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हिमानी

सूची हिमानी

काराकोरम की बाल्तोरो हिमानी हिमानी या हिमनद (अंग्रेज़ी Glacier) पृथ्वी की सतह पर विशाल आकार की गतिशील बर्फराशि को कहते है जो अपने भार के कारण पर्वतीय ढालों का अनुसरण करते हुए नीचे की ओर प्रवाहमान होती है। ध्यातव्य है कि यह हिमराशि सघन होती है और इसकी उत्पत्ति ऐसे इलाकों में होती है जहाँ हिमपात की मात्रा हिम के क्षय से अधिक होती है और प्रतिवर्ष कुछ मात्रा में हिम अधिशेष के रूप में बच जाता है। वर्ष दर वर्ष हिम के एकत्रण से निचली परतों के ऊपर दबाव पड़ता है और वे सघन हिम (Ice) के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं। यही सघन हिमराशि अपने भार के कारण ढालों पर प्रवाहित होती है जिसे हिमनद कहते हैं। प्रायः यह हिमखंड नीचे आकर पिघलता है और पिघलने पर जल देता है। पृथ्वी पर ९९% हिमानियाँ ध्रुवों पर ध्रुवीय हिम चादर के रूप में हैं। इसके अलावा गैर-ध्रुवीय क्षेत्रों के हिमनदों को अल्पाइन हिमनद कहा जाता है और ये उन ऊंचे पर्वतों के सहारे पाए जाते हैं जिन पर वर्ष भर ऊपरी हिस्सा हिमाच्छादित रहता है। ये हिमानियाँ समेकित रूप से विश्व के मीठे पानी (freshwater) का सबसे बड़ा भण्डार हैं और पृथ्वी की धरातलीय सतह पर पानी के सबसे बड़े भण्डार भी हैं। हिमानियों द्वारा कई प्रकार के स्थलरूप भी निर्मित किये जाते हैं जिनमें प्लेस्टोसीन काल के व्यापक हिमाच्छादन के दौरान बने स्थलरूप प्रमुख हैं। इस काल में हिमानियों का विस्तार काफ़ी बड़े क्षेत्र में हुआ था और इस विस्तार के दौरान और बाद में इन हिमानियों के निवर्तन से बने स्थलरूप उन जगहों पर भी पाए जाते हैं जहाँ आज उष्ण या शीतोष्ण जलवायु पायी जाती है। वर्तमान समय में भी उन्नीसवी सदी के मध्य से ही हिमानियों का निवर्तन जारी है और कुछ विद्वान इसे प्लेस्टोसीन काल के हिम युग के समापन की प्रक्रिया के तौर पर भी मानते हैं। हिमानियों का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि ये जलवायु के दीर्घकालिक परिवर्तनों जैसे वर्षण, मेघाच्छादन, तापमान इत्यादी के प्रतिरूपों, से प्रभावित होते हैं और इसीलिए इन्हें जलवायु परिवर्तन और समुद्र तल परिवर्तन का बेहतर सूचक माना जाता है। .

138 संबंधों: चांगबाई पर्वत, चंग्त्से, चोयु, टार्न, ऍयाफ़्यात्लायोएकुत्ल्ल, एल्ब्रुस पर्वत, झील, डारविन पर्वत (ऐन्डीज़), डॉसन-लैम्बटन हिमानी, तिरिच मीर, तुर्किस्तान शृंखला, त्रिवोर, त्सोंगमो झील, तेरम कांगरी, दरकोट दर्रा, दिल्ली, दक्षिणी ऐल्प्स, द्रांग द्रुंग हिमानी, दूदीपतसर, धरमसर, नदी, नन्दा देवी पर्वत, न्यू गिनी ऊच्चभूमि, नूनातक, पर्वतारोहण, पामीर नदी, पंचचूली पर्वत, पुमरी छिश, पुंचाक जाया, प्रवेशिका, प्रेरी, पैंजिया, पेच नदी, पीने का पानी, फ़्योर्ड, फ़ेदचेन्को हिमानी, फ़ोर्थ का नदमुख, फोला गंगचेन, बन्दरपूँछ, बर्फ़ की टोपी, बाल्तोरो हिमानी, बेरिंजिया, भारत के हिमनदों की सूची, भविष्य विज्ञान, भू-आकृति विज्ञान, भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव, भेड़ पीठ शैल, महालंगूर हिमाल, मालूबितिंग, मिनियापोलिस, ..., मिनेसोटा हिमानी, मकड़ा पर्वत, मुज़ताग़ टावर, मुज़ार्त नदी, यान मायेन, युकशिन गर्दन सर, यू आकार की घाटी, राकापोशी-हरामोश पर्वतमाला, रुआपेहू पर्वत, रॉस द्वीप, अंटार्कटिका, लटकती घाटी, लाबुचे कांग, लुपग़र सर, लूलूसर, शन्दूर दर्रा, शिन्नान हिमानी, शिमशाल, शक्सगाम नदी, शृंग पुच्छ, शैल, समुद्री बर्फ़, सरस्वती नदी, सराग़रार, ससेर कांगरी, सामी लोग, सियाचिन हिमनद, सिक्किम, सुम्गल, स्टैनकोम्ब-विल्ज़ हिमानी, स्वामी सुंदरानंद, स्वालबार्ड, स्कर्दू ज़िला, स्क्यांग कांगरी, सैल्मन, सोनमर्ग, हिन्दूताश दर्रा, हिमचट्टान, हिमचादर, हिमधारा, हिमपुंज, हिमयुग, हिमशैल, हिमानी पठार, हिमानी विज्ञान, हिमानीगत झील, हिमालचुली, हिमालय, हिमालय की पारिस्थितिकी, हिमोढ़, हुन्ज़ा नदी, जल, जल (अणु), जल संसाधन, जलवायु परिवर्तन, जलोढ़क, ज़मीनी पुल, घग्गर-हकरा नदी, घेंट कांगरी, वनोन्मूलन, वाख़ान नदी, विशनसर, वख़्श नदी, खरताफु, ख़ान तेन्ग्री, गाडी चुली, गिम्मीगेला चुली, गंगाबल झील, ग्याचुंगकांग, ग्रीनलैण्ड हिमचादर, ओब नदी, आरागोन, आल्ब्रेख्ट पेंक, इस्तोर-ओ-नल, काबुल नदी, कामेट पर्वत, काराकुम रेगिस्तान, कुनर नदी, कुनहार नदी, के६ पर्वत, कोरदियेरा डारविन, कोलाहोइ हिमानी, अत्यंतनूतन युग, अपरदन, अबी गमिन, अल्पाइन हिमनद, अवसादी शैल, अंगसी हिमानी, उत्तराखण्ड सूचकांक विस्तार (88 अधिक) »

चांगबाई पर्वत

तिआन ची ज्वालामुखीय झील चांगबाई पर्वत शृंखला (Changbai Mountains) या जांगबाएक पर्वत शृंखला (Jangbaek Mountains) मंचूरिया क्षेत्र में चीन और उत्तर कोरिया की सरहद पर स्थित एक पर्वत शृंखला है। यह चीन को रूस के प्रिमोर्स्की क्राय प्रान्त से भी अलग करते हैं। इन्हें रूस में वोस्तोचनो-मान्चझ़ुर्स्कीए शृंखला (Vostochno-Manchzhurskie gory) कहते हैं। इस शृंखला का सबसे ऊंचा पहाड़ २,७४५ मीटर लम्बा 'बएकदू पर्वत' (Baekdu Mountain) नामक ज्वालामुखी है, जिसकी ढलानों से सोंगहुआ नदी, यालू नदी और तूमन नदी शुरू होती हैं। इन पहाड़ों में 'तिआन ची' (Tian Chi, अर्थ: स्वर्ग झील) नामक एक प्रसिद्ध बड़ी ज्वालामुखीय झील भी स्थित है।, David Leffman, Martin Zatko, Penguin, 2011, ISBN 978-1-4053-8908-2,...

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चंग्त्से

चंग्त्से (Changtse) हिमालय के महालंगूर हिमाल खण्ड का एक पर्वत है। यह तिब्बत में मुख्य रोंगबुक और पूर्व रोंगबुक हिमानियों (ग्लेशियर) के बीच में एवरेस्ट पर्वत से उत्तर में स्थित है। यह विश्व का ४५वाँ सर्वोच्च पर्वत है। चंग्त्से पर्वत से चंग्त्से हिमानी बहती है जो आगे जाकर पूर्व रोंगबुक हिमानी में मिल जाती है। यहाँ पर चंग्त्से झील नामक एक सरोवर भी है जो 6,216 मीटर (20,394 फ़ुट) की ऊँचाई पर है और सम्भवतः विश्व की तीसरी सबसे ऊँची झील है। .

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चोयु

चोयु या चो ओयु (तिब्बती: ཇོ་བོ་དབུ་ཡ, अंग्रेज़ी: Cho Oyu) विश्व का छठा सबसे ऊँचा पर्वत है। यह ८,१८८ मीटर (२६,८६४ फ़ुट) ऊँचा पर्वत हिमालय की महालंगूर हिमाल भाग के खुम्बु उपभाग का पश्चिमतम पर्वत है और एवरेस्ट पर्वत से २० किमी पश्चिम में स्थित है। यह नेपाल और तिब्बत की सीमा पर खड़ा है। चोयु से कुछ ही किलोमीटर पश्चिम में ५,७१६ मीटर (१८,७५३ फ़ुट) की ऊँचाई पर नांगपा ला नामक दर्रा है जो हिमालय के खुम्बु और रोलवालिंग भागों को अलग करता है और तिब्बती लोगों और खुम्बु क्षेत्र के शेरपाओं के बीच का मुख्य व्यापारी मार्ग है। .

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टार्न

टार्न या सर्क झील अथवा गिरिताल एक हिमनद निर्मित स्थलरूप है। सर्क या हिमगह्रवर की घाटी में स्थित चट्टानों पर अत्यधिक हिम के दबाव तथा अधिक गहराई तक अपरदन की क्रिया सम्पन्न होने के कारण छोटे-छोटे अनेक गड्ढ़ों का निर्माण हो जाता है और जब हिम पिघल जाती है तो इसका जल इन गड्ढ़ों में भर जाता है तथा झीलों का निर्माण होता है, इन्हीं झीलों को टार्न या सर्क झील कहते है। टार्न शब्द नार्वेजियन भाषा (के tjörn) से निकला है और इसका अर्थ छोटा तालाब होता है। सामान्यतः ये झीलें छोटे आकार की होती हैं। भारत के हिमालय क्षेत्र में कश्मीर घाटी में गंगाबल झील इस स्थलरूप का एक सुन्दर उदाहरण है। .

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ऍयाफ़्यात्लायोएकुत्ल्ल

20 मार्च 2010 को ऍयाफ़्यात्लायोएकुत्ल्ल ज्वालामुखीय मंडल में फटता हुआ एक मुख ऍयाफ़्यात्लायोएकुत्ल्ल (आइस्लैण्डी: Eyjafjallajökull) आइसलैंड में एक ज्वालामुखी और उस पर स्थित एक बर्फ़ की टोपी है, जिस से कुछ हिमानियाँ (ग्लेशियर) भी चलते हैं। इस ज्वालामुखी का मुख 1,666 मीटर (5,466 फ़ुट) की ऊंचाई पर है। ऍयाफ़्यात्लायोएकुत्ल्ल अक्सर फटता रहता है। सन् 2010 में इसके फटने से पश्चिमोत्तर यूरोप के वायुमंडल में इसकी राख के बादल फैल गए थे जिस से कई हफ़्तों तक हवाई जहाज़ों का यातायात ठप्प रहा।, Amie Jane Leavitt, Capstone Press, 2011, ISBN 978-1-4296-6022-8,...

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एल्ब्रुस पर्वत

एल्ब्रुस पर्वत, जिसके दोनों पश्चिमी और पूर्वी शिखर नज़र आ रहे हैं एल्ब्रुस पर्वत एक सुप्त ज्वालामुखी है जो कॉकस क्षेत्र की कॉकस पर्वत शृंखला में स्थित है। इसके दो शिखर हैं - पश्चिमी शिखर ५,६४२ मीटर (१८,५१० फ़ुट) ऊंचा है और पूर्वी शिखर उस से ज़रा कम ५,६२१ मीटर (१८,४४२ फ़ुट) ऊंचा है। यूरोप और एशिया की सीमा कॉकस के इलाक़े से गुज़रती है और इस बात पर विवाद है के एल्ब्रुस यूरोप में है या एशिया में। अगर इसको यूरोप में माना जाए, तो यह यूरोप का सबसे ऊंचा पर्वत है। एल्ब्रुस रूस के काराचाए-चरकस्सिया क्षेत्र में स्थित है और जॉर्जिया की सीमा के काफ़ी नज़दीक है। .

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झील

एक अनूप झील बैकाल झील झील जल का वह स्थिर भाग है जो चारो तरफ से स्थलखंडों से घिरा होता है। झील की दूसरी विशेषता उसका स्थायित्व है। सामान्य रूप से झील भूतल के वे विस्तृत गड्ढे हैं जिनमें जल भरा होता है। झीलों का जल प्रायः स्थिर होता है। झीलों की एक महत्वपूर्ण विशेषता उनका खारापन होता है लेकिन अनेक झीलें मीठे पानी की भी होती हैं। झीलें भूपटल के किसी भी भाग पर हो सकती हैं। ये उच्च पर्वतों पर मिलती हैं, पठारों और मैदानों पर भी मिलती हैं तथा स्थल पर सागर तल से नीचे भी पाई जाती हैं। किसी अंतर्देशीय गर्त में पाई जानेवाली ऐसी प्रशांत जलराशि को झील कहते हैं जिसका समुद्र से किसी प्रकार का संबंध नहीं रहता। कभी-कभी इस शब्द का प्रयोग नदियों के चौड़े और विस्तृत भाग के लिए तथा उन समुद्र तटीय जलराशियों के लिए भी किया जाता है, जिनका समुद्र से अप्रत्यक्ष संबंध रहता है। इनके विस्तार में भिन्नता पाई जाती है; छोटे छोटे तालाबों और सरोवर से लेकर मीठे पानीवाली विशाल सुपीरियर झील और लवणजलीय कैस्पियन सागर तक के भी झील के ही संज्ञा दी गई है। अधिकांशत: झीलें समुद्र की सतह से ऊपर पर्वतीय प्रदेशों में पाई जाती हैं, जिनमें मृत सागर, (डेड सी) जो समुद्र की सतह से नीचे स्थित है, अपवाद है। मैदानी भागों में सामान्यत: झीलें उन नदियों के समीप पाई जाती हैं जिनकी ढाल कम हो गई हो। झीलें मीठे पानीवाली तथा खारे पानीवाली, दोनों होती हैं। झीलों में पाया जानेवाला जल मुख्यत: वर्ष से, हिम के पिघलने से अथवा झरनों तथा नदियों से प्राप्त होता है। झीले बनती हैं, विकसित होती हैं, धीरे-धीरे तलछट से भरकर दलदल में बदल जाती हैं तथा उत्थान होंने पर समीपी स्थल के बराबर हो जाती हैं। ऐसी आशंका है कि संयुक्त राज्य अमेरिका की बृहत झीलें ४५,००० वर्षों में समाप्त हो जाएंगी। भू-तल पर अधिकांश झीलें उत्तरी गोलार्ध में स्थित हैं। फिनलैंड में तो इतनी अधिक झीलें हैं कि इसे झीलों का देश ही कहा जाता है। यहाँ पर १,८७,८८८ झीलें हैं जिसमें से ६०,००० झीलें बेहद बड़ी हैं। पृथ्वी पर अनेक झीलें कृत्रिम हैं जिन्हें मानव ने विद्युत उत्पादन के लिए, कृषि-कार्यों के लिए या अपने आमोद-प्रमोद के लिए बनाया है। झीलें उपयोगी भी होती हैं। स्थानीय जलवायु को वे सुहावना बना देती हैं। ये विपुल जलराशि को रोक लेती हैं, जिससे बाढ़ की संभावना घट जाती है। झीलों से मछलियाँ भी प्राप्त होती हैं। .

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डारविन पर्वत (ऐन्डीज़)

डारविन पर्वत (अंग्रेज़ी: Mount Darwin, स्पेनी: Monte Darwin) तिएर्रा देल फ़ुएगो पर बीगल जलसंधि से उत्तर में स्थित एक पर्वत है। यह ऐन्डीज़ पर्वतमाला की कोरदियेरा डारविन उपशाखा का सदस्य है। शिस्ट पत्थरों के बने इस पहाड़ की ऊँची दक्षिणी ढलानों पर भीमकाय हिमानियाँ (ग्लेशियर) चलती हैं। किसी ज़माने में यह तिएर्रा देल फ़ुएगो का सबसे बुलन्द पर्वत समझा जाता था लेकिन अब यह ख़िताब 'शिप्टन पर्वत' (Monte Shipton) के अनौपचारिक नाम से बुलाए जाने वाले एक २,५८० मीटर (८,४६० फ़ुट) ऊँचा पहाड़ को जाता है। .

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डॉसन-लैम्बटन हिमानी

डॉसन-लैम्बटन हिमानी (Dawson-Lambton Glacier) पूर्वी अंटार्कटिका के कोट्स धरती क्षेत्र में दक्षिणपूर्वी वेडेल सागर में बहने वाली एक हिमानी (ग्लेशियर) है। यह ब्रंट हिमचट्टान से तुरंत पश्चिम में है। डॉसन-लैम्बटन हिमानी पर बहुत सी गहरी और विस्तृत खाईयाँ हैं। सन् १९५६ में इसके बारे में एक लिखित ब्योरे के अनुसार समुद्र की तरफ़ इसका मुख लगभग ६० मीटर (२०० फ़ुट) ऊँचा और ६५ किमी (४० किमी) चौड़ा है। .

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तिरिच मीर

तिरिच मीर (Tirich Mir) पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त में चित्राल शहर के पास स्थित एक पर्वत है, जो हिन्दु कुश पर्वत शृंखला का सबसे ऊँचा पहाड़ भी है। ७,७०८ मीटर (२५,२८९ फ़ुट) ऊँचा यह पर्वत हिमालय-काराकोरम श्रेणी के बाहर का सबसे ऊँचा पहाड़ है और दुनिया भर का ३३वाँ सबसे ऊँचा शिखर है (बाक़ी ३२ हिमालय-काराकोरम में स्थित हैं)। चित्राल शहर से तिरिच मीर दिखता ही है लेकिन यह पहाड़ इतना विशाल है कि इसे पाकिस्तान की सरहद के पार अफ़्ग़ानिस्तान के कुछ सीमाई इलाक़ों से भी देखा जा सकता है।, Michael Palin, Basil Pao, Macmillan, 2005, ISBN 978-0-312-34162-6,...

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तुर्किस्तान शृंखला

तुर्किस्तान पर्वत शृंखला मध्य एशिया में स्थित एक पर्वत शृंखला है जो पामीर-अलाय पर्वत मंडल का एक भाग है। यह पर्वतों की कतार ज़रफ़शान पर्वत शृंखला से उत्तर में स्थित है और किर्गिज़स्तान और ताजिकिस्तान की सरहद पर अलाय पर्वत शृंखला से शुरू होकर पश्चिम में ३४० किमी दूर उज़्बेकिस्तान में समरक़ंद के नख़्लिस्तान (ओएसिस) पर ख़त्म होती है। .

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त्रिवोर

त्रिवोर काराकोरम पर्वत शृंखला की हिस्पर मुज़ताग़ उपशृंखला का चौथा सबसे ऊँचा पर्वत है। यह पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र में स्थित है, जिसे भारत अपना हिस्सा बताता है। त्रिवोर विश्व का ३९वाँ सबसे ऊँचा पर्वत है। .

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त्सोंगमो झील

त्सोंगमो झील या चंगू झील भारत के सिक्किम राज्य के पूर्व सिक्किम ज़िले में स्थित एक झील है। ३,७८० मीटर की ऊँचाई पर स्थित इस झील का पानी पास की हिमानियों (ग्लेशियर) से आता है। यह सिक्किम की प्रान्तीय राजधानी गंगटोक से ४० किमी दूर है। यहाँ से उत्तर में सड़क मेनमेचो झील से होती हुई नाथू ला (दर्रे) की ओर निकलती है जिसके पार तिब्बत की चुम्बी घाटी स्थित है। पूर्व-पूर्वोत्तर में तिब्बत की सरहद केवल ५ किमी दूर है। सर्दियों में इस झील की सतह जम जाती है। .

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तेरम कांगरी

तेरम कांगरी (Teram Kangri) काराकोरम की सियाचिन मुज़ताग़ उपश्रेणी में एक पर्वतीय पुंजक है। तेरम कांगरी १ इसका सर्वोच्च पर्वत है और यह विश्व का ५६वाँ सर्वोच्च पर्वत भी है। तेरम कांगरी भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य में स्थित है और इसका कुछ भाग चीन के क़ब्ज़े वाली शक्सगाम घाटी में स्थित है जिसे चीन शिंजियांग प्रान्त के अधीन प्रशासित करता है। .

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दरकोट दर्रा

दरकोट दर्रा (Darkot Pass), जो दरकूट दर्रा भी कहलाता है, हिन्दु कुश पर्वतों की हिन्दु राज शृंखला का एक पहाड़ी दर्रा है जो पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के चित्राल ज़िले की बरोग़िल वादी को पाक अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र के ग़िज़र ज़िले की रावत वादी से जोड़ता है। भौगोलिक दृष्टि से यह यरख़ुन नदी घाटी क्षेत्र को यासीन घाटी क्षेत्र से जोड़ता है।, Jason Neelis, pp.

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दिल्ली

दिल्ली (IPA), आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अंग्रेज़ी: National Capital Territory of Delhi) भारत का एक केंद्र-शासित प्रदेश और महानगर है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो भारत की राजधानी है। दिल्ली राजधानी होने के नाते केंद्र सरकार की तीनों इकाइयों - कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के मुख्यालय नई दिल्ली और दिल्ली में स्थापित हैं १४८३ वर्ग किलोमीटर में फैला दिल्ली जनसंख्या के तौर पर भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग १ करोड़ ७० लाख है। यहाँ बोली जाने वाली मुख्य भाषाएँ हैं: हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेज़ी। भारत में दिल्ली का ऐतिहासिक महत्त्व है। इसके दक्षिण पश्चिम में अरावली पहाड़ियां और पूर्व में यमुना नदी है, जिसके किनारे यह बसा है। यह प्राचीन समय में गंगा के मैदान से होकर जाने वाले वाणिज्य पथों के रास्ते में पड़ने वाला मुख्य पड़ाव था। यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। यह भारत का अति प्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारम्भ सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ था। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी। यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं। १६३९ में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने दिल्ली में ही एक चारदीवारी से घिरे शहर का निर्माण करवाया जो १६७९ से १८५७ तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही। १८वीं एवं १९वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लगभग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लिया। इन लोगों ने कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया। १९११ में अंग्रेजी सरकार ने फैसला किया कि राजधानी को वापस दिल्ली लाया जाए। इसके लिए पुरानी दिल्ली के दक्षिण में एक नए नगर नई दिल्ली का निर्माण प्रारम्भ हुआ। अंग्रेजों से १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्त कर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का प्रवासन हुआ, इससे दिल्ली के स्वरूप में आमूल परिवर्तन हुआ। विभिन्न प्रान्तो, धर्मों एवं जातियों के लोगों के दिल्ली में बसने के कारण दिल्ली का शहरीकरण तो हुआ ही साथ ही यहाँ एक मिश्रित संस्कृति ने भी जन्म लिया। आज दिल्ली भारत का एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक केन्द्र है। .

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दक्षिणी ऐल्प्स

दक्षिणी ऐल्प्स (Southern Alps) न्यूज़ीलैण्ड के दक्षिण द्वीप के बीच से गुज़रने वाली एक पर्वतमाला है। उत्तर-दक्षिण दिशा में चलने वाली इस श्रंखला में न्यूज़ीलैण्ड का सबसे ऊँचा पर्वत, ३,७२४ मीटर लम्बा कुक पर्वत (Mount Cook, जिसे आओराकी भी कहते हैं) स्थित है। इसके अलावा इसी पर्वतमाला में १६ अन्य ३,००० मीटर से ऊँचे शिखर भी मौजूद हैं। इस श्रंखला में हज़ारों हिमानियाँ (ग्लेशियर) भी हैं। .

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द्रांग द्रुंग हिमानी

द्रांग द्रुंग हिमानी (Drang-Drung Glacier) या दुरुंग द्रुंग हिमानी (Durung Drung Glacier) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र के कर्गिल ज़िले में स्थित एक हिमानी है। यह हिमालय की ज़ंस्कार पर्वतमाला में कर्गिल-ज़ंस्कार राजमार्ग पर स्थित पेन्सी ला नामक पहाड़ी दर्रे के पास उत्पन्न होती है और डोडा नदी (स्तोद नदी) का स्रोत है। डोडा नदी आगे चलकर ज़ंस्कार नदी की एक मुख्य उपनदी बनती है, जो स्वयं सिन्धु नदी की एक उपनदी है। लद्दाख़ में काराकोरम से बाहर यह सियाचिन हिमानी के बाद दूसरी सबसे बड़ी हिमानी है। .

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दूदीपतसर

दूदीपतसर या दूदीपत झील पाकिस्तान के उत्तरी भाग में ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के मानसेहरा ज़िले की काग़ान घाटी में स्थित एक पर्वतीय झील है। यह एक ठंडी और गहरे नीले रंग की झील है। .

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धरमसर

धरमसर पाकिस्तान के उत्तरी भाग में ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के मानसेहरा ज़िले की काग़ान घाटी में स्थित एक पर्वतीय झील है। यह काराकोरम राजमार्ग पर चिलास से आते हुए बाबूसर दर्रे के सर्वोच्च स्थान से बाई ओर स्थित है। इसके पास इस से कुछ बड़ी सम्बकसार (झील) स्थित है। धरमसर ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा की पाक-अधिकृत कश्मीर से लगी सीमा के पास है।"," Hafiz Fahad Nazir .

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नदी

भागीरथी नदी, गंगोत्री में नदी भूतल पर प्रवाहित एक जलधारा है जिसका स्रोत प्रायः कोई झील, हिमनद, झरना या बारिश का पानी होता है तथा किसी सागर अथवा झील में गिरती है। नदी शब्द संस्कृत के नद्यः से आया है। संस्कृत में ही इसे सरिता भी कहते हैं। नदी दो प्रकार की होती है- सदानीरा या बरसाती। सदानीरा नदियों का स्रोत झील, झरना अथवा हिमनद होता है और वर्ष भर जलपूर्ण रहती हैं, जबकि बरसाती नदियाँ बरसात के पानी पर निर्भर करती हैं। गंगा, यमुना, कावेरी, ब्रह्मपुत्र, अमेज़न, नील आदि सदानीरा नदियाँ हैं। नदी के साथ मनुष्य का गहरा सम्बंध है। नदियों से केवल फसल ही नहीं उपजाई जाती है बल्कि वे सभ्यता को जन्म देती हैं अपितु उसका लालन-पालन भी करती हैं। इसलिए मनुष्य हमेशा नदी को देवी के रूप में देखता आया है। .

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नन्दा देवी पर्वत

नन्दा देवी पर्वत भारत की दूसरी एवं विश्व की २३वीं सर्वोच्च चोटी है।। हिन्दुस्तान लाइव। १४ अक्टूबर २००९ इससे ऊंची व देश में सर्वोच्च चोटी कंचनजंघा है। नन्दा देवी शिखर हिमालय पर्वत शृंखला में भारत के उत्तरांचल राज्य में पूर्व में गौरीगंगा तथा पश्चिम में ऋषिगंगा घाटियों के बीच स्थित है। इसकी ऊंचाई ७८१६ मीटर (२५,६४३ फीट) है। इस चोटी को उत्तरांचल राज्य में मुख्य देवी के रूप में पूजा जाता है।। नवभारत टाइम्स। हरेन्द्र सिंह रावत इन्हें नन्दा देवी कहते हैं। नन्दादेवी मैसिफ के दो छोर हैं। इनमें दूसरा छोर नन्दादेवी ईस्ट कहलाता है। इन दोनों के मध्य दो किलोमीटर लम्बा रिज क्षेत्र है। इस शिखर पर प्रथम विजय अभियान में १९३६ में नोयल ऑडेल तथा बिल तिलमेन को सफलता मिली थी। पर्वतारोही के अनुसार नन्दादेवी शिखर के आसपास का क्षेत्र अत्यंत सुंदर है। यह शिखर २१००० फुट से ऊंची कई चोटियों के मध्य स्थित है। यह पूरा क्षेत्र नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया जा चुका है। इस नेशनल पार्क को १९८८ में यूनेस्को द्वारा प्राकृतिक महत्व की विश्व धरोहर का सम्मान भी दिया जा चुका है। .

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न्यू गिनी ऊच्चभूमि

न्यू गिनी ऊच्चभूमि (New Guinea Highlands, न्यू गिनी हाईलैन्ड्ज़), जो मध्य पर्वतमाला (Central Range या Central Cordillera) भी कहलाती है, एक पर्वतमालाओं और नदी-घाटियों का एक क्षेत्र है जो ऑस्ट्रेलिया से उत्तर में स्थित न्यू गिनी द्वीप के कुछ भागों पर विस्तृत है। यह द्वीप पर पूर्व-पश्चिम दिशा में चलता है। न्यू गिनी द्वीप का पश्चिमी हिस्सा इंदोनीशिया का भाग है और पूर्वी हिस्सा पापुआ न्यू गिनी नामक स्वतंत्र राष्ट्र है। न्यू गिनी ऊच्चभूमि द्वीप के इन दोनों राजनैतिक भागों पर फैली हुई है। भूमध्य रेखा के पास होने के बावजूद इसके कुछ पहाड़ इतने ऊँचे हैं कि उनपर बर्फ़ रहती है और कुछ पर हिमानियाँ (ग्लेशियर) चलती हैं।, Harry Beran, Barry Craig, pp.

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नूनातक

नूनातक (nunatak) किसी हिमानी (ग्लेशियर), हिमचादर या अन्य बर्फ़ से पूरी तरह ढके हुए विस्तृत क्षेत्र में एक बर्फ़-रहित खुला हुआ पथरीला पहाड़, चट्टान या पर्वत होता है। इन्हें अक्सर हिमानी द्वीप (glacial islands) भी कहा जाता है। हिम और बर्फ़ से ढके क्षेत्रों में एक स्थान अक्सर अन्य स्थानों जैसा दिखता है और नूनातकों को स्थान-पहचान व मार्गदर्शन के लिये प्रयोग किया जाता है। नूनातकों पर रहने वाले जीव बर्फ़ से घिरे होने के कारण अक्सर अन्य स्थानों के जीवों से सम्पर्क खो बैठते हैं और उनके वासस्थान अलग-अलग रूपों में विकसित होते हैं। .

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पर्वतारोहण

2004 में नेपाल के इम्जा से (आइलैंड पीक) के 20,305 (6189 मीटर) ऊँचे शिखर पर अपने अंतिम कदम बढ़ाता हुआ पर्वतारोही एक खुली खाई पर्वतारोहण या पहाड़ चढ़ना शब्द का आशय उस खेल, शौक़ अथवा पेशे से है जिसमें पर्वतों पर चढ़ाई, स्कीइंग अथवा सुदूर भ्रमण सम्मिलित हैं। पर्वतारोहण की शुरुआत सदा से अविजित पर्वत शिखरों पर विजय पाने की महत्वाकांक्षा के कारण हुई थी और समय के साथ इसकी 3 विशेषज्ञता वाली शाखाएं बन कर उभरीं हैं: चट्टानों पर चढ़ने की कला, बर्फ से ढके पर्वतों पर चढ़ने की कला और स्कीइंग की कला.

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पामीर नदी

वाख़ान गलियारे का नक़्शा जिसमें पामीर नदी और ज़ोरकुल सरोवर देखे जा सकते है पामीर नदी (फ़ारसी:, दरिया-ए-पामीर) ताजिकिस्तान और अफ़्ग़ानिस्तान की एक नदी है। यह पंज नदी की एक उपनदी है। यह ताजिकिस्तान के सुदूर पूर्वी कोहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रान्त में पामीर पर्वतों की हिमानियों (ग्लेशियर) में उत्पन्न होती है। इसका मुख्य स्रोत ज़ोरकुल सरोवर माना जाता है। यहाँ से आगे इसके मार्ग को अफ़्ग़ानिस्तान के वाख़ान गलियारे की उत्तरी सरहद और ताजिकिस्तान और अफ़्ग़ानिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय सीमा माना जाता है। अफ़्ग़ानिस्तान के लंगर और क़िला-ए-पंज नामक गाँवों के पास इसका विलय वाख़ान नदी से होता है और इस संगम के बाद यह पंज नदी के नाम से जानी जाती है।, World Bank Publications, ISBN 978-0-8213-5890-0 .

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पंचचूली पर्वत

सूर्यास्त काल में मुन्सियारी से पंचचूली का दृश्य पंचचूली पर्वत भारत के उत्तराखंड राज्य के उत्तरी कुमाऊं क्षेत्र में एक हिमशिखर शृंखला है। वास्तव में यह शिखर पांच पर्वत चोटियों का समूह है। समुद्रतल से इनकी ऊंचाई ६,३१२ मीटर से ६,९०४ मीटर तक है। इन पांचों शिखरों को पंचचूली-१ से पंचचूली-५ तक नाम दिये गये हैं।। हिन्दुस्तान लाइव। ९ दिसम्बर २००९। अविनाश शर्मा पंचचूली के पूर्व में सोना हिमनद और मे ओला हिमनद स्थित हैं तथा पश्चिम में उत्तरी बालटी हिमनद एवं उसका पठार है। पंचचूली शिखर पर चढ़ाई के लिए पर्वतारोही पहले पिथौरागढ़ पहुंचते हैं। वहां से मुन्स्यारी और धारचूला होकर सोबला नामक स्थान पर जाना पड़ता है। पंचचूली शिखर पिथौरागढ़ में कुमाऊं के चौकोड़ी एवं मुन्स्यारी जैसे छोटे से पर्वतीय स्थलों से दिखाई देते हैं। वहां से नजर आती पर्वतों की कतार में इसे पहचानने में सरलता होती है। .

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पुमरी छिश

पुमरी छिश (Pumari Chhish) काराकोरम पर्वत शृंखला की हिस्पर मुज़ताग़ उपशृंखला का पाँचवा सबसे ऊँचा पर्वत है। यह पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र में स्थित है, जिसे भारत अपना हिस्सा बताता है। यह विश्व का ५३वाँ सबसे ऊँचा पर्वत है। यह खुनयंग छिश से ४ किमी पूर्व और हिस्पर हिमनद से उत्तर में स्थित है। .

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पुंचाक जाया

पुंचाक जाया (इंडोनेशियाई: पुंचाक: पर्वत, जाया: जय, जीत), जिसे कई बार कारस्टेन्स शिखर (Carstensz Pyramid) भी कहा जाता है, इंडोनेशिया के पापुआ प्रांत में स्थित सुदिरमन पर्वतमाला का एक पर्वत है। यह इंडोनेशिया का सबसे ऊँचा पर्वत है, और साथ ही यह नये गिनी द्वीप और पूरे ओशिआनिया क्षेत्र का भी सबसे ऊँचा पर्वत है। इस पर्वत के भूमध्य रेखा के समीप होने के बावजूद इसकी ऊँचाई के कारण इसपर बर्फ़ का जमावड़ा रहता है और इसपर हिमानियाँ (ग्लेशियर) चलती हैं। वैश्विक ग्रीष्मीकरण की वजह से यह हिमानियाँ सिकुड़ रही हैं और यह पर्यावरणीय वैज्ञानिकों के लिये चिंता का विषय है। .

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प्रवेशिका

प्रवेशिका (inlet) या पतली खाड़ी किसी तट पर एक लम्बी और पतली खाड़ी होती है जिसमें सागर का पानी कुछ दूरी तक भूमीय क्षेत्र में अंदर आया हुआ होता है। जब किसी पहाड़ी क्षेत्र में यह हिमानी द्वारा बनता है जो ऐसी प्रवेशिकाओं को फ़्योर्ड कहा जाता है। .

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प्रेरी

अमेरिका के दक्षिण डकोटा राज्य में प्रेरी पर खड़ा एक घर अमेरिका के आइओवा राज्य में ऍफ़िजी माउंड्स राष्ट्रीय स्मारक क्षेत्र में विस्तृत प्रेरी प्रेरी (अंग्रेज़ी: prairie) पृथ्वी के समशीतोष्ण (यानि टॅम्प्रेट) क्षेत्र में स्थित विशाल घास के मैदानों को कहा जाता है। इनमें तापमान ग्रीष्मऋतु में मध्यम और शीतऋतु में ठंडा रहता है और मध्यम मात्राओं में बर्फ़-बारिश पड़ती है। यहाँ पर वनस्पति जीवन घास, फूस और छोटी झाड़ों के रूप में अधिक और पेड़ों के रूप में कम देखने को मिलता है। ऐसे घासदार मैदानों को उत्तरी अमेरिका में "प्रेरी", यूरेशिया में "स्तॅप" या "स्तॅपी" (steppe), दक्षिण अमेरिका में "पाम्पा" (pampa) और दक्षिण अफ़्रीका में "वॅल्ड" (veld) कहा जाता है। .

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पैंजिया

पैंजिया का मानचित्र पैंजिया, पैन्जेया या पैंजी (प्राचीन यूनानी πᾶν पैन "संपूर्ण" और Γαῖα गैया "पृथ्वी", लैटिन भाषा में जेया से), एक विशाल एकीकृत महाद्वीप (सुपरकॉन्टीनेंट) था जिसका अस्तित्व लगभग 250 मिलियन वर्ष पहले पेलियोजोइक और मिजोजोइक युग के दौरान था; मौजूदा महाद्वीप अपने वर्तमान स्वरूप में इसी में से निकल कर आये हैं। यह नाम अल्फ्रेड वेजेनर के महाद्वीपीय प्रवाह के सिद्धांत की वैज्ञानिक चर्चा में गढ़ा गया था। अपनी पुस्तक "द ओरिजिन ऑफ कॉन्टिनेंट्स एंड ओशंस" (डाई एंटस्टेहंग डर कोंटिनेंट एंड ओजियेन) में उन्होंने माना था कि सभी महाद्वीप बाद में विखंडित होने और प्रवाहित होकर अपने वर्तमान स्थानों पर पहुँचने से पहले एक समय में एक विशाल महाद्वीप का हिस्सा थे जिसे उन्होंने "उरकॉन्टिनेंट" कहा था। पैंजिया शब्द 1928 में अल्फ्रेड वेजेनर के सिद्धांत पर चर्चा के लिए आयोजित एक संगोष्ठी के दौरान प्रकाश में आया। एक विशाल महासागर जो पैंजिया को चारों ओर से घेरे हुए था, तदनुसार उसका नाम पैंथालासा रखा गया। .

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पेच नदी

पेच नदी (Pech River;, दरिया-ए-पेच) पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान में स्थित एक नदी है। यह नूरिस्तान प्रान्त के मध्य भाग में हिन्दु कुश पर्वतों की बर्फ़ और हिमानियों (ग्लेशियरों) से शुरु होकर दक्षिण-दक्षिणपूर्व दिशा में कुनर प्रान्त में प्रवेश करती है और प्रान्तीय राजधानी असदाबाद के पास कुनर नदी में विलय हो जाती है।, David B. Edwards, pp.

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पीने का पानी

नल का पानी पीने का पानी या पीने योग्य पानी, समुचित रूप से उच्च गुणवत्ता वाला पानी होता है जिसका तत्काल या दीर्घकालिक नुकसान के न्यूनतम खतरे के साथ सेवन या उपयोग किया जा सकता है। अधिकांश विकसित देशों में घरों, व्यवसायों और उद्योगों में जिस पानी की आपूर्ति की जाती है वह पूरी तरह से पीने के पानी के स्तर का होता है, लेकिन वास्तविकता में इसके एक बहुत ही छोटे अनुपात का उपयोग सेवन या खाद्य सामग्री तैयार करने में किया जाता है। दुनिया के ज्यादातर बड़े हिस्सों में पीने योग्य पानी तक लोगों की पहुंच अपर्याप्त होती है और वे बीमारी के कारकों, रोगाणुओं या विषैले तत्वों के अस्वीकार्य स्तर या मिले हुए ठोस पदार्थों से संदूषित स्रोतों का इस्तेमाल करते हैं। इस तरह का पानी पीने योग्य नहीं होता है और पीने या भोजन तैयार करने में इस तरह के पानी का उपयोग बड़े पैमाने पर त्वरित और दीर्घकालिक बीमारियों का कारण बनता है, साथ ही कई देशों में यह मौत और विपत्ति का एक प्रमुख कारण है। विकासशील देशों में जलजनित रोगों को कम करना सार्वजनिक स्वास्थ्य का एक प्रमुख लक्ष्य है। सामान्य जल आपूर्ति नेटवर्क पीने योग्य पानी नल से उपलब्ध कराते हैं, चाहे इसका उपयोग पीने के लिए या कपड़े धोने के लिए या जमीन की सिंचाई के लिए किया जाना हो.

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फ़्योर्ड

भूविज्ञान में फ़्योर्ड (fjord, fiord) सागर से जुड़ी हुई एक प्रवेशिका (पतली खाड़ी) होती है जिसके किनारों पर तीखी ढलानों वाली ऊँची चट्टाने या पहाड़ियाँ हों। आमतौर पर इनका निर्माण हिमानियों (ग्लेशियर) द्वारा मार्ग काटने से हुआ होता है। .

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फ़ेदचेन्को हिमानी

सन् २००८ में अंतरिक्ष से ली गई फ़ेदचेन्को हिमानी की तस्वीर फ़ेदचेन्को हिमानी (रूसी: Федченко, अंग्रेज़ी: Fedchenko) मध्य एशिया के ताजिकिस्तान देश के कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रान्त में पामीर पर्वतों में एक बड़ी हिमानी (ग्लेशियर) है। यह एक पतली और लम्बी हिमानी है। ७७ किमी लम्बी और ७०० वर्ग किमी पर विस्तृत यह हिमानी पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों से बहार स्थित सबसे लम्बी हिमानी है। अपनी सबसे मोटी जगह पर इसमें बर्फ़ की गहराई १,००० मीटर है। .

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फ़ोर्थ का नदमुख

फ़र्थ ऑफ फ़ोर्थ यानी फ़ोर्थ का नदमुख(गैलिक:Linne Foirthe), स्कॉटलैंड के फ़ोर्थ नदी का समुद्री मुख है। यहां से फोर्थ नदी उत्तरी सागर से मिलती है। इसके दोनों तटों पर: उत्तर की ओर फ़ाइफ़ और दक्षिण की ओर लोदियन क्षेत्र स्थित हैं। रोमन काल के समय इसे बोडोट्रिया के नाम से जाना जाता था। इसकी दक्षिणी तट पर ही एडिनबर्ग नगर भीस्थित है। .

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फोला गंगचेन

फोला गंगचेन (Phola Gangchen), जिसका चीनी भाषा में रूपांतर मोलामेनचिंग (Molamenqing) है, हिमालय के जुगल हिमाल नामक खण्ड में स्थित शिशापांगमा पर्वत का एक पूर्वी शिखर है। प्रशासनिक रूप से यह दक्षिणी तिब्बत में नेपाल की सीमा के पास खड़ा हुआ है। .

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बन्दरपूँछ

बन्दरपूँछ चोटीबन्दरपूँछ पश्चिमी हिमालय की एक चोटी का नाम है। यह चोटी भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित है। यमुना नदी का उद्गम क्षेत्र बन्दरपूँछ के पश्चिमी यमनोत्री हिमनद में है। श्रेणी:हिमालय के पर्वत श्रेणी:उत्तराखण्ड का भूगोल श्रेणी:उत्तराखण्ड के पर्वत.

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बर्फ़ की टोपी

आइसलैंड की वात्नायोएकुत्ल्ल नामक बर्फ़ की टोपी बर्फ़ की टोपी किसी स्थान पर बर्फ़ की ऐसी स्थाई ढकन को कहते हैं जिसका क्षेत्रफल 50,000 वर्ग किलोमीटर से कम हो। पूरी पृथ्वी पर बर्फ़ की टोपियों से ढाका हुआ इलाक़ा कुल 3 करोड़ वर्ग किमी है। बर्फ़ की टोपी अपने क्षेत्र के सब से ऊँचे भाग पर केन्द्रित होती है और उस से अक्सर कई हिमानियाँ टोपी के बाहरी हिस्सों की तरफ प्रवाह करती हैं। 50,000 वर्ग किमी से ज़्यादा बड़े बर्फ़ से ढके क्षेत्र को "हिमचादर" (आइस शीट) कहते हैं। .

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बाल्तोरो हिमानी

बाल्तोरो हिमानी पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र के बल्तिस्तान उपक्षेत्र में काराकोरम पर्वतमाला में स्थित एक ६२ किमी लम्बी हिमानी (ग्लेशियर) है। यह पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों से बाहर स्थित सबसे लम्बी हिमानियों में से एक है। इसके उत्तर और पूर्व में बाल्तोरो मुज़ताग़ के पर्वत हैं और इसके दक्षिण में माशेरब्रुम पर्वत शृंखला हैं। ८,६११ मीटर (२८,२५१ फ़ुट) ऊँचा के२ इस क्षेत्र का सबसे बुलंद पर्वत है। इसके अलावा यहाँ के बीस किलोमीटर के दायरे के अन्दर तीन और ८,००० मीटर से ऊँचे पहाड़ हैं।, Mike Searle, pp.

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बेरिंजिया

हिमयुग अंत होने पर बेरिंग ज़मीनी पुल धीरे-धीरे समुद्र के नीचे डूब गया अपने चरम पर बेरिंजिया का क्षेत्र (हरे रंग की लकीर के अन्दर) काफ़ी विशाल था हाथी-नुमा मैमथ बेरिजिंया में रहते थे और उस के ज़रिये एशिया से उत्तर अमेरिका भी पहुँचे बेरिंग ज़मीनी पुल (Bering land bridge) या बेरिंजिया (Beringia) एक ज़मीनी पुल था जो एशिया के सुदूर पूर्वोत्तर के साइबेरिया क्षेत्र को उत्तर अमेरिका के सुदूर पश्चिमोत्तर अलास्का क्षेत्र से जोड़ता था। इस धरती के पट्टे की चौड़ाई उत्तर से दक्षिण तक लगभग १,६०० किमी (१,००० मील) थी यानि इसका क्षेत्रफल काफ़ी बड़ा था। पिछले हिमयुग के दौरान समुद्रों का बहुत सा पानी बर्फ़ के रूप में जमा हुआ होने से समुद्र-तल आज से नीचे था जिस वजह से बेरिंजिया एक ज़मीनी क्षेत्र था। हिमयुग समाप्त होने पर बहुत सी यह बर्फ़ पिघली, समुद्र-तल उठा और बेरिंजिया समुद्र के नीचे डूब गया। जब बेरिंजिया अस्तित्व में था तो क्षेत्रीय मौसम अनुकूल होने की वजह से यहाँ बर्फ़बारी कम होती थी और वातावरण मध्य एशिया के स्तेपी मैदानों जैसा था। इतिहासकारों का मानना है कि उस समय कुछ मानव समूह एशिया से आकर यहाँ बस गए। वह बेरिंजिया से आगे उत्तर अमेरिका में दाख़िल नहीं हो पाए क्योंकि आगे भीमकाय हिमानियाँ (ग्लेशियर) उनका रास्ता रोके हुए थीं। इसके बाद बेरिंजिया और एशिया के बीच भी एक बर्फ़ की दीवार खड़ी होने से बेरिंजिया पर चंद हज़ार मानव लगभग ५,००० सालों तक अन्य मानवों से बिना संपर्क के हिमयुग के भयंकर प्रकोप से बचे रहे। आज से क़रीब १६,५०० वर्ष पहले हिमानियाँ पिघलने लगी और वे उत्तर अमेरिका में प्रवेश कर गए। लगभग उसी समय के आसपास बेरिंजिया भी पानी में डूबने लगा और आज से क़रीब ६,००० वर्ष पहले तक तटों के रूप वैसे हो गए जैसे कि आधुनिक युग में देखे जाते हैं। .

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भारत के हिमनदों की सूची

यह भारत के प्रमुख हिमनदों की सूची है। भारत में ज्यादातर हिमनद जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड में पाए जाते हैं। .

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भविष्य विज्ञान

मूर नियम (मूर्ज़ लॉ) भविष्य विज्ञान का एक उदाहरण है भविष्य विज्ञान अध्ययन के उस क्षेत्र को बोलते हैं जिसमें भविष्य में होने वाली घटनाओं और स्थितियों को समझने की कोशिश की जाती है। इस अध्ययन में भिन्न दृष्टिकोणों को लिया जाता है। उदाहरण के लिए अतीत और वर्तमान की स्थितियों के आधार पर भविष्य में उत्पन्न होने वाली चीज़ों की भविष्यवाणी की जा सकती है, जैसे की "मूर नियम" (Moore's Law, मूर्ज़ लॉ) नामक सिद्धांत में अतीत में हुए विकास को देखते हुए इलेक्ट्रोनिक सूक्ष्मीकरण में आने वाले विकास के बारे में भविष्यवानियाँ की गई हैं। या फिर कई संभावित घटनाओं की कल्पना की जा सकती है, ताकि उनसे निबटने की तैयारी की जा सके, जैसा की भूमंडलीय ऊष्मीकरण (ग्‍लोबल वॉर्मिंग) के सन्दर्भ में समुद्र सतह उठने से तटीय इलाक़ों को ख़तरे, हिमानियों के घटने से भारत-चीन में पानी को लेकर झड़पें और फ़सलों को नुकसान की संभावनाओं को परखकर किया जा रहा है। भविष्य विज्ञान में किसी मनचाहे ध्येय को लेकर परिस्थितियों को उसके अनुकूल बनाने के प्रयास को भी गिना जाता है, जैसे की कुछ पूंजीवादी अपना पैसा चिकित्सा, जीव-विज्ञान और अनुवांशिकी में लगा रहे हैं ताकि आगे चलकर इन सभी में विकास और तालमेल होने से मानव जीवन को १५० वर्ष या उस से भी अधिक करने के जुगाड़ बन सकें। विशेषज्ञों और लेखकों में इस बात को लेकर मतभेद है के भविष्य विज्ञान वास्तव में विज्ञान है या कला। .

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भू-आकृति विज्ञान

धरती की सतह भू-आकृति विज्ञान (Geomorphology) (ग्रीक: γῆ, ge, "पृथ्वी"; μορφή, morfé, "आकृति"; और λόγος, लोगोस, "अध्ययन") भू-आकृतियों और उनको आकार देने वाली प्रक्रियाओं का वैज्ञानिक अध्ययन है; तथा अधिक व्यापक रूप में, उन प्रक्रियाओं का अध्ययन है जो किसी भी ग्रह के उच्चावच और स्थलरूपों को नियंत्रित करती हैं। भू-आकृति वैज्ञानिक यह समझने की कोशिश करते हैं कि भू-दृश्य जैसे दिखते हैं वैसा दिखने के पीछे कारण क्या है, वे भू-आकृतियों के इतिहास और उनकी गतिकी को जानने का प्रयास करते हैं और भूमि अवलोकन, भौतिक परीक्षण और संख्यात्मक मॉडलिंग के एक संयोजन के माध्यम से भविष्य के बदलावों का पूर्वानुमान करते हैं। भू-आकृति विज्ञान का अध्ययन भूगोल, भूविज्ञान, भूगणित, इंजीनियरिंग भूविज्ञान, पुरातत्व और भू-तकनीकी इंजीनियरिंग में किया जाता है और रूचि का यह व्यापक आधार इस विषय के तहत अनुसंधान शैली और रुचियों की व्यापक विविधता को उत्पन्न करता है। पृथ्वी की सतह, प्राकृतिक और मानवोद्भव विज्ञान सम्बन्धी प्रक्रियाओं के संयोजन की प्रतिक्रिया स्वरूप विकास करती है और सामग्री जोड़ने वाली और उसे हटाने वाली प्रक्रियाओं के बीच संतुलन के साथ जवाब देती है। ऐसी प्रक्रियाएं स्थान और समय के विभिन्न पैमानों पर कार्य कर सकती हैं। सर्वाधिक व्यापक पैमाने पर, भू-दृश्य का निर्माण विवर्तनिक उत्थान और ज्वालामुखी के माध्यम से होता है। अनाच्छादन, कटाव और व्यापक बर्बादी से होता है, जो ऐसे तलछट का निर्माण करता है जिसका परिवहन और जमाव भू-दृश्य के भीतर या तट से दूर कहीं अन्य स्थान पर हो जाता है। उत्तरोत्तर छोटे पैमाने पर, इसी तरह की अवधारणा लागू होती है, जहां इकाई भू-आकृतियां योगशील (विवर्तनिक या तलछटी) और घटाव प्रक्रियाओं (कटाव) के संतुलन के जवाब में विकसित होती हैं। आधुनिक भू-आकृति विज्ञान, किसी ग्रह के सतह पर सामग्री के प्रवाह के अपसरण का अध्ययन है और इसलिए तलछट विज्ञान के साथ निकट रूप से संबद्ध है, जिसे समान रूप से उस प्रवाह के अभिसरण के रूप में देखा जा सकता है। भू-आकृतिक प्रक्रियाएं विवर्तनिकी, जलवायु, पारिस्थितिकी, और मानव गतिविधियों से प्रभावित होती हैं और समान रूप से इनमें से कई कारक धरती की सतह पर चल रहे विकास से प्रभावित हो सकते हैं, उदाहरण के लिए, आइसोस्टेसी या पर्वतीय वर्षण के माध्यम से। कई भू-आकृति विज्ञानी, भू-आकृतिक प्रक्रियाओं की मध्यस्थता वाले जलवायु और विवर्तनिकी के बीच प्रतिपुष्टि की संभावना में विशेष रुचि लेते हैं। भू-आकृति विज्ञान के व्यावहारिक अनुप्रयोग में शामिल है संकट आकलन जिसमें शामिल है भूस्खलन पूर्वानुमान और शमन, नदी नियंत्रण और पुनर्स्थापना और तटीय संरक्षण। .

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भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव

extreme weather). (Third Assessment Report) इस के अंतर पैनल तौर पर जलवायु परिवर्तन (Intergovernmental Panel on Climate Change)। इस भविष्यवाणी की प्रभावों के ग्लोबल वार्मिंग इस पर पर्यावरण (environment) और के लिए मानव जीवन (human life) कई हैं और विविध.यह आम तौर पर लंबे समय तक कारणों के लिए विशिष्ट प्राकृतिक घटनाएं विशेषता है, लेकिन मुश्किल है के कुछ प्रभावों का हाल जलवायु परिवर्तन (climate change) पहले से ही होने जा सकता है।Raising sea levels (Raising sea levels), glacier retreat (glacier retreat), Arctic shrinkage (Arctic shrinkage), and altered patterns of agriculture (agriculture) are cited as direct consequences, but predictions for secondary and regional effects include extreme weather (extreme weather) events, an expansion of tropical diseases (tropical diseases), changes in the timing of seasonal patterns in ecosystems (changes in the timing of seasonal patterns in ecosystems), and drastic economic impact (economic impact)। चिंताओं का नेतृत्व करने के लिए हैं राजनीतिक (political) सक्रियता प्रस्तावों की वकालत करने के लिए कम (mitigate), समाप्त (eliminate), या अनुकूलित (adapt) यह करने के लिए। 2007 चौथी मूल्यांकन रिपोर्ट (Fourth Assessment Report) के द्वारा अंतर पैनल तौर पर जलवायु परिवर्तन (Intergovernmental Panel on Climate Change) (आईपीसीसी) ने उम्मीद प्रभावों का सार भी शामिल है। .

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भेड़ पीठ शैल

भेड़ पीठ शैल का उदाहरण हिमानी के आगे बढते समय तली में उपस्थित ऊबड-खाबड़ चट्टानें तली अपरदन के कारण धिसकर चिकने, चौरस व सपाट टीलों में परिवर्तित हो जाती हैं, जो दूर से देखने में भेड़ की पीठ जैसी लगती हैं। श्रेणी:हिमानीय स्थलाकृतियाँ श्रेणी:हिमानीय अपरदनात्मक स्थलाकृतियाँ.

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महालंगूर हिमाल

महालंगूर हिमाल (नेपाली: महालंगूर हिमाल) हिमालय का एक भाग है जो पूर्वोत्तरी नेपाल और दक्षिण-मध्य तिब्बत में स्थित है। यह पूर्व में नांगपा ला नामक दर्रे से पश्चिम में अरुण नदी तक विस्तृत है। हिमालय के उपभागों की दृष्टि से इसके पश्चिम में खुम्बु हिमाल (जिस से आगे पश्चिम में रोल्वालिंग हिमाल) और पूर्व में कंचनजंघा हिमाल आता है। पृथ्वी के छ्ह में से चार सर्वोच्च पर्वत - माउंट एवरेस्ट, ल्होत्से, मकालू और चोयु - इसमें शामिल हैं। इसके तिब्बती ओर रोंगबुक और कंगशुंग हिमानियाँ (ग्लेशियर) बहती हैं जबकि नेपाली ओर बरुण, न्गोजुम्बा, खुम्बु और अन्य हिमानियाँ चलती हैं। यह सभी उत्तर व पूर्व में अरुण नदी द्वारा और दक्षिण में दुधकोशी नदी द्वारा कोसी नदी को जल प्रदान करती हैं। .

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मालूबितिंग

मालूबितिंग (Malubiting), जो मालूबितिंग पश्चिम (Malubiting West) भी कहलाता है काराकोरम पर्वतमाला की राकापोशी-हरामोश पर्वतमाला नामक उपश्रेणी का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत है। यह विश्व का 58वाँ सर्वोच्च पर्वत है। प्रशासनिक रूप से यह पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र के गिलगित ज़िले में स्थित है। यह राकापोशी से 40 किमी पूर्व-दक्षिणपूर्व और गिलगित शहर से 50 किमी पूर्व में खड़ा हुआ है। चोगो लुंगमा हिमानी (ग्लेशियर) मालूबितिंग की ढलानों पर ही आरम्भ होता है। .

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मिनियापोलिस

मिनियापोलिस "झीलों का शहर" और "मिलों का शहर" के रूप में उपनाम सहित हेन्नेपिन काउंटी का काउंटी सीट है, जो अमेरिकी राज्य मिनेसोटा का सबसे बड़ा शहर और अमेरिका का 47वां बड़ा शहर है। इसके नाम का श्रेय शहर के पहले स्कूल टीचर को दिया जाता है, जिन्होंने पानी के लिए डकोटा शब्द mni को, तथा शहर के लिए ग्रीक शब्द polis को जोड़ा.

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मिनेसोटा हिमानी

मिनेसोटा हिमानी (Minnesota Glacier) अंटार्कटिका में एल्स्वर्थ पहाड़ियों में स्थित एक ७० किमी लम्बी और ९ किमी चौड़ी हिमानी (ग्लेशियर) है। इसमें पश्चिम में स्थित पठार और निमिट्ज़ व स्प्लेट्सटोसर हिमानियों से बर्फ़ का बहाव आता है और एल्स्वर्थ पहाड़ियों को सेंटिनल पर्वतमाला और हेरिटेज पर्वतमाला में विभाजित करता है। एल्स्वर्थ पहाड़ियों के पूर्व में मिनेसोटा हिमानी का उस से बड़े रटफ़ोर्ड हिम-प्रवाह में विलय हो जाता है। .

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मकड़ा पर्वत

मकड़ा (अंग्रेज़ी: Makra Peak, उर्दु: مکڑا چوٹی, मकड़ा चोटी) पाकिस्तान के उत्तरी भाग में ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के मानसेहरा ज़िले की काग़ान घाटी क्षेत्र में एक रमणीय पर्वत है। इसकी ढलानों की हिमानियों (ग्लेशियर) का पिघलता पानी कुनहार नदी (नैनसुख नदी) को जल प्रदान करता है। यह काग़ान वादी का सबसे ऊँचा पर्वत नहीं है क्योंकि वह ख़िताब मलिका परबत को जाता है। .

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मुज़ताग़ टावर

मुज़ताग़ टावर (Muztagh Tower) काराकोरम पर्वतमाला की बाल्तोरो मुज़ताग़ उपश्रेणी का एक ऊँचा पर्वत है। यह पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र और चीन द्वारा अधिकृत शक्सगाम घाटी की सीमा पर स्थित है। भारत के अनुसार यह क्षेत्र उसकी सम्प्रभुता में आता है। यह विश्व का ९१वाँ सर्वोच्च पर्वत है। .

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मुज़ार्त नदी

तारिम नदी के जलसम्भर क्षेत्र के इस नक़्शे में मुज़ार्त / मुज़ात नदी का मार्ग भी देखा जा सकता है मुज़ार्त नदी (उईग़ुर:, मुज़ार्त दरियासी; अंग्रेज़ी: Muzart River; चीनी: 木扎尔特河), जिसे कभी-कभी मुज़ात नदी भी कहते हैं, जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त के आक़्सू विभाग में बहने वाली एक नदी का नाम है। यह तारिम नदी की एक उपनदी है और उसमें बाई तरफ़ से विलय होती है। २०वीं सदी की शुरुआत के कुछ स्रोतों में इसका नाम शाह यार दरिया भी मिलता है। .

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यान मायेन

यान मायेन द्वीप (Jan Mayen) आर्कटिक महासागर में स्थित एक ज्वालामुखीय द्वीप है जो नोर्वे का अंग है। यान मायेन द्वीप आइसलैंड से 600 किमी पूर्वोत्तर, ग्रीनलैंड से 500 किमी पूर्व और नोर्वे के पश्चिमोत्तरी छोर से 1,000 किमी पश्चिम में स्थित है। इस पूर्वोत्तर-से-दक्षिणपश्चिम 55 किमी लम्बे और 373 वर्ग किमी क्षेत्रफल वाले द्वीप के कुछ भाग पर हिमानियाँ (ग्लेशियर) विस्तृत हैं। द्वीप के दो मुख्य भाग हैं: पूर्वोत्तर का बड़ा 'नॉर्द यान' (Nord-Jan) हिस्सा और दक्षिणपश्चिम का छोटा 'सोर-यान' (Sør-Jan) हिस्सा जो एक 2.5 किमी चौड़े भूडमरू (इस्थ्मस) से जुड़े हुए हैं। द्वीप के उत्तर में 2,277 मीटर (7,470 फ़ुट) ऊँचा बीरेनबर्ग​ (Beerenberg) ज्वालामुखी स्थित है। द्वीप के उत्तर और दक्षिणी हिस्से को जोड़ने वाले जलडमरू पर दो झीलें हैं जिन्हें नॉर्दलागूना (Nordlaguna, उत्तर झील) और सोरलागूना (Sørlaguna, दक्षिण झील) कहते हैं। इस टापू का निर्माण समुद्रतल में एक 'यान मायेन हॉटस्पॉट (गर्मछिद्र)' नामक ज्वालामुखीय दरार से लावा उगलने से हुआ था। .

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युकशिन गर्दन सर

युकशिन गर्दन सर (Yukshin Gardan Sar) काराकोरम पर्वत शृंखला की हिस्पर मुज़ताग़ उपशृंखला का छठा सबसे ऊँचा पर्वत है। यह पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र में स्थित है, जिसे भारत अपना हिस्सा बताता है। यह विश्व का ५५वाँ सबसे ऊँचा पर्वत है। .

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यू आकार की घाटी

यू आकार की घाटी का निर्माण हिमनदों द्वारा होता है और इसका नामकरण अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षर "U" के आधार पर हुआ है जिससे इस घाटी की आकृति मिलती है। पर्वतीय भागों में हिमानियों द्वारा बनायी गयी घाटियां पार्श्ववर्ती और तली अपरदन के कारण सपाट तल वाली तथा चौरस खुली हुई होती हैं। अपरदन के कारण इनके दोनों किनारे काफी समानान्तर एव अन्नतोदर ढाल वाले बन जाते हैं। .

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राकापोशी-हरामोश पर्वतमाला

राकापोशी-हरामोश पर्वतमाला (Rakaposhi-Haramosh Mountains) जम्मू और कश्मीर के काराकोरम पर्वतमाला की एक उपश्रेणी है। यह पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित बल्तिस्तान क्षेत्र के गिलगित ज़िले में स्थित है। इसके उत्तर में बरपु व चोगो लुंगमा हिमानियाँ (ग्लेशियर), पूर्व में शिगर नदी, दक्षिण में गिलगित व सिन्धु नदियाँ और पश्चिम में हुन्ज़ा नदी इसे घेरे हुए हैं।Jerzy Wala, Orographical Sketch Map of the Karakoram, Swiss Foundation for Alpine Research, Zurich, 1990.

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रुआपेहू पर्वत

रुआपेहू पर्वत (Mount Ruapehu), जिसे केवल रुआपेहू भी कहा जाता है, न्यूज़ीलैण्ड के उत्तर द्वीप के ताऊपो ज्वालामुखीय क्षेत्र के दक्षिणी छोर पर स्थित एक सक्रीय मिश्रित ज्वालामुखी (स्ट्रैटोवोल्केनो) है। यह ताऊपो झील के दक्षिणी तट से ४० किमी की दूरी पर टोंगारीरो राष्ट्रीय उद्यान (Tongariro National Park) में विराजमान है। उत्तर द्वीप कि सभी हिमानियाँ (ग्लेशियर) इसी पर्वत की ढलानो पर स्थित हैं। रुआपेहू दुनिया के सबसे सक्रीय ज्वालामुखियों में से एक है और न्यूज़ीलैण्ड का सबसे बड़ा ज्वालामुखी है। यह उत्तर द्वीप का सबसे ऊँचा बिन्दु है और इसके तीन प्रमुख शिखर हैं: २७९७ मीटर ऊँचा ताहूरांगी (Tahurangi), २७५५ मीटर ऊँचा ते हेउहेउ (Te Heuheu) और २७५१ मीटर ऊँचा पारेतेतातोंगा (Paretetaitonga)। इन शिखरों के दरमियान एक गहरा ज्वालामुखीय क्रेटर है जहाँ से समय-समय पर विस्फोट होता है। विस्फोटों के बीच के शान्त काल में इसमें पानी भरने से एक ज्वालामुखीय झील बन जाती है। .

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रॉस द्वीप, अंटार्कटिका

रॉस द्वीप (Ross Island) अंटार्कटिका महाद्वीप की मुख्यभूमि के समीप चार ज्वालामुखियों द्वारा बनाया गया एक द्वीप है। यह अंटार्कटिका के विक्टोरिया धरती नामक क्षेत्र में रॉस सागर की मैक्मरडो खाड़ी में स्थित है। .

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लटकती घाटी

योसेमीते नेशनल पार्क में '''लटकती घाटी''' से गिरता हुआ ब्रिडलवेइल जलप्रपात लटकती घाटियों की रचना उस समय होती है, जब हिमानी की मुख्य घाटी में मिलने वाली सहायक हिमानियों की घाटियों का तल उसकी अपेक्षा काफी ऊंचा दिखाई देता हैं और ये सहायक घाटियां मुख्य घाटी पर लटकती सी दिखायी देती हैं। लटकती घाटियों का निर्माण मुख्य घाटी एवं सहायक घाटियों की अपरदन क्रिया में विभिन्न्ता के कारण होता हैं। श्रेणी:हिमानीय स्थलाकृतियाँ श्रेणी:हिमानीय अपरदनात्मक स्थलाकृतियाँ.

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लाबुचे कांग

लाबुचे कांग (Labuche Kang) या लाबुचे कांग १ (Labuche Kang I) या चोकसिआम (Choksiam) हिमालय का एक पर्वत है जो तिब्बत में स्थित है। यह विश्व का 75वाँ सर्वोच्च पर्वत है। हिमालय के समीपी खण्ड को कभी-कभी "लाबुचे हिमाल" या "पमारी हिमाल" भी कहते हैं। यह रोल्वालिंग हिमाल से पश्चिमोत्तर और शिशापांगमा से पूर्व में स्थित है। .

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लुपग़र सर

लुपग़र सर (Lupghar Sar) काराकोरम पर्वत शृंखला की हिस्पर मुज़ताग़ उपशृंखला एक पर्वत है। यह पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र में स्थित है, जिसे भारत अपना हिस्सा बताता है। यह विश्व का १०९वाँ सबसे ऊँचा पर्वत है। .

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लूलूसर

लूलूसर या लालूसर (दोनों नाम प्रचलित हैं) पाकिस्तान के उत्तरी भाग में ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के मानसेहरा ज़िले की काग़ान घाटी में स्थित एक पर्वतीय झील और पर्वतों का समूह है। ३,४१० मीटर (११,१९० फ़ुट) की ऊँचाई पर स्थित यह झील कुनहार नदी का मूल स्रोत है। यह एक बड़ा पर्यटक-आकर्षण है। .

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शन्दूर दर्रा

शन्दूर दर्रा (Shandur Pass) पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र के ग़िज़र ज़िले में स्थित एक पहाड़ी दर्रा है जो ग़िज़र ज़िले को ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के चित्राल ज़िले से जोड़ता है। दर्रे के ऊपरी क्षेत्र में १२,२०० फ़ुट (३,७०० मीटर) की ऊँचाई पर एक पठारी इलाक़ा है जिसे शन्दूर टॉप (Shandur Top) के नाम से बुलाया जाता है। यहाँ शन्दूर झील स्थित है जो पास की हिमानी (ग्लेशियर) से भरती है और गिलगित नदी का स्रोत है।, S. Amjad Hussain, Literacy Circle of Toledo, 1998,...

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शिन्नान हिमानी

शिन्नान हिमानी (अंग्रेज़ी: Shinnan Glacier, जापानी: 新南氷河, शिन्नान ह्योगा) पूर्वी अंटार्कटिका के रानी मौड धरती व एन्डर्बी धरती क्षेत्रों की सीमा पर और शिन्नान चट्टानों से पश्चिम में स्थित एक हिमानी (ग्लेशियर) है। यह हिमानी पश्चिमोत्तर दिशा में चलकर सागर में बह जाती है। इसे सन् १९५७-१९६२ काल में चलने वाले जापानी अंटार्कटिक शोध यात्रा (Japanese Antarctic Research Expedition, JARE) ने विमान से देखा था और "शिन्नान ह्योगा" का नाम दिया। .

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शिमशाल

शिमशाल (Shimshal) पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र के हुन्ज़ा-नगर ज़िले की गोजाल तहसील में स्थित एक गाँव है। यह ३,१०० मीटर की ऊँचाई पर बसा हुआ है और हुन्ज़ा वादी की सबसे ऊँची बस्ती है। शिमशाल गाँव में वाख़ी भाषा बोलने वाले लगभग २,००० लोग रहते हैं जो शिया धर्म की इस्माइली शाखा के अनुयायी हैं। यहाँ पहुँचना बहुत कठिन हुआ करता था लेकिन अक्टूबर २००३ के बाद पस्सू से यहाँ सड़क बनाकर इसे काराकोरम राजमार्ग से जोड़ दिया गया।, Lindsay Brown, Paul Clammer, Rodney Cocks, John Mock, pp.

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शक्सगाम नदी

शक्सगाम नदी काराकोरम पर्वतों के यहाँ दिख रहे उत्तरपूर्वी क्षेत्र से उत्पन्न होती है शक्सगाम नदी (चीनी: 沙克斯干河, अंग्रेजी: Shaksgam River) सुदूर उत्तरी कश्मीर के काराकोरम पर्वतों से उभरने वाली एक नदी है जो यारकन्द नदी की एक उपनदी भी है। शक्सगाम नदी को केलेचिन नदी और मुज़ताग़ नदी के नामों से भी जाना जाता है। यह काराकोरम शृंखला की गाशेरब्रुम, उरदोक, स्ताग़र, सिन्ग़ी और क्याग़र हिमानियों (ग्लेशियरों) से शुरू होती है और फिर शक्सगाम वादी में काराकोरम शृंखला के साथ-साथ पश्चिमोत्तरी दिशा में चलती है। इसमें शिमशाल ब्रल्दु नदी और फिर ओप्रांग नदी का विलय होता है और इन दोनों संगमों के बीच में शक्सगाम नदी पाकिस्तान और चीन के आपसी समझौते के अनुसार उन दोनों देशों के बीच की अंतरराष्ट्रीय सीमा है। भारत इस बात से पूरा इनकार करता है और इस पूरे क्षेत्र को अपने जम्मू और कश्मीर राज्य का हिस्सा मानता है। सर्दियों में पास के शिमशाल गाँव के लोग इस क्षेत्र का प्रयोग अपने मवेशी चराने के लिए करते हैं और यह तारिम द्रोणी में स्थित इकलौता पाकिस्तान-नियंत्रित इलाक़ा है।, Sharad Singh Negi, Indus Publishing, 1991, ISBN 978-81-85182-61-2,...

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शृंग पुच्छ

शृंग पुच्छ एक हिमानी निर्मित स्थलरूप है जिसे अंग्रेज़ी में क्रेग एण्ड टेल कहते हैं।हिमानी के मार्ग में बेसाल्ट या अन्य किसी कठोर चट्टान के आ जाने से उसका अपरदन नहीं हो पाता, किन्तु चट्टान के अभिमुख ढाल की समीपवर्ती कोमल चट्टान को तीव्रता से काट डालती हैं तथा ढाल के दूसरी ओर उतरने लगता हैं तो प्लग के साथ जुडी दूसरी ओर की चट्टान कम अपरदित हो पाती हैं क्योकी हिमनद द्वारा यहां पस शैल को संरक्षण प्राप्त होता हैं, इस कारण दूसरी ओर की ढाल हल्का एवं मंद होता हैं। यह ढाल दूर तक फैला होता हैं तथा देखने में बेसाल्ट ग्रीवा या श्रंग के पीछे जुडी एक लम्बी पूंछ के समान लगता हैं। इस प्रकार बेसाल्ट या प्लग वाले ऊचे भाग को शृंग तथा उसके पीछे वाले भाग को पुच्छ कहते हैं। .

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शैल

कलराडो स्प्रिंग्स कंपनी का गार्डेन ऑफ् गॉड्स में स्थित ''संतुलित शैल'' कोस्टा रिका के ओरोसी के निकट की चट्टानें पृथ्वी की ऊपरी परत या भू-पटल (क्रस्ट) में मिलने वाले पदार्थ चाहे वे ग्रेनाइट तथा बालुका पत्थर की भांति कठोर प्रकृति के हो या चाक या रेत की भांति कोमल; चाक एवं लाइमस्टोन की भांति प्रवेश्य हों या स्लेट की भांति अप्रवेश्य हों, चट्टान अथवा शैल (रॉक) कहे जाते हैं। इनकी रचना विभिन्न प्रकार के खनिजों का सम्मिश्रण हैं। चट्टान कई बार केवल एक ही खनिज द्वारा निर्मित होती है, किन्तु सामान्यतः यह दो या अधिक खनिजों का योग होती हैं। पृथ्वी की पपड़ी या भू-पृष्ठ का निर्माण लगभग २,००० खनिजों से हुआ है, परन्तु मुख्य रूप से केवल २० खनिज ही भू-पटल निर्माण की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। भू-पटल की संरचना में ऑक्सीजन ४६.६%, सिलिकन २७.७%, एल्यूमिनियम ८.१ %, लोहा ५%, कैल्सियम ३.६%, सोडियम २.८%, पौटैशियम २.६% तथा मैग्नेशियम २.१% भाग का निर्माण करते हैं। .

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समुद्री बर्फ़

मार्च से सितम्बर के मध्य आर्कटिक की बर्फ की मात्रा मे परिवर्तनसमुद्री बर्फ का निर्माण नमकीन महासागरीय जल से होता है, इसलिए यह -1.8 °C (सेल्सियस) (28.8 °F) पर निर्मित होती है। समुद्री बर्फ महासागरों में पाये जाने वाले उन हिमशैलों से अलग है जो हिमनदों का हिस्सा होते हैं और जो समुद्र में इनसे टूट कर बनते हैं। हिमशैल चूंकि संपीडित हिम से निर्मित होते हैं इसलिए यह ताजे पानी के स्रोत होते हैं। कुछ समुद्री बर्फ स्थायी रूप से जमी रहती है जबकि इसके कुछ हिस्से मौसमी परिवर्तन के चलते पिघल जाते हैं, इसलिए नौगमन के लिए इन क्षेत्रों में इसकी जानकारी अत्यावश्यक है। .

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सरस्वती नदी

सरस्वती एक पौराणिक नदी जिसकी चर्चा वेदों में भी है। ऋग्वेद (२ ४१ १६-१८) में सरस्वती का अन्नवती तथा उदकवती के रूप में वर्णन आया है। यह नदी सर्वदा जल से भरी रहती थी और इसके किनारे अन्न की प्रचुर उत्पत्ति होती थी। कहते हैं, यह नदी पंजाब में सिरमूरराज्य के पर्वतीय भाग से निकलकर अंबाला तथा कुरुक्षेत्र होती हुई कर्नाल जिला और पटियाला राज्य में प्रविष्ट होकर सिरसा जिले की दृशद्वती (कांगार) नदी में मिल गई थी। प्राचीन काल में इस सम्मिलित नदी ने राजपूताना के अनेक स्थलों को जलसिक्त कर दिया था। यह भी कहा जाता है कि प्रयाग के निकट तक आकार यह गंगा तथा यमुना में मिलकर त्रिवेणी बन गई थी। कालांतर में यह इन सब स्थानों से तिरोहित हो गई, फिर भी लोगों की धारणा है कि प्रयाग में वह अब भी अंत:सलिला होकर बहती है। मनुसंहिता से स्पष्ट है कि सरस्वती और दृषद्वती के बीच का भूभाग ही ब्रह्मावर्त कहलाता था। .

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सराग़रार

सराग़रार (سراغرار, Saraghrar) हिन्दू कुश पर्वतमाला का चौथा सर्वोच्च पर्वत है (तिरिच मीर, नोशक और इस्तोर-ओ-नल के बाद)। यह पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के चित्राल ज़िले में स्थित है। यह विश्व का 78वाँ सर्वोच्च पर्वत है। .

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ससेर कांगरी

ससेर कांगरी (Saser Kangri) काराकोरम पर्वतमाला की ससेर मुज़ताग़ नामक उपश्रेणी के एक पुंजक का नाम है। इसमें कई पर्वत आते हैं जिनमें से ससेर कांगरी १ सबसे ऊँचा है। यह सब भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ क्षेत्र में स्थित हैं। .

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सामी लोग

कुछ सामी लोग स्कैंडिनेविया में सामी लोगों की मातृभूमि 1900 के आसपास नॉर्वे में सामी परिवार। सामी लोग (Sami, Saami या Sámi) उत्तरी स्वीडन, नॉर्वे, फिनलैंड और रूस के कोला प्रायद्वीप में बसने वाले एक आदिवासी समुदाय का नाम है। यह जिस आर्कटिक क्षेत्र में रहते हैं उसे सापमी (Sápmi) भी बुलाया जाता है और इसका क्षेत्रफल लगभग ३,८८,३५० किमी२ है। मूल रूप से यह लोग सामी भाषाएँ बोलते हैं जो युराली भाषा-परिवार की एक शाखा है। पारम्परिक रूप से इनका व्यवसाय रेनडियर-पालन, मछली पकड़ना, भेड़ चराना और जंगली जानवरों का शिकार करना हुआ करता था। सामियों की कुल आबादी १.५ से २ लाख के बीच अनुमानित की गई है। .

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सियाचिन हिमनद

सियाचिन हिमानी या सियाचिन ग्लेशियर हिमालय की पूर्वी काराकोरम पर्वतमाला में भारत-पाक नियंत्रण रेखा के पास लगभग स्थित एक हिमानी (ग्लेशियर) है। यह काराकोरम की पांच बड़े हिमानियों में सबसे बड़ा और ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर (ताजिकिस्तान की फ़ेदचेन्को हिमानी के बाद) विश्व की दूसरी सबसे बड़ा हिमानी है। समुद्रतल से इसकी ऊँचाई इसके स्रोत इंदिरा कोल पर लगभग 5,753 मीटर और अंतिम छोर पर 3,620 मीटर है। सियाचिन हिमानी पर 1984 से भारत का नियंत्रण रहा है और भारत इसे अपने जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख़ खण्ड के लेह ज़िले के अधीन प्रशासित करता है। पाकिस्तान ने इस क्षेत्र से भारत का नियंत्रण अन्त करने के कई विफल प्रयत्न करे हैं और वर्तमानकाल में भी सियाचिन विवाद जारी रहा है। .

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सिक्किम

(या, सिखिम) भारत पूर्वोत्तर भाग में स्थित एक पर्वतीय राज्य है। अंगूठे के आकार का यह राज्य पश्चिम में नेपाल, उत्तर तथा पूर्व में चीनी तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र तथा दक्षिण-पूर्व में भूटान से लगा हुआ है। भारत का पश्चिम बंगाल राज्य इसके दक्षिण में है। अंग्रेजी, नेपाली, लेप्चा, भूटिया, लिंबू तथा हिन्दी आधिकारिक भाषाएँ हैं परन्तु लिखित व्यवहार में अंग्रेजी का ही उपयोग होता है। हिन्दू तथा बज्रयान बौद्ध धर्म सिक्किम के प्रमुख धर्म हैं। गंगटोक राजधानी तथा सबसे बड़ा शहर है। सिक्किम नाम ग्याल राजतन्त्र द्वारा शासित एक स्वतन्त्र राज्य था, परन्तु प्रशासनिक समस्यायों के चलते तथा भारत से विलय के जनमत के कारण १९७५ में एक जनमत-संग्रह के अनुसार भारत में विलीन हो गया। उसी जनमत संग्रह के पश्चात राजतन्त्र का अन्त तथा भारतीय संविधान की नियम-प्रणाली के ढाचें में प्रजातन्त्र का उदय हुआ। सिक्किम की जनसंख्या भारत के राज्यों में न्यूनतम तथा क्षेत्रफल गोआ के पश्चात न्यूनतम है। अपने छोटे आकार के बावजूद सिक्किम भौगोलिक दृष्टि से काफ़ी विविधतापूर्ण है। कंचनजंगा जो कि दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है, सिक्किम के उत्तरी पश्चिमी भाग में नेपाल की सीमा पर है और इस पर्वत चोटी चको प्रदेश के कई भागो से आसानी से देखा जा सकता है। साफ सुथरा होना, प्राकृतिक सुंदरता पुची एवं राजनीतिक स्थिरता आदि विशेषताओं के कारण सिक्किम भारत में पर्यटन का प्रमुख केन्द्र है। .

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सुम्गल

अंतरिक्ष से ली गई इस तस्वीर में लद्दाख़ का सुम्गल बस्ती, ख़ोतान क्षेत्र की पूषा बस्ती और उन्हें जोड़ता हुआ हिन्दूताश दर्रा (लाल रंग में) देखा जा सकता है सन् १९११ में बनाए भारतीय भौगोलिक निरीक्षण में ओरल स्टाइन द्वारा बनाये गए इस नक़्शे में सुम्गल और हिन्दूताश दवान देखे जा सकते हैं सुम्गल लद्दाख़ के अक्साई चीन क्षेत्र में काराकाश नदी की वादी में स्थित एक उजड़ी हुई बस्ती है। यह उस क्षेत्र में पड़ता है जिसे भारत अपना अंग मानता है लेकिन जिसपर चीन का क़ब्ज़ा है। चीन ने इसे शिनजियांग प्रान्त का हिस्सा घोषित कर दिया है। लद्दाख़ क्षेत्र के सुम्गल से लगभग उत्तर में हिन्दूताश दर्रा है जिस से कुनलुन पर्वत शृंखला पार करके ऐतिहासिक ख़ोतान क्षेत्र पहुँचा जा सकता है, इसलिए सुम्गल भारत की मुख्यभूमि को ख़ोतान राज्य से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण मार्ग पर एक अहम पड़ाव हुआ करता था। .

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स्टैनकोम्ब-विल्ज़ हिमानी

स्टैनकोम्ब-विल्ज़ हिमानी (Stancomb-Wills Glacier) पूर्वी अंटार्कटिका के रानी मौड धरती क्षेत्र की एक बड़ी हिमानी (ग्लेशियर) है जिसकी हिमधारा पूर्वी वेडेल सागर में बह जाती है। यह प्रवाह पास के लिडन द्वीप से बिलकुल दक्षिण में है। स्टैनकोम्ब-विल्ज़ हिमानी का सबसे पहचाने जाने वाल पेहलू इसकी "जीभ" है। स्टैनकोम्ब-विल्ज़ हिमानी जिह्वा (Stancomb-Wills Glacier Tongue) कहलाने वाली यह हिम-आकृति २३० किमी लम्बी है। यह जिह्वा अंत में ३० किमी चौड़ी और बीच के कुछ स्थानों पर ५० किमी चौड़ी तक है। यदि जिह्वा की बर्फ़ की ऊँचाई मापी जाए तो यह आसपास की हिमचादर की बर्फ़ से लगभग १० मीटर ऊँची भी है, यानि जिह्वा आसानी से अलग देखी जा सकती है। वेडेल सागर पहुँचकर यह समुद्री बर्फ़ तक जाती है। .

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स्वामी सुंदरानंद

स्वामी सुंदरानंद विश्व में फोटोग्राफर, पर्वतारोही और योगी के रूप में प्रसिद्ध हैं। स्वामी जी पिछले पचास सालों में सिकुड़ते गंगोत्री ग्लेशियर के पचास हजार से ज्यादा फोटो ले चुके हैं और देश दुनिया को इस खतरे से आगाह करते रहे हैं। इस आर्ट सेंटर में वह वे चीजें भी प्रदर्शित करेंगे जो उन्होंने हिमालय में घुमक्कडी के दौरान एकत्र किए हैं। इनमें अद्भुत आकार वाली पेडों की जडें, अद्भुत पत्थर आदि भी शामिल हैं। साधु से ज्यादा एक फोटोग्राफर के रूप में प्रसिद्ध स्वामी सुंदरानंद देश के अलावा अमेरिका और यूरोप के कई शहरों में अपनी फोटो प्रदर्शनियां लगा चुके हैं। उन्हें हिमालय का विशेषज्ञ भी कहा जा सकता है। पिछले पचास सालों में सिकुडते गंगोत्री ग्लेशियर के पचास हजार से ज्यादा फोटो ले चुके हैं और देश दुनिया को इस खतरे से आगाह करते रहे हैं। स्वामी सुंदरानंद हिमालया: थू्र द लेंस ऑफ ए साधु पुस्तक भी लिख चुके हैं। उन पर जाने माने डाक्यूमेंट्रीफिल्म निर्माता विक्टर डेम्को 157 मिनट की पर्सनल टाइम विद स्वामी जी नामक डॉक्यूमेंट्री बना चुके हैं। हाल में ही स्वामी सुंदरानंद पर डिस्कवरी चैनल भी एक लंबा कार्यक्रम दिखा चुका है। स्वामी जी के अनुसार गंगा के उद्गम गंगोत्री में देश की सबसे बडी फोटो गैलरी बनेगी। संभवत: यह हिमालय पर आधारित ऐसी अनोखी गैलरी होगी, जिसमें हिमालय के दुर्गम इलाकों के एक लाख से ज्यादा दुर्लभतम छायाचित्र एक छत के नीचे होंगे। यह आर्ट सेंटर उनके आध्यात्मिक गुरु स्वामी तपोवनजी महाराज को समर्पित होगा। आर्ट सेंटर में वह अपने गुरु द्वारा रचे गए साहित्य को तो प्रदर्शित करेंगे ही, उन छायाचित्रों को भी प्रदर्शित करेंगे जो उन्होंने अपने लगभग साठ साल के हिमालय प्रवास के दौरान खींचे हैं। यह आर्ट सेंटर उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री में 10,300 फीट ऊंचाई पर स्थित तपोवन कुटी में बनेगा। इस आर्ट सेंटर में वह वे चीजें भी प्रदर्शित करेंगे जो उन्होंने हिमालय में घुमक्कडी के दौरान एकत्र किए हैं। साधु से ज्यादा एक फोटोग्राफर के रूप में प्रसिद्ध स्वामी सुंदरानंद देश के अलावा अमेरिका और यूरोप के कई शहरों में अपनी फोटो प्रदर्शनियां लगा चुके हैं। उन्हें हिमालय का विशेषज्ञ भी कहा जा सकता है। .

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स्वालबार्ड

स्वालबार्ड (नॉर्वेजियाई: Svalbard) आर्कटिक महासागर में स्थित एक द्वीप समूह है जो नोर्वे का उत्तरतम इलाक़ा भी है। यह यूरोप की मुख्यभूमि से क़रीब 400 मील दूर नोर्वे और उत्तरी ध्रुव के बीच स्थित है। स्पिट्स्बर्गन (Spitsbergen) इस समूह का सबसे बड़ा द्वीप है और नोर्डआउस्ट्लैंडेट​ (Nordaustlandet) और एडगेओया (Edgeøya) इसके दूसरे और तीसरे सबसे बड़े द्वीप हैं। .

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स्कर्दू ज़िला

स्कर्दू ज़िला​ पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र का एक ज़िला है। इसकी राजधानी स्कर्दू नामक शहर ही है, जो बलतिस्तान के सबसे महत्वपूर्ण शहरों में से एक है। दक्षिण में इस ज़िले की सीमाएँ भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य के करगिल ज़िले से लगती हैं। उत्तर में इसकी सरहद शक्सगाम वादी से लगती हैं जिसे भारत अपना भाग मानता है लेकिन जिसे पाकिस्तान ने चीन के नियंत्रण में दे दिया है - चीन इस शिनजियांग प्रान्त का भाग मानकर प्रशासित करता है। .

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स्क्यांग कांगरी

स्क्यांग कांगरी (Skyang Kangri) या सीढ़ी पर्वत (Staircase Peak) काराकोरम पर्वतमाला की बाल्तोरो मुज़ताग़ उपश्रेणी का एक ऊँचा पर्वत है। यह पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र और चीन द्वारा अधिकृत शक्सगाम घाटी की सीमा पर के२ से ७ किमी पूर्वोत्तर में स्थित है। भारत के अनुसार यह क्षेत्र उसकी सम्प्रभुता में आता है। इसके पूर्वी मुख पर पाँच भीमकाय सीढ़ीयों वाली चट्टानी स्थलाकृति है जिस से इसे "सीढ़ी पर्वत" भी कहते हैं। यह विश्व का ४४वाँ सर्वोच्च पर्वत है। .

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सैल्मन

मुख्य पेसिफिक सैल्मन प्रजातियां: सोकाई, चम, कोस्टल, कटथ्रोट ट्राउट, चिनूक, कोहो, स्टीलहेड और पिंक सैल्मोनिडे परिवार की विभिन्न प्रजातियों की मछली के लिए दिया जाने वाला आम नाम है सैल्मन.

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सोनमर्ग

सोनमर्ग या सोनामर्ग भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य के गान्दरबल ज़िले में ३,००० मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक पर्वतीय पर्यटक स्थल है। यह सिन्द नाले (सिन्धु नदी से भिन्न) नामक नदी की घाटी में है। सोनमर्ग से आगे ऊँचे पर्वत हैं और कई प्रसिद्ध हिमानियाँ (ग्लेशियर) स्थित हैं और यहाँ से पूर्व लद्दाख़ का रास्ता निकलता है।, S.A. Qazi, pp.

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हिन्दूताश दर्रा

अंतरिक्ष से ली गई इस तस्वीर में कंगशेवार​ बस्ती को पूषा बस्ती से जोड़ता हुआ हिन्दूताश दर्रा दर्शाया गया है सन् १८७३ के इस नक्शे में हिन्दूताग़ दर्रा दिखाया गया है हिन्दूताश दर्रा (अंग्रेजी: Hindutash Pass) या हिन्दूताग़​ दर्रा मध्य एशिया में चीन द्वारा नियंत्रित शिनजियांग क्षेत्र में स्थित कुनलुन पर्वतों का एक ऐतिहासिक पहाड़ी दर्रा है। यह काराकाश नदी की घाटी में स्थित कंगशेवार​ नामक एक उजड़ी हुई बस्ती को योरुंगकाश नदी की घाटी में स्थित पूषा नामक शहर से जोड़ता है और आगे चलकर यही सड़क महत्वपूर्ण ख़ोतान तक जाती है।, Sir Aurel Stein, Archaeological Survey of India, B. Blom, 1968,...

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हिमचट्टान

हिमचट्टान (ice shelf) बर्फ़ का एक तैरता हुआ तख़्ता होता है जो किसी हिमानी (ग्लेशियर) या हिमचादर के ज़मीन से समुद्र की सतह पर बह जाने से बन जाता है। हिमचट्टाने केवल अंटार्कटिका, ग्रीनलैण्ड और कनाडा में मिलती हैं। हिमचट्टानों की मोटाई १०० से १००० मीटर तक की होती है। पृथ्वी के ठंडे समुद्री क्षेत्रों पर (जैसे कि आर्कटिक महासागर में) स्वयं भी बर्फ़ बनती है लेकिन इसकी मोटाई लेवल ३ मीटर तक की होती है। जब साधारण बर्फ़ पानी पर तैरती है तो उसका एक-सातवाँ (१/७) हिस्सा पानी के ऊपर होता है, लेकिन हिमानियों की बर्फ़ साधारण बर्फ़ से अधिक घनी होने के कारण हिमचट्टानों का केवल एक-नौवाँ (१/९) भाग ही पानी से ऊपर होता है। .

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हिमचादर

हिमचादर (ice sheet) हिमानी (ग्लेशियर) बर्फ़ का एक बड़ा समूह होता है जो धरती को ढके और कम-से-कम ५०,००० वर्ग किमी क्षेत्रफल पर विस्तृत हो। तुलना के लिये यह भारत के पंजाब राज्य के क्षेत्रफल के लगभग बराबर है। वर्तमानकाल में हिमचादरें केवल अंटार्कटिका और ग्रीनलैण्ड में मिलती हैं, लेकिन पिछले हिमयुग में उत्तर अमेरिका के अधिकांश भाग पर लौरेनटाइड हिमचादर, उत्तरी यूरोप पर विशेली हिमचादर और दक्षिणी दक्षिण अमेरिका पर पैतागोनियाई हिमचादर फैली हुई थी। क्षेत्रफल में हिमचादरें हिमचट्टानों और हिमानियों से बड़ी होती हैं। ५०,००० वर्ग किमी से कम आकार की हिमचादर को बर्फ़ की टोपी (ice cap) कहते हैं। .

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हिमधारा

हिमधारा (ice stream) किसी हिमचादर (आइस शीट) के ऐसे क्षेत्र को कहते हैं जिसमें बर्फ़ अपने आसपास की बर्फ़ से अधिक तेज़ी से बह रही हो। यह एक विषेश प्रकार की हिमानी (ग्लेशियर) होती है। हिमधाराएँ अंटार्कटिका में बहुत दिखती हैं जहाँ वे पूरी बर्फ़ का १०% प्रतिशत है। वे ५० किमी चौड़ी, २ किमी गहरी और सैंकड़ों मीलों तक चलने वाली हो सकती हैं। समझा जाता है कि अंटार्कटिका की हिमचादरों से सागर में बह जानी वाली अधिकांश बर्फ़ इन्हीं हिमधाराओं में बहती है। .

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हिमपुंज

हिमपुंज (snowpack) हिम के कई परतों के किसी स्थान पर जमा होने से बने हिम के एक बड़े भंडार को कहते हैं। यह ऐसी भौगोलिक स्थान या ऊँची जगहों पर बनते हैं जहाँ का तापमान वर्ष में बहुत दिनों के लिए शून्य से कम रहे, ताकि बार-बार हिमपात से गिरी परतें पिघलने की बजाय एक-के-ऊपर-एक जमती रहें। विश्व के कई झरने और नदियाँ इन हिमपुंजों के धीरे-धीरे पिघलने से चलती हैं इसलिए हिमपुंजो को पीने, कृषि व वन्य जीवन के लिए जल का एक महत्वपूर्ण संसाधन माना जाता है। हिमानियाँ (ग्लेशियर) भी इन्हीं हिमपुंजों से हिम पहुँचता है। पर्वतों में हिमपुंजों की बनावट और स्थिरता को हिमस्खलन (आवालांच) का ख़तरा अनुमानित करने के लिए परखा जाता है। .

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हिमयुग

हिमयुग के दौरान बर्फ़ की चादर का फैलाव ऐन्टार्कटिका पर बर्फ़ की चादर हिमयुग या हिमानियों का युग पृथ्वी के जीवन में आने वाले ऐसे युगों को कहते हैं जिनमें पृथ्वी की सतह और वायुमंडल का तापमान लम्बे अरसों के लिए कम हो जाता है, जिस से महाद्वीपों के बड़े भूभाग पर हिमानियाँ (ग्लेशियर) फैल जाते हैं। ऐसे हिमयुग पृथ्वी पर बार-बार आयें हैं और विज्ञानिकों का मानना है के यह भविष्य में भी आते रहेंगे। आख़री हिमयुग अपनी चरम सीमा पर अब से लगभग २०,००० साल पूर्व था। माना जाता है कि यह हिमयुग लगभग १२,००० वर्ष पूर्व समाप्त हो गया, लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्रीनलैंड और ऐन्टार्कटिका पर अभी भी बर्फ़ की चादरें होने का अर्थ है कि यह हिमयुग अपने अंतिम चरणों पर है और अभी समाप्त नहीं हुआ है। जब यह युग अपने चरम पर था तो उत्तरी भारत का काफ़ी क्षेत्र हिमानियों की बर्फ़ की मोटी तह से हज़ारों साल तक ढका हुआ था। .

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हिमशैल

हिमशैल (iceberg) मीठे जल के ऐसे बड़े टुकड़े को कहते हैं जो किसी हिमानी (ग्लेशियर) या हिमचट्टान (आइस-शेल्फ़) से टूटकर खुले पानी में तैर रहा हो। उत्प्लावन बल के कारण किसी भी हिमशैल का लगभग दसवाँ हिस्सा ही समुद्री पानी के ऊपर नज़र आता है जबकि उसका बाक़ी नौ-गुना बड़ा भाग जल के नीचे होता है। .

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हिमानी पठार

पर्वतीय क्षेत्रों में कई भु-भाग हिमानी क्रिया से अपरदन तथा निक्षेपण के कारण पठारों में बदल गए हैं। .

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हिमानी विज्ञान

काराकोरम की बाल्तोरो हिमानी का एक चित्र हिमानी विज्ञान अथवा हिमनद विज्ञान (अंग्रेजी:Glaciology; फ्रैंक-प्रांतीय शब्द: glace, "बर्फ़"; याँ लातीनी: glacies, "हिम या बर्फ़"; और यूनानी: λόγος, logos, "अध्ययन"; अर्थात "हिम या बर्फ़ का अध्ययन") सामान्य तौर पर बर्फ़ और इससे जुड़ी प्रक्रियाओं का अध्ययन है और विशिष्ट रूप में हिमनदों के अध्ययन से संबंधित विज्ञान है। दूसरे शब्दों में यह पृथ्वी के हिममण्डल का अध्ययन एवं विश्लेषण करता है। अतएव हिमानी विज्ञान को एक ऐसे अंतरविषयी विज्ञान के रूप में परिभाषित किया जाता है जो भूभौतिकी, भूविज्ञान, भौतिक भूगोल, भू-आकृति विज्ञान, जलवायु विज्ञान, मौसम विज्ञान, जलविज्ञान, जीव विज्ञान तथा पारिस्थितिकी को जोड़ते हुए हिमनदों की क्रियाविधि, उनकी आकारिकी, एवं मानव जीवन पर उनके विविध प्रभावों का अध्ययन करता है। पृथ्वी के बाहर चंद्रमा, मंगल, यूरोपा इत्यादि परापार्थिव पिण्डों पर हिम के अध्ययन को एस्ट्रोग्लेशियोलाजी नाम भी दिया गया है। .

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हिमानीगत झील

हिमानीगत झील (subglacial lake) ऐसी झील होती है जो किसी हिमानी (ग्लेशियर), हिमचादर या बर्फ़ की टोपी के नीचे स्थित हो। इसके ऊपर बर्फ़ की एक मोटी तह होती है जिसके भीतर बंद एक अंदरूनी भाग द्रव पानी से भरा होता है। पृथ्वी पर ऐसी कई झीलें हैं और अंटार्कटिका की वोस्तोक झील सबसे बड़ी ज्ञात हिमानीगत झील है। .

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हिमालचुली

हिमालचुली, जिसे दो शब्दों में हिमाल चुली भी लिखा जाता है, नेपाल में हिमालय के मनसिरी हिमाल भाग में स्थित एक पर्वत है। यह विश्व का १८वाँ सबसे ऊँचा पर्वत है और मनास्लू के बाद मनसिरी हिमाल का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत है। हिमालचुली के तीन मुख्य शिखर हैं: पूर्वी (७८९३ मीटर), पश्चिमी (७५४० मीटर) और उत्तरी (७३७१ मीटर)। .

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हिमालय

हिमालय पर्वत की अवस्थिति का एक सरलीकृत निरूपण हिमालय एक पर्वत तन्त्र है जो भारतीय उपमहाद्वीप को मध्य एशिया और तिब्बत से अलग करता है। यह पर्वत तन्त्र मुख्य रूप से तीन समानांतर श्रेणियों- महान हिमालय, मध्य हिमालय और शिवालिक से मिलकर बना है जो पश्चिम से पूर्व की ओर एक चाप की आकृति में लगभग 2400 कि॰मी॰ की लम्बाई में फैली हैं। इस चाप का उभार दक्षिण की ओर अर्थात उत्तरी भारत के मैदान की ओर है और केन्द्र तिब्बत के पठार की ओर। इन तीन मुख्य श्रेणियों के आलावा चौथी और सबसे उत्तरी श्रेणी को परा हिमालय या ट्रांस हिमालय कहा जाता है जिसमें कराकोरम तथा कैलाश श्रेणियाँ शामिल है। हिमालय पर्वत पाँच देशों की सीमाओं में फैला हैं। ये देश हैं- पाकिस्तान, भारत, नेपाल, भूटान और चीन। अन्तरिक्ष से लिया गया हिमालय का चित्र संसार की अधिकांश ऊँची पर्वत चोटियाँ हिमालय में ही स्थित हैं। विश्व के 100 सर्वोच्च शिखरों में हिमालय की अनेक चोटियाँ हैं। विश्व का सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट हिमालय का ही एक शिखर है। हिमालय में 100 से ज्यादा पर्वत शिखर हैं जो 7200 मीटर से ऊँचे हैं। हिमालय के कुछ प्रमुख शिखरों में सबसे महत्वपूर्ण सागरमाथा हिमाल, अन्नपूर्णा, गणेय, लांगतंग, मानसलू, रॊलवालिंग, जुगल, गौरीशंकर, कुंभू, धौलागिरी और कंचनजंघा है। हिमालय श्रेणी में 15 हजार से ज्यादा हिमनद हैं जो 12 हजार वर्ग किलॊमीटर में फैले हुए हैं। 72 किलोमीटर लंबा सियाचिन हिमनद विश्व का दूसरा सबसे लंबा हिमनद है। हिमालय की कुछ प्रमुख नदियों में शामिल हैं - सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र और यांगतेज। भूनिर्माण के सिद्धांतों के अनुसार यह भारत-आस्ट्र प्लेटों के एशियाई प्लेट में टकराने से बना है। हिमालय के निर्माण में प्रथम उत्थान 650 लाख वर्ष पूर्व हुआ था और मध्य हिमालय का उत्थान 450 लाख वर्ष पूर्व हिमालय में कुछ महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी है। इनमें हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गोमुख, देव प्रयाग, ऋषिकेश, कैलाश, मानसरोवर तथा अमरनाथ प्रमुख हैं। भारतीय ग्रंथ गीता में भी इसका उल्लेख मिलता है (गीता:10.25)। .

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हिमालय की पारिस्थितिकी

जैवविविधता के लिये प्रसिद्द फूलों की घाटी का एक दृश्य हिमालय की पारिस्थितिकी अथवा हिमालयी पारितंत्र जो एक पर्वतीय पारिस्थितिक तंत्र का उदाहरण है, भारत और विश्व के कुछ विशिष्ट पारितंत्रों में से एक है। हिमालय पर्वत तंत्र विश्व के सर्वाधिक नवीन और विशाल पर्वतों में से एक है। ध्रुवीय प्रदेशों के आलावा यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा हिम-भण्डार है और यहाँ करीब 1500 हिमनद पाए जाते हैं जो हिमालय के लगभग 17% भाग को ढंके हुए हैं। हिमालय पर्वत पर यहाँ की विशिष्ट जलवायवीय और भूआकृतिक विशेषताओं की वजह से कुछ विशिष्ट पारिस्थिक क्षेत्र पाए जाते हैं जो अपने में अद्वितीय हैं। उदाहरण के लिये फूलों की घाटी एक ऐसा ही जैवविविधता का केन्द्र है। पूर्वी हिमालय में वर्षा की अधिकता और अपेक्षा कृत नम जलवायु ने एक अलग ही प्रकार का पारितंत्र विकसित किया है। अपने विविध जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की जैवविविधता और इसके भौगोलिक प्रतिरूप के कारण हिमालयी पारितंत्र एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। नवीन वलित पर्वत होने के कारण अभी भी हिमालय क्षेत्र में भूअकृतिक स्थिरता नहीं आयी है और यह भूकम्पीय रूप से संवेदन शील तथा भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्र में आता है। जलवायवीय रूप से भी यहाँ के हिमनदों के निवर्तन कि पुष्टि की गई है जो कि मानव द्वारा परिवर्धित जलवायु परिवर्तन का परिणाम माना जाता है। उपरोक्त कारणों से हिमालयी पारिस्थितकी अपने परिवर्तनशील होने के कारण भी महत्वपूर्ण है। इस विशिष्ट प्राकृतिक पर्यावरण में मनुष्य की क्रियाओं द्वारा एक अनन्य प्रकार का मानव पारितंत्र भी विकसित हुआ है। हिमालय की मानव पारिस्थितिकी में हुए अध्ययन यह साबित करते हैं की यहाँ मनुष्य और प्रकृति के बीच की अन्योन्याश्रयता ने एक विशिष्ट मानव पारिस्थितिकी निर्मित की है और हिमालय के परिवर्तनशील स्थितियों के कारण इस पर निर्भर मानव जनसंख्या भी बदलावों के प्रति संवेदनशील है। एक रिपोर्ट के मुताबिक हिमालयी पारितंत्र एशिया के 1.3 बिलियन लोगों की आजीविका पर प्रभाव डालता है। .

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हिमोढ़

हिमानी की निक्षेपात्मक स्थलरुपों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं होते हैं। श्रेणी:हिमानीय स्थलाकृतियाँ श्रेणी:हिमानी निक्षेपात्मक स्थलरुप.

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हुन्ज़ा नदी

हुन्ज़ा नदी या दरया-ए-हुन्ज़ा (Hunza river) पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र के हुन्ज़ा-नगर ज़िले का अहम दरिया है। बहुत ज़्यादा मिट्टी और चट्टानी ज़र्रों की आमेज़िश की वजह से ये बहुत गदला है। यह नदी किलिक नाले और ख़ुंजराब नाले नामक दो झरनों के संगम से बनती है और इसमें कई हिमानियाँ (ग्लेशियर) जल देती हैं। आगे इसी में नलतर नाला और गिलगित नदी मिलते हैं। अंत में यह सिन्धु नदी में मिल जाता है। ऐतिहासिक रेशम मार्ग इस दरिया के साथ चलता है। हुन्ज़ा नदी काराकोरम पर्वतों में इतनी पैनी दिवारों वाली तंग घाटी काटकर निकलती है कि कुछ समीक्षकों ने कहा है कि 'लगता है कि चट्टानें चाकू से काटी गई हों'।, Soren Arutyunyan, Electa Napoli, 1994,...

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जल

जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना है - H2O। यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। आमतौर पर जल शब्द का प्प्रयोग द्रव अवस्था के लिए उपयोग में लाया जाता है पर यह ठोस अवस्था (बर्फ) और गैसीय अवस्था (भाप या जल वाष्प) में भी पाया जाता है। पानी जल-आत्मीय सतहों पर तरल-क्रिस्टल के रूप में भी पाया जाता है। पृथ्वी का लगभग 71% सतह को 1.460 पीटा टन (पीटी) (1021 किलोग्राम) जल से आच्छदित है जो अधिकतर महासागरों और अन्य बड़े जल निकायों का हिस्सा होता है इसके अतिरिक्त, 1.6% भूमिगत जल एक्वीफर और 0.001% जल वाष्प और बादल (इनका गठन हवा में जल के निलंबित ठोस और द्रव कणों से होता है) के रूप में पाया जाता है। खारे जल के महासागरों में पृथ्वी का कुल 97%, हिमनदों और ध्रुवीय बर्फ चोटिओं में 2.4% और अन्य स्रोतों जैसे नदियों, झीलों और तालाबों में 0.6% जल पाया जाता है। पृथ्वी पर जल की एक बहुत छोटी मात्रा, पानी की टंकिओं, जैविक निकायों, विनिर्मित उत्पादों के भीतर और खाद्य भंडार में निहित है। बर्फीली चोटिओं, हिमनद, एक्वीफर या झीलों का जल कई बार धरती पर जीवन के लिए साफ जल उपलब्ध कराता है। जल लगातार एक चक्र में घूमता रहता है जिसे जलचक्र कहते है, इसमे वाष्पीकरण या ट्रांस्पिरेशन, वर्षा और बह कर सागर में पहुॅचना शामिल है। हवा जल वाष्प को स्थल के ऊपर उसी दर से उड़ा ले जाती है जिस गति से यह बहकर सागर में पहँचता है लगभग 36 Tt (1012किलोग्राम) प्रति वर्ष। भूमि पर 107 Tt वर्षा के अलावा, वाष्पीकरण 71 Tt प्रति वर्ष का अतिरिक्त योगदान देता है। साफ और ताजा पेयजल मानवीय और अन्य जीवन के लिए आवश्यक है, लेकिन दुनिया के कई भागों में खासकर विकासशील देशों में भयंकर जलसंकट है और अनुमान है कि 2025 तक विश्व की आधी जनसंख्या इस जलसंकट से दो-चार होगी।.

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जल (अणु)

जल पृथ्वी की सतह पर सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला अणु है, जो इस ग्रह की सतह के 70% का गठन करता है। प्रकृति में यह तरल, ठोस और गैसीय अवस्था में मौजूद है। मानक दबावों और तापमान पर यह तरल और गैस अवस्थाओं के बीच गतिशील संतुलन में रहता है। घरेलू तापमान पर, यह तरल रूप में हल्की नीली छटा वाला बेरंग, बेस्वाद और बिना गंध का होता है। कई पदार्थ, जल में घुल जाते हैं और इसे सामान्यतः सार्वभौमिक विलायक के रूप में सन्दर्भित किया जाता है। इस वजह से, प्रकृति में मौजूद जल और प्रयोग में आने वाला जल शायद ही कभी शुद्ध होता है और उसके कुछ गुण, शुद्ध पदार्थ से थोड़ा भिन्न हो सकते हैं। हालांकि, ऐसे कई यौगिक हैं जो कि अनिवार्य रूप से, अगर पूरी तरह नहीं, जल में अघुलनशील है। जल ही ऐसी एकमात्र चीज़ है जो पदार्थ की सामान्य तीन अवस्थाओं में स्वाभाविक रूप से पाया जाता है - अन्य चीज़ों के लिए रासायनिक गुण देखें. पृथ्वी पर जीवन के लिए जल आवश्यक है। जल आम तौर पर, मानव शरीर के 55% से लेकर 78% तक का निर्माण करता है। .

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जल संसाधन

जल संसाधन पानी के वह स्रोत हैं जो मानव के लिए उपयोगी हों या जिनके उपयोग की संभावना हो। पानी के उपयोगों में शामिल हैं कृषि, औद्योगिक, घरेलू, मनोरंजन हेतु और पर्यावरणीय गतिविधियों में। वस्तुतः इन सभी मानवीय उपयोगों में से ज्यादातर में ताजे जल की आवश्यकता होती है। पृथ्वी पर पानी की कुल उपलब्ध मात्रा अथवा भण्डार को जलमण्डल कहते हैं। पृथ्वी के इस जलमण्डल का ९७.५% भाग समुद्रों में खारे जल के रूप में है और केवल २.५% ही मीठा पानी है, उसका भी दो तिहाई हिस्सा हिमनद और ध्रुवीय क्षेत्रों में हिम चादरों और हिम टोपियों के रूप में जमा है। शेष पिघला हुआ मीठा पानी मुख्यतः जल के रूप में पाया जाता है, जिस का केवल एक छोटा सा भाग भूमि के ऊपर धरातलीय जल के रूप में या हवा में वायुमण्डलीय जल के रूप में है। मीठा पानी एक नवीकरणीय संसाधन है क्योंकि जल चक्र में प्राकृतिक रूप से इसका शुद्धीकरण होता रहता है, फिर भी विश्व के स्वच्छ पानी की पर्याप्तता लगातार गिर रही है दुनिया के कई हिस्सों में पानी की मांग पहले से ही आपूर्ति से अधिक है और जैसे-जैसे विश्व में जनसंख्या में अभूतपूर्व दर से वृद्धि हो रही हैं, निकट भविष्य मैं इस असंतुलन का अनुभव बढ़ने की उम्मीद है। पानी के प्रयोक्ताओं के लिए जल संसाधनों के आवंटन के लिए फ्रेमवर्क (जहाँ इस तरह की एक फ्रेमवर्क मौजूद है) जल अधिकार के रूप में जाना जाता है। आज जल संसाधन की कमी, इसके अवनयन और इससे संबंधित तनाव और संघर्ष विश्वराजनीति और राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। जल विवाद राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर महत्वपूर्ण विषय बन चुके हैं। .

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जलवायु परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन औसत मौसमी दशाओं के पैटर्न में ऐतिहासिक रूप से बदलाव आने को कहते हैं। सामान्यतः इन बदलावों का अध्ययन पृथ्वी के इतिहास को दीर्घ अवधियों में बाँट कर किया जाता है। जलवायु की दशाओं में यह बदलाव प्राकृतिक भी हो सकता है और मानव के क्रियाकलापों का परिणाम भी। ग्रीनहाउस प्रभाव और वैश्विक तापन को मनुष्य की क्रियाओं का परिणाम माना जा रहा है जो औद्योगिक क्रांति के बाद मनुष्य द्वारा उद्योगों से निःसृत कार्बन डाई आक्साइड आदि गैसों के वायुमण्डल में अधिक मात्रा में बढ़ जाने का परिणाम है। जलवायु परिवर्तन के खतरों के बारे में वैज्ञानिक लगातार आगाह करते आ रहे हैं .

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जलोढ़क

जलोढ़: नदी जल द्वारा अपने मार्ग में जमा की गई मिट्टी जलोढ़क, अथवा अलूवियम उस मृदा को कहा जाता है, जो बहते हुए जल द्वारा बहाकर लाया तथा कहीं अन्यत्र जमा किया गया हो। यह भुरभुरा अथवा ढीला होता है अर्थात् इसके कण आपस में सख्ती से बंधकर कोई 'ठोस' शैल नहीं बनाते। जलोढ़क से भरी मिट्टी को जलोढ़ मृदा या जलोढ़ मिट्टी कहा जाता है। जलोढ़ मिट्टी प्रायः विभिन्न प्रकार के पदार्थों से मिलकर बनी होती है जिसमें गाद (सिल्ट) तथा मृत्तिका के महीन कण तथा बालू तथा बजरी के अपेक्षाकृत बड़े कण भी होते हैं। .

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ज़मीनी पुल

बेरिंग ज़मीनी पुल साइबेरिया और अलास्का को जोड़ता था और उसपर चलकर मानव एशिया से उत्तर अमेरिका पहुँच गए - हिमयुग की समाप्ति पर यह क्षेत्र समुद्र के नीचे डूब गया ज़मीनी पुल (अंग्रेज़ी: land bridge, लैंड ब्रिज) ऐसे भूडमरू (इस्थमस) या उस से चौड़े धरती के अंश को कहते हैं जिसके ज़रिये समुद्र द्वारा अलग किये हुए धरती के दो बड़े क्षेत्रों के बीच में जानवर आ-जा सकें और वृक्ष-पौधे फैल सकें। हिमयुगों (आइस एज) के दौरान ऐसे ज़मीनी पुल अक्सर उभर आते हैं क्योंकि तब समुद्र के पानी का कुछ अंश बर्फ़ में जमा हुआ होने से समुद्र-तल थोड़ा नीचे होता है। इसका एक बड़ा उदाहरण भारत को श्रीलंका से जोड़ने वाला रामसेतु है। यह हिमयुगों में पूरी तरह समुद्र-तल के ऊपर उभरी हुई ज़मीन की एक पट्टी होती थी जिसपर इतिहास में जानवर चलकर भारत से श्रीलंका पहुँचे थे और भारत से बहुत से पेड़-पौधे भी श्रीलंका में विस्तृत हुए थे। माना जाता है कि आज से लगभग २०,००० साल पहले श्रीलंका के वैदा आदिवासियों के पूर्वज भी इसी ज़मीनी पुल पर चलकर भारत से श्रीलंका पैदल पहुँचे। आधुनिक युग में भारत और श्रीलंका के बीच ४० मील का खुला समुद्र है, John C. Avise, Cambridge University Press, 2006, ISBN 978-0-521-85753-6,...

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घग्गर-हकरा नदी

पंचकुला, हरियाणा से गुज़रती घग्गर नदी घग्गर-हकरा नदी भारत और पाकिस्तान में वर्षा-ऋतु में चलने वाली एक मौसमी नदी है। इसे हरयाणा के ओटू वीयर (बाँध) से पहले घग्गर नदी के नाम से और उसके आगे हकरा नदी के नाम से जाना जाता है।, Britannica, Dale Hoiberg, Indu Ramchandani, Popular Prakashan, 2000, ISBN 978-0-85229-760-5,...

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घेंट कांगरी

घेंट कांगरी (Ghent Kangri) या घेंत कांगरी या घेंत १ (Ghent I) जम्मू और कश्मीर में काराकोरम पर्वतमाला की साल्तोरो पर्वतमाला नामक उपश्रेणी में स्थित एक ऊँचा पर्वत है और विश्व का 69वाँ सर्वोच्च पर्वत है। यह सियाचिन हिमानी से ज़रा पश्चिम में स्थित है। इस पर्वत पर वर्तमान में पाकिस्तान का क़ब्ज़ा है लेकिन भारत इस क्षेत्र पर अपनी सम्प्रभुता होने का दावा करता है। .

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वनोन्मूलन

वनोन्मूलन का अर्थ है वनों के क्षेत्रों में पेडों को जलाना या काटना ऐसा करने के लिए कई कारण हैं; पेडों और उनसे व्युत्पन्न चारकोल को एक वस्तु के रूप में बेचा जा सकता है और मनुष्य के द्वारा उपयोग में लिया जा सकता है जबकि साफ़ की गयी भूमि को चरागाह (pasture) या मानव आवास के रूप में काम में लिया जा सकता है। पेडों को इस प्रकार से काटने और उन्हें पुनः न लगाने के परिणाम स्वरुप आवास (habitat) को क्षति पहुंची है, जैव विविधता (biodiversity) को नुकसान पहुंचा है और वातावरण में शुष्कता (aridity) बढ़ गयी है। साथ ही अक्सर जिन क्षेत्रों से पेडों को हटा दिया जाता है वे बंजर भूमि में बदल जाते हैं। आंतरिक मूल्यों के लिए जागरूकता का अभाव या उनकी उपेक्षा, उत्तरदायी मूल्यों की कमी, ढीला वन प्रबन्धन और पर्यावरण के कानून, इतने बड़े पैमाने पर वनोन्मूलन की अनुमति देते हैं। कई देशों में वनोन्मूलन निरंतर की जाती है जिसके परिणामस्वरूप विलोपन (extinction), जलवायु में परिवर्तन, मरुस्थलीकरण (desertification) और स्वदेशी लोगों के विस्थापन जैसी प्रक्रियाएं देखने में आती हैं। .

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वाख़ान नदी

वाख़ान गलियारे का नक़्शा जिसमें वाख़ान नदी देखी जा सकती है वाख़ान नदी, जिसे आब-ए-वाख़ान (फ़ारसी) भी कहा जाता है, अफ़्ग़ानिस्तान के वाख़ान क्षेत्र से निकलने वाली एक नदी का नाम है। यह पंज नदी की एक उपनदी है। वाख़ान नदी हिन्दु कुश पर्वतों की हिमानियों (ग्लेशियर) में उत्पन्न होती है और नीचे उतरती है। लंगर और क़िला-ए-पंज नामक गाँवों के पास इसका विलय पामीर नदी से होता है और इस संगम के बाद यह पंज नदी के नाम से जानी जाती है।, World Bank Publications, ISBN 978-0-8213-5890-0,...

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विशनसर

विशनसर (Vishansar) भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य के गान्दरबल ज़िले के सोनमर्ग क़स्बे के पास स्थित एक स्वच्छ पर्वतीय झील है। ३,७१० मीटर पर स्थित यह झील प्रसिद्ध किशनगंगा नदी का स्रोत है। इसकी लम्बाई १.० किमी और चौड़ाई ०.६ किमी है। .

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वख़्श नदी

वख़्श नदी (नीले रंग में) ताजिकिस्तान में नुरेक बाँध के पीछे वख़्श नदी एक सरोवर बना देती है वख़्श नदी, जिसे सुरख़ोब नदी और किज़िल सूउ भी कहा जाता है, मध्य एशिया में स्थित एक नदी है जो आमू दरिया की एक उपनदी भी है। यह ताजिकिस्तान की मुख्य नदियों में से एक है।, Food & Agriculture Org., 1999, ISBN 978-92-5-104309-7,...

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खरताफु

खरताफु (Khartaphu) हिमालय के महालंगूर हिमाल खण्ड का का एक पर्वत है जो विश्व का 102वाँ सर्वोच्च पर्वत है। यह तिब्बत के शिगात्से विभाग की खरता घाटी में एवरेस्ट पर्वत से 7 किमी पूर्वोत्तर में स्थित है। खरताफु 7,213 मीटर (23,665 फ़ुट) ऊँचा है और इसका खरताफु पश्चिम (Khartaphu West) नामक एक 7,018 मीटर (23,025 फ़ुट) ऊँचा उपपर्वत भी है। .

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ख़ान तेन्ग्री

सूर्यास्त पर ख़ान तेन्ग्री ख़ान तेंग्री (Khan Tengri; किरगिज़: Хан-Теңири) तियान शान पर्वत शृंखला का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत है। यह मध्य एशिया में क़ाज़ाक़स्तान, किर्गिज़स्तान और चीन की सीमा पर इसिक कुल झील से पूर्व में स्थित है। इसके शिखर की ऊँचाई ६,९९५ मीटर (२२,९४९ फ़ुट) है। उइग़ुर भाषा में इसके नाम का अर्थ 'आकाश ख़ान (राजा)' है। प्राचीनकाल में तुर्की लोगों के मूल धर्म में तेन्ग्री आकाश के देवता का नाम था। पर्वतारोहन करने वालों में ७,००० मीटर से अधिक ऊँचे पहाड़ों की ख़ास मान्यता होती है। ख़ान तेंग्री पर हिमानी की वजह से इसका बर्फ़-समेत शिखर ७,०१० मीटर तक उठ जाता है इसलिए बहुत से लोग इसे एक 'सात-हज़ारी पर्वत' मानते हैं हालांकि मूल रूप से इसकी ऊँचाई उस से कुछ ५ मीटर कम है। तियान शान शृंखला में केवल ७,४३९ मीटर का जेन्गिश चोकुसु ही इस से अधिक ऊँचा है।, Paul Brummell, Bradt Travel Guides, 2008, ISBN 978-1-84162-234-7,...

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गाडी चुली

गाडी चुली (Ngadi Chuli), जो पर्वत २९ (Peak 29) और डकूरा (Dakura) भी कहलाता है, नेपाल में हिमालय के मनसिरी हिमाल भाग में स्थित एक पर्वत है। यह विश्व का २०वाँ सबसे ऊँचा पर्वत है और मनास्लू व हिमालचुली के बाद मनसिरी हिमाल का तीसरा सबसे ऊँचा पर्वत है।Günter Seyfferth (2014) at himalaya-info.org .

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गिम्मीगेला चुली

गिम्मीगेला चुली (Gimmigela Chuli) या जुड़वे (The Twins) हिमालय का एक पर्वत है जो कंचनजंघा पर्वत से लगभग 4.2 उत्तर-उत्तरपूर्व की दूरी पर नेपाल की भारत के सिक्किम राज्य की सीमा पर स्थित है। गिम्मीगेला के दो शिखर हैं - मुख्य 7,350 मीटर ऊँचा गिम्मीगेला चुली १ कहलाने वाला शिखर भारत-नेपाल सीमा पर है और छोटा 7,005 मीटर ऊँचा गिम्मीगेला चुली २ कहलाने वाला शिखर पूरी तरह भारत में है। यह दोनों शिखर एक साथ दिखने से ही इस पर्वत का नाम "जुड़वे" भी पड़ गया है। .

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गंगाबल झील

गंगाबल झील (Gangabal Lake) या गंगबल झील भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य के गान्दरबल ज़िले में हरमुख पर्वत के चरणों में स्थित एक स्वच्छ पर्वतीय झील है।, gaffarakashmir.com, Accessed 2012-04-19 भौगोलिक दृष्टि से यह एक टार्न झील या गिरिताल की श्रेणी में आती है। .

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ग्याचुंगकांग

ग्याचुंगकांग (अंग्रेज़ी: Gyachung Kang, नेपाली: ग्याचुंकाङ) हिमालय के महालंगूर हिमाल नामक भाग में स्थित एक 7,952 मीटर (26,089 फ़ुट) ऊँचा पर्वत है जो विश्व का 15वाँ सबसे ऊँचा पहाड़ है। यह पृथ्वी का सबसे ऊँचा पर्वत है जो आठ हज़ारी समूह से बाहर है। ग्याचुंगकांग चोयु और एवरेस्ट पर्वत के बीच नेपाल और तिब्बत की सीमा पर स्थित है। इसकी ढलान पर 19,400 फ़ुट की ऊँचाई पर नुप ला नामक पहाड़ी दर्रा है जिस से नेपाल में से तिब्बत में प्रवेश करा जा सकता है। .

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ग्रीनलैण्ड हिमचादर

ग्रीनलैण्ड हिमचादर (Greenland ice sheet) ग्रीनलैण्ड के ८०% भूभाग पर विस्तृत एक हिमचादर है। इसका कुल फैलाव १७,१०,००० वर्ग किमी पर है। अंटार्कटिक हिमचादर के बाद यह पृथ्वी का दूसरा सबसे बड़ा हिम का विस्तार है। यह हिमचादर उत्तर-दक्षिण दिशा में २,४०० किमी तक फैली हुई है, जबकि इसकी सर्वाधिक चौड़ाई इसकी उत्तरी हिस्से में ७७° उत्तर के रेखांश (लैटिट्यूड) पर १,१०० किमी है। बर्फ़ की औसत ऊँचाई २,१३५ मीटर (७,००५ फ़ुट) है। हिमचादर में जमा बर्फ़ की तहों की मोटाई अधिकतर स्थानों में २ किमी से अधिक है और अपने सबसे मोटे भाग में ३ किमी से भी ज़्यादा है। ग्रीनलैण्ड हिमचादर के अलावा ग्रीनलैण्ड में अन्य हिमसमूह भी हैं - अलग-थलग हिमानियाँ (ग्लेशियर) और छोटी बर्फ़ की टोपियाँ कुल मिलाकर ७६,००० अए १,००,००० वर्ग किमी के बीच के क्षेत्रफल पर इस मुख्य हिमचादर की बाहरी सीमाओं पर फैली हुई हैं। अगर इस हिमचादर में क़ैद पूरा २८,५०,००० घन किमी जल पिघलाया जाए तो पूरे विश्व के सागरों की सतह औसत ७.२ मीटर (२४ फ़ुट) बढ़ जाएगी।Climate Change 2001: The Scientific Basis.

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ओब नदी

ओब-इरतिश नदियों का जलसम्भर क्षेत्र रूस के बारनाउल शहर के पास ओब नदी ओब नदी या ओबी नदी (रूसी: Обь, अंग्रेज़ी: Ob) उत्तरी एशिया के पश्चिमी साइबेरिया क्षेत्र की एक नदी है और दुनिया की सातवी सबसे लम्बी नदी है। येनिसेय नदी और लेना नदी के साथ यह आर्कटिक सागर में बहने वाली तीसरी महान साइबेरियाई नदी मानी जाती है। ओब की खाड़ी दुनिया की सबसे लम्बी एस्चुएरी मानी जाती है (वह क्षेत्र जहाँ नदी डेल्टा बनाने की बजाए समुद्री ज्वारभाटा के कारण सीधे समुद्र में विलय हो)। .

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आरागोन

आरागोन (स्पेनी व आरागोनी: Aragón) स्पेन के पूर्वोत्तरी भाग में स्थित एक स्वायत्त समुदाय है। स्वायत्त समुदाय स्पेन का सबसे उच्च-स्तरीय प्रशासनिक विभाग होता है और लगभग भारत के राज्यों के बराबर होता है। इसमें तीन प्रान्त सम्मिलित हैं: (उत्तर से दक्षिण) उएस्का, सारागोसा और तेरुएल। इसकी राजधानी सारागोसा (Zaragoza) है।, Giancarlo Colombo, Sutter's international red series, 2007,...

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आल्ब्रेख्ट पेंक

आल्ब्रेख्ट पेंक, (Albrecht Penck; सन्‌ 1858 -- 1945) जर्मन भूगोलविद् एवं भूविद् थे। इन्होंने विभिन्न धरातलीय स्वरूपों के निर्माण एवं इसके लिये उत्तरदायी प्रक्रियाओं की विवेचना एवं संबंधित सिद्धांतों के प्रतिपादन में महत्वपूर्ण कार्य किया है। भू-आकृतिविज्ञान तथा जलवायुविज्ञान के क्षेत्र में उनके द्वारा किये गये कार्य के कारण वियना भौतिक भूगोल संस्थान को अन्तरराष्ट्रीय ख्याति मिली। इनका जन्म राउडिट्ज (Reudnitz) में हुआ था। वे १८८५ से १९०६ तक वियना में तथा १९०६ से १९२७ तक बर्लिन में प्रोफेसर थे। सन्‌ 1905 में इन्होंने प्रतिपादित किया कि भौम्याकृतियों के विकासक्रम में संरचना की अपेक्षा प्रक्रिया (process) श्रेष्ठतर एवं अधिक प्रभावशाली होती है। इन्होंने अपने इस सिद्धांत को नदीघाटी के विकासक्रम में ढालों के क्रमिक परिवर्तित स्वरूपों एवं प्रयासमभूमि (peneplain) की निर्माण क्रिया द्वारा स्पष्ट किया। पृथ्वी के मानचित्र को 1: 10,00,000 मापक पर तैयार करने की विधि में विकास किया। इन्होंने तृतीयक (Tertiary) एवं डिल्यूवियल (Diluvial) काल में हिमानियों के निर्माण एवं हिमयुग का अध्ययन किया था। ये सन्‌ 1886 से 1906 तक बर्लिन में समुद्रविज्ञान संस्था एवं भूगोल परिषद् के निदेशक रहे। इनके कई प्रकाशन महत्व के हैं। .

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इस्तोर-ओ-नल

इस्तोर-ओ-नल या इस्तोरो नल (Istor-o-Nal) हिन्दु कुश पर्वत शृंखला का तीसरा सबसे ऊँचा पहाड़ है और दुनिया का ६८वाँ सबसे ऊंचा पहाड़ है। ७,४०३ मीटर (२४,२८८ फ़ुट) ऊँचा यह पर्वत प्रशासनिक रूप से पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के चित्राल ज़िले में पड़ता है। यह हिन्दु कुश के सबसे ऊंचे पहाड़ तिरिच मीर से कुछ की किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है और इन दोनों पहाड़ों के बीच में तिरिच हिमानी (ग्लेशियर) चलता है। बहुत से स्थानों से इस्तोर-ओ-नल तिरिच मीर की ज़्यादा ऊंची चोटी के पीछे छिपा होता है इसलिए कम विख्यात है। .

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काबुल नदी

जलालाबाद में काबुल नदी के ऊपर बहसूद पुल बौद्ध शिल्पकारी से भरी गुफ़ाएँ काबुल नदी में साल के अधिकतर भाग में प्रवाह कम रहता है - नदी के एक अंश पर बना एक कच्चा पुल अफ़ग़ानिस्तान में काबुल नदी पर बना सरोबी जल-विद्युत बाँध काबुल नदी (पश्तो:, काबुल सीन्द; फ़ारसी:, दरिया-ए-काबुल; अंग्रेज़ी: Kabul River) एक ७०० किमी लम्बी नदी है जो अफ़ग़ानिस्तान में हिन्दु कुश पर्वतों की संगलाख़ शृंखला से शुरू होकर पाकिस्तान के अटक शहर के पास सिन्धु नदी में विलय हो जाती है। काबुल नदी पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान की मुख्य नदी है और इसका जलसम्भर हेलमंद नदी के जलसम्भर क्षेत्र से उनई दर्रे द्वारा विभाजित है। यह अफ़ग़ानिस्तान की काबुल, चहारबाग़​ और जलालाबाद शहरों से गुज़रकर तोरख़म से २५ किमी उत्तर में सरहद पार कर के पाकिस्तान में दाख़िल हो जाती है। अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल और उसके इर्द-गिर्द के काबुल प्रान्त का नाम इसी नदी पर पड़ा है।Cliffoed Edmund Bosworth, "Kabul".

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कामेट पर्वत

कामेट पर्वत (तिब्बती:कांग्मेद), भारत के गढ़वाल क्षेत्र में नंदा देवी पर्वत के बाद सबसे ऊंचा पर्वत शिखर है। तह ७,७५६-मीटर (२५,४४६ फुट) ऊंचा है। यह उत्तराखंड राज्य के चमोली जिला में तिब्बत की सीमा के निकट स्थित है। यह भारत में तीसरा शबसे ऊंचा शिखर है (हालांकि भारत के अनुसार इसका स्थान बहुत बाद में आता है, जो कि पाक अधिकृत कश्मीर में स्थित हिमालय की बहुत सी चोटियों के बाद आता है)। विश्व में इसका २९वां स्थान है। कामेट शिखर को ज़ांस्कर शृंखला का भाग और इसका सबसे ऊंचा शिखर माना जाता है। यह हिमालय की मुख्य शृंखला के उत्तर में सुरु नदी एवं ऊपरी करनाली नदी के बीच स्थित है। देखने में यह एक विशाल पिरामिड जैसा दिखाई देता है, जिसके चपटे शिखर पर दो चोटियां हैं। कामेट शिखर का नाम अंग्रेजी भाषा का नहीं, बल्कि तिब्बती भाषा के शब्द ‘कांग्मेद’ शब्द के आधार पर रखा गया है। इसीलिये इसे कामेट भी कहा जाटा है। तिब्बती लोग इसे कांग्मेद पहाड़ कहते हैं। कामेट पर्वत तीन प्रमुख हिमशिखरों से घिरा है। इनके नाम अबी गामिन, माना पर्वत तथा मुकुट पर्वत हैं। कामेट शिखर के पूर्व में स्थित विशाल ग्लेशियर को पूर्वी कामेट ग्लेशियर कहते हैं और पश्चिम में पश्चिमी कामेट ग्लेशियर है। .

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काराकुम रेगिस्तान

अंतरिक्ष से काराकुम रेगिस्तान - दाएँ में कैस्पियन सागर नज़र आ रहा है और चित्र के बाएँ ऊपर में आमू दरिया की रेखा तुर्कमेनिस्तान में काराकुम का एक नज़ारा पीला रंग हुआ इलाक़ा काराकुम है काराकुम रेगिस्तान (तुर्कमेन: Garagum; रूसी: Каракумы; अंग्रेज़ी: Karakum) मध्य एशिया में स्थित एक रेगिस्तान है। तुर्कमेनिस्तान देश का ७०% इलाक़ा इसी रेगिस्तान के क्षेत्र में आता है। 'काराकुम' शब्द का अर्थ 'काली रेत' होता है। यहाँ आबादी बहुत कम घनी है और औसतन हर ६.५ वर्ग किमी में एक व्यक्ति मिलता है। यहाँ बारिश औसत रूप से १० वर्षों में एक दफ़ा गिरती है। यह विश्व के सब से बड़े रेतीले रेगिस्तानों में से एक है।, R. Lal, Psychology Press, 2007, ISBN 978-0-415-42235-2,...

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कुनर नदी

अफ़्ग़ानिस्तान के नंगरहार प्रान्त के बर कश्कोट गाँव से गुज़रती कुनर नदी कुनर नदी (पश्तो:, कूनड़ सींद; Kunar) पूर्वी अफ़्ग़ानिस्तान और उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान की एक ४८० किमी लम्बी नदी है। यह पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत के चित्राल ज़िले में हिन्दु कुश पर्वतों की पिघलती हिमानियों (ग्लेशियरों) से शुरू होती है। यहाँ इसका नाम यरख़ुन नदी होता है और मस्तुज के बाद इसका विलय लुतख़ो नदी से होता है जिसके बाद इसे मस्तुज नदी के नाम से पुकारा जाता है। चित्राल शहर से गुजरने के बाद इसे चित्राल नदी बुलाया जाता है और फ़िर यह अफ़्ग़ानिस्तान की कुनर वादी में दाख़िल होती है, जहाँ बाश्गल नदी के साथ संगम के बाद इसका नाम कुनर नदी पड़ जाता है। फ़िर यह जलालाबाद शहर के पूर्व में काबुल नदी में विलय कर जाती है। यह नदी पूर्व में पाकिस्तान में दाख़िल होती है और इसका विलय अटक शहर के पास महान सिन्धु नदी में हो जाता है।, Sir Thomas Hungerford Holdich, Methuen and co., 1901,...

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कुनहार नदी

कुनहार नदी (अंग्रेज़ी: Kunhar River, उर्दु: دریائے کنہار), जो नैन-सुख नदी (Nain-Sukh, نین سکھ) भी कहलाती है, पाकिस्तान के उत्तरी भाग में ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त में बहने वाली एक १६६ किमी लम्बी नदी है। यह सिन्धु नदी के जलसम्भर का भाग है।"," Volume XIV, The Henry G. Allen Company, 1890,...

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के६ पर्वत

के६ पर्वत (K6 mountain), जो बल्तिस्तान पर्वत (Baltistan Peak) भी कहलाता है, काराकोरम पर्वतमाला की माशरब्रुम पर्वतमाला नामक उपश्रेणी का एक ऊँचा पर्वत है। यह 7,282 मीटर (23,891 फ़ुट) ऊँचा पहाड़ विश्व का 89वाँ सर्वोच्च पर्वत भी है। प्रशासनिक रूप से यह पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र में है, जिसे भारत अपने जम्मू और कश्मीर राज्य का अंग मानता है। यह हूशे घाटी के एक छोर पर खड़ा है। .

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कोरदियेरा डारविन

कोरदियेरा डारविन (Cordillera Darwin) दक्षिण अमेरिका की ऐन्डीज़ पर्वतमाला की सबसे दक्षिणी श्रेणी है। यह तिएर्रा देल फ़ुएगो द्वीपसमूह के इस्ला ग्रान्दे दे तिएर्रा देल फ़ुएगो द्वीप के दक्षिणपश्चिमी भाग में स्थित है और पूरी तरह चिली देश में आती है।, Adrian E. Scheidegger, pp.

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कोलाहोइ हिमानी

कोलाहोइ हिमानी भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य में पहलगाम से २६ किमी उत्तर में और सोनमर्ग से १६ किमी दक्षिण में स्थित हिमालय की एक हिमानी (ग्लेशियर) है। कोलाहोइ हिमानी की औसत ऊँचाई ४,७०० मीटर है और यहाँ का सबसे ऊँचा शिखर (जिसका नाम भी कोलाहोइ शिखर है) ५,४२५ मीटर की ऊँचाई रखता है। यही हिमानी लिद्दर नदी का स्रोत है जिसके किनारे पहलगाम बसा हुआ है और जो आगे चलकर सिन्द नदी (सिन्धु नदी से भिन्न) में जा मिलती है। ९१७४ में इसकी लम्बाई ५ किमी मापी ग​ई थी। भूमंडलीय ऊष्मीकरण (ग्‍लोबल वॉर्मिंग) के कारण अन्य हिमानियों की तरह यह भी सिकुड़ रही है। ९१६३ में यह १३.५७ किमी२ के क्षेत्रफल पर विस्तृत था लेकिन २००५ तक यह सिकुड़कर १०.६९ किमी२ रह गया था। .

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अत्यंतनूतन युग

उत्तरी स्पेन में प्लाइस्टोसीन​ युग का एक काल्पनिक दृश्य जिसमें उस काल के मैमथ और बालदार गैंडे जैसे जानवर देखे जा सकते हैं अत्यंतनूतन या प्लाइस्टोसीन​ (Pleisctocene) एक भूवैज्ञानिक युग (Epoch, ऍपक​) था जो पृथ्वी पर आज से २५,८८,००० वर्ष पहले शुरू हुआ और आज से ११,७०० वर्ष पहले समाप्त हुआ। इस युग में विश्व के के बहुत विस्तृत क्षेत्रों पर बार-बार हिमनद (ग्लेशियर) फैले और सिकुड़े। अत्यंतनूतन युग से पहले अतिनूतन युग (प्लायोसीन युग / Pliocene) था और अत्यंतनूतन युग के बाद नूतनतम युग (होलोसीन / Holocene) आया जो वर्तमान में भी जारी है। .

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अपरदन

गेहूँ के एक खेत में अत्यधिक भूक्षरण का दृष्य अपरदन (Erosion) या वह प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें चट्टानों का विखंडन और परिणामस्वरूप निकले ढीले पदार्थ के जल, पवन, इत्यादि प्रक्रमों द्वारा स्थानांतरण होता है। अपरदन के प्रक्रमों में वायु, जल तथा हिमनद और सागरीय लहरें प्रमुख हैं। .

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अबी गमिन

अबी गमिन (Abi Gamin) या इबी गमिन (Ibi Gamin) हिमालय के गढ़वाल हिमालय खण्ड में स्थित एक ऊँचा पर्वत है जो कामेट पर्वत की एक सहायक चोटी है। इसका अधिकांश भाग भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चमोली ज़िले में है और कुछ उत्तरी अंश तिब्बत के न्गारी विभाग में आता है। .

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अल्पाइन हिमनद

अल्पाइन हिमनद अथवा पर्वतीय हिमनद या सर्क हिमनद उन हिमनदों को कहते हैं जो ध्रुवीय क्षेत्रों के अलावा अन्य क्षेत्रों में ऊंचे पर्वतों पर पाए जाते हैं। .

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अवसादी शैल

अवसादी शैल जिसके स्तर स्पष्ट दृष्टिगोचर हैं अपक्षय एवं अपरदन के विभिन्न साधनों द्वारा मौलिक चट्टनों के विघटन, वियोजन और टूटने से परिवहन तथा किसी स्थान पर जमाव के परिणामस्वरुप उनके अवसादों से निर्मित शैल को अवसादी शैल (sedimentary rock) कहा जाता हैं। वायु, जल और हिम के चिरंतन आघातों से पूर्वस्थित शैलों का निरंतर अपक्षय एवं विदारण होता रहता है। इस प्रकार के अपक्षरण से उपलब्ध पदार्थ कंकड़, पत्थर, रेत, मिट्टी इत्यादि, जलधाराओं, वायु या हिमनदों द्वारा परिवाहित होकर प्राय: निचले प्रदेशों, सागर, झील अथवा नदी की घाटियों में एकत्र हो जाते हैं। कालांतर में संघनित होकर वे स्तरीभूत हो जाते हैं। इन स्तरीभूत शैलों को अवसाद शैल (सेडिमेंटरी रॉक्स) कहते हैं। .

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अंगसी हिमानी

अंगसी हिमानी (Angsi Glacier) हिमालय क्षेत्र में तिब्बत के न्गारी विभाग के पुरंग ज़िले में स्थित एक हिमानी (ग्लेशियर) है। अध्ययन से पता चला है कि इस हिमानी का यरलुंग त्संगपो नदी का मूल स्रोत होने की काफ़ी सम्भावना है। यही यरलुंग त्संगपो नदी आगे चलकर ब्रह्मपुत्र नदी बन जाती है, यानि अंगसी हिमानी ब्रह्मपुत्र का भी मूल स्रोत हो सकती है। .

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उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण ९ नवम्बर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। .

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