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अल्फ़ा फ़ीनाइसिस तारा

सूची अल्फ़ा फ़ीनाइसिस तारा

अमरपक्षी (फ़ीनिक्स) तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा फ़ीनाइसिस, जिसका बायर नाम भी यही (α Phoenicis या α Phe) है, अमरपक्षी तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७९वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे क़रीब ८५ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) लगभग +२.४ है। .

17 संबंधों: तारा, तारों की श्रेणियाँ, दानव तारा, नाभिकीय संलयन, प्रकाश-वर्ष, बायर नामांकन, सफ़ेद बौना, सबसे रोशन तारों की सूची, सापेक्ष कांतिमान, सौर द्रव्यमान, हाइड्रोजन, हिलियम, खगोलीय मैग्निट्यूड, ग्रहीय नीहारिका, अमरपक्षी तारामंडल, अरबी भाषा, अंग्रेज़ी भाषा

तारा

तारे (Stars) स्वयंप्रकाशित (self-luminous) उष्ण गैस की द्रव्यमात्रा से भरपूर विशाल, खगोलीय पिंड हैं। इनका निजी गुरुत्वाकर्षण (gravitation) इनके द्रव्य को संघटित रखता है। मेघरहित आकाश में रात्रि के समय प्रकाश के बिंदुओं की तरह बिखरे हुए, टिमटिमाते प्रकाशवाले बहुत से तारे दिखलाई देते हैं। .

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तारों की श्रेणियाँ

अभिजीत (वेगा) एक A श्रेणी का तारा है जो सफ़ेद या सफ़ेद-नीले लगते हैं - उसके दाएँ पर हमारा सूरज है जो G श्रेणी का पीला या पीला-नारंगी लगने वाला तारा है खगोलशास्त्र में तारों की श्रेणियाँ उनसे आने वाली रोशनी के वर्णक्रम (स्पॅकट्रम) के आधार पर किया जाता है। इस वर्णक्रम से यह ज़ाहिर हो जाता है कि तारे का तापमान क्या है और उसके अन्दर कौन से रासायनिक तत्व मौजूद हैं। अधिकतर तारों कि वर्णक्रम पर आधारित श्रेणियों को अंग्रेज़ी के O, B, A, F, G, K और M अक्षर नाम के रूप में दिए गए हैं-.

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दानव तारा

एक लाल दानव तारे और सूरज के अंदरूनी ढाँचे की तुलना खगोलशास्त्र में दानव तारा ऐसे तारे को बोलते हैं जिसका आकार और चमक दोनों उस से बढ़ के हो जो उसकी सतह के तापमान के आधार पर मुख्य अनुक्रम के किसी तारे के होते। ऐसे तारे आम तौर पर सूरज से १० से १०० गुना व्यास (डायामीटर) में बड़े होते हैं और चमक में १० से १००० गुना ज़्यादा रोशन होते हैं। अपने तापमान के हिसाब से ऐसे दानव तारे कई रंगों में मिलते हैं - लाल, नारंगी, नीले, सफ़ेद, वग़ैराह। महादानव तारे और परमदानव तारे इन दानव तारों से भी बड़े और अधिक रोशन होते हैं। .

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नाभिकीय संलयन

publisher.

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प्रकाश-वर्ष

प्रकाश वर्ष (चिन्ह:ly) लम्बाई की मापन इकाई है। यह लगभग 950 खरब (9.5 ट्रिलियन) किलोमीटर के अन्दर होती है। यहां एक ट्रिलियन 1012 (दस खरब, या अरब पैमाने) के रूप में लिया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार, प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो प्रकाश द्वारा निर्वात में, एक वर्ष में पूरी की जाती है। यह लम्बाई मापने की एक इकाई है जिसे मुख्यत: लम्बी दूरियों यथा दो नक्षत्रों (या ता‍रों) बीच की दूरी या इसी प्रकार की अन्य खगोलीय दूरियों को मापने मैं प्रयोग किया जाता है। .

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बायर नामांकन

शिकारी तारामंडल के तारे, जिनमें बायर नामांकन के यूनानी अक्षर दिख रहे हैं बायर नामांकन तारों को नाम देने का एक तरीक़ा है जिसमें किसी भी तारामंडल में स्थित तारे को एक यूनानी अक्षर और उसके तारामंडल के यूनानी नाम से बुलाया जाता है। बायर नामों में तारामंडल के यूनानी नाम का सम्बन्ध रूप इस्तेमाल होता है। मिसाल के लिए, पर्णिन अश्व तारामंडल (पॅगासस तारामंडल) के तारों में से तीन तारों के नाम इस प्रकार हैं - α पॅगासाए (α Pegasi), β पॅगासाए (β Pegasi) और γ पॅगासाए (γ Pegasi)। .

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सफ़ेद बौना

तुलनात्मक तस्वीर: हमारा सूरज (दाएँ तरफ़) और पर्णिन अश्व तारामंडल में स्थित द्वितारा "आई॰के॰ पॅगासाई" के दो तारे - "आई॰के॰ पॅगासाई ए" (बाएँ तरफ़) और सफ़ेद बौना "आई॰के॰ पॅगासाई बी" (नीचे का छोटा-सा बिंदु)। इस सफ़ेद बौने का सतही तापमान ३,५०० कैल्विन है। खगोलशास्त्र में सफ़ेद बौना या व्हाइट ड्वार्फ़ एक छोटे तारे को बोला जाता है जो "अपकृष्ट इलेक्ट्रॉन पदार्थ" का बना हो। "अपकृष्ट इलेक्ट्रॉन पदार्थ" या "ऍलॅक्ट्रॉन डिजॅनरेट मैटर" में इलेक्ट्रॉन अपने परमाणुओं से अलग होकर एक गैस की तरह फैल जाते हैं और नाभिक (न्युक्लिअस, परमाणुओं के घना केंद्रीय हिस्से) उसमें तैरते हैं। सफ़ेद बौने बहुत घने होते हैं - वे पृथ्वी के जितने छोटे आकार में सूरज के जितना द्रव्यमान (मास) रख सकते हैं। माना जाता है के जिन तारों में इतना द्रव्यमान नहीं होता के वे आगे चलकर अपना इंधन ख़त्म हो जाने पर न्यूट्रॉन तारा बन सकें, वे सारे सफ़ेद बौने बन जाते हैं। इस नज़रिए से आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) के ९७% तारों के भाग्य में सफ़ेद बौना बन जाना ही लिखा है। सफ़ेद बौनों की रौशनी बड़ी मध्यम होती है। वक़्त के साथ-साथ सफ़ेद बौने ठन्डे पड़ते जाते हैं और वैज्ञानिकों की सोच है के अरबों साल में अंत में जाकर वे बिना किसी रौशनी और गरमी वाले काले बौने बन जाते हैं। क्योंकि हमारा ब्रह्माण्ड केवल १३.७ अरब साल पुराना है इसलिए अभी इतना समय ही नहीं गुज़रा के कोई भी सफ़ेद बौना पूरी तरह ठंडा पड़कर काला बौना बन सके। इस वजह से आज तक खगोलशास्त्रियों को कभी भी कोई काला बौना नहीं मिला है। .

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सबसे रोशन तारों की सूची

किसी तारे की चमक उसकी अपने भीतरी चमक, उसकी पृथ्वी से दूरी और कुछ अन्य परिस्थितियों पर निर्भर करती है। किसी तारे के निहित चमकीलेपन को "निरपेक्ष कान्तिमान" कहते हैं जबकि पृथ्वी से देखे गए उसके चमकीलेपन को "सापेक्ष कान्तिमान" कहते हैं। खगोलीय वस्तुओं की चमक को मैग्निट्यूड में मापा जाता है - ध्यान रहे के यह मैग्निट्यूड जितना कम होता है सितारा उतना ही ज़्यादा रोशन होता है। .

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सापेक्ष कांतिमान

क्षुद्रग्रह ६५ सिबअली और २ तारे जिनकें सापेक्ष कान्तिमान (apmag) लिखे गए हैं सापेक्ष कांतिमान किसी खगोलीय वस्तु के पृथ्वी पर बैठे दर्शक द्वारा प्रतीत होने वाले चमकीलेपन को कहते हैं। सापेक्ष कान्तिमान को मापने के लिए यह शर्त होती है कि आकाश में कोई बादल, धूल, वगैरा न हो और वह वस्तु साफ़ देखी जा सके। निरपेक्ष कांतिमान और सापेक्ष कांतिमान दोनों को मापने की इकाई "मैग्निट्यूड" (magnitude) कहलाती है। .

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सौर द्रव्यमान

वी॰वाए॰ कैनिस मेजौरिस का द्रव्यमान ३०-४० \beginsmallmatrixM_\odot\endsmallmatrix है, यानि सूरज के द्रव्यमान का ३०-४० गुना है खगोलविज्ञान में सौर द्रव्यमान (solar mass) (\beginM_\odot\end) द्रव्यमान की मानक इकाई है, जिसका मान १.९८८९२ X १०३० कि.ग्रा.

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हाइड्रोजन

हाइड्रोजन पानी का एक महत्वपूर्ण अंग है शुद्ध हाइड्रोजन से भरी गैस डिस्चार्ज ट्यूब हाइड्रोजन (उदजन) (अंग्रेज़ी:Hydrogen) एक रासायनिक तत्व है। यह आवर्त सारणी का सबसे पहला तत्व है जो सबसे हल्का भी है। ब्रह्मांड में (पृथ्वी पर नहीं) यह सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। तारों तथा सूर्य का अधिकांश द्रव्यमान हाइड्रोजन से बना है। इसके एक परमाणु में एक प्रोट्रॉन, एक इलेक्ट्रॉन होता है। इस प्रकार यह सबसे सरल परमाणु भी है। प्रकृति में यह द्विआण्विक गैस के रूप में पाया जाता है जो वायुमण्डल के बाह्य परत का मुख्य संघटक है। हाल में इसको वाहनों के ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर सकने के लिए शोध कार्य हो रहे हैं। यह एक गैसीय पदार्थ है जिसमें कोई गंध, स्वाद और रंग नहीं होता है। यह सबसे हल्का तत्व है (घनत्व 0.09 ग्राम प्रति लिटर)। इसकी परमाणु संख्या 1, संकेत (H) और परमाणु भार 1.008 है। यह आवर्त सारणी में प्रथम स्थान पर है। साधारणतया इससे दो परमाणु मिलकर एक अणु (H2) बनाते है। हाइड्रोजन बहुत निम्न ताप पर द्रव और ठोस होता है।।इण्डिया वॉटर पोर्टल।०८-३०-२०११।अभिगमन तिथि: १७-०६-२०१७ द्रव हाइड्रोजन - 253° से.

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हिलियम

तरलीकृत हीलियम शुद्ध हीलियम से भरी गैस डिस्चार्ज ट्यूब हिलियम (Helium) एक रासायनिक तत्त्व है जो प्रायः गैसीय अवस्था में रहता है। यह एक निष्क्रिय गैस या नोबेल गैस (Noble gas) है तथा रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन, विष-हीन (नॉन-टॉक्सिक) भी है। इसका परमाणु क्रमांक २ है। सभी तत्वों में इसका क्वथनांक (boiling point) एवं गलनांक (melting point) सबसे कम है। द्रव हिलियम का प्रयोग पदार्थों को अत्यन्त कम ताप तक ठण्डा करने के लिये किया जाता है; जैसे अतिचालक तारों को १.९ डिग्री केल्विन तक ठण्डा करने के लिये। हीलियम अक्रिय गैसों का एक प्रमुख सदस्य है। इसका संकेत He, परमाणुभार ४, परमाणुसंख्या २, घनत्व ०.१७८५, क्रांतिक ताप -२६७.९०० और क्रांतिक दबाव २ २६ वायुमंडल, क्वथनांक -२६८.९० सें.

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खगोलीय मैग्निट्यूड

खगोलशास्त्र में खगोलीय मैग्निट्यूड या खगोलीय कान्तिमान किसी खगोलीय वस्तु की चमक का माप है। इसका अनुमान लगाने के लिए लघुगणक (लॉगरिदम) का इस्तेमाल किया जाता है। मैग्निट्यूड के आंकडे परखते हुए एक ध्यान-योग्य चीज़ यह है के किसी वस्तु का मैग्निट्यूड जितना कम हो वह वस्तु उतनी ही अधिक रोशन होती है। पृथ्वी पर बैठे हुए दर्शक के लिए -.

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ग्रहीय नीहारिका

श्रेणी के तारे के इर्द-गिर्द बनी एक ग्रहीय नीहारिका है ग्रहीय नीहारिका ऐसी नीहारिका को कहते हैं जो किसी बड़ी आयु के तारे के इर्द-गिर्द आयोनिकृत (आयोनाइज़्द) गैस के फैलते हुए खोल से बनी हुई होती है। इनका किसी ग्रह से कोई सम्बन्ध नहीं है लेकिन इनका नाम "ग्रहीय नीहारिका" १८वी सदी के खगोलशास्त्रियों ने यह रख दिया क्योंकि अपनी कमज़ोर दूरबीनों से उन्हें ऐसी नीहरिकाएँ भीमकाय ग्रहों की तरह लगीं। ग्रहीय नीहरिकाएँ केवल कुछ दसियों हज़ार सालों तक ही रहती हैं और फिर व्योम में तितर-बितर हो जाती हैं, जबकि तारों की उम्र अरबों वर्षों की होती है। ऐसी नीहरिकाएँ तारों से उत्पन्न तारकीय आंधी से बन जाती हैं। किसी भी गैलेक्सी में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि यह तारे में बने कार्बन, आक्सीजन, नाइट्रोजन और कैल्शियम जैसे भारी रासायनिक तत्वों को अंतरतारकीय माध्यम में फैला देती हैं। .

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अमरपक्षी तारामंडल

अमरपक्षी (फ़ीनिक्स) तारामंडल अमरपक्षी या फ़ीनिक्स तारामंडल एक छोटा-सा तारामंडल है। इसके अधिकतर तारे बहुत धुंधले हैं और इसमें +५ मैग्नीट्यूड की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) से अधिक रोशनी रखने वाले केवल दो तारे हैं। इसकी परिभाषा सन् १५९७-९८ में पॅट्रस प्लैंकियस (Petrus Plancius) नामक डच खगोलशास्त्री ने की थी। अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में भी यह शामिल है। .

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अरबी भाषा

अरबी भाषा सामी भाषा परिवार की एक भाषा है। ये हिन्द यूरोपीय परिवार की भाषाओं से मुख़्तलिफ़ है, यहाँ तक कि फ़ारसी से भी। ये इब्रानी भाषा से सम्बन्धित है। अरबी इस्लाम धर्म की धर्मभाषा है, जिसमें क़ुरान-ए-शरीफ़ लिखी गयी है। .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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