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अवसादक

सूची अवसादक

अवसादक (Depressant) वे नारकोटिक औषधियाँ हैं जो न्यूरोट्रांसमिशन के स्तर को घाटाती हैं जिससे अवसाद बढ़ता है तथा कोई भी कार्य करने की क्षमता और उत्तेजना कम होती है। अवसादक अवैध पदार्थ और दवाइयों के सामान इस्तेमाल किये जाते हैं। इन्हें लेने से शारीरिक क्रियाशीलता घटती है और यह औषधि दर्द मिटने में, बेहोशी के लिए और याददास्त मिटाने में भी मददगार होती है। अवसादक का सेवन करने से व्यक्ति की हृदय गति कम हो जाती है, उसका रक्त चाप कम हो जाता है और आक्षेप से मुक्त करने वाली स्थिति उत्पन्न करता है। ज्यादा मात्रा में अवसदकों का सेवन करने से व्यक्ति की मृत्यु भी हो जाती है। अवसादक बहुत से रूप में पाए जाते हैं जैसे, शराब, दर्दनिवारक औषधि, बार्बीचुरेट्स, ओपियटेस आदि। यह नारकोटिक औषधि डॉक्टर द्वारा चिंता मिटने के लिए, नींद के लिए, अवसेदन कम करने के लिए और आक्षेप के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है। अवसादक चूंकि बेहोशी बढ़ाता है, इसलिये कभी-कभी डॉक्टर इन्हें बेहोशी के लिए भी इस्तेमाल करते है। .

4 संबंधों: रक्त चाप, स्मृति (मनोविज्ञान), स्वापक, अवसाद

रक्त चाप

स्फिगमोमनोमीटर, धमनीय दाब के मापन में प्रयुक्त एक उपकरण. रक्त चाप (BP), रक्त वाहिकाओं की बाहरी झिल्ली पर रक्त संचार द्वारा डाले गए दबाव (बल प्रति इकाई क्षेत्र) है और यह प्रमुख जीवन संकेतों में से एक है। संचरित रक्त का दबाव, धमनियों और केशिकाओं के माध्यम से हृदय से दूर और नसों के माध्यम से हृदय की ओर जाते समय कम होता जाता है। जब अर्थ सीमित ना हो, तब सामान्यतः रक्त चाप शब्द से तात्पर्य '''बाहु धमनीय दाब''' है: अर्थात् बाईं या दाईं ऊपरी भुजा की मुख्य रक्त वाहिका, जो रक्त को हृदय से दूर ले जाती है। तथापि, रक्त चाप को कभी-कभी शरीर के अन्य भागों में भी मापा जा सकता है, जैसे टखनों पर.

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स्मृति (मनोविज्ञान)

चूहों की स्थान-सम्बन्धी स्मृति को जांचने का प्रयोग '''स्मृति का पैटर्न कुछ इस तरह का होता है''' हमारी यादें हमारे व्यक्तित्व का एक प्रमुख अंग हैं। हम क्या याद रखते हैं और क्या भूल जाते है यह सब बहुत सारी चीजों पर निर्भर करता है। भाषा, दृष्टि, श्रवण, प्रत्यक्षीकरण, अधिगम तथा ध्यान की तरह स्मृति (मेमोरी) भी मस्तिष्क की एक प्रमुख बौद्धिक क्षमता है। हमारे मस्तिष्क में जो कुछ भी अनुभव, सूचना और ज्ञान के रूप में संग्रहीत है वह सभी स्मृति के ही विविध रूपों में व्यवस्थित रहता है। मानव मस्तिष्क की इस क्षमता का अध्ययन एक काफी व्यापक विषय वस्तु है। मुख्यतः इसका अध्ययन मनोविज्ञान, तंत्रिकाविज्ञान एवं आयुर्विज्ञान के अंतर्गत किया जाता है। प्रस्तुत आलेख में स्मृति के विविध रूपों, इसके जैविक आधार, स्मृति संबंधी प्रमुख रोग तथा कुछ प्रमुख स्मृति युक्तियों पर प्रकाश डाला जाएगा। .

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स्वापक

वह पदार्थ जिसे मनुष्य द्वारा सेवन करने पर उसकी सामान्य कार्य प्रणाली पर प्रभाव पड़ता है, वह पदार्थ स्वापक या नारकोटिक औषधि कहलाते हैं। यह वह मनोसक्रिय औषधि (साईकोएक्टिव पदार्थ) है जो सेवन के बाद नींद उत्पन्न करते हैं। नारकोटिक औषधियां जैसे की गांजा, अफीम, चरस, भांग आदि पेड़-पौधों से प्राप्त किये जाते है और अपरिष्कृत एवम कच्ची होतीं हैं। कुछ नारकोटिक औषधियां मानव द्वारा भी निर्मित की गई है जो की शारीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम करती है। यह औषधियां अर्ध संश्लेषित नारकोटिक औषधियां कहलाती है। इनमे आने वाली नारकोटिक औषधियां ब्राउन शुगर, हीरोइन, मॉर्फीन आदि है। कुछ ऐसी भी नारकोटिक औषधियां होती है जो की पूरी तरह मानव द्वारा निर्मित होती है। यह औषधियां प्रारंभिक तत्व जैसे कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन आदि जैसे रसायनों के उपयोग से बनायी जाती है। नारकोटिक औषधियां वह दवाई होती है जो की निद्रा अथवा मोर्चा उत्पन्न कर दर्द से राहत दिलाती हैं। गांजा, मॉर्फिन, हीरोइन, अफीम आदि यही सब कार्य कर शरीर को दर्द से राहत दिलाते है इसलिए यह सब नारकोटिक औषधियां कहलाते हैं। .

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अवसाद

अवसाद या डिप्रेशन का तात्पर्य मनोविज्ञान के क्षेत्र में मनोभावों संबंधी दुख से होता है। इसे रोग या सिंड्रोम की संज्ञा दी जाती है। आयुर्विज्ञान में कोई भी व्यक्ति डिप्रेस्ड की अवस्था में स्वयं को लाचार और निराश महसूस करता है। उस व्यक्ति-विशेष के लिए सुख, शांति, सफलता, खुशी यहाँ तक कि संबंध तक बेमानी हो जाते हैं। उसे सर्वत्र निराशा, तनाव, अशांति, अरुचि प्रतीत होती है। अवसाद के भौतिक कारण भी अनेक होते हैं। इनमें कुपोषण, आनुवांशिकता, हार्मोन, मौसम, तनाव, बीमारी, नशा, अप्रिय स्थितियों में लंबे समय तक रहना, पीठ में तकलीफ आदि प्रमुख हैं। इनके अतिरिक्त अवसाद के ९० प्रतिशत रोगियों में नींद की समस्या होती है। मनोविश्लेषकों के अनुसार अवसाद के कई कारण हो सकते हैं। यह मूलत: किसी व्यक्ति की सोच की बुनावट या उसके मूल व्यक्तित्व पर निर्भर करता है। अवसाद लाइलाज रोग नहीं है। इसके पीछे जैविक, आनुवांशिक और मनोसामाजिक कारण होते हैं। यही नहीं जैवरासायनिक असंतुलन के कारण भी अवसाद घेर सकता है। इसकी अधिकता के कारण रोगी आत्महत्या तक कर सकते हैं। इसलिए परिजनों को सजग रहना चाहिए और उनके परिवार का कोई सदस्य गुमसुम रहता है, अपना ज्यादातर समय अकेले में बिताता है, निराशावादी बातें करता है तो उसे तुरंत किसी अच्छे मनोचिकित्सक के पास ले जाएं। उसे अकेले में न रहने दें। हंसाने की कोशिश करें। मनोविश्लेषकों के अनुसार प्राकृतिक तौर पर महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा अवसाद की शिकार कम बनती हैं, लेकिन अवांछित दबावों से वह इसकी शिकार हो सकती हैं। इस कारण प्रायः माना जाता है कि महिलाओं को अवसाद जल्दी आ घेरता है। इसके विपरीत पुरुष अक्सर अपनी अवसाद की अवस्था को स्वीकार करने से संकोच करते हैं। मोटे अनुमान के अनुसार दस पुरुषों में एक जबकि दस महिलाओं में हर पांच को अवसाद की आशंका रहती है। अवसाद का संबंध मस्तिष्क के उन्हीं क्षेत्रों द्वारा होता है, जहां से निद्रा चक्र और जागरण की अवस्था नियंत्रित होती है। अवसाद अक्सर दिमाग के न्यूरोट्रांसमीटर्स की कमी के कारण भी होता है। न्यूरोट्रांसमीटर्स दिमाग में पाए जाने वाले रसायन होते हैं जो दिमाग और शरीर के विभिन्न हिस्सों में तारतम्यता स्थापित करते हैं। इनकी कमी से भी शरीर की संचार व्यवस्था में कमी आती है और व्यक्ति में अवसाद के लक्षण दिखाई देते हैं। इस तरह का अवसाद आनुवांशिक होता है। अवसाद के कारण निर्णय लेने में अड़चन, आलस्य, सामान्य मनोरंजन की चीजों में अरुचि, नींद की कमी, चिड़चिड़ापन या कुंठा व्यक्ति में दिखाई पड़ते हैं। अवसाद के कारणों में इसका एक पूरक चिंता (एंग्ज़ायटी) भी है। इसके उपचार में योगासन में प्राणायाम बहुत सहायक सिद्ध हुआ है। कई बार अतिरिक्त चिड़चिड़ापन, अहंकार, कटुता या आक्रामकता अथवा नास्तिकता, अनास्था और अपराध अथवा एकांत की प्रवृत्ति पनपने लगती है या फिर व्यक्ति नशे की ओर उन्मुख होने लगता है। ऐसे में जरूरी है कि हम किसी मनोचिकित्सक से संपर्क करें। व्यक्ति को खुशहाल वातावरण दें। उसे अकेला न छोड़ें तथा छिन्द्रान्वेषण कतई न करें। उसकी रुचियों को प्रोत्साहित कर, उसमें आत्मविश्वास जगाएँ और कारण जानने का प्रयत्न करें। अमेरिका के कुछ वैज्ञानिकों ने गहन शोध के बाद यह दावा किया है कि यदि कोई व्यक्ति लगातार सकारात्मक सोच का अभ्यास करता है, तो वह उसके डिप्रेशन या अवसाद की स्थिति का एकमात्र इलाज हो सकता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ फैमेली फिजिशियन का कहना है कि लोगों को नकारात्मक नहीं सोचना चाहिए। न ही विफलता के भय को लेकर चिंतित होते रहना चाहिए। इनकी बजाय हमेशा सकारात्मक सोच दिमाग में रखना चाहिए जो होगा अच्छा होगा। घर में अन्य सदस्यों को अवसाद की बीमारी होने से भी यह परेशानी महिलाओं को जल्दी पकड़ती है। क्योंकि घर से लगाव पुरुषों के मुकाबले उन्हें ज्यादा होता है। इसके चलते कभी-कभी उनमें आत्महत्या की इच्छा जोर मारने लगती है। इसलिए पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का अवसाद ज्यादा खतरनाक होता है। हालांकि मंदी और कॉम्पटीशन के दौर में डिप्रेशन अब युवाओं को भी अपना शिकार बनाने लगा है इसलिए कोशिश यह रखनी चाहिए कि आप खुशनुमा पलों की तलाश करें और सकारात्मक सोच रखें। इससे बचने के उपायों में व्यस्त रहकर मस्त रहना, अपने लिए समय निकालना, संतुलित आहार सेवन, अपने लिए समय निकालना और सामाजिक मेलजोल बढ़ाना मूल उपाय हैं। युवाओं में बढ़ता तनाव .

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