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अंकीय इलेक्ट्रॉनिकी

सूची अंकीय इलेक्ट्रॉनिकी

अंकीय इलेक्ट्रॉनिकी या डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स इलेक्ट्रॉनिक्स की एक शाखा है जिसमें विद्युत संकेत अंकीय होते हैं। अंकीय संकेत बहुत तरह के हो सकते हैं किन्तु बाइनरी डिजिटल संकेत सबसे अधिक उपयोग में आते हैं। शून्य/एक, ऑन/ऑफ, हाँ/नहीं, लो/हाई आदि बाइनरी संकेतों के कुछ उदाहरण हैं। जबसे एकीकृत परिपथों (इन्टीग्रेटेड सर्किट) का प्रादुर्भाव हुआ है और एक छोटी सी चिप में लाखों करोंड़ों इलेक्ट्रॉनिक युक्तियाँ भरी जाने लगीं हैं तब से डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक बहुत महत्वपूर्ण हो गयी है। आधुनिक व्यक्तिगत कम्प्यूटर (पीसी) तथा सेल-फोन, डिजिटल कैमरा आदि डिजिटल इलेक्ट्रॉनिकी की देन हैं। लकडी की तख्ती पर हाथ से बुनी हुई एक द्विआधारी घड़ी एक औद्योगिक अंकीय नियंत्रक इनटेल 80486DX2 माइक्रोप्रोसेसर अंकीय इलेक्ट्रॉनिकी, या सूक्ष्माड़विक आंकिक पद्धति ऐसी प्रणाली है जो विद्युत संकेतों को, रेखीय स्तर के एक निरंतर पट्टियों के बजाए एक अलग अलग पट्टियों की श्रृंखला के रूप में दर्शाती है। इस पट्टी के सभी स्तर संकेतों की एक ही अवस्था को दर्शाते हैं। संकेतो की इस पृथकता की वजह से निर्माण सहनशीलता के काऱण रेखीय संकेतो के स्तर में आये अपेक्षाकृत छोटे बदलाव अलग आवरण नहीं छोड़ते है। जिसके परिणाम स्वरुप संकेतो की अवस्था को महसूस करने वाला परिपथ इन्हे नजरअंदाज कर देता है। ज्यादातर मामलों में संकेतो की अवस्था की संख्या दो होती है और इन दो अवस्थाओं को दो वोल्टेज स्तरों द्वारा दर्शाया जाता है: प्रयोग में आपूर्ति वोल्टेज के आधार पर एक व दूसरा (आमतौर पर "जमीनी" या शून्य वोल्ट के रूप में कहा जाता है)| 1 उच्च स्तर पर होता है व 0 निम्न स्तर पर। अक्सर ये दोनों स्तर "लो" और "हाई" के रूप में प्रतिनिधित्व करते हैं। आंकिक तकनीक का मूल लाभ इस तथ्य पर आधारित है कि संकेतो की एक सतत श्रृंखला को पुनरुत्पादित करने के बजाए, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को संकेतो की ० या १ जैसे किसी ज्ञात अवस्था में भेजना ज्यादा आसान होता है। डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स आम तौर पर लॉजिक गेट्स के वृहद संयोजन व बूलियन तर्क प्रकार्य के सरल इलेक्ट्रोनिक्स से बनाया जाता है। .

22 संबंधों: चार्ल्स बैबेज, ट्रांजिस्टर, एकीकृत परिपथ, नैनो, परिपथ डिजाइन, फ्लिप-फ्लॉप, बहुसंकेतक, माइक्रोकंट्रोलर, रिले, रेडियो, शोर, संख्या, हर्ट्ज़, विभवांतर, इलैक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन स्वचालन, कम्प्यूटर प्रोग्राम, कंप्यूटर, अनुरूप एलेक्ट्रॉनिकी, अनुक्रमिक लॉजिक, अंक, अंकीय संकेत प्रक्रमण

चार्ल्स बैबेज

चार्ल्स बैबेज एक अंग्रेजी बहुश्रुत थे वह एक गणितज्ञ, दार्शनिक, आविष्कारक और यांत्रिक इंजीनियर थे, जो वर्तमान में सबसे अच्छे कंप्यूटर प्रोग्राम की अवधारणा के उद्धव के लिए जाने जाते हैं या याद किये जाते है। चार्ल्स बैबेज को "कंप्यूटर का पिता"(फादर ऑफ कम्प्यूटर) माना जाता है। बैबेज को अंततः अधिक जटिल डिजाइन करने के लिए एवं उनके नेतृत्व में पहली यांत्रिक कंप्यूटर की खोज करने का श्रेय दिया जाता है। इन्हें अन्य क्षेत्रों में अपने विभिन्न कामो के लिए भी जाना जाता है एवं इन्हें अपने समय में काफी लोकप्रियता एवं सम्मान भी मिला अपने विभिन्न खोज के लिए और वही आगे चल कर कंप्यूटर जगत में नए खोजो का श्रोत बना। बैबेज के द्वारा निर्मित अपूर्ण तंत्र के कुछ हिस्सों को लंदन साइंस म्यूजियम में प्रदर्शनी के लिए रखा गया है| 1991 में, एक पूरी तरह से कार्य कर रहा अंतर इंजन बैबेज की मूल योजना से निर्माण किया गया था। 19 वीं सदी में प्राप्त के लिए निर्मित, समाप्त इंजन की सफलता ने यह संकेत दिया की बैबेज की मशीन काम करती है। .

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ट्रांजिस्टर

अलग-अलग रेटिंग के कुछ प्रथनक ट्रान्जिस्टर (प्रथनक) एक अर्धचालक युक्ति है जिसे मुख्यतः प्रवर्धक (Amplifier) के रूप में प्रयोग किया जाता है। कुछ लोग इसे बीसवीं शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण खोज मानते हैं। ट्रान्जिस्टर का उपयोग अनेक प्रकार से होता है। इसे प्रवर्धक, स्विच, वोल्टेज नियामक (रेगुलेटर), संकेत न्यूनाधिक (सिग्नल माडुलेटर), थरथरानवाला (आसिलेटर) आदि के रूप में काम में लाया जाता है। पहले जो कार्य ट्रायोड या त्रयाग्र से किये जाते थे वे अधिकांशत: अब ट्रान्जिस्टर के द्वारा किये जाते हैं। .

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एकीकृत परिपथ

माइक्रोचिप कम्पनी की इप्रोम (EPROM) स्मृति के एकीकृत परिपथ आधुनिक सरफेस माउण्ट आईसी ऐटमेल (Atmel) की एक आईसी, जिसके अन्दर स्मृति ब्लॉक, निवेश निर्गम (इन्पुट-ऑउटपुट) एवं तर्क के ब्लॉक देखे जा सकते हैं। यह एक ही चिप में पूरा तन्त्र (System on Chip) है। एलेक्ट्रॉनिकी में एकीकृत परिपथ या एकीपरि (इन्टीग्रेटेड सर्किट (IC)) को सूक्ष्मपरिपथ (माइक्रोसर्किट), सूक्ष्मचिप, सिलिकॉन चिप, या केवल चिप के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अर्धचालक पदार्थ के अन्दर बना हुआ एलेक्ट्रॉनिक परिपथ ही होता है जिसमें प्रतिरोध, संधारित्र आदि पैसिव कम्पोनेन्ट (निष्क्रिय घटक) के अलावा डायोड, ट्रान्जिस्टर आदि अर्धचालक अवयव निर्मित किये जाते हैं। जिस प्रकार सामान्य परिपथ का निर्माण अलग-अलग (डिस्क्रीट) अवयव जोड़कर किया जाता है, आईसी का निर्माण वैसे न करके एक अर्धचालक के भीतर सभी अवयव एक साथ ही एक विशिष्ट प्रक्रिया का पालन करते हुए निर्मित कर दिये जाते हैं। एकीकृत परिपथ आजकल जीवन के हर क्षेत्र में उपयोग में लाये जा रहे हैं। इनके कारण एलेक्ट्रानिक उपकरणों का आकार अत्यन्त छोटा हो गया है, उनकी कार्य क्षमता बहुत अधिक हो गयी है एवं उनकी शक्ति की जरूरत बहुत कम हो गयी है। संकर एकीकृत परिपथ भी लघु आकार के एकीपरि (एकीकृत परिपथ) होते हैं किन्तु वे अलग-अलग अवयवों को एक छोटे बोर्ड पर जोड़कर एवं एपॉक्सी आदि में जड़कर (इम्बेड करके) बनाये जाते हैं। अतः ये मोनोलिथिक आई सी से भिन्न हैं। .

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नैनो

नैनो लैटिन का एक शब्द है जिसका हिन्दी में अर्थ होता है सूक्ष्म या अत्यंत छोटा, इसका प्रयोग कई संदर्भों में किया जा सकता है। आप उन्हें यहाँ सूचीबद्ध कर सकते हैं।.

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परिपथ डिजाइन

परिपथ अभिकल्प (सर्किट डिजाइन) का अर्थ बहुत व्यापक है। इसमें किसी आईसी के अन्दर केवल एक ट्रांजिस्टर का डिजाइन से लेकर जटिल एलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों की डिजाइन तक आता है। सरल कार्यों के लिये डिजाइन की प्रक्रिया एक ही व्यक्ति बिना किसी योजनाबद्ध डिजाइन प्रक्रिया का अनुसरण किये भी कर सकता है किन्तु अधिक कठिन और जटिल डिजाइनों के लिये डिजाइनरों की एक टोली (टीम) लगती है जो योजनाबद्ध मार्ग का अनुसरण करते हुए तथा कम्प्यूटर सिमुलेशन आदि का बुद्धिमतापूर्ण उपयोग करते हुए यह कार्य करती है।; प्रकार.

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फ्लिप-फ्लॉप

एक आर-एस द्विमानित्र (फ्लिप-फ्लॉप) का परिपथ; यह परिपथ दो 'नॉर' द्वारों (गेटों) को जोड़कर बनाया गया है। लाल का अर्थ तर्कसंगत (लॉजिकल) '''1''' है और काला का अर्थ तर्कसंगत '''0''' एलेक्ट्रॉनिकी में द्विमानित्र (फ्लिप-फ्लॉप) एक अंकीय (डिजिटल) परिपथ है जिसका निर्गम (आउटपुट) दो स्थाई अवस्थाओं में में से किसी एक में बना रहता है (जब तक उसे बदलने के लिये निवेश (इनपुट) में कुछ न किया जाय)। इसे 'लैच' (latch) भी कहते हैं। इस परिपथ एक या अधिक निवेश होते हैं जिन पर संकेत का उचित परिवर्तन करके निर्गम के अवस्‍था (स्टेट) को बदला जा सकता है। इसके एक एक या दो निर्गम होते हैं। द्विमानित्र कई प्रकार के होते हैं और आंकिक एलेक्ट्रॉनिकी की मूलभूत निर्माण-ईकाई हैं। ये आंकड़ा भंडारण के अवयव (अर्थात 'मेमोरी') तैयार करने के लिये प्रयुक्त होते हैं। ये 'अनुक्रमिक तर्क' की श्रेणी में आते हैं। इनका उपयोग स्‍पंदों (पल्सों) को गिनने (काउन्टर) के लिये तथा अलग-अलग समय पर पहुंचने वाले निवेश संकेतों को समकालिक बनाने (synchronizing) के लिये किया जाता है। .

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बहुसंकेतक

इलेक्ट्रॉनिक्स में, बहुसंकेतक (multiplexer या MUX) कई एनालॉग या डिजिटल इनपुट संकेतों में से एक का चयन करता है और आगे में चयनित इनपुट के लाइन मे युक्ति करता है। बहुसंकेतक मे 2n का n लाइन का चयन करने के लिए उपयोग किया जाता है बहुसंकेतको का मुख्य रूप से समय और बैंडविड्थ की एक निश्चित राशि के भीतर नेटवर्क पर भेजा जाता है और डेटा की मात्रा बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है। एक बहुसंकेतक को एक डेटा का चयनकर्ता कहा जाता है। एक इलेक्ट्रॉनिक बहुसंकेतक संभव कई संकेतों के बजाय इनपुट संकेत के प्रति एक युक्ति करता है डिवाइस या संसाधन, उदाहरण के लिए एक ए/डी कनवर्टर या एक संचार लाइन को साझा करने के लिए बनाता है।इसके विपरीत, एक बहुसंकेत वियोजक (या demux) एक इनपुट संकेत लेती है और एक इनपुट से जुड़ा है जो कई डेटा-उत्पादन लाइनों में से एक का चयन करने के लिए एक उपकरण है। एक बहुसंकेतक अक्सर प्राप्त अंत पर एक पूरक बहुसंकेत वियोजक के साथ प्रयोग किया जाता है। एक इलेक्ट्रॉनिक बहुसंकेतक एक बहु-इनपुट, एकल उत्पादन स्विच, और एक एकल इनपुट, कई निर्गम स्विच के रूप में एक बहुसंकेत वियोजक के रूप में माना जा सकता है। एक बहुसंकेतक के लिए योजनाबद्ध प्रतीक युक्त अब समानांतर पक्ष के साथ एक समद्विबाहु समलम्ब है और इनपुट पिन और उत्पादन पिन समानांतर पक्ष के होते है। सही बहुसंकेत वियोजक पर योजनाबद्ध छोड़ दिया जाता है और सही पर एक बराबर स्विच पर एक 2 से 1 बहुसंकेतक का पता चलता है। एसईएल तार उत्पादन करने के लिए वांछित इनपुट से जोड़ता है। लागत मे बचत एक बहुसंकेतक के बुनियादी समारोह मे एक ही डाटा प्रवाह में कई आदानों के संयोजन होता है। प्राप्त करने की ओर, एक मूल कई संकेतों में एकल डेटा धारा विभाजन होता है बहुसंकेतक के लिए एकल का उपयोग एक ही चैनल पर एक साथ एक बहुसंकेतक और एक बहुसंकेत वियोजक जोड़ने के द्वारा लागत मे बचत होती है। सही करने के लिए इसकी छवि इसे दर्शाता है। इस मामले में, प्रत्येक डेटा स्रोत के लिए अलग-अलग चैनलों लागू करने की लागत लागत और बहुसंकेतन कार्यों प्रदान की असुविधा से अधिक है। डेटा प्राप्त करने के अंत में एक पूरक बहुसंकेत वियोजक सामान्य रूप से वापस नीचे मूल धाराओं में एक डाटा प्रवाह को तोड़ने के लिए आवश्यक संदेस देता है। कुछ मामलों में, दूर के अंत सिस्टम बहुसंकेत वियोजक का तर्क मौजूद है, जबकि यह वास्तव में शारीरिक रूप से कभी नहीं हो सकता, एक साधारण बहुसंकेत वियोजक और इतने से भी अधिक कार्यक्षमता हो सकता है। एक बहुसंकेतक आईपी नेटवर्क उपयोगकर्ताओं की संख्या में युक्ति करता है और फिर तुरंत अपने मार्ग प्रोसेसर में पूरे लिंक की सामग्री को पढ़ता है जो एक रूटर में सीधे जाती है और फिर इसे आईपी में सीधे परिवर्तित किया जाता है जहां से स्मृति में बहुसंकेत वियोजक मदद करता है अक्सर एक बहुसंकेतक और बहुसंकेत वियोजक आम तौर पर एक "बहुसंकेतक" के रूप में बस जाना जाता है जो उपकरण का एक टुकड़ा, में एक साथ संयुक्त करते हैं। सबसे संचार प्रणालियों दोनों दिशाओं में संचारित होता है क्योंकि उपकरण के दोनों टुकड़ों को एक ट्रांसमिशन लिंक के दोनों सिरों पर की जरूरत है।न्एनालॉग सर्किट डिजाइन में, एक बहुसंकेतक एक एकल उत्पादन करने के लिए कई आदानों से चयनित एक संकेत जोड़ता है वह अनुरूप स्विच की एक विशेष प्रकार है। डिजिटल बहुसंकेतक डिजिटल सर्किट डिजाइन में, चयनकर्ता तारों डिजिटल मूल्य के हैं। उसका का एक तर्क मूल्य उत्पादन करने के लिए I_1 कनेक्ट होता है, जबकि एक 2 से 1 बहुसंकेतक के मामले में, 0 से तर्क मूल्य उत्पादन करने के लिए I_0 कनेक्ट होता है। बड़ा बहुसंकेतक में, चयनकर्ता पिनों की संख्या बराबर है।उदाहरण के लिए, 9-16 आदानों कोई कम से कम 5 चयनकर्ता पिन की आवश्यकता होगी 4 चयनकर्ता पिन और 17-32 आदानों की तुलना में कम नहीं की आवश्यकता होगी। इन चयनकर्ता पिन पर व्यक्त द्विआधारी मूल्य चयनित इनपुट पिन निर्धारित करता है। श्रृंखलन बहुसंकेतक बड़ी बहुसंकेतक उन्हें एक साथ श्रृंखलन द्वारा छोटे बहुसंकेतको का उपयोग करके निर्माण किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, एक 8 से 1 बहुसंकेतक दो से 1 4- और एक 2 से 1 बहुसंकेतको के साथ बनाया जा सकता है। दो 4 से 1 बहुसंकेतक बाहरी में लाया जाता है 2 से 1 पर चयनकर्ता पिन के साथ 4 से 1 एक 8 करने के लिए बराबर है, जो करने के लिए 3 चयनकर्ता आदानों की कुल संख्या देने के समानांतर में डाला जाता है। .

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माइक्रोकंट्रोलर

माइक्रोचिप का PIC 18F252 माइक्रोकन्ट्रोलर (८-बिट, १६-किलोबाइट फ्लैश, ४० मेगा हर्ट्स, DIP-28) माइक्रोकन्ट्रोलर (Microcontroller or MCU) एक आइ॰ सी॰ (एकीकृत परिपथ) है जिसमें पूरा कम्प्यूटर समाहित होता है; अर्थात् एक ही आई॰ सी॰ के अन्दर कम्प्यूटर के चारों भाग (इन्पुट, आउटपुट, सीपीयू और स्मृति या भण्डारण) निर्मित होते हैं। वस्तुतः यह भी एक प्रकार का माइक्रोप्रोसेसर ही है किन्तु इसकी डिजाइन में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि यह आत्मनिर्भर हो (किसी कार्य के लिये दूसरी आई॰ सी॰ की जरूरत कम से कम या नहीं हो); तथा सस्ता हो। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये प्रायः RAM व ROM भी अन्तःनिर्मित कर दिये जाते हैं जबकि माइक्रोप्रोसेसरों को काम में लाने के लिये RAM व ROM अलग से लगाना पडता है। .

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रिले

relay maximam and minimum volts kitne ka hota ha चार अलग-अलग प्रकार के रिले रिले एक विद्युत स्विच या कुंजी है जो एक दूसरे विद्युत परिपथ के द्वारा खोली या बंद की जाती है जो कि मुख्य परिपथ से असम्बद्ध (आइसोलेटेड) होती है। रिले की एक या एक से अधिक कुंजियाँ एक विद्युत चुम्बक की सहायता से बंद या चालू होती हैं। रिले को भी एक सामान्यीकृत विद्युत प्रवर्धक (अम्प्लिफ़ायर) माना जा सकता है क्योंकि कम शक्ति वाले परिपथ की सहायता से एक अपेक्षाकृत अधिक शक्ति वाले परिपथ को नियंत्रित किया जाता है। कान्टैक्टर भी रिले के सिद्धांत पर ही काम करता है किन्तु प्राय: १५ अम्पीयर से अधिक धारा वाले कान्टेक्ट को बंद/चालू करने के लिए प्रयुक्त होता है। .

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रेडियो

कुछ पुराने रेडियो (रिसिवर) 24 दिसम्बर 1906 की शाम कनाडाई वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडेन ने जब अपना वॉयलिन बजाया और अटलांटिक महासागर में तैर रहे तमाम जहाजों के रेडियो ऑपरेटरों ने उस संगीत को अपने रेडियो सेट पर सुना, वह दुनिया में रेडियो प्रसारण की शुरुआत थी। इससे पहले जगदीश चन्द्र बसु ने भारत में तथा गुल्येल्मो मार्कोनी ने सन 1900 में इंग्लैंड से अमरीका बेतार संदेश भेजकर व्यक्तिगत रेडियो संदेश भेजने की शुरुआत कर दी थी, पर एक से अधिक व्यक्तियों को एक साथ संदेश भेजने या ब्रॉडकास्टिंग की शुरुआत 1906 में फेसेंडेन के साथ हुई। ली द फोरेस्ट और चार्ल्स हेरॉल्ड जैसे लोगों ने इसके बाद रेडियो प्रसारण के प्रयोग करने शुरु किए। तब तक रेडियो का प्रयोग सिर्फ नौसेना तक ही सीमित था। 1917 में प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत के बाद किसी भी गैर फौज़ी के लिये रेडियो का प्रयोग निषिद्ध कर दिया गया। .

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शोर

शोर एक तीव्र, अप्रिय और ध्यान बटोरनेवाली आवाज़ को कहते हैं। .

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संख्या

समिश्र संख्याओं के उपसमुच्चय संख्याएं हमारे जीवन के ढर्रे को निर्धरित करती हैं। जीवन के कुछ ऐसे क्षेत्रों में भी संख्याओं की अहमियत है जो इतने आम नहीं माने जाते। किसी धावक के समय में 0.001 सैकिंड का अंतर भी उसे स्वर्ण दिला सकता है या उसे इससे वंचित कर सकता है। किसी पहिए के व्यास में एक सेंटीमीटर के हजारवें हिस्से जितना फर्क उसे किसी घड़ी के लिए बेकार कर सकता है। किसी व्यक्ति की पहचान के लिए उसका टेलीफोन नंबर, राशन कार्ड पर पड़ा नंबर, बैंक खाते का नंबर या परीक्षा का रोल नंबर मददगार होते हैं। .

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हर्ट्ज़

हर्ट्ज़ आवृत्ति की अन्तर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली (SI) की इकाई है। इस का अाधार है आवर्तन प्रति सैकिण्ड या साईकल प्रति सै.

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विभवांतर

सूत्र- Va-Vb.

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इलैक्ट्रॉनिक्स

तल पर जुड़ने वाले (सरफेस माउंट) एलेक्ट्रानिक अवयव विज्ञान के अन्तर्गत इलेक्ट्रॉनिक्स या इलेक्ट्रॉनिकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी का वह क्षेत्र है जो विभिन्न प्रकार के माध्यमों (निर्वात, गैस, धातु, अर्धचालक, नैनो-संरचना आदि) से होकर आवेश (मुख्यतः इलेक्ट्रॉन) के प्रवाह एवं उन पर आधारित युक्तिओं का अध्ययन करता है। प्रौद्योगिकी के रूप में इलेक्ट्रॉनिकी वह क्षेत्र है जो विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों (प्रतिरोध, संधारित्र, इन्डक्टर, इलेक्ट्रॉन ट्यूब, डायोड, ट्रान्जिस्टर, एकीकृत परिपथ (IC) आदि) का प्रयोग करके उपयुक्त विद्युत परिपथ का निर्माण करने एवं उनके द्वारा विद्युत संकेतों को वांछित तरीके से बदलने (manipulation) से संबंधित है। इसमें तरह-तरह की युक्तियों का अध्ययन, उनमें सुधार तथा नयी युक्तियों का निर्माण आदि भी शामिल है। ऐतिहासिक रूप से इलेक्ट्रॉनिकी एवं वैद्युत प्रौद्योगिकी का क्षेत्र समान रहा है और दोनो को एक दूसरे से अलग नही माना जाता था। किन्तु अब नयी-नयी युक्तियों, परिपथों एवं उनके द्वारा सम्पादित कार्यों में अत्यधिक विस्तार हो जाने से एलेक्ट्रानिक्स को वैद्युत प्रौद्योगिकी से अलग शाखा के रूप में पढाया जाने लगा है। इस दृष्टि से अधिक विद्युत-शक्ति से सम्बन्धित क्षेत्रों (पावर सिस्टम, विद्युत मशीनरी, पावर इलेक्ट्रॉनिकी आदि) को विद्युत प्रौद्योगिकी के अन्तर्गत माना जाता है जबकि कम विद्युत शक्ति एवं विद्युत संकेतों के भांति-भातिं के परिवर्तनों (प्रवर्धन, फिल्टरिंग, मॉड्युलेश, एनालाग से डिजिटल कन्वर्शन आदि) से सम्बन्धित क्षेत्र को इलेक्ट्रॉनिकी कहा जाता है। .

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इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन स्वचालन

की-कैड 3D प्रदर्शक में एक पीसीबी का दृष्य इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन स्वचालन (Electronic design automation / EDA) इलेक्ट्रॉनिक कैड (ECAD), इलेक्ट्रॉनिक तन्त्रों के डिजिन में प्रयुक्त सॉफ्टवेयरों का सामान्य नाम है। इसके अन्तर्गत मुख्यतः एकीकृत परिपथ डिजाइन, प्रिन्टेड सर्किट बोर्ड डिजाइन, इलेक्ट्रॉनिक परिपथों के आरेख बनाने वाले सॉफ्टवेयर, और परिपथ सिमुलेशन के सॉफ्टवेयर आदि आते हैं। .

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कम्प्यूटर प्रोग्राम

एक कम्प्यूटर प्रोग्राम संगणक प्रोग्राम किसी कार्य विशेष को संगणक द्वारा कराने अथवा करने के लिये संगणक को समझ आने वाली भाषा में दिये गए निर्देशो का समूह होता है। .

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कंप्यूटर

निजी संगणक कंप्यूटर (अन्य नाम - संगणक, कंप्यूटर, परिकलक) वस्तुतः एक अभिकलक यंत्र (programmable machine) है जो दिये गये गणितीय तथा तार्किक संक्रियाओं को क्रम से स्वचालित रूप से करने में सक्षम है। इसे अंक गणितीय, तार्किक क्रियाओं व अन्य विभिन्न प्रकार की गणनाओं को सटीकता से पूर्ण करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से निर्देशित किया जा सकता है। चूंकि किसी भी कार्य योजना को पूर्ण करने के लिए निर्देशो का क्रम बदला जा सकता है इसलिए संगणक एक से ज्यादा तरह की कार्यवाही को अंजाम दे सकता है। इस निर्देशन को ही कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग कहते है और संगणक कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा की मदद से उपयोगकर्ता के निर्देशो को समझता है। यांत्रिक संगणक कई सदियों से मौजूद थे किंतु आजकल अभिकलित्र से आशय मुख्यतः बीसवीं सदी के मध्य में विकसित हुए विद्दुत चालित अभिकलित्र से है। तब से अबतक यह आकार में क्रमशः छोटा और संक्रिया की दृष्टि से अत्यधिक समर्थ होता गया हैं। अब अभिकलक घड़ी के अन्दर समा सकते हैं और विद्युत कोष (बैटरी) से चलाये जा सकते हैं। निजी अभिकलक के विभिन्न रूप जैसे कि सुवाह्य संगणक, टैबलेट आदि रोजमर्रा की जरूरत बन गए हैं। परंपरागत संगणकों में एक केंद्रीय संचालन इकाई (सीपीयू) और सूचना भन्डारण के लिए स्मृति होती है। संचालन इकाई अंकगणित व तार्किक गणनाओ को अंजाम देती है और एक अनुक्रमण व नियंत्रण इकाई स्मृति में रखे निर्देशो के आधार पर संचालन का क्रम बदल सकती है। परिधीय या सतह पे लगे उपकरण किसी बाहरी स्रोत से सूचना ले सकते है व कार्यवाही के फल को स्मृति में सुरक्षित रख सकते है व जरूरत पड़ने पर पुन: प्राप्त कर सकते हैं। एकीकृत परिपथ पर आधारित आधुनिक संगणक पुराने जमाने के संगणकों के मुकबले करोड़ो अरबो गुना ज्यादा समर्थ है और बहुत ही कम जगह लेते है। सामान्य संगणक इतने छोटे होते है कि मोबाइल फ़ोन में भी समा सकते है और मोबाइल संगणक एक छोटी सी विद्युत कोष (बैटरी) से मिली ऊर्जा से भी काम कर सकते है। ज्यादातर लोग “संगणकों” के बारे में यही राय रखते है कि अपने विभिन्न स्वरूपों में व्यक्तिगत संगणक सूचना प्रौद्योगिकी युग के नायक है। हालाँकि embedded system|सन्निहित संगणक जो कि ज्यादातर उपकरणों जैसे कि आंकिक श्रव्य वादक|एम.पी.३ वादक, वायुयान व खिलौनो से लेकर औद्योगिक मानव यन्त्र में पाये जाते है लोगो के बीच ज्यादा प्रचलित है। .

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अनुरूप एलेक्ट्रॉनिकी

अनुरूप एलेक्ट्रॉनिकी (Analogue electronics / analog electronics) के अन्तर्गत वे एलेक्ट्रानिक प्रणालियाँ आतिं हैं जिनमें पाये जाने वाले संकेत क्रमश: या सतत बदलते हैं (न कि बहुत तेजी से, एकाएक)। इसके विपरीत आंकिक एलेक्ट्रॉनिकी में पाये जाने वाले संकेत केवल द्विस्तरीय होते हैं - शून्य या एक। एलेक्ट्रानिकी के आरम्भिक दिनों में अधिकांश प्रणालियाँ (जैसे रेडियो, टेलीफोन, आदि) अनुरूप एलेक्ट्रानिक प्रणालियाँ थीं किन्तु अब अधिकांश प्रणालियाँ या तो डिजिटल हो चुकीं हैं या शीघ्र होने वाली हैं। .

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अनुक्रमिक लॉजिक

आंकिक परिपथों के संदर्भ में उन लॉजिक परिपथों को अनुक्रमिक लॉजिक (sequential logic) कहते हैं जिनका आउटपुट केवल वर्तमान इनपुटों पर ही निर्भर नहीं करता बल्कि इनपुट की पूर्व स्थितियों पर भी निर्भर करता है। फ्लिप-फ्लॉप इसका सबसे सरल उदाहरण है। ध्यातव्य है कि कम्बिनेशनल लॉजिकों (combinational logic) का आउटपुट केवल उनके इनपुटों की वर्तमान स्थितियों से ही निर्धारित होता है न कि उनके इनपुट की पूर्व स्थितियों से। उपरोक्त बात को यों भी कह सकते हैं कि अनुक्रमिक लॉजिक में स्मृति (memory) का गुण पाया जाता है (क्योंकि आउटपुट पिछली बातों से भी प्रभावित है।) इसलिये अनुक्रमिक लॉजिक का उपयोग संगणक स्मृति बनाने, अन्य प्रकार के देरी (delay) करने वाले तथा भंडारण करने वाले अवयवों के निर्माण, तथा सीमित अवस्था मशीन (finite state machines) के निर्माण के लिये किया जाता है। व्यवहार में आने वाली अधिकांश आंकिक परिपथों में कम्बिनेशनल तथा सेक्वेंशियल लॉजिक का मिश्रण होता है (केवल एक ही प्रकार के परिपथ से काम नहीं चलता)। अनुक्रमिक लॉजिक परिपथों से दो तरह के सीमित अवस्था मशीन बनाये जा सकते हैं-.

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अंक

हिन्दू-अरबी अंक पद्धति; प्रथम सहस्राब्दी ईसापूर्व के अशोक के शिलालेखों पर इन अंकों का प्रयोग देखने को मिलता है। अंक ऐसे चिह्न हैं जो संख्याओं लिखने के काम आते हैं। दासमिक पद्धति में शून्य से लेकर नौ तक (० से ९ तक) कुल दस अंक प्रयोग किये जाते हैं। इसी प्रकार षोडसी पद्धति (hexadecimal system) में शून्य से लेकर ९ तक एवं A से लेकर F कुल १६ अंक प्रयुक्त होते हैं। द्विक पद्धति में केवल ० और् १ से ही सारी संख्याएं अभिव्यक्त की जातीं हैं। हिन्दी भाषा में अंकों एवं बड़ी संख्याओं का उच्चारण नीचे दिया गया है।.

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अंकीय संकेत प्रक्रमण

संकेत प्रक्रमण या संकेत प्रसंस्करण दो तरह से किया जाता है.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

डिजिटल परिपथ, डिजिटल प्रौद्योगिकी, डिजिटल सर्किट, डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स, आंकिक एलेक्ट्रॉनिकी, अंकीय परिपथ, अंकीय इलेक्ट्रानिकी

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