3 संबंधों: रासायनिक अभिक्रिया, ईन्धन, विद्युत।
रासायनिक अभिक्रिया
लकड़ी का जलना एक रासायनिक अभिक्रिया है। एक बीकर में हाइड्रोजन क्लोराइड की वाष्प में परखनली से अमोनिया की वाष्प मिलाने से एक नया पदार्थ अमोनियम क्लोराइड बनते हुए रासायनिक अभिक्रिया में एक या अधिक पदार्थ आपस में अन्तर्क्रिया (इन्टरैक्शन) करके परिवर्तित होते हैं और एक या अधिक भिन्न रासायनिक गुण वाले पदार्थ बनते हैं। किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले पदार्थों को अभिकारक (रिएक्टैन्ट्स) कहते हैं। अभिक्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न पदार्थों को उत्पाद (प्रोडक्ट्स) कहते हैं। लैवासिये के समय से ही ज्ञात है कि रासायनिक अभिक्रिया बिना किसी मापने योग्य द्रव्यमान परिवर्तन के होती है। (द्रव्यमान परिवर्तन अत्यन्त कम होता है जिसे मापना कठिन है)। इसी को द्रव्यमान संरक्षण का नियम कहते हैं। अर्थात किसी रासायनिक अभिक्रिया में न तो द्रव्यमान नष्ट होता है न ही बनता है; केवल पदार्थों का परिवर्तन होता है। परम्परागत रूप से उन अभिक्रियाओं को ही रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं जिनमें रासायनिक बन्धों को तोडने या बनाने में एलेक्ट्रानों की गति जिम्मेदार होती है। .
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ईन्धन
जलती हुई प्राकृतिक गैस ईधंन (Fuel) ऐसे पदार्थ हैं, जो आक्सीजन के साथ संयोग कर काफी ऊष्मा उत्पन्न करते हैं। 'ईंधन' संस्कृत की इन्ध् धातु से निकला है जिसका अर्थ है - 'जलाना'। ठोस ईंधनों में काष्ठ (लकड़ी), पीट, लिग्नाइट एवं कोयला प्रमुख हैं। पेट्रोलियम, मिट्टी का तेल तथा गैसोलीन द्रव ईधंन हैं। कोलगैस, भाप-अंगार-गैस, द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस और प्राकृतिक गैस आदि गैसीय ईंधनों में प्रमुख हैं। आजकल परमाणु ऊर्जा भी शक्ति के स्रोत के रूप में उपयोग की जाती है, इसलिए विखंडनीय पदार्थों (fissile materials) को भी अब ईंधन माना जाता है। वैज्ञानिक और सैनिक कार्यों के लिए उपयोग में लाए जानेवाले राकेटों में, एल्कोहाल, अमोनिया एवं हाइड्रोजन जैसे अनेक रासायनिक यौगिक भी ईंधन के रूप में प्रयुक्त होते हैं। इन पदार्थों से ऊर्जा की प्राप्ति तीव्र गति से होती है। विद्युत् ऊर्जा का प्रयोग भी ऊष्मा की प्राप्ति के लिए किया जाता है इसलिए इसे भी कभी-कभी ईंधनों में सम्मिलित कर लिया जाता है। .
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विद्युत
वायुमण्डलीय विद्युत विद्युत आवेशों के मौजूदगी और बहाव से जुड़े भौतिक परिघटनाओं के समुच्चय को विद्युत (Electricity) कहा जाता है। विद्युत से अनेक जानी-मानी घटनाएं जुड़ी है जैसे कि तडित, स्थैतिक विद्युत, विद्युतचुम्बकीय प्रेरण, तथा विद्युत धारा। इसके अतिरिक्त, विद्युत के द्वारा ही वैद्युतचुम्बकीय तरंगो (जैसे रेडियो तरंग) का सृजन एवं प्राप्ति सम्भव होता है? विद्युत के साथ चुम्बकत्व जुड़ी हुई घटना है। विद्युत आवेश वैद्युतचुम्बकीय क्षेत्र पैदा करते हैं। विद्युत क्षेत्र में रखे विद्युत आवेशों पर बल लगता है। समस्त विद्युत का आधार इलेक्ट्रॉन हैं। इलेक्ट्रानों के हस्तानान्तरण के कारण ही कोई वस्तु आवेशित होती है। आवेश की गति ही विद्युत धारा है। विद्युत के अनेक प्रभाव हैं जैसे चुम्बकीय क्षेत्र, ऊष्मा, रासायनिक प्रभाव आदि। जब विद्युत और चुम्बकत्व का एक साथ अध्ययन किया जाता है तो इसे विद्युत चुम्बकत्व कहते हैं। विद्युत को अनेकों प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है किन्तु सरल शब्दों में कहा जाये तो विद्युत आवेश की उपस्थिति तथा बहाव के परिणामस्वरूप उत्पन्न उस सामान्य अवस्था को विद्युत कहते हैं जिसमें अनेकों कार्यों को सम्पन्न करने की क्षमता होती है। विद्युत चल अथवा अचल इलेक्ट्रान या प्रोटान से सम्बद्ध एक भौतिक घटना है। किसी चालक में विद्युत आवेशों के बहाव से उत्पन्न उर्जा को विद्युत कहते हैं। .
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