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आरिक़ बोके

सूची आरिक़ बोके

आरिक़ बोके (मंगोल: Аригбөх, आरिगबोख़; अंग्रेज़ी: Ariq Böke; १२१९ – १२६६) मंगोल साम्राज्य से संस्थापक चंगेज़ ख़ान का पोता और उसके सबसे छोटे बेटे तोलुइ ख़ान का सबसे छोटा पुत्र था। उसकी माता सोरग़ोग़तानी बेकी (तोलुइ ख़ान की पत्नी) ने उसे और उसके भाइयों को बहुत निपुणता से पाला। उसका बड़ा भाई मोंगके ख़ान कुछ अरसे के लिए साम्राज्य का ख़ागान (सबसे बड़ा ख़ान शासक) रहा। जब १२५९ में मोंगके की मृत्यु हो है तो उसके दोनों बड़े भाई हलाकु ख़ान और कुबलई ख़ान मंगोल गृहभूमि से अनुपस्थित थे और आरिक़ बोके ने शासन की बागडोर संभाली। १२६० में नए ख़ागान के चुनाव के लिए कुबलई मंगोलिया वापस आया तो राजसम्बन्धी दो खेमों में बाँट गए - एक आरिक़ बोके की तरफ़दारी करने लगा और तो दूसरा कुबलई ख़ान की। मंगोल गृहयुद्ध छिड़ गया, जिसमें मंगोल साम्राज्य की पुरानी प्रथाओं के समर्थकों ने आरिक़ बोके का साथ दिया जबकि मंचूरिया और उत्तर चीन के राजकुंवरों ने कुबलई ख़ान का। अंत में आरिक़ बोके की हार हुई और उसने कुबलई ख़ान के आगे हथियार डाल दिए। कुबलई ख़ान ने भाई होने के नाते आरिक़ बोके का जीवन तो बख़्श दिया लेकिन उसके साथियों को मार डाला। इसके बाद कुबलई ने बिना किसी रोकटोक के मंगोल साम्राज्य के पाँचवे ख़ागान के रूप में राज किया।, Kathy Sammis, Walch Publishing, 2002, ISBN 978-0-8251-4369-4,...

13 संबंधों: चंगेज़ ख़ान, चीन, तोलुइ ख़ान, मंचूरिया, मंगोल भाषा, मोंगके ख़ान, सोरग़ोग़तानी बेकी, हलाकु ख़ान, ख़ान (उपाधि), ख़ागान, गृहयुद्ध, कुबलई ख़ान, अंग्रेज़ी भाषा

चंगेज़ ख़ान

चंगेज़ खान १२२७ में चंगेज खान का साम्राज्य चंगेज खान का मंदिर चंगेज़ ख़ान (मंगोलियाई: Чингис Хаан, चिंगिस खान, सन् 1162 – 18 अगस्त, 1227) एक मंगोल ख़ान (शासक) था जिसने मंगोल साम्राज्य के विस्तार में एक अहम भूमिका निभाई। वह अपनी संगठन शक्ति, बर्बरता तथा साम्राज्य विस्तार के लिए प्रसिद्ध हुआ। इससे पहले किसी भी यायावर जाति (यायावर जाति के लोग भेड़ बकरियां पालते जिन्हें गड़रिया कहा जाता है।) के व्यक्ति ने इतनी विजय यात्रा नहीं की थी। वह पूर्वोत्तर एशिया के कई घुमंतू जनजातियों को एकजुट करके सत्ता में आया। साम्राज्य की स्थापना के बाद और "चंगेज खान" की घोषणा करने के बाद, मंगोल आक्रमणों को शुरू किया गया, जिसने अधिकांश यूरेशिया पर विजय प्राप्त की। अपने जीवनकाल में शुरू किए गए अभियान क़रा खितई, काकेशस और ख्वारज़्मियान, पश्चिमी ज़िया और जीन राजवंशों के खिलाफ, शामिल हैं। मंगोल साम्राज्य ने मध्य एशिया और चीन के एक महत्वपूर्ण हिस्से पर कब्जा कर लिया। चंगेज खान की मृत्यु से पहले, उसने ओगदेई खान को अपन उत्तराधिकारी बनाया और अपने बेटों और पोते के बीच अपने साम्राज्य को खानतों में बांट दिया। पश्चिमी जिया को हराने के बाद 1227 में उसका निधन हो गया। वह मंगोलिया में किसी न किसी कब्र में दफनाया गया था।उसके वंशजो ने आधुनिक युग में चीन, कोरिया, काकेशस, मध्य एशिया, और पूर्वी यूरोप और दक्षिण पश्चिम एशिया के महत्वपूर्ण हिस्से में विजय प्राप्त करने वाले राज्यों को जीतने या बनाने के लिए अधिकांश यूरेशिया में मंगोल साम्राज्य का विस्तार किया। इन आक्रमणों में से कई स्थानों पर स्थानीय आबादी के बड़े पैमाने पर लगातार हत्यायेँ की। नतीजतन, चंगेज खान और उसके साम्राज्य का स्थानीय इतिहास में एक भयावय प्रतिष्ठा है। अपनी सैन्य उपलब्धियों से परे, चंगेज खान ने मंगोल साम्राज्य को अन्य तरीकों से भी उन्नत किया। उसने मंगोल साम्राज्य की लेखन प्रणाली के रूप में उईघुर लिपि को अपनाने की घोषणा की। उसने मंगोल साम्राज्य में धार्मिक सहिष्णुता को प्रोत्साहित किया, और पूर्वोत्तर एशिया की अन्य जनजातियों को एकजुट किया। वर्तमान मंगोलियाई लोग उसे मंगोलिया के 'संस्थापक पिता' के रूप में जानते हैं। यद्यपि अपने अभियानों की क्रूरता के लिए चंगेज़ खान को जाना जाता है और कई लोगों द्वारा एक नरसंहार शासक होने के लिए माना जाता है परंतु चंगेज खान को सिल्क रोड को एक एकत्रीय राजनीतिक वातावरण के रूप में लाने का श्रेय दिया जाता रहा है। यह रेशम मार्ग पूर्वोत्तर एशिया से मुस्लिम दक्षिण पश्चिम एशिया और ईसाई यूरोप में संचार और व्यापार लायी, इस तरह सभी तीन सांस्कृतिक क्षेत्रों के क्षितिज का विस्तार हुआ। .

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चीन

---- right चीन विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो एशियाई महाद्वीप के पू‍र्व में स्थित है। चीन की सभ्यता एवं संस्कृति छठी शताब्दी से भी पुरानी है। चीन की लिखित भाषा प्रणाली विश्व की सबसे पुरानी है जो आज तक उपयोग में लायी जा रही है और जो कई आविष्कारों का स्रोत भी है। ब्रिटिश विद्वान और जीव-रसायन शास्त्री जोसफ नीधम ने प्राचीन चीन के चार महान अविष्कार बताये जो हैं:- कागज़, कम्पास, बारूद और मुद्रण। ऐतिहासिक रूप से चीनी संस्कृति का प्रभाव पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों पर रहा है और चीनी धर्म, रिवाज़ और लेखन प्रणाली को इन देशों में अलग-अलग स्तर तक अपनाया गया है। चीन में प्रथम मानवीय उपस्थिति के प्रमाण झोऊ कोऊ दियन गुफा के समीप मिलते हैं और जो होमो इरेक्टस के प्रथम नमूने भी है जिसे हम 'पेकिंग मानव' के नाम से जानते हैं। अनुमान है कि ये इस क्षेत्र में ३,००,००० से ५,००,००० वर्ष पूर्व यहाँ रहते थे और कुछ शोधों से ये महत्वपूर्ण जानकारी भी मिली है कि पेकिंग मानव आग जलाने की और उसे नियंत्रित करने की कला जानते थे। चीन के गृह युद्ध के कारण इसके दो भाग हो गये - (१) जनवादी गणराज्य चीन जो मुख्य चीनी भूभाग पर स्थापित समाजवादी सरकार द्वारा शासित क्षेत्रों को कहते हैं। इसके अन्तर्गत चीन का बहुतायत भाग आता है। (२) चीनी गणराज्य - जो मुख्य भूमि से हटकर ताईवान सहित कुछ अन्य द्वीपों से बना देश है। इसका मुख्यालय ताइवान है। चीन की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है। प्राचीन चीन मानव सभ्यता के सबसे पुरानी शरणस्थलियों में से एक है। वैज्ञानिक कार्बन डेटिंग के अनुसार यहाँ पर मानव २२ लाख से २५ लाख वर्ष पहले आये थे। .

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तोलुइ ख़ान

तोलुइ ख़ान अपनी पत्नी सोरग़ोग़तानी के साथ तोलुइ ख़ान (मंगोल: Тулуй, फ़ारसी:, अंग्रेजी: Tolui;; जन्म: ११९२ ई; देहांत: १२३२ ई) मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज़ ख़ान और उसकी मुख्य पत्नी बोरते का चौथा और सबसे छोटा पुत्र था। अपने पिता की वसीयत में उसे मंगोलिया का क्षेत्र मिला, जो मंगोलों की मातृभूमि थी। चंगेज़ ख़ान की मृत्यु के बाद जब ओगताई ख़ान को अगला सर्वोच्च ख़ान चुनने में थोड़ा विलम्ब हुआ तो उसी काल में तोलुइ ने एक निपुण प्रशासक की भूमिका निभाई। उस से पहले चीन और ईरान पर क़ब्ज़ा करने के चंगेज़ ख़ान के अभियान में उसने एक कुशल सिपहसलार होने का भी प्रमाण दिया। हालांकि तोलुइ ख़ान ने कभी भी सर्वोच्च ख़ान बनने का दावा नहीं किया, उसी के ही दो पुत्रों ने आगे चलकर ईरान के इलख़ानी साम्राज्य और चीन के युआन राजवंश की स्थापना की। उसकी पत्नी सोरग़ोग़तानी को मंगोल इतिहास की सबसे होशियार और सक्षम स्त्री कहा जाता है।, Kathy Sammis, Walch Publishing, 2002, ISBN 978-0-8251-4369-4,...

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मंचूरिया

मंचूरिया (Manchu: Manju, सरलीकृत चीनी: 满洲; पारंपरिक चीनी: 滿洲; Mongolian: Манж) पूर्वी एशिया का एक विशाल क्षेत्र है जिसका विस्तार चीन, कोरिया तथा रूस के इलाकों में है। .

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मंगोल भाषा

मंगोल भाषा बोलने वाले क्षेत्र मंगोल भाषा अलताइक भाषाकुल की तथा योगात्मक बनावट की भाषा है। यह मुख्यत: अनतंत्र मंगोल, भीतरी मंगोल के स्वतंत्र प्रदेश, बुरयात (Buriyad) मंगोल राज्य में बोली जाती है। इन क्षेत्रों के अरिरिक्त इसके बोलनेवाले मंचूरिया, चीन के कुछ क्षेत्र और तिब्बत तथा अफगानिस्तान आदि में भी पाए जाते हैं। अनुमान है कि इन सब क्षेत्रों में मंगोल भाषा बोलनेवालों की संख्या कोई 40 लाख होगी। इन विशाल क्षेत्रों में रहनेवाले मंगोल जाति के सब लोगों के द्वारा स्वीकृत कोई एक आदर्श भाषा नहीं है। परंतु तथाकथित मंगोलिया के अंदर जनतंत्र मंगोल की हलहा (Khalkha) बोली धीरे-धीरे आदर्श भाषा का पद ग्रहण कर रही है। स्वयं मंगोलिया के लोग भी इस हलहा बोली को परिष्कृत बोली मानते हैं और इसी बोली के निकट भविष्य में आदर्श भाषा बनने की संभावना है। प्राचीन काल में मंगोल लिपि में लिखी जानेवाली साहित्यिक मंगोल पढ़े-लिखे लोगों में आदर्श भाषा मानी जाती थी। परंतु अब यह मंगोल लिपि जनतंत्र मंगोलिया द्वारा त्याग दी गई है और इसकी जगह रूसी लिपि से बनाई गई नई मंगोल लिपि स्वीकार की गई है। इस प्रकार अब मंगोल लिपि में लिखी जानेवाली साहित्यिक भाषा कम और नव मंगोल लिपि में लिखी जानेवाली हलहा बोली अधिक मान्य समझी जाने लगी है। .

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मोंगके ख़ान

गद्दी पर विराजमान मोंगके ख़ान से मिलते कुछ फ़रियादी मोंगके ख़ान (मंगोल: Мөнх хаан, मोन्ख़ ख़ान; अंग्रेज़ी: Mongke Khan; १० जनवरी १२०९ – ११ अगस्त १२५९) मंगोल साम्राज्य का चौथा ख़ागान (सबसे बड़ा ख़ान शासक) था। उसने १ जुलाई १२५१ से ११ अगस्त १२५९ में हुई अपनी मृत्यु तक शासन किया। मोंगके ख़ान मंगोल साम्राज्य से संस्थापक चंगेज़ ख़ान का पोता और उसके सबसे छोटे बेटे तोलुइ ख़ान का बेटा था। उसकी माता सोरग़ोग़तानी बेकी (तोलुइ ख़ान की पत्नी) ने उसे और उसके भाइयों को बहुत निपुणता से पाला और परवारिक परिस्थितियों पर ऐसा नियंत्रण रखा कि मोंगके मंगोल साम्राज्य का ख़ागान बन सका। मोंगके के नेतृत्व में मंगोलों ने ईराक और सीरिया पर आक्रमण करके उन्हें अपने राज का हिस्सा बनाया। आधुनिक वियतनाम और (दक्षिणी चीन स्थित) नानझाओ राज्य भी मंगोलों के अधीन लाया गया। मोंग्के की मृत्यु के बाद उसका भाई कुबलई ख़ान साम्राज्य का अगला ख़ागान बना।, Kathy Sammis, Walch Publishing, 2002, ISBN 978-0-8251-4369-4,...

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सोरग़ोग़तानी बेकी

तोलुइ ख़ान अपनी पत्नी सोरग़ोग़तानी के साथ सोरग़ोग़तानी बेकी (मंगोल: Сорхагтани Бэхи, अंग्रेजी: Sorghaghtani Beki;; जन्म: ११९८ ई; देहांत: १२५२ ई) मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज़ ख़ान की बहु और उसके चौथे और सबे छोटे पुत्र तोलुइ ख़ान की पत्नी थी। उसे मंगोल इतिहास की सबसे होशियार और सक्षम स्त्री माना जाता है। उसने अपने चारों बेटों - मोंगके ख़ान, हलाकु ख़ान, आरिक़ बोके और कुबलाई ख़ान - को कुशलता से अपने दादा के साम्राज्य की बागडोर संभाल लेने के लिए पाला और उनमें नेतृत्व का गुण पैदा किया। परिवार और साम्राज्य की परिस्थितियाँ समझते हुए उसने अपने बेटों के लिए अनुकूल स्थिति भी बनाई। मंगोल साम्राज्य के जारी रहने और पनपने से पूरे यूरेशिया में व्यापार और विचारों की अदला-बदली के मार्ग खुलने का बहुत श्रेय उसको दिया जाता है। बहुत से इतिहासकार उसे विश्व इतिहास की सब से प्रभावशाली स्त्रियों में से एक भी समझते हैं।, Kathy Sammis, Walch Publishing, 2002, ISBN 978-0-8251-4369-4,...

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हलाकु ख़ान

इलख़ानी साम्राज्य का संस्थापक हलाकु ख़ान अपनी पत्नी दोक़ुज़ ख़ातून के साथ सन् १२५८ में हलाकु की फ़ौज बग़दाद को घेरे हुए हलाकु द्वारा ज़र्ब किया गया ख़रगोश के चिह्न वाला सिक्का हलाकु ख़ान या हुलेगु ख़ान (मंगोल: Хүлэг хаан, ख़ुलेगु ख़ान; फ़ारसी:, हूलाकू ख़ान; अंग्रेजी: Hülegü Khan;; जन्म: १२१७ ई अनुमानित; देहांत: ८ फ़रवरी १२६५ ई) एक मंगोल ख़ान (शासक) था जिसने ईरान समेत दक्षिण-पश्चिमी एशिया के अन्य बड़े हिस्सों पर विजय करके वहाँ इलख़ानी साम्राज्य स्थापित किया। यह साम्राज्य मंगोल साम्राज्य का एक भाग था। हलाकु ख़ान के नेतृत्व में मंगोलों ने इस्लाम के सबसे शक्तिशाली केंद्र बग़दाद को तबाह कर दिया। ईरान पर अरब क़ब्ज़ा इस्लाम के उभरने के लगभग फ़ौरन बाद हो चुका था और तबसे वहाँ के सभी विद्वान अरबी भाषा में ही लिखा करते थे। बग़दाद की ताक़त नष्ट होने से ईरान में फ़ारसी भाषा फिर पनपने लगी और उस काल के बाद ईरानी विद्वान और इतिहासकार फ़ारसी में ही लिखा करते थे।, Craig A. Lockard, Cengage Learning, 2010, ISBN 978-1-4390-8535-6,...

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ख़ान (उपाधि)

ओगदाई ख़ान, चंग़ेज़ ख़ान का तीसरा पुत्र ख़ान या ख़ाँ (मंगोल: хан, फ़ारसी:, तुर्की: Kağan) मूल रूप से एक अल्ताई उपाधि है तो शासकों और अत्यंत शक्तिशाली सिपहसालारों को दी जाती थी। यह समय के साथ तुर्की-मंगोल क़बीलों द्वारा पूरे मध्य एशिया में इस्तेमाल होने लगी। जब इस क्षेत्र के सैन्य बलों ने भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, अफ़्ग़ानिस्तान और अन्य क्षेत्रों पर क़ब्ज़ा कर के अपने साम्राज्य बनाने शुरू किये तो इसका प्रयोग इन क्षेत्रों की कई भाषाओँ में आ गया, जैसे कि हिन्दी-उर्दू, फ़ारसी, पश्तो, इत्यादि। इसका एक और रूप 'ख़ागान' है जिसका अर्थ है 'ख़ानों का ख़ान' या 'ख़ान-ए-ख़ाना', जो भारत में कभी प्रचलित नहीं हुआ। इसके बराबरी की स्त्रियों की उपाधियाँ ख़ानम और ख़ातून हैं।, Elena Vladimirovna Boĭkova, R. B. Rybakov, Otto Harrassowitz Verlag, 2006, ISBN 978-3-447-05416-4 .

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ख़ागान

कुबलई ख़ान मंगोल साम्राज्य का पाँचवा ख़ागान (सर्वोच्च ख़ान) था ख़ागान या ख़ाक़ान (मंगोल: хаган, फ़ारसी) मंगोलियाई और तुर्की भाषाओँ में 'सम्राट' के बराबर की एक शाही उपाधि थी। इसी तरह ख़ागानत इन्ही भाषाओँ में 'साम्राज्य' के लिए शब्द था। ख़ागान को कभी-कभी 'ख़ानों का ख़ान' या 'ख़ान-ए-ख़ाना' भी अनुवादित किया जाता है, जो 'महाराजाधिराज' (यानि 'राजाओं का राजा') या 'शहनशाह' (यानि 'शाहों का शाह') के बराबर है। जब मंगोल साम्राज्य विस्तृत हो गया था तो उसके भिन्न हिस्सों को अलग-अलग ख़ानों के सुपुर्द कर दिया था। इन सब ख़ानों से ऊपर के 'सर्वोच्च ख़ान' को 'ख़ागान' कहा जाता था।, Donald Ostrowski, Cambridge University Press, 2002, ISBN 978-0-521-89410-4,...

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गृहयुद्ध

स्पेनी गृहयुद्ध के दौरान दो सैनिक अपने ज़ख़्मी साथी को ले जाते हुए श्रीलंका के गृहयुद्ध के दौरान कुछ लोग जो अपने घर या सम्बन्धी खो बैठे गृहयुद्ध एक ही राष्ट्र के अन्दर संगठित गुटों के बीच में होने वाले युद्ध को कहते हैं। कभी-कभी गृह युद्ध ऐसे भी दो देशों के युद्ध को कहा जाता है जो कभी एक ही देश के भाग रहे हों। गृहयुद्ध में लड़ने वाले गिरोहों के ध्येय भिन्न प्रकार के होते हैं। कुछ पूरे देश पर नियंत्रण पाकर अपनी मनचाही व्यवस्था लागू करना चाहते हैं, कुछ देश की सरकारी नीतियाँ बदलना चाहते हैं और कुछ देश को विभाजित करके अपने क्षेत्र को स्वतन्त्र बनाना चाहते हैं। गृहयुद्धों अक्सर बहुत घातक होते हैं - लाखों मर सकते हैं, करोड़ों बेघर हो सकते हैं, देश में दशकों तक चलने वाली भयंकर ग़रीबी और भुखमरी फैल सकती है और देश का उद्योग लम्बे अरसे के लिए चौपट हो सकता है। बर्मा, अंगोला और अफ़्ग़ानिस्तान ऐसे देश हैं जिनका भविष्य कभी बहुत उज्वल माना जाता था लेकिन गृहयुद्ध की चपेट में आने से यह दुनिया के सबसे पिछड़े और असुरक्षित देशों में गिने जाने लगे। गृहयुद्धों के दौरान अक्सर विदेशी ताक़तें भी देश को कमज़ोर पाकर उसमें हस्तक्षेप करने लगती हैं, जैसा की १९७५-१९९० तक चलने वाले लेबनान के गृहयुद्ध में हुआ।, Marie Olson Lounsbery, Frederic Pearson, University of Toronto Press, 2009, ISBN 978-0-8020-9672-2 .

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कुबलई ख़ान

कुबलई ख़ान कुबलई ख़ान या 'खुबिलाई ख़ान' (मंगोल: Хубилай хаан; चीनी: 忽必烈; २३ सितम्बर १२१५ – १८ फ़रवरी १२९४) मंगोल साम्राज्य का पाँचवा ख़ागान (सबसे बड़ा ख़ान शासक) था। उसने १२६० से १२९४ तक शासन किया। वह पूर्वी एशिया में युआन वंश का संस्थापक था। उसका राज्य प्रशान्त महासागर से लेकर यूराल तक और साइबेरिया से वर्तमान अफगानिस्तान तक फैला हुआ था जो विश्व के रहने योग्य क्षेत्रफल का २० प्रतिशत है। कुबलई ख़ान मंगोल साम्राज्य से संस्थापक चंगेज़ ख़ान का पोता और उसके सबसे छोटे बेटे तोलुइ ख़ान का बेटा था। उसकी माता सोरग़ोग़तानी बेकी (तोलुइ ख़ान की पत्नी) ने उसे और उसके भाइयों को बहुत निपुणता से पाला और परवारिक परिस्थितियों पर ऐसा नियंत्रण रखा कि कुबलई मंगोल साम्राज्य के एक बड़े भू-भाग का शासक बन सका।, Kathy Sammis, Walch Publishing, 2002, ISBN 978-0-8251-4369-4,...

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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