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होमी जहांगीर भाभा

सूची होमी जहांगीर भाभा

होमी जहांगीर भाभा (30 अक्टूबर, 1909 - 24 जनवरी, 1966) भारत के एक प्रमुख वैज्ञानिक और स्वप्नदृष्टा थे जिन्होंने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। उन्होने मुट्ठी भर वैज्ञानिकों की सहायता से मार्च 1944 में नाभिकीय उर्जा पर अनुसन्धान आरम्भ किया। उन्होंने नाभिकीय विज्ञान में तब कार्य आरम्भ किया जब अविछिन्न शृंखला अभिक्रिया का ज्ञान नहीं के बराबर था और नाभिकीय उर्जा से विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई मानने को तैयार नहीं था। उन्हें 'आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम' भी कहा जाता है। भाभा का जन्म मुम्बई के एक सभ्रांत पारसी परिवार में हुआ था। उनकी कीर्ति सारे संसार में फैली। भारत वापस आने पर उन्होंने अपने अनुसंधान को आगे बढ़ाया। भारत को परमाणु शक्ति बनाने के मिशन में प्रथम पग के तौर पर उन्होंने 1945 में मूलभूत विज्ञान में उत्कृष्टता के केंद्र टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआइएफआर) की स्थापना की। डा.

24 संबंधों: टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान, टाटा स्मारक केन्द्र, एयर इंडिया उड़ान 101, परमाणु ऊर्जा आयोग (भारत), पॉल डिरॅक, पोखरण-2, भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, भारत में परमाणु ऊर्जा, भारत में सामूहिक विनाश के हथियार, भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी, भारत का त्रिचरण नाभिकीय कार्यक्रम, भारतीय विज्ञान संस्थान, भारतीय व्यक्तित्व, भारतीय वैज्ञानिकों की सूची, भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, महानतम भारतीय (सर्वेक्षण), श्री गोविन्दराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, हरीश चंद्र, होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान, जॉर्ज सुदर्शन, जीतेंद्र अभिषेकी, १९५४ में पद्म भूषण धारक, ३० अक्तूबर

टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान

टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (Tata Institute of Fundamental Research, TIFR) उच्च शिक्षा की महानतम् भारतीय संस्थाओं में से एक है। यहां मुख्यतः प्राकृतिक विज्ञान, गणित और कम्प्यूटर विज्ञान में अनुसंधान कार्य किया जा रहा है। यह मुम्बई के कोलाबा क्षेत्र में समुद्र के किनारे स्थित है। यहां का स्नातक कार्यक्रम अधोलिखित सभी विषयों में डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पी एच डी) की उपाधि प्रदान करता है। यह संस्थान होमी भाभा के निर्देशन में सन् १९४५ में स्थापित हुआ। इसे जून २००२ में समविश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ। .

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टाटा स्मारक केन्द्र

टाटा स्मारक केन्द्र (टाटा मेमोरियल सेन्टर) परेल, मुम्बई (भारत) में स्थित है। यह कैंसर के इलाज और अनुसंधान का केंद्र है। यह संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा सहायताप्राप्त संस्थान है। टीएमसी इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि निजी परोपकार एवं सार्वजनिक सहयोग कितनी अच्छी तरह एक साथ काम कर सकते हैं। आज, टीएमसी भारत में कैंसर के लगभग एक तिहाई रोगियों का इलाज करता है। वैश्विक स्वास्थ्य मानचित्र का यह एक महत्वपूर्ण स्थल है जहां प्राथमिक चिकित्सा के लिए आने वाले 60 प्रतिशत रोगियों का निःशुल्क उपचार किया जाता है। यह केंद्र कैंसर के क्षेत्र में शिक्षा पर काफी जोर देता है। 250 से अधिक छात्रों, चिकित्सा पेशेवरों, वैज्ञानिकों और तकनीशियनों को अस्पताल में प्रशिक्षण दिया जाता है। भारतीय परमाणु ऊर्जा विभाग ने भारत और दक्षिण एशिया के लिए प्रासंगिक कैंसर में अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने के लिए नवी मुंबई में खारघर में 'एडवांस्ड सेंटर फॉर ट्रीटमेंट एंड एजुकेशन इन कैंसर' नामक एक अत्याधुनिक अनुसंधान और विकास केंद्र स्थापित किया है। .

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एयर इंडिया उड़ान 101

एयर इंडिया उड़ान 101 (Air India Flight 101) बॉम्बे से लंदन के लिए निर्धारित एयर इंडिया की यात्री उड़ान थी जो दुर्घटनावश 24 जनवरी 1966 को फ़्रांस में मोंट ब्लाँक पहाड़ से टकरा गई थी। दुर्घटना में कर्मीदल के 11 सदस्यों के साथ-साथ सभी 106 यात्रियों की मृत्यु हो गई थी। इसी विमान दुर्घटना में भारतीय परमाणु वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा की मृत्यु हुई थी। .

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परमाणु ऊर्जा आयोग (भारत)

भारत सरकार का परमाणु ऊर्जा आयोग परमाणु ऊर्जा विभाग के अन्तर्गत एक महत्वपूर्ण शासी निकाय है। इसका प्रभार सीधे प्रधानमंत्री के पास होता है। .

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पॉल डिरॅक

पॉल एड्रियन मौरिस डिरॅक (8 अगस्त 1902 – 20 अक्टूबर 1984) अंग्रेज़ सैद्धांतिक भौतिकशास्त्री थे जिन्होंने क्वांटम यांत्रिकी और क्वांटम विद्युत गतिकी दोनों के प्रारंभिक विकास के लिए मौलिक योगदान दिया था। यह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में गणित के ल्युकेज़ियन प्रोफेसर तथा सैंटर फॉर थियोरेटिकल स्टडीज़, युनिवर्सिटी ऑफ़ मियामी (हिन्दी: सैद्धांतिक अध्ययन के लिए केंद्र, मियामी विश्वविद्यालय) के सदस्य थे, व अपने जीवन का अंतिम दशक इन्होंने फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी में व्यतीत किया। .

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पोखरण-2

पोखरण-2 मई 1998 में पोखरण परीक्षण रेंज पर किये गए पांच परमाणु बम परीक्षणों की श्रृंखला का एक हिस्सा है। यह दूसरा भारतीय परमाणु परीक्षण था; पहला परीक्षण, कोड नाम स्माइलिंग बुद्धा (मुस्कुराते बुद्ध), मई 1974 में आयोजित किया गया था। 11 और 13 मई, 1998 को राजस्थान के पोरखरण परमाणु स्थल पर पांच परमाणु परीक्षण किये थे। इनमें 45 किलोटन का एक फ्यूज़न परमाणु उपकरण शामिल था। इसे आमतौर पर हाइड्रोजन बम के नाम से जाना जाता है। 11 मई को हुए परमाणु परीक्षण में 15 किलोटन का विखंडन (फिशन) उपकरण और 0.2 किलोटन का सहायक उपकरण शामिल था। इन परमाणु परीक्षण के बाद जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित प्रमुख देशों द्वारा भारत के खिलाफ विभिन्न प्रकार के प्रतिबंधों लगाये गए। - दैनिक भास्कर - 6 अगस्त 2013 .

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भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र

भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र मुम्बई में स्थित है। यह भारत सरकार के परमाणु उर्जा विभाग के अन्तर्गत नाभिकिय विज्ञान एवं अभियांत्रिकी एवं अन्य संबन्धित क्षेत्रों का बहु-विषयी नाभीकीय अनुसंधान केन्द्र है। भारत का परमाणु कार्यक्रम डा॰ होमी जहांगीर भाभा के नेतृत्व में आरम्भ हुआ। ३ जनवरी सन् १९५३ को परमाणु उर्जा आयोग के द्वारा परमाणु उर्जा संस्थान (ए ई ई टी) के नाम से आरम्भ हुआ और तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा २० जनवरी सन् १९५७ को राष्ट्र को समर्पित किया गया। इसके बाद परमाणु उर्जा संस्थान को पुनर्निर्मित कर १२ जनवरी सन् १९६७ को इसका नया नाम भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र किया गया, जो कि २४ जनवरी सन् १९६६ में डा॰ भाभा की विमान दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु के लिये एक विनम्र श्रद्धांजलि थी। .

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भारत में परमाणु ऊर्जा

भारतीय विद्युत उत्पादन एवं आपूर्ति के क्षेत्र में परमाणु ऊर्जा एक निश्चित एवं निर्णायक भूमिका है। किसी भी राष्ट्र के सम्पूर्ण विकास के लिए विद्युत की पर्याप्त तथा अबाधित आपूर्ति का होना आवश्यक है। विकासशील देश होने के कारण भारत की सम्पूर्ण विद्युत आवश्यकताओं का एक बड़ा भाग गैर पारम्परिक स्रोतों से पूरा किया जाता है क्योंकि पारम्परिक स्रोतों द्वारा बढ़ती हुई आवश्यकताओं को पूरा नहीं किया जा सकता। भारत ने नाभिकीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त की है। इसका श्रेय डॉ॰ होमी भाभा द्वारा प्रारंभ किए गए महत्वपूर्ण प्रयासों को जाता है जिन्होंने भारतीय नाभिकीय कार्यक्रम की कल्पना करते हुए इसकी आधारशिला रखी। तब से ही परमाणु ऊर्जा विभाग परिवार के समर्पित वेज्ञानिकों तथा इंजीनियरों द्वारा बड़ी सतर्कता के साथ इसे आगे बढ़ाया गया है। भारत में गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में परमाणु बिजली केंद्र है। ये केंद्र केंद्र सरकार के अधीन हैं।वर्तमान में (अप्रैल 2015 से जेनुअरी 2016 तक) कुल बिजली उत्पादन में नाभिकीय ऊर्जा का भाग 30869 मिलियन यूनिट है जो कि लगभग 3.3% है। वर्तमान में कुल स्थापित क्षमता 5780 मेगावाट है, तथा 2022 तक 13480 मेगावाट बिजली के उत्पादन की संभावना है, यदि वर्तमान में सभी निर्माणाधीन और कुछ नए प्रोजेक्ट को समयबद्ध तरीके से पूरा कर लिया जाता है। 1983 में गठित परमाणु ऊर्जा विनियामक बोर्ड (एईआरबी) भारत में परमाणु ऊर्जा के लिए नियामक संस्था है। नाभिकीय विज्ञान अनुसंधान बोर्ड (बीआरएनएस) के द्वारा अनुसंधान और विकास संबंधी गतिविधियां की जाती हैं। .

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भारत में सामूहिक विनाश के हथियार

भारत के पास परमाणु हथियार के रूप में सामूहिक विनाश के हथियार हैं और अतीत में, रासायनिक हथियार भी थे। हालांकि भारत ने अपने परमाणु शस्त्रागार के आकार के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है पर हाल के अनुमान के मुताबिक भारत के पास लगभग 150-160 परमाणु हथियार हैं। 1999 में भारत के पास 800 किलो रिएक्टर ग्रेड और कुल 8300 किलो असैनिक प्लूटोनियम था जो लगभग 1,000 परमाणु हथियारों के लिए पर्याप्त है। भारत ने 1968 की परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं, भारत का तर्क है कि यह संधि केवल कुछ देशों तक ही परमाणु तकनीक को सीमित करती है और सामान्य परमाणु निरशास्त्रिकारण भी को रोकती है। भारत ने जैविक हथियारों सम्मेलन और रासायनिक हथियार कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किये हैं व पुष्टि भी की है। भारत मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR) का एक सदस्य है और द हेग आचार संहिता (The Hague Code of Conduct) की सदस्यता लेने वाला देश है। .

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भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी

भारत के प्रथम रिएक्टर '''अप्सरा''' तथा प्लुटोनियम संस्करण सुविधा का अमेरिकी उपग्रह से लिया गया चित्र (१९ फरवरी १९६६) भारतीय विज्ञान की परंपरा विश्व की प्राचीनतम वैज्ञानिक परंपराओं में एक है। भारत में विज्ञान का उद्भव ईसा से 3000 वर्ष पूर्व हुआ है। हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो की खुदाई से प्राप्त सिंध घाटी के प्रमाणों से वहाँ के लोगों की वैज्ञानिक दृष्टि तथा वैज्ञानिक उपकरणों के प्रयोगों का पता चलता है। प्राचीन काल में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में चरक और सुश्रुत, खगोल विज्ञान व गणित के क्षेत्र में आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त और आर्यभट्ट द्वितीय और रसायन विज्ञान में नागार्जुन की खोजों का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है। इनकी खोजों का प्रयोग आज भी किसी-न-किसी रूप में हो रहा है। आज विज्ञान का स्वरूप काफी विकसित हो चुका है। पूरी दुनिया में तेजी से वैज्ञानिक खोजें हो रही हैं। इन आधुनिक वैज्ञानिक खोजों की दौड़ में भारत के जगदीश चन्द्र बसु, प्रफुल्ल चन्द्र राय, सी वी रमण, सत्येन्द्रनाथ बोस, मेघनाद साहा, प्रशान्त चन्द्र महलनोबिस, श्रीनिवास रामानुजन्, हरगोविन्द खुराना आदि का वनस्पति, भौतिकी, गणित, रसायन, यांत्रिकी, चिकित्सा विज्ञान, खगोल विज्ञान आदि क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान है। .

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भारत का त्रिचरण नाभिकीय कार्यक्रम

मोनाजाइट पाउडर । यही विश्व के थोरियम का मुख्य स्रोत है। भारत में इसके विशाल भण्डार हैं (केरल के समुद्रतटीय रेत में)। भारतीय नाभिकीय विद्युत उत्पादन कार्यक्रम के अंतर्गत एक तीन चरणीय कार्यक्रम (चरण 1, चरण 2, चरण 3) का समावेश है। यह योजना होमी जहांगीर भाभा द्वारा १९५० के दशक में बनायी गयी थी। इसका उद्देश्य दक्षिण भारत के समुद्रतटीय क्षेत्रों में पाये जाने वाले मोनाजाइट रेत में पाये जाने वाले यूरेनियम तथा थोरियम का उपयोग करते हुए दीर्घ अवधि में भारत को ऊर्जा क्षेत्र में स्वावलम्बी बनाना था। ध्यात्व्य है कि भारत के पास थोरियम के भारी भण्डार हैं। भारत के नाभिकीय कार्यक्रम के तीन चरण ये हैं-.

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भारतीय विज्ञान संस्थान

भारतीय विज्ञान संस्थान का प्रशासकीय भवन भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science) भारत का वैज्ञानिक अनुसंधान और उच्च शिक्षा के लिये अग्रगण्य शिक्षा संस्थान है। यह बंगलुरु में स्थित है। इस संस्थान की गणना भारत के इस तरह के उष्कृष्टतम संस्थानों में होती है। संस्थान ने प्रगत संगणन, अंतरिक्ष, तथा नाभिकीय प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान किया है।  2016 तक यह संस्थान दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 250 संस्थानों में से एक था .

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भारतीय व्यक्तित्व

यहाँ पर भारत के विभिन्न भागों एवं विभिन्न कालों में हुए प्रसिद्ध व्यक्तियों की सूची दी गयी है। .

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भारतीय वैज्ञानिकों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम

भारतीय अन्तरिक्ष कार्यक्रम डॉ विक्रम साराभाई की संकल्पना है, जिन्हें भारतीय अन्तरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहा गया है। वे वैज्ञानिक कल्पना एवं राष्ट्र-नायक के रूप में जाने गए। वर्तमान प्रारूप में इस कार्यक्रम की कमान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के हाथों में है। .

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, (संक्षेप में- इसरो) (Indian Space Research Organisation, ISRO) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है जिसका मुख्यालय बेंगलुरू कर्नाटक में है। संस्थान में लगभग सत्रह हजार कर्मचारी एवं वैज्ञानिक कार्यरत हैं। संस्थान का मुख्य कार्य भारत के लिये अंतरिक्ष संबधी तकनीक उपलब्ध करवाना है। अन्तरिक्ष कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों में उपग्रहों, प्रमोचक यानों, परिज्ञापी राकेटों और भू-प्रणालियों का विकास शामिल है। 1969 में स्थापित, इसरो अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए तत्कालीन भारतीय राष्ट्रीय समिति (INCOSPAR) स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और उनके करीबी सहयोगी और वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के प्रयासों से 1962 में स्थापित किया गया। भारत का पहला उपग्रह, आर्यभट्ट, जो 19 अप्रैल 1975 सोवियत संघ द्वारा शुरू किया गया था यह गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था बनाया।इसने 5 दिन बाद काम करना बंद कर दिया था। लेकिन ये अपने आप में भारत के लिये एक बड़ी उपलब्धि थी। 7 जून 1979 को भारत ने दूसरा उपग्रह भास्कर 445 किलो का था, पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया। 1980 में रोहिणी उपग्रह पहला भारतीय-निर्मित प्रक्षेपण यान एसएलवी -3 बन गया जिस्से कक्षा में स्थापित किया गया। इसरो ने बाद में दो अन्य रॉकेट विकसित किये। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान उपग्रहों शुरू करने के लिए ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी),भूस्थिर कक्षा में उपग्रहों को रखने के लिए ध्रुवीय कक्षाओं और भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान। ये रॉकेट कई संचार उपग्रहों और पृथ्वी अवलोकन गगन और आईआरएनएसएस तरह सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम तैनात किया उपग्रह का शुभारंभ किया।जनवरी 2014 में इसरो सफलतापूर्वक जीसैट -14 का एक जीएसएलवी-डी 5 प्रक्षेपण में एक स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया गया। इसरो के वर्तमान निदेशक ए एस किरण कुमार हैं। आज भारत न सिर्फ अपने अंतरिक्ष संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है बल्कि दुनिया के बहुत से देशों को अपनी अंतरिक्ष क्षमता से व्यापारिक और अन्य स्तरों पर सहयोग कर रहा है। इसरो एक चंद्रमा की परिक्रमा, चंद्रयान -1 भेजा, 22 अक्टूबर 2008 और एक मंगल ग्रह की परिक्रमा, मंगलयान (मंगल आर्बिटर मिशन) है, जो सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश पर 24 सितंबर 2014 को भारत ने अपने पहले ही प्रयास में सफल होने के लिए पहला राष्ट्र बना। दुनिया के साथ ही एशिया में पहली बार अंतरिक्ष एजेंसी में एजेंसी को सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा तक पहुंचने के लिए इसरो चौथे स्थान पर रहा। भविष्य की योजनाओं मे शामिल जीएसएलवी एमके III के विकास (भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए) ULV, एक पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान, मानव अंतरिक्ष, आगे चंद्र अन्वेषण, ग्रहों के बीच जांच, एक सौर मिशन अंतरिक्ष यान के विकास आदि। इसरो को शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए साल 2014 के इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मंगलयान के सफल प्रक्षेपण के लगभग एक वर्ष बाद इसने 29 सितंबर 2015 को एस्ट्रोसैट के रूप में भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला स्थापित किया। जून 2016 तक इसरो लगभग 20 अलग-अलग देशों के 57 उपग्रहों को लॉन्च कर चुका है, और इसके द्वारा उसने अब तक 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर कमाए हैं।http://khabar.ndtv.com/news/file-facts/in-record-launch-isro-flies-20-satellites-into-space-10-facts-1421899?pfrom.

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महानतम भारतीय (सर्वेक्षण)

सबसे महान भारतीय या महानतम भारतीय (अंग्रेजी:The Greatest Indian) एक सर्वेक्षण जो रिलायंस मोबाइल द्वारा प्रायोजित है और सीएनएन आईबीएन और हिस्ट्री चैनल के साथ साझेदारी में, आउटलुक पत्रिका द्वारा आयोजित किया गया था। आधुनिक भारत के विभिन्न क्षेत्रों में महत्त्वपुर्ण योगदान और भारतीयों के जीवन में अद्वितीय असाधारन बदलाव लाने वाला महानतम शख्सियत खोजने के लिए भारत में दि ग्रेटेस्ट इंडियन या सबसे महानतम भारतीय इस कार्यक्रम का जनमत सर्वेक्षण जून 2012 से अगस्त 2012 दौरान आयोजित किया गया था, इसके विजेता, डॉ॰ भीमराव आंबेडकर हैं, 11 अगस्त को इसकी घोषणा हुई थी। इस सर्वेक्षण में करीब 2 करोड़ वोटिंग डॉ॰ आंबेडकर को हुई थी। इस सर्वेक्षण में पहले भारत के विभिन्न छेत्रों (जैसे, कला, राजनिती, अर्थशास्त्र, समाज सेवा, खेल, उद्योग, संगीत आदी) के 100 महान हस्तियों में से ज्यूरी के जरीये उनमें से 50 महान भारतीयों को चूना गया। बाद में 50 नामों में से वोटिंग के जरीये जवाहरलाल नेहरू से ए.पी.जे. अब्दुल कलाम तक के 10 नाम रखे गये और एक बार फिर सभी नागरिकों द्वारा की गई अंतरराष्ट्रीय ऑनलाईन वोटिंग ओपन की गई, इसमें सर्वाधिक मतदान या मतदान डॉ॰ भीमराव आंबेडकर को मिले, वे दस में नंबर वन पर ही चुने गयें। भारत की स्वतंत्रता के बाद सबसे महान या महानतम भारतीय डॉ॰ भीमराव आंबेडकर हैं। वे स्वतंत्र्यता पूर्व के भी महानतम भारतीय है। महानतम ब्रिटेन स्पिन (Greatest Britons spin-offs) नापसंद के अन्य संस्करणों के विपरीत, महानतम भारतीय इतिहास के सभी समय अवधि से लोगों को शामिल नहीं किया था। दो कारणों से इस चुनाव के लिए दिए गए थे। इसमें महात्मा गांधी को नहीं लिया गया, उन्हें बिना सर्वेक्षण के महान बना दिया, नहीं तो विशेष रूप से डॉ.

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श्री गोविन्दराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान

श्री गोविन्दराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान (Shri Govindram Seksaria Institute of Technology and Science (SGSITS)), इन्दौर ही नहीं वरन् मध्य प्रदेश का प्रमुख अभियांत्रिकी महाविद्यालय है। इसकी स्थापना सन् १९५२ में हुई थी। यह स्वशासी संस्थान है और विश्वविद्यालय की उपाधि की प्राप्ति के लिये प्रयासरत है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई), नई दिल्ली और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), नई दिल्ली ने १९८९ में एक स्वायत्त संस्थान का दर्जा दिया था। इस स्थिति के तहत, संस्थान यूजी और पीजी स्तर दोनों में अपनी परीक्षाएं आयोजित करता है तथा एसजीएसआईटीएस एक शासक मंडल के प्रशासन के तहत परिचालित हो गया। सम्प्रति इस संस्थान में ९ स्नातकस्तरीय एवं १७ परास्नातक-स्तरीय पाठ्यक्रम चल रहे हैं जिनमें क्रमश: ६५० एवं १५० छात्र लिये जाते हैं। इसके अतिरिक्त यह संस्थान अंशकालिक स्नातक पाठयक्रम भी चलाता है। .

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हरीश चंद्र

---- हरीश चंद्र महरोत्रा (११ अक्टूबर १९२३ - १६ अक्टूबर १९८३) भारत के महान गणितज्ञ थे। वह उन्नीसवीं शदाब्दी के प्रमुख गणितज्ञों में से एक थे। इलाहाबाद में गणित एवं भौतिक शास्त्र का प्रसिद्ध केन्द्र "मेहता रिसर्च इन्सटिट्यूट" का नाम बदलकर अब उनके नाम पर हरीशचंद्र अनुसंधान संस्थान कर दिया गया है। 'हरीश चंद्र महरोत्रा' को सन १९७७ में भारत सरकार द्वारा साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। .

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होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान

होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान (Homi Bhabha National Institute(HBNI)) भारत का एक मानित विश्वविद्यालय है। दस प्रमुख अनुसंधान संस्थानों से मिलकर इसकी रचना हुई है। इसका नामकरण भारत के प्रसिद्ध भौतिकशास्त्री होमी जहाँगीर भाभा के नाम पर किया गया है। श्री रवि ग्रोवर इसके वर्तमान निदेशक हैं। .

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जॉर्ज सुदर्शन

एन्नाक्कल चांडी जॉर्ज सुदर्शन (ഇ.സി.ജി.) (ई॰ सी॰ जी॰ सुदर्शन के नाम से भी जाने जाते थे; जन्म १६ सितम्बर १९३१ - १३ मई २०१८) टेक्सास विश्वविद्यालय, ऑस्टिन में प्रोफेसर, लेखक और भारतीय वैज्ञानिक थे। .

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जीतेंद्र अभिषेकी

पंडित जितेंद्र अभिषेकी (जितेंद्र अभिषेकी; 21 सितंबर 1929 – 7 नवंबर 1998) एक भारतीय गायक, संगीतकार और भारतीय शास्त्रीय, अर्द्ध शास्त्रीय, भक्ति संगीत तथा हिन्दुस्तानी संगीत के प्रतिष्ठित विद्वान थे। इन्हें 1960 के दशक में मराठी थिएटर संगीत के पुनरुद्धार के लिए भी श्रेय दिया जाता है। .

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१९५४ में पद्म भूषण धारक

श्रेणी:पद्म भूषण.

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३० अक्तूबर

३० अक्टूबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३०३वाँ (लीप वर्ष मे ३०४वाँ) दिन है। वर्ष मे अभी और ६२ दिन बाकी है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

Homi Bhabha, डॉ होमी भाभा, होमी भाभा, होमी जहाँगीर भाभा

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