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इलेक्ट्रॉनिक अवयव

सूची इलेक्ट्रॉनिक अवयव

कुछ प्रमुख '''इलेक्ट्रॉनिक अवयव''' जिन विभिन्न अवयवों का उपयोग करके इलेक्ट्रॉनिक परिपथ (जैसे- आसिलेटर, प्रवर्धक, पॉवर सप्लाई आदि) बनाये जाते हैं उन्हें इलेक्ट्रॉनिक अवयव (electronic component) कहते हैं इलेक्ट्रॉनिक अवयव दो सिरे वाले, तीन सिरों वाले या इससे अधिक सिरों वाले होते हैं जिन्हें सोल्डर करके या किसी अन्य विधि से (जैसे स्क्रू से कसकर) परिपथ में जोड़ा जाता है। प्रतिरोधक, प्रेरकत्व, संधारित्र, डायोड, ट्रांजिस्टर (या बीजेटी), मॉसफेट, आईजीबीटी, एससीआर, प्रकाश उत्सर्जक डायोड, आपरेशनल एम्प्लिफायर एवं अन्य एकीकृत परिपथ आदि प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक अवयव हैं। प्रमुख एलेक्ट्रॉनिक अवयवों के प्रतीक .

53 संबंधों: चुम्बकीय प्रवर्धक, ट्राँसफार्मर, ट्रायोड, ट्रांजिस्टर, टेट्रोड, एकीकृत परिपथ, डायोड, तापयुग्म, थर्मिस्टर, दाबविद्युतिकी, दिष्टकारी, द्रव क्रिस्टल प्रादर्शी, धारा स्रोत, नियोन, पराश्रव्य मोटर, परिनालिका, परिपथ विच्छेदक, परिपथ आरेख, प्रतिरोधक, प्रवर्धक, प्रकाश उत्सर्जक डायोड, प्रेरक, प्रेरकत्व, पीसीबी, फ्यूज, फोटोडायोड, बीजेटी, माइक्रोफोन, मॉसफेट, रिले, लाउडस्पीकर, सिलिकॉन कन्ट्रोल्ड रेक्टिफायर, संधारित्र, स्विच, सूक्ष्मतरंग, सेंसर, जेनर डायोड, जेनरेटर, विद्युत परिपथ, विद्युत प्रदायी, विद्युत मोटर, विद्युत कोष, विद्युतीय प्रतीक, वैद्युत अवयव, आपरेशनल एम्प्लिफायर, आर्द्रतामापी, आवर्धन, इलेक्ट्रॉनिक फिल्टर, इंसुलेटेड गेट बाईपोलर ट्रांजिस्टर, क्लाइस्ट्रॉन, ..., कैथोड किरण नलिका, कैलेंडर गर्ल्स (2015 फ़िल्म), ४००० श्रेणी के एकीकृत परिपथों की सूची सूचकांक विस्तार (3 अधिक) »

चुम्बकीय प्रवर्धक

चुम्बकीय प्रवर्धक के कार्य का सिद्धान्त; I2 डीसी धारा है जिसे बढ़ा-घटाकर प्रेरक का प्रेरकत्व घटाया-बढ़ाया जाता है। लार्स लन्ढाल नामक स्विस इंजीनियर द्वारा डिजाइन किया गया एक चुम्बकीय श्रव्य प्रवर्धक चुम्बकीय प्रवर्धक (magnetic amplifier या "mag amp") एक विद्युतचुम्बकीय युक्ति है जिसके द्वारा विद्युत संकेतों को प्रवर्धित किया जाता है। इसका विकास २०वीं शताब्दी के आरम्भिक दिनों में हुआ था। यह निर्वात नलिका प्रवर्धकों का एक विकल्प हुआ करता था। इसकी मजबूती तथा अधिक विद्युत धारा प्रदान करने की क्षमता इसकी विशेषता थी। द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी ने इसकी डिजाइन को उँचाई प्रदान की और इसका उपयोग V-2 रॉकेट में किया। शक्ति के नियन्त्रण के लिए १९४७ से १९५७ तक इसका खूब प्रयोग किया गया, किन्तु उसके बाद ट्रांजिस्टर के आ जाने से इसका उपयोग क्षीण होता गया। आज इसका उपयोग नहीं के बराबर होता है। आज भी कहीं-कहीं चुम्बकीय प्रवर्धक तथा ट्रांजिस्टर मिलाकर काम में लिए जाते हैं। देखने पर चुम्बकीय प्रवर्धक, ट्रान्सफॉर्मर जैसा ही दिखता है किन्तु इसके कार्य का सिद्धान्त बिल्कुल अलग है। वास्तव में, चुम्बकीय प्रवर्धक, एक संतृप्त्य प्रेरक (saturable reactor) है। .

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ट्राँसफार्मर

---- एक छोटे ट्रांसफॉर्मर का स्वरूप ट्रान्सफार्मर या परिणामित्र एक वैद्युत मशीन है जिसमें कोई चलने या घूमने वाला अवयव नहीं होता। विद्युत उपकरणों में सम्भवतः ट्रान्सफार्मर सर्वाधिक व्यापक रूप से प्रयुक्त विद्युत साषित्र (अप्लाएन्स) है। यह किसी एक विद्युत परिपथ (circuit) से अन्य परिपथ में विद्युत प्रेरण द्वारा परस्पर जुडे हुए चालकों के माध्यम से विद्युत उर्जा स्थान्तरित करता है। ट्रांसफार्मर केवल प्रत्यावर्ती धारा या विभवान्तर के साथ कार्य कर सकता है, एकदिश (direct) के साथ नहीं। ट्रांसफॉर्मर एक-फेजी, तीन-फेजी या बहु-फेजी हो सकते है। यह सभी विद्युत मशीनों में सर्वाधिक दक्ष (एफिसिएंट) मशीन है। आधुनिक युग में परिणामित्र वैद्युत् तथा इलेक्ट्रॉनी उद्योगों का अभिन्न अंग बन गया है। किसी ट्रान्सफार्मर में एक, दो या अधिक वाइन्डिंग हो सकती हैं। दो वाइंडिंग वाले ट्रान्सफार्मर के प्राथमिक (प्राइमरी) एवं द्वितियक (सेकेण्डरी) वाइण्डिंग के फेरों (टर्न्स) की संख्या एवं उनके विभवान्तरों में निम्नलिखित सम्बन्ध होता है: \frac .

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ट्रायोड

ट्रायोड (triode) या त्रिअग्र / त्रयाग्र, एक इलेक्ट्रोनिक प्रवर्धक निर्वात नली होती है जिसके तीन विद्युदाग्र होते हैं। श्रेणी:निर्वात नली.

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ट्रांजिस्टर

अलग-अलग रेटिंग के कुछ प्रथनक ट्रान्जिस्टर (प्रथनक) एक अर्धचालक युक्ति है जिसे मुख्यतः प्रवर्धक (Amplifier) के रूप में प्रयोग किया जाता है। कुछ लोग इसे बीसवीं शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण खोज मानते हैं। ट्रान्जिस्टर का उपयोग अनेक प्रकार से होता है। इसे प्रवर्धक, स्विच, वोल्टेज नियामक (रेगुलेटर), संकेत न्यूनाधिक (सिग्नल माडुलेटर), थरथरानवाला (आसिलेटर) आदि के रूप में काम में लाया जाता है। पहले जो कार्य ट्रायोड या त्रयाग्र से किये जाते थे वे अधिकांशत: अब ट्रान्जिस्टर के द्वारा किये जाते हैं। .

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टेट्रोड

टेट्रोड का एलेक्ट्रॉनिक प्रतीक टेट्रोड (tetrode) या चतुराग्र एक निर्वात नली है जिसमें चार सक्रिय एलेक्ट्रोड होते हैं। प्रायः दो कंट्रोल ग्रिडों वाले निर्वात नलियों को ही 'टेट्रोड' कहते हैं।। इसमें ट्रायोड (त्रिअग्र) में मौजूद तीन एलेक्ट्रोड तो होते ही हैं, इनके अतिरिक्त एक 'स्क्रीन ग्रिड' (आवरण ग्रिड) भी होती है जिसके कारण इसके गुण टेट्रोड से काफी अलग होते हैं। .

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एकीकृत परिपथ

माइक्रोचिप कम्पनी की इप्रोम (EPROM) स्मृति के एकीकृत परिपथ आधुनिक सरफेस माउण्ट आईसी ऐटमेल (Atmel) की एक आईसी, जिसके अन्दर स्मृति ब्लॉक, निवेश निर्गम (इन्पुट-ऑउटपुट) एवं तर्क के ब्लॉक देखे जा सकते हैं। यह एक ही चिप में पूरा तन्त्र (System on Chip) है। एलेक्ट्रॉनिकी में एकीकृत परिपथ या एकीपरि (इन्टीग्रेटेड सर्किट (IC)) को सूक्ष्मपरिपथ (माइक्रोसर्किट), सूक्ष्मचिप, सिलिकॉन चिप, या केवल चिप के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अर्धचालक पदार्थ के अन्दर बना हुआ एलेक्ट्रॉनिक परिपथ ही होता है जिसमें प्रतिरोध, संधारित्र आदि पैसिव कम्पोनेन्ट (निष्क्रिय घटक) के अलावा डायोड, ट्रान्जिस्टर आदि अर्धचालक अवयव निर्मित किये जाते हैं। जिस प्रकार सामान्य परिपथ का निर्माण अलग-अलग (डिस्क्रीट) अवयव जोड़कर किया जाता है, आईसी का निर्माण वैसे न करके एक अर्धचालक के भीतर सभी अवयव एक साथ ही एक विशिष्ट प्रक्रिया का पालन करते हुए निर्मित कर दिये जाते हैं। एकीकृत परिपथ आजकल जीवन के हर क्षेत्र में उपयोग में लाये जा रहे हैं। इनके कारण एलेक्ट्रानिक उपकरणों का आकार अत्यन्त छोटा हो गया है, उनकी कार्य क्षमता बहुत अधिक हो गयी है एवं उनकी शक्ति की जरूरत बहुत कम हो गयी है। संकर एकीकृत परिपथ भी लघु आकार के एकीपरि (एकीकृत परिपथ) होते हैं किन्तु वे अलग-अलग अवयवों को एक छोटे बोर्ड पर जोड़कर एवं एपॉक्सी आदि में जड़कर (इम्बेड करके) बनाये जाते हैं। अतः ये मोनोलिथिक आई सी से भिन्न हैं। .

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डायोड

निर्वात नलिका डायोड का योजनामूलक चित्र डायोड आकार-प्रकार में भिन्न दिख सकते हैं। यहाँ चार डायोड दिखाये गये हैं जो सभी अर्धचालक डायोड हैं। सबसे नीचे वाला एक ब्रिज-रेक्टिफायर है जो चार डायोडों से बना होता है। डायोड (diode) या द्विअग्र / द्वयाग्र एक वैद्युत युक्ति है। अधिकांशत: डायोड दो सिरों (अग्र) वाले होते हैं किन्तु ताप-आयनिक डायोड में दो अतिरिक्त सिरे भी होते हैं जिनसे हीटर जुड़ा होता है। डायोड कई तरह के होते हैं किन्तु इन सबकी प्रमुख विशेषता यह है कि यह एक दिशा में धारा को बहुत कम प्रतिरोध के बहने देते हैं जबकि दूसरी दिशा में धारा के विरुद्ध बहुत प्रतिरोध लगाते हैं। इनकी इसी विशेषता के कारण ये अन्य कार्यों के अलावा प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा के रूप में बदलने के लिये दिष्टकारी परिपथों में प्रयोग किये जाते हैं। आजकल के परिपथों में अर्धचालक डायोड, अन्य डायोडों की तुलना में बहुत अधिक प्रयोग किये जाते हैं। .

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तापयुग्म

डिजिटल मल्टीमीटर से जुड़ा एक तापयुगम: कमरे का ताप सीधे डिग्री सेल्सियस में प्रदर्शित कर रहा है। दो भिन्न धातुओं के जोड़ (junction) को तापयुग्म (thermocouple) कहते हैं। यह जंक्शन जितना ही अधिक ताप पर होता है उन दो धातुओं के खुले सिरों के बीच उतना ही अधिक विभवान्तर प्राप्त होता है। यही इसके कार्य करने का आधारभूत सिद्धान्त है। तापमापन एवं ताप नियंत्रण के लिये इसका खूब प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग उष्मा को विद्युत उर्जा में बदलने के लिये भी किया जा सकता है। तापयुग्म बहुत सस्ते होते है। ये विस्तृत परास (रेंज) के ताप मापने के लिये उपयुक्त हैं। इनके द्वारा लगभग १ डिग्री सेल्सियस तक परिशुद्धता से ताप मापा जा सकता है। .

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थर्मिस्टर

थर्मिस्टर का प्रतीक 300pxकुछ थर्मिस्टर जिनका ताप बढ़ने पर प्रतिरोध कम होता है (NTC Thermister) थर्मिस्टर (thermistor) एक प्रकार का प्रतिरोधक है जिसका प्रतिरोध उसके ताप के साथ बहुत अधिक परिवर्तित होता है। अन्य प्रकार प्रतिरोधों का मान भी ताप के परिवर्तित होने पर परिवर्तित होता है किन्तु यह परिवर्तन बहुत कम होता है, जबकि थर्मिस्टर का ताप बदलने पर उसका प्रतिरोध बहुत अधिक बदल जाता है। 'थर्मिस्टर' शब्द 'थर्मल' और 'रेजिस्टर' को मिलाकर बना है। थर्मिस्टर का प्रयोग इनरश-धारा रोकने, ताप-संसूचक (टेम्परेचर-सेन्सर), सेल्फ-रीसेटिटिंग ओवरकरेण्ट प्रोटेक्टर, तथा स्वयं-नियंत्रित हीटिंग एलिमेण्ट में बहुतायत से होता है। ताप के परिवर्तन के साथ प्रतिरोध के परिवर्तन की दृष्टि से थर्मिस्टर दो प्रकार के होते हैं-.

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दाबविद्युतिकी

दाब-विद्युत का सिद्धान्त: दबाने पर वोल्टेज पैदा होता है, और खींचने पर भी दाब-विद्युत बज़र: जिस आवृत्ति का वोल्टेज इसे दिया जाता है, उसी आवृत्ति पर कम्पन पैदा करता है। कुछ ठोस पदार्थों (जैसे क्रिस्टल, सिरैमिक्स, अस्थि, डीएनए और विभिन्न प्रकार के प्रोटीन आदि जैविक पदार्थ) पर यांत्रिक प्रतिबल (स्ट्रेस) लगाने पर उन पर आवेश एकत्र हो जाता है। इसी को दाबविद्युत (Piezoelectricity) कहते हैं तथा इस प्रभाव का नाम दाबविद्युत प्रभाव (पिजोएलेक्ट्रिक इफेक्ट) है। दाबविद्युत के बहुत से उपयोग हैं जैसे ध्वनि के अस्तित्व का पता करना या ध्वनि उत्पन्न करना, उच्च विभव उत्पन्न करना, सूक्ष्मतुला (मामिक्रोबैलेंस), एलेक्ट्रॉनिक आवृत्ति जनित्र, गैस लाइटर आदि। .

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दिष्टकारी

दिष्टकारी या ऋजुकारी या रेक्टिफायर (rectifier) ऐसी युक्ति है जो आवर्ती धारा (alternating current या AC) को दिष्टधारा (DC) में बदलने का कार्य करती है। अर्थात रेक्टिफायर, ए.सी.

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द्रव क्रिस्टल प्रादर्शी

एलसीडी घड़ी द्रव क्रिस्टल प्रादर्शी के विभिन्न स्तर द्रव क्रिस्टल प्रादर्शी ('लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले', लघुरूप: LCD) एक प्रकार का डिस्प्ले (प्रादर्शी) है जो टेक्स्ट, छबि, विडियो आदि को एलेक्ट्रानिक विधि से प्रदर्शित करने के काम आता है। यह स्वयं कोई प्रकाश उत्पन्न नहीं करता बल्कि किसी दूसरे स्रोत से असके उपर पड़ने वाले प्रकाश को मॉडुलेट करता है। द्रव क्रिस्टल प्रादर्शी, द्रव क्रिस्टलों के विभिन्न आकृति वाले मूल अवयवों (एलिमेन्ट्स) से बना होता है। वाह्य विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में ये द्रव क्रिस्टल अपना झुकाव (ओरिएण्टेशन) बदल देते हैं। इन क्रिस्टलों का ओरिएण्टेशन बदलने से इन पर पड़ने वाले प्रकाश के ध्रुवण भी बदलता है। जो उस क्रिस्टल-एलिमेन्ट की दृश्यता/अदृष्यता का निर्धारण करता है। इसी से ही कम्प्यूटर के मॉनिटर, टीवी, उपकरणों के पैनेल, तथा सामान्य जनजीवन में प्रयुक्त उपभोक्ता बस्तुओं (जैसे कैलकुलेटर, कलाई की घड़ियाँ आदि) के डिस्प्ले बनते हैं। हल्का होना, पोर्टेबल होना, कम बिजली से चलना, बड़ी आकृति में भी निर्माण में आसानी आदि इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं। वस्तुत: यह एक "एलेक्ट्रानिक रीति से परिवर्तनीय प्रकाशीय युक्ति" (electronically-modulated optical device) है जो अनेकानेक एलिमेन्ट्स/पिक्सलों (pixels) से बनी होती है जिनमें द्रव क्रिस्टल से भरे होते हैं। .

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धारा स्रोत

प्रतिरोध (दाएँ) से जुड़ा एक धारा स्रोत (बाएँ) एक सरल धारा स्रोत जो बीजेटी का उपयोग करते हुए बना है। धारा स्रोत (current source) वह युक्ति या एलेक्ट्रानिक परिपथ है जो एक नियत धारा देती है या लेती है, चाहे उसके सिरों के बीच विभवान्तर कुछ भी हो। उदाहरण के लिए 1.5 एम्पीयर धारा-स्रोत के सिरों के बीच 1 ओम का प्रतिरोध लागाएँ तो उसमें 1.5 अम्पीयर धारा बहेगी और स्रोत के सिरों के बीच विभवान्तर 1.5 वोल्ट होगा और यदि इस धारा स्रोत के सिरों के बीच 5 ओम का प्रतिरोध जोड़ें तो इस प्रतिरोध में भी 1.5 अम्पीयर धारा बहेगी जबकि इस स्थिति में स्रोत के सिरों के बीच विभवान्तर 7.5 (.

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नियोन

शुद्ध नियान से भरी विसर्जन नली (डिस्चार्ज ट्यूब) निऑन (Neon) (संकेत: Ne) एक रासायनिक तत्व है। इसका परमाणु क्रमांक १० है। यह आवर्त सारणी के १८वें समूह (अक्रिय गैसें) में रखा गया है। रैमज़े और टैवर्स ने १८९८ ई. में इस गैस की खोज की थी और वायु से इसे प्राप्त किया था। .

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पराश्रव्य मोटर

पराश्रव्य मोटर की कार्यविधि पराश्रव्य मोटर (ultrasonic motor) एक प्रकार की विद्युत मोटर है जो इसके एक अवयव के पराश्रव्य कंपन से शक्ति प्राप्त करके चलती है। .

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परिनालिका

परिनालिका परिनालिका द्वारा उत्पादित चुम्बकीय क्षेत्र परिनालिका (solenoid) एक त्रिबिमीय (three-dimensional) कुण्डली (coil) को कहते हैं। भौतिकी में परिनालिका स्प्रिंग की भांति बनाये गये तार की संरचना को कहते हैं जिसमें से धारा प्रवाहित करने पर चुम्बकीय क्षेत्र निर्मित होता है। प्राय: ये तार किसी अचुम्बकीय पदार्थ (जैसे प्लास्टिक) के बेलनाकार आधार पर लिपटे रहते हैं जिसके अन्दर कोई अचुम्बकीय क्रोड, (जैसे हवा) या चुम्बकीय क्रोड (जैसे लोहा) हो सकता है। परिनालिकाएँ इसलिये महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनकी सहायता से नियंत्रित चुम्बकीय क्षेत्र का निर्माण किया जा सकता है तथा वे विद्युतचुम्बकों की तरह प्रयोग की जा सकती हैं। .

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परिपथ विच्छेदक

१२५० अम्पीयर का वायु परिपथ विच्छेदक परिपथ विच्छेदक के अन्दर का दृष्य VA47-29 नामक परिपथ विच्छेदक के अन्दर का दृष्य परिपथ विच्छेदक या 'परिपथ वियोजक' (सर्किट ब्रेकर / circuit breaker) स्वतःचालित वैद्युत स्विच है जो दोष (फाल्ट) आदि की दशा में कार्य करता है जिससे दोषी भाग स्वस्थ भाग से अलग कर दिया जाता है और दूसरे उपकरण खराब होने से बच जाते हैं। इसका मूल काम दोषपूर्ण स्थिति की पहचान करके दोषी भाग को जाने वाली विद्युत शक्ति को शीघ्रातिशीघ्र काट देना है। फ्यूज से यह इस मामले में अलग है कि इसे रिसेट करके पुनः विद्युत प्रदाय चालू किया जा सकता है। परिपथ विच्छेदक भिन्न-भिन्न आकार, क्षमता, एवं प्रकार के होते हैं। .

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परिपथ आरेख

चित्रात्मक (पिक्टोरियल) एवं योजनामूलक (स्कीमैटिक) परिपथ आरेखों की तुलना ४-बिट का टीटीएल काउन्टर का परिपथ आरेख किसी विद्युत परिपथ के सरलीकृत आरेख को परिपथ आरेख (circuit diagram), या विद्युत आरेख (electrical diagram) या एलेक्ट्रानिक स्कीमैटिक (electronic schematic) कहते हैं। विद्युत परिपथ में प्रयुक्त अवयवों को आरेख में उनके सरलीकृत मानक प्रतीकों के माध्यम से दर्शाया जाता है। यह जरूरी नहीं है कि आरेख में चित्रित अवयव उस विन्यास दिखाये गये हों जिस तरह से वे अन्तिम परिपथ में लगे होते हैं। परिपथ आरेख, ब्लाक आरेख (block diagram) तथा विन्यास-आरेख (layout diagram) से इस मामले में भिन्न होते हैं कि परिपथ आरेख में सभी अवयव एवं उनकी परस्पर जोड़ (connections) को विस्तारपूर्वक दर्शाया जाता है। जिस रेखाचित्र (drawing) में सभी अवयव एवं उनके आपसी जोड़ को सही आकार एवं स्थान पर दिखाया जाता है उसे आर्टवर्क (artwork) विन्यास-आरेख या भौतिक-डिजाइन (physical design) कहते हैं विद्युत प्रौद्योगिकी एवं एलेक्ट्रानिकी में परिपथ आरेखों का बहुत महत्व है। इनका उपयोग परिपथों की डिजाइन, सिमुलेशन, पीसीबी ले-आउट बनाने एवं उपकरणों को सुधारने में होता है। डिजाइन की प्रक्रिया प्राय: निम्नलिखित क्रम में चलती है- .

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प्रतिरोधक

नियत मान वाले कुछ प्रतिरोधक प्रतिरोधक (resistor) दो सिरों वाला वैद्युत अवयव है जिसके सिरों के बीच विभवान्तर उससे बहने वाली तात्कालिक धारा के समानुपाती (या लगभग समानुपाती) होता है। ये विभिन्न आकार-प्रकार के होते हैं। इनसे होकर धारा बहने पर इनके अन्दर उष्मा उत्पन्न होती है। कुछ प्रतिरोधक ओम के नियम का पालन करते हैं जिसका अर्थ है कि -; V .

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प्रवर्धक

एक सामान्य प्रवर्धक बक्सा जिसमें इनपुट और आउटपुट के लिए बाहर पिन दिए होते हैं। प्रवर्धक और रिपीटर जो संकेत की शक्ति को बढ़ाकर उन्हें 'उपयोग के लायक' बनाते हैं। प्रवर्धक या एम्प्लिफायर (amplifier) ऐसी युक्ति है जो किसी विद्युत संकेत का मान (अम्प्लीच्यूड) बदल दे (प्रायः संकेत का मान बड़ा करने की आवश्यकता अधिक पड़ती है।) विद्युत संकेत विभवान्तर (वोल्टेज) या धारा (करेंट) के रूप में हो सकते है। आजकल सामान्य प्रचलन में प्रवर्धक से आशय किसी 'इलेक्ट्रॉनिक प्रवर्धक' से ही होता है। .

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प्रकाश उत्सर्जक डायोड

एल.ई.डी की आंतरिक संरचना प्रकाश उत्सर्जन डायोड (अंग्रेज़ी:लाइट एमिटिंग डायोड) एक अर्ध चालक-डायोड होता है, जिसमें विद्युत धारा प्रवाहित करने पर यह प्रकाश उत्सर्जित करता है। यह प्रकाश इसकी बनावट के अनुसार किसी भी रंग का हो सकता है। एल.ई.डी.

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प्रेरक

प्रेरकत्व का प्रतीक कुछ छोटे आकार-प्रकार के प्रेरकत्व अपेक्षाकृत बड़ा प्रेरकत्व जो पावर सप्लाइयों में प्रयुक्त होते हैं। प्रेरक या इंडक्टर (inductor) एक वैद्युत अवयव है जिसमें कोई विद्युत धारा प्रवाहित करने पर यह चुम्बकीय क्षेत्र के रूप में उर्जा का भंडारण करता है। प्रेरक द्वारा चुम्बकीय उर्जा के भंडारण की क्षमता को इसका प्रेरकत्व (inductance) कहा जाता है और इसे मापने की इकाई हेनरी है। प्रेरक को साधारण भाषा में 'चोक' (choke) और 'कुण्डली' (coil) भी कहते हैं। .

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प्रेरकत्व

विद्युतचुम्बकत्व एवं इलेक्ट्रॉनिक्स में, प्रेरकत्व (inductance) किसी विद्युत चालक का वह गुण है जिसके कारण इससे होकर प्रवाहित धारा के परिवर्तित होने पर इसके स्वयं सिरों पर तथा दूसरे चालकों के सिरों पर विद्युतवाहक बल उत्पन्न होता है। .

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पीसीबी

पीसीबी का मतलब ये हो सकता है.

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फ्यूज

80 kA ब्रेकिंग क्षमता वाला कोई औद्योगिक फ्यूज वैद्युत प्रौद्योगिकी एवं एलेक्ट्रॉनिकी फ्यूज (fuse), परिपथ का एक संरक्षात्मक (प्रोटेक्टिव) अवयव है जो एक नियत मात्रा से अधिक धारा बहने पर परिपथ को तोड देता है। इस प्रकार परिपथ में स्थित अन्य मूल्यवान अवयव अत्यधिक धारा के कारण खराब होने से बच जाते हैं। फ्यूज शब्द फ्यूजिबल लिंक का लघु रूप है। मोटे तौर पर एक धातु की तार या पट्टी इसका मुख्य भाग है जो अधिक धारा बहने की दशा में पिघल जाती है और इस प्रकार परिपथ टूट जाता है। एक सरल परिपथ में फ्यूज की स्थिति कुछ अलग-अलग प्रकार के फ्यूज मोटरगाड़ियों में लगाये जाने वाले फ्यूज विभिन्न प्रकार के फ्यूज-होल्डर .

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फोटोडायोड

अलग-अलग प्रकार के फोटोडायोड फोटोडायोड (photodiode) एक अर्धचालक युक्ति है जो प्रकाश को विद्युत ऊर्जा (या, विद्युत धारा) में बदलती है। दूसरे शब्दों में, यदि फोटोडायोड किसी लोड से जुडा है और इस पर प्रकाश आपतित होता है, तो इसमें विद्युत धारा बहने लगती है। सौर सेल (solar cell) भी एक फोटोडायोड है जिसका उपयोग प्रकाश से विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने के लिये किया जाता है। फोटोडायोड का उपयोग प्रकाश संसूचक (फोटो-डिटेक्टर) की तरह भी किया जा सकता है।;फोटो डायोड के लिए प्रयोग किये जाने वाले पदार्थ: * सिलिकन - वेव लेंथ रेंज (nm) १९० - ११०० * जेर्मेनियम - वेव लेंथ रेंज (nm) ४०० - १७०० * इन्डियम गालियम आर्सेनाइड - ८०० - २६०० * लेड सल्फाइड - < १००० - ३५०० .

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बीजेटी

बीजेटी के प्रतीक SOT-23 बाईपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर या बीजेटी (BJT), वे ट्रांजिस्टर हैं जिनमें इलेक्ट्रान और होल (hole) दोनों आवेश संवाहक का कार्य करते हैं। .

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माइक्रोफोन

एक माइक्रोफोन (जिसे बोलचाल की भाषा में Mic या Mike कहा जाता है) एक ध्वनिक-से-वैद्युत ट्रांसड्यूसर (en:Transducer) या संवेदक होता है, जो ध्वनि को विद्युतीय संकेत में रूपांतरित करता है। 1876 में, एमिली बर्लिनर (en:Emile Berliner) ने पहले माइक्रोफोन का आविष्कार किया, जिसका प्रयोग टेलीफोन स्वर ट्रांसमीटर के रूप में किया गया। माइक्रोफोनों का प्रयोग अनेक अनुप्रयोगों, जैसे टेलीफोन, टेप रिकार्डर, कराओके प्रणालियों, श्रवण-सहायता यंत्रों, चलचित्रों के निर्माण, सजीव तथा रिकार्ड की गई श्राव्य इंजीनियरिंग, FRS रेडियो, मेगाफोन, रेडियो व टेलीविजन प्रसारण और कम्प्यूटरों में आवाज़ रिकार्ड करने, स्वर की पहचान करने, VoIP तथा कुछ गैर-ध्वनिक उद्देश्यों, जैसे अल्ट्रासॉनिक परीक्षण या दस्तक संवेदकों के रूप में किया जाता है। शॉक माउंट वाला एक न्यूमन U87 कंडेंसर माइक्रोफोन वर्तमान में प्रयोग किये जाने वाले अधिकांश माइक्रोफोन यांत्रिक कंपन से एक विद्युतीय आवेश संकेत उत्पन्न करने के लिये एक विद्युतचुंबकीय प्रवर्तन (गतिज माइक्रोफोन), धारिता परिवर्तन (दाहिनी ओर चित्रित संघनित्र माइक्रोफोन), पाइज़ोविद्युतीय निर्माण (Piezoelectric Generation) या प्रकाश अधिमिश्रण का प्रयोग करते हैं। .

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मॉसफेट

n-चैनेल मॉस्फेट का V-I वैशिष्ट्य: इसमें लाल रंग से रंजित भाग को 'रैखिक क्षेत्र' (लिनियर जोन) और पीले रंग से रंजित भाग को 'संतृप्त क्षेत्र' (सैचुरेटेड जोन) कहते हैं। मॉसफेट (Mmetal–Oxide–Semiconductor Field-Effect Transistor या MOSFET / MOS-FET / MOS FET) एक एलेक्ट्रॉनिक युक्ति है जो विद्युत संकेतों को प्रवर्धित करने या स्विच करने के काम आती है। वैसे तो यह चार टांगों (टर्मिनल) वाली युक्ति है (स्त्रोत (S), गेट (G), ड्रेन (D) और बॉडी (B)) किन्तु प्रायः B टर्मिनल को स्रोत टर्मिनल के साथ जोड़कर ही इसका उपयोग किया जाता है। अतः व्यावहारिक रूप से अन्य फिल्ड-इफेक्ट ट्रांजिस्टरों की भांति यह भी तीन टर्मिनल वाली युक्ति बन जाती है। किसी समय बीजेटी सर्वाधिक प्रयुक्त युक्ति थी, किन्तु अब मॉसफेट ही डिजिटल और एनालॉग दोनों परिपथों में सर्वाधिक प्रयुक्त युक्ति बन गयी है। इसका कारण यह है कि मॉस्फेट के प्रयोग से एकीकृत परिपथों में सस्ते में बहुत अधिक 'पैकिंग घनत्व' प्राप्त किया जा रहा है। यद्यपि आजकल गेट को विलग करने के लिये 'मेटल आक्साइड' के बजाय डॉप किया हुआ पॉलीसिलिकॉन उपयोग किया जाता है फिर भी इसका पुराना नाम MOSFET अब भी अपरिवर्तित है। मॉस्फेट की ड्रेन-सोर्स धारा को गेट और सोर्स के बीच के विभवान्तर द्वारा नियंत्रित किया जाता है। चूंकि गेट, मॉस्फेट के शेष भागों से विलगित (insulated) होता है, गेत को चलाने (ड्राइव करने) के लिये अत्यन्त कम धारा की जरूरत होती है। .

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रिले

relay maximam and minimum volts kitne ka hota ha चार अलग-अलग प्रकार के रिले रिले एक विद्युत स्विच या कुंजी है जो एक दूसरे विद्युत परिपथ के द्वारा खोली या बंद की जाती है जो कि मुख्य परिपथ से असम्बद्ध (आइसोलेटेड) होती है। रिले की एक या एक से अधिक कुंजियाँ एक विद्युत चुम्बक की सहायता से बंद या चालू होती हैं। रिले को भी एक सामान्यीकृत विद्युत प्रवर्धक (अम्प्लिफ़ायर) माना जा सकता है क्योंकि कम शक्ति वाले परिपथ की सहायता से एक अपेक्षाकृत अधिक शक्ति वाले परिपथ को नियंत्रित किया जाता है। कान्टैक्टर भी रिले के सिद्धांत पर ही काम करता है किन्तु प्राय: १५ अम्पीयर से अधिक धारा वाले कान्टेक्ट को बंद/चालू करने के लिए प्रयुक्त होता है। .

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लाउडस्पीकर

एक सस्ता, कम विश्वस्तता 3½ इंच स्पीकर, आमतौर पर छोटे रेडियो में पाया जाता है। एक चतुर्मार्गी, उच्च विश्वस्तता लाउडस्पीकर सिस्टम. एक लाउडस्पीकर (या "स्पीकर") एक विद्युत-ध्वनिक ऊर्जा परिवर्तित्र है, जो वैद्युत संकेतों को ध्वनि में परिवर्तित करता है। स्पीकर वैद्युत संकेतों के परिवर्तनों के अनुसार चलता है तथा वायु या जल के माध्यम से ध्वनि तरंगों का संचार करवाता है। श्रवण क्षेत्रों की ध्वनिकी के बाद, लाउडस्पीकर (तथा अन्य विद्युत-ध्वनि ऊर्जा परिवर्तित्र) आधुनिक श्रव्य प्रणालियों में सर्वाधिक परिवर्तनशील तत्व हैं तथा ध्वनि प्रणालियों की तुलना करते समय प्रायः यही सर्वाधिक विरूपणों और श्रव्य असमानताओं के लिए उत्तरदायी होते हैं। .

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सिलिकॉन कन्ट्रोल्ड रेक्टिफायर

"एससीआर" का प्रतीकात्मक चिन्ह ' "एससीआर" का कार्यात्मक चिन्ह ' हीट-सिंक पर लगा हुआ एक '''एससीआर''' सिलिकॉन कन्ट्रोल्ड रेक्टिफायर (Silicon-controlled rectifier) या एससीआर (SCR) या सिलिकॉन नियंत्रित दिष्टकारी एक तीन सिरों से युक्त अर्धचालक वैद्युत युक्ति है। यह सिलिकॉन से ही बनता है (जर्मेनियम से बनाना सम्भव नहीं है)। यह एक चार स्तरों वाली (PNPN) युक्ति है जो नियंत्रित दिष्टकारी के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस दृष्टि से यह डायोड से भिन्न है कि डायोड का प्रयोग करके नियंत्रित तरीके से प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में नहीं बदला जा सकता। इसमें तीन सिरे होये हैं जिन्हें धनाग्र (एनोड), ऋणाग्र (कैथोड) और गेट के नाम से जाना जाता है। एससीआर बहुत कम धारा और वोल्टेज से लेकर हजारों एम्पीयर और हजारों वोल्ट रेटिंग के उपलब्ध हैं। यह एक बहुत ही मजबूत (रग्गेड) युक्ति है जो आसानी से खराब नहीं होती। .

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संधारित्र

विभिन्न प्रकार के आधुनिक संधारित्र समान्तर प्लेट संधारित्र का एक सरल रूप संधारित्र या कैपेसिटर (Capacitor), विद्युत परिपथ में प्रयुक्त होने वाला दो सिरों वाला एक प्रमुख अवयव है। यदि दो या दो से अधिक चालकों को एक विद्युत्रोधी माध्यम द्वारा अलग करके समीप रखा जाए, तो यह व्यवस्था संधारित्र कहलाती है। इन चालकों पर बराबर तथा विपरीत आवेश होते हैं। यदि संधारित्र को एक बैटरी से जोड़ा जाए, तो इसमें से धारा का प्रवाह नहीं होगा, परंतु इसकी प्लेटों पर बराबर मात्रा में घनात्मक एवं ऋणात्मक आवेश संचय हो जाएँगे। विद्युत् संधारित्र का उपयोग विद्युत् आवेश, अथवा स्थिर वैद्युत उर्जा, का संचय करने के लिए तथा वैद्युत फिल्टर, स्नबर (शक्ति इलेक्ट्रॉनिकी) आदि में होता है। संधारित्र में धातु की दो प्लेटें होतीं हैं जिनके बीच के स्थान में कोई कुचालक डाइएलेक्ट्रिक पदार्थ (जैसे कागज, पॉलीथीन, माइका आदि) भरा होता है। संधारित्र के प्लेटों के बीच धारा का प्रवाह तभी होता है जब इसके दोनों प्लेटों के बीच का विभवान्तर समय के साथ बदले। इस कारण नियत डीसी विभवान्तर लगाने पर स्थायी अवस्था में संधारित्र में कोई धारा नहीं बहती। किन्तु संधारित्र के दोनो सिरों के बीच प्रत्यावर्ती विभवान्तर लगाने पर उसके प्लेटों पर संचित आवेश कम या अधिक होता रहता है जिसके कारण वाह्य परिपथ में धारा बहती है। संधारित्र से होकर डीसी धारा नही बह सकती। संधारित्र की धारा और उसके प्लेटों के बीच में विभवान्तर का सम्बन्ध निम्नांकित समीकरण से दिया जाता है- जहाँ: .

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स्विच

भांति-भांति के वैद्युत स्विच: उपर से बाएं से दांयें: सर्कित ब्रेकर, mercury switch, wafer switch, DIP switch, surface mount switch, reed switch. Bottom, left to right: wall switch (U.S. style), miniature toggle switch, in-line switch, push-button switch, rocker switch, microswitch. स्विच या कुंजी उस यांत्रिक युक्ति को कहते हैं जो किसी विद्युत परिपथ को इच्छानुसार जोडने (connect) या तोडने (disconnect) के काम आती है। आकार-प्रकार एवं कार्य के आधार पर स्विचें अनेकानेक प्रकार की होती हैं - लघु से लघुतर आकार से लेकर लाखों किलोवाट की शक्ति को नियंत्रित करने वाली औद्योगिक प्लान्ट की स्विचें। .

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सूक्ष्मतरंग

माइक्रोवेव टॉवर सूक्ष्मतरंगें (माइक्रोवेव) वो विद्युतचुम्बकीय तरंगें हैं जिनकी तरंगदैर्घ्य १ मीटर से लेकर १ मिलीमीटर के बीच हो। दूसरे शब्दों में, इनकी आवृति 300 MHz (मेगाहर्ट्ज) से लेकर 300 GHz बीच होती है। यह परिभाषा व्यापक रूप से दोनों परा उच्च आवृति (UHF) और अत्यधिक उच्च आवृति (EHF) (मिलीमीटर तरंग) को शामिल करती है। भिन्न-भिन्न स्रोत, विभिन्न सीमाओं का उपयोग करते हैं। .

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सेंसर

हाल प्रभाव पर आधारित सेंसर सेंसर (संवेदक) एक ऐसा उपकरण है जो किसी भौतिक राशि को मापने का कार्य करता है तथा इसे एक ऐसे संकेत में परिवर्तित कर देता है जिसे किसी पर्यवेक्षक या यंत्र द्वारा पढ़ा जा सकता है। उदाहरणस्वरूप, एक पारे से भरा कांच का थर्मामीटर मापित तापमान को एक तरल पदार्थ के विस्तार तथा संकुचन में परिवर्तित कर देता है जिसे एक अंशांकित कांच की नली पर पढ़ा जा सकता है। एक थर्मोकपल तापमान को एक आउटपुट वोल्टेज में परिवर्तित कर देता है जिसे एक वोल्टमीटर द्वारा पढ़ा जा सकता है। सटीकता की दृष्टि से, सभी सेंसरों को ज्ञात मानकों के अनुरूप अंशांकित करने की आवश्यकता है। .

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जेनर डायोड

जेनर डायोड योजनाबद्ध प्रतीक करेंट-वोल्टेज 17 वोल्ट के ब्रेकडाउन-वोल्टेज वाला जेनर डायोड विशेषता. अग्र बायस्ड (पोसिटिव) दिशा और रिवर्स बायस्ड (नेगटिव) दिशा के बीच वोल्टेज स्केल का परिवर्तन गौर करें. जेनर डायोड एक प्रकार का डायोड है जो एक साधारण डायोड की तरह बिजली को आगे की दिशा में बहने की ही नहीं बल्कि यदि वोल्टेज, ब्रेकडाउन वोल्टेज से, जिसे "जेनर नी वोल्टेज" या "जेंनेर वोल्टेज" भी कहा जाता है, ज्यादा हुआ तो उलटी दिशा में भी बहने की अनुमति देता है। इस उपकरण को क्लारेंस जेनर के नाम पर नामित किया गया है, जिसने इस विद्युत गुण की खोज की। एक पारंपरिक ठोस-अवस्था वाला डायोड पर्याप्त बिजली की अनुमति नहीं देगा यदि वह रिवर्स ब्रेकडाउन वोल्टेज से नीचे रिवर्स-बायस्ड है। जब रिवर्स-बायस्ड ब्रेकडाउन वोल्टेज बढ़ जाता है, तो ऐवलांश ब्रेकडाउन की वजह से एक पारंपरिक डायोड उच्च बिजली के अधीन हो जाता है। यदि यह विद्युत प्रवाह बाह्य परिपथाकार द्वारा सीमित नहीं किया जाता, तो यह डायोड स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाता है। भारी मात्रा में फोरवर्ड बायस्ड की अवस्था में (तीर की दिशा में विद्युत), डायोड अपने जंक्शन अन्तस्थ वोल्टेज और आंतरिक प्रतिरोध की वजह से वोल्टेज में गिरावट प्रदर्शित करता है। वोल्टेज की गिरावट की राशि, अर्धचालक पदार्थ और डोपिंग सांद्रता पर निर्भर करती है। एक जेनर डायोड लगभग यही गुण प्रदर्शित करता है, सिवाय इसके कि इस उपकरण को न्यूनीकृत भंग वोल्टेज के लिए डिज़ाइन किया गया है, तथाकथित जेनर वोल्टेज.

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जेनरेटर

बीसवीं शताब्दी के आरम्भिक दिनों का अल्टरनेटर, जो बुडापेस्ट में बना हुआ है। विद्युत जनित्र (एलेक्ट्रिक जनरेटर) एक ऐसी युक्ति है जो यांत्रिक उर्जा को विद्युत उर्जा में बदलने के काम आती है। इसके लिये यह प्रायः माईकल फैराडे के विद्युतचुम्बकीय प्रेरण (electromagnetic induction) के सिद्धान्त का प्रयोग करती है। विद्युत मोटर इसके विपरीत विद्युत उर्जा को यांत्रिक उर्जा में बदलने का कार्य करती है। विद्युत मोटर एवं विद्युत जनित्र में बौत कुछ समान होता है और कई बार एक ही मशीन बिना किसी परिवर्तन के दोनो की तरह कार्य कर सकती है। विद्युत जनित्र, विद्युत आवेश को एक वाह्य परिपथ से होकर प्रवाहित होने के लिये वाध्य करता है। लेकिन यह आवेश का सृजन नहीं करता। यह जल-पम्प की तरह है जो केवल जल-को प्रवाहित करने का कार्य करती है, जल पैदा नहीं करती। विद्युत जनित्र द्वारा विद्युत उत्पादन के लिये आवश्यक है कि जनित्र के रोटर को किसी बाहरी शक्ति-स्रित की सहायता से घुमाया जाय। इसके लिये रेसिप्रोकेटिंग इंजन, टर्बाइन, वाष्प इंजन, किसी टर्बाइन या जल-चक्र (वाटर्-ह्वील) पर गिरते हुए जल, किसी अन्तर्दहन इंजन, पवन टर्बाइन या आदमी या जानवर की शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है। किसी भी स्रोत से की गई यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करना संभव है। यह ऊर्जा, जलप्रपात के गिरते हुए पानी से अथवा कोयला जलाकर उत्पन्न की गई ऊष्मा द्वारा भाव से, या किसी पेट्रोल अथवा डीज़ल इंजन से प्राप्त की जा सकती है। ऊर्जा के नए नए स्रोत उपयोग में लाए जा रहे हैं। मुख्यत:, पिछले कुछ वर्षों में परमाणुशक्ति का प्रयोग भी विद्युत्शक्ति के लिए बड़े पैमाने पर किया गया है और बहुत से देशों में परमाणुशक्ति द्वारा संचालित बिजलीघर बनाए गए हैं। ज्वार भाटों एवं ज्वालामुखियों में निहित असीम ऊर्जा का उपयोग भी विद्युत्शक्ति के जनन के लिए किया गया है। विद्युत्शक्ति के उत्पादन के लिए इन सब शक्ति साधनों का उपयोग, विशालकाय विद्युत् जनित्रों द्वारा ही हाता है, जो मूलत: फैराडे के 'चुंबकीय क्षेत्र में घूमते हुए चालक पर वेल्टता प्रेरण सिद्धांत पर आधारित है। .

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विद्युत परिपथ

एक सरल विद्युत परिपथ जो एक वोल्टेज स्रोत एवं एक प्रतिरोध से मिलकर बना है ब्रेडबोर्ड के ऊपर बनाया गया एक सरल परिपथ (मल्टीवाइव्रेटर) विद्युत अवयवों (वोल्टेज स्रोत, प्रतिरोध, प्रेरकत्व, संधारित्र एवं कुंजियों आदि) एवं विद्युतयांत्रिक अवयवों (स्विच, मोटर, स्पीकर आदि) का परस्पर संयोजन विद्युत परिपथ (Electric circuit) अथवा विद्युत नेटवर्क (electrical network) कहलाता है। विद्युत परिपथ बहुत विशाल क्षेत्र में फैले हो सकते हैं; जैसे-विद्युत-शक्ति के उत्पादन, ट्रान्समिसन, वितरण एवं उपभोग का नेटवर्क। बहुत से विद्युत परिपथ प्राय: प्रिन्टेड सर्किट बोर्डों पर संजोये जाते हैं। विद्युत परिपथ अत्यन्त लघु आकार के भी हो सकते हैं; जैसे एकीकृत परिपथ। जब किसी परिपथ में डायोड, ट्रान्जिस्टर या आईसी आदि लगे होते हैं तो उसे एलेक्ट्रॉनिक परिपथ भी कहा जाता है जो कि विद्युत परिपथ का ही एक रूप है। विद्युत परिपथ को परिपथ आरेख (सर्किट डायग्राम) के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। प्रायः एक या अधिक बन्द लूप वाले नेटवर्क ही विद्युत परिपथ कहलाते हैं। .

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विद्युत प्रदायी

व्यक्तिगत कम्प्यूटर (पीसी) की पॉवर सप्लाई विद्युत शक्ति के किसी स्रोत को सामान्य रूप से विद्युत प्रदायी या 'विद्युत प्रदायक' या 'पॉवर सप्लाई' कहा जाता है। यह शब्द अधिकांशतः वैद्युत शक्ति आपूर्ति के सन्दर्भ में ही प्रयुक्त होता है; यांत्रिक शक्ति के सन्दर्भ में यह बहुत कम प्रयुक्त होता है; अन्य उर्जा के सन्दर्भ में लगभग इसका कभी भी उपयोग नहीं होता।.

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विद्युत मोटर

विभिन्न आकार-प्रकार की विद्युत मोटरें विद्युत मोटर (electric motor) एक विद्युतयांत्रिक मशीन है जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलती है; अर्थात इसे उपयुक्त विद्युत स्रोत से जोड़ने पर यह घूमने लगती है जिससे इससे जुड़ी मशीन या यन्त्र भी घूमने लगती है। अर्थात यह विद्युत जनित्र का उल्टा काम करती है जो यांत्रिक ऊर्जा लेकर विद्युत उर्जा पैदा करता है। कुछ मोटरें अलग-अलग परिस्थितियों में मोटर या जनरेटर (जनित्र) दोनो की तरह भी काम करती हैं। विद्युत् मोटर विद्युत् ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिणत करने के साधन हैं। विद्युत् मोटर औद्योगिक प्रगति का महत्वपूर्ण सूचक है। यह एक बड़ी सरल तथा बड़ी उपयोगी मशीन है। उद्योगों में शायद ही कोई ऐसा प्रयोजन हो जिसके लिए उपयुक्त विद्युत मोटर का चयन न किया जा सके। .

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विद्युत कोष

विभिन्न प्रकार की विद्युत कोष (बांयी तरफ् नीचे से दक्षिणावर्त): दो 9-वोल्ट; दो AA; दो AAA; एक D विद्युत कोष; एक C विद्युत कोष; एक हैम-रेडियो की विद्युत कोष; कार्डलेस फोन की विद्युत कोष; और एक कैमराकार्डर विद्युत कोष (लेटी हुई) विद्युत कोष (Battery) विद्युत ऊर्जा का स्रोत है जिसे रासायनिक उर्जा से प्राप्त किया जाता है। वैद्युत अभियांत्रिकी एवं एलेक्ट्रानिक्स में दो या दो से अधिक विद्युतरासायनिक सेलों के संयोजन को विद्युत कोष कहते हैं। ये रासायनिक उर्जा भण्डारित करते हैं एवं इस उर्जा को विद्युत उर्जा के रूप में उपलब्ध करते हैं। सन १८०० में अलेसान्द्रो वोल्टा द्वारा sabse पहले बैटरी का आविष्कार हुआ। आजकल अधिकांश घरेलू एवं औद्योगिक उपयोगों के लिये विद्युत कोष ही विद्युत उर्जा का प्रमुख साधन है। सन २००५ के एक अनुमान के अनुसार विश्व भर में विद्युत कोष की बिक्री लगभग ४८ बिलियन अमेरिकी डालर के बराबर होता है। .

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विद्युतीय प्रतीक

बहुधा प्रयुक्त विद्युतीय प्रतीक विद्युत अभियांत्रिकी तथा इलेक्ट्रॉनिकी में किसी परिपथ के चित्रमय प्रदर्शन के लिये उस परिपथ में प्रयुक्त विभिन्न अवयवों (जैसे तार, बैटरी, डायोड, प्रतिरोध आदि के लिये मानक प्रतीक उपयोग किये जाते हैं। आजकल लगभग सभी देशों में लगभग एक समान प्रतीक प्रयोग किये जा रहे हैं। किसी अवयव का प्रतीक काफी सीमा तक उस अवयव के किसी प्रमुख गुणधर्म को चित्रित करता है। .

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वैद्युत अवयव

वैद्युत अवयव (Electrical components) वैद्युत अवयवयों (electrical elements) की संकल्पना (कांसेप्ट) वैद्युत नेटवर्कों के विश्लेषण में प्रयुक्त होती है। इसको वास्तविक 'वैद्युत अवयव' अथवा वास्तविक एलेक्ट्रॉनिक अवयव के बजाय 'आदर्श वैद्युत अवयव' समझना चाहिये। किसी भी वैद्युत नेटवर्क को मॉडल करने के लिये उसे विद्युत के सरलतम् अवयव के नेटवर्क के रूप में अभिव्यक्त किया जा सकता है। ध्यान देने की बात है कि व्यावहारिक/भौतिक रूप से 'विद्युत अवयवों' का कोई अस्तित्व नहीं है। इनकी संकल्पना कुछ विद्युत के आदर्श, सरलीकृत अवयवों के रूप में की गयी है। एक या कुछ वैद्युत अवयवों की सहायता से किसी भी भौतिक (फिजिकल) एलेक्ट्रॉनिक अवयव को निरुपित किया जा सकता है। .

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आपरेशनल एम्प्लिफायर

भिन्न-भिन्न आकार-प्रकार के ऑप-एम्प संक्रियात्मक प्रवर्धक का प्रतीक 741 ऑप-एम्प का आन्तरिक परिपथ 741 ऑप-ऐम्प के पिनों का विवरण संक्रियात्मक प्रवर्धक या आपरेशनल एम्प्लिफायर (या, ऑप-ऐम्प) एक एकीकृत परिपथ (आइ सी) के रूप में निर्मित DC-कपल्ड (DC-coupled), अत्यधिक-लब्धि (गेन) वाला वोल्टेज एम्प्लिफायर है। इसमें प्राय: डिफरेंसियल इनपुट और एकमेव आउटपुट होता है। आधुनिक एलेक्ट्रानिकी में इसके अनेकानेक उपयोग हैं। प्राय: इसे ऋणात्मक (निगेटिव) फीडबैक देकर अम्प्लिफायर आदि के रूप में प्रयोग किया जाता है या धनात्मक (पॉजिटिव) फीडबैक देकर आसिलेटर आदि बनाये जाते हैं। इसका इनपुट इम्पीडेंस बहुत अधिक तथा आउटपुट इम्पीडेंस बहुत कम होता है। .

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आर्द्रतामापी

डायल वाला आर्द्रतामापी वायुमंडल की आर्द्रता नापने के साधनों को आर्द्रतामापी (हाइग्रोमीटर / Hygrometer) कहते हैं। .

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आवर्धन

आवर्धक लेंस से देखने पर टिकट बड़ा दिखता है। किसी वस्तु के वास्तविक आकार को बदले बिना उसको अपने वास्तविक आकार से बड़ा दिखाना आवर्धन (Magnification) कहलाता है। वस्तु जितने गुना बड़ी दिखती है, उसे 'आवर्धन' कहते हैं। यदि आवर्धन १ से अधिक है तो इसका अर्थ है कि वस्तु अपने वास्तविक आकार से बड़ी दिक रही है। यदि आवर्धन का मान १ से कम हो तो इसका अर्थ है कि वस्तु अपने वास्तविक आकार से छोटी दिख रही है। .

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इलेक्ट्रॉनिक फिल्टर

टेलीविजन में प्रयुक्त एक फिल्टर एलेक्ट्रॉनिक निस्यन्दक या इलेक्ट्रॉनिक फिल्टर ऐसे परिपथों को कहते हैं जो, संकेत प्रसंस्करण का काम करते हैं। ये विद्युत संकेतकों में से अवांछित आवृत्ति वाले अवयवों को कम करते हैं; वांछित आवृत्ति वाले अवयवों को बढ़ाते हैं; या ये दोनो ही कार्य करते हैं। ये विभिन्न प्रकार के होते हैं जैसे: -.

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इंसुलेटेड गेट बाईपोलर ट्रांजिस्टर

एक आई.जी.बी.टी का पार-अनुभाग (क्रॉस-सेक्शन) जिसमें मॉस्फेट और बाईपोलर ट्रांज़िस्टर के आंतरिक कनेक्शन दिखाये गये हैं आइजीबीटी का प्रतीक चिन्ह इन्सुलेड गेट बाइपोलर ट्रान्जिस्टर (अंग्रेज़ी:Insulated Gate Bipolar Transistor, लघु:आइजीबीटी) एक अर्धचालक वैद्युत युक्ति है जो आधुनिक शक्ति इलेक्ट्रॉनिक परिपथों में त्वरित स्विच के रूप में प्रयोग की जा रही है। इसमें तीन सिरे होते हैं - कलेक्टर, एमिटर और गेट। जैसा कि नाम से ही विदित है, इसका गेट 'इन्सुलेटेड' होता है जिसके कारण इसे ड्राइव करना ट्रान्जिस्टर की तुलना में आसान है। आइजीबीटी को ट्रान्जिस्टर और मॉसफेट के सम्मिलन से बनी युक्ति (डिवाइस) के रूप में देखा जाता है जिसका इन्पुट (गेट) मॉसफेट् जैसा है और आउटपुट बीजेटी जैसा। आइजीबीटी में कई अच्छाइयाँ है। वस्तुत: इसमें मॉसफेट और बीजेटी दोनो की अच्छाइयों का मेल है। इसको ड्राइव करना बीजेटी से आसान है और चालू (ON) स्टेट में इसमें शक्ति की हानि मोस्फेट् की अपेक्षा कम होता है। इस कारण मध्यम शक्ति के कार्यों के लिये इस डिवाइस ने बीजेटी और मॉस्फेट दोनो को बाहर कर दिया है। उच्च दक्षता के साथ स्विच करने में समर्थ होने के कारण यह आज के विद्युत कारों, वैरिएबल स्पीड रेफ्रिजेरटरों, एयर-कन्डिशनरों, वरिएबल स्पीड ड्राइव आदि में प्रयुक्त हो रही है। .

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क्लाइस्ट्रॉन

उच्च-शक्ति का क्लाइस्ट्रॉन क्लाइस्ट्रॉन (Klystron) एक प्रकार की निर्वातित एलेक्ट्रॉन-नलिका है जिसके अन्दर सूक्ष्मतरंग क्षेत्र में विद्युतचुम्बकीय उर्जा उत्पन्न करने अथवा इसका प्रवर्धन करने के लिये इलेक्ट्रान-किरणपुंज का वेग-मॉडुलेशन किया जाता है। यह वेग-मॉडुलित एलेक्ट्रान-किरणपुंज एक कोटर अनुनादी (resonant cavity) में प्रवेश करके कोटर के अन्दर इष्ट सूक्ष्म तरंगावृत्ति पर दोलन कायम करता है। क्लाइस्ट्रॉन का उपयोग सूक्ष्मतरंग रिले जैसी अति-उच्च आवृत्ति वाली डिवाइसेस में, रेडार प्रेषित्र (RADAR transmitter) तथा रेडार अभिग्रहियों (RADAR receiver) में किया जाता है। .

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कैथोड किरण नलिका

रंगीन सीआरटी का काटा हुआ आरेख: '''१.''' तीन इलेक्ट्रॉन बंदूक (इलेक्ट्रान गन) (लाल, हरा और नीले फॉस्फर बिंदु हेतु)'''२.''' इलेक्ट्रॉन किरण'''३.''' केन्द्रन कुंडली'''४.''' कोण देने की कुंडलियां'''५.''' धनाग्र (एनोड) संबंध'''६.''' चित्र के अनावश्यक लाल, हरे और नीले भाग को छिपाने और किरणों को पृथक करने के लिए आवरण'''७.''' फॉस्फर पर्त में लाल, नीली और हरित क्षेत्र'''६.''' फॉस्फर-मंडित पटल का आंतरिक दृश्य ऋणाग्र किरण नलिका (अंग्रेज़ी:कैथोड रे ट्यूब, लघुरूप:सी.आर.टी.) एक निर्वात नलिका होती है, जिसमें एक इलेक्ट्रॉन बंदूक (ऋणवेशिक स्रोत) और एक प्रदीप्त पटल होता है। इसमें इलेक्ट्रॉन को त्वरित करने और कोण देने के लिए आंतरिक या बाह्य प्रविधि (तकनीक) का प्रयोग होता है। ये नलिका पटल पर इलेक्ट्रॉन की किरण को डाल कर प्रकाश उत्सर्जित कर छवि निर्माण करने के प्रयोग में आता है। ये छवि किसी विद्युत संकेत तरंगरूप (दोलनदर्शी), छवि (दूरदर्शन, या संगणक पटल) या तेजोन्वेष (राडार) के लक्ष्य दिखाने के लिए होती है। ये एक अल्फा विकिरण एमिटर है। Image:CRT screen.

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कैलेंडर गर्ल्स (2015 फ़िल्म)

कैलेंडर गर्ल्स एक 2015 में आने वाली भारतीय ड्रामा फ़िल्म है। जिसका निर्देशन और सह-निर्माण मधुर भंडारकर। फ़िल्म की प्रिंसिपल फोटोग्राफी 22 जुलाई 2014 में शुरू हुई। यह कहानी भारत के चार अलग-अलग प्रदेशों और एक पाकिस्तान से आई हुई लड़की की है जो मुंबई में साल 2014 के कैलेंडर गर्ल्स के रूप में सेलेक्ट हुई हैं| .

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४००० श्रेणी के एकीकृत परिपथों की सूची

4000 श्रेणी सीमॉस (CMOS) एकीकृत परिपथों की सूची-;सभी डेटाशीट से ली गयीं हैं।.

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