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इंटरनेट प्रोटोकॉल

सूची इंटरनेट प्रोटोकॉल

एक इंटरनेट प्रोटोकॉल (IP) ऐड्रेस एक संख्यात्मक लेबल है जो अपने नोड्स के बीच संचार के लिए इंटरनेट प्रोटोकॉल का प्रयोग करनेवाले कंप्यूटर नेटवर्क में भाग ले रहे डिवाइसेस को आबंटित किया जाता है।RFC 760, एक IP ऐड्रेस दो प्रमुख कार्य करता है: मेजबान या नेटवर्क इंटरफ़ेस पहचान और स्थान परिचयन.

21 संबंधों: डाइनेमिक होस्ट कन्फिगरेशन प्रोटोकॉल, डोमेन नाम प्रणाली, द्वयंक, नाम, पिंग, प्राइवेट (निजी) नेटवर्क, बाइट, माइक्रोसॉफ़्ट, माइक्रोसॉफ्ट विंडोज़, यूनिक्स, संस्थितिविज्ञान, संगणक नेटवर्क, वर्ग, विवाचक अधिकरण, वेब सर्वर, आयु, इंटरनेट प्रोटोकॉल 4, इंटरनेट प्रोटोकॉल संस्करण ६, अनुरोध (1977 फ़िल्म), अष्टाधारी, अंतरजाल

डाइनेमिक होस्ट कन्फिगरेशन प्रोटोकॉल

डाइनेमिक होस्ट कान्फिग्रेष्ण प्रोटोकॉल (dhcp) इस के शब्दों से अस्पष्ट होता है की ये डाइनेमिक रूप से काम करता है। इसे मुख्य रूप से कंप्यूटर में स्वचालित IP देने के लिए पर्योग में लाया जाता है। ये कंप्यूटर को जभी IP देगे जब आपका कंप्यूटर इस से किसी माध्यम से जुरा हो.

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डोमेन नाम प्रणाली

डोमेन नाम प्रणाली (DNS) कंप्यूटर, सेवाओं, या किसी इंटरनेट या एक निजी नेटवर्क से जुड़े संसाधन के लिए एक क्रमिक नामकरण प्रणाली है। यह प्रतिभागी को दिए गये डोमेन नाम के साथ विभिन्न जानकारी एकत्रित करती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह मनुष्यों के लिए अर्थपूर्ण डोमेन नामों को पूरी दुनिया में इन उपकरणों को पहचानने तथा संबोधित करने के प्रयोजन से नेटवर्किंग उपकरणों के साथ जुड़ी संख्यात्मक (बाईनरी) पहचान में बदल देती है। डोमेन नाम प्रणाली के बारे में अक्सर प्रयुक्त होने वाली कहावत यह है कि यह इंटरनेट के लिए "फ़ोन बुक" के रूप में मनुष्यों के अनुकूल कंप्यूटर होस्टनाम का आईपी एड्रेस के रूप में अनुवाद करती है। उदाहरण के लिए, www.example.com अनुवाद के बाद 208.77.188.166 हो जाता है। डोमेन नाम प्रणाली इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के समूह के लिए एक अर्थपूर्ण ढंग से डोमेन नाम निर्दिष्ट करना संभव बनाती है चाहे उपयोगकर्ता किसी भी स्थान पर हो। इस वजह से वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) के हाईपरलिंक्स की और इंटरनेट संपर्क की जानकारी निरंतर तथा तटस्थ बनी रहती है चाहे वर्तमान इंटरनेट रूटिंग व्यवस्था में परिवर्तन हो जाए या उपयोगकर्ता मोबाइल उपकरण का प्रयोग करे.

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द्वयंक

कोई विवरण नहीं।

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नाम

नाम का प्रयोग एक वस्तु को दूसरी से अलग करने में सहायक होता है। नाम किसी एक वस्तु का हो सकता है या बहुत सी वस्तुओं के समूह का हो सकता है। किसी वस्तु का नाम 'व्यक्तिवाचक संज्ञा' (प्रॉपर नाउन) कहलाती है। .

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पिंग

पिंग (ping) एक कम्प्यूटर नेटवर्क सॉफ्टवेयर है जो पता लगाता है कि कोई कम्प्यूटर (होस्ट) किसी इन्टरनेट प्रोटोकोल (IP) तक पहुँच (जुड़) पा रहा है या नहीं। इसके लिए होस्ट एक सन्देश भेजता है और देखता है कि कितने समय बाद वही सन्देश उसे पुनः मिल पा रहा है। .

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प्राइवेट (निजी) नेटवर्क

इंटरनेट संबंधी पतों की संरचना में, प्राइवेट नेटवर्क एक ऐसा नेटवर्क है जो आरएफसी 1918 और आरएफसी 4193 द्वारा निर्धारित मानकों का अनुसरण करते हुए प्राइवेट आईपी एड्रेस स्पेस का इस्तेमाल करता है। जब वैश्विक मार्ग से भेजे जाने योग्य पतों की अनिवार्यता नहीं होती है या फिर ये अपेक्षित नेटवर्क अनुप्रयोगों के लिए उपलब्ध नहीं होते हैं तो इन पतों का इस्तेमाल आम तौर पर घर, कार्यालय और उद्यम के लोकल एरिया नेटवर्कों (लैन) के लिए किया जाता है। प्राइवेट आईपी पतों के स्थानों को मूल रूप से आईपीवी4 (IPv4) पतों के शून्यीकरण को विलंबित करने के एक प्रयास में परिभाषित किया गया था लेकिन इन्हें अगली पीढ़ी के इंटरनेट प्रोटोकोल, आईपीवी6 (IPv6) में भी देखा जा सकता है। इन पतों को प्राइवेट के रूप में इसलिए परिभाषित किया जाता है क्योंकि इन्हें वैश्विक स्तर पर नहीं दिया गया है, मतलब यह कि इन्हें किसी विशिष्ट संगठन को आवंटित नहीं किया जाता है और इनके द्वारा संबोधित आईपी पैकेटों को सार्वजनिक इंटरनेट पर प्रसारित नहीं किया जाता है। इन पतों का इस्तेमाल कोई भी रीजनल इंटरनेट रजिस्ट्री (आरआईआर) से स्वीकृति के बगैर कर सकता है। अगर इस तरह के प्राइवेट नेटवर्क को इंटरनेट से जोड़ने की जरूरत होती है तो इसके लिए या तो एक नेटवर्क पता अनुवादक (एनएटी) गेटवे या फिर एक प्रॉक्सी सर्वर का इस्तेमाल करना अनिवार्य है। .

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बाइट

बाइट संगणन व दूरसंचार में सूचना की इकाई होता है। यह ८ बिट से मिलकर बना होता है। बाइट कंप्यूटर की स्मृति में एक अक्षर द्वारा ली जाने वाली जगह को कह्ते है। ये कंप्यूटर स्मृति की दूसरी सबसे छोटी इकाई होती है। १ बाइट में ८ बिट के बराबर जगह होती है। १ बिट या १ अक्षर (० अथवा १) से मिलकर बना होता है। ये द्विधारी संख्या पद्द्ति में अक्षर को लिखने के लिये होता है। १ बिट में आंकडे ० या १ के जोडे में होते हैं। ये जोडे निम्नलिखित में से कोई एक होते हैं। ०१, ००, ११, १० चुंकि कंप्यूटर की स्मृति में आंकडों को विद्दुत संकेतों कि तरह लिखा जाता है इसलिये यहॉं द्विधारी संख्या पद्द्ति का इस्तेमाल होता है। अक्षरों को विद्दुत संकेतों के रूप में दर्शाने के लिये ० या १ का उपयोग होता है। ० और १ विद्दुत संकेत होते हैं। इन्हें गणित कि संख्या ना समझें। १ बाइट .

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माइक्रोसॉफ़्ट

माइक्रोसॉफ्ट, विश्व की एक जानी मानी बहुराष्ट्रीय कम्पनी है जो मुख्यत: संगणक अभियान्त्रिकी के क्षेत्र में काम करती है। माईक्रोसॉफ्ट दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कम्पनी है। 100 से भी अधिक देशों में फैली इसकी शाखाओं में 70000 से भी अधिक लोग काम करते हैं। इसका वार्षिक व्यापार लगभग 20 खरब रूपयों (~ 45 बिलियन डॉलर्स) का है। कम्पनी का मुख्यालय अमेरिका में रेडमण्ड, वॉशिंगटन में स्थित है। इसकी स्थापना बिल गेट्स ने 4 अप्रैल 1975 को की थी। इसका मुख्य उत्पाद विंडोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम है। इसके अलावा माईक्रोसॉफ्ट नाना प्रकार के सॉफ्टवेयर भी बनाती है। .

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माइक्रोसॉफ्ट विंडोज़

माइक्रोसॉफ़्ट विंडोज़, माइक्रोसॉफ़्ट द्वारा निर्मित सॉफ्टवेयर प्रचालन तन्त्र (सॉफ्टवेयर ऑपरेटिंग सिस्टम) और ग्राफिकल यूजर इण्टरफेस की एक श्रृंखला है। माइक्रोसॉफ्ट विंडोज़ ने ग्राफिकल यूजर इंटरफेस में बढ़ती रुचि (GUIs) को देखते हुए नवंबर 1985 में एमएस-DOS में जोड़ने के लिए एक ऑपरेटिंग पर्यावरण पेश किया था। माइक्रोसॉफ्ट विंडोज़, आते ही दुनिया के निजी कंप्यूटर बाजार पर हावी हो गया और इसने इससे पहले बाजार मे आये मैक-ओएस को बहुत पीछे छोड़ दिया। 2004 के IDC दिशा सम्मेलन में, यह बात सामने आयी कि ग्राहक ऑपरेटिंग सिस्टम बाजार का लगभग 90% विंडोज़ के पास था। विंडोज़ का सबसे हाल के ग्राहक संस्करण विंडोज़ १० है और सबसे हाल का सर्वर संस्करण विंडोज़ सर्वर 2016 है।बिल गेट्स ने विंडोज़ के विकास मे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और अब वह माइक्रोसॉफ्ट के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। विंडोज़ का शाब्दिक अर्थ होता है खिड़कियाँ। विंडोज़ एक ऑपरेटिंग सिस्टम है। विंडोज़ का उपयोग लगभग सभी व्यक्तिगत कम्प्यूटरों में होता है। इसका विकास माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन ने किया है। .

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यूनिक्स

यूनिक्स की फिलिएष्ण और यूनिक्स-जैसी प्रणालियां यूनिक्स (अधिकृत ट्रेडमार्क UNIX, कभी-कभी छोटे कैपिटल अक्षरों के साथ Unix भी लिखा जाता है), एक कम्प्यूटर परिचालन तंत्र है। यह मूल रूप से 1969 में बेल प्रयोगशाला में विकसित किया गया था। इसके विकास में एटी एंड टी के कर्मचारी केंन थोम्प्स्न, डेनिस रिची, ब्रियन केर्निघ्ग्न, दोग्ल्स मेक्लेरी और जो ओसाना आदि शामिल थे। आज "यूनिक्स" शब्द का प्रयोग आमतौर पर यूनिक्स मानकों के अनुरूप चलने वाले किसी भी परिचालन तंत्र के लिए किया जाता है। अर्थात भीतरी परिचालन व्यवस्था मूल युनिक्स परिचालन व्यवस्था के अनुरूप चलती है। ए टी एंड टी के साथ-साथ बहुत से व्यवसायिक विक्रेता और गैर लाभ संगठनों द्वारा विकसित आज की यूनिक्स प्रणालियां विभिन्न शाखाओं में विभाजित हैं। 1970 के अंत और 1980 के प्रारंभ के दौरान शैक्षिक समुदाय पर यूनिक्स के प्रभाव के परिणामस्वरूप यूनिक्स को व्यापारिक उद्घाटन द्वारा बड़े पैमाने पर स्वीकार किया गया। विशेषकर इसका केलिफोनिया विश्वविद्यालय, बर्कले से उत्पन्न BSD संस्करण बहुत लोकप्रिय हुआ। इसके अलावा मेक OS X, सोलारिस, HP-UX और AIX आदि भी प्रसिद्ध हुए। आज प्रमाणिक यूनिक्स प्रणालियों क्व अलावा यूनिक्स-जैसे परिचालन तंत्र जैसे कि लिनक्स और BSD आमतौर पर देखे जाते हैं। .

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संस्थितिविज्ञान

मोबियस स्ट्रिप (Möbius strip) एक ऐसी वस्तु है जिसमें केवल एक तल एवं एक ही कोर (one surface and one edge) है। ऐसे आकारों का अध्ययन 'टोपोलॉजी' के अन्तर्गत किया जाता है। एक कप से बदललते हुए टोरस का सृजन संस्थितिविज्ञान या टोपोलॉजी गणित का बड़ा क्षेत्र है। इसे ज्यामिति के विस्तार के रूप में देखा जाता है। इसमें उन गुणों का अध्ययन किया जाता है जो वस्तुओं को सतत रूप से विकृत करने पर उनमें बने रहे हैं। उदाहरण के लिये किसी चीज को बिना फाड़े या साटे हुए तानने पर आने वाली विकृतियाँ। संस्थिति का विकास ज्यामिति तथा समुच्चय सिद्धान्त से हुआ है। 'टोपोलॉजी' शब्द से दो चीजों का बोध होता है: संस्थितिविज्ञान एक विस्तृत क्षेत्र वाला विषय है। इसके कई उपक्षेत्र हैं। इसके कुछ प्रमुख क्षेत्र निम्नांकित हैं.

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संगणक नेटवर्क

एक कम्प्यूटर नेटवर्क का योजनामूलक चित्र आर-जे-४५ कनेक्टर दो या दो से अधिक परस्पर जुड़े हुए कम्प्यूटर या अन्य डिजिटल युक्तियों और उन्हें जोडने वाली व्यवस्था को कंप्यूटर नेटवर्क कहते हैं। ये कम्प्यूटर आपस में इलेक्ट्रोनिक सूचना का आदान-प्रदान क‍र सकते हैं और आपस में तार या बेतार से जुडे रहते हैं। सूचना का यह आवागमन खास परिपाटी से होता है, जिसे प्रोटोकॉल कहते हैं और नेटवर्क के प्रत्येक कम्प्यूटर को इसका पालन करना पड़ता है। कई नेटवर्क जब एक साथ जुड़ते हैं तो इसे इंटरनेटवर्क कहते हैं जिसका संक्षिप्त रूप इन्टरनेट (अंतर्जाल, अंग्रेज़ी में Internet) काफ़ी प्रचलित है। अलग अलग प्रकार की सूचनाओं के कार्यकुशल आदान-प्रदान के लिये विशेष प्रोटोकॉल हैं। सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए एनालॉग तथा डिजिटल विधियों का प्रयोग होता है। नेटवर्क के उपादानों में तार, हब, स्विच, राउटर आदि उपकरणों का नाम लिया जा सकता है। स्थानीय कम्प्यूटर नेटवर्किंग में बेतार नेटवर्क का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। .

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वर्ग

वर्ग (Square) ज्यामिति की एक आकृति है। यदि किसी चतुर्भुज की चारों भुजाएं बराबर हों और चारो कोण समकोण हों तो उस चतुर्भुज को वर्ग कहते है। .

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विवाचक अधिकरण

विवाचक अधिकरण (arbitral tribunal या arbitration tribunal) एक या एक से अधिक न्यायनिर्णायकों के पेनल को कहते हैं जो किसी विवाद को माध्यस्थम के द्वारा सुलझाने के लिये बनाया जाता है। ऐसे अधिकरण में केवल एक निर्णायक हो सकता है या एक से अधिक। .

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वेब सर्वर

डैल पावर एज वेब सर्वर का आंकरिक और बाहरी (पिछला) दृश्य वेब सर्वर वह सॉफ्टवेयर होता है जो वेब पेज सर्व करता है, अर्थात वह सॉफ्टवेयर जो वेब पेजों को उपयोक्ताओं तक पहुंचाता है। इसे दो भागों में बांट कर देखा जा सकता है: वह मशीन जिस पर वैबसर्वर को स्थापित किया जाता है और वो सॉफ्टवेयर जो वैब सर्वर की तरह काम करता है। ये पहला हार्डवेयर व दूसरा सॉफ्टवेयर होते हैं। सामान्यतयावे वेब पेज HTTP प्रोटोकॉल द्वारा उपयोक्ताओं तक पहुंचाये जाते है। किसी भी कंप्यूटर में वेब सर्वर का सॉफ्टवेयर स्थापित कर और उसे इंटरनेट से जोड़ कर उपयोक्ता उसे अंतरजाल पर वेब पेज प्रदान करने वाले वेब सर्वर में बदल सकते हैं। उपयोक्ता जो भी वेब पेज अंतरजाल पर देखते हैं वे उनके कंप्यूटर पर पास किसी ना किसी वेब सर्वर के द्वारा ही पहुंचाये जाते हैं। यदि उपयोक्ता अपने कंप्यूटर पर केवल सॉफ्टवेयर स्थापित करें और उसे इंटरनैट से ना जोड़े तो भी वो पूरा वेब सर्वर है जो कि केवल स्थानीय रूप से उपयोक्ता के लिये काम करेगा। .

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आयु

जीवनकाल को आयु कहते हैं, यद्यपि वय, अवस्था या उम्र को भी बहुधा आयु ही कह दिया जाता है। जीवित मानव, पशु, पक्षियों, कीट, पतन्‍गों, सूच्‍छम जीवियों, वनस्‍पतियों और र्निजीव पदार्थों के जन्‍म अथवा पैदा होंनें के समय से लेकर उस पदार्थ की मृत्‍यु अथवा समाप्‍त होंनें तक के समय को आयु से सम्‍बोधित करते हैं। विभिन्न प्राणियों की आयुओं में बड़ी भिन्नता है। एक प्रकार की मक्खी की आयु कुछ घंटों की ही होती है। उधर कछुए की आयु दो सौ वर्षों तक की होती है। आयु की सीमा मोटे हिसाब से शरीर की तौल के अनुपात में होती है, यद्यपि कई अपवाद भी हैं। कुछ पक्षी कई स्तनधारियों से अधिक जीवित रहते हैं। कुछ मछलियाँ १५० से २०० वर्षों तक जीवित रहती हैं, किंतु घोड़ा ३० वर्ष में मर जाता है। वृक्षों की रचना भिन्न होने से उनकी आयु की कोई मर्यादा नहीं है। अमरीका में कुछ वृक्षों को गिराने के बाद उनके वार्षिक वलयों से पता लगा कि वे २००० वर्षों से भी कुछ अधिक वय के थे। मृत्यु पर, अर्थात्‌ जीवन के अंत पर, अमीबा तथा अन्य प्रोटोज़ोआ ने विजय प्राप्त कर ली। एक से दो में विभक्त होकर प्रजनित होने से इन्होंने आयु की सीमा को लाँघ लिया है। इनकी अबाध जीवनधारा के कारण इन्हें अमर भी कहा जाता है। परंतु उन्नत वर्ग के प्राणियों में जीवन का अंत टालना असंभव है; इसलिए उन सभी की आयु सीमाबद्ध है। यह देखकर कि किसी प्राणी को प्रौढ़ होने में कितने वर्ष लगते हैं, उसकी पूरी आयु का अनुमान लगाया जा सकता है। मनुष्य का जीवनकाल १०० वर्ष आँका गया है। पिछले कई वर्षों में कई कारणों से मनुष्य का महत्तम काल तो अधिक नहीं बढ़ पाया है, किंतु औसत आयु बढ़ गई है। यह वृद्धि इसलिए हुई कि बच्चों को मृत्यु से बचाने में आयुर्विज्ञान (मेडिकल सायंस) ने बड़ी उन्नति की है। बुढ़ापे के रोगों में, विशेषकर धमनियों के कड़ी हो जाने की चिकित्सा में, विशेष सफलता नहीं मिली है। आनुवंशिकता और पर्यावरण का आयु पर बहुत प्रभाव पड़ता है। खोजों से पता चला है कि यदि प्रसव के समय की मृत्युओं की गणना न की जाय तो पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियाँ अधिक समय तक जीवित रहती हैं। यह भी निर्ववाद है कि दीर्घजीवी माता पिता की संतान साधारणत: दीर्घजीवी होती हैं। स्वस्थ वातावरण में प्राणी दीर्घजीवी होता है। जीव की जन्मजात बलशाली जीवनशक्ति बाहर के दूषित वातावरण के प्रभाव से प्राणी की बहुत कुछ रक्षा करती है, परंतु अधिक दूषित वातावरण रोगों के माध्यम से आयु पर प्रभाव डालता है। इसके अतिरिक्त देखा गया है कि चिंता, अनुचित आहार तथा अस्वास्थ्यकारी पर्यावरण आयु घटाते हैं। दूसरी ओर, प्रतिदिन की मानसिक या शारीरिक कार्यशीलता बुढ़ापे के विकृत रूप को दूर रखती है। अंगों के जीर्ण शीर्ण हो जाने की आशंका की अपेक्षा अकार्यता से बेकार होने की संभावना अधिक रहती है। विश्व के अनेक लेखक और चित्रकार दीर्घजीवी हुए हैं और अंत तक वे नए ग्रंथ और नए चित्र की रचना करते रहे हैं। अनियमित आहार, अति सुरापान और अति भोजन आयु को घटाते हैं। सौ वर्ष से अधिक काल तक जीनेवाले व्यक्तियों में से अधिकांश लघु आहार करनेवाले रहे हैं। अधिक भोजन करने से बहुधा मधुमेह (डायबिटीज़) या धमनी, हृदय या वृक्क (गुरदे) का रोग हो जाता है। बुढ़ापा स्वस्थ और सुखद हो सकता है अथवा रोगग्रस्त, पीड़ामय और दु:खद। स्वस्थ बुढ़ापे में क्रियाशीलता कम हो जाती है और कुछ दुर्बलता आ जाती है, परंतु मन शांत रहता है। मानसिक दृष्टिकोण साधारणत: व्यक्ति के पूर्वगामी दृष्टिकोण पर निर्भर रहता है, जिससे कुछ व्यक्ति सुखी और दयालु रहते हैं, कुछ निराशावादी और छिद्रान्वेषी। श्टाइनाख और वोरोनॉफ़ ने बंदर की ग्रंथियों को मनुष्य में आरोपित करके अल्पकालीन युवावस्था कुछ लोगों में ला दी थी, परंतु उनकी रीतियों को अब कोई पूछता भी नहीं। उनकी शल्यक्रिया में मनुष्य का जीवन बढ़ नहीं सका। कुछ रोगों से मनुष्य समय के बहुत पहले बुड्ढा लगने लगता है। प्रोजीरिया नामक रोग में तो बच्चे भी बुड्ढों की आकृति के हो जाते हैं, परंतु सौभाग्यवश यह रोग बहुत कम होता है। कुछ रोग विशेषकर बुड्ढों में होते हैं। इनमें से प्रधान रोग हैं मधुमेह (डायबिटीज़), कर्कट (कैंसर) और हृदय, धमनी तथा वृक्क के रोग। बचपन और युवावस्था के रोगों में से न्यूमोनिया बहुधा बूढ़ों को भी हो जाता है और साधारणत: उनका प्राण ही ले लेता है। भेषज वैधिक (मेडिका-लीगल) कार्यों में यथार्थ वयhttp://www.achhikhabar.com/2011/12/16/age-quotes-in-hindi/ और https://www.lovetipsinhindi.com/ का आगणन बड़े महत्व की बात है। वयनिर्धारण में दाँत, बाल, मस्तिष्क तथा अस्थि की परीक्षा की जाती है और एक्स-किरणों आदि की सहायता भी ली जाती है। परंतु २५ वर्ष के ऊपर वय की निश्चित गणना ठीक से नहीं हो सकती। .

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इंटरनेट प्रोटोकॉल 4

इंटरनेट प्रोटोकॉल 4 (अनुवाद: अंतरजाल नियमावली 4) अथवा आईपीवी4, अंतरजाल नियमावली का चतुर्थ संस्करण है। .

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इंटरनेट प्रोटोकॉल संस्करण ६

इंटरनेट प्रोटोकॉल संस्करण ६ (आई॰ पी॰ वी॰ ६) इंटरनेट प्रोटोकॉल (आई॰ पी॰) का नवीनतम संस्करण है, वह प्राथमिक संचार प्रोटोकॉल जिस पर सम्पूर्ण इन्टरनेट बना हुआ है। .

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अनुरोध (1977 फ़िल्म)

अनुरोध 1977 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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अष्टाधारी

अष्टाधारी संख्या पद्धति (ऑक्टल न्युमरल सिस्टम) संख्याओं के निरूपण की एक स्थानीय मान पद्धति है। इसका मूलांक (रैडिक्स) 8 (आठ) है। अतः अष्टाधारी संख्या 112 .

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अंतरजाल

अंतरजाल का आंशिक मैप, १५ जनवरी २००५। प्रत्येक पंक्ति को दो नोड्स के बीच खींचा जाता है, आईपी पते जोड़ने से। रेखा की लंबाई नोड्स के बीच समय की देरी (पिंग) को दर्शाती है मानचित्र २००५ में डेटा संग्रह के लिए उपलब्ध कक्षा सी नेटवर्क के ३०% से कम का प्रतिनिधित्व करता है। रेखा रंग आरएफसी १९१८ के अनुसार उसके स्थान से मेल खाती है। अंतरजाल (इंटरनेट) (Internet आई पी ए: ɪntəˌnɛt) विष्व में डिवाइसों को लिंक करने के लिए इंटरनेट प्रोटोकॉल सूट (टीसीपी / आईपी) का उपयोग करने वाले इंटरकनेक्टेड कंप्यूटर नेटवर्क की वैश्विक प्रणाली है। यह नेटवर्क का एक नेटवर्क है जिसमें निजी, सार्वजनिक, शैक्षिक, व्यवसाय और वैश्विक नेटवर्क के सरकारी नेटवर्क शामिल हैं, जो कि इलेक्ट्रॉनिक, वायरलेस, और ऑप्टिकल नेटवर्किंग प्रौद्योगिकियों की व्यापक श्रेणी से जुड़ा हुआ है। इंटरनेट में सूचना संसाधनों और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला है, जैसे इंटर लिंक किए गए हाइपरटेक्स्ट दस्तावेज़ और वर्ल्ड वाइड वेब (डबल्युडबल्युडबल्यु), इलेक्ट्रॉनिक मेल, टेलीफ़ोनी और फ़ाइल साझाकरण के अनुप्रयोग। १९६० के दशक में इंटरनेट नेटवर्क की उत्पत्ति संयुक्त राज्य संघीय सरकार द्वारा कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से मज़बूत, गलती-सहिष्णु संचार के निर्माण के लिए शुरू की गई थी। १९९० के शुरुआती दिनों में वाणिज्यिक नेटवर्क और उद्यमों को जोड़ने से आधुनिक इंटरनेट पर संक्रमण की शुरुआत हुई, और तेजी से वृद्धि के कारण संस्थागत, व्यक्तिगत और मोबाइल कंप्यूटर नेटवर्क से जुड़े थे। २००० के दशक के अंत तक, इसकी सेवाओं और प्रौद्योगिकियों को रोजमर्रा की जिंदगी के लगभग हर पहलू में शामिल किया गया था। टेलीफ़ोनी, रेडियो, टेलीविज़न, पेपर मेल और अखबारों सहित अधिकांश पारंपरिक संचार मीडिया, ईमेल द्वारा पुनर्निर्मित, पुनर्निर्धारित, या इंटरनेट से दूर किए जाने वाले ईमेल सेवाओं, इंटरनेट टेलीफ़ोनी, इंटरनेट टेलीविजन, ऑनलाइन संगीत, डिजिटल समाचार पत्र, और वीडियो स्ट्रीमिंग वेबसाइटें अखबार, पुस्तक, और अन्य प्रिंट प्रकाशन वेबसाइट प्रौद्योगिकी के अनुकूल हैं, या ब्लॉगिंग, वेब फ़ीड्स और ऑनलाइन समाचार एग्रीगेटर्स में पुन: स्थापित किए जा रहे हैं। इंटरनेट ने त्वरित मैसेजिंग, इंटरनेट फ़ौरम और सोशल नेटवर्किंग के माध्यम से व्यक्तिगत इंटरैक्शन के नए रूपों को सक्षम और त्वरित किया है। ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं और छोटे व्यवसायों और उद्यमियों के लिए ऑनलाइन खरीदारी तेजी से बढ़ी है, क्योंकि यह कंपनियों को एक बड़े बाजार की सेवा या पूरी तरह से ऑनलाइन वस्तुओं और सेवाओं को बेचने के लिए अपनी "ईंट और मोर्टार" उपस्थिति बढ़ाने में सक्षम बनाता है। इंटरनेट पर व्यापार से व्यापार और वित्तीय सेवाओं को पूरे उद्योगों में आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ता है। इंटरनेट का उपयोग या उपयोग के लिए तकनीकी कार्यान्वयन या नीतियों में कोई केंद्रीकृत शासन नहीं है; प्रत्येक घटक नेटवर्क अपनी नीतियाँ निर्धारित करता है। इंटरनेट, इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस (आए पी एड्रेस), स्पेस और डोमेन नेम सिस्टम (डी एन एस) में दो प्रमुख नाम रिक्त स्थान की केवल अति परिभाषा परिभाषाएँ एक रखरखाव संगठन, इंटरनेट कॉरपोरेशन फॉर असाइन्ड नाम और नंबर (आए सी ए एन एन)। मुख्य प्रोटोकॉल के तकनीकी आधारभूत और मानकीकरण, इंटरनेट इंजीनियरिंग टास्क फ़ोर्स (आए ई टी एफ़) की एक गतिविधि है, जो कि किसी भी गैर-लाभप्रद संगठन के साथ संबद्ध अंतरराष्ट्रीय सहभागी हैं, जो किसी को भी तकनीकी विशेषज्ञता में योगदान दे सकते हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

IP ऐड्रेस, आइ.पी., आइपी, आइपी ऍड्रैस, आइपी पता

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