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इलैक्ट्रॉनिक प्रकाशन

सूची इलैक्ट्रॉनिक प्रकाशन

इलैक्ट्रॉनिक प्रकाशन (Electronic publishing), जिसे ई-प्रकाशन (e-publishing) या डिजिटल प्रकाशन (digital publishing), ई-पुस्तकों, जाल पत्रिकाओं, डिजिटल पुस्तकालयों और अन्य सामग्रियों के डिजिटल माध्यम में प्रकाशन को कहते हैं। इलैक्ट्रॉनिक प्रकाशन सूचना युग में प्रकाशन में एक बड़ी क्रान्ति समझी जाती है। जहाँ कागज़ पर प्रकाशित सामग्री छपने के बाद बदली नहीं जा सकती, वहाँ इलैक्ट्रॉनिक प्रकाशन सरलता से बदला जा सकता है और इस से सामग्री ताज़ा और सुधरते हुए क्रम में बंधी रह सकती है। इसमें पाठकों की रुची मापना भी सरल है - यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कितने लोग प्रकाशित सामग्री के अलग-अलग अंशों को दैनिक रूप से कितनी बार पढ़ रहे हैं। इलैक्ट्रॉनिक प्रकाशन सामग्री को विस्तृत करना भी आसान है - कागज़ की पुस्तकें-पत्रिकाएँ छापना महँगा होता है और फिर उन्हें दूर-दराज़ क्षेत्रों में वाहनों द्वारा पहुँचाने में समय और ख़र्च दोनों होते हैं, जबकि इलैक्ट्रॉनिक प्रकाशन द्वारा कोई सामग्री विश्वभर में कुछ ही क्षणों में पहुँच पाती है। .

4 संबंधों: सूचना युग, जाल पत्रिका, ई-पुस्तक, आंकिक पुस्तकालय

सूचना युग

सूचना युग (Information Age), जो क्म्प्यूटर युग और डीजिटल युग भी कहलाता है, मानव इतिहास का एक काल है जिसमें औद्योगिक क्रांति के बाद हुए औद्योगीकरण द्वारा स्थापित आर्थिक व्यवस्था धीरे-धीरे सूचना क्रांति द्वारा स्थापित कम्प्यूटर-आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित हो रही है। सूचना युग में डीजिटल उद्योग एक विश्वव्यापी ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था का निर्माण कर रहा है जिसमें सेवाएँ व निर्माण नागरिकों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार उपलब्ध किये जाते हैं।Hilbert, M. (2015).

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जाल पत्रिका

हिंदी चिट्ठे याने की जाल पत्रिका हिंदी मे लिखे ब्लॉग या 'चिट्ठे' है। हिंदी में कुछ चिट्ठे केवल कविताओं पर केन्द्रित हैं, कुछ संगीत शास्त्र, ज्योतिष, यात्राओं और फ़ोटोग्राफी पर भी हैं। कुछ चिट्ठों पर संगीत सुना भी जा सकता है और फ्लैश चलचित्र भी देखे जा सकते हैं। हिन्दी रचनाकारों के लिए तो यह सर्वोत्तम माध्यम है। अपनी कविता, कहानी, उपन्यास, व्यंग्य और ललित निबंध सब इस पर निरंतर लिखते हैं और लगातार प्रकाशित करते हैं, यानी चिट्ठाकारों की अपनी पत्रिका। जो साहित्य आंतरजालपर नियमित रूप से प्रकाशित होता हैं, उसे कहते हैं। इसी लिए हम ब्लॉग को जालपत्रिका कह सकते हैं, जो शायद अनियमित रूप से भी प्रकाशित हो सकता हैं। शंख बजे ज्यों ही ठण्डी के, मौसम ने यूं पलट खाया, शीतल हो उठा कण-कण धरती का, कोहरे ने बिगुल बजाया!! हीटर बने हैं भाग्य विधाता, चाय और कॉफी की चुस्की बना जीवनदाता, सुबह उठ के नहाने वक्त, बेचैनी से जी घबराता!! घर से बाहर निकलते ही, शरीर थरथराने लगता, लगता सूरज अासमां में आज, नहीं निकलने का वजह ढूढ़ता!! कोहरे के दस्तक के आतंक ने, सुबह होते ही हड़कंप मचाया, शंख बजे ज्यों ही ठण्डी के मौसम ने यूं पलटा खाया!! दुबक पड़े इंसान रजाईयों में, ठण्ड की मार से, कांप उठा कण-कण धरती का मौसम की चाल से!! बजी नया साल की शहनाईयां, और क्रिसमस के इंतज़ार में, झूम उठा पूरा धरती, अपने-अपने परिवार में!! शंख बजे ज्यों ही ठण्डी के, मौसम ने यूं ही पलट खाया, शीतल हो उठा कण-कण धरती का, कोहरे ने बिगुल बजाया!! .

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ई-पुस्तक

एक ई-पुस्तक को ई-पुस्तक रीडिंग डिवाइस पर देखते हुए। अज़्बूका n516 ई-पुस्तक रीडर ई-पुस्तक (इलैक्ट्रॉनिक पुस्तक) का अर्थ है डिजिटल रूप में पुस्तक। ई-पुस्तकें कागज की बजाय डिजिटल संचिका के रूप में होती हैं जिन्हें कम्प्यूटर, मोबाइल एवं अन्य डिजिटल यंत्रों पर पढ़ा जा सकता है। इन्हें इण्टरनेट पर भी छापा, बाँटा या पढ़ा जा सकता है।। सारथी। मार्च २००८ ये पुस्तकें कई फाइल फॉर्मेट में होती हैं जिनमें पी॰डी॰ऍफ॰ (पोर्टेबल डॉक्यूमेण्ट फॉर्मेट), ऍक्सपीऍस आदि शामिल हैं, इनमें पी॰डी॰ऍफ॰ सर्वाधिक प्रचलित फॉर्मेट है। जल्द ही पारंपरिक किताबों और पुस्तकालयों के स्थान पर सुप्रसिद्ध उपन्यासों और पुस्तकों के नए रूप जैसे ऑडियो पुस्तकें, मोबाइल टेलीफोन पुस्तकें, ई-पुस्तकें आदि उपलब्ध होंगी।। .

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आंकिक पुस्तकालय

आंकिक पुस्तकालय इन्टरनेट के पुस्तकालय है। साधारण आंकिक पुस्तकालय मे विद्या योगदान नहि होता। और जो आंकिक पुस्तकालय मे विद्या योगदान होता है वो सब न्यायविरोधी है। ज्ज्ज्ज्ज् .

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