बारहवीं शती का ईंट का काम (अयुत्या, थाईलैण्ड) ईंट के काम (Brickwork) या 'ईंट की चिनाई' का अर्थ है ईटों को इस प्रकार चिनना कि उनसे बनी दीवार सुदृढ़ हो। ईटों की जोड़ाई या चिनाई में ईटों के बीच गारे (गीली मिट्टी), चूने और बालू, चूने और सुर्खी, छाई और चूने अथवा सीमेंट और बालू का प्रयोग किया जाता है। परंतु दीवारों की दृढ़ता केवल गारे आदि पर निर्भर नहीं है। ईटें इस प्रकार रखी जाती हैं कि वे एक दूसरे के सहारे टिकी रहती हैं, परंतु आवश्यकता पड़ने पर दीवार को बिना विश्रृंखलित किए ही उसमें से दो चार ईटें खींचकर बाहर निकाल भी ली जा सकती हैं। शब्दावली: दीवार के अनुदिश रखी ईंट को वाराणसी की ओर पट्टा कहते हैं और अनुप्रस्थ रखी ईंट को तोड़ा या तुड़िया; ईंट की लंबाई के अनुदिश चीरकर दो आधी ईटों में से प्रत्येक को खंडा कहते हैं; चौड़ाई के अनुदिश तोड़कर दो आधी ईटों में से प्रत्येक को अद्धा कहते हैं। खंडे के आधे को रोड़ा कहते हैं। .
1 संबंध: ईंट।
शीर्षों और चौखटों के वैकल्पिक विधियों के साथ रखा गया अंग्रेजी बंध पत्र में पुरानी ईंट की दीवार ऐतिहासिक नत्चितोचेस, लुइसियाना में ईंट से निर्मिति केन नदी के साथ सामने की गली चिनाई के कार्य में उपयोग किया जाने वाला ईंट मिट्टी का ब्लॉक है, जिन्हें सामान्यत: विभिन्न प्रकार के गारे का उपयोग कर चिना जाता है। .
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