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इस्लामी त्यौहार

सूची इस्लामी त्यौहार

मुस्लिम त्यौहार: दुनिया में मुस्लिम समूह, अलग अलग पर्वों को अलग अलग दिवसों में मनाते हैं। हर दिवस का अपना एक महत्व होता है। जैसे दीगर धार्मिक समूह विशेश पर्व दिन मनाते हैं, ठीक उसी तरह मुस्लिम समूह भी अनेक त्यौहार मनाता है। मास के अनुसार देखें तो मुस्लिम त्यौहार इस प्रकार हैं। .

16 संबंधों: मुहम्मद, मूसा, मीलाद उन-नबी, रमज़ान, शब-ए-बारात, शब-ए-क़द्र, सौम, हज, हुसैन इब्न अली, ज़ु अल-हज्जा, जुमातुल विदा, ईद उल-फ़ित्र, ईद-उल-अज़हा, इस्रा और मेराज, कर्बला का युद्ध, अली इब्न अबी तालिब

मुहम्मद

हज़रत मुहम्मद (محمد صلی اللہ علیہ و آلہ و سلم) - "मुहम्मद इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मुत्तलिब" का जन्म सन ५७० ईसवी में हुआ था। इन्होंने इस्लाम धर्म का प्रवर्तन किया। ये इस्लाम के सबसे महान नबी और आख़िरी सन्देशवाहक (अरबी: नबी या रसूल, फ़ारसी: पैग़म्बर) माने जाते हैं जिन को अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रईल द्वारा क़ुरआन का सन्देश' दिया था। मुसलमान इनके लिये परम आदर भाव रखते हैं। .

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मूसा

मूसा (अंग्रेज़ी: Moses मोसिस, इब्रानी: מֹשֶׁה मोशे) यहूदी,इस्लाम और ईसाईधर्मों में एक प्रमुख नबी (ईश्वरीय सन्देशवाहक) माने जाते हैं। ख़ास तौर पर वो यहूदी धर्म के संस्थापक और इस्लाम धर्म के पैग़म्बर माने जाते हैं। कुरान और बाइबल में हज़रत मूसा की कहानी दी गयी है, जिसके मुताबिक मिस्र के फ़राओ के ज़माने में जन्मे मूसा यहूदी माता-पिता के की औलाद थे पर मौत के डर से उनको उनकी माँ ने नील नदी में बहा दिया। उनको फिर फ़राओ की पत्नी ने पाला और मूसा एक मिस्री राजकुमार बने। बाद में मूसा को मालूम हुआ कि वो यहूदी हैं और उनका यहूदी राष्ट्र (जिसको फरओ ने ग़ुलाम बना लिया था) अत्याचार सह रहा है। मूसा का एक पहाड़ पर परमेश्वर से साक्षात्कार हुआ और परमेश्वर की मदद से उन्होंने फ़राओ को हराकर यहूदियों को आज़ाद कराया और मिस्र से एक नयी भूमि इस्राइल पहुँचाया। इसके बाद मूसा ने इस्राइल को ईश्वर द्वारा मिले "दस आदेश" दिये जो आज भी यहूदी धर्म का प्रमुख स्तम्भ है। .

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मीलाद उन-नबी

मीलाद उन-नबी इस्लाम धर्म के मानने वालों के कई वर्गों में एक प्रमुख त्यौहार है। इस शब्द का मूल मौलिद (Mawlid) है जिसका अर्थ अरबी में "जन्म" है। अरबी भाषा में 'मौलिद-उन-नबी' (مَولِد النَّبِي) का मतलब है हज़रत मुहम्मद का जन्म दिन है। यह त्यौहार 12 रबी अल-अव्वल को मनाया जाता है मीलाद उन नबी संसार का सबसे बड़ा जशन माना जाता है। 1588 में उस्मानिया साम्राज्य में यह त्यौहार का प्रचलन जन मानस में सर्वाधिल प्रचलित हुआ। .

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रमज़ान

रमज़ान या रमदान (उर्दू - अरबी - फ़ारसी: رمضان) इस्लामी कैलेण्डर का नवां महीना है। मुस्लिम समुदाय इस महीने को परम पवित्र मानता है।; इस मास की विशेषताएं.

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शब-ए-बारात

शब-ए-बारात दो शब्दों, शब और बारात से मिलकर बना है, जहाँ शब का अर्थ रात होता है वहीं बारात का मतलब बरी होना होता है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार यह रात साल में एक बार शाबान महीने की 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद शुरू होती है। मुसलमानों के लिए यह रात बेहद फज़ीलत (महिमा) की रात मानीजाती है, इस दिन विश्व के सारे मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं। वे दुआएं मांगते हैं और अपने गुनाहों की तौबा करते हैं। .

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शब-ए-क़द्र

शब-ए-क़द्र मुस्लिम समुदाय द्वारा रमज़ान के पवित्र महीने की एक रात को कहते हैं। उस राज विशेषता मुस्लिम मान्यता के अनुसार कुरान की आयतों का पृथ्वी पर जिबरील नाम के फ़रिशते के ज़रिए पैगम्बर मुहम्मद पर नाज़िल होना शुरू हुआ था। यह राज आम तौर से 27 रमज़ान मानी जाती है जिसमें मुसलमान जागते हैं और अपने पापों के लिए अल्लाह से क्षमा माँगते हैं। .

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सौम

सौम (صوم) और बहुवचन सियाम (صيام) अरबी भाषा के शब्द हैं। उपवास को अरबी में "सौम" कहते हैं। रमज़ान के पवित्र माह में रखे जाने वाले उपवास ही "सौम" हैं। उर्दू और फ़ारसी भाषा में सौम को "रोज़ा" कहते हैं। इस्लाम के पाँच मूलस्थंबों में से एक सौम है। .

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हज

हज (अरबी: حج हज " तीर्थयात्रा"), एक इस्लामी तीर्थयात्रा और मुस्लिम लोगों का पवित्र शहर मक्का में प्रतिवर्ष होने वाला विश्व का सबसे बड़ा जमावड़ा है। यह इस्लाम के पाँच स्तंभों में से एक है, साथ ही यह एक धार्मिक कर्तव्य है जिसे अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार पूरा करना हर उस मुस्लिम चाहे स्त्री हो या पुरुष का कर्तव्य है जो सक्षम शरीर होने के साथ साथ इसका खर्च भी उठा पाने में समर्थ हो। शारीरिक और आर्थिक रूप से हज करने में सक्षम होने की स्थिति को इस्ति'ताह कहा जाता है और वो मुस्लिम है जो इस शर्त को पूरा करता है मुस्ताती कहलाता है। हज मुस्लिम लोगों की एकजुटता का प्रदर्शन होने के साथ साथ उनका अल्लाह (ईश्वर) में विश्वास होने का भी द्योतक है। यह तीर्थयात्रा इस्लामी कैलेंडर के 12 वें और अंतिम महीने धू अल हिज्जाह की 8 वीं से 12 वीं तारीख तक की जाती है। इस्लामी कैलेंडर एक चंद्र कैलेंडर है इसलिए इसमें, पश्चिमी देशों में प्रयोग में आने वाले ग्रेगोरियन कैलेंडर से ग्यारह दिन कम होते हैं, इसीलिए ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हज की तारीखें साल दर साल बदलती रहती हैं। इहरम वो विशेष आध्यात्मिक स्थिति है जिसमें मुसलमान हज को दौरान रहते हैं। 7 वीं शताब्दी से हज इस्लामी पैगंबर मुहम्मद के जीवन के साथ जुड़ा हुआ है, लेकिन मुसलमान मानते हैं कि मक्का की तीर्थयात्रा की यह रस्म हजारों सालों से यानि कि इब्राहीम के समय से चली आ रही है। तीर्थयात्री उन लाखों लोगों के जुलूस में शामिल होते हैं जो एक साथ हज के सप्ताह में मक्का में जमा होते हैं और यहं पर कई अनुष्ठानों में हिस्सा लेते हैं: प्रत्येक व्यक्ति एक घनाकार इमारत काबा के चारों ओर वामावर्त सात बार चलता है जो कि मुस्लिमों के लिए प्रार्थना की दिशा है, अल सफा और अल मारवाह नामक पहाड़ियों के बीच आगे और पीछे चलता है, ज़मज़म के कुएं से पानी पीता है, चौकसी में खड़ा होने के लिए अराफात पर्वत के मैदानों में जाता है और एक शैतान को पत्थर मारने की रस्म पूरा करने के लिए पत्थर फेंकता है। उसके बाद तीर्थयात्री अपने सर मुंडवाते हैं, पशु बलि की रस्म करते हैं और इसके बाद ईद उल-अधा नामक तीन दिवसीय वैश्विक उत्सव मनाते हैं। .

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हुसैन इब्न अली

इमाम हुसैन (अल हुसैन बिन अली बिन अबी तालिब, यानि अबी तालिब के पोते और अली के बेटे अल हुसैन, 626 AH -680 AH) अली रदियल्लाहु के दूसरे बेटे थे और इस कारण से पैग़म्बर मुहम्मद के नाती। आपका जन्म मक्का में हुआ। आपकी माता का नाम फ़ातिमा ज़हरा था | इमाम हुसैन को इस्लाम में एक शहीद का दर्ज़ा प्राप्त है। शिया मान्यता के अनुसार वे यज़ीद प्रथम के कुकर्मी शासन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने के लिए सन् 680 AH में कुफ़ा के निकट कर्बला की लड़ाई में शहीद कर दिए गए थे। उनकी शहादत के दिन को आशूरा (दसवाँ दिन) कहते हैं और इस शहादत की याद में मुहर्रम (उस महीने का नाम) मनाते हैं। .

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ज़ु अल-हज्जा

ज़ु अल-हज्जा इस्लामी कैलेंडर का बारहवाँ और अन्तिम मास है। यह ज़ु अल-क़ादा के बाद आता है। श्रेणी:इस्लामी मास.

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जुमातुल विदा

जुमातुल विदा (अरबी में: جمعۃ الوداع, उच्चारण: "जुमुअतुल वदाअ",शाब्दिक अर्थ: "छूटने या छोड़कर जाने वाला जुमे का दिन") मुस्लिम पवित्र महीने रमज़ान के अंतिम जुमे के दिन को कहते हैं। यूँ तो रमज़ान का पूरा महीना रोज़ों के कारण अपना महत्व रखता है और जुमे के दिन का विशेष रूप से दोपहर के समय नमाज़ के कारण अपना महत्व है, चूँकि सप्ताह का यह दिन इस पवित्र महीने के अन्त में आ रहा होता है, इसलिए लोग इसे अति-महत्वपूर्ण मानते हैं। .

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ईद उल-फ़ित्र

ईद उल-फ़ित्र या ईद उल-फितर (अरबी: عيد الفطر) मुस्लमान रमज़ान उल-मुबारक के महीने के बाद एक मज़हबी ख़ुशी का त्यौहार मनाते हैं जिसे ईद उल-फ़ित्र कहा जाता है। ये यक्म शवाल अल-मुकर्रम्म को मनाया जाता है। ईद उल-फ़ित्र इस्लामी कैलेण्डर के दसवें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है। इसलामी कैलंडर के सभी महीनों की तरह यह भी नए चाँद के दिखने पर शुरू होता है। मुसलमानों का त्योहार ईद मूल रूप से भाईचारे को बढ़ावा देने वाला त्योहार है। इस त्योहार को सभी आपस में मिल के मनाते है और खुदा से सुख-शांति और बरक्कत के लिए दुआएं मांगते हैं। पूरे विश्व में ईद की खुशी पूरे हर्षोल्लास से मनाई जाती है। .

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ईद-उल-अज़हा

ईद-उल-जुहा (बकरीद) (अरबी में عید الاضحیٰ जिसका मतलब क़ुरबानी की ईद) इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्यौहार है। रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग ७० दिनों बाद इसे मनाया जाता है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने पुत्र हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा कि राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उसके पुत्र को जीवनदान दे दिया जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है। इस शब्द का बकरों से कोई संबंध नहीं है। न ही यह उर्दू का शब्द है। असल में अरबी में 'बक़र' का अर्थ है बड़ा जानवर जो जि़बह किया (काटा) जाता है। उसी से बिगड़कर आज भारत, पाकिस्तान व बांग्ला देश में इसे 'बकरा ईद' बोलते हैं। ईद-ए-कुर्बां का मतलब है बलिदान की भावना। अरबी में 'क़र्ब' नजदीकी या बहुत पास रहने को कहते हैं मतलब इस मौके पर भगवान इंसान के बहुत करीब हो जाता है। कुर्बानी उस पशु के जि़बह करने को कहते हैं जिसे 10, 11, 12 या 13 जि़लहिज्ज (हज का महीना) को खुदा को खुश करने के लिए ज़िबिह किया जाता है। कुरान में लिखा है: हमने तुम्हें हौज़-ए-क़ौसा दिया तो तुम अपने अल्लाह के लिए नमाज़ पढ़ो और कुर्बानी करो। .

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इस्रा और मेराज

इसरा और मेराज (अरबी: الإسراء والمعراج‎‎, al-’Isrā’ wal-Mi‘rāj) रात के सफ़र के दो हिस्सों को कहा जाता है। इस रात हज़रत मुहम्मद साहब के दो सफ़र रहे, (१) मक्का से बैत अल-मुखद्दस, फिर वहां से सात आसमानों की सैर करते अल्लाह के सामने हाज़िर होकर मिले। इस्लामी मान्यताओं के अनुसार प्रेषित मुहम्मद साहब ६२१ ई। में रजब की २७वीं रात को आसमानी सफ़र किये। कई रिवायतों के अनुसार इनका सफ़र भौतिक था, कई रिवायतों के अनुसार आत्म सम्बन्ध था। रिवायतों के मुताबिक यह भी मानना है कि इनका सफ़र एक सवारी पर हुआ जिस को बुर्राक़ कहते हैं। लेकिन लोग इस बुर्राक़ को एक जानवर का रूप समझने लगे। इस अवसर को ले कर मुस्लिम समुदाय इस इसरा और मेराज को "शब् ए मेराज" के नाम से त्यौहार मनाता है। जब कि इस त्यौहार मनाने का कोई जवाज़ नहीं है। लेकिन पैग़म्बर के इस आसमानी सफ़र को लेकर महत्वता देते हुवे इस रात को हर साल त्यौहार के रूप में मनाते हैं। शब-ए-मेराज अथवा शबे मेराज एक इस्लामी त्योहार है जो इस्लामी कैलेंडर के अनुसार रजब के माह (सातवाँ महीना) में 27वीं तिथि को मनाया जाता है। इसे आरोहण की रात्रि के रूप में मनाया जाता है और मान्यताओं के अनुसार इसी रात, मुहम्मद साहब एक दैवीय जानवर बुर्राक पर बैठ कर सातों स्वर्गों का भ्रमण किये थे। अल्लाह से मुहम्मद साहब के मुलाक़ात की इस रात को विशेष प्रार्थनाओं और उपवास द्वारा मनाया जाता है और मस्जिदों में सजावट की जाती है तथा दीप जलाये जाते हैं। .

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कर्बला का युद्ध

इमाम हुसैन का रौज़ा (धर्मस्थल)। कर्बला का युद्ध हिजरी सन ६१ (१० अक्टूबर ६८० ई) में कर्बला के मैदान में हुआ था। .

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अली इब्न अबी तालिब

अली इब्ने अबी तालिब (अरबी: علی ابن ابی طالب) का जन्‍म 17 मार्च 600 (13 रजब 24 हिजरी पूर्व) मुसलमानों के तीर्थ स्थल काबा के अन्दर हुआ था। वे पैगम्बर मुहम्मद (स.) के चचाजाद भाई और दामाद थे और उनका चर्चित नाम हज़रत अली है। वे मुसलमानों के खलीफा के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने 656 से 661 तक राशिदून ख़िलाफ़त के चौथे ख़लीफ़ा के रूप में शासन किया, और शिया इस्लाम के अनुसार वे632 to 661 तक पहले इमाम थे। इसके अतिरिक्‍त उन्‍हें पहला मुस्लिम वैज्ञानिक भी माना जाता है। उन्‍होंने वैज्ञानिक जानकारियों को बहुत ही रोचक ढंग से आम आदमी तक पहुँचाया था। .

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