लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

२८ फ़रवरी

सूची २८ फ़रवरी

28 फरवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 59वॉ दिन है। साल मे अभी और 306 दिन बाकी है (लीप वर्ष मे 307)। .

16 संबंधों: चन्द्रशेखर वेंकटरमन, एलीशिया मॉलिक, पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय, भारत रत्‍न, भारत के महाराज्यपाल, भारतीय इतिहास तिथिक्रम, महत्त्वपूर्ण दिवस, राजेन्द्र प्रसाद, शिक्षक दिवस, सिखों के दस गुरू, खुदीराम बोस, अमानुल्ला खान, १९१९, १९७९, १९८१, १९८५

चन्द्रशेखर वेंकटरमन

सीवी रमन (तमिल: சந்திரசேகர வெங்கடராமன்) (७ नवंबर, १८८८ - २१ नवंबर, १९७०) भारतीय भौतिक-शास्त्री थे। प्रकाश के प्रकीर्णन पर उत्कृष्ट कार्य के लिये वर्ष १९३० में उन्हें भौतिकी का प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार दिया गया। उनका आविष्कार उनके ही नाम पर रामन प्रभाव के नाम से जाना जाता है। १९५४ ई. में उन्हें भारत सरकार द्वारा भारत रत्न की उपाधि से विभूषित किया गया तथा १९५७ में लेनिन शान्ति पुरस्कार प्रदान किया था। .

नई!!: २८ फ़रवरी और चन्द्रशेखर वेंकटरमन · और देखें »

एलीशिया मॉलिक

श्रेणी:टेनिस खिलाड़ी श्रेणी:महिला टेनिस खिलाड़ी.

नई!!: २८ फ़रवरी और एलीशिया मॉलिक · और देखें »

पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय

पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय (अंग्रेज़ी: University of Pittsburgh) अमेरिका के पिट्सबर्ग में स्थित एक सार्वजनिक विश्वविद्यालय है। इसे "पिट्" भी कहा जाता है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना १७८७ में हुई थी। अभी यहाँ विभिन्न पाठ्यक्रमों में २७,५६२ विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। "पिट्" दर्शनशास्त्र के लिए जाना जाता है। यहाँ शिक्षा ग्रहण करने के लिए पूरी दुनिया से विद्यार्थी आते हैं। यहाँ एक अस्पताल भी है जिसे "पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय आयुर्विज्ञान केन्द्र" (University of Pittsburgh Medical Center (UPMC)) कहा जाता है। यहाँ विभिन्न प्रकार के शोध कार्य भी होते रहते हैं। इसके अतिरिक्त यह यहाँ पर स्थित एक ऊँचे भवन "कथेड्रल ऑफ़ लर्निंग" के लिए भी प्रसिद्ध है। यह खेलकूद के क्षेत्र में भी अग्रणी है और यहाँ के सर्वश्रेष्ठ खेल हैं - अमेरिकी फुटबॉल और बास्केटबॉल। भारतीय कमरे.

नई!!: २८ फ़रवरी और पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय · और देखें »

भारत रत्‍न

भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है। इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है। इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी। अन्य अलंकरणों के समान इस सम्मान को भी नाम के साथ पदवी के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। प्रारम्भ में इस सम्मान को मरणोपरांत देने का प्रावधान नहीं था, यह प्रावधान 1955 में बाद में जोड़ा गया। तत्पश्चात् 13 व्यक्तियों को यह सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया गया। सुभाष चन्द्र बोस को घोषित सम्मान वापस लिए जाने के उपरान्त मरणोपरान्त सम्मान पाने वालों की संख्या 12 मानी जा सकती है। एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है। उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले सम्मानों में भारत रत्न के पश्चात् क्रमशः पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री हैं। .

नई!!: २८ फ़रवरी और भारत रत्‍न · और देखें »

भारत के महाराज्यपाल

भारत के महाराज्यपाल या गवर्नर-जनरल (१८५८-१९४७ तक वाइसरॉय एवं गवर्नर-जनरल अर्थात राजप्रतिनिधि एवं महाराज्यपाल) भारत में ब्रिटिश राज का अध्यक्ष और भारतीय स्वतंत्रता उपरांत भारत में, ब्रिटिश सम्प्रभु का प्रतिनिधि होता था। इनका कार्यालय सन 1773 में बनाया गया था, जिसे फोर्ट विलियम की प्रेसीडेंसी का गवर्नर-जनरल के अधीन रखा गया था। इस कार्यालय का फोर्ट विलियम पर सीधा नियंत्रण था, एवं अन्य ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों का पर्यवेक्षण करता था। सम्पूर्ण ब्रिटिश भारत पर पूर्ण अधिकार 1833 में दिये गये और तब से यह भारत के गवर्नर-जनरल बन गये। १८५८ में भारत ब्रिटिश शासन की अधीन आ गया था। गवर्नर-जनरल की उपाधि उसके भारतीय ब्रिटिश प्रांत (पंजाब, बंगाल, बंबई, मद्रास, संयुक्त प्रांत, इत्यादि) और ब्रिटिष भारत, शब्द स्वतंत्रता पूर्व काल के अविभाजित भारत के इन्हीं ब्रिटिश नियंत्रण के प्रांतों के लिये प्रयोग होता है। वैसे अधिकांश ब्रिटिश भारत, ब्रिटिश सरकार द्वारा सीधे शासित ना होकर, उसके अधीन रहे शासकों द्वारा ही शासित होता था। भारत में सामंतों और रजवाड़ों को गवर्नर-जनरल के ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि होने की भूमिका को दर्शित करने हेतु, सन १८५८ से वाइसरॉय एवं गवर्नर-जनरल ऑफ इंडिया (जिसे लघुरूप में वाइसरॉय कहा जाता था) प्रयोग हुई। वाइसरॊय उपाधि १९४७ में स्वतंत्रता उपरांत लुप्त हो गयी, लेकिन गवर्नर-जनरल का कार्यालय सन १९५० में, भारतीय गणतंत्रता तक अस्तित्व में रहा। १८५८ तक, गवर्नर-जनरल को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशकों द्वारा चयनित किया जाता था और वह उन्हीं को जवाबदेह होता था। बाद में वह महाराजा द्वारा ब्रिटिश सरकार, भारत राज्य सचिव, ब्रिटिश कैबिनेट; इन सभी की राय से चयन होने लगा। १९४७ के बाद, सम्राट ने उसकी नियुक्ति जारी रखी, लेकिन भारतीय मंत्रियों की राय से, ना कि ब्रिटिश मंत्रियों की सलाह से। गवर्नर-जनरल पांच वर्ष के कार्यकाल के लिये होता था। उसे पहले भी हटाया जा सकता था। इस काल के पूर्ण होने पर, एक अस्थायी गवर्नर-जनरल बनाया जाता था। जब तक कि नया गवर्नर-जनरल पदभार ग्रहण ना कर ले। अस्थायी गवर्नर-जनरल को प्रायः प्रान्तीय गवर्नरों में से चुना जाता था। .

नई!!: २८ फ़रवरी और भारत के महाराज्यपाल · और देखें »

भारतीय इतिहास तिथिक्रम

भारत के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं तिथिक्रम में।;भारत के इतिहास के कुछ कालखण्ड.

नई!!: २८ फ़रवरी और भारतीय इतिहास तिथिक्रम · और देखें »

महत्त्वपूर्ण दिवस

कोई विवरण नहीं।

नई!!: २८ फ़रवरी और महत्त्वपूर्ण दिवस · और देखें »

राजेन्द्र प्रसाद

राजेन्द्र प्रसाद (3 दिसम्बर 1884 – 28 फरवरी 1963) भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था जिसकी परिणति २६ जनवरी १९५० को भारत के एक गणतंत्र के रूप में हुई थी। राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने स्वाधीन भारत में केन्द्रीय मन्त्री के रूप में भी कुछ समय के लिए काम किया था। पूरे देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू या देशरत्न कहकर पुकारा जाता था। .

नई!!: २८ फ़रवरी और राजेन्द्र प्रसाद · और देखें »

शिक्षक दिवस

विश्व के कुछ देशों में शिक्षकों (गुरुओं) को विशेष सम्मान देने के लिये शिक्षक दिवस का आयोजन होता है। कुछ देशों में छुट्टी रहती है जबकि कुछ देश इस दिन कार्य करते हुए मनाते हैं। भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन (५ सितंबर) भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। .

नई!!: २८ फ़रवरी और शिक्षक दिवस · और देखें »

सिखों के दस गुरू

श्रेणी:सिख धर्म.

नई!!: २८ फ़रवरी और सिखों के दस गुरू · और देखें »

खुदीराम बोस

युवा क्रान्तिकारी '''खुदीराम बोस''' (१९०५ में) खुदीराम बोस (बांग्ला: ক্ষুদিরাম বসু; जन्म: ३-१२-१८८९ - मृत्यु: ११ अगस्त १९०८) भारतीय स्वाधीनता के लिये मात्र १९ साल की उम्र में हिन्दुस्तान की आजादी के लिये फाँसी पर चढ़ गये। कुछ इतिहासकारों की यह धारणा है कि वे अपने देश के लिये फाँसी पर चढ़ने वाले सबसे कम उम्र के ज्वलन्त तथा युवा क्रान्तिकारी देशभक्त थे। लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि खुदीराम से पूर्व १७ जनवरी १८७२ को ६८ कूकाओं के सार्वजनिक नरसंहार के समय १३ वर्ष का एक बालक भी शहीद हुआ था। उपलब्ध तथ्यानुसार उस बालक को, जिसका नम्बर ५०वाँ था, जैसे ही तोप के सामने लाया गया, उसने लुधियाना के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर कावन की दाढी कसकर पकड ली और तब तक नहीं छोडी जब तक उसके दोनों हाथ तलवार से काट नहीं दिये गये बाद में उसे उसी तलवार से मौत के घाट उतार दिया गया था। (देखें सरफरोशी की तमन्ना भाग ४ पृष्ठ १३) .

नई!!: २८ फ़रवरी और खुदीराम बोस · और देखें »

अमानुल्ला खान

२८ फरवरी १९१९ को यह अफगानिस्तान का शासक बना। उसने ३ मइ १९१९ को भारत पर आक्रमण कर दिया। भारत उन दिनों ब्रिटेन के अधिपत्य में था। श्रेणी:अफ़्गानिस्तान श्रेणी:चित्र जोड़ें.

नई!!: २८ फ़रवरी और अमानुल्ला खान · और देखें »

१९१९

1919 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

नई!!: २८ फ़रवरी और १९१९ · और देखें »

१९७९

1979 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

नई!!: २८ फ़रवरी और १९७९ · और देखें »

१९८१

1981 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

नई!!: २८ फ़रवरी और १९८१ · और देखें »

१९८५

1985 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

नई!!: २८ फ़रवरी और १९८५ · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

28 फरवरी, २८ फरवरी

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »