6 संबंधों: तरंगदैर्घ्य, नैनोमीटर, नीला, बैंगनी (रंग), रंग, विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम।
तरंगदैर्घ्य
साइन-आकारीय अनुप्रस्थ तरंग का तरंगदैर्घ्य, '''λ''' भौतिकी में, कोई साइन-आकार की तरंग, जितनी दूरी के बाद अपने आप को पुनरावृत (repeat) करती है, उस दूरी को उस तरंग का तरंगदैर्घ्य (wavelength) कहते हैं। 'दीर्घ' (.
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नैनोमीटर
नैनोमीटर (प्रतीक: नैमी या nm) (यूनानी: νάνος, नैनोस, "बौना"; μέτρον, मीटरॉन, "माप की इकाई ") मीट्रिक प्रणाली में एक लंबाई की इकाई है जो एक मीटर के 10−9 के बराबर है।.
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नीला
नीला रंग वह है, जिसे प्रकाश के प्रत्यक्ष वर्णक्रम की 440–490 nm की तरंगदैर्घ्य द्वारा दृश्य किया जाता है। यह एक संयोजी प्राथमिक रंग है। इसका सम्पूरक रंग पीला है, यदि HSL एवं HSV वर्ण चक्र पर देखें तो। परंपरागत वर्णचक्र पर इसका सम्पूरक रंग है नारंगी। भारत का राष्ट्रीय क्रीडा़ रंग भी नीला ही है। यह धर्म-निर्पेक्षता दिखलाता है। .
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बैंगनी (रंग)
बैंगनी रंग एक सब्जी़ बैंगन के नाम पर रखा हुआ नाम है। अँग्रेजी़ में इसे वॉय्लेट कहते हैं, जो कि इसी नाम के फूल के नाम पर रखा है। इसकी तरंग दैर्घ्य 380–420 nm होती है, जिसके बाद इंडिगो रंग होता है। यह प्रत्यक्ष वर्णचक्र के ऊपरी छोर पर स्थित होता है। यह प्रत्यक्ष स्पॅक्ट्रम के नीला एवं हरा रंग के बीच में, लगभग 380-450 nm के तरंग दैर्घ्य में मिलता है। Subtractive color में यह प्राथमिक रंग माना जाता है। सब्जी़ जिसके सिर पर ताज है:- बैंगन .
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रंग
रंग प्रकाश का गुण है। इसके तीन गुण होते है- रंगत,मान,सघनता।वर्ण, चाक्षुक या आभासी कला के महत्वपूर्ण अंग हैं। वर्ण या रंग होते हैं, आभास बोध का मानवी गुण धर्म है, जिसमें लाल, हरा, नीला, इत्यादि होते हैं। रंग, मानवी आँखों की वर्णक्रम से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से से उत्पन्न होते हैं। रंग की श्रेणियाँ एवं भौतिक विनिर्देश जो हैं, जुड़े होते हैं वस्तु, प्रकाश स्त्रोत, इत्यादि की भौतिक गुणधर्म जैसे प्रकाश अन्तर्लयन, विलयन, समावेशन, परावर्तन या वर्णक्रम उत्सर्ग पर निर्भर भी करते हैं। .
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विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम
विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम (electromagnetic spectrum) में उन सारी आवृत्तियों के विकिरण आते हैं जो सम्भव हैं। किसी वस्तु का विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम, उस वस्तु से विद्युत चुम्बकीय विकिरणों का अभिलक्षणिक वितरण या प्रायः केवल वर्णक्रम होता है। विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम निम्न आवृत्तियों, जो कि नूतन रेडियो में प्रयोग होतीं हैं (तरंग दैर्घ्य के दीर्घ सिरे पर), से लेकर गामा विकिरण तक (लघु सिरे तक) होता है, जो कि सहस्रों किलोमीटर की तरंगदैर्घ्य से लेकर एक अणु के नाप के एक अंश के बराबर तक की सारी आवृत्तियों को लिये होता है। हमारे ब्रह्माण्ड में लघु तरंगदैर्घ्य सीमित है प्लैंक दूरी के आसपास तक; और दीर्घ तरंग दैर्घ्य सीमित है, ब्रह्माण्ड के आकार तक। वैसे वर्णक्रम को असीमित एवं अविराम ही कहते हैं। .