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१८९४

सूची १८९४

1894 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

31 संबंधों: चार्ल्स रॉबर्ट स्वार्ट, एडवर्ड ८, निकिता ख़्रुश्चेव, पदुमलाल पन्नालाल बख्शी, पंजाब नैशनल बैंक, पुणे, प्रतापनारायण मिश्र, प्रतापगढ़ (राजस्थान) का इतिहास, प्रतापगढ़, राजस्थान, बिरसा मुंडा, भारत रत्‍न, भारत के महाराज्यपाल, भारतीय गणितज्ञों की सूची, मानचेस्टर नहर, लॉर्ड एल्गिन द्वितीय, शान्ति स्वरूप भटनागर, जॉर्ज पंचम, घनश्यामदास बिड़ला, विलियम जॉनस्तन, ग्रैंड स्लैम टेनिस विजेताओं की सूची, अन्वेषणों की समय-रेखा, अमेरिकी ओपन टेनिस के पुरुष एकल विजेताओं की सूची, १ जनवरी, १५ सितम्बर, १६ जुलाई, १६ अक्टूबर, २३ जून, २५ फ़रवरी, ३ जनवरी, ६ जनवरी, ८ अप्रैल

चार्ल्स रॉबर्ट स्वार्ट

चार्ल्स रॉबर्ट स्वार्ट (१८९४— १९८२) दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल ३१ मई १९६१ से ३१ मई १९६७ तक था। ये नेशनल पार्टी (दक्षिण अफ़्रीका) से थे। श्रेणी:दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रपति.

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एडवर्ड ८

एडवर्ड ८ (एडवर्ड अल्बर्ट क्रिस्टियन जोर्ज एन्ड्रु पेट्रिक डेविड; बाद मे राजकुमार एडवर्ड, विन्स्डोर का ड्युक; जुन २३ १८९४ – मई २८ १९७२) ग्रेट ब्रिटेन, आयरलैंड, कमनवेल्थ और भारत के राजा थे। उन का राजकाल उन के पिता जर्ज ५(1910–36) के जनवरी 20 1936 का स्वर्गारोहन से उनका दिसम्बर 11 1936 के पदत्याग तक रही। वे विन्स्डर गृह के दुसरे सम्राट थे।.

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निकिता ख़्रुश्चेव

निकिता ख़्रुश्चेव​ निकिता सरगेयेविच ख़्रुश्चेव​ (रूसी: Никита Сергеевич Хрущёв, अंग्रेज़ी: Nikita Sergeyevich Khrushchev, जन्म: १५ अप्रैल १८९४, देहांत:११ सितम्बर १९७१) शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ के सर्वोच्च नेता थे। १९५३ से १९६४ में वह सोवियत साम्यवादी पार्टी के प्रथम सचिव रहे और फिर १९५८ से १९६४ तक सोवियत संघ के प्रधान मंत्री रहे। उनके काल में भूतपूर्व सोवियत तानाशाह जोसेफ़ स्टालिन की कुछ नीतियाँ हटाई गई, राजनैतिक और आर्थिक मामलों कुछ खुलापन लाया गया और सोवियत अंतरिक्ष कार्यक्रम को बढ़ावा दिया गया।, John Maxwell, pp.

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पदुमलाल पन्नालाल बख्शी

डॉ॰ पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी (27 मई 1894-28 दिसम्बर 1971) जिन्हें ‘मास्टरजी’ के नाम से भी जाना जाता है, हिंदी के निबंधकार थे। वे राजनंदगांव की हिंदी त्रिवेणी की तीन धाराओं में से एक हैं।। राजनांदगांव के त्रिवेणी परिसर में इनके सम्मान में मूर्तियों की स्थापना की गई है। .

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पंजाब नैशनल बैंक

पंजाब नैशनल बैंक भारत का एक प्रमुख और पुराना बैंक है। यह एक अनुसूचित बैंक है। पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) को १९ मई, १८९४ को भारतीय कंपनी अधिनियम के तहत अनारकली बाज़ार लाहौर में इसके कार्यालय के साथ पंजीकृत किया गया था। पंजाब नैशनल बैंक भारत का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी वाणिज्यिक बैंक है और भारत के ७६४ शहरों में इसकी लगभग ४,५०० शाखायें हैं। इसके लगभग ३७ लाख ग्राहक हैं। बैंकर अल्मानेक लंदन के अनुसार यह बैंक दुनिया के सबसे बड़े बैंकों में २४८वें स्थान पर है। वित्तीय वर्ष २००७ में, बैंक की कुल आस्तियां ६० अरब अमेरिकी डॉलर थीं। पंजाब नैशनल बैंक का ब्रिटेन में एक बैंकिंग सहायक उपक्रम है, साथ ही हांगकांग और काबुल में शाखाएं और अल्माटी, शंघाई और दुबई में प्रतिनिधि कार्यालय है। .

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पुणे

पुणे भारत के महाराष्ट्र राज्य का एक महत्त्वपूर्ण शहर है। यह शहर महाराष्ट्र के पश्चिम भाग, मुला व मूठा इन दो नदियों के किनारे बसा है और पुणे जिला का प्रशासकीय मुख्यालय है। पुणे भारत का छठवां सबसे बड़ा शहर व महाराष्ट्र का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। सार्वजनिक सुखसुविधा व विकास के हिसाब से पुणे महाराष्ट्र मे मुंबई के बाद अग्रसर है। अनेक नामांकित शिक्षणसंस्थायें होने के कारण इस शहर को 'पूरब का ऑक्सफोर्ड' भी कहा जाता है। पुणे में अनेक प्रौद्योगिकी और ऑटोमोबाईल उपक्रम हैं, इसलिए पुणे भारत का ”डेट्राइट” जैसा लगता है। काफी प्राचीन ज्ञात इतिहास से पुणे शहर महाराष्ट्र की 'सांस्कृतिक राजधानी' माना जाता है। मराठी भाषा इस शहर की मुख्य भाषा है। पुणे शहर मे लगभग सभी विषयों के उच्च शिक्षण की सुविधा उपलब्ध है। पुणे विद्यापीठ, राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला, आयुका, आगरकर संशोधन संस्था, सी-डैक जैसी आंतरराष्ट्रीय स्तर के शिक्षण संस्थान यहाँ है। पुणे फिल्म इन्स्टिट्युट भी काफी प्रसिद्ध है। पुणे महाराष्ट्र व भारत का एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र है। टाटा मोटर्स, बजाज ऑटो, भारत फोर्ज जैसे उत्पादनक्षेत्र के अनेक बड़े उद्योग यहाँ है। 1990 के दशक मे इन्फोसिस, टाटा कंसल्टंसी सर्विसे, विप्रो, सिमैंटेक, आइ.बी.एम जैसे प्रसिद्ध सॉफ्टवेअर कंपनियों ने पुणे मे अपने केंन्द्र खोले और यह शहर भारत का एक प्रमुख सूचना प्रौद्योगिकी उद्योगकेंद्र के रूप मे विकसित हुआ। .

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प्रतापनारायण मिश्र

प्रतापनारायण मिश्र (सितंबर, 1856 - जुलाई, 1894) भारतेन्दु मण्डल के प्रमुख लेखक, कवि और पत्रकार थे। वह भारतेंदु निर्मित एवं प्रेरित हिंदी लेखकों की सेना के महारथी, उनके आदर्शो के अनुगामी और आधुनिक हिंदी भाषा तथा साहित्य के निर्माणक्रम में उनके सहयोगी थे। भारतेंदु पर उनकी अनन्य श्रद्धा थी, वह अपने आप को उनका शिष्य कहते तथा देवता की भाँति उनका स्मरण करते थे। भारतेंदु जैसी रचनाशैली, विषयवस्तु और भाषागत विशेषताओं के कारण मिश्र जी "प्रतिभारतेंदु" अथवा "द्वितीयचंद्र" कहे जाने लगे थे। .

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प्रतापगढ़ (राजस्थान) का इतिहास

सुविख्यात इतिहासकार महामहोपाध्याय पंडित गौरीशंकर हीराचंद ओझा (1863–1947) के अनुसार "प्रतापगढ़ का सूर्यवंशीय राजपूत राजपरिवार मेवाड़ के गुहिल वंश की सिसोदिया शाखा से सम्बद्ध रहा है".

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प्रतापगढ़, राजस्थान

प्रतापगढ़, क्षेत्रफल में भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के ३३वें जिले प्रतापगढ़ जिले का मुख्यालय है। प्राकृतिक संपदा का धनी कभी इसे 'कान्ठल प्रदेश' कहा गया। यह नया जिला अपने कुछ प्राचीन और पौराणिक सन्दर्भों से जुड़े स्थानों के लिए दर्शनीय है, यद्यपि इसके सुविचारित विकास के लिए वन विभाग और पर्यटन विभाग ने कोई बहुत उल्लेखनीय योगदान अब तक नहीं किया है। .

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बिरसा मुंडा

बिरसा मुंडा 19वीं सदी के एक प्रमुख आदिवासी जननायक थे। उनके नेतृत्‍व में मुंडा आदिवासियों ने 19वीं सदी के आखिरी वर्षों में मुंडाओं के महान आन्दोलन उलगुलान को अंजाम दिया। बिरसा को मुंडा समाज के लोग भगवान के रूप में पूजते हैं। .

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भारत रत्‍न

भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है। इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है। इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी। अन्य अलंकरणों के समान इस सम्मान को भी नाम के साथ पदवी के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। प्रारम्भ में इस सम्मान को मरणोपरांत देने का प्रावधान नहीं था, यह प्रावधान 1955 में बाद में जोड़ा गया। तत्पश्चात् 13 व्यक्तियों को यह सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया गया। सुभाष चन्द्र बोस को घोषित सम्मान वापस लिए जाने के उपरान्त मरणोपरान्त सम्मान पाने वालों की संख्या 12 मानी जा सकती है। एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है। उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले सम्मानों में भारत रत्न के पश्चात् क्रमशः पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री हैं। .

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भारत के महाराज्यपाल

भारत के महाराज्यपाल या गवर्नर-जनरल (१८५८-१९४७ तक वाइसरॉय एवं गवर्नर-जनरल अर्थात राजप्रतिनिधि एवं महाराज्यपाल) भारत में ब्रिटिश राज का अध्यक्ष और भारतीय स्वतंत्रता उपरांत भारत में, ब्रिटिश सम्प्रभु का प्रतिनिधि होता था। इनका कार्यालय सन 1773 में बनाया गया था, जिसे फोर्ट विलियम की प्रेसीडेंसी का गवर्नर-जनरल के अधीन रखा गया था। इस कार्यालय का फोर्ट विलियम पर सीधा नियंत्रण था, एवं अन्य ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों का पर्यवेक्षण करता था। सम्पूर्ण ब्रिटिश भारत पर पूर्ण अधिकार 1833 में दिये गये और तब से यह भारत के गवर्नर-जनरल बन गये। १८५८ में भारत ब्रिटिश शासन की अधीन आ गया था। गवर्नर-जनरल की उपाधि उसके भारतीय ब्रिटिश प्रांत (पंजाब, बंगाल, बंबई, मद्रास, संयुक्त प्रांत, इत्यादि) और ब्रिटिष भारत, शब्द स्वतंत्रता पूर्व काल के अविभाजित भारत के इन्हीं ब्रिटिश नियंत्रण के प्रांतों के लिये प्रयोग होता है। वैसे अधिकांश ब्रिटिश भारत, ब्रिटिश सरकार द्वारा सीधे शासित ना होकर, उसके अधीन रहे शासकों द्वारा ही शासित होता था। भारत में सामंतों और रजवाड़ों को गवर्नर-जनरल के ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि होने की भूमिका को दर्शित करने हेतु, सन १८५८ से वाइसरॉय एवं गवर्नर-जनरल ऑफ इंडिया (जिसे लघुरूप में वाइसरॉय कहा जाता था) प्रयोग हुई। वाइसरॊय उपाधि १९४७ में स्वतंत्रता उपरांत लुप्त हो गयी, लेकिन गवर्नर-जनरल का कार्यालय सन १९५० में, भारतीय गणतंत्रता तक अस्तित्व में रहा। १८५८ तक, गवर्नर-जनरल को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशकों द्वारा चयनित किया जाता था और वह उन्हीं को जवाबदेह होता था। बाद में वह महाराजा द्वारा ब्रिटिश सरकार, भारत राज्य सचिव, ब्रिटिश कैबिनेट; इन सभी की राय से चयन होने लगा। १९४७ के बाद, सम्राट ने उसकी नियुक्ति जारी रखी, लेकिन भारतीय मंत्रियों की राय से, ना कि ब्रिटिश मंत्रियों की सलाह से। गवर्नर-जनरल पांच वर्ष के कार्यकाल के लिये होता था। उसे पहले भी हटाया जा सकता था। इस काल के पूर्ण होने पर, एक अस्थायी गवर्नर-जनरल बनाया जाता था। जब तक कि नया गवर्नर-जनरल पदभार ग्रहण ना कर ले। अस्थायी गवर्नर-जनरल को प्रायः प्रान्तीय गवर्नरों में से चुना जाता था। .

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भारतीय गणितज्ञों की सूची

सिन्धु सरस्वती सभ्यता से आधुनिक काल तक भारतीय गणित के विकास का कालक्रम नीचे दिया गया है। सरस्वती-सिन्धु परम्परा के उद्गम का अनुमान अभी तक ७००० ई पू का माना जाता है। पुरातत्व से हमें नगर व्यवस्था, वास्तु शास्त्र आदि के प्रमाण मिलते हैं, इससे गणित का अनुमान किया जा सकता है। यजुर्वेद में बड़ी-बड़ी संख्याओं का वर्णन है। .

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मानचेस्टर नहर

मानचेस्टर नहर से गुजरता एक मालवाहक जहाज मानचेस्टर नहर ग्रेट ब्रिटेन का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण जलमार्ग है। इस जलमार्ग के विकास से यहां के उद्दोग-घन्धों में आशातीत प्रगति हुई है। इस नहर के द्वारा मरसी नदी के पूर्वी तट पर स्थित ईस्थम को मानचेस्टर से मिलाया गया है। यह लगभग 58 किलोमीटर लम्बी तथा 37 मीटर चौड़ी है। इसकी गहराई लगभग 8.5 मीटर है। इस नहर का निर्माण 1 जनवरी 1894 को पूर्ण हुआ। आधिकारिक रूप से इसमें परिवहन 21 मई 1884 को शूरू हुआ। जब यह बनकर तैयार हुई तो अपने समय की सबसे बड़ी परिवहन नहर थी। इसका निर्माण लिवरपूल से कपास के परिवहन के लिए किया गया था क्योंकि रेल के द्वारा परिवहन पर बहुत अधिक खर्च होता था। .

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लॉर्ड एल्गिन द्वितीय

लॉर्ड एल्गिन द्वितीय भारत के एक वायसराय थे जो 1894 से 1899 पद पर रहे। इन्होंने 1895 में आंग्ल रूस संधि पर हस्ताक्षर किए गये। .

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शान्ति स्वरूप भटनागर

सर शांति स्वरूप भटनागर, OBE, FRS (२१ फरवरी १८९४ – १ जनवरी १९५५) जाने माने भारतीय वैज्ञानिक थे। इनका जन्म शाहपुर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। इनके पिता परमेश्वरी सहाय भटनागर की मृत्यु तब हो गयी थी, जब ये केवल आठ महीने के ही थे। इनका बचपन अपने ननिहाल में ही बीता। इनके नाना एक इंजीनियर थे, जिनसे इन्हें विज्ञान और अभियांत्रिकी में रुचि जागी। इन्हें यांत्रिक खिलौने, इलेक्ट्रानिक बैटरियां और तारयुक्त टेलीफोन बनाने का शौक रहा। इन्हें अपने ननिहाल से कविता का शौक भी मिला और इनका उर्दु एकांकी करामाती प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाया था। भारत में स्नातकोत्तर डिग्री पूर्ण करने के उपरांत, शोध फ़ैलोशिप पर, ये इंगलैंड गये। इन्होंने युनिवर्सिटी कालेज, लंदन से १९२१ में, रसायन शास्त्र के प्रोफ़ैसर फ़्रेड्रिक जी डोन्नान की देख रेख में, विज्ञान में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। भारत लौटने के बाद, उन्हें बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से प्रोफ़ैसर पद हेतु आमंत्रण मिला। सन १९४१ में ब्रिटिश सरकार द्वारा इनकी शोध के लिये, इन्हें नाइटहुड से सम्मानित किया गया। १८ मार्च १९४३ को इन्हें फ़ैलो आफ़ रायल सोसायटी चुना गया। इनके शोध विषय में एमल्ज़न, कोलाय्ड्स और औद्योगिक रसायन शास्त्र थे। परन्तु इनके मूल योगदान चुम्बकीय-रासायनिकी के क्षेत्र में थे। इन्होंने चुम्बकत्व को रासायनिक क्रियाओं को अधिक जानने के लिये औजार के रूप में प्रयोग किया था। इन्होंने प्रो॰ आर.एन.माथुर के साथ भटनागर-माथुर इन्टरफ़ेयरेन्स संतुलन का प्रतिपादन किया था, जिसे बाद में एक ब्रिटिश कम्पनी द्वारा उत्पादन में प्रयोग भी किया गया। इन्होंने एक सुन्दर कुलगीत नामक विश्वविद्यालय गीत की रचना भी की थी। इसका प्रयोग विश्वविद्यालय में कार्यक्रमों के पहले होता आया है। भारत के प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू वैज्ञानिक प्रसार के प्रबल समर्थक थे। १९४७ में, भारतीय स्वतंत्रता के उपरांत, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की स्थापना, श्री भटनागर की अध्यक्षता में की गयी। इन्हें सी.एस.आई.आर का प्रथम महा-निदेशक बनाया गया। इन्हें शोध प्रयोगशालाओं का जनक कहा जाता है व भारत में अनेकों बड़ी रासायनिक प्रयोगशालाओं के स्थापन हेतु स्मरण किया जाता है। इन्होंने भारत में कुल बारह राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं स्थापित कीं, जिनमें प्रमुख इस प्रकार से हैं.

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जॉर्ज पंचम

जॉर्ज पंचम (जॉर्ज फ्रेडरिक अर्नेस्ट अल्बर्ट; 3 जून 1865 – 20 जनवरी 1936) प्रथम ब्रिटिश शासक थे, जो विंडसर राजघराने से संबंधित थे। संयुक्त राजशाही एवं अन्य राष्ट्रमंडल समूह के महाराजा होने के साथ साथ, जॉर्ज भारत के सम्राट एवं स्वतन्त्र आयरिश राज्य के राजा भी थे। जॉर्ज ने सन 1910 से प्रथम विश्व युद्ध (1914–1918) के दौरान और बाद में 1936 में अपनी मृत्यु पर्यन्त राज्य किया। जॉर्ज के पिता महाराज एडवर्ड सप्तम की १९१० में मृत्यु होने पर, वे महाराजा बने। वे एकमात्र ऐसे सम्राट थे, जो कि अपने स्वयं के दिल्ली दरबार में, अपनी भारतीय प्रजा के सामने प्रस्तुत हुए, जहां उनका भारत के राजमुकुट से राजतिलक हुआ। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, उन्होंने सारी जर्मन उपाधियां, वापस कर दीं। इनके शासन ने फासीवाद, नाजीवाद, समाजवाद इत्यादि देखे; एवं प्रथम मजदूर मंत्रालय भी, जिन सभी घटनाओं ने राजनैतिक क्रम को बदल दिया। जॉर्ज को उनके अंतिम दिनों में प्लेग व अन्य बीमारियों ने घेर लिया था; जब उनकी मृत्यु पर उनके ज्येष्ठ पुत्र एडवर्ड अष्टम ने राजगद्दी संभाली। .

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घनश्यामदास बिड़ला

बिड़ला जी द्वारा दिल्ली में बनवाया बिरला मंदिर, दिल्ली श्री घनश्यामदास बिड़ला (जन्म-1894, पिलानी, राजस्थान, भारत, मृत्यु.- 1983, मुंबई) भारत के अग्रणी औद्योगिक समूह बी.

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विलियम जॉनस्तन

विलियम जॉनस्तन (जन्म: 2 नवंबर 1894 निधन: 1 मई, 1946) एक १९२० के दशक में टेनिस जगत के मशहूर अमरीकी टेनिस खिलाड़ी (लिटिल बिल) हैं। श्रेणी:टेनिस खिलाड़ी श्रेणी:पुरुष टेनिस खिलाड़ी श्रेणी:टेनिस ग्रैंड स्लैम विजेता.

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ग्रैंड स्लैम टेनिस विजेताओं की सूची

List of Men's Singles Grand Slam tournaments tennis champions: .

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अन्वेषणों की समय-रेखा

यहाँ ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण तकनीकी खोजों की समय के सापेक्ष सूची दी गयी है। .

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अमेरिकी ओपन टेनिस के पुरुष एकल विजेताओं की सूची

* 1881 - रिचर्ड सीअर्स.

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१ जनवरी

१ जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का पहला दिन है। वर्ष में अभी और ३६४ दिन बाकी है (लीप वर्ष में ३६५)। .

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१५ सितम्बर

15 सितंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 258वॉ (लीप वर्ष में 259 वॉ) दिन है। साल में अभी और 107 दिन बाकी है। .

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१६ जुलाई

१६ जुलाई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का १९७वॉ (लीप वर्ष में १९८ वॉ) दिन है। साल में अभी और १६८ दिन बाकी है। .

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१६ अक्टूबर

16 अप्रैल ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 289वॉ (लीप वर्ष मे 290 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 76 दिन बाकी है। .

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२३ जून

23 जून ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 174वाँ (लीप वर्ष में 175 वाँ) दिन है। साल में अभी और 191 दिन बाकी हैं। .

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२५ फ़रवरी

25 फरवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 56वॉ दिन है। साल में अभी और 309 दिन बाकी है (लीप वर्ष में 310)। .

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३ जनवरी

3 जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 3रॉ दिन है। साल में अभी और 362 दिन बाकी हैं (लीप वर्ष में 363)। .

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६ जनवरी

6 जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 6वाँ दिन है। साल में अभी और 359 दिन बाकी हैं (लीप वर्ष में 360)।.

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८ अप्रैल

8 अप्रैल ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 98वां (लीप वर्ष में 99वां) दिन है। साल में अभी 267 दिन और बाकी है। .

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1894

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