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अनाम (हिंदचीन का राज्य)

सूची अनाम (हिंदचीन का राज्य)

द्वितीय विश्वयुद्ध से पूर्व हिंदचीन के पाँच प्रांत थे - लाओस, कंबोडिया, अनाम (Annam), कोचीन चीन तथा टोंटिंग। अनाम (अनैम, ऐनैम) दक्षिण पूर्वी एशिया में फ्रेंच इंडोचीन प्रोटेक्टरेट के भीतर एक देश था। इसके उत्तर में टॉनकिन, पूर्व तथा दक्षिण पूर्व में चीन सागर, दक्षिण पश्चिम में कोचीन चीन और पश्चिम में कंबोडिया एवं लाओस प्रदेश हैं। अनाम की लंबाई लगभग 750-800 मील तथा क्षेत्रफल लगभग 59,000 वर्ग मील है। यहाँ के आदिवासी अनामी टांगाकिंग तथा दक्षिणी चीन की गायोची जाति को अपना पूर्वपुरुष मानते हैं। कुछ औरों के विचार से ये अनामी आदिवासी चीन राजवंश के उत्तराधिकारी हैं। इनके राज्य के बाद एक दूसरा वंश यहाँ आकर जमा जिसके समय में चीन राज्य ने अनाम पर आक्रमण किया। बाद में डिन-बो-लान्ह के वंशधरों ने यहाँ राज्य किया। उनके समय में चाम नामक एक जाति बहुत बड़ी संख्या में यहाँ आ पहुँची। ये लोग हिंदू थे और इनके द्वारा बनी कई अट्टालिकाएँ आज भी इसका प्रमाण हैं। सन्‌ 1407 ई. में अनाम पर चीनी लोगों का पुन: आक्रमण हुआ, परन्तु 1428 में लीलोयी नामक एक अनामी सेनाध्यक्ष ने इसे चीनियों के हाथ से मुक्त किया। लीलोयी के बाद गुयेन नामक एक परिवार ने इसपर 18वीं शताब्दी तक राज्य किया। इसके पश्चात्‌ अनाम फ्रांसीसियों के अधिकार में चला गया। वे पिनो द बहें नामक एक पादरी (बिशप) की सहायता से इस देश में आए थे। गुयेन परिवार के गियालंग नामक एक विद्रोही ने इस पादरी के साथ मिलकर फ्रांसीसी सेना को अनाम में बुलाया था। सन्‌ 1787 ई. में गियालंग ने फ्रांस के राजा 16वें लुई के साथ संधि कर ली और उसके वंशज कुछ समय तक राज्य करते रहे। टु डचू अनाम का अंतिम स्वाधीन राजा था। 1859 में फ्रांस तथा स्पेन ने अनाम पर आक्रमण किए। अनाम के राजा ने चीन सम्राट् के पास सहायता के लिए प्रार्थना की परंतु चीन के साथ फ्रांसीसियों ने समझौता कर लिया। सन्‌ 1884 में अनाम फ्रेंच प्रोटेक्टरेट हो गया और एक रेज़िडेंट सुपीरियर अनाम के राजकार्य परिदर्शन के लिए रखे गए। इस संबंध में बाओं दाई यहाँ के अंतिम राजा रहे। द्वितीय महायुद्ध के समय 1941 में विची सरकार पर जापानी सेना ने आक्रमण किया और 1945 में फ्रांसीसी अफसरों को पदच्युत करके बाओ दाई को वियतनाम (अर्थात्‌ टॉनकिन, अनाम, कोचीन चीन) का शासनकर्ता बनाया। इसके बाद से वियतनाम की राजनीतिक परिस्थिति बहुत दिनों तक ढीली ढाली रही। 1951 के आसपास साम्यवादी प्रभाव प्रबल हो उठा और झगड़ा उत्तरोत्तर बढ़ता गया। अंत में यह देश 17° अक्षांश रेखा के द्वारा दो भागों में विभाजित किया गया-उत्तरी भाग 'उत्तरी वियतनाम' तथा दक्षिणी भाग 'दक्षिणी वियतनाम' प्रसिद्ध हुआ। प्रधान मंत्री गो डिन डियेम ने बाओ दाई को पदच्युत करके दक्षिणी वियतनाम जनतंत्र स्थापित किया तथा इसका पहला राष्ट्रपति बना। अनाम के उत्तर से दक्षिण तक अनामीज़ कारडिलेरा पर्वतश्रेणी फैली हुई है। यह श्रेणी लाओस के पार्वत्य भाग से दक्षिण की ओर आकर पूर्वी ओर ठीक वैसे ही मुड़ जाती है जैसे बर्मा का पहाड़ पश्चिम की ओर मुड़ता है। इन दोनों पहाड़ों ने अपने बीच में कंबोडिया के पठार को घेर रखा है। इस पार्वत्य प्रदेश की रीढ़ प्रधानत: ग्रैनाइट शिला से बनी हुइ है जिसके आसपास अपक्षरण से पुरानी शिलाएँ निकल पड़ी हैं। कहीं-कहीं पर अपेक्षाकृत बाद में बनी हुई शिलाएँ जैसे कार्बोनिफेरस युग के चूने के पत्थर भी दिखाई पड़ते हैं। ये शिलाएँ विशेषकर पूर्वी किनारों पर ही मिलती हैं। यह रीढ़ नदियों द्वारा कटी फटी है; इसलिए किनारे के पास पहाड़ तथा घाटी एक के बाद एक पड़ते है। इस क्षेत्र का उत्तरी भाग पहाड़ी तथा दक्षिणी भाग पठारी है और पहाड़ों में पूहक (6,560 फुट), पूअटवट (8,200 फुट) मदर ऐंड चाइल्ड (6,888 फुट) आदि पर्वतशिखर हैं। पश्चिम की अपेक्षा पूर्व की ओर की ढाल अधिक खड़ी है। कई दर्रो द्वारा उपकूल भाग देश के भीतरी भाग में मिला हुआ है, जिनमें से उत्तर का आसाम गेट (390 फुट) विशेष महत्व के हैं। इस उपकूल भाग में टूरेन की खाड़ी सबसे अच्छा और एकमात्र पोताश्रय (बंदरगाह) है। यहाँ की जलवायु मानसूनी है। दक्षिण पश्चिम मानसून मध्य अप्रैल से अगस्त के अंत तक चला करता है, परंतु यह स्थल के ऊपर से होकर चलने के कारण शुष्क रहता है। इस समय का ताप 82°-86° फा.

4 संबंधों: द्वितीय विश्वयुद्ध, हिंदचीन, वियतनाम, वियतनामी भाषा

द्वितीय विश्वयुद्ध

द्वितीय विश्वयुद्ध १९३९ से १९४५ तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग ७० देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग १० करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में ५ से ७ करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था। हालांकि जापान चीन से सन् १९३७ ई. से युद्ध की अवस्था में था किन्तु अमूमन दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत ०१ सितम्बर १९३९ में जानी जाती है जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया। जर्मनी ने १९३९ में यूरोप में एक बड़ा साम्राज्य बनाने के उद्देश्य से पोलैंड पर हमला बोल दिया। १९३९ के अंत से १९४१ की शुरुआत तक, अभियान तथा संधि की एक शृंखला में जर्मनी ने महाद्वीपीय यूरोप का बड़ा भाग या तो अपने अधीन कर लिया था या उसे जीत लिया था। नाट्सी-सोवियत समझौते के तहत सोवियत रूस अपने छः पड़ोसी मुल्कों, जिसमें पोलैंड भी शामिल था, पर क़ाबिज़ हो गया। फ़्रांस की हार के बाद युनाइटेड किंगडम और अन्य राष्ट्रमंडल देश ही धुरी राष्ट्रों से संघर्ष कर रहे थे, जिसमें उत्तरी अफ़्रीका की लड़ाइयाँ तथा लम्बी चली अटलांटिक की लड़ाई शामिल थे। जून १९४१ में युरोपीय धुरी राष्ट्रों ने सोवियत संघ पर हमला बोल दिया और इसने मानव इतिहास में ज़मीनी युद्ध के सबसे बड़े रणक्षेत्र को जन्म दिया। दिसंबर १९४१ को जापानी साम्राज्य भी धुरी राष्ट्रों की तरफ़ से इस युद्ध में कूद गया। दरअसल जापान का उद्देश्य पूर्वी एशिया तथा इंडोचायना में अपना प्रभुत्व स्थापित करने का था। उसने प्रशान्त महासागर में युरोपीय देशों के आधिपत्य वाले क्षेत्रों तथा संयुक्त राज्य अमेरीका के पर्ल हार्बर पर हमला बोल दिया और जल्द ही पश्चिमी प्रशान्त पर क़ब्ज़ा बना लिया। सन् १९४२ में आगे बढ़ती धुरी सेना पर लगाम तब लगी जब पहले तो जापान सिलसिलेवार कई नौसैनिक झड़पें हारा, युरोपीय धुरी ताकतें उत्तरी अफ़्रीका में हारीं और निर्णायक मोड़ तब आया जब उनको स्तालिनग्राड में हार का मुँह देखना पड़ा। सन् १९४३ में जर्मनी पूर्वी युरोप में कई झड़पें हारा, इटली में मित्र राष्ट्रों ने आक्रमण बोल दिया तथा अमेरिका ने प्रशान्त महासागर में जीत दर्ज करनी शुरु कर दी जिसके कारणवश धुरी राष्ट्रों को सारे मोर्चों पर सामरिक दृश्टि से पीछे हटने की रणनीति अपनाने को मजबूर होना पड़ा। सन् १९४४ में जहाँ एक ओर पश्चिमी मित्र देशों ने जर्मनी द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़्रांस पर आक्रमण किया वहीं दूसरी ओर से सोवियत संघ ने अपनी खोई हुयी ज़मीन वापस छीनने के बाद जर्मनी तथा उसके सहयोगी राष्ट्रों पर हमला बोल दिया। सन् १९४५ के अप्रैल-मई में सोवियत और पोलैंड की सेनाओं ने बर्लिन पर क़ब्ज़ा कर लिया और युरोप में दूसरे विश्वयुद्ध का अन्त ८ मई १९४५ को तब हुआ जब जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। सन् १९४४ और १९४५ के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्चिमी प्रशान्त के कई द्वीपों में अपना क़ब्ज़ा बना लिया। जब जापानी द्वीपसमूह पर आक्रमण करने का समय क़रीब आया तो अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिरा दिये। १५ अगस्त १९४५ को एशिया में भी दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हो गया जब जापानी साम्राज्य ने आत्मसमर्पण करना स्वीकार कर लिया। .

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हिंदचीन

फ्रेंच हिन्दचीन का प्रसार फ्रेंच हिन्दचीन के उपविभाग हिंदचीन (जिनेवा सम्मलेन के बाद फ़्रांसिसी वियतनाम से निकल गए और फ़्रांसिसी हिंदचीन का अंत हो गया। श्रेणी:वियतनाम श्रेणी:उपनिवेश.

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वियतनाम

वियतनाम (आधिकारिक तौर पर वियतनाम समाजवादी गणराज्य) दक्षिणपूर्व एशिया के हिन्दचीन प्रायद्वीप के पूर्वी भाग में स्थित एक देश है। इसके उत्तर में चीन, उत्तर पश्चिम में लाओस, दक्षिण पश्चिम में कंबोडिया और पूर्व में दक्षिण चीन सागर स्थित है। २००८ में ८ करोड़ ६१ लाख की जनसंख्या के साथ वियतनाम दुनिया में १३वाँ सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। बौद्ध धर्म यहां का प्रमुख धर्म है जो देश जनसंख्या का ८५% हिस्सा है। और बौद्ध जनसंख्या में ये दुनिया का तीसरा बड़ा देश है (चीन और जापान के बाद)। वियतनाम में आज करीब ७.५ करोड़ बौद्ध धर्म के अनुयायी है। .

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वियतनामी भाषा

मूलतः वियतनामी भाषा बोलने वाले क्षेत्र वियतनामी भाषा वियतनाम की राजभाषा है। जब वियतनाम फ्रांस का उपनिवेश था तब इसे अन्नामी (Annamese) कहा जाता था। वियतनाम के ८६% लोगों की यह मातृभाषा है तथा लगभग ३० लाख वियतनामी बोलने वाले यूएसए में रहते हैं। यह ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा-परिवार की भाषा है। वियतनामी भाषा की अधिकांश शब्दराशि चीनी भाषा से ली गयी है। यह वैसे ही है जैसे यूरोपीय भाषाएं लैटिन एवं यूनानी भाषा से शब्द ग्रहण की हैं उसी प्रकार वियतनामी भाषा ने चीनी भाषा से मुख्यत: अमूर्त विचारों को व्यक्त करने वाले शब्द उधार लिये हैं। वियतनामी भाषा पहले चीनी लिपि में ही लिखी जाती थी (परिवर्धित रूप की चीनी लिपि में) किन्तु वर्तमान में वियतनामी लेखन पद्धति में लैटिन वर्णमाला को परिवर्तित (adapt) करके तथा कुछ डायाक्रिटिक्स (diacritics) का प्रयोग करके लिया जाता है। .

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