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१५५६

सूची १५५६

1556 ग्रेगोरी कैलंडर का एक अधिवर्ष है। .

12 संबंधों: पदार्थ प्रौद्योगिकी की समय रेखा, पुराना किला, दिल्ली, भारतीय इतिहास तिथिक्रम, लोधी उद्यान, दिल्ली, हुमायूँ, खनिज विज्ञान, आदिल शाह सूरी, आगरा का किला, अकबर, १७ दिसम्बर, २६ जनवरी, ५ नवम्बर

पदार्थ प्रौद्योगिकी की समय रेखा

कोई विवरण नहीं।

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पुराना किला, दिल्ली

पुराने किले, दिल्ली का बड़ा दरवाज़ा पुराना किला नई दिल्ली में यमुना नदी के किनारे स्थित प्राचीन दीना-पनाह नगर का आंतरिक किला है। इस किले का निर्माण शेर शाह सूरी ने अपने शासन काल में १५३८ से १५४५ के बीच करवाया था। किले के तीन बड़े द्वार हैं तथा इसकी विशाल दीवारें हैं। इसके अंदर एक मस्जिद है जिसमें दो तलीय अष्टभुजी स्तंभ है। हिन्दू साहित्य के अनुसार यह किला इंद्रप्रस्थ के स्थल‍ पर है जो पांडवों की विशाल राजधानी होती थी। जबकि इसका निर्माण अफ़गानी शासक शेर शाह सूरी ने १५३८ से १५४५ के बीच कराया गया, जिसने मुगल बादशाह हुमायूँ से दिल्ली का सिंहासन छीन लिया था। ऐसा कहा जाता है कि मुगल बादशाह हुमायूँ की इस किले के एक से नीचे गिरने के कारण दुर्घटनावश मृत्यु हो गई। .

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भारतीय इतिहास तिथिक्रम

भारत के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं तिथिक्रम में।;भारत के इतिहास के कुछ कालखण्ड.

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लोधी उद्यान, दिल्ली

लोधी उद्यान (पूर्व नाम:विलिंग्डन गार्डन, अन्य नाम: लोधी गार्डन) दिल्ली शहर के दक्षिणी मध्य इलाके में बना सुंदर उद्यान है। यह सफदरजंग के मकबरे से १ किलोमीटर पूर्व में लोधी मार्ग पर स्थित है। पहले ब्रिटिश काल में इस बाग का नाम लेडी विलिंगटन पार्क था। यहां के उद्यान के बीच-बीच में लोधी वंश के मकबरे हैं तथा उद्यान में फव्वारे, तालाब, फूल और जॉगिंग ट्रैक भी बने हैं। यह उद्यान मूल रूप से गांव था जिसके आस-पास १५वीं-१६वीं शताब्दी के सैय्यद और लोदी वंश के स्मारक थे। अंग्रेजों ने १९३६ में इस गांव को दोबारा बसाया। यहां नेशनल बोंजाई पार्क भी है जहां बोंज़ाई का अच्छा संग्रह है। इस उद्यान क्षेत्र का विस्तार लगभग ९० एकड़ में है जहां उद्यान के अलावा दिल्ली सल्तनत काल के कई प्राचीन स्मारक भी हैं जिनमें मुहम्मद शाह का मकबरा, सिकंदर लोदी का मक़बरा, शीश गुंबद एवं बड़ा गुंबद प्रमुख हैं। इन स्मारकों में प्रायः मकबरे ही हैं जिन पर लोधी वंश द्वारा १५वीं सदी की वास्तुकला का काम किया दिखता है। लोधी वंश ने उत्तरी भारत और पंजाब के कुछ भूभाग पर और पाकिस्तान में वर्तमान खैबर पख्तूनख्वा पर वर्ष १४५१ से १५२६ तक शासन किया था। अब इस स्थान को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षण प्राप्त है। यहाँ एक उद्यान (बोटैनिकल उद्यान) भी है जहां पेड़ों की विभिन्न प्रजातियां, गुलाब उद्यान (रोज गार्डन) और ग्रीन हाउस है जहां पौधों का प्रतिकूल ऋतु बचाकर रखा जाता है। पूरे वर्ष यहां अनेक प्रकार के पक्षी देखे जा सकते हैं। द हिन्दु, १६ अक्टूबर, २००२.

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हुमायूँ

मिर्जा मुहम्मद हाकिम, पुत्र अकीकेह बेगम, पुत्री बख्शी बानु बेगम, पुत्री बख्तुन्निसा बेगम, पुत्री | --> हुमायूँ एक मुगल शासक था। प्रथम मुग़ल सम्राट बाबर के पुत्र नसीरुद्दीन हुमायूँ (६ मार्च १५०८ – २२ फरवरी, १५५६) थे। यद्यपि उन के पास साम्राज्य बहुत साल तक नही रहा, पर मुग़ल साम्राज्य की नींव में हुमायूँ का योगदान है। बाबर की मृत्यु के पश्चात हुमायूँ ने १५३० में भारत की राजगद्दी संभाली और उनके सौतेले भाई कामरान मिर्ज़ा ने काबुल और लाहौर का शासन ले लिया। बाबर ने मरने से पहले ही इस तरह से राज्य को बाँटा ताकि आगे चल कर दोनों भाइयों में लड़ाई न हो। कामरान आगे जाकर हुमायूँ के कड़े प्रतिद्वंदी बने। हुमायूँ का शासन अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान और उत्तर भारत के हिस्सों पर १५३०-१५४० और फिर १५५५-१५५६ तक रहा। भारत में उन्होने शेरशाह सूरी से हार पायी। १० साल बाद, ईरान साम्राज्य की मदद से वे अपना शासन दोबारा पा सके। इस के साथ ही, मुग़ल दरबार की संस्कृति भी मध्य एशियन से इरानी होती चली गयी। हुमायूँ के बेटे का नाम जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर था। .

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खनिज विज्ञान

खनिज विज्ञान (अंग्रेज़ी:मिनरलॉजी) भूविज्ञान की एक शाखा होती है। इसमें खनिजों के भौतिक और रासायनिक गुणों का अध्ययन किया जाता है। विज्ञान की इस शाखा के अंतर्गत खनिजों के निर्माण, बनावट, वर्गीकरण, उनके पाए जाने के भौगोलिक स्थानों और उनके गुणों को भी शामिल किया गया है। इसके माध्यम से ही खनिजों के प्रयोग और उपयोग का भी अध्ययन इसी में किया जाता है। विज्ञान की अन्य शाखाओं की भांति ही इसकी उत्पत्ति भी कई हजार वर्ष पूर्व हुई थी। वर्तमान खनिज विज्ञान का क्षेत्र, कई दूसरी शाखाओं जैसे, जीव विज्ञान और रासायनिकी तक विस्तृत हो गया है। यूनानी दार्शनिक सुकरात ने सबसे पहले खनिजों की उत्पत्ति और उनके गुणों को सिद्धांत रूप में प्रतुत किया था, हालांकि सुकरात और उनके समकालीन विचारक बाद में गलत सिद्ध हुए लेकिन उस समय के अनुसार उनके सिद्धांत नए और आधुनिक थे। किन्तु ये कहना भी अतिश्योक्ति न होगा कि उनकी अवधारणाओं के कारण ही खनिज विकास की जटिलताओं को सुलझाने में सहयोग मिला, जिस कारण आज उसके आधुनिक रूप से विज्ञान समृद्ध है। १६वीं शताब्दी के बाद जर्मन वैज्ञानिक जॉर्जियस एग्रिकोला के अथक प्रयासों के चलते खनिज विज्ञान ने आधुनिक रूप लेना शुरू किया। .

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आदिल शाह सूरी

आदिल शाह सूरी सूर वंश का सातवां और अंतिम शासक था। ये सिकंदर शाह सूरी का भ्राता था और इसने पूर्वी दिल्ली पर सिकंदर शाह सूरी के हुमायुं से १५५५ में हार जाने के ब्बाद भी शासन किया। आदिल शाह और सिकंदर शाह दिल्ली सल्तनत में मुगल बादशाह अकबर क विरुद्ध उत्तराधिकारी बने हुए थे। श्रेणी:1557 जन्म श्रेणी:1553 मृत्यु श्रेणी:Deaths श्रेणी:सूर वंश श्रेणी:पश्तून लोग.

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आगरा का किला

आगरा का किला एक यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व धरोहर स्थल है। यह किला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में स्थित है। इसके लगभग 2.5 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में ही विश्व प्रसिद्ध स्मारक ताज महल मौजूद है। इस किले को कुछ इतिहासकार चारदीवारी से घिरी प्रासाद महल नगरी कहना बेहतर मानते हैं। यह भारत का सबसे महत्वपूर्ण किला है। भारत के मुगल सम्राट बाबर, हुमायुं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगज़ेब यहां रहा करते थे, व यहीं से पूरे भारत पर शासन किया करते थे। यहां राज्य का सर्वाधिक खजाना, सम्पत्ति व टकसाल थी। यहाँ विदेशी राजदूत, यात्री व उच्च पदस्थ लोगों का आना जाना लगा रहता था, जिन्होंने भारत के इतिहास को रचा। .

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अकबर

जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर (१५ अक्तूबर, १५४२-२७ अक्तूबर, १६०५) तैमूरी वंशावली के मुगल वंश का तीसरा शासक था। अकबर को अकबर-ऐ-आज़म (अर्थात अकबर महान), शहंशाह अकबर, महाबली शहंशाह के नाम से भी जाना जाता है। अंतरण करने वाले के अनुसार बादशाह अकबर की जन्म तिथि हुमायुंनामा के अनुसार, रज्जब के चौथे दिन, ९४९ हिज़री, तदनुसार १४ अक्टूबर १५४२ को थी। सम्राट अकबर मुगल साम्राज्य के संस्थापक जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर का पौत्र और नासिरुद्दीन हुमायूं एवं हमीदा बानो का पुत्र था। बाबर का वंश तैमूर और मंगोल नेता चंगेज खां से संबंधित था अर्थात उसके वंशज तैमूर लंग के खानदान से थे और मातृपक्ष का संबंध चंगेज खां से था। अकबर के शासन के अंत तक १६०५ में मुगल साम्राज्य में उत्तरी और मध्य भारत के अधिकाश भाग सम्मिलित थे और उस समय के सर्वाधिक शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था। बादशाहों में अकबर ही एक ऐसा बादशाह था, जिसे हिन्दू मुस्लिम दोनों वर्गों का बराबर प्यार और सम्मान मिला। उसने हिन्दू-मुस्लिम संप्रदायों के बीच की दूरियां कम करने के लिए दीन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की। उसका दरबार सबके लिए हर समय खुला रहता था। उसके दरबार में मुस्लिम सरदारों की अपेक्षा हिन्दू सरदार अधिक थे। अकबर ने हिन्दुओं पर लगने वाला जज़िया ही नहीं समाप्त किया, बल्कि ऐसे अनेक कार्य किए जिनके कारण हिन्दू और मुस्लिम दोनों उसके प्रशंसक बने। अकबर मात्र तेरह वर्ष की आयु में अपने पिता नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायुं की मृत्यु उपरांत दिल्ली की राजगद्दी पर बैठा था। अपने शासन काल में उसने शक्तिशाली पश्तून वंशज शेरशाह सूरी के आक्रमण बिल्कुल बंद करवा दिये थे, साथ ही पानीपत के द्वितीय युद्ध में नवघोषित हिन्दू राजा हेमू को पराजित किया था। अपने साम्राज्य के गठन करने और उत्तरी और मध्य भारत के सभी क्षेत्रों को एकछत्र अधिकार में लाने में अकबर को दो दशक लग गये थे। उसका प्रभाव लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर था और इस क्षेत्र के एक बड़े भूभाग पर सम्राट के रूप में उसने शासन किया। सम्राट के रूप में अकबर ने शक्तिशाली और बहुल हिन्दू राजपूत राजाओं से राजनयिक संबंध बनाये और उनके यहाँ विवाह भी किये। अकबर के शासन का प्रभाव देश की कला एवं संस्कृति पर भी पड़ा। उसने चित्रकारी आदि ललित कलाओं में काफ़ी रुचि दिखाई और उसके प्रासाद की भित्तियाँ सुंदर चित्रों व नमूनों से भरी पड़ी थीं। मुगल चित्रकारी का विकास करने के साथ साथ ही उसने यूरोपीय शैली का भी स्वागत किया। उसे साहित्य में भी रुचि थी और उसने अनेक संस्कृत पाण्डुलिपियों व ग्रन्थों का फारसी में तथा फारसी ग्रन्थों का संस्कृत व हिन्दी में अनुवाद भी करवाया था। अनेक फारसी संस्कृति से जुड़े चित्रों को अपने दरबार की दीवारों पर भी बनवाया। अपने आरंभिक शासन काल में अकबर की हिन्दुओं के प्रति सहिष्णुता नहीं थी, किन्तु समय के साथ-साथ उसने अपने आप को बदला और हिन्दुओं सहित अन्य धर्मों में बहुत रुचि दिखायी। उसने हिन्दू राजपूत राजकुमारियों से वैवाहिक संबंध भी बनाये। अकबर के दरबार में अनेक हिन्दू दरबारी, सैन्य अधिकारी व सामंत थे। उसने धार्मिक चर्चाओं व वाद-विवाद कार्यक्रमों की अनोखी शृंखला आरंभ की थी, जिसमें मुस्लिम आलिम लोगों की जैन, सिख, हिन्दु, चार्वाक, नास्तिक, यहूदी, पुर्तगाली एवं कैथोलिक ईसाई धर्मशस्त्रियों से चर्चाएं हुआ करती थीं। उसके मन में इन धार्मिक नेताओं के प्रति आदर भाव था, जिसपर उसकी निजि धार्मिक भावनाओं का किंचित भी प्रभाव नहीं पड़ता था। उसने आगे चलकर एक नये धर्म दीन-ए-इलाही की भी स्थापना की, जिसमें विश्व के सभी प्रधान धर्मों की नीतियों व शिक्षाओं का समावेश था। दुर्भाग्यवश ये धर्म अकबर की मृत्यु के साथ ही समाप्त होता चला गया। इतने बड़े सम्राट की मृत्यु होने पर उसकी अंत्येष्टि बिना किसी संस्कार के जल्दी ही कर दी गयी। परम्परानुसार दुर्ग में दीवार तोड़कर एक मार्ग बनवाया गया तथा उसका शव चुपचाप सिकंदरा के मकबरे में दफना दिया गया। .

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१७ दिसम्बर

17 दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 351वॉ (लीप वर्ष मे 352 वॉ) दिन है। साल में अभी और 14 दिन बाकी है। .

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२६ जनवरी

26 जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 26वाँ दिन है। साल में अभी और 339 दिन बाकी हैं (लीप वर्ष में 340)।.

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५ नवम्बर

५ नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३०९वॉ (लीप वर्ष मे ३१० वॉ) दिन है। साल मे अभी और ५६ दिन बाकी है। .

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