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आंजेलो चेली

सूची आंजेलो चेली

आंजेलो चेली आंजेलो चेली (1857 - 1914), इटली के एक चिकित्सक तथा प्राणीविद् थे। इन्होनें मलेरिया का अध्ययन किया। सेली ने सन् 1878 में रोम के Sapienza University से स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी की तथा स्वास्थ्य विज्ञान के अध्यापक बन गये। 1880 में एत्तोरे मार्चियाफावा के साथ इन्होने, चार्ल्स लुई अल्फोंस लैवेरन के द्वारा खोजे गये एक नये प्रोटोज़ोआ का अध्ययन किया। इस नये प्रोटोज़ोआ का नामकरण दोनो ने मिलकर प्लास्मोडियम किया। उन्होंने मलेरिया के इस परजीवी का वर्षों तक अध्ययन किया। .

9 संबंधों: चार्ल्स लुई अल्फोंस लैवेरन, एत्तोरे मार्चियाफावा, परजीवी, प्रजीवगण, प्लास्मोडियम, मलेरिया, रोम, स्वास्थ्य विज्ञान, इटली

चार्ल्स लुई अल्फोंस लैवेरन

चार्ल्स लुई अल्फोंस लैवेरन चार्ल्स लुई अल्फोंस लैवेरन (जन्म 18 जून 1845 - मृत्यु 18 मई 1922), एक फ्रांसिसि चिकित्सक थे। अल्जीरिया में एक सैन्य चिकित्सालय में कार्य करते हुए, उन्होंने खोज निकाला कि मलेरिया रोग का कारक एक प्रोटोज़ोआ है। यह पहली बार था, कि किसी ने कहा की मलेरिया एक प्रोटोज़ोआ के कारण होता है। बाद के दिनों में उन्होने ट्रिपनोजोम्स तथा स्लिपींग सीकनेस पर भी शोध कीया। उनके इन कार्यों तथा प्रोटोज़ोआ के द्वारा होनें वाले रोगों पर किये गये शोधों के लियें उन्हें 1907 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार दिया गया। श्रेणी:व्यक्तिगत जीवन श्रेणी:चिकित्सक श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता श्रेणी:मलेरिया.

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एत्तोरे मार्चियाफावा

एत्तोरे मार्चियाफावा एत्तोरे मार्चियाफावा (1847, रोम- 1935, रोम), इटली के एक चिकित्सक तथा प्राणीविद् थे जिन्होंने मलेरिया पर शोध कार्य किया। 1880 से 1891, इन 11 वर्षों में इन्होने मलेरिया पर गहन शोध किया। आंजेलो सेली के साथ फ़्रांसीसी सैन्य चिकित्सक चार्ल्स लुई अल्फोंस लैवेरन के द्वारा मलेरिया पीडीतों के रक्त में खोजे गये नये प्रोटोज़ोआ का अध्ययन किये। इस सुक्ष्म जीव का नाम इन्होंने प्लास्मोडियम रखा। सन् 1925 में इन्होंने प्रथम अंतराष्ट्रीय मलेरिया सम्मेलन का आयोजन किया। श्रेणी:वैज्ञानिक श्रेणी:व्यक्तिगत जीवन श्रेणी:मलेरिया.

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परजीवी

परजीवी का मतलब होता है दूसरे जीवो पर आश्रित जीव.

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प्रजीवगण

प्रजीवगण (प्रोटोज़ोआ) एक एककोशिकीय जीव है। इनकी कोशिका प्रोकैरियोटिक प्रकार की होती है। ये साधारण सूक्ष्मदर्शी यंत्र से आसानी से देखे जा सकते हैं। कुछ प्रोटोज़ोआ जन्तुओं या मनुष्य में रोग उत्पन्न करते हैं, उन्हे रोगकारक प्रोटोज़ोआ कहते हैं। श्रेणी:प्रोटोज़ोआ श्रेणी:मलेरिया.

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प्लास्मोडियम

प्लास्मोडियम एक प्रोटोज़ोआ संघ का प्राणी है। प्लास्मोडियम की कुछ जातियों को मलेरिया परजीवी भी कहते हैं क्योंकि ये मनुष्य मे मलेरिया रोग उत्पन्न करती हैं। श्रेणी:प्रोटोज़ोआ श्रेणी:मलेरिया.

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मलेरिया

मलेरिया या दुर्वात एक वाहक-जनित संक्रामक रोग है जो प्रोटोज़ोआ परजीवी द्वारा फैलता है। यह मुख्य रूप से अमेरिका, एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों के उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधी क्षेत्रों में फैला हुआ है। प्रत्येक वर्ष यह ५१.५ करोड़ लोगों को प्रभावित करता है तथा १० से ३० लाख लोगों की मृत्यु का कारण बनता है जिनमें से अधिकतर उप-सहारा अफ्रीका के युवा बच्चे होते हैं। मलेरिया को आमतौर पर गरीबी से जोड़ कर देखा जाता है किंतु यह खुद अपने आप में गरीबी का कारण है तथा आर्थिक विकास का प्रमुख अवरोधक है। मलेरिया सबसे प्रचलित संक्रामक रोगों में से एक है तथा भंयकर जन स्वास्थ्य समस्या है। यह रोग प्लास्मोडियम गण के प्रोटोज़ोआ परजीवी के माध्यम से फैलता है। केवल चार प्रकार के प्लास्मोडियम (Plasmodium) परजीवी मनुष्य को प्रभावित करते है जिनमें से सर्वाधिक खतरनाक प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (Plasmodium falciparum) तथा प्लास्मोडियम विवैक्स (Plasmodium vivax) माने जाते हैं, साथ ही प्लास्मोडियम ओवेल (Plasmodium ovale) तथा प्लास्मोडियम मलेरिये (Plasmodium malariae) भी मानव को प्रभावित करते हैं। इस सारे समूह को 'मलेरिया परजीवी' कहते हैं। मलेरिया के परजीवी का वाहक मादा एनोफ़िलेज़ (Anopheles) मच्छर है। इसके काटने पर मलेरिया के परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में प्रवेश कर के बहुगुणित होते हैं जिससे रक्तहीनता (एनीमिया) के लक्षण उभरते हैं (चक्कर आना, साँस फूलना, द्रुतनाड़ी इत्यादि)। इसके अलावा अविशिष्ट लक्षण जैसे कि बुखार, सर्दी, उबकाई और जुखाम जैसी अनुभूति भी देखे जाते हैं। गंभीर मामलों में मरीज मूर्च्छा में जा सकता है और मृत्यु भी हो सकती है। मलेरिया के फैलाव को रोकने के लिए कई उपाय किये जा सकते हैं। मच्छरदानी और कीड़े भगाने वाली दवाएं मच्छर काटने से बचाती हैं, तो कीटनाशक दवा के छिडकाव तथा स्थिर जल (जिस पर मच्छर अण्डे देते हैं) की निकासी से मच्छरों का नियंत्रण किया जा सकता है। मलेरिया की रोकथाम के लिये यद्यपि टीके/वैक्सीन पर शोध जारी है, लेकिन अभी तक कोई उपलब्ध नहीं हो सका है। मलेरिया से बचने के लिए निरोधक दवाएं लम्बे समय तक लेनी पडती हैं और इतनी महंगी होती हैं कि मलेरिया प्रभावित लोगों की पहुँच से अक्सर बाहर होती है। मलेरिया प्रभावी इलाके के ज्यादातर वयस्क लोगों मे बार-बार मलेरिया होने की प्रवृत्ति होती है साथ ही उनमें इस के विरूद्ध आंशिक प्रतिरोधक क्षमता भी आ जाती है, किंतु यह प्रतिरोधक क्षमता उस समय कम हो जाती है जब वे ऐसे क्षेत्र मे चले जाते है जो मलेरिया से प्रभावित नहीं हो। यदि वे प्रभावित क्षेत्र मे वापस लौटते हैं तो उन्हे फिर से पूर्ण सावधानी बरतनी चाहिए। मलेरिया संक्रमण का इलाज कुनैन या आर्टिमीसिनिन जैसी मलेरियारोधी दवाओं से किया जाता है यद्यपि दवा प्रतिरोधकता के मामले तेजी से सामान्य होते जा रहे हैं। .

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रोम

यह लेख इटली की राजधानी एवं प्राचीन नगर 'रोम' के बारे में है। इसी नाम के अन्य नगर संयुक्त राज्य अमरीका में भी है। स्तनधारियों की त्वचा पर पाए जाने वाले कोमल बाल (en:hair) के लिये बाल देखें। इसका पर्यायवाची शब्द रोयाँ या रोआँ (बहुवचन - रोएँ) है। ---- '''रोम''' नगर की स्थिति रोम (Rome) इटली देश की राजधानी है। .

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स्वास्थ्य विज्ञान

thumb स्वास्थ्यविज्ञान (Hygiene) का ध्येय है कि प्रत्येक मनुष्य की शारीरिक वृद्धि और विकास और भी अधिक पूर्ण हो, जीवन और भी अधिक तेजपूर्ण हो, शारीरिक ह्रास और भी अधिक धीमा हो और मृत्यु और भी अधिक देर से हो। वास्तव में स्वास्थ्य का अर्थ केवल रोगरहित और दु:खरहित जीवन नहीं है। केवल जीवित रहना ही स्वास्थ्य नहीं है। यह तो पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक हृष्टता पुष्टता की दशा है। अधिकतम सुखमय जीवन और अधिकतम मानवसेवा का अवसर पूर्ण स्वस्थता से ही संभव हैं। .

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इटली

इटली यूरोप महाद्वीप के दक्षिण में स्थित एक देश है जिसकी मुख्यभूमि एक प्रायद्वीप है। इटली के उत्तर में आल्प्स पर्वतमाला है जिसमें फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रिया तथा स्लोवेनिया की सीमाएँ आकर लगती हैं। सिसली तथा सार्डिनिया, जो भूमध्य सागर के दो सबसे बड़े द्वीप हैं, इटली के ही अंग हैं। वेटिकन सिटी तथा सैन मरीनो इटली के अंतर्गत समाहित दो स्वतंत्र देश हैं। इटली, यूनान के बाद यूरोप का दूसरा का दूसरा प्राचीनतम राष्ट्र है। रोम की सभ्यता तथा इटली का इतिहास देश के प्राचीन वैभव तथा विकास का प्रतीक है। आधुनिक इटली 1861 ई. में राज्य के रूप में गठित हुआ था। देश की धीमी प्रगति, सामाजिक संगठन तथा राजनितिक उथल-पुथल इटली के 2,500 वर्ष के इतिहास से संबद्ध है। देश में पूर्वकाल में राजतंत्र था जिसका अंतिम राजघराना सेवाय था। जून, सन् 1946 से देश एक जनतांत्रिक राज्य में परिवर्तित हो गया। इटली की राजधानी रोम प्राचीन काल के एक शक्ति और प्रभाव से संपन्न रोमन साम्राज्य की राजधानी रहा है। ईसा के आसपास और उसके बाद रोमन साम्राज्य ने भूमध्य सागर के क्षेत्र में अपनी प्रभुता स्थापित की थी जिसके कारण यह संस्कृति और अन्य क्षेत्रों में आधुनिक यूरोप की आधारशिला के तौर पर माना जाता है। तथा मध्यपूर्व (जिसे भारतीय परिप्रेक्ष्य में मध्य-पश्च भी कह सकते हैं) के इतिहास में भी रोमन साम्राज्य ने अपना प्रभाव डाला था और उनसे प्रभावित भी हुआ था। आज के इटली की संस्कृति पर यवनों (ग्रीक) का भी प्रभाव पड़ा है। इटली की जनसंख्या २००८ में ५ करोड़ ९० लाख थी। देश का क्षेत्रफल ३लाख वर्ग किलोमीटर के आसपास है। १९९१ में यहाँ की सरकार के शीर्ष पदस्थ अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ जिसके बाद यहाँ की राजनैतिक सत्ता और प्रशासन में कई बदलाव आए हैं। रोम यहाँ की राजधानी है और अन्य प्रमुख नगरों में वेनिस, मिलान इत्यादि का नाम लिया जा सकता है। .

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