लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

एलेक्ट्रॉन नलिका

सूची एलेक्ट्रॉन नलिका

एलेक्ट्रॉन नलिका (Electron tube) काँच या अन्य पदार्थ का नली से मिलता-जुलता संरचना है। इसमें एक एलेक्ट्रॉन का कोई स्रोत होता है जिससे निकलकर एलेक्ट्रॉन दूसरे प्लेट पर जाते हैं। इन एलेक्ट्रॉनों की संख्या, इनके वेग, इनकी उर्जा आदि को तरह-तरह से नियंत्रित किया जाता है। इस प्रकार बहुत सी युक्तियाँ एलेक्ट्रॉन नलिका का प्रयोग करके बनती हैं। उदाहरण के लिये, टेलिविजन मॉनिटर, कैथोड-किरण नलिका, निर्वात डायोड, ट्रायोड, थाइरेट्रॉन, मैग्नेट्रॉन, क्लाइस्ट्रॉन आदि। कुछ प्रकार की नलियों का उपयोग रेडियो-आवृत्ति-शक्ति (रेडियो फ्ऱीक्वेंसी पावर) उतपन्न करने में किया जाता है जिसका उपयोग रेडियो संग्राही (रिसीवर) तथा रेडियो प्रेषी (ट्रैंसमिटर) में किया जाता है। इन नलियों का उपयोग क्षीण संकेतों के प्रवर्धन (ऐंप्लिफ़िकेशन), ऋजुकरण (रेक्टिफ़िकेशन) तथा परिचयप्राप्तकरण (डिटेक्शन) में होता है। यह कहा जा सकता है कि साधारण इलेक्ट्रान नली की खोज ने ही रेडियो टेलीफोन, ध्वनिचित्र (बोलता सिनेमा), दूरवीक्षण (टेलिविज्हन), रेडियो आदि को जन्म दिया है। .

10 संबंधों: ट्रायोड, डायोड, थाइरेट्रॉन, निर्वात नली, प्रवर्धक, मैग्नेट्रॉन, रेडियो संग्राही, गैस नली, इलेक्ट्रॉन, क्लाइस्ट्रॉन

ट्रायोड

ट्रायोड (triode) या त्रिअग्र / त्रयाग्र, एक इलेक्ट्रोनिक प्रवर्धक निर्वात नली होती है जिसके तीन विद्युदाग्र होते हैं। श्रेणी:निर्वात नली.

नई!!: एलेक्ट्रॉन नलिका और ट्रायोड · और देखें »

डायोड

निर्वात नलिका डायोड का योजनामूलक चित्र डायोड आकार-प्रकार में भिन्न दिख सकते हैं। यहाँ चार डायोड दिखाये गये हैं जो सभी अर्धचालक डायोड हैं। सबसे नीचे वाला एक ब्रिज-रेक्टिफायर है जो चार डायोडों से बना होता है। डायोड (diode) या द्विअग्र / द्वयाग्र एक वैद्युत युक्ति है। अधिकांशत: डायोड दो सिरों (अग्र) वाले होते हैं किन्तु ताप-आयनिक डायोड में दो अतिरिक्त सिरे भी होते हैं जिनसे हीटर जुड़ा होता है। डायोड कई तरह के होते हैं किन्तु इन सबकी प्रमुख विशेषता यह है कि यह एक दिशा में धारा को बहुत कम प्रतिरोध के बहने देते हैं जबकि दूसरी दिशा में धारा के विरुद्ध बहुत प्रतिरोध लगाते हैं। इनकी इसी विशेषता के कारण ये अन्य कार्यों के अलावा प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा के रूप में बदलने के लिये दिष्टकारी परिपथों में प्रयोग किये जाते हैं। आजकल के परिपथों में अर्धचालक डायोड, अन्य डायोडों की तुलना में बहुत अधिक प्रयोग किये जाते हैं। .

नई!!: एलेक्ट्रॉन नलिका और डायोड · और देखें »

थाइरेट्रॉन

थाइरेट्रॉन (thyratron) एक विशेष प्रकार की गैसयुक्त एलेक्ट्रॉन नलिका है जो उच्च शक्ति की नियंत्रित स्विच की तरह उपयोग की जाती है। इस प्रकार इसके उपयोग से नियंत्रित दिष्टकारी (कंट्रोल्ड रेक्टिफायर) बनाया जाता है। यद्यपि ट्रायोड, टेट्रोड एवं पेंटोड डिजाइन वाले थाइरेट्रॉन पहले बनाये जा चुके हैं किन्तु ट्रायोड वाली संरचना सबसे अधिक प्रचलित है। चूँकि इनमें गैस (हाइड्रोजन) भरी होती है, ये अपने समकक्ष के निर्वात ट्यूबों की तुलना में बहुत अधिक विद्युत धारा ले सकते हैं क्योंकि धनात्मक आयन भी अच्छी-खासी धारा का निर्माण करते हैं। थाइरेट्रॉनों में हाइड्रोजन, पारे की वाष्प, जेनॉन, नियॉन आदि भरी जाती हैं। थाइरेट्रॉन विशेषत: स्विच की तरह प्रयुक्त होता है। इसके द्वार संकेतों को रैखिक रूप में आवर्धित करना कठिन है जोकि ट्रायोड आदि निर्वात-नलिकाओं के द्वरा किया जाता है। ठोस-अवस्था की युक्तियों में सिलिकॉन नियंत्रित दिष्टकारी ((एससीआर) है जो थाइरेट्रॉन के समतुल्य है किन्तु यह थाइरेट्रॉन जितना तेज आन-आफ नहीं किया जा सकता। .

नई!!: एलेक्ट्रॉन नलिका और थाइरेट्रॉन · और देखें »

निर्वात नली

आधुनिक निर्वात नलियाँ (अधिकांशतः लघु आकार वाली) इलेक्ट्रॉनिकी में निर्वात नली एक ऐसी युक्ति है जिसका कार्य निर्वात में विद्युत धारा के प्रवाह पर आधारित है। इसे एलेक्ट्रॉन नली (उत्तरी अमेरिका), तापायनिक वॉल्व (यूके में) या केवल 'ट्यूब' या 'वॉल्व' भी कहते हैं। इनमें एक तप्त फिलामेण्ट (कैथोड) से निकलने वाले एलेक्ट्रॉन निर्वात में गति करके एनोड पर पहुंचते हैं जो कैथोड की अपेक्षा अधिक वोल्टता पर रखा गया होता है। निर्वात नलियों के प्रादुर्भाव ने एलेक्ट्रॉनिकी के जन्म और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। .

नई!!: एलेक्ट्रॉन नलिका और निर्वात नली · और देखें »

प्रवर्धक

एक सामान्य प्रवर्धक बक्सा जिसमें इनपुट और आउटपुट के लिए बाहर पिन दिए होते हैं। प्रवर्धक और रिपीटर जो संकेत की शक्ति को बढ़ाकर उन्हें 'उपयोग के लायक' बनाते हैं। प्रवर्धक या एम्प्लिफायर (amplifier) ऐसी युक्ति है जो किसी विद्युत संकेत का मान (अम्प्लीच्यूड) बदल दे (प्रायः संकेत का मान बड़ा करने की आवश्यकता अधिक पड़ती है।) विद्युत संकेत विभवान्तर (वोल्टेज) या धारा (करेंट) के रूप में हो सकते है। आजकल सामान्य प्रचलन में प्रवर्धक से आशय किसी 'इलेक्ट्रॉनिक प्रवर्धक' से ही होता है। .

नई!!: एलेक्ट्रॉन नलिका और प्रवर्धक · और देखें »

मैग्नेट्रॉन

सूक्ष्मतरंग भट्ठी (माइक्रोवेव ओवेन) में लगने वाला मैग्नेट्रॉन; इसमें हीटसिंक एवं असेम्ब्ली के अन्य साधन भी जुड़े हुए हैं। मैग्नेट्रॉन का कटा हुआ चित्र; इसमें चुम्बक को नहीं दिखाया गया है (निकाल दिया गया है)। मैग्नेट्रॉन अधिक शक्ति की सूक्ष्मतरंगें पैदा करने वाली एक निर्वात नलिका (वैक्युम ट्यूब) है। इसमें एलेक्ट्रॉनों की धारा (स्ट्रीम) पर चुम्बकीय क्षेत्र की संक्रिया से सूक्ष्मतरंगें उत्पन्न की जातीं हैं। आजकल इनका उपयोग माइक्रोवेव ओवेन, एवं रडार के विभिन्न रूपों में प्रयुक्त होती है। .

नई!!: एलेक्ट्रॉन नलिका और मैग्नेट्रॉन · और देखें »

रेडियो संग्राही

रेडियो संग्राही रेडियो संग्राही (radio receiver) एक विद्युत परिपथ है जो विद्युतचुम्बकीय तरंगों के रूप में उपलब्ध संकेतों को एंटेना के द्वारा ग्रहण करने के बाद इसका सम्यक प्रसंस्करण करते हुए अन्त में ध्वनि या किसी अन्य उपयोगी रूप में प्रस्तुत करता है। .

नई!!: एलेक्ट्रॉन नलिका और रेडियो संग्राही · और देखें »

गैस नली

गैस नली या 'गैसयुक्त नली' (gas-filled tube) एकप्रकार की एलेक्ट्रॉन नली है जिसमें विद्युत का प्रचालन मूलतः नलिका में भरी गैस या वाष्प के द्वारा होता है। इसको गैस विसर्जन नलिका (gas discharge tube) भी कहते हैं। इसमें किसी कुचालक ताप-रोधी पात्र (इनवेलप) के अन्दर कोई समुचित गैस भरी होती है और उसके भीतर एलेक्ट्रोडों का समुचित विन्यास (arrangement) किया गया होता है। प्राय: पात्र कांच की बनी होती है किन्तु कुछ नलिकाओं (विशेषतः शक्तिनलिकों के) के पात्र सिरैमिक के भी बनाये जाते हैं। सैनिक उपयोग की नलिकाओं के पात्र धातु के बने होते हैं जिनकी भीतरी सतह काँच की परत होती है। गैस नलिकाओं के वैद्युत गुणधर्म (electrical characteristics) इन नलिकाओं में भरी गैसों की प्रकृति और उनके दाब पर बहुत सीमा तक निर्भर करते हैं। .

नई!!: एलेक्ट्रॉन नलिका और गैस नली · और देखें »

इलेक्ट्रॉन

इलेक्ट्रॉन या विद्युदणु (प्राचीन यूनानी भाषा: ἤλεκτρον, लैटिन, अंग्रेज़ी, फ्रेंच, स्पेनिश: Electron, जर्मन: Elektron) ऋणात्मक वैद्युत आवेश युक्त मूलभूत उपपरमाणविक कण है। यह परमाणु में नाभिक के चारो ओर चक्कर लगाता हैं। इसका द्रव्यमान सबसे छोटे परमाणु (हाइड्रोजन) से भी हजारगुना कम होता है। परम्परागत रूप से इसके आवेश को ऋणात्मक माना जाता है और इसका मान -१ परमाणु इकाई (e) निर्धारित किया गया है। इस पर 1.6E-19 कूलाम्ब परिमाण का ऋण आवेश होता है। इसका द्रव्यमान 9.11E−31 किग्रा होता है जो प्रोटॉन के द्रव्यमान का लगभग १८३७ वां भाग है। किसी उदासीन परमाणु में विद्युदणुओं की संख्या और प्रोटानों की संख्या समान होती है। इनकी आंतरिक संरचना ज्ञात नहीं है इसलिए इसे प्राय:मूलभूत कण माना जाता है। इनकी आंतरिक प्रचक्रण १/२ होती है, अतः यह फर्मीय होते हैं। इलेक्ट्रॉन का प्रतिकणपोजीट्रॉन कहलाता है। द्रव्यमान के अलावा पोजीट्रॉन के सारे गुण यथा आवेश इत्यादि इलेक्ट्रॉन के बिलकुल विपरीत होते हैं। जब इलेक्ट्रॉन और पोजीट्रॉन की टक्कर होती है तो दोंनो पूर्णतः नष्ट हो जाते हैं एवं दो फोटॉन उत्पन्न होती है। इलेक्ट्रॉन, लेप्टॉन परिवार के प्रथम पीढी का सदस्य है, जो कि गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुम्बकत्व एवं दुर्बल प्रभाव सभी में भूमिका निभाता है। इलेक्ट्रॉन कण एवं तरंग दोनो तरह के व्यवहार प्रदर्शित करता है। बीटा-क्षय के रूप में यह कण जैसा व्यवहार करता है, जबकि यंग का डबल स्लिट प्रयोग (Young's double slit experiment) में इसका किरण जैसा व्यवहार सिद्ध हुआ। चूंकि इसका सांख्यिकीय व्यवहार फर्मिऑन होता है और यह पॉली एक्सक्ल्युसन सिध्दांत का पालन करता है। आइरिस भौतिकविद जॉर्ज जॉनस्टोन स्टोनी (George Johnstone Stoney) ने १८९४ में एलेक्ट्रों नाम का सुझाव दिया था। विद्युदणु की कण के रूप में पहचान १८९७ में जे जे थॉमसन (J J Thomson) और उनकी विलायती भौतिकविद दल ने की थी। कइ भौतिकीय घटनाएं जैसे-विध्युत, चुम्बकत्व, उष्मा चालकता में विद्युदणु की अहम भूमिका होती है। जब विद्युदणु त्वरित होता है तो यह फोटान के रूप मेंऊर्जा का अवशोषण या उत्सर्जन करता है।प्रोटॉन व न्यूट्रॉन के साथ मिलकर यह्परमाणु का निर्माण करता है।परमाणु के कुल द्रव्यमान में विद्युदणु का हिस्सा कम से कम् 0.0६ प्रतिशत होता है। विद्युदणु और प्रोटॉन के बीच लगने वाले कुलाम्ब बल (coulomb force) के कारण विद्युदणु परमाणु से बंधा होता है। दो या दो से अधिक परमाणुओं के विद्युदणुओं के आपसी आदान-प्रदान या साझेदारी के कारण रासायनिक बंध बनते हैं। ब्रह्माण्ड में अधिकतर विद्युदणुओं का निर्माण बिग-बैंग के दौरान हुआ है, इनका निर्माण रेडियोधर्मी समस्थानिक (radioactive isotope) से बीटा-क्षय और अंतरिक्षीय किरणो (cosmic ray) के वायुमंडल में प्रवेश के दौरान उच्च ऊर्जा टक्कर के कारण भी होता है।.

नई!!: एलेक्ट्रॉन नलिका और इलेक्ट्रॉन · और देखें »

क्लाइस्ट्रॉन

उच्च-शक्ति का क्लाइस्ट्रॉन क्लाइस्ट्रॉन (Klystron) एक प्रकार की निर्वातित एलेक्ट्रॉन-नलिका है जिसके अन्दर सूक्ष्मतरंग क्षेत्र में विद्युतचुम्बकीय उर्जा उत्पन्न करने अथवा इसका प्रवर्धन करने के लिये इलेक्ट्रान-किरणपुंज का वेग-मॉडुलेशन किया जाता है। यह वेग-मॉडुलित एलेक्ट्रान-किरणपुंज एक कोटर अनुनादी (resonant cavity) में प्रवेश करके कोटर के अन्दर इष्ट सूक्ष्म तरंगावृत्ति पर दोलन कायम करता है। क्लाइस्ट्रॉन का उपयोग सूक्ष्मतरंग रिले जैसी अति-उच्च आवृत्ति वाली डिवाइसेस में, रेडार प्रेषित्र (RADAR transmitter) तथा रेडार अभिग्रहियों (RADAR receiver) में किया जाता है। .

नई!!: एलेक्ट्रॉन नलिका और क्लाइस्ट्रॉन · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

इलेक्ट्रॉन ट्यूब

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »