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संरक्षणवाद

सूची संरक्षणवाद

संरक्षणवाद (Protectionism) वह आर्थिक नीति है जिसका अर्थ है विभिन्न देशों के बीच व्यापार निरोधक लगाना। व्यापार निरोधक विभिन्न प्रकार से लगाये जा सकते है जैसे:- आयातित वस्तुओं पर शुल्क लगाना, प्रतिबंधक आरक्षण और अन्य बहुत से सरकारी प्रतिबंधक नियम जिनका उद्देश्य आयात को हतोत्साहित करना और विदेशी समवायों (कंपनियों) द्वारा स्थानीय बाजारों और समवायों के अधिग्रहण को रोकना है। यह नीति अवैश्विकरण से सम्बंधित है और वैश्वीकरण और मुक्त व्यापार के बिलकुल विपरीत है, जिसमें सरकारी प्रतिबंधक बाधाओं अतिन्युन्य रखा जाता है ताकि विभिन्न देशों के बीच व्यापार सुगमता से चलता रहे। इस शब्द का उपयोग अधिकतर अर्थशास्त्र में किया जाता है जहाँ संरक्षणवाद का अर्थ ऐसी नीतियों का अपनाया जाना है जिससे उस देश के व्यापार और कर्मचारियों की विदेशी अधिग्रहण रक्षा की जा सके। इसके लिए उस देश की सरकार द्वारा दूसरे देशों के साथ किये जाने वाले व्यापार का विनियमन या प्रतिबंधन किया जाता है। २००८ से २०१३ के बीच संरक्षणवादी नीतियाँ लागू करने वाले प्रमुख देश (ग्लोबल ट्रेड एलर्ट के अनुसार) .

7 संबंधों: मुक्त व्यापार, स्वदेशी, वैश्वीकरण, आर्थिक राष्ट्रवाद, अर्थशास्त्र, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, उदारतावाद

मुक्त व्यापार

मुक्त व्यापार का सर्वप्रथम अभिलेखाकरण एडम स्मिथ द्वारा १७७६ में लिखी अपनी उत्कृष्ट पुस्तक 'द वेल्थ ऑफ़ नेशन्स' में किया गया है| उन्होंने ये तर्क दिया है की यदि श्रम का विभाजन कर दिया जाए तो इससे प्रत्येक श्रम में लगे व्यक्तियों को अपने-अपने कार्यों में विशेषज्ञता प्राप्त हो सकती है जिससे सभी को अधिक लाभ होगा और ऐसा किसी भी और ढंग से संभव नहीं है|.

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स्वदेशी

स्वदेशी का अर्थ है- 'अपने देश का' अथवा 'अपने देश में निर्मित'। वृहद अर्थ में किसी भौगोलिक क्षेत्र में जन्मी, निर्मित या कल्पित वस्तुओं, नीतियों, विचारों को स्वदेशी कहते हैं। वर्ष 1905 के बंग-भंग विरोधी जनजागरण से स्वदेशी आन्दोलन को बहुत बल मिला, यह 1911 तक चला और गाँधी जी के भारत में पदार्पण के पूर्व सभी सफल अन्दोलनों में से एक था। अरविन्द घोष, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, वीर सावरकर, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और लाला लाजपत राय स्वदेशी आन्दोलन के मुख्य उद्घोषक थे। आगे चलकर यही स्वदेशी आन्दोलन महात्मा गांधी के स्वतन्त्रता आन्दोलन का भी केन्द्र-बिन्दु बन गया। उन्होंने इसे "स्वराज की आत्मा" कहा। .

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वैश्वीकरण

Puxi) शंघाई के बगल में, चीन. टाटा समूहहै। वैश्वीकरण का शाब्दिक अर्थ स्थानीय या क्षेत्रीय वस्तुओं या घटनाओं के विश्व स्तर पर रूपांतरण की प्रक्रिया है। इसे एक ऐसी प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए भी प्रयुक्त किया जा सकता है जिसके द्वारा पूरे विश्व के लोग मिलकर एक समाज बनाते हैं तथा एक साथ कार्य करते हैं। यह प्रक्रिया आर्थिक, तकनीकी, सामाजिक और राजनीतिक ताकतों का एक संयोजन है।वैश्वीकरण का उपयोग अक्सर आर्थिक वैश्वीकरण के सन्दर्भ में किया जाता है, अर्थात, व्यापार, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, पूंजी प्रवाह, प्रवास और प्रौद्योगिकी के प्रसार के माध्यम से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं में एकीकरण.

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आर्थिक राष्ट्रवाद

किसी देश की आर्थिक विचारधारा तब आर्थिक राष्ट्रवाद (Economic nationalism) कहलाती है जब वह अपने अर्थतंत्र, श्रमशक्ति और पूंजी-निर्माण पर घरेलू नियंत्रण पर बल देता है और आवश्यक होने पर कर (टैरिफ) तथा अन्य पाबन्दियाँ लगाने से नहीं हिचकता। कई दृष्टियों से आर्थिक राष्ट्रवाद और वैश्वीकरण एक-दूसरे के विरोधी हैं। आर्थिक राष्ट्रवाद के अन्तर्गत आने वाले प्रमुख सिद्धान्त ये हैं - संरक्षणवाद, वणिकवाद (mercantilism) तथा आयात प्रतिस्थापन (import substitution)। श्रेणी:आर्थिक विचारधाराएँ श्रेणी:विकास अर्थशास्त्र.

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अर्थशास्त्र

---- विश्व के विभिन्न देशों की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर (सन २०१४) अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है। 'अर्थशास्त्र' शब्द संस्कृत शब्दों अर्थ (धन) और शास्त्र की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - 'धन का अध्ययन'। किसी विषय के संबंध में मनुष्यों के कार्यो के क्रमबद्ध ज्ञान को उस विषय का शास्त्र कहते हैं, इसलिए अर्थशास्त्र में मनुष्यों के अर्थसंबंधी कायों का क्रमबद्ध ज्ञान होना आवश्यक है। अर्थशास्त्र का प्रयोग यह समझने के लिये भी किया जाता है कि अर्थव्यवस्था किस तरह से कार्य करती है और समाज में विभिन्न वर्गों का आर्थिक सम्बन्ध कैसा है। अर्थशास्त्रीय विवेचना का प्रयोग समाज से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे:- अपराध, शिक्षा, परिवार, स्वास्थ्य, कानून, राजनीति, धर्म, सामाजिक संस्थान और युद्ध इत्यदि। प्रो.

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अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

सम्पूर्ण यूरेशिया में प्राचीन सिल्क रोड व्यापार मार्ग. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं या क्षेत्रों के आर-पार पूंजी, माल और सेवाओं का आदान-प्रदान है।.

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उदारतावाद

उदारवाद (Liberalism) वह विचारधारा है जिसके अंतर्गत मनुष्य को विवेकशील प्राणी मानते हुए सामाजिक संस्थाओं को मनुष्यों की सूझबूझ और सामूहिक प्रयास का परिणाम समझा जाता है। जॉन लॉक को उदारवाद के जनक माना जाता है। आरंभिक उन्नायकों में एडम स्मिथ और जेरमी बेंथम के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। उदारतावाद व्यक्तिगत स्वतंत्रता के समर्थन का राजनैतिक दर्शन है। वर्तमान विश्व में यह अत्यन्त प्रतिष्ठित धारणा है। पूरे इतिहास में अनेकों दार्शनिकों ने इसे बहुत महत्व एवं मान दिया। .

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