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अथीना

सूची अथीना

''Mattei Athena'' at Louvre. Roman copy from the 1st century BC/AD after a Greek original of the 4th century BC, attributed to Cephisodotos or Euphranor. अथीना (अथवा अथाना, अथेने या अथेना) (अंग्रेज़ी::en:Athena, यूनानी: अथैना) प्राचीन यूनानी धर्म के प्रमुख देवियों में से एक थीं। वो बुद्धि, हुनर और युद्ध की देवी थीं। वो अथेन्स सहर की इष्टदेवी थीं, जहाँ उनका बहुत ब.दा मंदिर था। प्राचीन रोमन धर्म में उनकी समतुल्य देवी थीं - मिनर्वा। .

4 संबंधों: प्राचीन रोम में धर्म, मिनर्वा, यूनानी धर्म, संस्कृत भाषा

प्राचीन रोम में धर्म

यूपीतेर- आकाश के देवता रोमन धर्म प्राचीन रोम नगर और इटली देश का सबसे मुख्य- और राजधर्म था। रोमन धर्म सामी धर्म बिलकुल नहीं था। वो एक भारोपीय (हिन्द-यूरोपीय) धर्म था। ये एक मूर्तिपूजक और बहुदेवतावादी धर्म था। इसमें एक अदृश्य ईश्वर की अवधारणा नहीं थी। ईसाई धर्म के राजधर्म बनने के बाद ईसाइयों ने इसपर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद ये लुप्त हो गया। फिर भी, आज कल, कुछ यूरोपीय लोग सामी धर्म (यहूदी, ईसाई और ईस्लामी धर्म) छोड़ दिये और रोमन धर्म और दर्शन वापस चल चुके हैं। क्योंकि वे लोगों को लगता है कि रोमन धर्म ईसाई धर्म से अच्छा है और सहिष्णु भी। रोमन धर्म में कुछ बड़े, गहरे और मुक्त दर्शन हैं। रोमन लोग बहुत धार्मिक और आत्मिक लोग थे। इस धर्म के कई देवताओं के सम्तुल्य देवता प्राचीन यूनानी धर्म में, जर्मनिक धर्म, फ़ारसी धर्म और हिन्दू धर्म में मिलते हैं। इसका वजह है कि वे सब धर्म वैदिक और आर्य धर्म हैं। जैसे यूनानी, जर्मनिक, फ़ारसी और हिन्दू संस्कृति, रोमन संस्कृति और धर्म भारोपीय (हिन्द-यूरोपीय) ही थे। ये देवता और देवियाँ रोमन हैं। तुल्य हिन्दू देवता देवियाँ भी लेखे हुए हैं लेकिन 100% समान नहीं हैं। कुछ अलग भी है, मगर सच है कि रोमन ईश्वरीय परम्परा हिन्दु परम्परे से दूर नहीं है। रोमन और हिन्दू दोनों भारोपीय हैं, यानी बहन संस्कृतियाँ। .

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मिनर्वा

मिनर्वा या मीनरवा (अंग्रेज़ी::en:Minerva, लातिनी: Minerva मिनेर्वा) प्राचीन रोमन धर्म की प्रमुख देवियों में से एक थीं। वो बुद्धि, संगीत, चिकित्सा, कविता, हुनर और वाणिज्य की देवी थीं। वो सदाकुमारी थीं। उनके समतुल्य प्राचीन यूनानी धर्म की देवी थीं अथीना। श्रेणी:रोम के देवी-देवता श्रेणी:रोमन धर्म.

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यूनानी धर्म

प्राचीन यूनानी धर्म (अथवा प्राचीन ग्रीक धर्म) प्राचीन यूनान (ग्रीस) देश का सबसे मुख्य- और राजधर्म था। ये एक मूर्तिपूजक और बहुदेवतावादी धर्म था। इसमें एक अदृश्य ईश्वर की अवधारणा नहीं थी। ईसाई धर्म के राजधर्म बनने के बाद ईसाइयों ने इसपर प्रतिबंध लगा दिया और इसके देवी-देवताओं को शैतान करार दिया। इसके बाद ये लुप्त हो गया। ग्रीक पौराणिक कथाएं, उन प्राचीन यूनानियों, उनके देवताओं, नायकों, दुनिया की प्रकृति, अनुष्ठान प्रथाओं के महत्व के विषय में संबंधित मिथकों और किंवदंतियों का आधार हैं। वे प्राचीन ग्रीस में धर्म का एक हिस्सा थीं आधुनिक विद्वानों ने इन मिथकों का अध्ययन कर प्राचीन ग्रीस, इसकी सभ्यता की धार्मिक और राजनीतिक संस्थाओं पर प्रकाश डाला है और लाभ मिथक बनाने की प्रकृति को समझने का प्रयास किया है। ग्रीक पौराणिक कथाएं कथा रूप मे भारी मात्रा में संग्रहीत हैं। इनका बड़ा संग्रह परोक्ष रूप मे फूलदानओं पर उकेरी कला कृतियों के रूप में, भित्तिचित्रों कि द्वारा दुनिया कि उत्पत्ति के विवरणओं, जीवन और देवताओं, देवी, नायकों, नायिकाओं और पौराणिक प्राणियों की एक विस्तृत विविधता के रोमांच की व्याख्या करने का प्रयास करतए है। इन कथनकों को शुरू में एक मौखिक काव्य परंपरा में फैलाया गया, आज ग्रीक मिथकों को ग्रीक साहित्य से मुख्य रूप से जाना जाता है। Iliad और ओडिसी दो महाकाव्य, प्राचीनतम ज्ञात यूनानी साहित्यिक स्रोत, ट्रोजन युद्ध के आसपास की घटनाओं पर ध्यान केंद्रित हैं। होमर के समकालीन हेसियड, Theogony के आक्ख्यान दुनिया की उत्पत्ति, दिव्य शासकों व उनके उत्तराधिका्रियों के, मानव युगों के बारे में मानवीय संकट के भययोग्य उद्गम और बलि प्रथाओं केविषय मे जानकारी देते हैं। मिथक होमेर के भजनों में भी संरक्षित हैं, इस काल के काव्य खण्डों में, गेय कविताओं में, पांचवीं शताब्दी ई.पू.

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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