5 संबंधों: सारणिक, वर्ग आव्यूह, व्यूहों की सूची, गणित, कोष्ठक।
सारणिक
सारणिक सम्पादन सारणिक (Determinant) एक विशिष्ट प्रकार का बीजीय व्यंजक है (वस्तुत: बहुपद) जिसमें प्रयुक्त की गई राशियों अथवा अवयवों की संख्या (पूर्ण) वर्ग रहती है। इन राशियों को प्राय: एक वर्गाकार विन्यास में लिखकर उसे अगल-बगल दो ऊर्ध्वाधर सीधी रेखाएँ खींच दी जाती है, n अवयवों वाले सारणिक को nवें क्रम (nth order) का सारणिक कहते हैं। मैट्रिक्स A के सारणिक को det(A), det A, या |A| से निरूपित करते हैं। जहाँ मैट्रिक्स के अवयव पूर्णतः लिखे हों, तो संगत सारणिक को दिखने के लिए बड़ा कोष्टक या पैरेन्थेसेस के स्थान पर दो ऊर्ध्व रेखाओं से घेर दिया जाता है। उदाहरण के लिए, मैट्रिक्स और इसका मान aei+bfg+cdh-ceg-bdi-afh\, है। सारणिक व्यूह सिद्धांत की आत्मा है; इसके प्रयोग से समीकरण समूहों का वर्गीकरण किया जा सकता है कि अमुक समूह का हल संभव होगा या नहीं और हल यदि संभव है तो कितने हल हो सकते हैं। उच्च बीजगणित का एक प्रमुख और मौलिक महत्ता का अंग सारणिक है; और प्राय: गणित की प्रत्येक शाखा में इसका प्रत्येक होता है। कैल्कुलस में एक से अधिक चरों के प्रतिस्थान (substitution rule) से सम्बन्धित नियम लिखने में सारणिक का प्रयोग होता है। .
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वर्ग आव्यूह
वर्ग आव्यूह (Square matrix) एक प्रकार का आव्यूह होता है, जिसमें पंक्ति और स्तम्भ दोनों समान संख्या में होते हैं। उदाहरण के लिए यदि R एक वर्ग आव्यूह है और उसमें m पंक्तियों की संख्या और n स्तम्भों की संख्या है, तो m और n की संख्या समान होगी। .
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व्यूहों की सूची
मैट्रिक्स का संगठन इस पृष्ठ पर इंजीनियरिंग, विज्ञान और गणित में प्रयुक्त प्रमुख व्यूहों की सूची दी गयी है। व्यूहों का अध्ययन एवं अनुप्रयोग का लम्बा इतिहास है। इसलिये उन्हें तरह-तरह से वर्गीकृत किया जाता रहा है। वर्गीकरण का एक तरीका यह है कि व्यूहों को उनके अवयवों के आधार पर वर्गीकृत किया जाय। उदाहरण के लिये नीचे आइडेंटिटी मैट्रिक्स दी गयी है- वर्गीकरण का दूसरा आधार मैट्रिक्स का आगेनवैल्यू है। इसके अलावा गणित, रसायन शास्त्र और भौतिक विज्ञान, तथा अन्य विज्ञानों में कुछ विशेष तरह के मैट्रिक उपयोग में आते हैं। .
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गणित
पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .
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कोष्ठक
उपर से नीचे की तरफ --> बड़ा कोष्टक, मझोला कोष्टक, छोटा कोष्टक, कोणीय कोष्टक और असमता चिह्न (लाल रंग में) कोष्ठक का उपयोग मुख्यतः वाक्यों में शब्दों के मध्य किया जाता है। कोष्टक (Brackets) वे चिह्न हैं जो प्रायः जोड़े में प्रयुक्त होते हैं और दूसरे चीजों से अलग करने के लिये प्रयुक्त होते हैं। इनका प्रयोग गणित में, प्रोग्रामन भाषाओं में, मार्कअप भाषाओं (जैसे एचटीएमएल में असमता चिह्न का प्रयोग) में होता है। .
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