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हिमस्खलन

सूची हिमस्खलन

हिमालय में होता एक हिमस्खलन हिमस्खलन (avalanche) किसी ढलान वाली सतह पर तेज़ी से हिम के बड़ी मात्रा में होने वाले बहाव को कहते हैं। यह आमतौर पर किसी ऊँचे क्षेत्र में उपस्थित हिमपुंज में अचानक अस्थिरता पैदा होने से आरम्भ होते हैं। शुरु होने के बाद ढलान पर नीचे जाता हुआ हिम गति पकड़ने लगता है और इसमें बर्फ़ की और भी मात्रा शामिल होने लगती है। .

19 संबंधों: चेनानी-नाशरी सुरंग, एवरेस्ट बेस कैंप, दीरन, नमचा बरवा, पर्वतारोहण, प्राकृतिक आपदा, भूस्खलन, भूकम्प, मंगल ग्रह, लांस नायक हनमनथप्पा, लांगटांग, हिमपुंज, हवलदार एलुमलाई एम, जस्टिन ट्रूडो, वनस्पति, गुरला मन्धाता, अन्नपूर्णा पुंजक, अप्रैल 2015 नेपाल भूकम्प, २०१४ एवरेस्ट पर्वत हिमस्खलन

चेनानी-नाशरी सुरंग

चेनानी-नाशरी सुरंग जिसे पत्नीटॉप सुरंग के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर के राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 44 (राष्ट्रीय राजमार्गों की संख्या पुनः निर्धारण से पूर्व नाम राष्ट्रीय राजमार्ग १ए) पर स्थित एक सड़क सुरंग है। इसका कार्य वर्ष 2011 में आरम्भ हुआ तथा उद्धघाटन 2 अप्रैल 2017 को किया गया। यह भारत की सबसे लंबी सड़क सुरंग है जिसकी लंबाई  है। सुरंग बनाने पर मूल अनुमानित लागत ₹ 2,520 करोड़ (यूएस$ 367.92 मिलियन) थी लेकिन परिवर्धित करने में कुल ₹ 3,720 करोड़ (यूएस$ 543.12 मिलियन) खर्च हुये। मुख्य सुरंग का व्यास 13 मीटर है, जबकि समानांतर निकासी सुरंग का व्यास 6 मीटर  है। मुख्य और निकासी सुरंगों में 29 स्थानों पर पार मार्ग बनाये गये हैं जो हर 300 मीटर की दूरी पर स्थिति हैं। यह देश की पहली पूर्ण रूप से एकीकृत सुरंग प्रणाली वाली सुरंग है। सुरंग की सहायता से जम्मू और श्रीनगर के मध्य दूरी  रह गयी और यात्रा समय में दो घण्टे की कटौती हो गयी। पत्नीटॉप पर सर्दियों में बर्फबारी और हिमस्खलन के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर बाधा उत्पन्न होती थी तथा प्रत्येक शीतकाल में कई बार वाहनों की लम्बी कतार के कारण भी बाधा उत्पन्न होती थी - कई बार कई दिनों तक कतार में रहना पड़ता था। सुरंग पत्नीटॉप, कुद और बटोत को उपमार्गों से जोड़ती है जिससे राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर सर्दियों में ट्रैफ़िक जाम की समस्या को कम किया है। .

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एवरेस्ट बेस कैंप

दुनिया की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट नेपाल और तिब्बत की सीमा भी है। इस प्रकार इसके दो बेस कैंप हैं। एक दक्षिणी बेस कैंप जो कि नेपाल में स्थित है और दूसरा उत्तरी बेस कैंप जो कि तिब्बत में स्थित है। इन बेस कैंपों का प्रयोग पर्वतारोही माउंट एवरेस्ट के पर्वतारोहण के लिये आधार के तौर पर करते हैं। दक्षिणी बेस कैंप तक पहुँचने के लिये काफ़ी लंबे पैदल रास्ते का प्रयोग किया जाता है और भोजन-आपूर्ति आदि वहाँ के स्थानीय निवासी शेरपा उपलब्ध कराते हैं। दूसरी ओर, उत्तरी बेस कैंप तक सड़क बनी हुई है। बेस कैंपों पर पर्वतारोही कई-कई दिनों तक रुकते हैं ताकि वातावरण के अनुकूल हो सकें। .

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दीरन

दीरन (Diran) काराकोरम पर्वतमाला की राकापोशी-हरामोश पर्वतमाला नामक उपश्रेणी का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत है। यह विश्व का 93वाँ सर्वोच्च पर्वत है। प्रशासनिक रूप से यह पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र के हुन्ज़ा-नगर ज़िले की नगर वादी में स्थित है। यह राकापोशी से पूर्व में खड़ा हुआ है। इस से होने वाले हिमस्खलन में हर वर्ष मृत्युएँ होती हैं। .

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नमचा बरवा

नमचा बरवा (तिब्बती: གནམས་ལྕགས་འབར་བ།, अंग्रेज़ी: Namcha Barwa) दक्षिणपूर्वी तिब्बत में हिमालय पर्वतमाला का एक पर्वत है। ७,७८२ मीटर (२५,५३१ फ़ुट) ऊँचा यह पहाड़ हिमालय के सबसे पूर्वी छोर पर स्थित है और विश्व का २८वाँ सबसे लम्बा पहाड़ है। यह हिमालय की नमचा बरवा हिमाल नामक पर्वतीय उपशृंखला का सदस्य माना जाता है। यरलुंग त्संगपो नदी (जो आगे चलकर ब्रह्मपुत्र नदी बन जाती है) इस पहाड़ तक तो पूर्व की ओर चलती है लेकिन फिर इसके इर्द-गिर्द मुड़कर दक्षिण का रुख़ करती है और भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य की तरफ़ निकल जाती है। पर्वत के आसपास इस नदी से बनने वाली तंग घाटी बहुत ही विशाल है और यरलुंग त्संगपो महान घाटी के नाम से प्रसिद्ध है। घाटी के पार ग्याला पेरी पर्वत खड़ा है। .

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पर्वतारोहण

2004 में नेपाल के इम्जा से (आइलैंड पीक) के 20,305 (6189 मीटर) ऊँचे शिखर पर अपने अंतिम कदम बढ़ाता हुआ पर्वतारोही एक खुली खाई पर्वतारोहण या पहाड़ चढ़ना शब्द का आशय उस खेल, शौक़ अथवा पेशे से है जिसमें पर्वतों पर चढ़ाई, स्कीइंग अथवा सुदूर भ्रमण सम्मिलित हैं। पर्वतारोहण की शुरुआत सदा से अविजित पर्वत शिखरों पर विजय पाने की महत्वाकांक्षा के कारण हुई थी और समय के साथ इसकी 3 विशेषज्ञता वाली शाखाएं बन कर उभरीं हैं: चट्टानों पर चढ़ने की कला, बर्फ से ढके पर्वतों पर चढ़ने की कला और स्कीइंग की कला.

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प्राकृतिक आपदा

एक प्राकृतिक आपदा एक प्राकृतिक जोखिम (natural hazard) का परिणाम है (जैसे की ज्वालामुखी विस्फोट (volcanic eruption), भूकंप, या भूस्खलन (landslide) जो कि मानव गतिविधियों को प्रभावित करता है। मानव दुर्बलताओं को उचित योजना और आपातकालीन प्रबंधन (emergency management) का आभाव और बढ़ा देता है, जिसकी वजह से आर्थिक, मानवीय और पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है। परिणाम स्वरुप होने वाली हानि निर्भर करती है जनसँख्या की आपदा को बढ़ावा देने या विरोध करने की क्षमता पर, अर्थात उनके लचीलेपन पर। ये समझ केंद्रित है इस विचार में: "जब जोखिम और दुर्बलता (vulnerability) का मिलन होता है तब दुर्घटनाएं घटती हैं". जिन इलाकों में दुर्बलताएं निहित न हों वहां पर एक प्राकृतिक जोखिम कभी भी एक प्राकृतिक आपदा में तब्दील नहीं हो सकता है, उदहारण स्वरुप, निर्जन प्रदेश में एक प्रबल भूकंप का आना.बिना मानव की भागीदारी के घटनाएँ अपने आप जोखिम या आपदा नहीं बनती हैं, इसके फलस्वरूप प्राकृतिक शब्द को विवादित बताया गया है। .

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भूस्खलन

कैल्फोर्निया में १९९७ के जनवरी माह में हुए भूस्खलन का कम्प्यूटर सिमुलेशन भूस्खलन भूस्खलन (landslide) एक भूवैज्ञानिक घटना है। धरातली हलचलों जैसे पत्थर खिसकना या गिरना, पथरीली मिटटी का बहाव, इत्यादि इसके अंतर्गत आते है। भू-स्खलन कई प्रकार के हो सकते हैं और इसमें चट्टान के छोटे-छोटे पत्थरों के गिरने से लेकर बहुत अधिक मात्रा में चट्टान के टुकड़े और मिटटी का बहाव शामिल हो सकता है तथा इसका विस्तार कई किलोमीटर की दूरी तक हो सकता है। भारी वर्षा तथा बाढ़ या भूकम्प के आने से भू-स्खलन हो सकता है। मानव गतिवधियों, जैसे कि पेड़ों आैर वनस्पति के हटाने, सड़क किनारे खड़ी चट्टान के काटने या पानी के पाइपों में रिसाव से भी भू-स्खलन हो सकता है।;भू-स्खलन से पहले भू-स्खलन से पहले की गई तैयारी से आपको अपने घर तथा व्यापार को होने वाले नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी तथा आपकी जीवित बच निकलने में सहायक होगी। अपनी काउंसिल से पता लगाएं कि आपके इलाके में पहले भी कभी भू-स्खलन हुआ है तथा उनके दुबारा कहाँ होने की संभावना है। धरती के हिलने के चिन्हों की जाँच करें। इन चिन्हों में निम्नलिखित शामिल हैं.

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भूकम्प

भूकम्प या भूचाल पृथ्वी की सतह के हिलने को कहते हैं। यह पृथ्वी के स्थलमण्डल (लिथोस्फ़ीयर) में ऊर्जा के अचानक मुक्त हो जाने के कारण उत्पन्न होने वाली भूकम्पीय तरंगों की वजह से होता है। भूकम्प बहुत हिंसात्मक हो सकते हैं और कुछ ही क्षणों में लोगों को गिराकर चोट पहुँचाने से लेकर पूरे नगर को ध्वस्त कर सकने की इसमें क्षमता होती है। भूकंप का मापन भूकम्पमापी यंत्रों (सीस्मोमीटर) के साथ करा जाता है, जो सीस्मोग्राफ भी कहलाता है। एक भूकंप का आघूर्ण परिमाण मापक्रम पारंपरिक रूप से नापा जाता है, या सम्बंधित और अप्रचलित रिक्टर परिमाण लिया जाता है। ३ या उस से कम रिक्टर परिमाण की तीव्रता का भूकंप अक्सर अगोचर होता है, जबकि ७ रिक्टर की तीव्रता का भूकंप बड़े क्षेत्रों में गंभीर क्षति का कारण होता है। झटकों की तीव्रता का मापन विकसित मरकैली पैमाने पर किया जाता है। पृथ्वी की सतह पर, भूकंप अपने आप को, भूमि को हिलाकर या विस्थापित कर के प्रकट करता है। जब एक बड़ा भूकंप उपरिकेंद्र अपतटीय स्थति में होता है, यह समुद्र के किनारे पर पर्याप्त मात्रा में विस्थापन का कारण बनता है, जो सूनामी का कारण है। भूकंप के झटके कभी-कभी भूस्खलन और ज्वालामुखी गतिविधियों को भी पैदा कर सकते हैं। सर्वाधिक सामान्य अर्थ में, किसी भी सीस्मिक घटना का वर्णन करने के लिए भूकंप शब्द का प्रयोग किया जाता है, एक प्राकृतिक घटना) या मनुष्यों के कारण हुई कोई घटना -जो सीस्मिक तरंगों) को उत्पन्न करती है। अक्सर भूकंप भूगर्भीय दोषों के कारण आते हैं, भारी मात्रा में गैस प्रवास, पृथ्वी के भीतर मुख्यतः गहरी मीथेन, ज्वालामुखी, भूस्खलन और नाभिकीय परिक्षण ऐसे मुख्य दोष हैं। भूकंप के उत्पन्न होने का प्रारंभिक बिन्दु केन्द्र या हाईपो सेंटर कहलाता है। शब्द उपरिकेंद्र का अर्थ है, भूमि के स्तर पर ठीक इसके ऊपर का बिन्दु। San Andreas faultके मामले में, बहुत से भूकंप प्लेट सीमा से दूर उत्पन्न होते हैं और विरूपण के व्यापक क्षेत्र में विकसित तनाव से सम्बंधित होते हैं, यह विरूपण दोष क्षेत्र (उदा. “बिग बंद ” क्षेत्र) में प्रमुख अनियमितताओं के कारण होते हैं। Northridge भूकंप ऐसे ही एक क्षेत्र में अंध दबाव गति से सम्बंधित था। एक अन्य उदाहरण है अरब और यूरेशियन प्लेट के बीच तिर्यक अभिकेंद्रित प्लेट सीमा जहाँ यह ज़ाग्रोस पहाड़ों के पश्चिमोत्तर हिस्से से होकर जाती है। इस प्लेट सीमा से सम्बंधित विरूपण, एक बड़े पश्चिम-दक्षिण सीमा के लम्बवत लगभग शुद्ध दबाव गति तथा वास्तविक प्लेट सीमा के नजदीक हाल ही में हुए मुख्य दोष के किनारे हुए लगभग शुद्ध स्ट्रीक-स्लिप गति में विभाजित है। इसका प्रदर्शन भूकंप की केन्द्रीय क्रियाविधि के द्वारा किया जाता है। सभी टेक्टोनिक प्लेट्स में आंतरिक दबाव क्षेत्र होते हैं जो अपनी पड़ोसी प्लेटों के साथ अंतर्क्रिया के कारण या तलछटी लदान या उतराई के कारण होते हैं। (जैसे deglaciation).ये तनाव उपस्थित दोष सतहों के किनारे विफलता का पर्याप्त कारण हो सकते हैं, ये अन्तःप्लेट भूकंप को जन्म देते हैं। .

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मंगल ग्रह

मंगल सौरमंडल में सूर्य से चौथा ग्रह है। पृथ्वी से इसकी आभा रक्तिम दिखती है, जिस वजह से इसे "लाल ग्रह" के नाम से भी जाना जाता है। सौरमंडल के ग्रह दो तरह के होते हैं - "स्थलीय ग्रह" जिनमें ज़मीन होती है और "गैसीय ग्रह" जिनमें अधिकतर गैस ही गैस है। पृथ्वी की तरह, मंगल भी एक स्थलीय धरातल वाला ग्रह है। इसका वातावरण विरल है। इसकी सतह देखने पर चंद्रमा के गर्त और पृथ्वी के ज्वालामुखियों, घाटियों, रेगिस्तान और ध्रुवीय बर्फीली चोटियों की याद दिलाती है। हमारे सौरमंडल का सबसे अधिक ऊँचा पर्वत, ओलम्पस मोन्स मंगल पर ही स्थित है। साथ ही विशालतम कैन्यन वैलेस मैरीनेरिस भी यहीं पर स्थित है। अपनी भौगोलिक विशेषताओं के अलावा, मंगल का घूर्णन काल और मौसमी चक्र पृथ्वी के समान हैं। इस गृह पर जीवन होने की संभावना है। 1965 में मेरिनर ४ के द्वारा की पहली मंगल उडान से पहले तक यह माना जाता था कि ग्रह की सतह पर तरल अवस्था में जल हो सकता है। यह हल्के और गहरे रंग के धब्बों की आवर्तिक सूचनाओं पर आधारित था विशेष तौर पर, ध्रुवीय अक्षांशों, जो लंबे होने पर समुद्र और महाद्वीपों की तरह दिखते हैं, काले striations की व्याख्या कुछ प्रेक्षकों द्वारा पानी की सिंचाई नहरों के रूप में की गयी है। इन् सीधी रेखाओं की मौजूदगी बाद में सिद्ध नहीं हो पायी और ये माना गया कि ये रेखायें मात्र प्रकाशीय भ्रम के अलावा कुछ और नहीं हैं। फिर भी, सौर मंडल के सभी ग्रहों में हमारी पृथ्वी के अलावा, मंगल ग्रह पर जीवन और पानी होने की संभावना सबसे अधिक है। वर्तमान में मंगल ग्रह की परिक्रमा तीन कार्यशील अंतरिक्ष यान मार्स ओडिसी, मार्स एक्सप्रेस और टोही मार्स ओर्बिटर है, यह सौर मंडल में पृथ्वी को छोड़कर किसी भी अन्य ग्रह से अधिक है। मंगल पर दो अन्वेषण रोवर्स (स्पिरिट और् ओप्रुच्युनिटी), लैंडर फ़ीनिक्स, के साथ ही कई निष्क्रिय रोवर्स और लैंडर हैं जो या तो असफल हो गये हैं या उनका अभियान पूरा हो गया है। इनके या इनके पूर्ववर्ती अभियानो द्वारा जुटाये गये भूवैज्ञानिक सबूत इस ओर इंगित करते हैं कि कभी मंगल ग्रह पर बडे़ पैमाने पर पानी की उपस्थिति थी साथ ही इन्होने ये संकेत भी दिये हैं कि हाल के वर्षों में छोटे गर्म पानी के फव्वारे यहाँ फूटे हैं। नासा के मार्स ग्लोबल सर्वेयर की खोजों द्वारा इस बात के प्रमाण मिले हैं कि दक्षिणी ध्रुवीय बर्फीली चोटियाँ घट रही हैं। मंगल के दो चन्द्रमा, फो़बोस और डिमोज़ हैं, जो छोटे और अनियमित आकार के हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि यह 5261 यूरेका के समान, क्षुद्रग्रह है जो मंगल के गुरुत्व के कारण यहाँ फंस गये हैं। मंगल को पृथ्वी से नंगी आँखों से देखा जा सकता है। इसका आभासी परिमाण -2.9, तक पहुँच सकता है और यह् चमक सिर्फ शुक्र, चन्द्रमा और सूर्य के द्वारा ही पार की जा सकती है, यद्यपि अधिकांश समय बृहस्पति, मंगल की तुलना में नंगी आँखों को अधिक उज्जवल दिखाई देता है। .

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लांस नायक हनमनथप्पा

लांस नायक हनमनथप्पा (उम्र ३३ वर्ष) एक भारतीय सैनिक थे जो सियाचिन में एक हिमस्खलन में फंस गये थे और ६ दिन तक ४५ डिग्री सेल्सियस में लगभग ३३ फीट की गहराई से उन्हें जीवित निकाला गया। इसके बाद उनकी सघन चिकित्सा चली किन्तु ११ फरवरी २०१६ को दिल्ली के सैनिक अस्पताल में उनकी में मृत्यु हो गई। इन्हें कई दिनों तक चिकित्सालय में भर्ती रखा गया लेकिन उनकी दशा बिगड़ती गयी और अन्ततः ११ फरवरी २०१६ को इनका निधन हो गया। .

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लांगटांग

लांगटांग (नेपाली: लाङटाङ) नेपाल का एक क्षेत्र है, जो काठमांडू घाटी से उत्तर में तिब्बत के साथ सीमावर्ती है। यहाँ पर स्थित हिमालय के खण्ड को लांगटांग हिमाल बुलाते हैं। लांगटांग राष्ट्रीय उद्यान इस क्षेत्र में स्थित है और उसमें हिन्दूओं के लिए पवित्र गोसाइँकुण्ड झील स्थित है जहाँ हर अगस्त में तीर्थयात्री आते हैं। .

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हिमपुंज

हिमपुंज (snowpack) हिम के कई परतों के किसी स्थान पर जमा होने से बने हिम के एक बड़े भंडार को कहते हैं। यह ऐसी भौगोलिक स्थान या ऊँची जगहों पर बनते हैं जहाँ का तापमान वर्ष में बहुत दिनों के लिए शून्य से कम रहे, ताकि बार-बार हिमपात से गिरी परतें पिघलने की बजाय एक-के-ऊपर-एक जमती रहें। विश्व के कई झरने और नदियाँ इन हिमपुंजों के धीरे-धीरे पिघलने से चलती हैं इसलिए हिमपुंजो को पीने, कृषि व वन्य जीवन के लिए जल का एक महत्वपूर्ण संसाधन माना जाता है। हिमानियाँ (ग्लेशियर) भी इन्हीं हिमपुंजों से हिम पहुँचता है। पर्वतों में हिमपुंजों की बनावट और स्थिरता को हिमस्खलन (आवालांच) का ख़तरा अनुमानित करने के लिए परखा जाता है। .

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हवलदार एलुमलाई एम

हवलदार एलुमलाई एम भारतीय सेना के दक्षिणी कमान (भारत) के मद्रास रेजिमेंट में हवलदार के पद पर थे। हवलदार एलुमलाई एम जो की तमिलनाडु प्रदेश के निवासी थे इन्होने १९ वर्ष भारतीय सेना में अपनी ड्यूटी का निर्वाहण किया। ३ फरवरी २०१६ को सियाचिन की सोनम पोस्ट पर हिमस्खलन के दौरान वे वीरगति को प्राप्त हुए। हिमस्खलन के दौरान हवालदार एलुमलाई एम ने अपनी कंपनी कमांडर को रेडियो सेट पर बर्फ में ३५ फुट नीचे से सबसे पहले सूचना देने वालो में से एक थे। इन्होने मुसीबत से समय सैंयम कायम रखते हुए स्थिति पर नियत्रण किया। इनकी अद्भुत साहस सूझ बूझ और समझदारी से बचाव दल ने पहुंच कर बचाव कार्य को पूरा किया। दृढ कर्त्तव्य निष्ठां,अकल्पनीय पहल,कर्मठता और सराहनीय बहादुरी के लिए दक्षिणी कमान अलंकरण समारोह 2017 में हवलदार एलुमलाई एम को " सेना पदक (वीरता) " (मरणोपरांत) से सम्म्मानित किया गया। मरणोपरांत इनके परिपर में इनकी पत्नी श्रीमती ई जमुना रानी और दो पुत्र कविरासु और श्री प्रियदर्शन हैं। .

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जस्टिन ट्रूडो

जस्टिन ट्रूडो (Justin Pierre James Trudeau) (जन्म: २५ दिसम्बर, 1971) कनाडा के एक राजनेता, लिबरल पार्टी के नेता और कनाडा के प्रधानमंत्री हैं। जस्टिन कनाडा के पंद्रहवें प्रधानमंत्री पियर ट्रूडो और मार्गरेट ट्रूडो के ज्येष्ठ पुत्र हैं। वह पहली बार पैपिनेउ के चुनावी क्षेत्र से 2008 में और फिर 2011 और 2015 में दुबारा चुने गये। उन्होंने लिबरल पार्टी से आलोचक के तौर पर युवा व बहुसंस्कृतिवाद, नागरिकता और प्रवासी मामले, स्नातक शिक्षा और युवा व पेशेवर खेल मंत्रालयों के कार्यो की समीक्षा की। अप्रैल 14, 2013 को जस्टिन कनाडा की लिबरल पार्टी के नेता चुने गये। जस्टिन ट्रुडेउ अक्टूबर 19, 2015, के संघीय चुनावों में अपने दल को बहुमत की जीत दिलाने के बाद प्रधानमंत्री नामित हुए हैं। उन्होंने 4 नवंबर, 2015 को प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभाला। उसी समय उन्हें जीवन भर के लिये सम्मानसूचक नाम शैली द राइट ऑनरेबल से भी नवाजा गया। शपथ लेने पर वह कनाडा के प्रधानमंत्री बनने वाले दूसरे सबसे युवा व्यक्ति हो जायेंगे। सबसे युवा (जो क्लॉर्क) हैं। साथ ही वो पहले ऐसे व्यक्ति बन जायेंगे जिनके पिता भी कनाडा के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। .

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वनस्पति

पेड़-पौधों या वनस्पतिलोक का अर्थ है, किसी क्षेत्र का वनस्पति जीवन या भूमि पर मौजूद पेड़-पौधे और इसका संबंध किसी विशिष्ट जाति, जीवन के ऱूप, रचना, स्थानिक प्रसार, या अन्य वानस्पतिक या भौगोलिक गुणों से नहीं है। यह शब्द फ्लोरा शब्द से कहीं अधिक बड़ा है जो विशेष रूप से जाति की संरचना से संबधित होता है। शायद सबसे करीबी पर्याय ''वनस्पति'' समाज है, लेकिन पेड़-पौधे शब्द स्थानिक पैमानों की विस्तृत श्रेणी से संबध रख सकता है, जिनमें समस्त विश्व की वनस्पति-संपदा समाविष्ट है। प्राचीन लाल लकड़ी के वन, तटीय सदाबहार वन, दलदल में जमने वाली काई, रेगिस्तानी मिट्टी की पर्तें, सड़क के किनारे उगने वाली घास, गेहूं के खेत, बाग-बगीचे-ये सभी पेड़-पौधों की परिभाषा में शामिल हैं। .

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गुरला मन्धाता

गुरला मन्धाता (Gurla Mandhata) तिब्बत में मानसरोवर झील के पास स्थित हिमालय का एक पर्वत है। यदि कैलाश पर्वत मानसरोवर के एक ओर खड़ा है तो गुरला मन्धाता झील के पार दूसरी तरफ़ स्थित है। यह हिमालय की नालाकंकर हिमाल श्रेणी का सदस्य है जो दक्षिणी तिब्बत और पश्चिमोत्तरी नेपाल में विस्तृत है। गुरला मन्धाता को तिब्बती भाषा में नाइमोनान्यी (Naimona'nyi) कहते हैं। तिब्बत पर चीन का क़ब्ज़ा होने के बाद वहाँ की सरकार इसे चीनी लहजे में मेमो नानी (納木那尼峰, Memo Nani) बुलाती है। प्रशासनिक रूप से यह तिब्बत स्वशासित प्रदेश के न्गारी विभाग के पुरंग ज़िले में स्थित है। .

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अन्नपूर्णा पुंजक

अन्नपूर्णा (Annapurna) हिमालय का एक पर्वतीय पुंजक है जिसमें एक आठ हज़ारी, १३ ७,००० मीटर से ऊँचे और १६ ६,००० मीटर से ऊँचे पर्वत हैं। यह पुंजक ५५ किमी लम्बा है और उत्तर-मध्य नेपाल में स्थित है। यह पश्चिम में काली गण्डकी तंगघाटी, उत्तर व पूर्व में मर्श्यान्गदी नदी और दक्षिण में पोखरा घाटी द्वारा घिरा हुआ है। इसका सर्वोच्च पर्वत अन्नपूर्णा १ मुख्य है जो समुद्रतल से ८,०९१ मीटर (२६,५४५ फ़ुट) ऊँचा है और विश्व का १०वाँ सबसे ऊँचा पर्वत है। ऐतिहासिक रूप से अन्नपूर्णा पुंजक की चोटियाँ पर्वतारोहियों के लिए विश्व के सबसे ख़तरनाक शिखरों में आती हैं, हालांकि १९९० के बाद कंचनजंघा पर अधिक मृत्यु दर रहा है। मार्च २०१२ तक अन्नपूर्णा १ मुख्य को १९१ बार चढ़ा जा चुका था और पर्वत पर ६१ लोग मारे जा चुके थे। यह सफल चढ़ाई और मृत्युओं का अनुपात किसी भी अन्य आठ-हज़ारी पर्वत से अधिक है। अक्तूबर २०१४ में बर्फ़ीले तूफ़ानों और हिमस्खलन में अन्नपूर्णा क्षेत्र में ३९ लोगों की जाने गई। .

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अप्रैल 2015 नेपाल भूकम्प

2015 नेपाल भूकम्प क्षणिक परिमाण परिमाप पर 7.8 या 8.1 तीव्रता का भूकम्प था जो 25 अप्रैल 2015 सुबह 11:56 स्थानीय समय में घटित हुआ था। भूकम्प का अधिकेन्द्र लामजुंग, नेपाल से 38 कि॰मी॰ दूर था। भूकम्प के अधिकेन्द्र की गहराई लगभग 15 कि॰मी॰ नीचे थी। बचाव और राहत कार्य जारी हैं। भूकंप में कई महत्वपूर्ण प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर व अन्य इमारतें भी नष्ट हुईं हैं। 1934 के बाद पहली बार नेपाल में इतना प्रचंड तीव्रता वाला भूकम्प आया है जिससे 8000 से अधिक मौते हुई हैं और 2000 से अधिक घायल हुए हैं। भूकंप के झटके चीन, भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी महसूस किये गये। नेपाल के साथ-साथ चीन, भारत और बांग्लादेश में भी लगभग 250 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। भूकम्प की वजह से एवरेस्ट पर्वत पर हिमस्खलन आ गया जिससे 17 पर्वतारोहियों के मृत्यु हो गई। काठमांडू घाटी में यूनेस्को विश्व धरोहर समेत कई प्राचीन एतिहासिक इमारतों को नुकसान पहुचाँ है। 18वीं सदी में निर्मित धरहरा मीनार पूरी तरह से नष्ट हो गयी, अकेले इस मीनार के मलबे से 200 से ज्यादा शव निकाले गये। भूकम्प के बाद के झटके 12 मई 2015 तक भारत, नेपाल, चीन, अफगानिस्तान, पाकिस्तान व पडोसी देशों में महसूस किये जाते रहे। .

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२०१४ एवरेस्ट पर्वत हिमस्खलन

१८ अप्रैल २०१४ को एवरेस्ट आधार शिविर के निकट माउंट एवरेस्ट पर एक हिमस्खलन ने सोलह नेपाली गाइडों को मार डाला। २० अप्रैल तक, तेरह शव बरामद किये जा चुके थे। शेष शवों की खोज में कठिनाई और जोखिम है। कुछ शेरपा गाइड पीड़ितों के परिवारों ने सरकार द्वारा अल्प मुआवजे के प्रस्ताव से नाराज थे और एक "कड़ा विरोध" या हड़ताल की धमकी दी गयी थी। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

हिमप्रपात, हीमप्रपात

निवर्तमानआने वाली
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