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अफ़्रीका का भूगोल

सूची अफ़्रीका का भूगोल

अफ़्रीका अफ्रीका ऊंचे पठारों का महाद्वीप है, इसका निर्माण अत्यन्त प्राचीन एवं कठोर चट्टानों से हुआ है। इस लावा निर्मित पठार को शील्ड कहते हैं। अफ्रीका महादेश का धरातल प्राचीन गोंडवाना लैंड का ही एक भाग है। बड़े पठारों के बीच अनेक छोटे-छोटे पठार विभिन्न ढाल वाले हैं। इसके उत्तर में विश्व का वृहत्तम शुष्क मरुस्थल सहारा उपस्थित है। इसके नदी बेसिनों का मानव सभ्यता के विकाश में उल्लेखनीय योगदान रहा है, जिसमें नील नदी बेसिन का विशेष स्थान है। समुद्रतटीय मैदानों को छोड़कर किसी भी भाग की ऊँचाई 325 मीटर से कम नहीं है। महाद्वीप के उत्तरी-पश्चिमी भाग तथा सुदूर दक्षिण में मोड़दार पर्वत मिलते हैं। .

8 संबंधों: चाड झील, नाइजर नदी, नील नदी, लिम्पोपो नदी, जेम्बेजी नदी, विक्टोरिया जलप्रपात, आरेंज नदी, कांगो नदी

चाड झील

चाड झील की भौगोलिक स्थिति चाड झील अफ़्रीका मे स्थित एक मीठे पानी की झील है। यह झील ४ देशो के २ करोड़ लोगो के पीने की पानी की आवश्यकता को पूरी करती है। चारी नदी चाड झील के पानी का स्रोत है। चाड झील से ही अफ़्रीकी देश चाड का नाम पड़ा है। श्रेणी:अफ़्रीका श्रेणी:अफ़्रीका की बन्द जलसम्भरीय झीलें.

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नाइजर नदी

नाइजर नदी का प्रवाह क्षेत्र नाइजर नदी पश्चिम अफ़्रीका की प्रमुख नदी है। नील और कांगो नदी के बाद यह अफ़्रीका की तीसरी सबसे लंबी नदी है। नाइजर नदी फ्रेंच गुआना में समुद्र से केवल 175 मील दूर पहाड़ी क्षेत्र से निकलकर समुद्र से विमुख होकर दक्षिणी सहारा मरुस्थल में 2,600 मील बहने के पश्चात दक्षिण की ओर मुड़कर गुआना की खाड़ी में गिरती है। इस नदी की पुरानी धारा के चिन्ह मरुस्थल में बहुत दूर उत्तर तक मिलते हैं। नाइजर की सबसे महत्वपूर्ण सहायक नदी 'बेन्वे', इसके मुहाने से 250 मील ऊपर मिलती है। समुद्र में मिलने से पहले नाइजर कई धाराओं में बँटकर 1,400 वर्ग मील क्षेत्र में डेल्टा बनाती है। डेल्टा में, जो समुद्र के किनारे 120 मील लंबा है, धान, गन्ना तथा कपास की अच्छी उपज होती है। नाइजर में 5,84,000 वर्ग मील क्षेत्र का जल आता है। यद्यपि इसकी धारा में अनगिनत चट्टानें तथा झरने पड़ते हैं, तथापि इसका मध्य भाग छोटी नौकाओं के परिवहन का काम देता है। इस नदी में मछलियाँ, मगर तथा दरियाई घोड़े अधिक मिलते हैं। श्रेणी:अफ़्रीका.

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नील नदी

संसार की सबसे लम्बी नदी नील है जो अफ्रीका की सबसे बड़ी झील विक्टोरिया से निकलकर विस्तृत सहारा मरुस्थल के पूर्वी भाग को पार करती हुई उत्तर में भूमध्यसागर में उतर पड़ती है। यह भूमध्य रेखा के निकट भारी वर्षा वाले क्षेत्रों से निकलकर दक्षिण से उत्तर क्रमशः युगाण्डा, इथियोपिया, सूडान एवं मिस्र से होकर बहते हुए काफी लंबी घाटी बनाती है जिसके दोनों ओर की भूमि पतली पट्टी के रूप में शस्यश्यामला दिखती है। यह पट्टी संसार का सबसे बड़ा मरूद्यान है। नील नदी की घाटी एक सँकरी पट्टी सी है जिसके अधिकांश भाग की चौड़ाई १६ किलोमीटर से अधिक नहीं है, कहीं-कहीं तो इसकी चौड़ाई २०० मीटर से भी कम है। इसकी कई सहायक नदियाँ हैं जिनमें श्वेत नील एवं नीली नील मुख्य हैं। अपने मुहाने पर यह १६० किलोमीटर लम्बा तथा २४० किलोमीटर चौड़ा विशाल डेल्टा बनाती है। घाटी का सामान्य ढाल दक्षिण से उत्तर की ओर है। मिस्र की प्राचीन सभ्यता का विकास इसी नदी की घाटी में हुआ है। इसी नदी पर मिस्र देश का प्रसिद्ध अस्वान बाँध बनाया गया है। नील नदी की घाटी का दक्षिणी भाग भूमध्य रेखा के समीप स्थित है, अतः वहाँ भूमध्यरेखीय जलवायु पायी जाती है। यहाँ वर्ष भर ऊँचा तापमान रहता है तथा वर्षा भी वर्ष भर होती है। वार्षिक वर्षा का औसत २१२ से.

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लिम्पोपो नदी

लिम्पोपो नदी का प्रवाह क्षेत्र लिम्पोपो नदी दक्षिण मध्य अफ़्रीका की एक प्रमुख नदी है। यह नदी हिन्द महासागर मे समाप्त होती है। जेम्बेजी नदी के बाद यह दुसरी सबसे बड़ी अफ़्रीकी नदी है जो हिन्द महासागर मे गिरती है। लिम्पोपो नदी को 'घड़ियाल नदी' कहकर भी सम्बोधित किया जाता है। अफ़्रीका की यह नदी मकर रेखा को दो बार काटती है। .

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जेम्बेजी नदी

जेम्बेजी नदी का बेसिन जेम्बेजी नदी अफ़्रीका की चौथी सबसे लंबी और हिन्द महासागर मे गिरने वाली सबसे बड़ी अफ़्रीकी नदी है। इसी नदी पर 50 मीटर ऊँची विक्टोरिया जलप्रपात स्थित है। इस नदी के किनारे शेर, हाथी, मगरमच्छ आदि मिलते है। श्रेणी:अफ़्रीका.

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विक्टोरिया जलप्रपात

विक्टोरिया जलप्रपात विक्टोरिया जलप्रपात जिसे स्थानिय भाषा मे मोसी-ओआ-तुन्या (Mosi-oa-Tunya) कहॉ जाता है अफ़्रीका की जेम्बेजी नदी पर स्थित एक जल प्रपात है। इस जलप्रपात को विश्व के सात प्राकृतिक आश्चर्यो मे से एक माना जाता है। शानदार जलप्रपातों में से यह प्रपात दूसरे नम्बर पर रखा जाता है। इस जलप्रपात का अफ़्रीकी नाम 'मोसी- ओआ-तुन्या' है, अर्थात 'धुआँ जो गरजे'।विक्टोरिया फॉल्स को इस धरती पर गिरते पानी का सबसे चौड़ा प्रपात (सबसे चौड़ा पानी का परदा) कहा जाता है। इसकी चौड़ाई सत्रह सौ मीटर है। दुनियाभर से लोगों के यहां सालभर आने के बाद भी इस जगह के जादू में कोई कमी नहीं आई है। वाटरफॉल्स से बनने वाला कुहासा बीस किलोमीटर दूर से भी देखा जा सकता है। इसी तरह उसकी गर्जना भी बहुत दूर से सुनी जा सकती है। सौ मीटर नीचे पानी के गिरने से बाद उठने वाली बौछारें काफी हद तक उस इलाके में मौजूद रेनफॉरेस्ट को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं। नजारा तब और खूबसूरत हो उठता है जब अलग- अलग कोण से इंद्रधनुष पानी के ऊपर देखने को मिलते हैं। यह दक्षिणी अफ्रीका के सबसे पसंदीदा पर्यटक स्थलों में से एक है। नवंबर 1855 में यहां पहुंचने वाले पहले विदेशी डेविड लिंगस्टोन थे। उन्होंने ब्रिटेन की महारानी के नाम पर इस फॉल्स का नाम रखा। चार साल पहले गरजने वाले धुंए के बारे में सुनकर उन्होंने इसकी खोज शुरू की थी। .

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आरेंज नदी

आरेंज नदी (Orange river) दक्षिण अफ़्रीका की सबसे लम्बी नदी है। यह लिसूतू देश में द्राखेन्सबर्ग पहाड़ियों से आरम्भ होती है और पश्चिमी दिशा में बहकर अटलांटिक महासागर में विलय हो जाती है। .

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कांगो नदी

कांगो नदी, जो ज़ाइरे नदी भी कहलाती है, अफ़्रीका की एक प्रमुख नदी है। ४,७०० किलोमीटर की दूरी तय करने वाली यह नदी पश्चिम मध्य अफ़्रीका की सबसे विशाल और नील नदी के बाद अफ़्रीका की सबसे लम्बी नदी है। कांगो नदी विश्व की समस्त नदियों में, दक्षिण अमेरीका की ऐमेंज़न नदी के बाद, दूसरी सबसे अधिक जलप्रवाह वाली नदी है। लम्बाई में यह दुनिया की नौवी सबसे लम्बी नदी है और पूर्व अफ़्रीकी रिफ़्ट की पहाड़ियों-पठारों में अपने स्रोत से लेकर अटलांटिक महासागर में विलय तक ४,७०० किमी का फ़ासला तय करती है। अपने मार्ग में कांगो नदी दो बार भूमध्य रेखा पार करती है। इस विशाल नदी का जलसम्भर क्षेत्र भी विशाल है और इसमें लगभग ४० लाख वर्ग किमी आते हैं, जो कि पूरे अफ़्रीकी महाद्वीप का १३% क्षेत्रफल है। .

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