भूमध्य रेखा तक यह महाद्वीप लगभग ४,४५,७९,००० किमी क्षेत्र में फैला हुआ है और अपने में कुछ विशाल, खाली रेगिस्तानों, विश्व के सबसे ऊँचे पर्वतों और कुछ सबसे लंबी नदियों को समेटे हुए है। .

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तुर्क

तुर्क का अर्थ इनमें से कुछ हो सकता है -.

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तुर्की

तुर्की (तुर्क भाषा: Türkiye उच्चारण: तुर्किया) यूरेशिया में स्थित एक देश है। इसकी राजधानी अंकारा है। इसकी मुख्य- और राजभाषा तुर्की भाषा है। ये दुनिया का अकेला मुस्लिम बहुमत वाला देश है जो कि धर्मनिर्पेक्ष है। ये एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है। इसके एशियाई हिस्से को अनातोलिया और यूरोपीय हिस्से को थ्रेस कहते हैं। स्थिति: 39 डिग्री उत्तरी अक्षांश तथा 36 डिग्री पूर्वी देशान्तर। इसका कुछ भाग यूरोप में तथा अधिकांश भाग एशिया में पड़ता है अत: इसे यूरोप एवं एशिया के बीच का 'पुल' कहा जाता है। इजीयन सागर (Aegean sea) के पतले जलखंड के बीच में आ जाने से इस पुल के दो भाग हो जाते हैं, जिन्हें साधारणतया यूरोपीय टर्की तथा एशियाई टर्की कहते हैं। टर्की के ये दोनों भाग बॉसपोरस के जलडमरूमध्य, मारमारा सागर तथा डारडनेल्ज द्वारा एक दूसरे से अलग होते हैं। टर्की गणतंत्र का कुल क्षेत्रफल 2,96,185 वर्ग मील है जिसमें यूरोपीय टर्की (पूर्वी थ्रैस) का क्षेत्रफल 9,068 वर्ग मील तथा एशियाई टर्की (ऐनाटोलिआ) का क्षेत्रफल 2,87,117 वर्ग मील है। इसके अंतर्गत 451 दलदली स्थल तथा 3,256 खारे पानी की झीलें हैं। पूर्व में रूस और ईरान, दक्षिण की ओर इराक, सीरिया तथा भूमध्यसागर, पश्चिम में ग्रीस और बुल्गारिया और उत्तर में कालासागर इसकी राजनीतिक सीमा निर्धारित करते हैं। यूरोपीय टर्की - त्रिभुजाकर प्रायद्वीपी प्रदेश है जिसका शीर्षक पूर्व में बॉसपोरस के मुहाने पर है। उसके उत्तर तथा दक्षिण दोनों ओर पर्वतश्रेणियाँ फैली हुई हैं। मध्य में निचला मैदान मिलता है जिसमें होकर मारीत्सा और इरजिन नदियाँ बहती हैं। इसी भाग से होकर इस्तैस्म्यूल का संबंध पश्चिमी देशों से है। एशियाई टर्की - इसको हम तीन प्राकृतिक भागों में विभाजित कर सकते हैं: 1.

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तैमूरलंग

तैमूर लंग (अर्थात तैमूर लंगड़ा) (जिसे 'तिमूर' (8 अप्रैल 1336 – 18 फ़रवरी 1405) चौदहवी शताब्दी का एक शासक था जिसने महान तैमूरी राजवंश की स्थापना की थी। उसका राज्य पश्चिम एशिया से लेकर मध्य एशिया होते हुए भारत तक फैला था। उसकी गणना संसार के महान्‌ और निष्ठुर विजेताओं में की जाती है। वह बरलस तुर्क खानदान में पैदा हुआ था। उसका पिता तुरगाई बरलस तुर्कों का नेता था। भारत के मुग़ल साम्राज्य का संस्थापक बाबर तिमूर का ही वंशज था। .

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दहुक

इराक़ का एक प्रशासनिक मंडल। श्रेणी:इराक़ के मंडल.

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दारा तृतीय

दारा तृतीय या डेरियस तृतीय(ई.पू. ३३६-३३० ई.पू.) महान हख़ामनी राजवंश का अंतिम प्रसिद्ध राजा हुआ। वह बहादुर और दूष्ट प्रकृति का सुयोग्य व्यक्ति था। लेकिन उसे शांति से राज्य करने और अपनी शासकीय योग्यता दिखाने का अवसर न मिल सका। उसके दुर्भाग्य से मैसीडोनिया और यूनान की राजशक्ति, सिकंदर के नेतृत्व में बहुत प्रबल हो चली थी। फलत: दारा तृतीय पारसी साम्राज्य के समस्त साधनों और शक्तियों को बटोरकर भी सिकंदर को आक्रमणों से अपने साम्राज्य को बचाने में समर्थ न हो सका। पारसीकों को अद्भुत यूरोपीय विजेता अलेक्जंडर ने ई.पू.

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दियाला मंडल

इराक़ का एक प्रशासनिक मंडल। श्रेणी:इराक़ के मंडल.

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दजला नदी

टाइग्रिस-यूरोफ्रेटस नदी-घाटी दजला नदी, जिसे टाइग्रिस नदी भी कहते हैं, तुर्की के तोरोस पर्वतों के दक्षिणपूर्वी भाग से निकलकर तुर्की तथा इराक़ में दक्षिण दक्षिण-पूर्व की ओर १,८४० किमी तक बहने के पश्चात् फ़ुरात नदी में कुराना नामक स्थान पर मिलती है। इस संगमस्थल से ये दोनों नदियाँ शौतिल अरब नाम से १९२ किमी दक्षिण पूर्व में बहकर फ़ारस की खाड़ी में गिरती हैं। दजला नदी अपने ऊपरी भाग में तीव्रगामी है, अत: इसे यहाँ केवल हलकी नावों द्वारा पार किया जाता है। इसके तट पर बसरा, बगदाद और मोसुल प्रमुख नगर स्थित हैं। .

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दजला-फरात

दजला-फरात मेसोपोतामिया सभ्यता को परिभाषित करने वाली दो नदियों का समुच्चय है। विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक मेसोपोतामिया सभ्यता इन्हीं दो नदियों की घाटियों में पनपी थी। दजला मेसोपोतामिया की पूर्वी और फरात पश्चिमी ओर से बहने वाली नदी थी। .

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नाटो

नाटो गठबंधन का ध्वज उत्‍तरी एटलांटिक संधि संगठन (नार्थ एटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (नाटो)) एक सैन्य गठबंधन है, जिसकी स्थापना ४ अप्रैल १९४९ को हुई। इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है। संगठन ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था बनाई है, जिसके तहत सदस्य राज्य बाहरी हमले की स्थिति में सहयोग करने के लिए सहमत होंगे। गठन के शुरुआत के कुछ वर्षों में यह संगठन एक राजनीतिक संगठन से अधिक नहीं था। लेकिन कोरियाई युद्ध ने सदस्य देशों को प्रेरक का काम किया और दो अमरीकी सर्वोच्च कमांडरों के दिशानिर्देशन में एक एकीकृत सैन्य संरचना निर्मित की गई। लॉर्ड इश्मे पहले नाटो महासचिव बने, जिनकी संगठन के उद्देश्य पर की गई टिप्पणी, "रुसियों को बाहर रखने, अमरीकियों को अंदर और जर्मनों को नीचे रखने" (के लिए गई है।) खासी चर्चित रही। यूरोपीय और अमरीका के बीच रिश्तों की तरह ही संगठन की ताकत घटती-बढ़ती रही। इन्हीं परिस्थितियों में फ्रांस स्वतंत्र परमाणु निवारक बनाते हुए नाटो की सैनिक संरचना से १९६६ से अलग हो गया। १९८९ में बर्लिन की दीवार के गिरने के बाद संगठन का पूर्व की तरफ बाल्कन हिस्सों में हुआ और वारसा संधि से जुड़े हुए अनेक देश १९९९ और २००४ में इस गठबंधन में शामिल हुए। १ अप्रैल २००९ को अल्बानिया और क्रोएशिया के प्रवेश के साथ गठबंधन की सदस्य संख्या बढ़कर २८ हो गई। संयुक्त राज्य अमेरिका में ११ सितंबर २००१ के आतंकवादी हमलों के बाद नाटो नई चुनौतियों का सामना करने के लिए नए सिरे से तैयारी कर रहा है, जिसके तहत अफ़ग़ानिस्तान में सैनिकों की और इराक में प्रशिक्षकों की तैनाती की गई है। बर्लिन प्लस समझौता नाटो और यूरोपीय संघ के बीच १६ दिसम्बर २००२ को बनाया का एक व्यापक पैकेज है, जिसमें यूरोपीय संघ को किसी अंतरराष्ट्रीय विवाद की स्थिति में कार्रवाई के लिए नाटो परिसंपत्तियों का उपयोग करने की छूट दी गई है, बशर्ते नाटो इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं करना चाहता हो। नाटो के सभी सदस्यों की संयुक्त सैन्य खर्च दुनिया के रक्षा व्यय का ७०% से अधिक है, जिसका संयुक्त राज्य अमेरिका अकेले दुनिया का कुल सैन्य खर्च का आधा हिस्सा खर्च करता है और ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और इटली १५ % खर्च करते हैं। .

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नादिर शाह

नादिर शाह अफ़्शार (या नादिर क़ुली बेग़) (१६८८ - १७४७) फ़ारस का शाह था (१७३६ - १७४७) और उसने सदियों के बाद क्षेत्र में ईरानी प्रभुता स्थापित की थी। उसने अपना जीवन दासता से आरंभ किया था और फ़ारस का शाह ही नहीं बना बल्कि उसने उस समय ईरानी साम्राज्य के सबल शत्रु उस्मानी साम्राज्य और रूसी साम्राज्य को ईरानी क्षेत्रों से बाहर निकाला। उसने अफ़्शरी वंश की स्थापना की थी और उसका उदय उस समय हुआ जब ईरान में पश्चिम से उस्मानी साम्राज्य (ऑटोमन) का आक्रमण हो रहा था और पूरब से अफ़गानों ने सफ़ावी राजधानी इस्फ़हान पर अधिकार कर लिया था। उत्तर से रूस भी फ़ारस में साम्राज्य विस्तार की योजना बना रहा था। इस परिस्थिति में भी उसने अपनी सेना संगठित की और अपने सैन्य अभियानों की वज़ह से उसे फ़ारस का नेपोलियन या एशिया का अन्तिम महान सेनानायक जैसी उपाधियों से सम्मानित किया जाता है। वो भारत विजय के अभियान पर भी निकला था। दिल्ली की सत्ता पर आसीन मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह आलम को हराने के बाद उसने वहाँ से अपार सम्पत्ति अर्जित की जिसमें कोहिनूर हीरा भी शामिल था। इसके बाद वो अपार शक्तिशाली बन गया और उसका स्वास्थ्य भी बिगड़ता गया। अपने जीवन के उत्तरार्ध में वो बहुत अत्याचारी बन गया था। सन् १७४७ में उसकी हत्या के बाद उसका साम्राज्य जल्द ही तितर-बितर हो गया। .

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निनावा

इराक़ का एक प्रशासनिक मंडल। श्रेणी:इराक़ के मंडल.

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नजफ़

इमाम अली मस्जिद नजफ़ (अरबी: النجف, अन्नजफ़)इराक़ का एक प्रमुख शहर है जो राजधानी बग़दाद के 160 किलोमीटर दक्षिण में बसा है। सुन्नियों के चौथे ख़लीफ़ा यानि शिया इस्लाम के पहले इमाम अली की मज़ार के यहाँ स्थित होने की वजह से ये इस्लाम तथा शिया इस्लाम का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहाँ की कब्रगाह दुनिया की सबसे बड़ी कब्रगाह मानी जाती है। यह नजफ़ प्रान्त की राजधानी है जिसकी आबादी 2008 में साढ़े पाँच लाख थी। .

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नूरी अल-मलिकी

नूरी कमाल मोहम्मद हसन अल-मलिकी (अरबी: نوري كامل محمد حسن المالكي) जन्म: 20 जून 1949), जिन्हें जवाद अल-मलिकी (जवादा ईसाईराइ) या अबू आसारा (أبو إسراء) के रूप में भी जाना जाता है, इराकी राजनीतिज्ञ हैं जो प्रधान मंत्री थे 2006 से 2014 तक इराक की इस्लामिक दावा पार्टी के सचिव-जनरल और इराक के वर्तमान उपराष्ट्रपति हैं। .

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पार्थिया

पार्थी घुड़सवार पार्थ या पार्थिया (फ़ारसी:, पार्त; अंग्रेज़ी: Parthia) उत्तर-पूर्वी ईरान और उस के समीप के क्षेत्र का ऐतिहासिक नाम है। यहाँ कभी पार्थी लोग अपना साम्राज्य चलाया करते थे जो २४७ ईसापूर्व से २२४ ईसवी तक चला। इस साम्राज्य को अशकानी साम्राज्य (फ़ारसी:, अशकानियाँ; अंग्रेज़ी: Arsacid Empire) के नाम से भी जाना जाता है। पार्थी लोग एक ईरानी भाषा बोलने वाली जाति थी।, Malcolm A. R. Colledge, BRILL, 1986, ISBN 978-90-04-07115-5,...

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फ़ारस

फ़ारस (فارس; Persia) प्राचीन काल के कई साम्राज्यों के केन्द्र रहे प्रदेशों को कहते हैं जो आधुनिक ईरान से तथा उससे संलग्न क्षेत्रों में फैला था। फ़ारस का साम्राज्य कई बार विशाल बन गया और फिर ढह गया। एक समय इसका विस्तार मध्य यूरोप से लेकर भारत के पश्चिमी छोर तक तथा मध्य एशिया से लेकप मिस्र तक था। १९३५ में रजाशाह पहलवी ने तत्कालीन फारस का नाम बदलकर ईरान कर दिया। इसके निवासियों के संयुक्त रूप से फारसी कहते हैं, यद्यपि इसके निवासियों में जातीय विविधता है। श्रेणी:इतिहास श्रेणी:ईरान en:History of Iran.

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फ़ारस की खाड़ी

फारस की खाड़ी, पश्चिम एशिया में हिन्द महासागर का एक विस्तार है, जो ईरान और अरब प्रायद्वीप के बीच तक गया हुआ है। 1980-1988 के ईरान इराक युद्ध के दौरान यह खाड़ी लोगों के कौतूहल का विषय बनी रही, जब दोनों पक्षों ने एक दूसरे के तेल के जहाजों (तेल टैंकरों) पर आक्रमण किया था। 1991 में खाड़ी युद्ध के दौरान, फारस की खाड़ी एक बार फिर से चर्चा का विषय बनी, हालाँकि यह संघर्ष मुख्य रूप से एक भूमि संघर्ष था, जब इराक ने कुवैत पर हमला किया था और जिसे बाद में वापस पीछे ढकेल दिया गया। फारस की खाड़ी में कई अच्छी मछली पकड़ने के जगहें हैं, व्यापक प्रवाल भित्तियाँ और प्रचुर मात्रा में मोती कस्तूरी है, लेकिन इसकी पारिस्थितिकी का औद्योगीकरण के कारण क्षय हुआ है, विशेष रूप से, युद्ध के दौरान फैले तेल और पेट्रोलियम ने इस पर विपरीत प्रभाव डाला है। अक्सर "फारस की खाड़ी" को अधिकतर अरब राष्ट्रों द्वारा इसके विवादास्पद नाम "अरब की खाड़ी" या सिर्फ "खाड़ी" कहकर पुकारा जाता है, हालाँकि इन दोनों नामों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त नहीं है। अंतरराष्ट्रीय जल सर्वेक्षण संगठन इसके लिए "ईरान की खाड़ी (फारस की खाड़ी)" नाम का इस्तेमाल करता है। .

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बसरा

बसरा बसरा इराक का तीसरा सबसे बड़ा नगर एवं महत्वपूर्ण बंदरगाह है। यह बसरा प्रान्त की राजधानी भी है। फारस की खाड़ी से 75 मील दूर तथा बगदाद से 280 मील दूर दक्षिण-पूर्वी भाग में दज़ला और फरात नदियों के मुहाने पर बसा हुआ है। स्थिति - 30 डिग्री 30मिनट उत्तरी अक्षांश तथा तथा 47 डिग्री 50 मिनट पूर्वी देशान्तर। बसरा से देश की 90 प्रतिशत वस्तुओं का निर्यात किया जाता है। यहाँ से ऊन, कपास, खजूर, तेल, गोंद, गलीचे तथा जानवर निर्यात किए जाते हैं। जनसंख्या में अधिकांश अरब, यहूदी, अमरीकी, ईरानी तथा भारतीय हैं। .

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बाबिल

बाबिल के इश्टर द्वार का चित्रण बाबिल आजकल के ईराक क्षेत्र की सुमेर के पश्चात दूसरी सभ्यता। इस की भाषा सुमेर की भाषा से भिन्न थी। इसे बेबीलोनियन सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है। बाबिल नगर जो इसी नाम के साम्राज्य की राजधानी था, आजकल के बगदाद से ८० किलोमीटर दक्षिण में स्थित था। बेबीलोन प्राचीन मेसोपोटामिया का एक नगर था। यह बेबीलोनिया साम्राज्य का केन्द्र था। .

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बाइबिल

बाइबिल (अथवा बाइबल, Bible, अर्थात "किताब") ईसाई धर्म(मसीही धर्म) की आधारशिला है और ईसाइयों (मसीहियों) का पवित्रतम धर्मग्रन्थ है। इसके दो भाग हैं: पूर्वविधान (ओल्ड टेस्टामैंट) और नवविधान (न्यू टेस्टामेंट)। बाइबिल का पूर्वार्ध अर्थात् पूर्वविधान यहूदियों का भी धर्मग्रंथ है। बाइबिल ईश्वरप्रेरित (इंस्पायर्ड) है किंतु उसे अपौरुषेय नहीं कहा जा सकता। ईश्वर ने बाइबिल के विभिन्न लेखकों को इस प्रकार प्रेरित किया है कि वे ईश्वरकृत होते हुए भी उनकी अपनी रचनाएँ भी कही जा सकती हैं। ईश्वर ने बोलकर उनसे बाइबिल नहीं लिखवाई। वे अवश्य ही ईश्वर की प्रेरणा से लिखने में प्रवृत्त हुए किंतु उन्होंने अपनी संस्कृति, शैली तथा विचारधारा की विशेषताओं के अनुसार ही उसे लिखा है। अत: बाइबिल ईश्वरीय प्रेरणा तथा मानवीय परिश्रम दोनों का सम्मिलित परिणाम है। मानव जाति तथा यहूदियों के लिए ईश्वर ने जो कुछ किया और इसके प्रति मनुष्य की जो प्रतिक्रिया हुई उसका इतिहास और विवरण ही बाइबिल का वण्र्य विषय है। बाइबिल गूढ़ दार्शनिक सत्यों का संकलन नहीं है बल्कि इसमें दिखलाया गया है कि ईश्वर ने मानव जाति की मुक्ति का क्या प्रबंध किया है। वास्तव में बाइबिल ईश्वरीय मुक्तिविधान के कार्यान्वयन का इतिहास है जो ओल्ड टेस्टामेंट में प्रारंभ होकर ईसा के द्वारा न्यू टेस्टामेंट में संपादित हुआ है। अत: बाइबिल के दोनों भागों में घनिष्ठ संबंध है। ओल्ड टेस्टामेंट की घटनाओं द्वारा ईसा के जीवन की घटनाओं की पृष्ठभूमि तैयार की गई है। न्यू टेस्टामेंट में दिखलाया गया है कि मुक्तिविधान किस प्रकार ईसा के व्यक्तित्व, चमत्कारों, शिक्षा, मरण तथा पुनरुत्थान द्वारा संपन्न हुआ है; किस प्रकार ईसा ने चर्च की स्थापना की और इस चर्च ने अपने प्रारंभिक विकास में ईसा के जीवन की घटनाओं को किस दृष्टि से देखा है कि उनमें से क्या निष्कर्ष निकाला है। बाइबिल में प्रसंगवश लौकिक ज्ञान विज्ञान संबंधी बातें भी आ गई हैं; उनपर तात्कालिक धारणाओं की पूरी छाप है क्योंकि बाइबिल उनके विषय में शायद ही कोई निर्देश देना चाहती है। मानव जाति के इतिहास की ईश्वरीय व्याख्या प्रस्तुत करना और धर्म एवं मुक्ति को समझना, यही बाइबिल का प्रधान उद्देश्य है, बाइबिल की तत्संबंधी शिक्षा में कोई भ्रांति नहीं हो सकती। उसमें अनेक स्थलों पर मनुष्यों के पापाचरण का भी वर्णन मिलता है। ऐसा आचरण अनुकरणीय आदर्श के रूप में नहीं प्रस्तुत हुआ है किंतु उसके द्वारा स्पष्ट हो जाता है कि मनुष्य कितने कलुषित हैं और उनको ईश्वर की मुक्ति की कितनी आवश्यकता है। .

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बग़दाद

बगदाद एक प्रमुख नगर बग़दाद (بغداد) विश्व का एक प्रमुख नगर एवं ईराक की राजधानी है। इसका नाम ६०० ईपू के बाबिल के राजा भागदत्त पर पड़ा है। यह नगर 4,000 वर्ष पहले पश्चिमी यूरोप और सुदूर पूर्व के देशों के बीच, समुद्री मार्ग के आविष्कार के पहले कारवाँ मार्ग का प्रसिद्ध केंद्र था तथा नदी के किनारे इसकी स्थिति व्यापारिक महत्व रखती थी। मेसोपोटामिया के उपजाऊ भाग में स्थित बगदाद वास्तव में शांति और समृद्धि का केंद्र था। 9वीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में यह अपने चरमोत्कर्ष पर था। उस समय यहाँ प्रबुद्ध खलीफा की छत्रछाया में धनी व्यापारी एवं विद्वान लोग फले-फूले। रेशमी वस्त्र एवं विशाल खपरैल के भवनों के लिए प्रसिद्ध बगदाद इस्लाम धर्म का केंद्र रहा है। यहाँ का औसत ताप लगभग 23 डिग्री सें.

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मयसन

इराक़ का एक प्रशासनिक मंडल। श्रेणी:इराक़ के मंडल.

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मंगोल

चंगेज़ ख़ान एक पारम्परिक मंगोल घर, जिसे यर्त कहते हैं मंगोल मध्य एशिया और पूर्वी एशिया में रहने वाली एक जाति है, जिसका विश्व इतिहास पर गहरा प्रभाव रहा है। भारतीय उपमहाद्वीप में इस जाति को मुग़ल के नाम से जाना जाता था, जिस से मुग़ल राजवंश का नाम भी पड़ा। आधुनिक युग में मंगोल लोग मंगोलिया, चीन और रूस में वास करते हैं। विश्व भर में लगभग १ करोड़ मंगोल लोग हैं। शुरु-शुरु में यह जाति अर्गुन नदी के पूर्व के इलाकों में रहा करती थी, बाद में वह वाह्य ख़िन्गन पर्वत शृंखला और अल्ताई पर्वत शृंखला के बीच स्थित मंगोलिया पठार के आर-पार फैल गई। मंगोल जाति के लोग ख़ानाबदोशों का जीवन व्यतीत करते थे और शिकार, तीरंदाजी व घुड़सवारी में बहुत कुशल थे। १२वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में इसके मुखिया तेमूचीन ने तमाम मंगोल कबीलों को एक किया। .

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मेसोपोटामिया

मेसोपोटामिया के विस्तार को दर्शाता मानचित्र मेसोपोटामिया का यूनानी अर्थ है "दो नदियों के बीच"। यह इलाका दजला (टिगरिस) और फ़ुरात (इयुफ़्रेटीस) नदियों के बीच के क्षेत्र में पड़ता है। इसमें आधुनिक इराक़ बाबिल ज़िला, उत्तरपूर्वी सीरिया, दक्षिणपूर्वी तुर्की तथा ईरान का क़ुज़ेस्तान प्रांत के क्षेत्र शामिल हैं। यह कांस्ययुगीन सभ्यता का उद्गम स्थल माना जाता है। यहाँ सुमेर, अक्कदी सभ्यता, बेबीलोन तथा असीरिया के साम्राज्य अलग-अलग समय में स्थापित हुए थे। हड़प्पा सभ्यता में मेसोपोटामिया को 'मेलुहा' कहा गया है। .

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यहूदी

यहूदी जाति 'यहूदी' का मौलिक अर्थ है- येरूशलेम के आसपास के 'यूदा' नामक प्रदेशें का निवासी। यह प्रदेश याकूब के पुत्र यूदा के वंश को मिला था। बाइबिल में 'यहूदी' के निम्नलिखित अर्थ मिलते हैं- याकूब का पुत्र यहूदा, उनका वंश, उनकर प्रदेश, कई अन्य व्यक्तियों के नाम। यूदा प्रदेश (Kingdom of Juda) के निवासी प्राचीन इजरायल के मुख्य ऐतिहासिक प्रतिनिधि बन गए थे, इस कारण समस्त इजरायली जाति के लिये यहूदी शब्द का प्रयोग होने लगा। इस जाति का मूल पुरूष अब्राहम थे, अत: वे 'इब्रानी' भी कहलाते हैं। याकूब का दूसरा नाम था इजरायल, इस कारण 'इब्रानी' और 'यहूदी' के अतिरक्ति उन्हें 'इजरायली' भी कहा जाता है। यहूदी धर्म को मानने वालों को यहूदी (en:Jew) कहा जाता है। यहूदियों का निवास स्थान पारंपरिक रूप से पश्चिम एशिया में आज के इसरायल को माना जाता है जिसका जन्म १९४७ के बाद हुआ। मध्यकाल में ये यूरोप के कई क्षेत्रों में रहने लगे जहाँ से उन्हें उन्नीसवीं सदी में निर्वासन झेलना पड़ा और धीरे-धीरे विस्थापित होकर वे आज मुख्यतः इसरायल तथा अमेरिका में रहते हैं। इसरायल को छोड़कर सभी देशों में वे एक अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में रहते हैं। इन्का मुख्य काम व्यापार है। यहूदी धर्म को इसाई और इस्लाम धर्म का पूर्ववर्ती कहा जा सकता है। इन तीनों धर्मों को संयुक्त रूप से 'इब्राहिमी धर्म' भी कहते हैं। अल्लाह ने यहूदियों के बारे में पवित्र कुरान में कहा "ऐ बनी इसराइल मेरी उन नेअमतों को याद करो जो मैंने पहले तुम्हें दी और ये (भी तो सोचो) कि हमने तुमको सारे जहाँन के लोगों से बढ़ा दिया" (Sura 2-47) "और अपनी क़ौम से उन लोगों की हालत तो तुम बखू़बी जानते हो जो शम्बे (सनीचर) के दिन अपनी हद से गुज़र गए (कि बावजूद मुमानिअत शिकार खेलने निकले) तो हमने उन से कहा कि तुम राइन्दे गए बन्दर बन जाओ (और वह बन्दर हो गए)" (Sura2-65) "फिर तुममें से थोड़े आदमियों के सिवा (सब के सब) फिर गए और तुम लोग हो ही इक़रार से मुँह फेरने वाले.और (वह वक़्त याद करो) जब हमने तुम (तुम्हारे बुजुर्गों) से अहद लिया था कि आपस में खू़रेजि़याँ न करना और न अपने लोगों को शहर बदर करना तो तुम (तुम्हारे बुजुर्गों) ने इक़रार किया था और तुम भी उसकी गवाही देते हो .(कि हाँ ऐसा हुआ था) फिर वही लोग तो तुम हो कि आपस में एक दूसरे को क़त्ल करते हो और अपनों से एक जत्थे के नाहक़ और ज़बरदस्ती हिमायती बनकर दूसरे को शहर बदर करते हो (और लुत्फ़ तो ये हैं कि) अगर वही लोग क़ैदी बनकर तम्हारे पास (मदद माँगने) आए तो उनको तावान देकर छुड़ा लेते हो हालाँकि उनका निकालना ही तुम पर हराम किया गया था तो फिर क्या तुम (किताबे खु़दा की) बाज़ बातों पर ईमान रखते हो और बाज़ से इन्कार करते हो बस तुम में से जो लोग ऐसा करें उनकी सज़ा इसके सिवा और कुछ नहीं कि जि़न्दगी भर की रूसवाई हो और (आखि़रकार) क़यामत के दिन सख़्त अज़ाब की तरफ लौटा दिये जाए और जो कुछ तुम लोग करते हो खु़दा उससे ग़ाफि़ल नहीं है" (Sura 2-83,84,85) "और तुम्हारे पास मूसा तो वाज़ेए व रौशन मौजिज़े लेकर आ ही चुके थे फिर भी तुमने उनके बाद बछड़े को खु़दा बना ही लिया और उससे तुम अपने ही ऊपर ज़ुल्म करने वाले थे"(Sura2-92) "बनी इसराईल मेरी उन नेअमतों को याद करो जो मैंनं तुम को दी हैं और ये कि मैंने तुमको सारे जहाँन पर फज़ीलत दी " (Sura 2-122) "बेशक हम ने तौरेत नाजि़ल की जिसमें (लोगों की) हिदायत और नूर (ईमान) है उसी के मुताबिक़ ख़ुदा के फ़रमाबरदार बन्दे (अम्बियाए बनी इसराईल) यहूदियों को हुक्म देते रहे और अल्लाह वाले और उलेमाए (यहूद) भी किताबे ख़ुदा से (हुक्म देते थे) जिसके वह मुहाफि़ज़ बनाए गए थे और वह उसके गवाह भी थे बस (ऐ मुसलमानों) तुम लोगों से (ज़रा भी) न डरो (बल्कि) मुझ ही से डरो और मेरी आयतों के बदले में (दुनिया की दौलत जो दर हक़ीक़त बहुत थोड़ी क़ीमत है) न लो और (समझ लो कि) जो ख़्स ख़ुदा की नाजि़ल की हुयी (किताब) के मुताबिक़ हुक्म न दे तो ऐसे ही लोग काफि़र हैं" (Sura 5-44) "(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं तुम्हें ख़ुदा के नज़दीक सज़ा में इससे कहीं बदतर ऐब बता दॅू (अच्छा लो सुनो) जिसपर ख़ुदा ने लानत की हो और उस पर ग़ज़ब ढाया हो और उनमें से किसी को (मसख़ करके) बन्दर और (किसी को) सूअर बना दिया हो और (ख़ुदा को छोड़कर) शैतान की परस्तिश की हो बस ये लोग दरजे में कहीं बदतर और राहे रास्त से भटक के सबसे ज़्यादा दूर जा पहँचे हैं " (Sura 5-60) "यहूद तो कहते हैं कि अज़ीज़ ख़़ुदा के बेटे हैं और नुसैरा कहते हैं कि मसीहा (ईसा) ख़़ुदा के बेटे हैं ये तो उनकी बात है और (वह ख़ुद) उन्हीं के मुँह से ये लोग भी उन्हीं काफि़रों की सी बातें बनाने लगे जो उनसे पहले गुज़र चुके हैं ख़़ुद उनको क़त्ल (तहस नहस) करके (देखो तो) कहाँ से कहाँ भटके जा रहे हैं" (Sura 9-30) "ऐ बनी इसराइल हमने तुमको तुम्हारे दुश्मन (के पंजे) से छुड़ाया और तुम से (कोहेतूर) के दाहिने तरफ का वायदा किया और हम ही ने तुम पर मन व सलवा नाजि़ल किया.और (फ़रमाया) कि हमने जो पाक व पाक़ीज़ा रोज़ी तुम्हें दे रखी है उसमें से खाओ (पियो) और उसमें (किसी कि़स्म की) शरारत न करो वरना तुम पर मेरा अज़ाब नाजि़ल हो जाएगा और (याद रखो कि) जिस पर मेरा ग़ज़ब नाजि़ल हुआ तो वह यक़ीनन गुमराह (हलाक) हुआ " (Sura 20-80,81) "और हमने बनी इसराईल को किताब (तौरेत) और हुकूमत और नबूवत अता की और उन्हें उम्दा उम्दा चीज़ें खाने को दीं और उनको सारे जहाँन पर फ़ज़ीलत दी.और उनको दीन की खुली हुई दलीलें इनायत की तो उन लोगों ने इल्म आ चुकने के बाद बस आपस की जि़द में एक दूसरे से एख़्तेलाफ़ किया कि ये लोग जिन बातों से एख़्तेलाफ़ कर रहें हैं क़यामत के दिन तुम्हारा परवरदिगार उनमें फैसला कर देगा" (Sura 45-16,17) .

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यज़ीदी

लालिश स्थित शेख आदि इब्न मुसाफिर की दरगाह यज़ीदी या येज़ीदी (कुर्दी: या Êzidî, अंग्रेज़ी: Yazidi) कुर्दी लोगों का एक उपसमुदाय है जिनका अपना अलग यज़ीदी धर्म है। इस धर्म में वह पारसी धर्म के बहुत से तत्व, इस्लामी सूफ़ी मान्यताओं और कुछ ईसाई विश्वासों के मिश्रण को मानते हैं। इस धर्म की शुरुआत १२वीं सदी ईसवी में शेख़ अदी इब्न मुसाफ़िर ने की और इसके अनुसार ईश्वर ने दुनिया का सृजन करने के बाद इसके देख-रेख सात फरिश्तों के सुपुर्द करी जिनमें से प्रमुख को 'मेलेक ताऊस', यानि 'मोर (पक्षी) फ़रिश्ता' है। अधिकतर यज़ीदी लोग पश्चिमोत्तरी इराक़ के नीनवा प्रान्त में बसते हैं, विशेषकर इसके सिंजार क्षेत्र में। इसके अलावा यज़ीदी समुदाय दक्षिणी कॉकस, आर्मेनिया, तुर्की और सीरिया में भी मिलते हैं। .

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यूनाइटेड किंगडम

वृहत् ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैण्ड का यूनाइटेड किंगडम (सामान्यतः यूनाइटेड किंगडम, यूके, बर्तानिया, UK, या ब्रिटेन के रूप में जाना जाने वाला) एक विकसित देश है जो महाद्वीपीय यूरोप के पश्चिमोत्तर तट पर स्थित है। यह एक द्वीपीय देश है, यह ब्रिटिश द्वीप समूह में फैला है जिसमें ग्रेट ब्रिटेन, आयरलैंड का पूर्वोत्तर भाग और कई छोटे द्वीप शामिल हैं।उत्तरी आयरलैंड, UK का एकमात्र ऐसा हिस्सा है जहां एक स्थल सीमा अन्य राष्ट्र से लगती है और यहां आयरलैण्ड यूके का पड़ोसी देश है। इस देश की सीमा के अलावा, UK अटलांटिक महासागर, उत्तरी सागर, इंग्लिश चैनल और आयरिश सागर से घिरा हुआ है। सबसे बड़ा द्वीप, ग्रेट ब्रिटेन, चैनल सुरंग द्वारा फ़्रांस से जुड़ा हुआ है। यूनाइटेड किंगडम एक संवैधानिक राजशाही और एकात्मक राज्य है जिसमें चार देश शामिल हैं: इंग्लैंड, उत्तरी आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स. यह एक संसदीय प्रणाली द्वारा संचालित है जिसकी राजधानी लंदन में सरकार बैठती है, लेकिन इसमें तीन न्यागत राष्ट्रीय प्रशासन हैं, बेलफ़ास्ट, कार्डिफ़ और एडिनबर्ग, क्रमशः उत्तरी आयरलैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड की राजधानी.जर्सी और ग्वेर्नसे द्वीप समूह, जिन्हें सामूहिक रूप से चैनल द्वीप कहा जाता है और मैन द्वीप (आईल ऑफ मान), यू के की राजत्व निर्भरता हैं और UK का हिस्सा नहीं हैं। इसके इलावा, UK के चौदह समुद्रपार निर्भर क्षेत्र हैं, ब्रिटिश साम्राज्य, जो १९२२ में अपने चरम पर था, दुनिया के तकरीबन एक चौथाई क्षेत्रफ़ल को घेरता था और इतिहास का सबसे बड़ा साम्रज्य था। इसके पूर्व उपनिवेशों की भाषा, संस्कृति और कानूनी प्रणाली में ब्रिटिश प्रभाव अभी भी देखा जा सकता है। प्रतीकत्मक सकल घरेलू उत्पाद द्वारा दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था और क्रय शक्ति समानता के हिसाब से सातवाँ बड़ा देश होने के साथ ही, यूके एक विकसित देश है। यह दुनिया का पहला औद्योगिक देश था और 19वीं और 20वीं शताब्दियों के दौरान विश्व की अग्रणी शक्ति था, लेकिन दो विश्व युद्धों की आर्थिक लागत और 20 वीं सदी के उत्तरार्ध में साम्राज्य के पतन ने वैश्विक मामलों में उसकी अग्रणी भूमिका को कम कर दिया फिर भी यूके अपने सुदृढ़ आर्थिक, सांस्कृतिक, सैन्य, वैज्ञानिक और राजनीतिक प्रभाव के कारण एक प्रमुख शक्ति बना हुआ है। यह एक परमाणु शक्ति है और दुनिया में चौथी सर्वाधिक रक्षा खर्चा करने वाला देश है। यह यूरोपीय संघ का सदस्य है, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक स्थायी सीट धारण करता है और राष्ट्र के राष्ट्रमंडल, जी8, OECD, नाटो और विश्व व्यापार संगठन का सदस्य है। .

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सद्दाम हुसैन

२००४ में सद्दाम हुसैन सद्दाम हुसैन अब्द अल-माजिद अल-तिक्रिती (अरबी: صدام حسين عبد المجيد التكريتي) दो दशक तक (16 जुलाई, 1979 से 9 अप्रैल, 2003 तक) इराक़ के राष्ट्रपति रह चुके है। उन्हें 30 दिसम्बर 2006 को उत्तरी बगदाद में स्थानीय समय के अनुसार सुबह ६ बजे फाँसी दी गई थी। ३१ वर्ष की आयु में सद्दाम हुसैन ने जनरल अहमद अल बक्र के साथ मिल कर इराक की सत्ता हासिल की। 1979 में वह खुद इराक के राष्ट्रपति बन गए। सन् 1982 में इराक में हए दुजैल जनसंहार मामले में फाँसी की सजा मिली। .

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सफ़वी वंश

सफ़वी वंश ईरान का एक राजवंश जिन्होने 1502 - 1730 तक राज किया। इस वंश के शासनकाल में पहली बार शिया इस्लाम राजधर्म के रूप में स्थापित हुआ। इसका पतन अफ़गानों के विद्रोहों और उस्मानी साम्राज्य के आक्रमणों के कारण 1720 में हुआ। मुग़ल बादशाह बाबर के भारत में प्रवेश करने से पहले बाबर को मध्य एशियाई सैन्य अभियानों में सफ़वियों ने बहुत मदद की और अपने सहायक के रूप में देखा। अज़ेरी या कुर्द मूल के माने गए सफ़वी वंश के शासकों ने ईरान को मुख्य रूप से शिया बनाया जो आधुनिक ईरान की पहचान है। आरंभिक तीन सुन्नी ख़लीफ़ाओं (अबू बकर, उमर और उस्मान) को गाली देने की परंपरा भी इन्हीं लोगों ने शुरु की। इस्माईल और अब्बास के शासन काल में साम्राज्य विस्तृत और मजबूत हुआ। .

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सला अल दीन

इराक़ का एक प्रशासनिक मंडल। श्रेणी:इराक़ के मंडल.

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सासानी साम्राज्य

सासानी साम्राज्य (गहरा हरा रंग); मध्यम हरे रंग में दिखाया गया क्षेत्र में पूर्वी रोमनों से युद्धरत सासानी (तीसरी सदी - 648) ईरान के इतिहास में सबसे प्रभावशाली शासकों में से एक हैं। इनका स्थान ईरान में हख़ामनी वंश के बाद सबसे सशक्त शासक वंशों में गिना जाता है। इनका उदय ईरान के दक्षिण में फ़ार्स में हुआ था - ये वही राज्य है जिसे हख़ामनी शासकों का मूल स्थान माना जाता है। अप्रैल 224 में एक अर्सासिद परिवार के लोग सशक्त हो गए। पर उनको क़ुज़ेस्तान में लड़े एक युद्ध में हरा कर अर्दाशिर नाम के एक व्यक्ति ने अपनी प्रभुता स्थापित की। उन्होंने अपने को हख़ामनी वंश (एकेमेनिड) के मूल का बताया। इसके बाद बने वंश को सासानी कहते हैं क्योंकि उनका पूर्ववर्ती सासान था। .

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सिकंदर

सिकंदर (Alexander) (356 ईपू से 323 ईपू) मकदूनियाँ, (मेसेडोनिया) का ग्रीक प्रशासक था। वह एलेक्ज़ेंडर तृतीय तथा एलेक्ज़ेंडर मेसेडोनियन नाम से भी जाना जाता है। इतिहास में वह कुशल और यशस्वी सेनापतियों में से एक माना गया है। अपनी मृत्यु तक वह उन सभी भूमि मे से लगभग आधी भूमि जीत चुका था, जिसकी जानकारी प्राचीन ग्रीक लोगों को थी(सत्य ये है की वह पृथ्वी के मात्र 5 प्रतीशत हिस्से को ही जीत पाया था) और उसके विजय रथ को रोकने में सबसे मुख्य भूमिका भारत के महान राजा पुरु (जिन्हे युनानी इतिहासकारों नें पोरस से सम्बोधित किया है।)और भारत के क्षेत्रीय सरदारो की थी, जिन्होंने सिकंदर की सेना में अपने पराक्रम के दम पर भारत के प्रति खौफ पैदा कर उसके हौसले पस्त कर दिये और उसे भारत से लौटने पर मजबूर कर दिया।। उसने अपने कार्यकाल में इरान, सीरिया, मिस्र, मसोपोटेमिया, फिनीशिया, जुदेआ, गाझा, बॅक्ट्रिया और भारत में पंजाब(जिसके राजा पुरु थे।) तक के प्रदेश पर विजय हासिल की थी परन्तु बाद में वो मगध की विशाल सेना से डर कर लौट गया ।।उल्लेखनीय है कि उपरोक्त क्षेत्र उस समय फ़ारसी साम्राज्य के अंग थे और फ़ारसी साम्राज्य सिकन्दर के अपने साम्राज्य से कोई 40 गुना बड़ा था। फारसी में उसे एस्कंदर-ए-मक्दुनी (मॅसेडोनिया का अलेक्ज़ेंडर, एस्कन्दर का अपभ्रंश सिकन्दर है) औऱ हिंदी में अलक्षेन्द्र कहा गया है। .

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सउदी अरब

सउदी अरब मध्यपूर्व में स्थित एक सुन्नी मुस्लिम देश है। यह एक इस्लामी राजतंत्र है जिसकी स्थापना १७५० के आसपास सउद द्वारा की गई थी। यहाँ की धरती रेतीली है तथा जलवायु उष्णकटिबंधीय मरुस्थल। यह विश्व के अग्रणी तेल निर्यातक देशों में गिना जाता है। सउदी अरब के पश्चिम की ओर लाल सागर है और उसके पार मिस्र। दक्षिण की ओर ओमान और यमन हैं और उनके दक्षिण में हिन्द महासागर। उत्तर में इराक और ज़ॉर्डन की सीमा लगती है जबकि पूरब में फारस की खाड़ी और कुवैत तथा संयुक्त अरब अमीरात। इसरायल-फ़िलिस्तीन का क्षेत्र इसके उत्तर की दिशा में है और अरबों ने इसके इतिहास को बहुत प्रभावित किया है। यहाँ इस्लाम के प्रवर्तक मुहम्मद साहब का जन्म हुआ था और यहाँ इस्लाम के दो सबसे पवित्र स्थल मक्का और मदीना अवस्थित हैं। इस्लाम में हज का स्थान मक्का बताया गया है और दुनिया के सारे मुसलमान मक्का की ओर ही नमाज अदा करते हैं। यहाँ के मुसलमान मुख्यतः सुन्नी हैं और इस्लाम की राजनैतिक राजधानी के इस देश से बाहर रहने के बावजूद इस देश के लोगों ने इस्लाम धर्म पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। .

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सुमेर

first farmers from Samara arrive in Sumer, and build shrine and settlement at Eridu आजकल के ईराक क्षेत्र यानि प्राचीन मेसोपोटामिया की सबसे पहली मानव सभ्यता। इसका काल ईसा के पूर्व ४५०० से १९०० के साल तक माना जाता है। बीच में २३००-२१०० ईसापूर्व के दौरान अक्कद ने सुमेर पर प्रभुता हासिल की, लेकिन अक्कद के पतन के बाद सुमेर फिर से मजबूत हुआ। माना जाता है सुमेर के शासक सेमेटिक नहीं थे - यानि आज के यहूदियों या अरब मुसलमानों के पूर्वज नहीं थे। सुमेरी तथा अक्कदी (सेमेटिक) भाषाओं के बीच आदान प्रदान हुआ लगता है। .

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स्वतन्त्रता

स्वतंत्रता आधुनिक काल का प्रमुख राजनैतिक दर्शन है। यह उस दशा का बोध कराती है जिसमें कोई राष्ट्र, देश या राज्य द्वारा अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करने पर किसी दूसरे व्यक्ति/ समाज/ देश का किसी प्रकार का प्रतिबन्ध या मनाही नहीं होती। अर्थात स्वतंत्र देश/ राष्ट्र/ राज्य के सदस्य स्वशासन (सेल्फ-गवर्नमेन्ट) से शासित होते हैं। स्वतंत्रता का विलोम शब्द 'परतंत्रता' है। जरूरी नहीं कि 'स्वतंत्रता' का अर्थ 'आजादी' (freedom) भी हो। .

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सीरिया

सीरिया ('''سوريّة'''. or), आधिकारिक रूप से सीरियाई अरब गणराज्य (अरबी: الجمهورية العربية السورية), दक्षिण-पश्चिम एशिया का एक राष्ट्र है। इसके पश्चिम में लेबनॉन तथा भूमध्यसागर, दक्षिण-पश्चिम में इजराइल, दक्षिण में ज़ॉर्डन, पूरब में इराक़ तथा उत्तर में तुर्की है। इसराइल तथा इराक़ के बीच स्थित होने के कारण यह मध्य-पूर्व का एक महत्वपूर्ण देश है। इसकी राजधानी दमास्कस है जो उमय्यद ख़िलाफ़त तथा मामलुक साम्राज्य की राजधानी रह चुका है। अप्रैल 1946 में फ्रांस से स्वाधीनता मिलने के बाद यहाँ के शासन में बाथ पार्टी का प्रभुत्व रहा है। 1963 से यहाँ आपातकाल लागू है जिसके कारण 1970 के बाद से यहाँ के शासक असद परिवार के लोग होते हैं। .

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हख़ामनी साम्राज्य

अजमीढ़ साम्राज्य अपने चरम पर - ईसापूर्व सन् 500 के आसपास हख़ामनी वंश या अजमीढ़ साम्राज्य(अंग्रेज़ी तथा ग्रीक में एकेमेनिड, अजमीढ़ साम्राज्य (ईसापूर्व 550 - ईसापूर्व 330) प्राचीन ईरान (फ़ारस) का एक शासक वंश था। यह प्राचीन ईरान के ज्ञात इतिहास का पहला शासक वंश था जिसने आज के लगभग सम्पूर्ण ईरान पर अपनी प्रभुसत्ता हासिल की थी और इसके अलावा अपने चरमकाल में तो यह पश्मिम में यूनान से लेकर पूर्व में सिंधु नदी तक और उत्तर में कैस्पियन सागर से लेकर दक्षिण में अरब सागर तक फैल गया था। इतना बड़ा साम्राज्य इसके बाद बस सासानी शासक ही स्थापित कर पाए थे। इस वंश का पतन सिकन्दर के आक्रमण से सन ३३० ईसापूर्व में हुआ था, जिसके बाद इसके प्रदेशों पर यूनानी (मेसीडोन) प्रभुत्व स्थापित हो गया था। पश्चिम में इस साम्राज्य को मिस्र एवम बेबीलोन पर अधिकार, यूनान के साथ युद्ध तथा यहूदियों के मंदिर निर्माण में सहयोग के लिए याद किया जाता है। कुरोश तथा दारुश को इतिहास में महान की संज्ञा से भी संबोधित किया जाता है। इस वंश को आधुनिक फ़ारसी भाषा बोलने वाले ईरानियों की संस्कृति का आधार कहा जाता है। इस्लाम के पूर्व प्राचीन ईरान के इस साम्राज्य को ईरानी अपने गौरवशाली अतीत की तरह देखते हैं, जो अरबों द्वारा ईरान पर शासन और प्रभाव स्थापित करने से पूर्व था। आज भी ईरानी अपने नाम इस काल के शासकों के नाम पर रखते हैं जो मुस्लिम नाम नहीं माने जाते हैं। ज़रदोश्त के प्रभाव से पारसी धर्म के शाही रूप का प्रतीक भी इसी वंश को माना जाता है। तीसरी सदी में स्थापित सासानी वंश के शासकों ने अपना मूल हख़ामनी वंश को ही बताया था। .

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जर्मनी

कोई विवरण नहीं।

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जलाल तालाबानी

जलाल तालाबानी इराक के पूर्व राष्ट्रपति हैं।.

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ज़ी क़ार प्रान्त

ज़ी क़ार प्रान्त (अरबी), जिसे धी क़ार प्रान्त और थ़ी क़ार​ प्रान्त भी कहते हैं, इराक़ का एक प्रान्त है। .

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जॉर्डन

जॉर्डन, आधिकारिक तौर पर इस हेशमाइट किंगडम ऑफ जॉर्डन, दक्षिण पश्चिम एशिया में अकाबा खाड़ी के दक्षिण में, सीरियाई मरुस्थल के दक्षिणी भाग में अवस्थित एक अरब देश है। देश के उत्तर में सीरिया, उत्तर-पूर्व में इराक, पश्चिम में पश्चिमी तट और इज़रायल और पूर्व और दक्षिण में सउदी अरब स्थित हैं। जॉर्डन, इज़रायल के साथ मृत सागर और अकाबा खाड़ी की तट रेखा इज़रायल, सउदी अरब और मिस्र के साथ नियंत्रण करता है। जॉर्डन का ज्यादातर हिस्सा रेगिस्तान से घिरा हुआ है, विशेष रूप से अरब मरुस्थल; हालाँकी, उत्तर पश्चिमी क्षेत्र, जॉर्डन नदी के साथ, उपजाऊ चापाकार का हिस्सा माना जाता है। देश की राजधानी अम्मान उत्तर पश्चिम में स्थित है। .

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ईरान

ईरान (جمهوری اسلامی ايران, जम्हूरीए इस्लामीए ईरान) जंबुद्वीप (एशिया) के दक्षिण-पश्चिम खंड में स्थित देश है। इसे सन १९३५ तक फारस नाम से भी जाना जाता है। इसकी राजधानी तेहरान है और यह देश उत्तर-पूर्व में तुर्कमेनिस्तान, उत्तर में कैस्पियन सागर और अज़रबैजान, दक्षिण में फारस की खाड़ी, पश्चिम में इराक और तुर्की, पूर्व में अफ़ग़ानिस्तान तथा पाकिस्तान से घिरा है। यहां का प्रमुख धर्म इस्लाम है तथा यह क्षेत्र शिया बहुल है। प्राचीन काल में यह बड़े साम्राज्यों की भूमि रह चुका है। ईरान को १९७९ में इस्लामिक गणराज्य घोषित किया गया था। यहाँ के प्रमुख शहर तेहरान, इस्फ़हान, तबरेज़, मशहद इत्यादि हैं। राजधानी तेहरान में देश की १५ प्रतिशत जनता वास करती है। ईरान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः तेल और प्राकृतिक गैस निर्यात पर निर्भर है। फ़ारसी यहाँ की मुख्य भाषा है। ईरान में फारसी, अजरबैजान, कुर्द और लूर सबसे महत्वपूर्ण जातीय समूह हैं .

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ईरान की इस्लामी क्रांति

ईरान की इस्लामिक क्रांति (फ़ारसी: इन्क़लाब-ए-इस्लामी) सन् 1979 में हुई थी जिसके फलस्वरूप ईरान को एक इस्लामिक गणराज्य घोषित कर दिया गया था। इस क्रांति को फ्रांस की राज्यक्रांति और बोल्शेविक क्रांति के बाद विश्व की सबसे महान क्रांति कहा जाता है। इसके कारण पहलवी वंश का अंत हो गया था और अयातोल्लाह ख़ोमैनी ईरान के प्रमुख बने थे।। ईरान का नया शासन एक धर्मतन्त्र है जहाँ सर्वोच्च नेता धार्मिक इमाम (अयातोल्लाह) होता है पर शासन एक निव्राचित राष्ट्रपति चलाता है। ग़ौरतलब है कि ईरान एक शिया बहुल देश है। इस क्रांति के प्रमुख कारणों में ईरान के पहलवी शासकों का पश्चिमी देशों के अनुकरण तथा अनुगमन करने की नीति तथा सरकार के असफल आर्थिक प्रबंध थे। इसके तुरत बाद इराक़ के नए शासक सद्दाम हुसैन ने अपने देश में ईरान समर्थित शिया आन्दोलन भड़कने के डर से ईरान पर आक्रमण कर दिया था जो 8 साल तक चला और अनिर्णीत समाप्त हुआ। .

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ईरान-इराक़ युद्ध

ईरान और इराक़ के बीच युद्ध सन् 1980-88 के बीच लड़ा गया। यह युद्ध अनिर्णीत ख़त्म हुआ था। इस युद्ध का मुख्य कारण सीमा-विवाद था। ७० के दशक में इराक़ के साथ सीमा विवाद को लेकर जो सन्धि हुई थी उससे इराक़ सन्तुष्ट नहीं था। उस समय इरान राजनैतिक रूप से कमज़ोर था क्योंकि देश में इस्लामिक क्रांति अभी-अभी हुई थी। इसके सबसे खतरनाक परिणामों में से एक था - लेबनॉन में हिज़्बोल्ला का जन्म। इस युद्ध में यूरोपीय देशों ने खुद को युद्ध से अलग बताया पर हथियारों के रूप में उन्होंने इराक की मदद की। .

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ईसाई

ईसाई वो व्यक्ति है जो ईसाई धर्म को मानता है। ईसाइयों कई साम्प्रदायों में बटे हैं, जैसे रोमन कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट और ऑर्थोडॉक्स। देखिये: ईसाई धर्म। श्रेणी:ईसाई धर्म.

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ईसाई धर्म

'''ईद्भास/क्रॉस''' - यह ईसाई धर्म का निशान है ईसाई धर्म (अन्य प्रचलित नाम:मसीही धर्म व क्रिश्चियन धर्म) एक इब्राहीमीChristianity's status as monotheistic is affirmed in, amongst other sources, the Catholic Encyclopedia (article ""); William F. Albright, From the Stone Age to Christianity; H. Richard Niebuhr; About.com,; Kirsch, God Against the Gods; Woodhead, An Introduction to Christianity; The Columbia Electronic Encyclopedia; The New Dictionary of Cultural Literacy,; New Dictionary of Theology,, pp.

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वासित मंडल

इराक़ का एक प्रशासनिक मंडल। श्रेणी:इराक़ के मंडल.

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ख़िलाफ़त

इस्लाम की विजय यात्रा मुहम्मद साहब की मृत्यु के बाद इस्लाम के प्रमुख को खलीफ़ा कहते थे। इस विचारधारा को खिलाफ़त कहा जाता है। प्रथम चार खलीफाओं को राशिदुन कहते हैं। उम्मयद, अब्बासी और फ़ातिमी खलीफा क्रमशः दमिश्क, बग़दाद और काहिरा से शासन करते थे। इसके बाद उस्मानी (ऑटोमन तुर्क) खिलाफ़त आया। मुहम्मद साहब के नेतृत्व में अरब बहुत शक्तिशाली हो गए थे। उन्होंने एक बड़े साम्राज्य पर अधिकार कर लिया था जो इससे पहले अरबी इतिहास में शायद ही किसी ने किया हो। खलीफ़ा बनने का अर्थ था - इतने बड़े साम्राज्य का मालिक। अतः इस पद को लेकर विवाद होना स्वाभाविक था। .

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खाड़ी युद्ध

कोई विवरण नहीं।

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गणराज्य

एक गणराज्य या गणतंत्र (रेस पब्लिका) सरकार का एक रूप है जिसमें देश को एक "सार्वजनिक मामला" माना जाता है, न कि शासकों की निजी संस्था या सम्पत्ति। एक गणराज्य के भीतर सत्ता के प्राथमिक पद विरासत में नहीं मिलते हैं। यह सरकार का एक रूप है जिसके अंतर्गत राज्य का प्रमुख राजा नहीं होता। गणराज्य की परिभाषा का विशेष रूप से सन्दर्भ सरकार के एक ऐसे रूप से है जिसमें व्यक्ति नागरिक निकाय का प्रतिनिधित्व करते हैं और किसी संविधान के तहत विधि के नियम के अनुसार शक्ति का प्रयोग करते हैं, और जिसमें निर्वाचित राज्य के प्रमुख के साथ शक्तियों का पृथक्करण शामिल होता हैं, व जिस राज्य का सन्दर्भ संवैधानिक गणराज्य या प्रतिनिधि लोकतंत्र से हैं। 2017 तक, दुनिया के 206 सम्प्रभु राज्यों में से 159 अपने आधिकारिक नाम के हिस्से में "रिपब्लिक" शब्द का उपयोग करते हैं - निर्वाचित सरकारों के अर्थ से ये सभी गणराज्य नहीं हैं, ना ही निर्वाचित सरकार वाले सभी राष्ट्रों के नामों में "गणराज्य" शब्द का उपयोग किया गया हैं। भले राज्यप्रमुख अक्सर यह दावा करते हैं कि वे "शासितों की सहमति" से ही शासन करते हैं, नागरिकों को अपने स्वयं के नेताओं को चुनने की वास्तविक क्षमता को उपलब्ध कराने के असली उद्देश्य के बदले कुछ देशों में चुनाव "शो" के उद्देश्य से अधिक पाया गया है। गणराज्य (संस्कृत से; "गण": जनता, "राज्य": रियासत/देश) एक ऐसा देश होता है जहां के शासनतन्त्र में सैद्धान्तिक रूप से देश का सर्वोच्च पद पर आम जनता में से कोई भी व्यक्ति पदासीन हो सकता है। इस तरह के शासनतन्त्र को गणतन्त्र(संस्कृत; गण:पूरी जनता, तंत्र:प्रणाली; जनता द्वारा नियंत्रित प्रणाली) कहा जाता है। "लोकतंत्र" या "प्रजातंत्र" इससे अलग होता है। लोकतन्त्र वो शासनतन्त्र होता है जहाँ वास्तव में सामान्य जनता या उसके बहुमत की इच्छा से शासन चलता है। आज विश्व के अधिकान्श देश गणराज्य हैं और इसके साथ-साथ लोकतान्त्रिक भी। भारत स्वयः एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है। .

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आईएसआईएस

'''इस्लामिक राज्य''' का ध्वज इस्लामी राज्य (अरबी: ﺍﻟﺪﻭﻟﺔ ﺍﻹﺳﻼﻣﻴﺔ al-Dawlah al-Islāmīyah) जून २०१४ में निर्मित एक अमान्य राज्य तथा इराक एवं सीरिया में सक्रिय जिहादी सुन्नी सैन्य समूह है। अरबी भाषा में इस संगठन का नाम है 'अल दौलतुल इस्लामिया फिल इराक वल शाम'। इसका हिन्दी अर्थ है- 'इराक एवं शाम का इस्लामी राज्य'। शाम सीरिया का प्राचीन नाम है। इस संगठन के कई पूर्व नाम हैं जैसे आईएसआईएस अर्थात् 'इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया', आईएसआईएल्, दाइश आदि। आईएसआईएस नाम से इस संगठन का गठन अप्रैल 2013 में हुआ। इब्राहिम अव्वद अल-बद्री उर्फ अबु बक्र अल-बगदादी इसका मुखिया है। शुरू में अल कायदा ने इसका हर तरह से समर्थन किया किन्तु बाद में अल कायदा इस संगठन से अलग हो गया। अब यह अल कायदा से भी अधिक मजबूत और क्रूर संगठन के तौर पर जाना जाता हैं। यह दुनिया का सबसे अमीर आतंकी संगठन है जिसका बजट 2 अरब डॉलर का है। २९ जून २०१४ को इसने अपने मुखिया को विश्व के सभी मुसलमानों का खलीफा घोषित किया है। विश्व के अधिकांश मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों को सीधे अपने राजनीतिक नियंत्रण में लेना इसका घोषित लक्ष्य है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये इसने सबसे पहले लेवेन्त क्षेत्र को अपने अधिकार में लेने का अभियान चलाया है जिसके अन्तर्गत जॉर्डन, इजरायल, फिलिस्तीन, लेबनान, कुवैत, साइप्रस तथा दक्षिणीतुर्की का कुछ भाग आता हैं। आईएसआईएस के सदस्यो की संख्या करीब 10,000 हैं। .

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इण्डिया गेट

भारत की राजधानी नई दिल्ली का इण्डिया गेट इण्डिया गेट, (मूल रूप से अखिल भारतीय युद्ध स्मारक कहा जाता है), नई दिल्ली के राजपथ पर स्थित ४३ मीटर ऊँचा विशाल द्वार है। यह स्वतन्त्र भारत का राष्ट्रीय स्मारक है, जिसे पूर्व में किंग्सवे कहा जाता था। इसका डिजाइन सर एडवर्ड लुटियन्स ने तैयार किया था। यह स्मारक पेरिस के आर्क डे ट्रॉयम्फ़ से प्रेरित है। इसे सन् १९३१ में बनाया गया था। मूल रूप से अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के रूप में जाने वाले इस स्मारक का निर्माण अंग्रेज शासकों द्वारा उन ९०००० भारतीय सैनिकों की स्मृति में किया गया था जो ब्रिटिश सेना में भर्ती होकर प्रथम विश्वयुद्ध और अफ़ग़ान युद्धों में शहीद हुए थे। यूनाइटेड किंगडम के कुछ सैनिकों और अधिकारियों सहित 13,300 सैनिकों के नाम, गेट पर उत्कीर्ण हैं। लाल और पीले बलुआ पत्थरों से बना हुआ यह स्मारक दर्शनीय है। जब इण्डिया गेट बनकर तैयार हुआ था तब इसके सामने जार्ज पंचम की एक मूर्ति लगी हुई थी। जिसे बाद में ब्रिटिश राज के समय की अन्य मूर्तियों के साथ कोरोनेशन पार्क में स्थापित कर दिया गया। अब जार्ज पंचम की मूर्ति की जगह प्रतीक के रूप में केवल एक छतरी भर रह गयी है। इण्डिया गेट के नीचे अमर जवान ज्योति भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात् इण्डिया गेट भारतीय सेना के अज्ञात सैनिकों के मकबरे की साइट मात्र बनकर रह गया है। इसकी मेहराब के नीचे अमर जवान ज्योति स्थापित कर दी गयी है। अनाम सैनिकों की स्मृति में यहाँ एक राइफ़ल के ऊपर सैनिक की टोपी सजा दी गयी है जिसके चारो कोनों पर सदैव एक ज्योति जलती रहती है। इस अमर जवान ज्योति पर प्रति वर्ष प्रधान मन्त्री व तीनों सेनाध्यक्ष पुष्प चक्र चढ़ाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इण्डिया गेट की दीवारों पर हजारों शहीद सैनिकों के नाम खुदे हैं और सबसे ऊपर अंग्रेजी में लिखा हैः दिल्ली की कई महत्वपूर्ण सड़कें इण्डिया गेट के कोनों से निकलती हैं। रात के समय यहाँ मेले जैसा माहौल होता है। .

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इराक का इतिहास

इराक का इतिहास मेसोपोटेमिया की अनेक प्राचीन सभ्यताओं का रहा है जिसकी वजह से इसे लिखित इतिहास के प्राचीनतम स्थल होने का सौभाग्य प्राप्त है। परंपराओं के अनुसार इराक में वह प्रसिद्ध नंदन वन था जिसे इंजील में "अंदन का बाग" की संज्ञा दी गई है और जहाँ मानव जाति के पूर्वज हज़रत आदम और आदिमाता हव्वा विचरण करते थे। इराक को "साम्राज्यों का खंडहर" भी कहा जाता है क्योंकि अनेक साम्राज्य यहाँ जन्म लेकर, फूल फलकर धूल में मिल गए। .

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इराक़ के प्रान्त

इराक़ में १८ प्रांत हैं जिन्हें मुहाफ़ज़ाह (अरबी:, अंग्रेज़ी: governorate) कहा जाता है, यानि वह क्षेत्र जो किसी राज्यपाल (governor) या हाफ़िज़ की निगरानी में रखे गए हों। इन प्रान्तों का ब्यौरा नीचे के विभाग दिया गया है और इनमें से तीन (अरबील, दोहूक, सुलयमानियाह) इराक़ी कुर्दिस्तान का हिस्सा माने जाते हैं और यहाँ पर क्षेत्रीय कुर्दी सरकार का स्वशासन है।, Kenneth Katzman, pp.

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इराकी दीनार

दीनार (अरबी: دينار, कुर्द: دینار) (संकेत: ع.د; कोड: IQD) इराक की मुद्रा है। यह इराक के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किया जाता है और 1,000 फिल्स (فلس) में समविभाजित है, हालांकि मुद्रास्फीति ने फिल्स को प्रचलन से बाहर कर दिया है। .

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इराकी कुर्दिस्तान

इराकी कुर्दिस्तान, जिसे इराकी संविधान में आधिकारिक रूप से कुर्दिस्तान क्षेत्र (Herêmî Kurdistan; ܩܠܝܡܵܐ ܕܟܘ̣ܪܕܸܣܬܵܢ, Iqlīm Kurdistān) कहते हैं, इराक के उत्तर में स्थित क्षेत्र है जो इराक का एकमात्र स्वायत्त क्षेत्र है। प्रायः इसे दक्षिणी कुर्दिस्तान कहते हैं। (باشووری کوردستان; Başûrê Kurdistanê), क्योंकि कुर्द लोग इसे बृहद कुर्दिस्तान के चार भागों में से एक मानते हैं। .

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इस्लाम

इस्लाम (अरबी: الإسلام) एक एकेश्वरवादी धर्म है, जो इसके अनुयायियों के अनुसार, अल्लाह के अंतिम रसूल और नबी, मुहम्मद द्वारा मनुष्यों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय पुस्तक क़ुरआन की शिक्षा पर आधारित है। कुरान अरबी भाषा में रची गई और इसी भाषा में विश्व की कुल जनसंख्या के 25% हिस्से, यानी लगभग 1.6 से 1.8 अरब लोगों, द्वारा पढ़ी जाती है; इनमें से (स्रोतों के अनुसार) लगभग 20 से 30 करोड़ लोगों की यह मातृभाषा है। हजरत मुहम्मद साहब के मुँह से कथित होकर लिखी जाने वाली पुस्तक और पुस्तक का पालन करने के निर्देश प्रदान करने वाली शरीयत ही दो ऐसे संसाधन हैं जो इस्लाम की जानकारी स्रोत को सही करार दिये जाते हैं। .

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करबला

करबला ईराक का एक प्रमुख शहर है। यहा पर इमाम हज़रत हुसैन ने अपने नाना हजरत मुहम्मद स्० के सिधान्तो की रक्षा के लिए बहुत बड़ा बलिदान दिया था। इस स्थान पर आपको और आपके लगभग पूरे परिवार और अनुयायियों को यजिद नामक व्यक्ति के आदेश पर सन् 680 (हिजरी 61) में शहीद किया गया था जो उस समय शासन करता था और इस्लाम धर्म में अपने अनुसार बुराईयाँ जेसे शराबखोरि, अय्याशी, वगरह लाना चाह्ता था।। यह क्षेत्र सीरियाई मरुस्थल के कोने में स्थित है। करबला शिया स्मुदाय में मक्का के बाद दूसरी सबसे प्रमुख जगह है। कई मुसलमान अपने मक्का की यात्रा के बाद करबला भी जाते हैं। इस स्थान पर इमाम हुसैन का मक़बरा भी है जहाँ सुनहले रंग की गुम्बद बहुत आकर्षक है। इसे 1801 में सऊदी के राजा के पूरवजो ने नष्ट भी किया था पर फ़ारस (ईरान) के लोगों द्वारा यह फ़िर से बनाया गया। इमाम हुसैन (हुसैन बिन अली) के इस बलिदान को मुस्लिम मुहर्रम के रूप में आज भी याद करते हैं। .

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कसदी

हाम्मुरबी (1728 ईसापुर्व 1683 ईसापुर्व) बेबीलोनिया का प्रसिध्द शासक जो एमोराइट राजवंश का था। तथा हम्बुराबी की सबसे बड़ी देन कानूनो की संहिता है हम्बुराबी विश्व का प्रथम शासक था जिसने सर्बप्रथम कानूनो का संग्रह कराया। श्रेणी:इराक़ का इतिहास श्रेणी:मेसोपोटामिया श्रेणी:कसदी.

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क़ादिसियाह प्रान्त

क़ादिसियाह​ प्रान्त (अरबी), जिसका औपचारिक नाम अरबी भाषा में मुहाफ़ज़ात​ अल-क़ादिसियाह​ है, इराक़ का एक प्रान्त है। .

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कुर्द लोग

कुर्द लोग मुख्य रूप से उत्तरी इराक़, दक्षिणपूर्वी तुर्की तथा उत्तरी सीरिया में पाए जाते हैं। कुर्द लोगों से सम्बन्धित चीज़ों को भी कुर्द कहा जाता है। इनकी भाषा को कुर्द भाषा कहा जाता है। से लोग शिया बाहुल्य हैं किंतु अंकुर आनंद मिश्रा के अनुसार यें अब आधुनिक हो रहे हैं और सूफी शाखा का भी प्रवेश हो रहा है !!! .

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कुर्दी भाषा

कुर्दी भाषा का फैलाव (लाल रंग में, बाएं तरफ़) कुर्दी (Kurdî,, Kurdish) ईरान, तुर्की, ईराक़, सीरिया और दक्षिणी कॉकस क्षेत्र में रहने वाले कुर्दी लोगों की भाषा है। यह हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की हिन्द-ईरानी शाखा की ईरानी उपशाखा की एक सदस्य है। यह आधुनिक फ़ारसी भाषा से काफ़ी मिलती-जुलती है। दुनिया भर में कुर्दी बोलने वालों की संख्या १.६ करोड़ अनुमानित की गई है। तुर्की में इसे मातृभाषा या दूसरी भाषा बोलने वाले उस देश की कुल आबादी के लगभग १२% अनुमानित किये गए हैं। वास्तव में कुर्दी एक भाषा नहीं बल्कि बहुत सी कुर्दी उपभाषाओं का गुट है।, Stavroula Chrisdoulaki, GRIN Verlag, 2010, ISBN 978-3-640-76700-7,...

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कुवैत

कुवैत (अरबी: دولة الكويت‎, दवालात अल-कुवैती) पश्चिम एशिया में स्थित एक संप्रभु अरब अमीरात है, जिसकी सीमा उत्तर में सउदी अरब और उत्तर और पश्चिम में इराक से मिलती है। उत्तर से लेकर दक्षिण तक की अधिकतम दूरी 200 किमी (120 मील) और पूर्व से लेकर पश्चिम तक की दूरी 170 किमी (110 मील) है। कुवैत एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है 'पानी के करीब एक महल'। करीबन 30 लाख की जनसंख्या वाले इस संवैधानिक राजशाही वाले देश में संसदीय व्यवस्था वाली सरकार है। कुवैत नगर देश की आर्थिक और राजनीतिक राजधानी है। कुवैत में अनेक द्वीप भी शामिल हैं, जिसमें इराक की सीमा से लगा बुमियान सबसे बड़ा है। 1990 में कुवैत पर इराक ने आक्रमण कर कब्जा जमा लिया था। सात महीने का इराकी कब्जा संयुक्त राज्य अमेरिका नीत सेना द्वारा सीधे आक्रमण के बाद खत्म हुआ था। लौटती हुई इराकी सेना ने करीबन 750 तेल के कुंओं को खाक में मिला दिया, जो एक बड़ी आर्थिक और पयार्वरण त्रासदी के रूप में परिणीत हुई। युद्ध में कुवैत की आधारभूत संरचना बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुई, जिसे पुनः सुधारना पड़ा। तेल भंडारण के मामले में कुवैत दुनिया का पांचवां सबसे समृद्ध देश और प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से दुनिया का ग्यारहवां सबसे धनी देश है। कुवैत में तेल क्षेत्र की खोज और दोहन की प्रक्रिया 1930 से प्रारंभ हुई। 1961 में युनाइटेड किंगडम से स्वतंत्र होने के बाद इस क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है। आज देश का करीबन 95 प्रतिशत निर्यात और 80 प्रतिशत सरकारी राजस्व तेल 䤔र तेल से बने उत्पाद से होती है। .

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अत तमीम

इराक़ का एक प्रशासनिक मंडल। तमीम, अत श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अनुवाद

किसी भाषा में कही या लिखी गयी बात का किसी दूसरी भाषा में सार्थक परिवर्तन अनुवाद (Translation) कहलाता है। अनुवाद का कार्य बहुत पुराने समय से होता आया है। संस्कृत में 'अनुवाद' शब्द का उपयोग शिष्य द्वारा गुरु की बात के दुहराए जाने, पुनः कथन, समर्थन के लिए प्रयुक्त कथन, आवृत्ति जैसे कई संदर्भों में किया गया है। संस्कृत के ’वद्‘ धातु से ’अनुवाद‘ शब्द का निर्माण हुआ है। ’वद्‘ का अर्थ है बोलना। ’वद्‘ धातु में 'अ' प्रत्यय जोड़ देने पर भाववाचक संज्ञा में इसका परिवर्तित रूप है 'वाद' जिसका अर्थ है- 'कहने की क्रिया' या 'कही हुई बात'। 'वाद' में 'अनु' उपसर्ग उपसर्ग जोड़कर 'अनुवाद' शब्द बना है, जिसका अर्थ है, प्राप्त कथन को पुनः कहना। इसका प्रयोग पहली बार मोनियर विलियम्स ने अँग्रेजी शब्द टांंसलेशन (translation) के पर्याय के रूप में किया। इसके बाद ही 'अनुवाद' शब्द का प्रयोग एक भाषा में किसी के द्वारा प्रस्तुत की गई सामग्री की दूसरी भाषा में पुनः प्रस्तुति के संदर्भ में किया गया। वास्तव में अनुवाद भाषा के इन्द्रधनुषी रूप की पहचान का समर्थतम मार्ग है। अनुवाद की अनिवार्यता को किसी भाषा की समृद्धि का शोर मचा कर टाला नहीं जा सकता और न अनुवाद की बहुकोणीय उपयोगिता से इन्कार किया जा सकता है। ज्त्।छैस्।ज्प्व्छ के पर्यायस्वरूप ’अनुवाद‘ शब्द का स्वीकृत अर्थ है, एक भाषा की विचार सामग्री को दूसरी भाषा में पहुँचना। अनुवाद के लिए हिंदी में 'उल्था' का प्रचलन भी है।अँग्रेजी में TRANSLATION के साथ ही TRANSCRIPTION का प्रचलन भी है, जिसे हिंदी में 'लिप्यन्तरण' कहा जाता है। अनुवाद और लिप्यंतरण का अंतर इस उदाहरण से स्पष्ट है- इससे स्पष्ट है कि 'अनुवाद' में हिंदी वाक्य को अँग्रेजी में प्रस्तुत किया गया है जबकि लिप्यंतरण में नागरी लिपि में लिखी गयी बात को मात्र रोमन लिपि में रख दिया गया है। अनुवाद के लिए 'भाषांतर' और 'रूपांतर' का प्रयोग भी किया जाता रहा है। लेकिन अब इन दोनों ही शब्दों के नए अर्थ और उपयोग प्रचलित हैं। 'भाषांतर' और 'रूपांतर' का प्रयोग अँग्रेजी के INTERPRETATION शब्द के पर्याय-स्वरूप होता है, जिसका अर्थ है दो व्यक्तियों के बीच भाषिक संपर्क स्थापित करना। कन्नडभाषी व्यक्ति और असमियाभाषी व्यक्ति के बीच की भाषिक दूरी को भाषांतरण के द्वारा ही दूर किया जाता है। 'रूपांतर' शब्द इन दिनों प्रायः किसी एक विधा की रचना की अन्य विधा में प्रस्तुति के लिए प्रयुक्त है। जैस, प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' का रूपांतरण 'होरी' नाटक के रूप में किया गया है। किसी भाषा में अभिव्यक्त विचारों को दूसरी भाषा में यथावत् प्रस्तुत करना अनुवाद है। इस विशेष अर्थ में ही 'अनुवाद' शब्द का अभिप्राय सुनिश्चित है। जिस भाषा से अनुवाद किया जाता है, वह मूलभाषा या स्रोतभाषा है। उससे जिस नई भाषा में अनुवाद करना है, वह 'प्रस्तुत भाषा' या 'लक्ष्य भाषा' है। इस तरह, स्रोत भाषा में प्रस्तुत भाव या विचार को बिना किसी परिवर्तन के लक्ष्यभाषा में प्रस्तुत करना ही अनुवाद है।ज .

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अब्बासी ख़िलाफ़त

अपने चरम पर अब्बासियों का क्षेत्र (हरे रंग में, गाढ़े हरे रंग वाले क्षेत्र उनके द्वारा जल्दी ही खोए गए) अब्बासी (अरबी:, अल-अब्बासियून; अंग्रेज़ी: Abbasids) वंश के शासक इस्लाम के ख़लीफ़ा थे जो सन् 750 के बाद से 1257 तक इस्लाम के धार्मिक प्रमुख और इस्लामी साम्राज्य के शासक रहे। इनके पूर्वज मुहम्मद से संबंधित थे इसलिए इनको सुन्नियों के साथ साथ शिया विचारधारा के मुसलमानों का भी बहुत सहयोग मिला जिसमें ईरान तथा ख़ोरासान तथा शाम की जनता शामिल थी। इस जनसहयोग की बदौलत उन्होंने उमय्यदों को हरा दिया और ख़लीफ़ा बनाए गए। उन्होंने उमय्यदों के विपरीत साम्राज्य में ईरानी तत्वों को समावेश किया और उनके काल में इस्लामी विज्ञान, कला तथा ज्योतिष में काफ़ी नए विकास हुए। सन् 762 में उन्होंने बग़दाद की स्थापना की जहाँ ईरानी सासानी निर्माण कला तथा अरबी संस्कृति से मिश्रित एक राजधानी का विकास हुआ। यद्यपि 10वीं सदी में उनकी वंशानुगत शासन की परम्परा टूट गई पर ख़िलाफ़त बनी रही। इस परंपरा टूटने के कारण शिया इस्लाम में इस्माइली तथा बारहवारी सम्प्रदायों का जन्म हुआ जो इस्लाम के उत्तराधिकारी के रूप में मुहम्मद साहब के विभिन्न वंशजों का समर्थन करते थे। उनके काल में इस्लाम भारत में भी फैल गया लेकिन 1257 में उस समय अमुस्लिम रहे मंगोलों के आक्रमण से बग़दाद नष्ट हो गया। .

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अरब

* अरब देश - मध्यपूर्व के देश जहाँ अरबी भाषा बोली जाती है।.

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अरबी

अरबी बहुविकल्पी शब्द है जिस्का संबंध निम्नलिखित पृष्ठों से होता है। साहित्य और धर्म में-.

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अरबी भाषा

अरबी भाषा सामी भाषा परिवार की एक भाषा है। ये हिन्द यूरोपीय परिवार की भाषाओं से मुख़्तलिफ़ है, यहाँ तक कि फ़ारसी से भी। ये इब्रानी भाषा से सम्बन्धित है। अरबी इस्लाम धर्म की धर्मभाषा है, जिसमें क़ुरान-ए-शरीफ़ लिखी गयी है। .

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अर्बिल

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अल मुतन्ना

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अल अनबार

अल अलबार इराक़ का एक पश्चिमी प्रांत जो मुख्यतः मरुभूमि है। फ़लुजा, रामादी इत्यादि प्रमुख शहर हैं। अनबार, अल श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अश्शूर

अश्शूर प्राचीन मेसोपोटामिया में नव असीरियाई साम्राज्य की राजधानी थी। इस शहर के अवशेष इराक़ में दजला नदी के उपरी हिस्से में स्थित हैं। यह बीसवी सदी ईसापूर्व से लेकर सातवीं सदी ईसापूर्व तक अस्तित्व में था। इसके बाद फ़ारस के हख़ामनी वंश के शासकों के अधीन आ गया। यह शहर लगभग २६००-२५०० ईपू से १४०० ईसवी तक हराभरा व समृद्ध रहा। लेकिन जब तैमूरलंग ने अपने ही लोगों का नरसंहार शुरू करवा दिया तब से इस शहर का अस्तित्व खत्म होता रहा। अश्शूर इस शहर के प्रमुख देवता का भी नाम था। वह असीरिया में सबसे प्रमुख व शक्तिशाली देवता और असीरियाई साम्राज्य के संरक्षक माने जाते थे। वर्तमान में इस जगह को यूनेस्को विश्व धरोहर माना जाता है। २००३ में खाड़ी युद्ध शुरु होने के बाद इस जगह को खतरे में पडे विश्व धरोहरों में गिना जाने लगा। .

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अस्सुलेमानिया मंडल

इराक़ का एक प्रशासनिक मंडल। मंडल, अस्सुलेमानिया.

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अक्कदी सभ्यता

अक्कद या अगादे मेसोपोटामिया की प्राचीनकालीन सभ्यताओं में से एक था। इसका काल 2334-2154 ईसापूर्व के बीच था। इसके बाद और पहले सुमेरी सभ्यता का प्रभाव रहा पर इस काल में साहित्य का विकास हुआ। अपने पतन के ५०० सालों के बाद में अक्कदी भाषा ने सुमेरी भाषा का स्थान व्यवहार में आने वाली भाषा के रूप में ले लिया। आधुनिक यहूदी और अरब अपने को इन्हीं सम्राटों के वंशज मानते हैं। .

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उस्मानी साम्राज्य

उस्मानी सलतनत (१२९९ - १९२३) (या उस्मानी साम्राज्य या तुर्क साम्राज्य, उर्दू में सल्तनत-ए-उस्मानिया, उस्मानी तुर्कीयाई:دَوْلَتِ عَلِيّهٔ عُثمَانِیّه देव्लेत-इ-आलीय्ये-इ-ऑस्मानिय्ये) १२९९ में पश्चिमोत्तर अनातोलिया में स्थापित एक तुर्क राज्य था। महमद द्वितीय द्वारा १४९३ में क़ुस्तुंतुनिया जीतने के बाद यह एक साम्राज्य में बदल गया। प्रथम विश्वयुद्ध में १९१९ में पराजित होने पर इसका विभाजन करके इस पर अधिकार कर लिया गया। स्वतंत्रता के लिये संघर्ष के बाद २९ अक्तुबर सन् १९२३ में तुर्की गणराज्य की स्थापना पर इसे समाप्त माना जाता है। उस्मानी साम्राज्य सोलहवीं-सत्रहवीं शताब्दी में अपने चरम शक्ति पर था। अपनी शक्ति के चरमोत्कर्ष के समय यह एशिया, यूरोप तथा उत्तरी अफ़्रीका के हिस्सों में फैला हुआ था। यह साम्राज्य पश्चिमी तथा पूर्वी सभ्यताओं के लिए विचारों के आदान प्रदान के लिए एक सेतु की तरह था। इसने १४५३ में क़ुस्तुन्तुनिया (आधुनिक इस्ताम्बुल) को जीतकर बीज़ान्टिन साम्राज्य का अन्त कर दिया। इस्ताम्बुल बाद में इनकी राजधानी बनी रही। इस्ताम्बुल पर इसकी जीत ने यूरोप में पुनर्जागरण को प्रोत्साहित किया था। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

ईराक, ईराक़, इराक

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