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१९६२ का पाकिस्तानी संविधान

सूची १९६२ का पाकिस्तानी संविधान

1962 का पाकिस्तानी संविधान एक कानूनी दस्तावेज था, जिसे जून 1962 में लागू किया गया था। रह जून 1962 से मार्च 1969 तक पाकिस्तान की सर्वोच्च विधि संहिता थी। 1956 के संविधान की तरह इसे 1969 में निलंबित कर दिया गया था। अंत्यतः इसे 1973 के संविधान से बदल दिया गया, जो अब भी लागू है। .

8 संबंधों: एक इकाई व्यवस्था, पाकिस्तान का संविधान, पाकिस्तान की सेनेट, पाकिस्तान की सेनेट के अध्यक्ष, पाकिस्तानी संविधान के संशोधन, पेशावर उच्च न्यायालय, मजलिस-ए-शूरा, १९५६ का पाकिस्तानी संविधान

एक इकाई व्यवस्था

एक इकाई व्यवस्था या नीति, (अथवा वन-यूनिट् सिस्टम्), पाकिस्तान की एक पुर्वतः परवर्तित प्रशासनिक व्यवस्था थी, जिसके अंतर्गत, तत्कालीन पाकिस्तानी भूमि के दोनों भिन्न टुकड़ों को "एक प्रशासनिक इकाई" के रूप में ही शासित किये जाने की योजना रखी गई थी। इस तरह की प्रशासनिक नीति को अपनाने का मुख्य कारण, सर्कार द्वारा, पाकिस्तानी अधिराज्य के दो विभक्त एवं पृथक भौगोलिक आंचलों की एक ही केंद्रीय व्यवस्था के अंतर्गत शासन में आने वाली घोर प्रशासनिक असुविधाएँ, एवं भौगोलिक कठिनाईयाँ बताई गई थी। अतः इस भौगोलिक व प्रशासनिक विषय के समाधान के रूप में, सरकार ने इन दो भौगोलीय हिस्सों को ही, एक महासंघीय ढांचे के अंतर्गत, पाकिस्तान के दो वाहिद प्रशासनिक इकाइयों के रूप में स्थापित करने की नीति बनाई गई। इस्के तहत, तत्कालीन मुमलिकात-ए-पाकिस्तान के, पूर्वी भाग में मौजूद स्थिति के अनुसार ही, पश्चिमी भाग के पाँचों प्रांतों व उनकी प्रांतीय सरकारों को भंग कर, एक प्रांत, पश्चिमी पाकिस्तान गठित किया गया, वहीं पूर्वी भाग (जो अब बांग्लादेश है) को पूर्वी पाकिस्तान कह कर गठित किया गया। तत्प्रकार, पाकिस्तान, एक इकाई योजना के तहत, महज दो प्रांतों में विभाजित एक राज्य बन गया। वन यूनिट योजना की घोषणा प्रधानमंत्री मोहम्मद अली बोगरा के शासनकाल के दौरान 22 नवंबर 1954 को की गई, और 14 अक्टूबर 1955 को देश के पश्चिमी भाग के सभी प्रांतों को एकीकृत कर, पश्चिमी पाकिस्तान प्रांत गठित किया गया, जिसमें, सभी प्रांतों के अलावा तत्कालीन, राजशाहियों और कबाइली इलाके भी शामिल थे। इस प्रांत में 12 प्रमंडल थे, और इसकी राजधानी लाहौर थी। दूसरी ओर पूर्वी बंगाल के प्रांत को पूर्वी पाकिस्तान का नाम दिया गया, जिसकी राजधानी ढाका थी। संघीय राजधानी(कार्यपालिका) को वर्ष 1959 में कराँची से रावलपिंडी स्थानांतरित किया गया, जहां सेना मुख्यालय था, और नई राजधानी, इस्लामाबाद के पूरा होने तक यहां मौजूद रहा जबकि संघीय विधानपालिका को ढाका में स्थापित किया गया। इस नीति का उद्देश्य बज़ाहिर प्रशासनिक सुधार लाना था लेकिन कई लिहाज से यह बहुत विनाशकारी कदम था। पश्चिमी पाकिस्तान में मौजूद बहुत सारी राज्यों ने इस आश्वासन पर विभाजन के समय पाकिस्तान में शामिल हो गए थे कि उनकी स्वायत्तता कायम रखी जाएगी लेकिन वन इकाई बना देने के फैसले से सभी स्थानीय राज्यों का अंत हो गया। इस संबंध में बहावलपुर, खीरिपोर और कलात के राज्य विशेषकर उल्लेखनीय हैं। मामले इस समय अधिक गंभीर समय 1958 ई। के तख्तापलट के बाद मुख्यमंत्री का पद समाप्त कर दिया गया और राष्ट्रपति ने पश्चिमी पाकिस्तान के विकल्प अपने पास रख लिए। राजनीतिक विशेषज्ञों यह भी समझते हैं कि पश्चिमी पाकिस्तान के सभी प्रांतों को एकजुट करने के उद्देश्य पूर्वी पाकिस्तान की भाषाई और राजनीतिक इकाई का जोर तोड़ना था। अंततः एक जुलाई 1970 को राष्ट्रपति याह्या खान ने एक इकाई का सफाया करते हुए पश्चिमी पाकिस्तान के सभी प्रांतों बहाल कर दिया। .

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पाकिस्तान का संविधान

पाकिस्तान का संविधान (آئین پاکستان;आईन(ए) पाकिस्तान) या दस्तूरे पाकिस्तान دستور پاکستان) को १९७३ का क़ानून भी कहते हैं। यह पाकिस्तान का सर्वोच्च दस्तूर है। पाकिस्तान का संविधान संविधान सभा द्वारा १० अप्रैल १९७३ को पारित हुआ तथा 14 अगस्त 1973 से प्रभावी हुआ। इस का प्रारूप ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो की सरकार और विपक्ष ने मिल कर तैयार किया। ये पाकिस्तान का तीसरा दस्तूर है और इस में कई बार रद्दोबदल की जा चुकी है। .

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पाकिस्तान की सेनेट

सेनेट, (سینیٹ) या आइवान-ए बाला पाकिस्तान (ایوانِ بالا پاکستان) पाकिस्तान की द्वीसदनीय विधियिका का उच्चसदन है। इसके चुनाव त्रिवर्षीय अवधी पश्चात, आधे संख्या के सीटों के लिए आयोजित किए जाते है। यहाँ सदस्यों क कार्यकाल 6 वर्ष होता है। सीनेट के अध्यक्ष देश के राष्ट्रपति का अभिनय होते हैं। इसे 1973 में स्थापित किया गया था पाकिस्तान के संविधान में से नेट से संबंधित सारे प्रावधान अनुच्छेद 59 मैं दिए गए हैं। पाकिस्तान के संसद भवन में सेनेट का कक्ष पूर्वी भाग में है। सीनेट को ऐसे कई विशेष अधिकार दिये गए हैं, जो नैशनल असेम्ब्ली के पास नहीं है। इस संसदीय बिल बनाने के रूप में एक कानून के लिए मजबूर किया जा रहा की शक्तियों को भी शामिल है। सीनेट में हर तीन साल पर सीनेट की आधे सीटों के लिए चुनाव आयोजित की जाती हैं और प्रत्येक सीनेटर छह वर्ष की अवधि के लिये चुना जाता है। संविधान में सेनेट भंग करने का कोई भी प्रावधान नहीं दिया गया है, बल्की, इसमें इसे भंग करने पर मनाही है। .

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पाकिस्तान की सेनेट के अध्यक्ष

पाकिस्तान की सिनेट के अध्यक्ष (उर्दू: ؛چیئرمین سينیٹ Chairman senate) या आमीर मजलिस आइवान बाला(امیر مجلس ایوان بالا پاکستان, आइवान बाला (सेनेट) के अध्यक्ष (आमिर मजलिस) पाकिस्तान की सिनेट का सभापति पद है। of the Chapter 2: Majlis-e-Shoora (Parliament) in Part III of the Constitution of Pakistan. पाकिस्तान की संविधान के अनुसार सेनेट अध्यक्ष, पाकिस्तान की सिनेट के अधिष्ठाता एवं पाकिस्तान की राष्ट्रपतित्व के उत्तराधिकार पंक्ति में दूसरे स्थान पर हैं। संविधान के अनुसार अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का चुनाव सिनेट द्वारा ही तीन वर्षीय अवधी हेतु किया जाता है। संविधान के अनुच्छेद 49 के अनुसार, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति के दौरान, सेनेट अध्यक्ष को राष्ट्रपति पद के कर्तव्यों से सशक्त किया गया है, एवं अत्यंत दुर्लभ स्थितियों में, अध्यक्ष की भी अनुपस्थिति में यह अधिकार क़ौमी असेम्बली के अध्यक्ष के अधिकार में दिया गया है। पाकिस्तान की से नेट के प्रथम अध्यक्ष खान हबीब उल्लाह खान मरवाट थे जबकि वसीम सज्जाद, अब तक, इस पद पर दीर्घतम् समय तक रहने वाले पदाधिकारी हैं। .

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पाकिस्तानी संविधान के संशोधन

पाकिस्तान के पीछे संविधानों में दिए गए प्रावधानों के विरुद्ध इस संविधान में संशोधन पाकिस्तान कि संसद की मंजूरी से ही लाया जा सकता है मौजूदा कानून के अनुसार संशोधन के लिए प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिए। इसके अलावा संधत्व-संबंधिन प्रस्तावों को प्रांतीय विधायिकाओं में भी पारित होना होगता है। मौजूदा संविधान में लाए गए संशोधनों की सूची नीचे दी गई है: .

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पेशावर उच्च न्यायालय

पेशावर उच्च न्यायालय,(پشاور عدالت عالیہ; अदालत-ए आला, पेशावर) ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत के सर्वोच्च न्यायिक संस्था है। यह प्रांतीय राजधानी पेशावर में स्थित है। यह सिविल और आपराधिक मामलों में प्रांत की सर्वोच्च अपीलय अदालत है, एवं ख़ैबर पख़तूनख़्वा के सारे जिला न्यायालय और सत्र न्यायालय इसके अधिकारक्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। .

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मजलिस-ए-शूरा

मजलिस-ए-शूरा (उर्दू) यानी पाकिस्तान की संसद पाकिस्तान में संघीय स्तर पर सर्वोच्च विधायी संस्था है। इस संस्थान में दो सदन हैं, निचले सदन या कौमी एसेंबली और ऊपरी सदन या सीनेट। पाकिस्तान का संविधान की धारा 50 के मुताबिक़ राष्ट्रपति भी मजलिस-ए-शूरा का हिस्सा हैं। इसकी दोनों सदनों में से निम्नसदन नैशनल असेम्बली एक अस्थाई इकाई है, और प्रती पाँचवे वर्ष, आम निर्वाचन द्वारा यह परिवर्तित होती रहती है, वहीं उच्चसदन सेनेट एक स्थाई इकाई है, जो कभी भंग नहीं होती है, परंतु भाग-दर-भाग इसके सदस्यों को बदल दिया जाता है। संसद की दोनों सदनों हेतु सभागृह इस्लामाबाद को पार्लिआमेंट हाउस में है। 1960 में संसद के आसन को कराँची से इस्लामाबाद लाया गया था। .

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१९५६ का पाकिस्तानी संविधान

1956 का संविधान पाकिस्तान में मार्च 1956 से अक्टूबर 1958 तक लागू पाकिस्तान की सर्वोच्च विधि संहिता व संविधान थी, जिसे 1958 के तख्तापलट को बाद निलंबित कर दिया गया था। यह पाकिस्तान का पहला संविधान था। .

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