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अनुरणन

सूची अनुरणन

विभिन्न परकार के अनुरणन: '''लाल''' - सीधे पहुँची ध्वनि, '''हरी''' - एक बार परावर्तित होने के बाद पहुँची ध्वनि, '''नीली''' - अनेकों बार परावर्तन के बाद पहुँची ध्वनि मनोध्वनिकी तथा ध्वनिकी में अनुरणन (Reverberation) का अर्थ है ध्वनि उत्पन्न होने के बाद उसका बहुत देर तक बने रहना। अनुरणन तब उत्पन्न होता है जब ध्वनि अनेकानेक बार परावर्तित होने के कारण जुड़ती चली जाती है। अनुरणन के बाद ध्वनि विभिन्न वस्तुओं (दीवार, कुर्सी, मेज, लोग आदि) से अवशोषित होकर क्रमशः क्षीण हो जाती है। अनुरणन की परिघटना को उस समय आसानी से अनुभव किया जाता है जब ध्वनि उत्पन्न करने वाला स्रोत (जैसे स्पीकर) बन्द हो जाने के बाद भी ध्वनि बहुत देर तक बनी रहे अर्थात् तुरन्त समाप्त होने के बजाय धीरे-धीरे क्षीण होते हुए भी बहुत देर तक बनी रहती है। अनुरणन की क्रिया आवृत्ति पर भी निर्भर करती है। विशेष कक्षों की डिजाइन करते समय वांक्षित अनुरणन-समय की प्राप्ति के लिये कुछ चीजों पर विशेष ध्यान देना पड़ सकता है। यदि अनुरणन की तुलना प्रतिध्वनि से करनी हो तो ध्यातव्य है कि प्रतिध्वनि को स्पष्ट रूप से सुनने के लिये कम से कम 50 मिलीसेकेण्ड से 100 मिलीसेकेण्ड का समयान्तराल होना आवश्यक है, किन्तु अनुरणन के लिये परावर्तित ध्वनि ५० मिलीसेकेण्ड के अन्दर ही पहुँच जानी चाहिये। अनुरणन केवल कमरों के अन्दर ही नहीं होता बल्कि वनों में भी और अन्य स्थानों पर भी सम्भव है। .

7 संबंधों: ध्वनि, ध्वनिकी, परावर्तन, प्रतिध्वनि, वन, आयतन, आवृत्ति

ध्वनि

ड्रम की झिल्ली में कंपन पैदा होता होता जो जो हवा के सम्पर्क में आकर ध्वनि तरंगें पैदा करती है मानव एवं अन्य जन्तु ध्वनि को कैसे सुनते हैं? -- ('''नीला''': ध्वनि तरंग, '''लाल''': कान का पर्दा, '''पीला''': कान की वह मेकेनिज्म जो ध्वनि को संकेतों में बदल देती है। '''हरा''': श्रवण तंत्रिकाएँ, '''नीललोहित''' (पर्पल): ध्वनि संकेत का आवृति स्पेक्ट्रम, '''नारंगी''': तंत्रिका में गया संकेत) ध्वनि (Sound) एक प्रकार का कम्पन या विक्षोभ है जो किसी ठोस, द्रव या गैस से होकर संचारित होती है। किन्तु मुख्य रूप से उन कम्पनों को ही ध्वनि कहते हैं जो मानव के कान (Ear) से सुनायी पडती हैं। .

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ध्वनिकी

सिरिया में बसरा स्थित रोमकालीन नाट्यशाला: ध्वनिकी के सिद्धान्तों का प्राचीन काल से ही उपयोग होता आ रहा है। ध्वनिकी (Acoustics) भौतिकी की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत ध्वनि तरंगो, अपश्रव्य तरंगों एवं पराश्रव्य तरंगों सहित ठोस, द्रव एवं गैसों में संचारित होने वाली सभी प्रकार की यांत्रिक तरंगों का अध्ययन किया जाता है। ध्वनि की उत्पत्ति द्रव्यपिंडों के दोलन द्वारा होती है। इस दोलन से वायु की दाब एवं घनत्व में प्रत्यावर्ती (alternating) परिर्वतन होने लगते हैं, जो अपने स्रोत से एक विशेष वेग के साथ आगे बढ़ते हैं। इनको ही ध्वनि की तरंग कहा जाता है। जब ये तरंगें कान के परदे से टकराती हैं, तब ध्वनि-संवेदन होता है। इन तरंगों की विशेषता यह है कि इनमें परावर्तन, अपवर्तन (refraction) तथा विवर्तन (diffraction) हो सकता है। प्रति सेकंड दोलन संख्या को आवृति (frequency) कहते हैं। मनुष्य का कान एक सीमित परास की आवृतियों को ही सुन सकता है, किंतु आजकल ऐसी तरंगें भी उत्पन्न की जा सकती है जिसका कान के परदे पर कोई असर नहीं होता। कान की सीमा से अधिक परास की आवृतियों की ध्वनि को पराश्रव्य तरंगें कहते हैं। बहुत से जानवर, जैसे चमगादड़, पराश्रव्य ध्वनि सुन सकते हैं। आधुनिक समय में श्रव्य तथा पराश्रव्य दोनों प्रकार की ध्वनियों की आवृतियों को एक बड़ी सीमा के भीतर उत्पन्न किया, पहचाना और मापा जा सकता है। .

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परावर्तन

परावर्तन निम्न में से किसी एक के लिए प्रयुक्त शब्द है: .

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प्रतिध्वनि

जब किसी स्रोत से उत्पन्न ध्वनि आगे जाकर किसी वस्तु (जैसे दीवार, पहाड़) से टकराकर पुन: स्रोत के पास वापस लौटती है तो इसे प्रतिध्वनि (echo) कहते हैं। वस्तुत: यह ध्वनि के परावर्तन का परिणाम है जो कुछ देर बात स्रोत के पास वापस पहुंच जाती है। उदाहरण के लिये कुंएँ में आवाज लगाने पर अपनी ही आवाज थोड़ी देर बाद सुनाई पड़ती है। .

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वन

National Park)). एक क्षेत्र जहाँ वृक्षों का घनत्व अत्यधिक रहता है उसे वन कहते हैं। पेड़ जंगल के कई परिभाषाएँ, है जो कि विभिन्न मानदंडों पर आधारित हैं। वनों ने पृथ्वी के लगभग ९.४% भाग को घेर रखा है और कुल भूमि क्षेत्र का लगभग 30% भाग घेर रखा है। कभी वन कुल भूमि क्षेत्र के ५०% भाग में फैल हुए थे। वन जीव जन्तुओं के लिए आवास स्थल, जल-चक्र को प्रभावित करते हैं और मृदा संरक्षण के काम आते हैं इसी कारण यह पृथ्वी के जैवमण्डल का अहम हिस्सा कहलाते हैं। इतिहास बताता है, कि "वन" एक बीहड़ क्षेत्र जिसका मतलब कानूनी तौर पर बाजू के लिए निर्धारित शिकार के द्वारा सामंती कुलीनता है और इन शिकार जंगलों जरूरी ज्यादा अगर में सभी (देखें जंगली नहीं थे रॉयल वन। हालांकि, शिकार के जंगलों अक्सर वुडलैंड के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को शामिल किया जबकि, शब्द वन अंततः जंगली भूमि अधिक सामान्यतः मतलब करने के लिए आया था। एक वुडलैंड जो की एक जंगल से भिन्न है। .

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आयतन

सभी पदार्थ स्थान (त्रि-बीमीय स्थान) घेरते हैं। इसी त्रि-बीमीय स्थान की मात्रा की माप को आयतन कहते हैं। एक-बीमीय आकृतियाँ (जैसे रेखा) एवं द्वि-बीमीय आकृतियाँ (जैसे त्रिभुज, चतुर्भुज, वर्ग आदि) का आयतन शून्य होता है। .

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आवृत्ति

विभिन्न आवृतियों की तरंगें कोई आवृत घटना (बार-बार दोहराई जाने वाली घटना), इकाई समय में जितनी बार घटित होती है उसे उस घटना की आवृत्ति (frequency) कहते हैं। आवृति को किसी साइनाकार (sinusoidal) तरंग के कला (phase) परिवर्तन की दर के रूप में भी समझ सकते हैं। आवृति की इकाई हर्त्ज (साकल्स प्रति सेकण्ड) होती है। एक कम्पन पूरा करने में जितना समय लगता है उसे आवर्त काल (Time Period) कहते हैं। आवर्त काल .

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