लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

१९०९

सूची १९०९

1909 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

32 संबंधों: एम॰ कल्याणसुंदरम, थियोडोर रूज़वेल्ट, द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस - १८५७, पदार्थ प्रौद्योगिकी की समय रेखा, बिमल राय, बीसवीं शताब्दी, भारत रत्‍न, भारतीय इतिहास तिथिक्रम, महात्मा रामचन्द्र वीर, मारीशस के हिन्दी विद्वान, मैनचेस्टर यूनाइटेड एफ़.सी., मेरठ, लीला चिटनिस, हुमायूँ का मकबरा, होमी जहांगीर भाभा, ई॰ एम॰ एस॰ नंबूदिरीपाट, विलियम होवर टाफ्ट, वक्कम मजीद, वृंदावनलाल वर्मा, ग्रैंड स्लैम टेनिस विजेताओं की सूची, कहानी, के॰ एल॰ श्रीमाली, अमेरिकी ओपन टेनिस के पुरुष एकल विजेताओं की सूची, १५ सितम्बर, १५ जुलाई, १५ जून, १६ जुलाई, १७ अगस्त, २९ नवम्बर, ३ जनवरी, ६ अप्रैल, ८ जनवरी

एम॰ कल्याणसुंदरम

मीनाकषीसुंदरम कल्याणसुंदरम (20 अक्तूबर 1909 - 27 जुलाई 1988) भारतीय राजनीतिज्ञ एवं तमिल नाडु के विधान सभा के साबका सदस्य थे। वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के उम्मीदवार के रूप से तमिल नाडु विधान सभा हेतु 1952 में तरुची विधान सभा हलके से, और 1957 और 1962 में तामिलनाडु विधान सभा हेतु तिरूचिरापल्ली चुने गए थे। श्रेणी:भारतीय राजनीतिज्ञ.

नई!!: १९०९ और एम॰ कल्याणसुंदरम · और देखें »

थियोडोर रूज़वेल्ट

थियोडोर रूज़वेल्ट संयुक्त राज्य अमरीका के राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल १९०१ से १९०९ तक था। ये रिपब्लिकन पार्टी से थे। श्रेणी:अमेरिका के राष्ट्रपति श्रेणी:नोबल शांति पुरस्कार के प्राप्तकर्ता.

नई!!: १९०९ और थियोडोर रूज़वेल्ट · और देखें »

द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस - १८५७

द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस - १८५७ प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर द्वारा लिखित एक पुस्तक है, जिसमें उन्होंने सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिख कर ब्रिटिश शासन को हिला डाला था। अधिकांश इतिहासकारों ने १८५७ के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक सिपाही विद्रोह या अधिकतम भारतीय विद्रोह कहा था। दूसरी ओर भारतीय विश्लेषकों ने भी इसे तब तक एक योजनाबद्ध राजनीतिक एवं सैन्य आक्रमण कहा था, जो भारत में ब्रिटिष साम्राज्य के ऊपर किया गया था। सावरकर ने १८५७ की घटनाओं को भारतीय दृष्टिकोण से देखा। स्वयं एक तेजस्वी नेता व क्रांतिकारी होते हुए, वे १८५७ के शूरवीरों के साहस, वीरता, ज्वलंत उत्साह व दुर्भाग्य की ओर आकर्षित हुए। उन्होंने इस पूरी घटना को उस समय उपलब्ध साक्ष्यों व पाठ सहित पुनरव्याख्यित करने का निश्चय किया। उन्होंने कई महीने इण्डिया ऑफिस पुस्तकालय में इस विषय पर अध्ययन में बिताये। सावरकर ने पूरी पुस्तक मूलतः मराठी में लिखी व १९०८ में पूर्ण की। क्योंकि उस समय इसका भारत में मुद्रण असंभव था, इसकी मूल प्रति इन्हें लौटा दी गई। इसका मुद्रण इंग्लैंड व जर्मनी में भी असफाल रहा। इंडिया हाउस में रह रहेक छ छात्रों ने इस पुस्तक का अंग्रेज़ी अनुवाद किया। और अन्ततः यह पुस्तक १९०९ में हॉलैंड में मुद्रित हुयी। इसका शीर्षक था द इण्डियन वार ऑफ इंडिपेन्डेंस – १८५७। इसप स्तक का द्वितीय संस्करण लाला हरदयाल द्वारा गदर पार्टी की ओर से अमरीका में निकला और तृतीय संस्करण सरदार भगत सिंह द्वारा निकाला गया। इसका चतुर्थ संस्करण नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा सुदूर-पूर्व में निकाला गया। फिर इस पुस्तक का अनुवाद उर्दु, हिंदी, पंजाबी व तमिल में किया गया। इसके बाद एक संस्करण गुप्त रूप से भारत में भी द्वितीय विश्व यु्द्ध के समाप्त होने के बाद मुद्रित हुआ। इसकी मूल पांडु-लिपि मैडम भीकाजी कामा के पास पैरिस में सुरक्षित रखी थी। यह प्रति अभिनव भारत के डॉ॰क्यूतिन्हो को प्रथम विश्व युद्ध के दौरान पैरिसम संकट आने के दौरान सौंपी गई। डॉ॰क्युतिन्हो ने इसे किसी पवित्र धार्मिक ग्रंथ की भांति ४० वर्षों तक सुरक्षित रखा। भारतीय स्वतंत्रता उपरांत उन्होंने इसे रामलाल वाजपेयी और डॉ॰मूंजे को दे दिया, जिन्होंने इसे सावरकर को लौटा दिया। इस पुस्तक पर लगा निषेध अन्ततः मई, १९४६ में बंबई सरकार द्वारा हटा लिया गया। .

नई!!: १९०९ और द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस - १८५७ · और देखें »

पदार्थ प्रौद्योगिकी की समय रेखा

कोई विवरण नहीं।

नई!!: १९०९ और पदार्थ प्रौद्योगिकी की समय रेखा · और देखें »

बिमल राय

बिमल राय (बांग्ला: বিমল রায়) (जन्म: 12 जुलाई, 1909 निधन: 7 जनवरी, 1966) हिन्दी फ़िल्मों का एक प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक थे। .

नई!!: १९०९ और बिमल राय · और देखें »

बीसवीं शताब्दी

ग्रेगरी पंचांग (कलेंडर) के अनुसार ईसा की बीसवीं शताब्दी 1 जनवरी 1901 से 31 दिसम्बर 2000 तक मानी जाती है। कुछ इतिहासवेत्ता 1914 से 1992 तक को संक्षिप्त बीसवीं शती का नाम भी देते हैं। (उन्नीसवी शताब्दी - बीसवी शताब्दी - इक्कीसवी शताब्दी - और शताब्दियाँ) दशक: १९०० का दशक १९१० का दशक १९२० का दशक १९३० का दशक १९४० का दशक १९५० का दशक १९६० का दशक १९७० का दशक १९८० का दशक १९९० का दशक ---- समय के गुज़रने को रेकोर्ड करने के हिसाब से देखा जाये तो बीसवी शताब्दी वह शताब्दी थी जो १९०१ - २००० तक चली थी। मनुष्य जाति के जीवन का लगभग हर पहलू बीसवी शताब्दी में बदल गया।.

नई!!: १९०९ और बीसवीं शताब्दी · और देखें »

भारत रत्‍न

भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है। इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है। इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी। अन्य अलंकरणों के समान इस सम्मान को भी नाम के साथ पदवी के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। प्रारम्भ में इस सम्मान को मरणोपरांत देने का प्रावधान नहीं था, यह प्रावधान 1955 में बाद में जोड़ा गया। तत्पश्चात् 13 व्यक्तियों को यह सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया गया। सुभाष चन्द्र बोस को घोषित सम्मान वापस लिए जाने के उपरान्त मरणोपरान्त सम्मान पाने वालों की संख्या 12 मानी जा सकती है। एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है। उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले सम्मानों में भारत रत्न के पश्चात् क्रमशः पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री हैं। .

नई!!: १९०९ और भारत रत्‍न · और देखें »

भारतीय इतिहास तिथिक्रम

भारत के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं तिथिक्रम में।;भारत के इतिहास के कुछ कालखण्ड.

नई!!: १९०९ और भारतीय इतिहास तिथिक्रम · और देखें »

महात्मा रामचन्द्र वीर

रामचन्द्र वीर (जन्म १९०९ - मृत्यु २००९) एक लेखक, कवि तथा वक्ता और धार्मिक नेता थे। उन्होंने 'विजय पताका', 'हमारी गोमाता', 'वीर रामायण' (महाकाव्य), 'हमारा स्वास्थ्य' जैसी कई पुस्तकें लिखीं। भारत के स्वतन्त्रता आंदोलन, गोरक्षा तथा अन्य विविध आन्दोलनों में कई बार जेल गये। विराट नगर के पंचखंड पीठाधीश्वर आचार्य धर्मेन्द्र उनके पुत्र हैं। .

नई!!: १९०९ और महात्मा रामचन्द्र वीर · और देखें »

मारीशस के हिन्दी विद्वान

मारीशस में २ नवंबर १८३४ में एटलस नामक जहाज़ में बिहार के छोटा नागपुर इलाके से पहली बार विधिवत गिरमिटियों को लाया गया था। १९२० तक मारीशस में साढ़े चार लाख भारतीय गिरमिटिए लाए गए, जिनमें अधिकतर भोजपुरी बोलने वाले थे। उन्नीसवीं सदी के अंत तक बोलचाल की भाषा के रूप में यहाँ भोजपुरी का विकास हो चुका था। १९०१ में बैरिस्टर मोहनदास करमचन्द गांधी यहाँ आकर रहे और भारतीयों की दशा और कठिनाइयों को समझा। उन्हें कानूनी सलाह उपलब्ध कराने और सहायता करने के लिए उन्होंने १९०९ में एक योग्य बैरिस्टर मगनलाल मणिलाल को मारीशस भेजा। बैरिस्टर मगनलाल मणिलाल ने १५ मार्च १९०९ में एक साप्ताहिक पत्र का आरंभ किया जिसकी भाषा अँग्रेजी और गुजराती थी। बाद में गुजराती के स्थान पर यह पत्र हिंदी में प्रकाशित होने लगा क्यों कि आमतौर पर सभी भारतीय लोगों को हिंदी आसानी से समझ में आती थी। इसके बाद ही मारीशस में हिंदी का विकास हुआ। इस दृष्टि से वे मारीशस के पहले हिंदी विद्वान माने जाते हैं। इसके बाद अनेक लोगों ने अध्यापन, पत्रकारिता और लेखन द्वारा मारीशस में हिंदी का विकास किया। इन लोगों में प्रमुख नाम हैं- मुकेश्वर चुन्नी, पं. आत्माराम विश्वनाथ, पं. लक्ष्मीनारायण चतुर्वेदी रसपुंज, पं. रामावध शर्मा, पं. काशीनाथ किष्टो, पं. नरसिंहदास, श्री जयनारायण राय, प्रो॰ वासुदेव विष्णुदयाल, डॉ॰ सर शिवसागर रामगुलाम, प्रो॰ राम प्रकाश, बैरिस्टर सोमदत्त बखोरी, पं.मोहनलाल मोहित, आर्य रत्न, डॉ॰ ब्रज भारत, श्री सूर्यमंजर भगत, सर खेर जगतसिंह, स्वामी कृष्णानंद सरस्वती, श्री दुखी गंगा, श्री रामनाथ जीता, पं. रामदत्त महावीर, रामरेखा रति, पं. श्रीनिवास जगदत्त, पं. उमाशंकर जगदत्ता, पं. दौलत शर्मा, श्री दयानंदलाल वसंतराय, अभिमन्यु अनत आदि। .

नई!!: १९०९ और मारीशस के हिन्दी विद्वान · और देखें »

मैनचेस्टर यूनाइटेड एफ़.सी.

मैनचेस्टर युनाइटेड फुटबॉल क्लब ग्रेटर मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रेफोर्ड में स्थित एक इंग्लिश फुटबॉल क्लब है जो दुनिया में सबसे अधिक लोकप्रिय फुटबॉल क्लबों में से एक है। क्लब 1992 में प्रीमियर लीग का एक संस्थापक सदस्य था और सिवाए 1974-75 के सत्र के, 1938 के बाद से ही, इंग्लिश फुटबॉल की शीर्ष श्रेणी में खेलता रहा है। 1964-65 के बाद से ही सभी छह सत्रों के दौरान क्लब में दर्शकों की औसत उपस्थिति इंग्लिश फुटबॉल की किसी भी अन्य टीम के मुकाबले अधिक रही है। 2008-09 प्रीमियर लीग और 2008 फीफा क्लब विश्व कप जीतने के साथ ही मैनचेस्टर युनाइटेड इंग्लिश चैंपियन और क्लब विश्व कप के श्रेष्ठ धारक बन गये हैं। क्लब इंग्लिश फुटबॉल क्लब के इतिहास में सबसे सफल क्लबों में से एक है और नवंबर 1986 में एलेक्स फर्ग्यूसन के मैनेजर बनने के बाद इसने 22 बड़े पुरस्कार अर्जित किये हैं। सन् 1968 में बेन्फिका को 4-1 से हरा कर यूरोपीय कप जीतने वाला यह पहला इंग्लिश क्लब बना.

नई!!: १९०९ और मैनचेस्टर यूनाइटेड एफ़.सी. · और देखें »

मेरठ

मेरठ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक शहर है। यहाँ नगर निगम कार्यरत है। यह प्राचीन नगर दिल्ली से ७२ कि॰मी॰ (४४ मील) उत्तर पूर्व में स्थित है। मेरठ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (ऍन.सी.आर) का हिस्सा है। यहाँ भारतीय सेना की एक छावनी भी है। यह उत्तर प्रदेश के सबसे तेजी से विकसित और शिक्षित होते जिलों में से एक है। मेरठ जिले में 12 ब्लॉक,34 जिला पंचायत सदस्य,80 नगर निगम पार्षद है। मेरठ जिले में 4 लोक सभा क्षेत्र सम्मिलित हैं, सरधना विधानसभा, मुजफ्फरनगर लोकसभा में हस्तिनापुर विधानसभा, बिजनौर लोकसभा में,सिवाल खास बागपत लोकसभा क्षेत्र में और मेरठ कैंट,मेरठ दक्षिण,मेरठ शहर,किठौर मेरठ लोकसभा क्षेत्र में है .

नई!!: १९०९ और मेरठ · और देखें »

लीला चिटनिस

लीला चिटनिस (जन्म: 9 सितंबर, 1909 निधन: 14 जुलाई, 2003) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। .

नई!!: १९०९ और लीला चिटनिस · और देखें »

हुमायूँ का मकबरा

हुमायूँ का मकबरा इमारत परिसर मुगल वास्तुकला से प्रेरित मकबरा स्मारक है। यह नई दिल्ली के दीनापनाह अर्थात् पुराने किले के निकट निज़ामुद्दीन पूर्व क्षेत्र में मथुरा मार्ग के निकट स्थित है। गुलाम वंश के समय में यह भूमि किलोकरी किले में हुआ करती थी और नसीरुद्दीन (१२६८-१२८७) के पुत्र तत्कालीन सुल्तान केकूबाद की राजधानी हुआ करती थी। यहाँ मुख्य इमारत मुगल सम्राट हुमायूँ का मकबरा है और इसमें हुमायूँ की कब्र सहित कई अन्य राजसी लोगों की भी कब्रें हैं। यह समूह विश्व धरोहर घोषित है- अभिव्यक्ति। १७ अप्रैल २०१०।, एवं भारत में मुगल वास्तुकला का प्रथम उदाहरण है। इस मक़बरे में वही चारबाग शैली है, जिसने भविष्य में ताजमहल को जन्म दिया। यह मकबरा हुमायूँ की विधवा बेगम हमीदा बानो बेगम के आदेशानुसार १५६२ में बना था। इस भवन के वास्तुकार सैयद मुबारक इब्न मिराक घियाथुद्दीन एवं उसके पिता मिराक घुइयाथुद्दीन थे जिन्हें अफगानिस्तान के हेरात शहर से विशेष रूप से बुलवाया गया था। मुख्य इमारत लगभग आठ वर्षों में बनकर तैयार हुई और भारतीय उपमहाद्वीप में चारबाग शैली का प्रथम उदाहरण बनी। यहां सर्वप्रथम लाल बलुआ पत्थर का इतने बड़े स्तर पर प्रयोग हुआ था। १९९३ में इस इमारत समूह को युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया। इस परिसर में मुख्य इमारत मुगल सम्राट हुमायूँ का मकबरा है। हुमायूँ की कब्र के अलावा उसकी बेगम हमीदा बानो तथा बाद के सम्राट शाहजहां के ज्येष्ठ पुत्र दारा शिकोह और कई उत्तराधिकारी मुगल सम्राट जहांदर शाह, फर्रुख्शियार, रफी उल-दर्जत, रफी उद-दौलत एवं आलमगीर द्वितीय आदि की कब्रें स्थित हैं। देल्ही थ्रु एजेज़। एस.आर.बख्शी। प्रकाशक:अनमोल प्रकाशन प्रा.लि.। १९९५।ISBN 81-7488-138-7। पृष्ठ:२९-३५ इस इमारत में मुगल स्थापत्य में एक बड़ा बदलाव दिखा, जिसका प्रमुख अंग चारबाग शैली के उद्यान थे। ऐसे उद्यान भारत में इससे पूर्व कभी नहीं दिखे थे और इसके बाद अनेक इमारतों का अभिन्न अंग बनते गये। ये मकबरा मुगलों द्वारा इससे पूर्व निर्मित हुमायुं के पिता बाबर के काबुल स्थित मकबरे बाग ए बाबर से एकदम भिन्न था। बाबर के साथ ही सम्राटों को बाग में बने मकबरों में दफ़्न करने की परंपरा आरंभ हुई थी। हिस्ट‘ओरिक गार्डन रिव्यु नंबर १३, लंदन:हिस्टॉरिक गार्डन फ़ाउडेशन, २००३ अपने पूर्वज तैमूर लंग के समरकंद (उज़्बेकिस्तान) में बने मकबरे पर आधारित ये इमारत भारत में आगे आने वाली मुगल स्थापत्य के मकबरों की प्रेरणा बना। ये स्थापत्य अपने चरम पर ताजमहल के साथ पहुंचा। .

नई!!: १९०९ और हुमायूँ का मकबरा · और देखें »

होमी जहांगीर भाभा

होमी जहांगीर भाभा (30 अक्टूबर, 1909 - 24 जनवरी, 1966) भारत के एक प्रमुख वैज्ञानिक और स्वप्नदृष्टा थे जिन्होंने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। उन्होने मुट्ठी भर वैज्ञानिकों की सहायता से मार्च 1944 में नाभिकीय उर्जा पर अनुसन्धान आरम्भ किया। उन्होंने नाभिकीय विज्ञान में तब कार्य आरम्भ किया जब अविछिन्न शृंखला अभिक्रिया का ज्ञान नहीं के बराबर था और नाभिकीय उर्जा से विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई मानने को तैयार नहीं था। उन्हें 'आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम' भी कहा जाता है। भाभा का जन्म मुम्बई के एक सभ्रांत पारसी परिवार में हुआ था। उनकी कीर्ति सारे संसार में फैली। भारत वापस आने पर उन्होंने अपने अनुसंधान को आगे बढ़ाया। भारत को परमाणु शक्ति बनाने के मिशन में प्रथम पग के तौर पर उन्होंने 1945 में मूलभूत विज्ञान में उत्कृष्टता के केंद्र टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआइएफआर) की स्थापना की। डा.

नई!!: १९०९ और होमी जहांगीर भाभा · और देखें »

ई॰ एम॰ एस॰ नंबूदिरीपाट

ईलमकुलम मनक्कल शंकरन नंबूदिरीपाद (१३ जून, १९०९- १९ मार्च, १९९८) १९५७ में केरल में विश्व की पहली लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई मार्क्सवादी सरकार के मुख्यमंत्री थे। उनहोंने वाम दल में लोकतांत्रिक हौसले को जिंदा रखा और उस आंदोलन को प्रेरित किया जिससे केरल भारत का पहला पूर्ण साक्षर राज्य बन गया। भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन के सर्वश्रेष्ठ नेताओं में से एक, देश के प्रमुख मार्क्सवादी चिंतक और आधुनिक केरल के निर्माता एलमकुलम मनक्कल शंकरन नम्बुदिरीपाद की शख्सियत उच्चस्तरीय सैद्धांतिक कौशल और सक्रियता के संयोग से बनी थी। दर्शन, सौंदर्यशास्त्र, भाषाशास्त्र, इतिहास, अर्थशास्त्र और राजनीति जैसे विविध अनुशासनों में नब्बे से ज़्यादा उल्लेखनीय पुस्तकों का योगदान करने से लेकर आधी सदी तक कम्युनिस्ट पार्टी की दिशा तय करने वाले ईएमएस का नाम उनके जीवन में ही देश की राजधानी से लेकर केरल के किसी भी मामूली गाँव तक में प्रसिद्ध हो चुका था। उन्हीं के नेतृत्व में चली ‘एक्य केरल’ मुहिम के कारण आज़ादी के बाद भाषाई आधार पर केरल का गठन हुआ। वे केरल के पहले और देश के पहले ग़ैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे। केरल को गठजोड़ राजनीति का अगुआ बनाने में नम्बूदिरीपाद की ही प्रमुख भूमिका थी। आज अगर केरल देश का सर्वाधिक साक्षर और जागरूक प्रांत है तो इसका श्रेय ईएमएस के कार्यकाल में किये गये रैडिकल भूमि और शिक्षा-सुधारों को ही जाता है। 1968 में प्रकाशित नम्बूदिरीपाद की रचना 'आत्मकथा' आधुनिक मलयालम की सबसे बेहतरीन गद्य-कृति मानी जाती है। केरल में प्रगतिशील साहित्यिक-सांस्कृतिक आंदोलन की शुरुआत और विकास में उनकी प्रमुख भूमिका थी। मलयाली समाज और राजनीति का गहन अध्ययन करके उन्होंने जाति-समस्या के प्रति द्वंद्वात्मक रवैया अपनाते हुए एक ख़ास तरह की मार्क्सवादी राजनीति का विन्यास तैयार किया। परिणामस्वरूप न केवल कम्युनिस्ट पार्टी को केरल के समाज में अपने कदम जमाने का मौका मिला, बल्कि पूरे मलयाली समाज में ही आधुनिकीकरण की प्रक्रिया चल निकली। .

नई!!: १९०९ और ई॰ एम॰ एस॰ नंबूदिरीपाट · और देखें »

विलियम होवर टाफ्ट

विलियम होवर टाफ्ट संयुक्त राज्य अमरीका के राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल १९०९ से १९१३ तक था। ये रिपब्लिकन पार्टी से थे। श्रेणी:अमेरिका के राष्ट्रपति.

नई!!: १९०९ और विलियम होवर टाफ्ट · और देखें »

वक्कम मजीद

अब्दुल मजीद् (मलयालम: അബ്ദുൽ മജീദ്; 20 दिसंबर 1909 - 10 जुलाई 2000) बेहतर रूप में जाना वक्कम मजीद भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी और त्रावणकोर-कोचीन राज्य विधानसभा के पूर्व सदस्य था। बीसवीं सदी में केरल के सामाजिक और राजनीतिक दायरे में वह एक असाधारण राजनेता था। एक महान राष्ट्रवादी, उस्का राजनीति आंतरिक मूल्य आधारित, धर्मनिरपेक्ष और मानवीय थे। .

नई!!: १९०९ और वक्कम मजीद · और देखें »

वृंदावनलाल वर्मा

वृन्दावनलाल वर्मा (०९ जनवरी, १८८९ - २३ फरवरी, १९६९) हिन्दी नाटककार तथा उपन्यासकार थे। हिन्दी उपन्यास के विकास में उनका योगदान महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने एक तरफ प्रेमचंद की सामाजिक परंपरा को आगे बढ़ाया है तो दूसरी तरफ हिन्दी में ऐतिहासिक उपन्यास की धारा को उत्कर्ष तक पहुँचाया है। इतिहास, कला, पुरातत्व, मनोविज्ञान, मूर्तिकला और चित्रकला में भी इनकी विशेष रुचि रही। 'अपनी कहानी' में आपने अपने संघर्षमय जीवन की गाथा कही है। .

नई!!: १९०९ और वृंदावनलाल वर्मा · और देखें »

ग्रैंड स्लैम टेनिस विजेताओं की सूची

List of Men's Singles Grand Slam tournaments tennis champions: .

नई!!: १९०९ और ग्रैंड स्लैम टेनिस विजेताओं की सूची · और देखें »

कहानी

कथाकार (एक प्राचीन कलाकृति)कहानी हिन्दी में गद्य लेखन की एक विधा है। उन्नीसवीं सदी में गद्य में एक नई विधा का विकास हुआ जिसे कहानी के नाम से जाना गया। बंगला में इसे गल्प कहा जाता है। कहानी ने अंग्रेजी से हिंदी तक की यात्रा बंगला के माध्यम से की। कहानी गद्य कथा साहित्य का एक अन्यतम भेद तथा उपन्यास से भी अधिक लोकप्रिय साहित्य का रूप है। मनुष्य के जन्म के साथ ही साथ कहानी का भी जन्म हुआ और कहानी कहना तथा सुनना मानव का आदिम स्वभाव बन गया। इसी कारण से प्रत्येक सभ्य तथा असभ्य समाज में कहानियाँ पाई जाती हैं। हमारे देश में कहानियों की बड़ी लंबी और सम्पन्न परंपरा रही है। वेदों, उपनिषदों तथा ब्राह्मणों में वर्णित 'यम-यमी', 'पुरुरवा-उर्वशी', 'सौपणीं-काद्रव', 'सनत्कुमार- नारद', 'गंगावतरण', 'श्रृंग', 'नहुष', 'ययाति', 'शकुन्तला', 'नल-दमयन्ती' जैसे आख्यान कहानी के ही प्राचीन रूप हैं। प्राचीनकाल में सदियों तक प्रचलित वीरों तथा राजाओं के शौर्य, प्रेम, न्याय, ज्ञान, वैराग्य, साहस, समुद्री यात्रा, अगम्य पर्वतीय प्रदेशों में प्राणियों का अस्तित्व आदि की कथाएँ, जिनकी कथानक घटना प्रधान हुआ करती थीं, भी कहानी के ही रूप हैं। 'गुणढ्य' की "वृहत्कथा" को, जिसमें 'उदयन', 'वासवदत्ता', समुद्री व्यापारियों, राजकुमार तथा राजकुमारियों के पराक्रम की घटना प्रधान कथाओं का बाहुल्य है, प्राचीनतम रचना कहा जा सकता है। वृहत्कथा का प्रभाव 'दण्डी' के "दशकुमार चरित", 'बाणभट्ट' की "कादम्बरी", 'सुबन्धु' की "वासवदत्ता", 'धनपाल' की "तिलकमंजरी", 'सोमदेव' के "यशस्तिलक" तथा "मालतीमाधव", "अभिज्ञान शाकुन्तलम्", "मालविकाग्निमित्र", "विक्रमोर्वशीय", "रत्नावली", "मृच्छकटिकम्" जैसे अन्य काव्यग्रंथों पर साफ-साफ परिलक्षित होता है। इसके पश्‍चात् छोटे आकार वाली "पंचतंत्र", "हितोपदेश", "बेताल पच्चीसी", "सिंहासन बत्तीसी", "शुक सप्तति", "कथा सरित्सागर", "भोजप्रबन्ध" जैसी साहित्यिक एवं कलात्मक कहानियों का युग आया। इन कहानियों से श्रोताओं को मनोरंजन के साथ ही साथ नीति का उपदेश भी प्राप्त होता है। प्रायः कहानियों में असत्य पर सत्य की, अन्याय पर न्याय की और अधर्म पर धर्म की विजय दिखाई गई हैं। .

नई!!: १९०९ और कहानी · और देखें »

के॰ एल॰ श्रीमाली

कालू लाल श्रीमाली (Kalu Lal Shrimali) (जन्म;दिसंबर १९०९ - देहांत; ५ जनवरी २०००), इन्हें के॰ एल॰ श्रीमाली के नाम द्वारा भी जाना जाता था। ये एक भारत सरकार के केंद्रीय शिक्षा मंत्री थे और एक विशिष्ट सांसद और एक शिक्षाविद भी थे। इनका जन्म दिसंबर १९०९ को भारतीय राज्य राजस्थान के उदयपुर जिले में हुआ था और इन्होंने अपनी शिक्षा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, कलकत्ता विश्वविद्यालय और साथ ही कोलंबिया विश्वविद्यालय तथा न्यूयॉर्क में पूरी की थी। इन्होंने १९५५ से अगस्त १९६३ तक केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया था। श्रीमाली ने राज्यसभा में अप्रैल १९५२ से अप्रैल १९६२ और अप्रैल १९५६ से अप्रैल १९६२ तक राजस्थान राज्य का प्रतिनिधित्व भी किया था। इन्होंने कई शैक्षिक और विभिन्न सामाजिक कल्याण संगठनों के साथ जुड़े हुए थे और इनके साथ कार्य किया था। श्रीमाली एक मासिक शैक्षणिक पत्रिका "जन शिक्षा" के संपादक रह चुके थे और उनके क्रेडिट के लिए कई प्रकाशन भी थे। शिक्षा में उनके योगदान के लिए उन्हें १९७६ में भारतीय सरकार ने पद्म विभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया था। ०५ जनवरी २००० को राजस्थान के उदयपुर ज़िले में ९० वर्ष की उम्र में इनका निधन हो गया था। .

नई!!: १९०९ और के॰ एल॰ श्रीमाली · और देखें »

अमेरिकी ओपन टेनिस के पुरुष एकल विजेताओं की सूची

* 1881 - रिचर्ड सीअर्स.

नई!!: १९०९ और अमेरिकी ओपन टेनिस के पुरुष एकल विजेताओं की सूची · और देखें »

१५ सितम्बर

15 सितंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 258वॉ (लीप वर्ष में 259 वॉ) दिन है। साल में अभी और 107 दिन बाकी है। .

नई!!: १९०९ और १५ सितम्बर · और देखें »

१५ जुलाई

१५ जुलाई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का १९वॉ (लीप वर्ष मे १९७वॉ) दिन है। साल मे अभी और १६९ दिन बाकी है। .

नई!!: १९०९ और १५ जुलाई · और देखें »

१५ जून

15 जून ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 166वाँ (लीप वर्ष में 167 वाँ) दिन है। साल में अभी और 199 दिन बाकी हैं। .

नई!!: १९०९ और १५ जून · और देखें »

१६ जुलाई

१६ जुलाई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का १९७वॉ (लीप वर्ष में १९८ वॉ) दिन है। साल में अभी और १६८ दिन बाकी है। .

नई!!: १९०९ और १६ जुलाई · और देखें »

१७ अगस्त

१७ अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २२९वाँ (लीप वर्ष मे २३०वाँ) दिन है। वर्ष मे अभी और १३६ दिन बाकी है। .

नई!!: १९०९ और १७ अगस्त · और देखें »

२९ नवम्बर

29 november 1998 के दिन श्रेयश पांडेय का जन्म हरियाणा के फरीदाबाद जिले में हुआ था।इनकी माता का नाम पुष्पा पांडेय तथा पिता का नाम प्रभात प्रसून पांडेय है।इनकी बहन का नाम आकांक्षा पांडेय है। ये उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के मूल निवासी है। प्रारंभिक शिक्षा मॉडर्न पब्लिक स्कूल फरीदाबाद में हुई। ततपश्चात हाई स्कूल तथा इंटरमीडिएट की शिक्षा अभयानंद इण्टर कॉलेज से की। जहाँ गुड्डू शरद सत्यम जैसे दुनिया के सबसे अच्छे दोस्त मिले। अंजली पांडेय क्लास 10 से जो इनकी जान है वो यही पर पहली बार मिली। .

नई!!: १९०९ और २९ नवम्बर · और देखें »

३ जनवरी

3 जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 3रॉ दिन है। साल में अभी और 362 दिन बाकी हैं (लीप वर्ष में 363)। .

नई!!: १९०९ और ३ जनवरी · और देखें »

६ अप्रैल

6 अप्रैल ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 96वॉ (लीप वर्ष मे 97 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 269 दिन बाकी है। .

नई!!: १९०९ और ६ अप्रैल · और देखें »

८ जनवरी

8 जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 8वाँ दिन है। साल में अभी और 357 दिन बाकी हैं (लीप वर्ष में 358)।.

नई!!: १९०९ और ८ जनवरी · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

1909

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »