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आयनी आबन्ध

सूची आयनी आबन्ध

आयनी आबंध (Ionic bonding) एक प्रकार का रासायनिक आबंध है जिसमें दो विपरीत आवेशित आयन बनते हैं और वे स्थितवैद्युत बल द्वारा एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं। इसे विद्युत संयोजी आबंध (electrovalent bond) भी कहते हैं। यह एक शक्तिमान स्वभाव का रासायनिक बंध होता है।; उदाहरण: NaCl अणु का बनना NaCl का (परमाणु क्र. 11), इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,8,1 है। अतः वह 1 इलेेेेक्ट्रॉन त्याग कर .

4 संबंधों: रासायनिक आबंध, आयन, कूलॉम-नियम, अंतराअणुक बल

रासायनिक आबंध

यह '''लेविस डॉट चित्र''' है जो कि रासायनिक आबंध दर्शाने में मददगार है किसी अणु में दो या दो से अधिक परमाणु जिस बल के द्वारा एक दूसरे से बंधे होते हैं उसे रासायनिक आबन्ध (केमिकल बॉण्ड) कहते हैं। ये आबन्ध रासायनिक संयोग के बाद बनते हैं तथा परमाणु अपने से सबसे पास वाली निष्क्रिय गैस का इलेक्ट्रान विन्यास प्राप्त कर लेते हैं। दूसरे शब्दों में, रासायनिक आबन्ध वह परिघटना है जिसमें दो या दो से अधिक अणु या परमाणु एक दूसरे से आकर्षित होकर और जुड़कर एक नया अणु या आयन बनाते हैं (एक विशेष प्रकार के बन्धन 'धात्विक बन्धन' में यह प्रक्रिया भिन्न होती है)। यह प्रक्रिया सूक्ष्म स्तर पर होती है, लेकिन इसके परिणाम का स्थूल रूप में अवलोकन किया जा सकता है, क्योंकि यही प्रक्रिया अनेकानेक अणुओं और परमाणुओं के साथ होती है। गैस में ये नये अणु स्वतन्त्र रूप से मौजू़द रहते हैं, द्रव में अणु या आयन ढीले तौर पर जुडे रहते हैं और ठोस में ये एक आवर्ती (दुहराव वाले) ढाँचे में एक दूसरे से स्थिरता से जुड़े रहते हैं। .

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आयन

आयन (ion) ऐसे परमाणु या अणु है जिसमें इलेक्ट्रानों और प्रोटोनों की संख्या असामान होती है। इस से आयन में विद्युत आवेश (चार्ज) होता है। अगर इलेक्ट्रॉन की तादाद प्रोटोन से अधिक हो तो आयन में ऋणात्मक (नेगेटिव) आवेश होता है और उसे ऋणायन (anion, ऐनायन) भी कहते हैं। इसके विपरीत अगर इलेक्ट्रॉन की तादाद प्रोटोन से कम हो तो आयन में धनात्मक (पोज़िटिव) आवेश होता है और उसे धनायन (cation, कैटायन) भी कहते हैं। .

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कूलॉम-नियम

कूलॉम्ब के नियम की मूल संकल्पना को समझाने वाला चित्र कूलॉम-नियम (Coulomb's law) विद्युत आवेशों के बीच लगने वाले स्थिरविद्युत बल के बारे में एक नियम है जिसे कूलम्ब नामक फ्रांसीसी वैज्ञानिक ने १७८० के दशक में प्रतिपादित किया था। यह नियम विद्युतचुम्बकत्व के सिद्धान्त के विकास के लिये आधार का काम किया। यह नियम अदिश रूप में या सदिश रूप में व्यक्त किया जा सकता है। अदिश रूप में यह नियम निम्नलिखित रूप में है- .

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अंतराअणुक बल

पड़ोसी कणों (परमाणु, अणु या ऑयन) के बीच लगने वाले बलों (आकर्षण या प्रतिकर्षण) को अंतराअणुक बल (Intermolecular forces) कहते हैं जबकि एक ही अणु के परमाणुओं के बीच लगने वाले बल को अन्तःअणुक बल (Intra-molecular force) कहते हैं। अन्तःअणुक बल की तुलना में अंतराअणुक बल काफी कमजोर होते हैं। उदाहरण के लिये, दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रान शेयर करने वाला सहसंयोजी आबंध (covalent bond) दो पड़ोसी अणुओं के मध्य लगने वाले बल से बहुत अधिक होता है। कुछ अंतराअणुक बल नीचे दिये गये हैं (बल के बढ़्ते हुए क्रम में).

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

आयनिक आबन्ध, आयनिक आबंध, आयनिक अंतर्क्रिया, आयोनिक बंध

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