3 संबंधों: स्वामी रामानन्द तीर्थ, हैदराबाद सत्याग्रह, ऑपरेशन पोलो।
स्वामी रामानन्द तीर्थ
स्वामी रामानन्द तीर्थ स्वामी रामानन्द तीर्थ (1903–1972) भारत के शिक्षाविद तथा सामाजिक कार्यकर्ता थे जिन्होने हैदराबाद मुक्ति संग्राम का नेतृत्व किया। वे हैदराबाद प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख नेता थे। .
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हैदराबाद सत्याग्रह
सन् 1938-39 में जब अंग्रेजों का अत्याचार चरम पर था तब ब्रिटिश शासकों ने हैदराबाद के निजाम से सांठ-गांठ कर हैदराबाद स्टेट में हिंदुओं की पूजा-अर्चना पर रोक लगा दी थी। इसके विरोध में आर्य समाज ने आंदोलन छेड़ा जिसे हैदराबाद सत्याग्रह कहा जाता है। इस आन्दोलन में हिन्दू महासभा ने आर्य समाज का साथ दिया। आंदोलन सफल हुआ और निजाम हैदराबाद को झुकना पड़ा। इस सत्याग्रह को भारत के स्वतंत्रता संग्राम का भाग माना जाता है। .
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ऑपरेशन पोलो
ऑपरेशन पोलो सितम्बर 1948 को भारतीय सेना के गुप्त ऑपरेशन का नाम था जिसमें हैदराबाद के आखिरी निजाम को सत्ता से अपदस्त कर दिया गया और हैदराबाद को भारत का हिस्सा बना लिया गया। ध्यातव्य है कि भारत की स्वतंत्रता के बाद जब भारतीय संघ का गठन हो रहा था, हैदराबाद के निजाम ने भारत के बीच में होते हुए भी स्वतंत्र देश रहने की ही कवायत शुरू की थी। विभाजन के दौरान हैदराबाद भी उन शाही घरानो में से था जिन्हे पूर्ण आजादी दी गई थी हालाँकि 1948 में उनके पास दो ही विकल्प बचे थे भारत या पाकिस्तान में शामिल होना। ज्यादातर हिन्दू आबादी वाले राज्य के मुस्लिम शासक और आखिरी निजाम ओस्मान अली खान ने आजाद रहने फैसला किया और अपने साधारण सेना के बल पर राज करने का फैसला किया। निजाम ने ज्यादातर मुस्लिम सैनिको वाली राज़करास सेना बनाई। भारत सरकार उत्सुकता से हैदराबाद की तरफ देख रही थी और सोच रही थी की हैदराबाद के निजाम खुद भारत संघ में सम्मिलित हो जायेंगे। लेकिन राज़करास सेना की दुर्दांतता के कारण सरदार पटेल ने हैदराबाद को जबरदस्ती कब्जाने का फैसला किया था। सरदार पटेल ने ये काम पुलिस के द्वारा किया जिसमे सिर्फ पांच दिन लगे राज़करास की मुस्लिम सेना आसानी से हार गई। अभियान के दौरान व्यापक तौर पर जातिगत हिंसा हुई थी, अभियान समाप्ति के बाद नेहरू ने इसपे जाँच के लिए एक कमिटी बनाई थी जिसकी रिपोर्ट साल 2014 सार्वजनिक हुई। अर्थात रिपोर्ट को जारी ही नहीं किया गया था, रिपोर्ट बनाने के लिए सुन्दरलाल कमिटी बानी थी, रिपोर्ट के मुताबिक इस अभियान में 27 से 40 हजार जाने गई थी हालाँकि जानकार ये आंकड़ा दो लाख से भी ज्यादा बताते हैं। मुस्लिम लीग के निर्माता जिन्ना के प्रभाव में हैदराबाद के निजाम नवाब बहादुर जंग ने लोकतंत्र को नहीं माना था, नवाब ने काज़मी रज्मी को जो की एमआईएम (मजलिसे एत्तहुड मुस्लिमीन) का प्रमुख लीडर था ने राजकारस सेना बनाई थी जो करीब दो लाख क तादात में थी। मुस्लिम आबादी बढ़ने के लिए उसने हैदराबाद में लूटपाट मचा दी थी, जबरन इस्लाम हिन्दू औरतो के रेप सामूहिक हत्याकांड करने शुरू कर दिए थे। क्योंकि हिन्दू हैदराबाद को भारत में चाहते हे मीरपुर नौखालिया नरसंहार (मुसलमानों ने किया हिन्दुओ पे) उनके जहाँ में थे। पांच हजार से ज्यादा हिन्दुओ को राजकारस मार चुके थे जो की आधिकारिक आंकड़े है, हैदराबाद के निजाम को पाकिस्तान से म्यांमार के रास्ते लगातार हथियार और पैसे की मदद मिल रही थी। ऑस्ट्रेलिया की कंपनी भी उन्हें हथियार सप्लाई कर रही थी, तब पटेल ने तय किया की इस तरह तो हैदराबाद भारत के दिल में नासूर बन जायेगा और तब आर्मी ऑपरेशन पोलो को प्लान किया गया। कहा जाता है कि ऑपरेशन के बाद में हर जगह सेना ने मुसलमानों को शिनाख्त कर कर के मौत के घाट उत्तर दिया था। इसीलिए आज तक ये रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई चुनावो से पहले कांग्रेस ने साम्प्रदायिक फायदा उठाने के लिए शायद इसको बहार निकला था। .