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१९२८

सूची १९२८

1928 ग्रेगोरी कैलंडर का एक अधिवर्ष है। .

45 संबंधों: चन्द्रशेखर वेंकटरमन, दारा सिंह, दुलाल गुहा, नरसिंह चिंतामन केलकर, निक होलोनिक, नेहरु रिपोर्ट, प्लाज़्मा (भौतिकी), पोल पॉट, बीसवीं शताब्दी, भारत के अभयारण्य, भीमराव आम्बेडकर, मलयालम फिल्मों की सूची, महान इण्डोनेशिया, मिज़ूरी, मुग़ल उद्यान, दिल्ली, मोहम्मद मांकड, यमुनाबाई सावरकर, रिकार्डो गोंज़ालेज़, लालबहादुर शास्त्री, लाला लाजपत राय, शंकर रामचन्द्र, शीतकालीन ओलम्पिक खेल, साइमन कमीशन, हॉकी, ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो, वालीउल्लाली सी एम मुहम्मद अबु बकर मुस्लीयर, विनायक दामोदर सावरकर, विलायत ख़ाँ, विल्लुपुरम चिन्नैया गणेशन, विश्वास सावरकर, विजय तेंडुलकर, ग्रैंड स्लैम टेनिस विजेताओं की सूची, इज़ेत दिब्रा, कन्नड साहित्य सम्मेलन, कहानी, अन्वेषणों की समय-रेखा, अमेरिकी ओपन टेनिस के पुरुष एकल विजेताओं की सूची, उत्तराखंड में स्वाधीनता संग्राम, १२ अप्रैल, १९ नवम्बर, २६ फरवरी, २८ दिसम्बर, ३ अगस्त, ६ जनवरी, ७ जून

चन्द्रशेखर वेंकटरमन

सीवी रमन (तमिल: சந்திரசேகர வெங்கடராமன்) (७ नवंबर, १८८८ - २१ नवंबर, १९७०) भारतीय भौतिक-शास्त्री थे। प्रकाश के प्रकीर्णन पर उत्कृष्ट कार्य के लिये वर्ष १९३० में उन्हें भौतिकी का प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार दिया गया। उनका आविष्कार उनके ही नाम पर रामन प्रभाव के नाम से जाना जाता है। १९५४ ई. में उन्हें भारत सरकार द्वारा भारत रत्न की उपाधि से विभूषित किया गया तथा १९५७ में लेनिन शान्ति पुरस्कार प्रदान किया था। .

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दारा सिंह

दारा सिंह (पूरा नाम: दारा सिंह रन्धावा, अंग्रेजी: Dara Singh, जन्म: 19 नवम्बर, 1928 पंजाब, मृत्यु: 12 जुलाई 2012 मुम्बई) अपने जमाने के विश्व प्रसिद्ध फ्रीस्टाइल पहलवान रहे हैं। उन्होंने 1959 में पूर्व विश्व चैम्पियन जार्ज गारडियान्का को पराजित करके कामनवेल्थ की विश्व चैम्पियनशिप जीती थी। 1968 में वे अमरीका के विश्व चैम्पियन लाऊ थेज को पराजित कर फ्रीस्टाइल कुश्ती के विश्व चैम्पियन बन गये। उन्होंने पचपन वर्ष की आयु तक पहलवानी की और पाँच सौ मुकाबलों में किसी एक में भी पराजय का मुँह नहीं देखा। 1983 में उन्होंने अपने जीवन का अन्तिम मुकाबला जीतने के पश्चात कुश्ती से सम्मानपूर्वक संन्यास ले लिया। उन्नीस सौ साठ के दशक में पूरे भारत में उनकी फ्री स्टाइल कुश्तियों का बोलबाला रहा। बाद में उन्होंने अपने समय की मशहूर अदाकारा मुमताज के साथ हिन्दी की स्टंट फ़िल्मों में प्रवेश किया। दारा सिंह ने कई फ़िल्मों में अभिनय के अतिरिक्त निर्देशन व लेखन भी किया। उन्हें टी० वी० धारावाहिक रामायण में हनुमान के अभिनय से अपार लोकप्रियता मिली। उन्होंने अपनी आत्मकथा मूलत: पंजाबी में लिखी थी जो 1993 में हिन्दी में भी प्रकाशित हुई। उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने राज्य सभा का सदस्य मनोनीत किया। वे अगस्त 2003 से अगस्त 2009 तक पूरे छ: वर्ष राज्य सभा के सांसद रहे। 7 जुलाई 2012 को दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें कोकिलाबेन धीरूभाई अम्बानी अस्पताल मुम्बई में भर्ती कराया गया किन्तु पाँच दिनों तक कोई लाभ न होता देख उन्हें उनके मुम्बई स्थित निवास पर वापस ले आया गया जहाँ उन्होंने 12 जुलाई 2012 को सुबह साढ़े सात बजे दम तोड़ दिया। .

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दुलाल गुहा

दुलाल गुहा (जन्म: 2 अप्रैल, 1928 निधन: 15 फरवरी, 2001) हिन्दी फ़िल्मों के एक निर्देशक हैं। .

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नरसिंह चिंतामन केलकर

नरसिंहन चिंतामन केलकर या तात्यासाहेब केलकर (२४ अगस्त, १८७२- १४ अक्तूबर, १९४७) एक उल्लेखानीय साहित्यकार थे जिन्हें 'साहित्य-सम्राट' की उपाधि से अलंकृत किया गया था। ये केसरी-महारत्त समाचार-पत्र के ४१ वर्षों तक संपादक रहे थे। इसके साथ ही ये केसरी न्यास के न्यासी (ट्रस्टी) भी थे। इन्होंने कला स्नातक व विधि स्नातक किया था। बाद में इन्होंने सतारा में वकालत की। इनको लोकमान्य तिल्क द्वारा १८६९ में मुंबई बुलाया गया था। १९१६ में इन्होंने तिलक क साठवें जन्मदिवस के आयोजन के लिए सक्रिय भाग लिया, व एक लाख रुपए का चंदा जमा किया। १९२० में तिलक की मृत्यु उपरांत कांग्रेस में तिलक समर्थकों के अग्रणी रहे। ये १९२४-१९२९ तक वाइसरॉय परिषद के सदस्य भी रहे थे। ये अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के दो बार अध्यक्ष निर्वाचित हुए (१९२८-जबलपुर सत्र एवं १९३२-दिल्ली सत्र)। .

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निक होलोनिक

निक होलोनिक जूनियर (जन्म: ज़ेइग्लर, इलिनोयस, ३ नवंबर, १९२८) ने प्रथम प्रकाश उत्सर्जक डायोड का आविष्कार किया था। ये आवेष्कार १९६२ में जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी की प्रयोगशाला में वैज्ञानिक के पद पर कार्य करते हुए किया था। इन्हें एल.ई.डी का जनक कहा जाता है। .

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नेहरु रिपोर्ट

नेहरू रिपोर्ट भारत के लिए प्रस्तावित नए अधिराज्य के संविधान की रूपरेखा थी। अगस्त, १९२८को जारी यह रपट ब्रितानी सरकार के भारतीयों के एक संविधान बनाने के अयोग्य बताने की चुनौती का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में दिया गया सशक्त प्रत्युत्तर था। मोतीलाल नेहरू के नेतृत्व में गठित इस प्रारूप निर्मात्री समिति में २ मुसलमान सहित ९ सदस्य थे। जवाहरलाल नेहरु इसके सचिव थे। रिपोर्ट ने सुझाव दिया कि शरारतभरी साम्प्रदायिक चुनाव पद्धति त्याग दी जाय ताकि उसके स्थान पर अल्पसंख्यकों के लिए उनकी जनसंख्या के आधार पर स्थान आरक्षित कर दिया जाए। इसने समस्त भारत के लिए एक इकाई वाला संविधान प्रस्तुत किया जिसके द्वारा भारत को केंद्र तथा प्रांतों में पूर्ण प्रादेशिक स्वायत्तता मिले। ब्रितानी सरकार ने इसे अत्यधिक प्रगतिशील कहकर मानने से इनकार कर दिया था। .

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प्लाज़्मा (भौतिकी)

प्लाज्मा दीप भौतिकी और रसायन शास्त्र में, प्लाज्मा आंशिक रूप से आयनीकृत एक गैस है, जिसमें इलेक्ट्रॉनों का एक निश्चित अनुपात किसी परमाणु या अणु के साथ बंधे होने के बजाय स्वतंत्र होता है। प्लाज्मा में धनावेश और ऋणावेश की स्वतंत्र रूप से गमन करने की क्षमता प्लाज्मा को विद्युत चालक बनाती है जिसके परिणामस्वरूप यह दृढ़ता से विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों से प्रतिक्रिया कर पाता है। प्लाज्मा के गुण ठोस, द्रव या गैस के गुणों से काफी विपरीत हैं और इसलिए इसे पदार्थ की एक भिन्न अवस्था माना जाता है। प्लाज्मा आमतौर पर, एक तटस्थ-गैस के बादलों का रूप ले लेता है, जैसे सितारों में। गैस की तरह प्लाज्मा का कोई निश्चित आकार या निश्चित आयतन नहीं होता जब तक इसे किसी पात्र में बंद न कर दिया जाए लेकिन गैस के विपरीत किसी चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव में यह एक फिलामेंट, पुंज या दोहरी परत जैसी संरचनाओं का निर्माण करता है। प्लाज़्मा ग्लोब एक सजावटी वस्तु होती है, जिसमें एक कांच के गोले में कई गैसों के मिश्रण में इलेक्ट्रोड द्वारा गोले तक कई रंगों की किरणें चलती दिखाई देती हैं। प्लाज्मा की पहचान सबसे पहले एक क्रूक्स नली में १८७९ मे सर विलियम क्रूक्स द्वारा की गई थी उन्होंने इसे “चमकते पदार्थ” का नाम दिया था। क्रूक्स नली की प्रकृति "कैथोड रे" की पहचान इसके बाद ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी सर जे जे थॉमसन द्वारा १८९७ में द्वारा की गयी। १९२८ में इरविंग लैंगम्युइर ने इसे प्लाज्मा नाम दिया, शायद इसने उन्हें रक्त प्लाविका (प्लाज्मा) की याद दिलाई थी। .

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पोल पॉट

सलोथ सार (१९ मई, १९२८Kiernan, Ben. The Pol Pot Regime: Race, Power, and Genocide in Cambodia under the Khmer Rouge, 1975–79. New Haven, CT: Yale University Press, 1996.Brother Number One, David Chandler, Silkworm Book, 1992 p.6–१५ अप्रैल, १९९८), जिन्हें अधिकतर लोग पोल पॉट के नाम से जानते हैं, (खमेर भाषा: ប៉ុល ពត), खमेर रूज नामक कम्बोडियाई साम्यवादी आंदोलन के नेता और १९७६–१९७९ के मध्य लोकतांत्रिक कम्पूचिया के प्रधानमंत्री थे। कंबोडिया के नेता के रूप में उनके देश को शुद्ध करने के प्रयास के परिणामस्वरूप अनुमानत: १७ से २५ लाख लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। पोल पॉट १९७५ के मध्य में कंबोडिया के नेता बने। अपने सत्ताकाल के दौरान, पोल पॉट ने एक ”शून्य वर्ष” में "सभ्यता पुनरुत्थान" के उद्देश्य से कृषि सामूहीकरण का एक संस्करण लागू किया, जिसके अंतर्गत शहरी निवासियों को ग्रामीण इलाकों में स्थानांतरित कर उन्हें सामूहिक खेतों और बेगार परियोजनाओं में काम करने के लिए बाध्य किया गया। इस दास श्रम, कुपोषण, खराब चिकित्सा सेवायों के संयुक्त प्रभाव और मृत्युदंड के चलते कम्बोडिया की लगभग २१% जनसंख्या काल का ग्रास बन गयी। १९७९ में कंबोडिया-वियतनाम युद्ध के दौरान जब पड़ोसी वियतनाम ने कंबोडिया पर आक्रमण किया तो पोल पॉट दक्षिण पश्चिम कंबोडिया के जंगलों में भाग गए और खमेर रूज सरकार का पतन हो गया। १९७९ से १९९७ के दौरान पोल पॉट अपने पुराने खमेर रूज के बचे हुए सहयोगियों के साथ अपनी गतिविधियों को कंबोडिया और थाईलैंड, के सीमा क्षेत्र से संचालित करते रहे और जहां, वे पुन: सत्तासीन हो गये साथ ही संयुक्त राष्ट्र ने उनकी सरकार को कंबोडिया की सच्ची सरकार के रूप में मान्यता भी प्रदान की। १९९८ में खमेर रूज के एक गुट टा मॉक द्वारा नज़रबंदी के दौरान पोल पॉट की मृत्यु हो गयी। यह अफवाह की उन्हें जहर देकर मारा गया था आज तक गर्म है। .

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बीसवीं शताब्दी

ग्रेगरी पंचांग (कलेंडर) के अनुसार ईसा की बीसवीं शताब्दी 1 जनवरी 1901 से 31 दिसम्बर 2000 तक मानी जाती है। कुछ इतिहासवेत्ता 1914 से 1992 तक को संक्षिप्त बीसवीं शती का नाम भी देते हैं। (उन्नीसवी शताब्दी - बीसवी शताब्दी - इक्कीसवी शताब्दी - और शताब्दियाँ) दशक: १९०० का दशक १९१० का दशक १९२० का दशक १९३० का दशक १९४० का दशक १९५० का दशक १९६० का दशक १९७० का दशक १९८० का दशक १९९० का दशक ---- समय के गुज़रने को रेकोर्ड करने के हिसाब से देखा जाये तो बीसवी शताब्दी वह शताब्दी थी जो १९०१ - २००० तक चली थी। मनुष्य जाति के जीवन का लगभग हर पहलू बीसवी शताब्दी में बदल गया।.

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भारत के अभयारण्य

भारत में 500 से अधिक प्राणी अभयारण्य हैं, जिन्हें वन्य जीवन अभयारण्य (IUCN श्रेणी IV सुरक्षित क्षेत्र) कहा जाता है। इनमें से 28 बाघ अभयारण्य बाघ परियोजना द्वारा संचालित हैं, जो बाघ-संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं। कुछ वन्य अभयारण्यों को पक्षी-अभयारण्य कहा जाता रहा है, (जैसे केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान) जब तक कि उन्हें राष्ट्रीय उद्यान का दर्ज़ा नहीं मिल गया। कई राष्ट्रीय उद्यान पहले वन्य जीवन अभयारण्य ही थे। कुछ वन्य जीवन अभयारण्य संरक्षण हेतु राष्ट्रीय महत्व रखते हैं, अपनी कुछ मुख्य प्राणी प्रजातियों के कारण। अतः उन्हें राष्ट्रीय वन्य जीवन अभयारण्य कहा जाता है, जैसे.

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भीमराव आम्बेडकर

भीमराव रामजी आम्बेडकर (१४ अप्रैल, १८९१ – ६ दिसंबर, १९५६) बाबासाहब आम्बेडकर के नाम से लोकप्रिय, भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) के खिलाफ सामाजिक भेद भाव के विरुद्ध अभियान चलाया। श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री, भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे। आम्बेडकर विपुल प्रतिभा के छात्र थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त की। उन्होंने विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के शोध कार्य में ख्याति प्राप्त की। जीवन के प्रारम्भिक करियर में वह अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवम वकालत की। बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में बीता; वह भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रचार और बातचीत में शामिल हो गए, पत्रिकाओं को प्रकाशित करने, राजनीतिक अधिकारों की वकालत करने और दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत और भारत की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया। 1990 में, उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। आम्बेडकर की विरासत में लोकप्रिय संस्कृति में कई स्मारक और चित्रण शामिल हैं। .

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मलयालम फिल्मों की सूची

The Malayalam cinema industry has come a long way since the production of Vigathakumaran in 1928.

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महान इण्डोनेशिया

महान इण्डोनेशिया (इण्डोनेशियाई: Indonesia Raya) इण्डोनेशिया का राष्ट्रगान है। इसके निर्माता हैं संगीतकार वागे रुडॉल्फ़ सुप्रत्मन जिन्होंने इसे १९२४ में रचा था और राष्ट्रगान को सर्वप्रथम २८ अक्टूबर, १९२८ को बाताविया (अब जकार्ता) में आयोजित एक राष्ट्रीय युवा सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया था। इस गान के बाद से इण्डोनेशिया में राष्ट्रवादी आन्दोलन का उद्भव हुआ था। इण्डोनेशिया राया के पहले छन्द को राष्ट्रगान के रूप में चुना गया जब इण्डोनेशिया ने १७ अगस्त, १९४५ को अपनी स्वतन्त्रता की घोषणा की। .

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मिज़ूरी

अमेरिका के मानचित्र पर मिज़ूरी (Missouri) आयोवा, इलिनॉय, केन्टकी, टेनेसी, अर्कन्सास, ओक्लाहोमा, केन्सास और नेब्रास्का से घिरा संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य-पश्चिम क्षेत्र का एक राज्य है। मिसौरी सबसे अधिक जनसंख्या वाला 18वां राज्य है जिसकी 2009 में अनुमानित जनसंख्या 5,987,580 थी। यह 114 प्रान्तों और एक स्वतंत्र शहर से मिलकर बना है। मिसौरी की राजधानी जेफ़रसन शहर है। तीन सबसे बड़े शहरी क्षेत्र सेंट लुई, कन्सास शहर और स्प्रिंगफील्ड हैं। मिसौरी को मूल रूप से लुइसियाना खरीद के भाग के रूप में फ्रांस से अधिग्रहण किया गया था। मिसौरी राज्य क्षेत्र के भाग को 10 अगस्त 1821 में 24वें राज्य के रूप में संघ में शामिल कर लिया गया। मिसौरी में राष्ट्र के जनसांख्यिकीय, आर्थिक और राजनैतिक क्षेत्र में शहरी और ग्रामीण संस्कृति का मिश्रण देखने को मिलता है। इसे लंबे समय से एक राजनीतिक कसौटी राज्य माना जाता रहा है। 1956 और 2008 को छोड़कर, मिसौरी के U.S. राष्ट्रपति के पद के चुनाव के परिणाम ने 1904 से प्रत्येक चुनाव में संयुक्त राज्य अमेरिका के अगले राष्ट्रपति की सही-सही भविष्यवाणी की है। यह मध्य पश्चिमी और दक्षिणी दोनों संस्कृतियों से प्रभावित है और अपने इतिहास में एक सीमा राज्य के रूप में प्रदर्शित है। यह पूर्वी और पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक अवस्थांतर भी है क्योंकि सेंट लुई को अक्सर "सुदूर-पश्चिमी पूर्वी शहर" और कन्सास शहर को "सुदूर-पूर्वी पश्चिमी शहर" कहते हैं। मिसौरी के भूगोल में अत्यधिक विविधता है। राज्य का उत्तरी भाग विच्छेदित गोल मैदानों में पड़ता है जबकि दक्षिणी भाग ओज़ार्क पर्वतों (विच्छेदित पठार) में पड़ता है जिसे मिसोरी नदी दो भागों में बांटती है। मिसिसिपी और मिसौरी नदियों का संगम सेंट लुई के पास स्थित है। .

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मुग़ल उद्यान, दिल्ली

भारत की राजधानी नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के पीछे के भाग में स्थित मुगल उद्यान अपने किस्म का अकेला ऐसा उद्यान है, जहां विश्वभर के रंग-बिरंगे फूलों की छटा देखने को मिलती है। यहां विविध प्रकार के फूलों और फलों के पेड़ों का संग्रह है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰राजेंद्र प्रसाद ने इस उद्यान को जन साधारण के दर्शन हेतु खुलवाया था। इस उद्यान को देखने वालों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही है। २३ जनवरी,०९ को यहां ९५,५३७ दर्शक आए थे। इसकी अभिकल्पना ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस ने लेडी हार्डिग के आदेश पर की थी। १३ एकड़ में फैले इस उद्यान में ब्रिटिश शैली के संग-संग औपचारिक मुगल शैली का मिश्रण दिखाई देता है।। भारत के बारे में जानें। राष्‍ट्रीय पोर्टल विषयवस्‍तु प्रबंधन दल यह उद्यान चार भागों में बंटा हुआ है और चारों एक दूसरे से भिन्न एवं अनुपम हैं। यहां कई छोटे-बड़े बगीचे हैं जैसे पर्ल गार्डन, बटरफ्लाई गार्डन और सकरुलर गार्डन, आदि। बटरफ्लाई गार्डन में फूलों के पौधों की बहुत सी पंक्तियां लगी हुई हैं। यह माना जाता है कि तितलियों को देखने के लिए यह जगह सर्वोत्तम है। मुगल उद्यान में अनेक प्रकार के फूल देखे जा सकते हैं जिसमें गुलाब, गेंदा, स्वीट विलियम आदि शामिल हैं। इस बाग में फूलों के साथ-साथ जड़ी-बूटियां और औषधियां भी उगाई जाती हैं। इनके लिये एक अलग भाग बना हुआ है, जिसे औषधि उद्यान कहते हैं। मुगल उद्यान वसंत ऋतु में एक माह के लिये पर्यटकों के लिए खुलता है। .

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मोहम्मद मांकड

मोहम्मद मांकड (गुजराती: મોહમ્મદ માંકડ, जन्म: 13 फ़रवरी 1928) गुजराती भाषा के जाने माने साहित्यकार हैं। उनका जन्म गुजरात में भावनगर जिले के पलियाड गाँव में हुआ था। उनके अनेक गुजराती उपन्यास और कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। गुजरात सरकार व अन्य संस्थाओं की ओर से उन्हें पुरस्कृत व सम्मानित भी किया जा चुका है। .

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यमुनाबाई सावरकर

यमुनाबाई सावरकर या माई सावरकर (०४ दिसम्बर, १८८८- ०८ नवंबर १९६३) प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर की पत्नी थीं। इनका जन्म ४ दिसम्बर, १८८८ (तदनुसार मार्गशीर्ष, शुक्ल पक्ष प्रतिपदा, विक्रम संवत १९४५) को हुआ था। इनके पिता भाउराव (या रामचंद्र त्रयंबक) चिपलूनकर ठाणे के निकट जवाहर कस्बे के दीवान थे। सावरकर के साथ इनका विवाह फरवरी, (तदनुसार माघ, वि॰सं॰१९५७) को हुआ था। इन्हें माई सावरकर नाम से अधिक प्रसिद्धि मिली। इनके पिता ने ही सावरकर की उच्च शिक्षा व लंदन जाने का बोझ वहन किया। आयु पर्यन्त ये सावरकर का समर्तन व सहयोग शांतिपूर्वक करते रहे। माई ने रत्नागिरी में सावरकर के समाज सुधार कार्यक्रम के भाग के रूप में हल्दी-कुमकुम कार्यक्रम आयोजित किए थे। इनके चार संताने हुईं। सबसे बडए प्रभाकर की मृत्यु बहुत पहले ही हो गई, जब सावरकर लंदन में थे। जनवरी १९२५ में सतारा में इनके एक पुत्री-प्रभात हुई। इनकी दूसरी पुत्री शालिनी एक रुग्ण बालिका थी, जिसकी अल्पायु में ही मृत्यु हो गई। मार्च, १९२८ को इनके एक पुत्र हुआ- विश्वास। माई की मृत्यु ८ नवंबर, १९६३ (तदनुसार कार्तिक वद्य, अष्टमी, वि॰सं॰ २०२०) को मुंबई में हुई। .

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रिकार्डो गोंज़ालेज़

रिकार्डो गोंज़ालेज़ (जन्म: 9 मई, 1928 निधन: 3 जुलाई, 1995) एक टेनिस खिलाड़ी हैं। श्रेणी:टेनिस खिलाड़ी श्रेणी:पुरुष टेनिस खिलाड़ी श्रेणी:टेनिस ग्रैंड स्लैम विजेता.

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लालबहादुर शास्त्री

लालबहादुर शास्त्री (जन्म: 2 अक्टूबर 1904 मुगलसराय - मृत्यु: 11 जनवरी 1966 ताशकन्द), भारत के दूसरे प्रधानमन्त्री थे। वह 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 को अपनी मृत्यु तक लगभग अठारह महीने भारत के प्रधानमन्त्री रहे। इस प्रमुख पद पर उनका कार्यकाल अद्वितीय रहा। भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात शास्त्रीजी को उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। गोविंद बल्लभ पंत के मन्त्रिमण्डल में उन्हें पुलिस एवं परिवहन मन्त्रालय सौंपा गया। परिवहन मन्त्री के कार्यकाल में उन्होंने प्रथम बार महिला संवाहकों (कण्डक्टर्स) की नियुक्ति की थी। पुलिस मन्त्री होने के बाद उन्होंने भीड़ को नियन्त्रण में रखने के लिये लाठी की जगह पानी की बौछार का प्रयोग प्रारम्भ कराया। 1951 में, जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में वह अखिल भारत काँग्रेस कमेटी के महासचिव नियुक्त किये गये। उन्होंने 1952, 1957 व 1962 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी को भारी बहुमत से जिताने के लिये बहुत परिश्रम किया। जवाहरलाल नेहरू का उनके प्रधानमन्त्री के कार्यकाल के दौरान 27 मई, 1964 को देहावसान हो जाने के बाद साफ सुथरी छवि के कारण शास्त्रीजी को 1964 में देश का प्रधानमन्त्री बनाया गया। उन्होंने 9 जून 1964 को भारत के प्रधान मन्त्री का पद भार ग्रहण किया। उनके शासनकाल में 1965 का भारत पाक युद्ध शुरू हो गया। इससे तीन वर्ष पूर्व चीन का युद्ध भारत हार चुका था। शास्त्रीजी ने अप्रत्याशित रूप से हुए इस युद्ध में नेहरू के मुकाबले राष्ट्र को उत्तम नेतृत्व प्रदान किया और पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। इसकी कल्पना पाकिस्तान ने कभी सपने में भी नहीं की थी। ताशकन्द में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में ही रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी। उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया। .

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लाला लाजपत राय

लालाजी (१९०८ में) लाला लाजपत राय (पंजाबी: ਲਾਲਾ ਲਾਜਪਤ ਰਾਏ, जन्म: 28 जनवरी 1865 - मृत्यु: 17 नवम्बर 1928) भारत के जैन धर्म के अग्रवंश मे जन्मे एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्हें पंजाब केसरी भी कहा जाता है। इन्होंने पंजाब नैशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कम्पनी की स्थापना भी की थी। ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के तीन प्रमुख नेताओं लाल-बाल-पाल में से एक थे। सन् 1928 में इन्होंने साइमन कमीशन के विरुद्ध एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसके दौरान हुए लाठी-चार्ज में ये बुरी तरह से घायल हो गये और अन्तत: १७ नवम्बर सन् १९२८ को इनकी महान आत्मा ने पार्थिव देह त्याग दी। .

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शंकर रामचन्द्र

शंकर रामचंद्र या मामाराव दांते (२८ सितंबर, १८९८-), ने पुणे से १९२० में कला स्नातक किया। १९२०-१९२३ तक लोक-संग्रह समाचार पत्र के संपादकीय विभाग में कार्यरत रहे। १९२३ के बाद इन्होंने देवनागरी लिपि के अक्षरों के मुद्रण एवं टंकण पर शोध किया और देवनागरी लिपि का मोनो-टाइप पर मुद्रण संभव हुआ। १९२४-१९३० तक पुणे हिन्दू महासभा के सचिव रहे थे। इस दौरान शुद्धि कार्यक्रम किए थे। १९२८ में दंगा प्रभावित महाद का सर्वेक्षण किया। १९३८ में इन्होंने निज़ाम के शासन में हिन्दुओं की स्थिति का सर्वेक्षण किया तथा सरकार को अवगत कराया। ये १९४०-१९४५ तक महाराष्ट्र हिन्दू महासभा के सचिव रहे थे। १९३८ में भागनगर (हैदराबाद) के अहिंसक प्रतिरोध के बाद १९३९ में इन्हें कारावास भोगना पड़ा। १९५० में ये अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के सचिव निर्वाचित हुए। बाद में १९७५ में उपाध्यक्ष भी बने। इन्होंने चित्तराव शास्त्री के ऋगवेद के मराठी अनुवाद, मेट्स बुक ऑन द प्लाइट ऑफ अनटचेबल्स, बलशास्त्री हरिदास के पुणे में दिए व्याख्यानों व सावरकर के कार्यों का प्रकाशन भी किया। ये १९४०-५५ तक काल- समाचारपत्र के संपादक भी रहे। १९६७ में इन्होंने काल-साप्ताहिक निकाला। गणपत महादेव नलदाड़े (१० फरवरी-) इनका जन्म पुणे में हुआ। आरंभ में इन्होंने अपने पिता के तंबाकू के व्यापार में सहओग किया। १९२२ में मुद्रणालय खोला। १९२५-३२ तक संग्राम-साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन किया। १९२८-५४ तक पुणे नगर निगम के अध्यक्ष भी रहे। १९४२ में ये पुणे शहर के महापौर भी चुने गए थे। १९६४ में ये मुंबई विधान परिषद के सदस्य चुने गए। मर्चेन्ट्स कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष रहे थे। गांधी हत्याकाण्ड के दंगों के दौरान इनकी प्रिंटिंग प्रेस जला दी गई। १९४८ एवं १९५० में ये ४-४ महीनों के लिए जेल भी गए। १९७५ में पुणे में आयोजित हिन्दू महासभा सत्र की स्वागत समिति के अध्यक्ष भी रहे थे। .

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शीतकालीन ओलम्पिक खेल

शीतकालीन ऑलंपिक खेल (अंग्रेज़ी:विंटर ऑलंपिक्स) एक विशेष ओलम्पिक खेल होते हैं, जिनमें में अधिकांशत: बर्फ पर खेले जाने वाले खेलों की स्पर्धा होती है। इन खेलों में ऑल्पाइन स्कीइंग, बायथलॉनबॉब्स्लेड, क्रॉस कंट्री स्कीइंग, कर्लिंग, फिगर स्केटिंग, फ्रीस्टाइल स्कीइंग, आइस हॉकी, ल्यूज, नॉर्डिक कंबाइंड, शॉर्ट ट्रैक स्पीड स्केटिंग, स्केलेटन, स्नोबोर्डिंग, स्पीड स्केटिंग आदि स्पर्धाएं होती हैं। .

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साइमन कमीशन

साइमन आयोग सात ब्रिटिश सांसदो का समूह था, जिसका गठन 1927 में भारत में संविधान सुधारों के अध्ययन के लिये किया गया था। इसे साइमन आयोग (कमीशन) इसके अध्यक्ष सर जोन साइमन के नाम पर कहा जाता है। .

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हॉकी

मेलबर्न विश्वविद्यालय में फील्ड हॉकी का खेल हॉकी एक ऐसा खेल है जिसमें दो टीमें लकड़ी या कठोर धातु या फाईबर से बनी विशेष लाठी (स्टिक) की सहायता से रबर या कठोर प्लास्टिक की गेंद को अपनी विरोधी टीम के नेट या गोल में डालने की कोशिश करती हैं। हॉकी का प्रारम्भ वर्ष 2010 से 4,000 वर्ष पूर्व मिस्र में हुआ था। इसके बाद बहुत से देशों में इसका आगमन हुआ पर उचित स्थान न मिल सका। भारत में इसका आरम्भ 150 वर्षों से पहले हुआ था। 11 खिलाड़ियों के दो विरोधी दलों के बीच मैदान में खेले जाने वाले इस खेल में प्रत्येक खिलाड़ी मारक बिंदु पर मुड़ी हुई एक छड़ी (स्टिक) का इस्तेमाल एक छोटी व कठोर गेंद को विरोधी दल के गोल में मारने के लिए करता है। बर्फ़ में खेले जाने वाले इसी तरह के एक खेल आईस हॉकी से भिन्नता दर्शाने के लिए इसे मैदानी हॉकी कहते हैं। चारदीवारी में खेली जाने वाली हॉकी, जिसमें एक दल में छह खिलाड़ी होते हैं और छह खिलाड़ी परिवर्तन के लिए रखे जाते हैं। हॉकी के विस्तार का श्रेय, विशेषकर भारत और सुदूर पूर्व में, ब्रिटेन की सेना को है। अनेक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के आह्वान के फलस्वरूप 1971 में विश्व कप की शुरुआत हुई। हॉकी की अन्य मुख्य अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं हैं- ओलम्पिक, एशियन कप, एशियाई खेल, यूरोपियन कप और पैन-अमेरिकी खेल। दुनिया में हॉकी निम्न प्रकार से खेली जाती है।.

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ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो

ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो (उर्दू व सिंधी: ذوالفقار علی بھٹو, जन्म: 5 जनवरी 1928 - मौत: 4 अप्रैल 1979) पाकिस्तान के प्रधान मन्त्री थे। वे 1973 से 1977 तक प्रधानमंत्री रहे और इससे पहले अय्यूब ख़ान के शासनकाल में विदेश मंत्री रहे थे। लेकिन अय्यूब ख़ान से मतभेद होने के कारण उन्होंने अपनी नई पार्टी (पीपीपी) 1967 में बनाई। 1962 के भारत-चीन युद्ध, 65 और 71 के पाकिस्तान युद्ध, तीनों के समय वे महत्वपूर्ण पदों पर आसीन थे। 1965 के युद्ध के बाद उन्होंने ही पाकिस्तानी परमाणु कार्यक्रम का ढाँचा तैयार किया था। पूर्व पाकिस्तानी नेता बेनज़ीर भुट्टो इन्ही की बेटी थी। पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के एक फ़ैसले पर उन्हें 1979 में फ़ाँसी पर लटका दिया गया था जिसमें सैन्य शासक ज़िया उल हक़ का हाथ समझा जाता है। श्रेणी:पाकिस्तानी राजनीतिज्ञ श्रेणी:पाकिस्तान के प्रधान मन्त्री.

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वालीउल्लाली सी एम मुहम्मद अबु बकर मुस्लीयर

कुतुबुल आलम वालीउल्लाली सी.एम मुहम्मद अबूबकर मुस्लियर (जिसे मुख्यमंत्री वालीउल्लाली भी कहा जाता है) दक्षिण भारत में एक सूफी विद्वान था।उनका जन्म 1928 में मदावूर में हुआ था और 1991 में उनकी मृत्यु हुई थी। .

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विनायक दामोदर सावरकर

विनायक दामोदर सावरकर (जन्म: २८ मई १८८३ - मृत्यु: २६ फ़रवरी १९६६) भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। उन्हें प्रायः स्वातंत्र्यवीर, वीर सावरकर के नाम से सम्बोधित किया जाता है। हिन्दू राष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा (हिन्दुत्व) को विकसित करने का बहुत बडा श्रेय सावरकर को जाता है। वे न केवल स्वाधीनता-संग्राम के एक तेजस्वी सेनानी थे अपितु महान क्रान्तिकारी, चिन्तक, सिद्धहस्त लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता भी थे। वे एक ऐसे इतिहासकार भी हैं जिन्होंने हिन्दू राष्ट्र की विजय के इतिहास को प्रामाणिक ढँग से लिपिबद्ध किया है। उन्होंने १८५७ के प्रथम स्वातंत्र्य समर का सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिखकर ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया था।वे एक वकील, राजनीतिज्ञ, कवि, लेखक और नाटककार थे। उन्होंने परिवर्तित हिंदुओं के हिंदू धर्म को वापस लौटाने हेतु सतत प्रयास किये एवं आंदोलन चलाये। सावरकर ने भारत के एक सार के रूप में एक सामूहिक "हिंदू" पहचान बनाने के लिए हिंदुत्व का शब्द गढ़ा । उनके राजनीतिक दर्शन में उपयोगितावाद, तर्कवाद और सकारात्मकवाद, मानवतावाद और सार्वभौमिकता, व्यावहारिकता और यथार्थवाद के तत्व थे। सावरकर एक नास्तिक और एक कट्टर तर्कसंगत व्यक्ति थे जो सभी धर्मों में रूढ़िवादी विश्वासों का विरोध करते थे । .

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विलायत ख़ाँ

उस्ताद विलायत ख़ाँ। विलायत खाँ का जन्म 1928 में गौरीपुर (इस समय बांग्लादेश) में एक संगीतज्ञ परिवार में हुआ था। पिता, प्रख्यात सितार वादक उस्ताद इनायत हुसैन ख़ाँ, की जल्दी मौत के बाद उन्होंने अपने नाना और मामा से सितार बजाना सीखा। आठ वर्ष की उम्र में पहली बार उनके सितारवादन की रिकॉर्डिंग हुई। उन्होंने पाँच दशकों से भी अधिक समय तक अपने सितार का जादू बिखेरा। उस्ताद विलायत ख़ाँ की पिछली कई पुश्तें सितार से जुड़ी रहीं और उनके पिता इनायत हुसैन ख़ाँ से पहले उस्ताद इमदाद हुसैन ख़ाँ भी जाने-माने सितारवादक रहे थे। उस्ताद विलायत ख़ाँ के दोनों बेटे, सुजात हुसैन ख़ाँ और हिदायत ख़ाँ भी तथा उनके भाई इमरात हुसैन ख़ाँ और भतीजे रईस ख़ाँ भी जाने माने सितार वादक हैं। वे संभवतः भारत के पहले संगीतकार थे जिन्होंने भारत की आज़ादी के बाद इंग्लैंड जाकर संगीत पेश किया था। विलायत ख़ाँ एक साल में आठ महीने विदेश में बिताया करते थे और न्यूजर्सी उनका दूसरा घर बन चुका था। विलायत ख़ाँ ने सितार वादन की अपनी अलग शैली, गायकी शैली, विकसित की थी जिसमें श्रोताओं पर गायन का अहसास होता था। उनकी कला के सम्मान में राष्ट्रपति फ़ख़रूद्दीन अली अहमद ने उन्हें आफ़ताब-ए-सितार का सम्मान दिया था और ये सम्मान पानेवाले वे एकमात्र सितारवादक थे। लेकिन उस्ताद विलायत खाँ ने 1964 में पद्मश्री और 1968 में पद्मविभूषण सम्मान ये कहते हुए ठुकरा दिए थे कि भारत सरकार ने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में उनके योगदान का समुचित सम्मान नहीं किया। उनके परिवार में उनकी दो पत्नियाँ, दो बेटे और दो बेटियाँ भी हैं। 13 मार्च 2004 को उनका देहांत हो गया। उन्हें फेफ़ड़े का कैंसर था जिसके इलाज के लिए वे जसलोक अस्पताल में भर्ती थे। उनका अधिकतर जीवन कोलकाता में बीता और उनका अंतिम संस्कार भी उन्हें उनके पिता की क़ब्र के समीप दफ़ना कर किया गया। ---- श्रेणी:भारतीय संगीत श्रेणी:शास्त्रीय संगीत श्रेणी:व्यक्तिगत जीवन श्रेणी:सितार वादक.

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विल्लुपुरम चिन्नैया गणेशन

शिवाजी गणेशन (சிவாஜி கணேசன்) (जन्म:विल्लुपुरम चिन्नैया पिल्लई गणेशन, १ अक्टूबर, १९२८ - २१ जुलाई, २००१)) एक भारतीय फिल्म अभिनेता थे। ये बीसवीं शताब्दी के परार्ध में सक्रिय रहे। इनको भारत सरकार द्वारा सन १९८४ में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये तमिलनाडु राज्य से हैं। .

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विश्वास सावरकर

विश्वास सावरकर प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के पुत्र थे। इनका जन्म १७ मार्च, १९२८ को हुआ था। श्रेणी:सावरकर.

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विजय तेंडुलकर

विजय तेंडुलकर विजय तेंडुलकर (६ जनवरी १९२८ - १९ मई २००८) प्रसिद्ध मराठी नाटककार, लेखक, निबंधकार, फिल्म व टीवी पठकथालेखक, राजनैतिक पत्रकार और सामाजिक टीपकार थे। भारतीय नाट्य व साहित्य जगत में उनका उच्च स्थान रहा है। वे सिनेमा और टेलीविजन की दुनिया में पटकथा लेखक के रूप में भी पहचाने जाते हैं। .

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ग्रैंड स्लैम टेनिस विजेताओं की सूची

List of Men's Singles Grand Slam tournaments tennis champions: .

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इज़ेत दिब्रा

इज़ेत दिब्रा एक अल्बानियाई राजनीतिज्ञ और १९२७ से १९२८ तक तिराना के महापौर थे। श्रेणी:अल्बानिया श्रेणी:तिराना श्रेणी:अल्बानिया के लोग.

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कन्नड साहित्य सम्मेलन

कन्नड साहित्य सम्मेलन कन्नड साहित्यकारों, लेखकों तथा कननाडिगारु लोगों का सम्मेलन है। इसका लक्षय कन्नड भाषा, कन्नड साहित्य, कला, संगीत और संस्कृति का विकास करना है। इसका आरम्भ १९१५ में एच वी नान्जुनैया ने किया था। पहला सम्मेलन बंगलुरु में हुआ था। १९४८ तक इसका उद्घाटन किसी सुप्रसिद्ध कवि या लेखक द्वारा किया जाता था कि्न्तु १९४८ के बाद से कर्नाटक के मुख्यमंत्री इसका उद्घाटन करते हैं। इस सम्मेलन का आयोजन कन्नड साहित्य परिषद करती है। .

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कहानी

कथाकार (एक प्राचीन कलाकृति)कहानी हिन्दी में गद्य लेखन की एक विधा है। उन्नीसवीं सदी में गद्य में एक नई विधा का विकास हुआ जिसे कहानी के नाम से जाना गया। बंगला में इसे गल्प कहा जाता है। कहानी ने अंग्रेजी से हिंदी तक की यात्रा बंगला के माध्यम से की। कहानी गद्य कथा साहित्य का एक अन्यतम भेद तथा उपन्यास से भी अधिक लोकप्रिय साहित्य का रूप है। मनुष्य के जन्म के साथ ही साथ कहानी का भी जन्म हुआ और कहानी कहना तथा सुनना मानव का आदिम स्वभाव बन गया। इसी कारण से प्रत्येक सभ्य तथा असभ्य समाज में कहानियाँ पाई जाती हैं। हमारे देश में कहानियों की बड़ी लंबी और सम्पन्न परंपरा रही है। वेदों, उपनिषदों तथा ब्राह्मणों में वर्णित 'यम-यमी', 'पुरुरवा-उर्वशी', 'सौपणीं-काद्रव', 'सनत्कुमार- नारद', 'गंगावतरण', 'श्रृंग', 'नहुष', 'ययाति', 'शकुन्तला', 'नल-दमयन्ती' जैसे आख्यान कहानी के ही प्राचीन रूप हैं। प्राचीनकाल में सदियों तक प्रचलित वीरों तथा राजाओं के शौर्य, प्रेम, न्याय, ज्ञान, वैराग्य, साहस, समुद्री यात्रा, अगम्य पर्वतीय प्रदेशों में प्राणियों का अस्तित्व आदि की कथाएँ, जिनकी कथानक घटना प्रधान हुआ करती थीं, भी कहानी के ही रूप हैं। 'गुणढ्य' की "वृहत्कथा" को, जिसमें 'उदयन', 'वासवदत्ता', समुद्री व्यापारियों, राजकुमार तथा राजकुमारियों के पराक्रम की घटना प्रधान कथाओं का बाहुल्य है, प्राचीनतम रचना कहा जा सकता है। वृहत्कथा का प्रभाव 'दण्डी' के "दशकुमार चरित", 'बाणभट्ट' की "कादम्बरी", 'सुबन्धु' की "वासवदत्ता", 'धनपाल' की "तिलकमंजरी", 'सोमदेव' के "यशस्तिलक" तथा "मालतीमाधव", "अभिज्ञान शाकुन्तलम्", "मालविकाग्निमित्र", "विक्रमोर्वशीय", "रत्नावली", "मृच्छकटिकम्" जैसे अन्य काव्यग्रंथों पर साफ-साफ परिलक्षित होता है। इसके पश्‍चात् छोटे आकार वाली "पंचतंत्र", "हितोपदेश", "बेताल पच्चीसी", "सिंहासन बत्तीसी", "शुक सप्तति", "कथा सरित्सागर", "भोजप्रबन्ध" जैसी साहित्यिक एवं कलात्मक कहानियों का युग आया। इन कहानियों से श्रोताओं को मनोरंजन के साथ ही साथ नीति का उपदेश भी प्राप्त होता है। प्रायः कहानियों में असत्य पर सत्य की, अन्याय पर न्याय की और अधर्म पर धर्म की विजय दिखाई गई हैं। .

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अन्वेषणों की समय-रेखा

यहाँ ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण तकनीकी खोजों की समय के सापेक्ष सूची दी गयी है। .

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अमेरिकी ओपन टेनिस के पुरुष एकल विजेताओं की सूची

* 1881 - रिचर्ड सीअर्स.

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उत्तराखंड में स्वाधीनता संग्राम

सुगौली संधि द्वारा गोरखा शासन से मुक्त हुआ क्षेत्र। वर्तमान राज्य उत्तराखण्ड जिस भौगोलिक क्षेत्र पर विस्तृत है उस इलाके में ब्रिटिश शासन का इतिहास उन्नीसवी सदी के दूसरे दशक से लेकर भारत की आज़ादी तक का है। उत्तराखण्ड में ईस्ट इंडिया कंपनी का आगमन 1815 में हुआ। इससे पहले यहाँ नेपाली गोरखों का शासन था। यह भी माना जाता है कि गोरखा शासकों द्वारा इस इलाके के लोगों पर किये गये अत्याचारों को देखकर ही अंग्रेजों का ध्यान इस ओर गया। हालाँकि अंग्रेजों और नेपाली गुरखाओं के बीच लड़े गये गोरखा युद्ध के अन्य कारण भी थे। अल्मोड़ा में 27 अप्रैल 1815 को गोरखा प्रतिनिधि बमशाह और लेफ्टिनेंट कर्नल गार्डनर के बीच हुई एक संधि के बाद नेपाली शासक ने इस क्षेत्र से हट जाने को स्वीकारा और इस क्षेत्र पर ईस्ट इण्डिया कंपनी का अधिकार हो गया। अंग्रेजों का इस क्षेत्र पर पूर्ण अधिकार 4 अप्रैल 1816 को सुगौली की सन्धि के बाद इस पूरे क्षेत्र पर हो गया और नेपाल की सीमा काली नदी घोषित हुई। अंग्रेजों ने पूरे इलाके को अपने शासन में न रख अप्रैल 1815 में ही गढ़वाल के पूर्वी हिस्से और कुमायूँ के क्षेत्र पर अपना अधिकार रखा और पश्चिमी हिस्सा सुदर्शन शाह, जो गोरखों के शासन से पहले गढ़वाल के राजा थे, को सौंप दिया जो अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के पश्चिम में पड़ता था।Robert Montgomery Martin, History of the Possessions of the Honourable East India Company, Volume 1, pg.

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१२ अप्रैल

12 अप्रैल ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 102वाँ (लीप वर्ष मे 103वाँ) दिन है। साल मे अभी और 263 दिन बाकी है। .

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१९ नवम्बर

१९ नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३२३वॉ (लीप वर्ष मे ३२४ वॉ) दिन है। साल मे अभी और ४२ दिन बाकी है। .

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२६ फरवरी

२६ फरवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ५७वॉ दिन है। साल में अभी और ३०८ दिन बाकी है (लीप वर्ष में ३०९)। .

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२८ दिसम्बर

28 दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 362वॉ (लीप वर्ष मे 363 वॉ) दिन है। साल में अभी और 3 दिन बाकी है। .

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३ अगस्त

3 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 215वॉ (लीप वर्ष में 216 वॉ) दिन है। साल में अभी और 150 दिन बाकी है। .

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६ जनवरी

6 जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 6वाँ दिन है। साल में अभी और 359 दिन बाकी हैं (लीप वर्ष में 360)।.

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७ जून

7 जून ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 158वाँ (लीप वर्ष में 159 वाँ) दिन है। साल में अभी और 207 दिन बाकी हैं। .

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