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आवर्धक लेन्स

सूची आवर्धक लेन्स

आवर्धक लेन्स और उससे बड़ा दिखता पेन आवर्धक लेन्स का सिद्धान्त: किसी उत्तल लेंस के सामने यदि वस्तु फोकस बिन्दु तथा लेंस के बीच में स्थित हो तो उसका प्रतिबिम्ब सीधा, '''बड़ा''' तथा आभासी बनता है। आवर्धक लेन्स (magnifying glass या hand lens) एक उत्तल लेंस होता है जिसका उपयोग पास की वस्तुओं का आवर्धित प्रतिबिम्ब प्राप्त करने के लिये किया जाता है। प्रायः आवर्धक लेंस को एक गोल फ्रेम में मढ़ा गया होता है जिसमें एक हत्था (हैंडिल) भी लगा होता है। (चित्र देखें)। .

4 संबंधों: दूरदर्शी, सूक्ष्मदर्शी, आवर्धन, उत्तल लेंस

दूरदर्शी

न्यूटनीय दूरदर्शी का आरेख दूरदर्शी वह प्रकाशीय उपकरण है जिसका प्रयोग दूर स्थित वस्तुओं को देख्नने के लिये किया जाता है। दूरदर्शी से सामान्यत: लोग प्रकाशीय दूरदर्शी का अर्थ ग्रहण करते हैं, परन्तु दूरदर्शी विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम के अन्य भागों मै भी काम करता है जैसे X-रे दूरदर्शी जो कि X-रे के प्रति संवेदनशील होता है, रेडियो दूरदर्शी जो कि अधिक तरंगदैर्घ्य की विद्युत चुंबकीय तरंगे ग्रहण करता है। दूरदर्शी साधारणतया उस प्रकाशीय तंत्र (optical system) को कहते हैं जिससे देखने पर दूर की वस्तुएँ बड़े आकार की और स्पष्ट दिखाई देती हैं, अथवा जिसकी सहायता से दूरवर्ती वस्तुओं के साधारण और वर्णक्रमचित्र (spectrograms) प्राप्त किए जाते हैं। दूरवर्ती वस्तुओं का ज्ञान प्राप्त करने के लिए आजकल रेडियो तरंगों का भी उपयोग किया जाने लगा है। इस प्रकार का यंत्र रेडियो दूरदर्शी (radio telescope) कहलाता है। बोलचाल की भाषा में दूरदर्शी को दूरबीन भी कहते हैं। दूरबीन के आविष्कार ने मनुष्य की सीमित दृष्टि को अत्यधिक विस्तृत बना दिया है। ज्योतिर्विद के लिए दूरदर्शी की उपलब्धि अंधे व्यक्ति को मिली आँखों के सदृश वरदान सिद्ध हुई है। इसकी सहायता से उसने विश्व के उन रहस्यमय ज्योतिष्पिंडों तक का साक्षात्कार किया है जिन्हें हम सर्पिल नीहारिकाएँ (spiral nebulae) कहते हैं। ये नीहारिकाएँ हमसे करोड़ों प्रकाशवर्ष की दूरी पर हैं। आधुनिक ज्योतिर्विज्ञान (astronomy) और ताराभौतिकी (astrophysics) के विकास में दूरदर्शी का महत्वपूर्ण योग है। दूरदर्शी ने एक ओर जहाँ मनुष्य की दृष्टि को विस्तृत बनाया है, वहाँ दूसरी ओर उसने मानव को उन भौतिक तथ्यों और नियमों को समझने में सहायता भी दी है जो भौतिक विश्व के गत्यात्मक संतुलन (dynamic equilibirium) के आधार हैं। .

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सूक्ष्मदर्शी

सूक्ष्मदर्शी या सूक्ष्मबीन (माइक्रोस्कोप) वह यंत्र है जिसकी सहायता से आँख से न दिखने योग्य सूक्ष्म वस्तुओं को भी देखा जा सकता है। सूक्ष्मदर्शी की सहायता से चीजों का अवलोकन व जांच किया जाता है वह सूक्ष्मदर्शन कहलाता है। सूक्ष्मदर्शी का इतिहास लगभग ४०० वर्ष पुराना है। सबसे पहले नीदरलैण्ड में सन १६०० के आस-पास किसी काम के योग्य सूक्ष्मदर्शी का विकास हुआ। .

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आवर्धन

आवर्धक लेंस से देखने पर टिकट बड़ा दिखता है। किसी वस्तु के वास्तविक आकार को बदले बिना उसको अपने वास्तविक आकार से बड़ा दिखाना आवर्धन (Magnification) कहलाता है। वस्तु जितने गुना बड़ी दिखती है, उसे 'आवर्धन' कहते हैं। यदि आवर्धन १ से अधिक है तो इसका अर्थ है कि वस्तु अपने वास्तविक आकार से बड़ी दिक रही है। यदि आवर्धन का मान १ से कम हो तो इसका अर्थ है कि वस्तु अपने वास्तविक आकार से छोटी दिख रही है। .

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उत्तल लेंस

उत्तल लैंस किनारों से पतला व बीच मे से मोटे होते हैं यह तीन प्रकार के होते हैं 1 उभयोतल - जिसके दोनों प्रष्ट उत्तल होते है 2 अवतलोतल - जिसका एक प्रष्ट अवतल व एक उत्तल हो 3 समतलोतल - जिसका एक प्रष्ट उत्तल व दूसरा समतल हो .

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आवर्धक लेंस

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