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अब्जद

सूची अब्जद

अब्जद ऐसी लिपि होती है जिसमें हर अक्षर एक व्यंजन होता है। इसमें स्वर लिखा ही नहीं जाता और पाठक को स्वयं ही स्वर का अनुमान लगाना पड़ता है। प्राचीनकाल में फ़ोनीशियाई वर्णमाला एक अब्जद लिपि थी और उस से उत्पन्न यूनानी लिपि और आरामाई लिपि दोनों अब्जद थी। इसी प्रकार अरबी, इब्रानी और पहलवी लिपियाँ भी अब्जद थीं। कई आधुनिक अब्जद लिपियाँ अशुद्ध होती हैं, यानि उनमें कभी-कभी स्वर दर्शाए जाते हैं। इसका उदाहरण आधुनिक अरबी लिपि है। .

10 संबंधों: पहलवी लिपि, फ़ोनीशियाई वर्णमाला, भाषाविज्ञान, यूनानी वर्णमाला, स्वर वर्ण, व्यंजन वर्ण, आबूगीदा, आरामाईक, इब्रानी भाषा, अरबी भाषा

पहलवी लिपि

तक-ए-बोस्तां में चौथी शताब्दी का पहलवी लिपि का शिलालेख पहलवी लिपि का उपयोग पहलवी भाषा को लिखने के लिए होता था। श्रेणी:विश्व की लिपियाँ.

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फ़ोनीशियाई वर्णमाला

राजा किलामुवा द्वारा जारी किया गया फ़ोनीशियाई में एक फ़रमान एश्मुन धार्मिक स्थल पर राजा बोदशतार्त द्वारा लिखित पंक्तियाँ तूनिशिया से मिली फ़ोनीशियाई में लिखी बाल हम्मोन और तनित नामक देवताओं को प्रार्थना फ़ोनीशियाई वर्णमाला फ़ोनीशिया की सभ्यता द्वारा अविष्कृत वर्णमाला थी जिसमें हर वर्ण एक व्यंजन की ध्वनी बनता था। क्योंकि फ़ोनीशियाई लोग समुद्री सौदागर थे इसलिए उन्होंने इस अक्षरमाला को दूर-दूर तक फैला दिया और उनकी देखा-देखी और सभ्यताएँ भी अपनी भाषाओँ के लिए इसमें फेर-बदल करके इसका प्रयोग करने लगीं। माना जाता है के आधुनिक युग की सभी मुख्य अक्षरमालाएँ इसी फ़ोनीशियाई वर्णमाला की संताने हैं। देवनागरी सहित, भारत की सभी वर्णमालाएँ भी फ़ोनीशियाई वर्णमाला की वंशज हैं। इसका विकास क़रीब 1050 ईसा-पूर्व में आरम्भ हुआ था और प्राचीन यूनानी सभ्यता के उदय के साथ-साथ अंत हो गया। .

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भाषाविज्ञान

भाषाविज्ञान भाषा के अध्ययन की वह शाखा है जिसमें भाषा की उत्पत्ति, स्वरूप, विकास आदि का वैज्ञानिक एवं विश्लेषणात्मक अध्ययन किया जाता है। भाषा विज्ञान के अध्ययेता 'भाषाविज्ञानी' कहलाते हैं। भाषाविज्ञान, व्याकरण से भिन्न है। व्याकरण में किसी भाषा का कार्यात्मक अध्ययन (functional description) किया जाता है जबकि भाषाविज्ञानी इसके आगे जाकर भाषा का अत्यन्त व्यापक अध्ययन करता है। अध्ययन के अनेक विषयों में से आजकल भाषा-विज्ञान को विशेष महत्त्व दिया जा रहा है। .

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यूनानी वर्णमाला

यूनानी वर्णमाला (Greek alphabet) चौबीस अक्षरों की वर्ण व्यवस्था है जिनके प्रयोग से यूनानी भाषा को आठवीं सदी ईसा-पूर्व से लिखा जा रहा है। प्रत्येक स्वर एवं व्यंजन लिए पृथक चिन्ह वाली यह पहली एवं प्राचीनतम वर्णमाला है। यह वर्णमाला फ़ोनीशियाई वर्णमाला से उत्पन्न हुई थी और यूरोप की कई वर्ण-व्यवस्थाएँ इसी से जन्मी हैं। अंग्रेज़ी लिखने के लिये प्रयुक्त रोमन लिपि तथा रूसी भाषा लिखने के लिए प्रयोग की जाने वाली सीरिलिक वर्णमाला दोनों यूनानी लिपि से जन्मी हैं। दूसरी शताब्दी ईसापूर्व के बाद गणितज्ञों ने यूनानी अक्षरों को अंक दर्शाने के लिए भी प्रयोग करना शुरू कर दिया। यूनानी वर्णों का प्रयोग विज्ञान के कई क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे भौतिकी में तत्वों के नाम, सितारों के नाम, बिरादरी एवं साथी सम्प्रदाय के नाम, ऊष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों के नाम के लिए। .

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स्वर वर्ण

स्वर (vowel) उन ध्वनियों को कहते हैं जो बिना किसी अन्य वर्णों की सहायता के उच्चारित किये जाते हैं। .

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व्यंजन वर्ण

व्यंजन (en:consonant) शब्द का प्रयोग वैसी ध्वनियों के लिये किया जाता है जिनके उच्चारण के लिये किसी स्वर की जरुरत होती है। ऐसी ध्वनियों का उच्चारण करते समय हमारे मुख के भीतर किसी न किसी अंग विशेष द्वारा वायु का अवरोध होता है। इस तालिका में सभी भाषाओं के व्यंजन गिये गये हैं, उनके IPA वर्णाक्षरों के साथ। नोट करें.

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आबूगीदा

आबूगीदा ऐसी लिपि को कहा जाता है जिसमें व्यंजन और स्वर को एक ईकाई में लिखा जाये। उदाहरण के लिये देवनागरी एक आबूगीदा है, क्योंकि "क" के व्यंजन और "ओ" के स्वर को एक ही ईकाई में मिलाकर "को" लिखा जाता है। इसी तरह इथियोपिआ व इरित्रिया की गीइज़ लिपि में "ड" को "ደ" लिखा जाता है और यदि "डी" लिखना हो तो "ई" का स्वर इसी अक्षर में मिलाकर "ዲ" बन जाता है। इसके विपरीत अंग्रेज़ी में प्रयोग होने वाली रोमन लिपि एक आबूगीदा नहीं है, क्योंकि "क" (k) के साथ "ई" (i) जोड़ने पर भी यह दोनों अलग-अलग अक्षर ही रहते हैं, यानि कि "ki"। आबूगीदा (abugida) गीइज़ भाषा से आया है। ब्राह्मी परिवार की सभी लिपियाँ आबूगीदा हैं। .

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आरामाईक

आरमेइक (Aramaic language) एक सेमिटिक भाषा है जो मध्यपूर्व और उसके उत्तरी-केन्द्रीय भाग में पिछले 3000 सालों से बोली जा रही है। यह कई प्राचीन यहूदी तथा इसाई ग्रंथों की भाषा है और माना जाता है कि ईसा मसीह की मातृभाषा आरामाईक ही थी। यह भाषा मृतप्राय हो गई है। सम्राट अशोक के कई शिलालेखों में अरामाईक लिपि (भाषा नहीं बल्कि केवल लिपि) का प्रयोग हुआ है। आरमेइक (भाषा), सेमेटिक अथवा सामी भाषा परिवार के उत्तर पश्चिम भाग की एक प्रसिद्ध भाषा है। आरमेइक मूल रूप से फिलस्तीन एवं सीरिया के उन प्रवासियों की भाषा थी और उत्तर में बढ़कर "आरम' अर्थात्‌ पहाड़ी प्रदेश में जाकर बस गए। आरमेइक की हिब्रू से बहुत अधिक समानता है। आरमेइक के प्राचीन अभिलेख दमिश्क के निकट ई.पू.

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इब्रानी भाषा

हिब्रूभाषी क्षेत्र हिब्रू (עִבְרִית, Ivrit) सामी-हामी भाषा-परिवार की सामी शाखा में आने वाली एक भाषा है। ये इस्राइल की मुख्य- और राष्ट्रभाषा है। इसका पुरातन रूप बिब्लिकल हिब्रू यहूदी धर्म की धर्मभाषा है और बाइबिल का पुराना नियम इसी में लिखा गया था। ये हिब्रू लिपि में लिखी जाती है ये दायें से बायें पढ़ी और लिखी जाती है। पश्चिम के विश्वविद्यालयों में आजकल इब्रानी का अध्ययन अपेक्षाकृत लोकप्रिय है। प्रथम महायुद्ध के बाद फिलिस्तीन (यहूदियों का इज़रायल नामक नया राज्य) की राजभाषा आधुनिक इब्रानी है। सन् १९२५ई.

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अरबी भाषा

अरबी भाषा सामी भाषा परिवार की एक भाषा है। ये हिन्द यूरोपीय परिवार की भाषाओं से मुख़्तलिफ़ है, यहाँ तक कि फ़ारसी से भी। ये इब्रानी भाषा से सम्बन्धित है। अरबी इस्लाम धर्म की धर्मभाषा है, जिसमें क़ुरान-ए-शरीफ़ लिखी गयी है। .

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