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आय का परिपत्र प्रवाह

सूची आय का परिपत्र प्रवाह

आय का परिपत्र प्रवाह अर्थशास्त्र का एक मॉडल है। यह मॉडल अर्थव्यवस्था के प्रमुख बाजारों मे होने वाले लेन-देन को आर्थिक एजेंटों के बीच के पैसे एव्ं माल और सेवाओं के प्रवाह के रूप में दार्शाता है। एक क्लोज सर्किट में पैसे और माल के आदान-प्रदान का प्रवाह दिखाया जाता है जिसमे यह दो आर्थिक चरो का प्रवाह विपरीत दिशा में चलता हैं। परिपत्र प्रवाह विश्लेषण राष्ट्रीय खातों की, और इसलिए, मैक्रोइकॉनॉमिक्स का आधार है। परिपत्र प्रवाह का विचार पहले से ही रिचर्ड कैंटिलोन के कर्यो में मौजुद थे। फ़्राँस्वा क्युसने ने यह मॉडल विकसित किया जिसकी झांकी "économique" में मौजूद था। कार्ल मार्क्स के "प्रजनन योजनाओं" के दुसरे भाग मे क्युसने के विचारो को और विक्सित रूप में बताया गया है। इसके अभिन्न भाग है - राजनीतिक अर्थव्यवस्था की आलोचना, जॉन मेनार्ड कीन्स की "जनरल थ्योरी", ब्याज और पैसा, आदि। .

29 संबंधों: दास कैपिटल, निर्यात, निवेश, बचत, ब्याज, मजदूरी, राजनीति, राज्य, समष्टि अर्थशास्त्र, सकल राष्ट्रीय आय, सॉफ्टवेयर, जॉन मेनार्ड कीन्स, विकास, व्यापार, व्यवसाय, वेतन, आय, आयात, कार्ल मार्क्स, किराया, कृषि, अनुसंधान, अर्थशास्त्र, अर्थशास्त्री, अर्थव्यवस्था, अवधारणा, उत्पादन, उपभोग, उपकरण

दास कैपिटल

दास कैपिटल (Das Kapital; अर्थ - पूँजी) एक पुस्तक है जिसकी रचना कार्ल मार्क्स ने 1867 ई. में की थी। इसमें पूँजी एवं पूँजीवाद का विश्लेषण है तथा मजदूरवर्ग को शोषण से मुक्त करने के उपाय बताये गए हैं। इस पुस्तक के द्वारा एक सर्वथा नवीन विचारधारा प्रवाहित हुई जिसने संपूर्ण प्राचीन मान्यताओं को झकझोर कर हिला दिया। इस पुस्तक के प्रकाशित होने के कुछ ही वर्षों के बाद रूस में साम्यवादी क्रांति हुई। .

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निर्यात

किसी भी तरह के उत्पादों या सेवओं को बाहर के किसी देश को बेंचनें निर्यात को कहते है। आयात का उल्टा होता है आयात। श्रेणी:अर्थशास्त्र.

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निवेश

निवेश या विनियोग (investment) का सामान्य आशय ऐसे व्ययों से है जो उत्पादन क्षमता में वृद्धि लायें। यह तात्कालिक उपभोग व्यय या ऐसे व्ययों संबंधित नहीं है जो उत्पादन के दौरान समाप्त हो जाए। निवेश शब्द का कई मिलते जुलते अर्थों में अर्थशास्त्र, वित्त तथा व्यापार-प्रबन्धन आदि क्षेत्रों में प्रयोग किया जाता है। यह पद बचत करने और उपभोग में कटौती या देरी के संदर्भ में प्रयुक्त होता है। निवेश के उदाहरण हैं- किसी बैंक में पूंजी जमा करना, या परिसंपत्ति खरीदने जैसे कार्य जो भविष्य में लाभ पाने की दृष्टि से किये जाते हैं। सामान्यतः इसे किसी वर्ष में पूँजी स्टॉक में होने वाली वृद्धि के रूप में परिभाषित करते हैं। संचित निवेश या विनियोग ही पूँजी है। .

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बचत

सामान्य अर्थों में बचत का अर्थ धन को संरक्षित करने यथा- बैंक में रखने, पेंशन फंड में निवेश करने इत्यादि से लगाया जाता है। लेकिन व्यापक अर्थ में 'बचत' शब्द खर्च घटाने, संसाधन बचाने जैसी आर्थिक गतिविधियों के लिए प्रयुक्त होता है। अर्थशास्त्र.

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ब्याज

ब्याज एक ऐसा शुल्क है जो उधार ली गयी संपत्ति (ऋण) के लिए किया जाता है। यह उधार लिए गए पैसे के लिए अदा की गयी कीमत है, या, जमा धन से अर्जित किया गया पैसा है। जिन संपत्तियों को ब्याज के साथ उधार दिया जाता है उनमें शामिल हैं धन, शेयर, किराए पर खरीद द्वारा उपभोक्ता वस्तुएं, प्रमुख संपत्तियां जैसे विमान और कभी-कभी वित्त पट्टा व्यवस्था पर दिया गया पूरा कारखाना.

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मजदूरी

किसी व्यक्ति द्वारा कुछ काम करने के बदले, काम कराने वाला व्यक्ति उसे जो कुछ (रुपया-पैसा, अनाज, या श्रम) देता है उसे मजदूरी या मजूरी कहते हैं। मजदूरी की गणना प्रति दिन, प्रति घण्टा, या प्रति काम के अनुसार की जाती है (जैसा पहले से तय होता है।)। .

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राजनीति

नागरिक स्तर पर या व्यक्तिगत स्तर पर कोई विशेष प्रकार का सिद्धान्त एवं व्यवहार राजनीति (पॉलिटिक्स) कहलाती है। अधिक संकीर्ण रूप से कहें तो शासन में पद प्राप्त करना तथा सरकारी पद का उपयोग करना राजनीति है। राजनीति में बहुत से रास्ते अपनाये जाते हैं जैसे- राजनीतिक विचारों को आगे बढ़ाना, कानून बनाना, विरोधियों के विरुद्ध युद्ध आदि शक्तियों का प्रयोग करना। राजनीति बहुत से स्तरों पर हो सकती है- गाँव की परम्परागत राजनीति से लेकर, स्थानीय सरकार, सम्प्रभुत्वपूर्ण राज्य या अन्तराष्ट्रीय स्तर पर। .

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राज्य

विश्व के वर्तमान राज्य (विश्व राजनीतिक) पूँजीवादी राज्य व्यवस्था का पिरामिड राज्य उस संगठित इकाई को कहते हैं जो एक शासन (सरकार) के अधीन हो। राज्य संप्रभुतासम्पन्न हो सकते हैं। इसके अलावा किसी शासकीय इकाई या उसके किसी प्रभाग को भी 'राज्य' कहते हैं, जैसे भारत के प्रदेशों को भी 'राज्य' कहते हैं। राज्य आधुनिक विश्व की अनिवार्य सच्चाई है। दुनिया के अधिकांश लोग किसी-न-किसी राज्य के नागरिक हैं। जो लोग किसी राज्य के नागरिक नहीं हैं, उनके लिए वर्तमान विश्व व्यवस्था में अपना अस्तित्व बचाये रखना काफ़ी कठिन है। वास्तव में, 'राज्य' शब्द का उपयोग तीन अलग-अलग तरीके से किया जा सकता है। पहला, इसे एक ऐतिहासिक सत्ता माना जा सकता है; दूसरा इसे एक दार्शनिक विचार अर्थात् मानवीय समाज के स्थाई रूप के तौर पर देखा जा सकता है; और तीसरा, इसे एक आधुनिक परिघटना के रूप में देखा जा सकता है। यह आवश्यक नहीं है कि इन सभी अर्थों का एक-दूसरे से टकराव ही हो। असल में, इनके बीच का अंतर सावधानी से समझने की आवश्यकता है। वैचारिक स्तर पर राज्य को मार्क्सवाद, नारीवाद और अराजकतावाद आदि से चुनौती मिली है। लेकिन अभी राज्य से परे किसी अन्य मज़बूत इकाई की खोज नहीं हो पायी है। राज्य अभी भी प्रासंगिक है और दिनों-दिन मज़बूत होता जा रहा है। यूरोपीय चिंतन में राज्य के चार अंग बताये जाते हैं - निश्चित भूभाग, जनसँख्या, सरकार और संप्रभुता। भारतीय राजनीतिक चिन्तन में 'राज्य' के सात अंग गिनाये जाते हैं- राजा या स्वामी, मंत्री या अमात्य, सुहृद, देश, कोष, दुर्ग और सेना। (राज्य की भारतीय अवधारण देखें।) कौटिल्य ने राज्य के सात अंग बताये हैं और ये उनका "सप्तांग सिद्धांत " कहलाता है - राजा, आमात्य या मंत्री, पुर या दुर्ग, कोष, दण्ड, मित्र । .

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समष्टि अर्थशास्त्र

समष्टि अर्थशास्त्र में चक्रण (सर्कुलेशन) समष्टि अर्थशास्त्र (मैक्रो इकनॉमिक्स) आर्थिक विश्लेषण की वह शाखा है जिसमें समुच्चय का विश्लेषण सम्पूर्ण अर्थशास्त्र के सन्दर्भ में किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र में समस्त आर्थिक क्रियाओं का संपूर्ण रूप से अध्ययन किया जाता है। राष्ट्रीय आय, उत्पादन, रोजगार/बेरोजगारी, व्यापार चक्र, सामान्य कीमत स्तर, मुद्रा संकुचन, आर्थिक विकास, अंतरराष्ट्रीय व्यापार, आदि इसकी आर्थिक क्रियाएँ हैं जिनका विश्लेषण इसके अंतर्गत किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र, विश्लेषण प्रकृति में योगात्मक है। यह एक व्यक्तिगत इकाई के रूप में राष्ट्र के व्यवहार का अध्ययन करता है। सबसे महत्वपूर्ण मैक्रोइकॉनॉमिक्स चर हैं राष्ट्रीय आय, राष्ट्रीय निवेशमुद्रा की क्रय शक्ति में बदल, मुद्रास्फीति और संकुचन, अर्थव्यवस्था में रोजगार का स्तर, बजटीय सरकार की नीति और देश के भुगतान संतुलन और विदेशी मुद्रा। मैक्रोइकॉनॉमिक्स अर्थव्यवस्था एक पूरे रूप में संचालन का विश्लेषण करती है। यह अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन में सुधार करने के लिए नीतियों की सिफारिश करती है। .

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सकल राष्ट्रीय आय

किसी देश की उत्पादन व्यवस्था से अंतिम उपभोक्ता के हाथों में जाने वाली वस्तुओं या देश के पूँजीगत साधनों के विशुद्ध जोड़ को ही राष्ट्रीय आय कहते हैं। किसी देश के नागरिकों का सकल घरेलू एवं विदेशी आउटपुट सकल राष्ट्रीय आय (gross national income (GNI)) कहलाता है। श्रेणी:राष्ट्रीय लेखे.

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सॉफ्टवेयर

कंप्यूटर विज्ञान में एक सॉफ्टवेयर सार्थक क्रमादेशों और ज़रूरी सूचनाओं का एक ऐसा तंत्र है जो कंप्यूटर के यन्त्रांश और दूसरे सॉफ्टवेयरों को आदेश देकर क्रमादेशक का मनचाहा काम करता है। व्यावहारिक तौर पर अगर कंप्यूटर को परिभाषित किया जाये तो हम हार्डवेयर को मनुष्य का शरीर और सॉफ्टवेर को उसकी आत्मा कह सकते हैं। हार्डवेयर कंप्यूटर के हिस्सों को कहते हैं, जिन्हें हम अपनी आँखों से देख सकते हैं, छू सकते हैं अथवा औजारों से उनपर कार्य कर सकते हैं। यह वास्तविक पदार्थ है। इसके विपरीत सॉफ्टवेयर कोई पदार्थ नहीं है। ये वे सूचनाएं, आदेश अथवा तरीके हैं जिनके आधार पर कंप्यूटर का हार्डवेयर कार्य करता है। कंप्यूटर हार्डवेयर सॉफ्टवेयर से परिचित होते हैं अथवा सॉफ्टवेयर कंप्यूटर के हार्डवेयर से परिचित एवं उनपर आधारित होते हैं। .

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जॉन मेनार्ड कीन्स

जोन मेनार्ड केन्स मार्शल के शिष्य जान मेनार्ड कीन्स (1883) का 'रोजगार, ब्याज एवं मुद्रा का सामान्य सिद्धांत' (सन्‌ 1936) नामक ग्रंथ अर्थशास्त्र की विशेष महत्वपूर्ण पुस्तक है। वास्तव में इस ग्रंथ ने पाश्चात्य अर्थशास्त्रियों की विचारधारा को आमूल परिवर्तित कर दिया है। इसी पर हेराड डोमर का सुप्रसिद्ध विकास माडल, लियोंतिफ का इन-पुट आउटपुट माडल आदि कई महत्वपूर्ण सिद्धांत उद्भूत हुए हैं। प्रो॰ सैम्युलसन मानते हैं कि कोई भी व्यक्ति या अर्थशास्त्री एक बार कीन्स के विश्लेषण से प्रभावित होने के बाद पुरानी विचारधाराओं की ओर नहीं लौटा। कीन्स के प्रभाव के कारण ही उनके पूर्ववर्ती आलोचक भी उनके समर्थक हो गए। वे बहुत स्पष्टवादी रहे और इसी कारण उनके आर्थिक विचार सुलझे हुए हैं। उन्होंने व्यावहारिक क्षेत्र में भी यथेष्ट योगदान दिया था। अमेरिका की न्यू डील, अंतराष्ट्रीय मुद्राकोष तथा अंतराष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (विश्व बैंक) आदि की स्थापना में उनका सक्रिय योगदान रहा है। कीन्स व्यष्टि अर्थशास्त्र के जन्मदाता रहे हैं। इसी हेतु उनका ग्रंथ 'सामान्य सिद्धांत' इतना लोकप्रिय हुआ। वैसे भी इस ग्रंथ में उन्होंने व्यापक आर्थिक विश्लेषण को स्पष्ट किया। उन्होंने अर्थशास्त्र को कुल आय तथा प्रभावी मांग का सिद्धांत दिया। उनके अनुसार रोजगार प्रभावी माँग पर निर्भर करता है। प्रभावी माँग स्वयं उपयोग तथा विनियोग पर निर्भर करती है। उपभोग का निर्धारण आय के आकार और समाज की उपभोग प्रवृत्ति के अनुसार होता है। अत: यदि रोजगार बढ़ाना है तो उपभोग तथा विनियोग दोनों में वृद्धि करना चाहिए। कीन्स ने मार्शल, पीगू, फिशर द्वारा दी गई आय की स्थैतिक परिभाषाओं में से किसी को भी स्वीकार नहीं किया क्योंकि कीन्स कें अनुसार वे उन तत्वों पर कोई प्रकाश नहीं डालतीं जो किसी विशेष समय में अर्थव्यवस्था में रोजगार और आय के स्तर को निर्धारित करते हैं। कीन्स ने सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय की परिभाषा इस प्रकार दी जिससे उसे समाज में रोजगार का निर्धारण करने में सहायता मिले। मार्शल के मूल्य सिद्धांत का आधार जिस प्रकार 'कीमत' है, वैसे ही कीन्स के रोजगार सिद्धांत का आधार 'आय' है। उनके अनुसार 'कुल आय.

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विकास

विकास नाम से कई लेख हैं:-.

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व्यापार

उनीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में पुणे के शनिवार पेठ का दृष्य व्यापार (Trade) का अर्थ है क्रय और विक्रय। दूसरे शब्दों में, एक व्यक्ति (या संस्था) से दूसरे व्यक्ति (या संस्था) को सामानों का स्वामित्व अन्तरण ही व्यापार कहलाता है। स्वामित्व का अन्तरण सामान, सेवा या मुद्रा के बदले किया जाता है। जिस नेटवर्क (संरचना) में व्यापार किया जाता है उसे 'बाजार' कहते हैं। आरम्भ में व्यापार एक सामान के बदले दूसरा सामान लेकर (वस्तु-विनिमय या बार्टर) किया जाता था। बाद में अधिकांश वस्तुओं के बदले धातुएँ, मूल्यवान धातुएँ, सिक्के, हुण्डी (bill) अथवा पत्र-मुद्रा से हुईँ। आजकल अधिकांश क्रय-विक्रय मुद्रा (मनी) द्वारा होता है। मुद्रा के आविष्कार (तथा बाद में क्रेडिट, पत्र-मुद्रा, अभौतिक मुद्रा आदि) से व्यापार में बहुत सरलता और सुविधा आ गयी। .

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व्यवसाय

व्यवसाय (Business) विधिक रूप से मान्य संस्था है जो उपभोक्ताओं को कोई उत्पाद या सेवा प्रदान करने के लक्ष्य से निर्मित की जाती है। व्यवसाय को 'कम्पनी', 'इंटरप्राइज' या 'फर्म' भी कहते हैं। पूँजीवादी अर्थव्यवस्थाओं में व्यापार का प्रमुख स्थान है जो अधिकांशत: निजी हाथों में होते हैं और लाभ कमाने के ध्येय से काम करते हैं तथा साथ-साथ स्वयं व्यापार की भी वृद्धि करते हैं। किन्तु सहकारी संस्थाएँ तथा सरकार द्वारा चलायी जानी वाली संस्थाएं प्राय: लाभ के बजाय अन्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिये बनायी गयी होती हैं। हम व्यावसायिक वातावरण में रहते हैं। यह समाज का एक अनिवार्य अंग है। यह व्यावसायिक क्रियाओं के विस्तृत नेटवर्क के माध्यम से विभिन्न प्रकार की वस्तुएं तथा सेवाएं उपलब्ध कराकर हमारी आश्यकताओं की पूर्ति करता है। अन्य शब्द - व्यापार, व्यवसाय-प्रतिष्‍ठान, फर्म, धंधा, व्यवसाय, कारबार, कारोबार, काम-काज, काम-धंधा, उद्यम .

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वेतन

वेतन किसी नियोक्ता से किसी कर्मचारी को मिलने वाले आवधिक भुगतान का एक स्वरूप है जो एक नियोजन संबंधी अनुबंध में निर्देशित किया गया हो सकता है। यह टुकड़ों में मिलने वाली मजदूरी के विपरीत है जहाँ आवधिक आधार पर भुगतान किये जाने की बजाय प्रत्येक काम, घंटे या अन्य इकाई का अलग-अलग भुगतान किया जाता है। एक कारोबार के दृष्टिकोण से वेतन को अपनी गतिविधियाँ संचालित करने के लिए मानव संसाधनों की प्राप्ति की लागत के रूप में भी देखा जा सकता है और उसके बाद इसे कार्मिक खर्च या वेतन खर्च का नाम दिया जा सकता है। लेखांकन में वेतनों को भुगतान संबंधी (पेरोल) खातों में दर्ज किया जाता है। .

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आय

आय एक खपत और बचत है जिसको अवसर निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर प्राप्त किया जाता है जो आम तौर पर मौद्रिक संदर्भ में व्यक्त किया जाता है। सभी मजदूरी, वेतन, लाभ, भुगतान, किराए आदि आय घर-परिवार, देश को चलाने में जिसका प्रयोग होता है। व्यापार आदि में इसका महत्व है, धन का निवेशकर आर्जित संपति जिसमें लाभ कमाया जाता है उसको आय कहा जाता है। .

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आयात

किसी भी तरह के उत्पादों या सेवओं को बाहर के किसी देश से खरीदने को आयात कहते हैं। आयात का उल्टा होता है निर्यात। श्रेणी:अर्थशास्त्र.

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कार्ल मार्क्स

कार्ल हेनरिख मार्क्स (1818 - 1883) जर्मन दार्शनिक, अर्थशास्त्री और वैज्ञानिक समाजवाद का प्रणेता थे। इनका जन्म 5 मई 1818 को त्रेवेस (प्रशा) के एक यहूदी परिवार में हुआ। 1824 में इनके परिवार ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया। 17 वर्ष की अवस्था में मार्क्स ने कानून का अध्ययन करने के लिए बॉन विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। तत्पश्चात्‌ उन्होंने बर्लिन और जेना विश्वविद्यालयों में साहित्य, इतिहास और दर्शन का अध्ययन किया। इसी काल में वह हीगेल के दर्शन से बहुत प्रभावित हुए। 1839-41 में उन्होंने दिमॉक्रितस और एपीक्यूरस के प्राकृतिक दर्शन पर शोध-प्रबंध लिखकर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। शिक्षा समाप्त करने के पश्चात्‌ 1842 में मार्क्स उसी वर्ष कोलोन से प्रकाशित 'राइनिशे जीतुंग' पत्र में पहले लेखक और तत्पश्चात्‌ संपादक के रूप में सम्मिलित हुआ किंतु सर्वहारा क्रांति के विचारों के प्रतिपादन और प्रसार करने के कारण 15 महीने बाद ही 1843 में उस पत्र का प्रकाशन बंद करवा दिया गया। मार्क्स पेरिस चला गया, वहाँ उसने 'द्यूस फ्रांजोसिश' जारबूशर पत्र में हीगेल के नैतिक दर्शन पर अनेक लेख लिखे। 1845 में वह फ्रांस से निष्कासित होकर ब्रूसेल्स चला गया और वहीं उसने जर्मनी के मजदूर सगंठन और 'कम्युनिस्ट लीग' के निर्माण में सक्रिय योग दिया। 1847 में एजेंल्स के साथ 'अंतराष्ट्रीय समाजवाद' का प्रथम घोषणापत्र (कम्युनिस्ट मॉनिफेस्टो) प्रकाशित किया 1848 में मार्क्स ने पुन: कोलोन में 'नेवे राइनिशे जीतुंग' का संपादन प्रारंभ किया और उसके माध्यम से जर्मनी को समाजवादी क्रांति का संदेश देना आरंभ किया। 1849 में इसी अपराघ में वह प्रशा से निष्कासित हुआ। वह पेरिस होते हुए लंदन चला गया जीवन पर्यंत वहीं रहा। लंदन में सबसे पहले उसने 'कम्युनिस्ट लीग' की स्थापना का प्रयास किया, किंतु उसमें फूट पड़ गई। अंत में मार्क्स को उसे भंग कर देना पड़ा। उसका 'नेवे राइनिश जीतुंग' भी केवल छह अंको में निकल कर बंद हो गया। कोलकाता, भारत 1859 में मार्क्स ने अपने अर्थशास्त्रीय अध्ययन के निष्कर्ष 'जुर क्रिटिक दर पोलिटिशेन एकानामी' नामक पुस्तक में प्रकाशित किये। यह पुस्तक मार्क्स की उस बृहत्तर योजना का एक भाग थी, जो उसने संपुर्ण राजनीतिक अर्थशास्त्र पर लिखने के लिए बनाई थी। किंतु कुछ ही दिनो में उसे लगा कि उपलब्ध साम्रगी उसकी योजना में पूर्ण रूपेण सहायक नहीं हो सकती। अत: उसने अपनी योजना में परिवर्तन करके नए सिरे से लिखना आंरभ किया और उसका प्रथम भाग 1867 में दास कैपिटल (द कैपिटल, हिंदी में पूंजी शीर्षक से प्रगति प्रकाशन मास्‍को से चार भागों में) के नाम से प्रकाशित किया। 'द कैपिटल' के शेष भाग मार्क्स की मृत्यु के बाद एंजेल्स ने संपादित करके प्रकाशित किए। 'वर्गसंघर्ष' का सिद्धांत मार्क्स के 'वैज्ञानिक समाजवाद' का मेरूदंड है। इसका विस्तार करते हुए उसने इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या और बेशी मूल्य (सरप्लस वैल्यू) के सिद्धांत की स्थापनाएँ कीं। मार्क्स के सारे आर्थिक और राजनीतिक निष्कर्ष इन्हीं स्थापनाओं पर आधारित हैं। 1864 में लंदन में 'अंतरराष्ट्रीय मजदूर संघ' की स्थापना में मार्क्स ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संघ की सभी घोषणाएँ, नीतिश् और कार्यक्रम मार्क्स द्वारा ही तैयार किये जाते थे। कोई एक वर्ष तक संघ का कार्य सुचारू रूप से चलता रहा, किंतु बाकुनिन के अराजकतावादी आंदोलन, फ्रांसीसी जर्मन युद्ध और पेरिस कम्यूनों के चलते 'अंतरराष्ट्रीय मजदूर संघ' भंग हो गया। किंतु उसकी प्रवृति और चेतना अनेक देशों में समाजवादी और श्रमिक पार्टियों के अस्तित्व के कारण कायम रही। 'अंतरराष्ट्रीय मजदूर संघ' भंग हो जाने पर मार्क्स ने पुन: लेखनी उठाई। किंतु निरंतर अस्वस्थता के कारण उसके शोधकार्य में अनेक बाधाएँ आईं। मार्च 14, 1883 को मार्क्स के तूफानी जीवन की कहानी समाप्त हो गई। मार्क्स का प्राय: सारा जीवन भयानक आर्थिक संकटों के बीच व्यतीत हुआ। उसकी छह संतानो में तीन कन्याएँ ही जीवित रहीं। .

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किराया

किसी दूसरे स्वामित्व की वस्तु के अल्पावधि उपभोग के लिए जो धनराशि दी जाती है उसे उस वस्तु का किराया (Rent) कहते हैं। दूसरे शब्दों में, किसी के द्वारा कुछ समय के लिए कोई सुविधा या किसी वस्तु का उपभोग करने या किसी कार्य को करवाने के लिए जो धनराशि खर्च की जाती है उसे उस वस्तु का किराया कहतें है। किराए पर दी जाने वाली वस्तु या सुविधाओं के बहुत से उदाहरण व्यवहारिक रूप में है जैसे बहुत से देशों मैं जन सुविधाओं के रूप में रेल, बस, हवाई जहाज और बहुत सी व्यक्तिगत सुविधाए भी उपलब्ध होती है जिसका की हम मूल्य दे कर या किराया दे कर उन सुविधाओं का लाभ उठा सकतें है। लगभग सभी देशों कुछ न कुछ किराए पर जरुर मिलता है किसी भी शहर के बाजार में जा कर बहुत सारी सुविधाओं या वस्तुओं का लाभ लिया जा सकता है। श्रेणी:भुगतान.

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कृषि

कॉफी की खेती कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से संबंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतू जानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कृषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है तथा इसी से संबंधित विषय बागवानी का अध्ययन बागवानी (हॉर्टिकल्चर) में किया जाता है। तकनीकों और विशेषताओं की बहुत सी किस्में कृषि के अन्तर्गत आती है, इसमें वे तरीके शामिल हैं जिनसे पौधे उगाने के लिए उपयुक्त भूमि का विस्तार किया जाता है, इसके लिए पानी के चैनल खोदे जाते हैं और सिंचाई के अन्य रूपों का उपयोग किया जाता है। कृषि योग्य भूमि पर फसलों को उगाना और चारागाहों और रेंजलैंड पर पशुधन को गड़रियों के द्वारा चराया जाना, मुख्यतः कृषि से सम्बंधित रहा है। कृषि के भिन्न रूपों की पहचान करना व उनकी मात्रात्मक वृद्धि, पिछली शताब्दी में विचार के मुख्य मुद्दे बन गए। विकसित दुनिया में यह क्षेत्र जैविक खेती (उदाहरण पर्माकल्चर या कार्बनिक कृषि) से लेकर गहन कृषि (उदाहरण औद्योगिक कृषि) तक फैली है। आधुनिक एग्रोनोमी, पौधों में संकरण, कीटनाशकों और उर्वरकों और तकनीकी सुधारों ने फसलों से होने वाले उत्पादन को तेजी से बढ़ाया है और साथ ही यह व्यापक रूप से पारिस्थितिक क्षति का कारण भी बना है और इसने मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। चयनात्मक प्रजनन और पशुपालन की आधुनिक प्रथाओं जैसे गहन सूअर खेती (और इसी प्रकार के अभ्यासों को मुर्गी पर भी लागू किया जाता है) ने मांस के उत्पादन में वृद्धि की है, लेकिन इससे पशु क्रूरता, प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक) दवाओं के स्वास्थ्य प्रभाव, वृद्धि हॉर्मोन और मांस के औद्योगिक उत्पादन में सामान्य रूप से काम में लिए जाने वाले रसायनों के बारे में मुद्दे सामने आये हैं। प्रमुख कृषि उत्पादों को मोटे तौर पर भोजन, रेशा, ईंधन, कच्चा माल, फार्मास्यूटिकल्स और उद्दीपकों में समूहित किया जा सकता है। साथ ही सजावटी या विदेशी उत्पादों की भी एक श्रेणी है। वर्ष 2000 से पौधों का उपयोग जैविक ईंधन, जैवफार्मास्यूटिकल्स, जैवप्लास्टिक, और फार्मास्यूटिकल्स के उत्पादन में किया जा रहा है। विशेष खाद्यों में शामिल हैं अनाज, सब्जियां, फल और मांस। रेशे में कपास, ऊन, सन, रेशम और सन (फ्लैक्स) शामिल हैं। कच्चे माल में लकड़ी और बाँस शामिल हैं। उद्दीपकों में तम्बाकू, शराब, अफ़ीम, कोकीन और डिजिटेलिस शामिल हैं। पौधों से अन्य उपयोगी पदार्थ भी उत्पन्न होते हैं, जैसे रेजिन। जैव ईंधनों में शामिल हैं मिथेन, जैवभार (बायोमास), इथेनॉल और बायोडीजल। कटे हुए फूल, नर्सरी के पौधे, उष्णकटिबंधीय मछलियाँ और व्यापार के लिए पालतू पक्षी, कुछ सजावटी उत्पाद हैं। 2007 में, दुनिया के लगभग एक तिहाई श्रमिक कृषि क्षेत्र में कार्यरत थे। हालांकि, औद्योगिकीकरण की शुरुआत के बाद से कृषि से सम्बंधित महत्त्व कम हो गया है और 2003 में-इतिहास में पहली बार-सेवा क्षेत्र ने एक आर्थिक क्षेत्र के रूप में कृषि को पछाड़ दिया क्योंकि इसने दुनिया भर में अधिकतम लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया। इस तथ्य के बावजूद कि कृषि दुनिया के आबादी के एक तिहाई से अधिक लोगों की रोजगार उपलब्ध कराती है, कृषि उत्पादन, सकल विश्व उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद का एक समुच्चय) का पांच प्रतिशत से भी कम हिस्सा बनता है। .

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अनुसंधान

जर्मनी का 'सोन' (Sonne) नामक अनुसन्धान-जलयान व्यापक अर्थ में अनुसंधान (Research) किसी भी क्षेत्र में 'ज्ञान की खोज करना' या 'विधिवत गवेषणा' करना होता है। वैज्ञानिक अनुसंधान में वैज्ञानिक विधि का सहारा लेते हुए जिज्ञासा का समाधान करने की कोशिश की जाती है। नवीन वस्तुओं कि खोज और पुराने वस्तुओं एवं सिद्धान्तों का पुन: परीक्षण करना, जिससे की नए तथ्य प्राप्त हो सके, उसे शोध कहते हैं। गुणात्मक तथा मात्रात्मक शोध इसके प्रमुख प्रकारों में से एक है। वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में उच्च शिक्षा की सहज उपलब्धता और उच्च शिक्षा संस्थानों को शोध से अनिवार्य रूप से जोड़ने की नीति ने शोध की महत्ता को बढ़ा दिया है। आज शैक्षिक शोध का क्षेत्र विस्तृत और सघन हुआ है। .

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अर्थशास्त्र

---- विश्व के विभिन्न देशों की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर (सन २०१४) अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है। 'अर्थशास्त्र' शब्द संस्कृत शब्दों अर्थ (धन) और शास्त्र की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - 'धन का अध्ययन'। किसी विषय के संबंध में मनुष्यों के कार्यो के क्रमबद्ध ज्ञान को उस विषय का शास्त्र कहते हैं, इसलिए अर्थशास्त्र में मनुष्यों के अर्थसंबंधी कायों का क्रमबद्ध ज्ञान होना आवश्यक है। अर्थशास्त्र का प्रयोग यह समझने के लिये भी किया जाता है कि अर्थव्यवस्था किस तरह से कार्य करती है और समाज में विभिन्न वर्गों का आर्थिक सम्बन्ध कैसा है। अर्थशास्त्रीय विवेचना का प्रयोग समाज से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे:- अपराध, शिक्षा, परिवार, स्वास्थ्य, कानून, राजनीति, धर्म, सामाजिक संस्थान और युद्ध इत्यदि। प्रो.

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अर्थशास्त्री

अर्थशास्त्र के विद्वान को अर्थशास्त्री कहते हैं। श्रेणी:अर्थशास्त्र श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अर्थव्यवस्था

अर्थव्यवस्था (Economy) उत्पादन, वितरण एवम खपत की एक सामाजिक व्यवस्था है। यह किसी देश या क्षेत्र विशेष में अर्थशास्त्र का गतित चित्र है। यह चित्र किसी विशेष अवधि का होता है। उदाहरण के लिए अगर हम कहते हैं ' समसामयिक भारतीय अर्थव्यवस्था ' तो इसका तात्पर्य होता है। वर्तमान समय में भारत की सभी आर्थिक गतिविधियों का वर्णन। अर्थव्यवस्था अर्थशास्त्र की अवधारणाओं और सिद्धांतों का व्यवहारिक कार्य रूप है। .

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अवधारणा

अवधारणा या संकल्पना भाषा दर्शन का शब्द है जो संज्ञात्मक विज्ञान, तत्त्वमीमांसा एवं मस्तिष्क के दर्शन से सम्बन्धित है। इसे 'अर्थ' की संज्ञात्मक ईकाई; एक अमूर्त विचार या मानसिक प्रतीक के तौर पर समझा जाता है। अवधारणा के अंतर्गत यथार्थ की वस्तुओं तथा परिघटनाओं का संवेदनात्मक सामान्यीकृत बिंब, जो वस्तुओं तथा परिघटनाओं की ज्ञानेंद्रियों पर प्रत्यक्ष संक्रिया के बिना चेतना में बना रहता है तथा पुनर्सृजित होता है। यद्यपि अवधारणा व्यष्टिगत संवेदनात्मक परावर्तन का एक रूप है फिर भी मनुष्य में सामाजिक रूप से निर्मित मूल्यों से उसका अविच्छेद्य संबंध रहता है। अवधारणा भाषा के माध्यम से अभिव्यक्त होती है, उसका सामाजिक महत्व होता है और उसका सदैव बोध किया जाता है। अवधारणा चेतना का आवश्यक तत्व है, क्योंकि वह संकल्पनाओं के वस्तु-अर्थ तथा अर्थ को वस्तुओं के बिम्बों के साथ जोड़ती है और हमारी चेतना को वस्तुओं के संवेदनात्मक बिम्बों को स्वतंत्र रूप से परिचालित करने की संभावना प्रदान करती है। .

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उत्पादन

अर्थशास्त्र में उत्पादन औद्योगिक प्रतिष्ठानों द्वारा वस्तुओं, सामानों या सेवाओं को निर्मित करने की प्रक्रिया को कहते हैं। उत्पादन का उद्देश्य ऐसी वस्तुएँ और सेवाएँ बनाना है जिनकी मनुष्यों को बेहतर जीवन यापन के लिए आवश्यकता होती है। उत्पादन भूमि, पूँजी और श्रम को संयोजित करके किया जाता है इसलिए ये उत्पादन के कारक कहलाते हैं। .

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उपभोग

उपभोग के निम्नलिखित अर्थ हो सकते हैं.

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उपकरण

हथौड़ा उपकरण या औजार (tool) उन युक्तियों को कहते हैं जो किसी कार्य को करने में सुविधा या सरलता या आसानी प्रदान करते हैं। कुछ उपकरण उन कार्यों को भी सम्पादित कर सकते हैं जो उनके बिना सम्भव ही नहीं होता। सरल मशीनें सबसे मौलिक उपकरण कही जा सकती हैं। हथौड़ा एक औजार है; इसी तरह टेलीफोन भी एक औजार है। पहले ऐसी मान्यता थी कि केवल मानव ही उपकरणों का प्रयोग करता है एवं उपकरणों के उपयोग करने के फलस्वरूप ही मानव इतना विकास कर पाया। किन्तु बाद में पता चला कि कुछ चिड़ियां एवं बन्दर आदि भी औजारों का प्रयोग करते हैं। औद्योगिक क्रांति के समय मशीन उपकरणों (Machine tools) के कारण नये औजारों के उत्पादन अचानक बहुत बढ़ गया था। नैनोतकनीकी के समर्थकों का विचार है कि जैसे ही औजार सूक्ष्म (microscopic) हो जायेंगे, ऐसी ही तीव्र वृद्धि पुनः देखने को मिलेगी। कुछ उपकरण .

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