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१४९४

सूची १४९४

1494 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

3 संबंधों: तोर्देसिलास की संधि, दक्षिण अमेरिका, दक्षिण अमेरिका का इतिहास

तोर्देसिलास की संधि

तोर्देसिलास की संधि (पुर्तगाली: Tratado de Tordesilhas, स्पेनिश: Tratado de Tordesillas), जिस पर 7 जून 1494 को तोर्देसिलास (अब स्पेन के वैलादोलिद प्रांत में), में हस्ताक्षर किए थे, वह दस्तावेज था जिसके अनुसार यूरोप के बाहर खोजी गयी सभी "नयी भूमियों" को पुर्तगाल और स्पेन के मध्य बांटा गया था। इस बंटवारे के लिए एक काल्पनिक रेखा मध्याह्न 370 लीग को आधार बनाया गया था जो केप वर्दे द्वीप समूह (अफ्रीका के पश्चिमी तट से दूर समुद्र में स्थित) के पश्चिम से होकर जाती थी। यह विभाजन रेखा केप वर्दे द्वीप समूह (जिन पर पुर्तगाल का नियंत्रण था) और क्रिस्टोफ़र कोलम्बस द्वारा अपनी पहली यात्रा के दौरान खोजे गये द्वीपों (जिन पर स्पेन ने दावा किया था), के बीच से होकर निकलती थी। इन द्वीपों को इस संधि में सिपान्गु और एंटीलिया कहा गया है, जो आज के क्यूबा और हिस्पानिओला हैं। संधि के अनुसार इस रेखा के पूर्व की सारी भूमि पुर्तगाल की और पश्चिम की भूमि स्पेन की होगी। स्पेन ने संधि का अनुमोदन 2 जुलाई 1494 और पुर्तगाल ने 5 सितम्बर 1494 को किया था। दूसरी तरफ के विश्व का बंटवारा इसके कुछ दशकों बाद ज़रागोज़ा संधि के द्वारा जिस पर 22 अप्रैल 1529 को हस्ताक्षर किए गये, हुआ। इस संधि के अनुसार तोर्देसिलास की संधि में निर्दिष्ट सीमांकन की रेखा की प्रतिमध्याह्न रेखा निर्धारित की गयी। दोनों संधियों की मूल प्रतियों को आर्किवो जनरल दे इंडियास (Archivo General de Indias) स्पेन और आर्क्यूवो नैशनल दा तोरे दो तोम्बो (Arquivo Nacional da Torre do Tombo) पुर्तगाल में में रखा गया है। .

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दक्षिण अमेरिका

दक्षिण अमेरिका (स्पेनी: América del Sur; पुर्तगाली: América do Sul) उत्तर अमेरिका के दक्षिण पूर्व में स्थित पश्चिमी गोलार्द्ध का एक महाद्वीप है। दक्षिणी अमेरिका उत्तर में १३० उत्तरी अक्षांश (गैलिनस अन्तरीप) से दक्षिण में ५६० दक्षिणी अक्षांश (हार्न अन्तरीप) तक एवं पूर्व में ३५० पश्चिमी देशान्तर (रेशिको अन्तरीप) से पश्चिम में ८१० पश्चिमी देशान्तर (पारिना अन्तरीप) तक विस्तृत है। इसके उत्तर में कैरीबियन सागर तथा पनामा नहर, पूर्व तथा उत्तर-पूर्व में अन्ध महासागर, पश्चिम में प्रशान्त महासागर तथा दक्षिण में अण्टार्कटिक महासागर स्थित हैं। भूमध्य रेखा इस महाद्वीप के उत्तरी भाग से एवं मकर रेखा मध्य से गुजरती है जिसके कारण इसका अधिकांश भाग उष्ण कटिबन्ध में पड़ता है। दक्षिणी अमेरिका की उत्तर से दक्षिण लम्बाई लगभग ७,२०० किलोमीटर तथा पश्चिम से पूर्व चौड़ाई ५,१२० किलोमीटर है। विश्व का यह चौथा बड़ा महाद्वीप है, जो आकार में भारत से लगभग ६ गुना बड़ा है। पनामा नहर इसे पनामा भूडमरुमध्य पर उत्तरी अमरीका महाद्वीप से अलग करती है। किंतु पनामा देश उत्तरी अमरीका में आता है। ३२,००० किलोमीटर लम्बे समुद्रतट वाले इस महाद्वीप का समुद्री किनारा सीधा एवं सपाट है, तट पर द्वीप, प्रायद्वीप तथा खाड़ियाँ कम हैं जिससे अच्छे बन्दरगाहों का अभाव है। खनिज तथा प्राकृतिक सम्पदा में धनी यह महाद्वीप गर्म एवं नम जलवायु, पर्वतों, पठारों घने जंगलों तथा मरुस्थलों की उपस्थिति के कारण विकसित नहीं हो सका है। यहाँ विश्व की सबसे लम्बी पर्वत-श्रेणी एण्डीज पर्वतमाला एवं सबसे ऊँची टीटीकाका झील हैं। भूमध्यरेखा के समीप पेरू देश में चिम्बोरेजो तथा कोटोपैक्सी नामक विश्व के सबसे ऊँचे ज्वालामुखी पर्वत हैं जो लगभग ६,०९६ मीटर ऊँचे हैं। अमेजन, ओरीनिको, रियो डि ला प्लाटा यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं। दक्षिण अमेरिका की अन्य नदियाँ ब्राज़ील की साओ फ्रांसिस्को, कोलम्बिया की मैगडालेना तथा अर्जेण्टाइना की रायो कोलोरेडो हैं। इस महाद्वीप में ब्राज़ील, अर्जेंटीना, चिली, उरुग्वे, पैराग्वे, बोलिविया, पेरू, ईक्वाडोर, कोलोंबिया, वेनेज़ुएला, गुयाना (ब्रिटिश, डच, फ्रेंच) और फ़ाकलैंड द्वीप-समूह आदि देश हैं। .

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दक्षिण अमेरिका का इतिहास

माचू पिच्चू में इंका सभ्यता के अवशेष दक्षिण अमेरिका, मध्य अमेरिका, मेक्सिको, वेस्ट इण्डीज़ एवं कैरीबियन देशों को मिलाकर लैटिन अमेरिका कहते हैं। लैटिन प्राचीन रोमवासियों की भाषा थी। जैसे अधिकांश भारतीय भाषाओं का विकास संस्कृत से हुआ है वैसे ही अनेक यूरोपीय भाषाओं जैसे स्पेनी, पुर्तगाली, फ्रांसीसी तथा इतालवी भाषाओं का विकास लैटिन से हुआ है। इन भाषाओं के बोलने वालों को लैटिन कहते हैं। सोलहवीं शताब्दी में पुर्तगाल और स्पेन से बड़ी संख्या में लैटिन लोग आकर इस भाग पर अधिकार करके यहीं पर बस गए। इसीलिए इस भाग को लैटिन अमेरिका कहा जाने लगा। परन्तु अब फ्रेंच गुयाना को छोड़कर ये सभी देश स्वतंत्र हो गए हैं। पेरू की केंद्रीय पहाड़ियों में लाखों वर्षों पूर्व मानव जीवन की शुरुआत हुई। यहाँ कई संस्कृतियों का विकास हुआ। दक्षिण अमेरिका की सर्वप्रमुख सभ्यता इंका की सभ्यता थी जिसका कार्यक्षेत्र पेरू, ईक्वाडोर, बोलीविया तथा अर्जेंटीना और चिली के उत्तरी भागों में फैला हुआ था। पंद्रहवी शताब्दी के अंत में यह चरमोत्कर्ष पर थी। इंका सभ्यता में शासक को इंका कहा जाता था एवं उसका सदैव आदर किया जाता था। यह सभ्यता अपनी उत्तम यातायात, संचार एवं डाक व्यवस्था के लिए जानी जाती है। माचू पिच्चू प्रमुख नगर था जिसके सुंदर पुरातात्विक अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं। सूर्य यहाँ के सर्वोच्च देवता थे जिनके अलावा अन्य अनेक देवी देवताओं की भी पूजा होती थी। यहाँ के मंदिर स्वर्णपत्रों से अलंकृत होते थे। राजाओं को उनकी मृत्यु पश्चात मिस्र की प्राचीन सभ्यता की तरह ही ममी (परिरक्षित शव) बना कर सुरक्षित किया जाता था। शिल्पकला एवं शल्य चिकित्सा में यह सभ्यता अपने समकालीन सभ्यताओं से उन्नत थी। .

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