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अधिकतम शक्ति-बिन्दु अनुसरण

सूची अधिकतम शक्ति-बिन्दु अनुसरण

सोलर सेल के V-I तथा V-P वक्र; इस पर अधिकतम शक्ति-बिन्दु प्रदर्शित है अधिकतम शक्ति-बिन्दु अनुसरण (Maximum power point tracking (MPPT)) एक तकनीक है जिसका उपयोग ग्रिड से जुडे पवन टर्बाइनों एवं प्रकाशविद्युतीय सौर प्रणालियों में किया जाता है ताकि इनसे किसी समय अधिक से अधिक विद्युत शक्ति प्राप्त करके ग्रिड को दिया जा सके। प्रकाशविद्युतीय सौर ऊर्जा प्राप्त करके उसे कई प्रकार से उपयोग में लाया जा सकता है। इसमें से सबसे आधारभूत तरीका यह है कि कलेक्टर से प्राप्त वोल्टेज को इन्वर्टर को दिया जाता है जो इसे प्रत्यावर्ती धारा में बदलकर सीधे ग्रिड में डाल देता है। अधिकतम शक्ति बिन्दु अनुसरण की डिजाइन के लिये सोलर सेल का धारा-वोल्टता वैशिष्ट्य (I-V वक्र; अथवा दूसरे शब्दों में, सोलर सेल का तुल्य परिपथ) बहुत महत्वपूर्ण है। .

4 संबंधों: तुल्य परिपथ, प्रत्यावर्ती धारा, विद्युत शक्ति, इन्वर्टर

तुल्य परिपथ

एक वास्तविक धारा स्रोत (करेंट सोर्स) का तुल्य परिपथ किसी तन्त्र या युक्ति के गणितीय मॉडल को जब किसी विद्युत परिपथ के रूप में निरुपित किया जाता है तो इस विद्युत परिपथ को तुल्य परिपथ (equivalent circuit) कहते हैं। उदाहरण के लिये किसी बैटरी को एक आदर्श वोल्टेज स्रोत एवं एक प्रतिरोध के श्रेणीक्रम (सिरीज) संयोजन के रूप में प्रदर्शित किया जा सकता है। इसी तरह समान्तर क्रम (पैरेलेल) में जुड़े कई प्रतिरोधों के स्थान पर एक ही प्रतिरोध लगाया जा सकता है जो परिपथ से उतनी ही धारा ले जो समान्तर क्रम में जुडे सभी प्रतिरोध मिलकर लेते हैं। समान्तर क्रम में जुड़े '''n''' प्रतिरोधों का तुल्य प्रतिरोध .

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प्रत्यावर्ती धारा

प्रत्यावर्ती धारा वह धारा है जो किसी विद्युत परिपथ में अपनी दिशा बदलती रहती हैं। इसके विपरीत दिष्ट धारा समय के साथ अपनी दिशा नहीं बदलती। भारत में घरों में प्रयुक्त प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति ५० हर्ट्स होती हैं अर्थात यह एक सेकेण्ड में पचास बार अपनी दिशा बदलती है। वेस्टिंगहाउस का आरम्भिक दिनों का प्रत्यावर्ती धारा निकाय प्रत्यावर्ती धारा या पत्यावर्ती विभव का परिमाण (मैग्निट्यूड) समय के साथ बदलता रहता है और वह शून्य पर पहुंचकर विपरीत चिन्ह का (धनात्मक से ऋणात्मक या इसके उल्टा) भी हो जाता है। विभव या धारा के परिमाण में समय के साथ यह परिवर्तन कई तरह से सम्भव है। उदाहरण के लिये यह साइन-आकार (साइनस्वायडल) हो सकता है, त्रिभुजाकार हो सकता है, वर्गाकार हो सकता है, आदि। इनमें साइन-आकार का विभव या धारा का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। आजकल दुनिया के लगभग सभी देशों में बिजली का उत्पादन एवं वितरण प्रायः प्रत्यावर्ती धारा के रूप में ही किया जाता है, न कि दिष्ट-धारा (डीसी) के रूप में। इसका प्रमुख कारण है कि एसी का उत्पादन आसान है; इसके परिमाण को बिना कठिनाई के ट्रान्सफार्मर की सहायता से कम या अधिक किया जा सकता है; तरह-तरह की त्रि-फेजी मोटरों की सहायता से इसको यांत्रिक उर्जा में बदला जा सकता है। इसके अलावा श्रव्य आवृत्ति, रेडियो आवृत्ति, दृश्य आवृत्ति आदि भी प्रत्यावर्ती धारा के ही रूप हैं। .

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विद्युत शक्ति

किसी विद्युत परिपथ में जिस दर से विद्युत उर्जा स्थानान्तरित होती है उसे विद्युत शक्ति (Electric power) कहते हैं। इसका एसआई मात्रक 'वाट' (W) है। किसी परिपथ के दो नोडों के बीच विभवान्तर v(t) हो तथा इस शाखा में धारा i(t) हो तो उस शाखा द्वारा ली गयी विद्युतशक्ति, .

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इन्वर्टर

प्रतिलोमक या इन्वर्टर के निम्नलिखित अर्थ हो सकते हैं-.

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