4 संबंधों: आइएसओ ३१, अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली, अन्तर्राष्ट्रीय विद्युततकनीकी आयोग, अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन।
आइएसओ ३१
आइएसओ ३१ अन्तर्राष्ट्रीय मानक ISO 31 (भौतिक मात्रा और इकाइयाँ, अन्तर्राष्ट्रीय मानक संगठन, 1992) यह भौतिक इकाइयों के प्रयोग और मापन की इकाइयों की, एवं उनमें संलग्न सूत्रों की सर्वाधिक प्रशंसित शैली संदर्शिका है। यह वैज्ञानिक और शैक्षिक प्रलेखों में विश्वव्यापी प्रयुक्त होती है। अधिकतर देशों में गणित विज्ञान की पाठ्य पुस्तकों एवं विश्वविद्यालयों में इसका पूर्ण पालन किया जाता है जो ISO 31 द्वारा मार्गदर्शित हैं। .
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अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली
अन्तर्राष्ट्रीय मात्रक प्रणाली (संक्षेप में SI; फ्रेंच Le Système International d'unités का संक्षिप्त रूप), मीटरी पद्धति का आधुनिक रूप है। इसे सामान्य रूप में दशमलव एवं दस के गुणांकों में बनाया गया है। यह विज्ञान एवं वाणिज्य के क्षेत्र में विश्व की सर्वाधिक प्रयोग की जाने वाली प्रणाली है। पुरानी मेट्रिक प्रणाली में कई इकाइयों के समूह प्रयोग किए जाते थे। SI को 1960 में पुरानी मीटर-किलोग्राम-सैकण्ड यानी (MKS) प्रणाली से विकसित किया गया था, बजाय सेंटीमीटर-ग्राम-सैकण्ड प्रणाली की, जिसमें कई कठिनाइयाँ थीं। SI प्रणाली स्थिर नहीं रहती, वरन इसमें निरंतर विकास होते रहते हैं, परंतु इकाइयां अन्तर्राष्ट्रीय समझौतों के द्वारा ही बनाई और बदली जाती हैं। यह प्रणाली लगभग विश्वव्यापक स्तर पर लागू है और अधिकांश देश इसके अलावा अन्य इकाइयों की आधिकारिक परिभाषाएं भी नहीं समझते हैं। परंतु इसके अपवाद संयुक्त राज्य अमरीका और ब्रिटेन हैं, जहाँ अभी भी गैर-SI इकाइयों उनकी पुरानी प्रणालियाँ लागू हैं।भारत मॆं यह प्रणाली 1 अप्रैल, 1957 मॆं लागू हुई। इसके साथ ही यहां नया पैसा भी लागू हुआ, जो कि स्वयं दशमलव प्रणाली पर आधारित था। इस प्रणाली में कई नई नामकरण की गई इकाइयाँ लागू हुई। इस प्रणाली में सात मूल इकाइयाँ (मीटर, किलोग्राम, सैकण्ड, एम्पीयर, कैल्विन, मोल, कैन्डेला, कूलम्ब) और अन्य कई व्युत्पन्न इकाइयाँ हैं। कुछ वैज्ञानिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में एस आई प्रणाली के साथ अन्य इकाइयाँ भी प्रयोग में लाई जाती हैं। SI उपसर्गों के माध्यम से बहुत छोटी और बहुत बड़ी मात्राओं को व्यक्त करने में सरलता होती है। तीन राष्ट्रों ने आधिकारिक रूप से इस प्रणाली को अपनी पूर्ण या प्राथमिक मापन प्रणाली स्वीकार्य नहीं किया है। ये राष्ट्र हैं: लाइबेरिया, म्याँमार और संयुक्त राज्य अमरीका। .
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अन्तर्राष्ट्रीय विद्युततकनीकी आयोग
अन्तर्राष्ट्रीय विद्युततकनीकी आयोग या (IEC) एक लाभ निरपेक्ष, गैर-सरकारी अन्तर्राष्ट्रीय मानक संगठन है। यह विद्युतीय, इलैक्ट्रानिकीय और संबंधित प्रौद्योगिकीयों – सामूहिक रूप से जिन्हें "विद्युतप्रौद्योगिकी" या "electrotechnology" कहते हैं, उनके लिये अन्तर्राष्ट्रीय मानक निर्मित एवं प्रकाशित करता है। IEC मानक प्रौद्योगिकियों की एक वृहत संख्या कवर करता है, जैसे कि ऊर्जा उत्पादन, प्रसारण और घरेलु उपकरणों, कार्यालयों, अर्ध-चालकों, फ़ाइबर-आप्टिक्स, बैटरियों, सौर-उर्जा, नैनोतकनीक और्मैरीन ऊर्जा, इत्यादि कई और भी.
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अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन
अन्तर्राष्ट्रीय विद्युततकनीकी आयोग यह लेख या कुछ अंश अपनी मूल भाषा में है, जिससे कि इन तथ्यों की मौलिकता बनी रहे। कृपया इसे अनुवाद करने का प्रयास न करें, या पहले संवाद पृष्ठ पर चर्चा करके फिर सुधार करें। अन्तराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (फ्रेंच में Organisation internationale de normalisation), जिसे अधिकतर ISO कहा जाता है, विभिन्न राष्ट्रों के मानक संगठनों के प्रतिनिधियों से गठित एक अन्तर्राष्ट्रीय मानक-विन्यास संस्था है। इसकी स्थापना 23 फरवरी, 1947 को हुई थी, विश्वव्यापी औद्योगिक एवं वाणिज्यिक मानकों को घोषित करने हेतु। इसका मुख्यालय जेनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है। यद्यपि ISO स्वयं को एक गैर सरकारी संगठन कहता है, इसकी मानक स्थापित करने की क्षमता, जो कि प्राय्ः विधि बन जाते हैं, या तो समझौतों के द्वारा, या फिर राष्ट्रीय मान; यह इसको गैर सरकारी संगठनों से अधिक शक्तिशाली बनाता है। वैसे व्यवहार में यह एक संकाय या अल्पकालीन संगठन जैसे कार्यरत है, जिसकी सरकारों से मजबूत कङियाँ हैं।.
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