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१८५२

सूची १८५२

1852 ग्रेगोरी कैलंडर का एक अधिवर्ष है। .

6 संबंधों: भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, गनोगा झील, किंडरगार्टन (बालवाड़ी), कोहिनूर हीरा, अन्वेषणों की समय-रेखा, उलार्क सूर्य मंदिर

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण

कोलकाता में जी एस आई का मुख्यालय १८७० में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के सदस्यगण भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India) भारत सरकार के खान मंत्रालय के अधीन कार्यरत एक संगठन है। इसकी स्थापना १८५१ में हुई थी। इसका कार्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और अध्ययन करना है। ये इस तरह के दुनिया के सबसे पुराने संगठनों में से एक है। .

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गनोगा झील

गनोगा झील संयुक्त राज्य अमेरिका के पेन्सिलवेनिया में एक प्राकृतिक झील है।Ricketts, pp.

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किंडरगार्टन (बालवाड़ी)

अफगानिस्तान में एक किंडरगार्टन कक्षा किंडरगार्टन (जर्मन, शाब्दिक अर्थ "बच्चों का बगीचा") छोटे बच्चों के लिए शिक्षा का एक रूप है जो घरेलू शिक्षा से बदल कर अधिक औपचारिक स्कूली शिक्षा में संक्रमित हो गया है। एक और परिभाषा, जो प्रारंभिक बचपन की शिक्षा और प्रीस्कूल को बताती है, के अनुसार यह 6 और 7 साल से कम उम्र के बच्चों का पूर्व (प्री)- और आकस्मिक शिक्षण है। बच्चों को रचनात्मक खेल और सामाजिक बातचीत के माध्यम से ज्ञान दिया जाता है और उनमें बुनियादी कुशलताओं का विकास किया जाता है, साथ ही कभी कभी थोड़ी बहुत औपचारिक शिक्षा भी दी जाती है। अधिकांश देशों में बालवाड़ी (Kindergarten) प्रारंभिक बचपन की शिक्षा की प्रीस्कूल प्रणाली का हिस्सा है बच्चे आमतौर पर दो साल से सात साल की उम्र के बीच किसी भी समय में बालवाड़ी जाते हैं। यह स्थानीय प्रणाली पर निर्भर करता है। संयुक्त राज्य अमेरिका और एन्ग्लोफोन कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के हिस्सों (न्यू साउथ वेल्स, तस्मानिया और ऑस्ट्रेलियन केपिटल टेरिटरी) में शिक्षा के पहले साल, या प्राथमिक स्कूल, (कनाडा में, पहले दो साल) के वर्णन के लिए किंडरगार्टन शब्द का उपयोग प्रतिबंधित है। इनमें से कुछ देशों में यह आवश्यक है, की अभिभावक अपने बच्चों को निर्धारित उम्र में ही (आमतौर पर, 5 साल की उम्र में) किंडरगार्टन भेजें.

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कोहिनूर हीरा

Glass replica of the Koh-I-Noor as it appeared in its original form, turned upside down कोहिनूर (फ़ारसी: कूह-ए-नूर) एक १०५ कैरेट (२१.६ ग्राम) का हीरा है जो किसी समय विश्व का सबसे बड़ा ज्ञात हीरा रह चुका है। कहा जाता है कि यह हीरा भारत की गोलकुंडा की खान से निकाला गया था। 'कोहिनूर' का अर्थ है- आभा या रोशनी का पर्वत। यह कई मुगल व फारसी शासकों से होता हुआ, अन्ततः ब्रिटिश शासन के अधिकार में लिया गया, व उनके खजाने में शामिल हो गया, जब ब्रिटिश प्रधान मंत्री, बेंजामिन डिजराएली ने महारानी विक्टोरिया को १८७७ में भारत की सम्राज्ञी घोषित किया। अन्य कई प्रसिद्ध जवाहरातों की भांति ही, कोहिनूर की भी अपनी कथाएं रही हैं। इससे जुड़ी मान्यता के अनुसार, यह पुरुष स्वामियों का दुर्भाग्य व मृत्यु का कारण बना, व स्त्री स्वामिनियों के लिये सौभाग्य लेकर आया। अन्य मान्यता के अनुसार, कोहिनूर का स्वामी संसार पर राज्य करने वाला बना। .

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अन्वेषणों की समय-रेखा

यहाँ ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण तकनीकी खोजों की समय के सापेक्ष सूची दी गयी है। .

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उलार्क सूर्य मंदिर

उलार्क सूर्य मंदिर अब उलार नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि भगवान कृष्ण के वंशज साम्ब को कुष्ठ व्याधि हुई जिससे मुक्ति के लिये साम्ब ने देश के १२ जगहों पर भव्य सूर्य मन्दिर बनवाए थे और भगवान सूर्य की आराधना की थी। ऐसा कहा जाता है तब साम्ब को कुष्ठ से मुक्ति मिली थी। उन्ही १२ मन्दिरो में उलार एक है। अन्य सूर्य मंदिरो में देवार्क, लोलार्क, पूण्यार्क, औंगार्क, कोणार्क, चाणार्क आदि शामिल है। यहाँ की मूर्तियाँ पालकालीन है जो काले पत्थर (ब्लैक स्टोन) से निर्मित हैं। बताते हैं कि मुगलकाल में विदेशी आक्रमणकारियों ने देश के कई प्रमुख मंदिरो के साथ उलार मन्दिर को भी काफी क्षति पहुँचाई थी। बाद में भरतपुर नरेश के वंशजो द्वारा इस पौराणिक मन्दिरो के जीर्णोद्धार की बात कही जाती है। बताते हैं कि संत अलबेला बाबा करीब १८५२-१८५४ के बीच उलार्क आए और जनसहयोग से मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। खुदाई के दौरान यहाँ शिव, पार्वती, गणेश आदि देवताओं की दर्जनो विखंडित पालकालीन दुर्लभ मूर्तियाँ मिलीं। उलार मंदिर में नेटुआ (एक विशेष जाति) नचाने की प्रथा अब भी कायम है जो इसकी खासियत है। इस प्रथा का जिन महिलाओ को पता है वे अपने आँचल को जमीन पर बिछा देती है जिसपर नेटुआ नाचते हुए बाजा बजाता है। माना जाता है कि सूर्य देवता इससे प्रसन्न होते हैं। यहाँ छठ के अतिरिक्त रविवार को भी दूर-दूर से अनेक श्रद्धालु महिलायें खासतौर पर पूजा-अर्चना के लिये जुटती है। साथ ही साथ यहाँ भव्य मेला भी लगता है। श्रेणी:सूर्य मंदिर.

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