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हिन्दू मंदिर स्थापत्य

सूची हिन्दू मंदिर स्थापत्य

अंकोरवाट मंदिर (कम्बोडिया) भारतीय स्थापत्य में हिन्दू मन्दिर का विशेष स्थान है। हिन्दू मंदिर में अन्दर एक गर्भगृह होता है जिसमें मुख्य देवता की मूर्ति स्थापित होती है। गर्भगृह के ऊपर टॉवर-नुमा रचना होती है जिसे शिखर (या, विमान) कहते हैं। मन्दिर के गर्भगृह के चारों ओर परिक्रमा के लिये स्थान होता है। इसके अलावा मंदिर में सभा के लिये कक्ष हो सकता है। .

11 संबंधों: द्रविड़ स्थापत्य शैली, नागर शैली, पगोडा, भारत सारावली, भारतीय स्थापत्यकला, भोजेश्वर मन्दिर, मन्दिर, राजारानी मंदिर, शिखर, श्री रघुनाथ जी मन्दिर, श्री स्वमिनरयन मन्दिर, कराची

द्रविड़ स्थापत्य शैली

'''द्रविड़ शैली''' दक्षिण भारतीय हिन्दू स्थापत्य कला की तीन में से एक शैली है। यह शैली दक्षिण भारत में विकसित होने के कारण द्रविड़ शैली कहलाती है। तमिलनाडु व निकटवर्ती क्षेत्रों के अधिकांश मंदिर इसी श्रेणी के होते हैं। .

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नागर शैली

नागर शैली उत्तर भारतीय हिन्दू स्थापत्य कला की तीन में से एक शैली है। इस नागर शैली के अंग खजुराहो के मन्दिर नागर शैली में निर्मित हैं।शैली का प्रसार हिमालय से लेकर विंध्य पर्वत माला तक देखा जा सकता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार नागर शैली के मंदिरों की पहचान आधार से लेकर सर्वोच्च अंश तक इसका चतुष्कोण होना है। विकसित नागर मंदिर में गर्भगृह, उसके समक्ष क्रमशः अन्तराल, मण्डप तथा अर्द्धमण्डप प्राप्त होते हैं। एक ही अक्ष पर एक दूसरे से संलग्न इन भागों का निर्माण किया जाता है। .

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पगोडा

सातवीं शती में बना जापान का पांचमंजिला पगोडा पगोडा शब्द का प्रयोग नेपाल, भारत, वर्मा, इंडोनेशिया, थाइलैंड, चीन, जापान एवं अन्य पूर्वीय देशों में भगवान् बुद्ध अथवा किसी संत के अवशेषों पर निर्मित स्तंभाकृति मंदिरों के लिये किया जाता है। इन्हें स्तूप भी कहते हैं। एक अनुमान यह है कि पगोडा शब्द संस्कृत के "दगोबा" के अपभ्रंश रूप में प्रयुक्त हुआ होगा। बर्मी ग्रंथों में पगोडा लंका की भाषा सिंहली के शब्द "डगोबा" का विगड़ा रूप बताया गया है और डगोबा को संस्कृत के शब्द धातुगर्भा से संबंधित कहा गया है, जिसका अर्थ है "पुनीत अवशेषों की स्थापना का स्थल"। .

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भारत सारावली

भुवन में भारत भारतीय गणतंत्र दक्षिण एशिया में स्थित स्वतंत्र राष्ट्र है। यह विश्व का सातवाँ सबसे बड़ देश है। भारत की संस्कृति एवं सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति एवं सभ्यताओं में से है।भारत, चार विश्व धर्मों-हिंदू धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म के जन्मस्थान है और प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता का घर है। मध्य २० शताब्दी तक भारत अंग्रेजों के प्रशासन के अधीन एक औपनिवेशिक राज्य था। अहिंसा के माध्यम से महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने भारत देश को १९४७ में स्वतंत्र राष्ट्र बनाया। भारत, १२० करोड़ लोगों के साथ दुनिया का दूसरे सबसे अधिक आबादी वाला देश और दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है। .

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भारतीय स्थापत्यकला

सांची का स्तूप अजन्ता गुफा २६ का चैत्य भारत के स्थापत्य की जड़ें यहाँ के इतिहास, दर्शन एवं संस्कृति में निहित हैं। भारत की वास्तुकला यहाँ की परम्परागत एवं बाहरी प्रभावों का मिश्रण है। भारतीय वास्तु की विशेषता यहाँ की दीवारों के उत्कृष्ट और प्रचुर अलंकरण में है। भित्तिचित्रों और मूर्तियों की योजना, जिसमें अलंकरण के अतिरिक्त अपने विषय के गंभीर भाव भी व्यक्त होते हैं, भवन को बाहर से कभी कभी पूर्णतया लपेट लेती है। इनमें वास्तु का जीवन से संबंध क्या, वास्तव में आध्यात्मिक जीवन ही अंकित है। न्यूनाधिक उभार में उत्कीर्ण अपने अलौकिक कृत्यों में लगे हुए देश भर के देवी देवता, तथा युगों पुराना पौराणिक गाथाएँ, मूर्तिकला को प्रतीक बनाकर दर्शकों के सम्मुख अत्यंत रोचक कथाओं और मनोहर चित्रों की एक पुस्तक सी खोल देती हैं। 'वास्तु' शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत के 'वस्' धातु से हुई है जिसका अर्थ 'बसना' होता है। चूंकि बसने के लिये भवन की आवश्यकता होती है अतः 'वास्तु' का अर्थ 'रहने हेतु भवन' है। 'वस्' धातु से ही वास, आवास, निवास, बसति, बस्ती आदि शब्द बने हैं। .

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भोजेश्वर मन्दिर

भोजेश्वर मन्दिर (जिसे भोजपुर मन्दिर भी कहते हैं) मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग ३० किलोमीटर दूर स्थित भोजपुर नामक गांव में बना एक मन्दिर है। यह मन्दिर बेतवा नदी के तट पर विन्ध्य पर्वतमालाओं के मध्य एक पहाड़ी पर स्थित है। --> मन्दिर का निर्माण एवं इसके शिवलिंग की स्थापना धार के प्रसिद्ध परमार राजा भोज (१०१० - १०५३ ई॰) ने करवायी थी। उनके नाम पर ही इसे भोजपुर मन्दिर या भोजेश्वर मन्दिर भी कहा जाता है, हालाँकि कुछ किंवदंतियों के अनुसार इस स्थल के मूल मन्दिर की स्थापना पाँडवों द्वारा की गई मानी जाती है। इसे "उत्तर भारत का सोमनाथ" भी कहा जाता है। यहाँ के शिलालेखों से ११वीं शताब्दी के हिन्दू मन्दिर निर्माण की स्थापत्य कला का ज्ञान होता है व पता चलता है कि गुम्बद का प्रयोग भारत में इस्लाम के आगमन से पूर्व भी होता रहा था। इस अपूर्ण मन्दिर की वृहत कार्य योजना को निकटवर्ती पाषाण शिलाओं पर उकेरा गया है। इन मानचित्र आरेखों के अनुसार यहाँ एक वृहत मन्दिर परिसर बनाने की योजना थी, जिसमें ढेरों अन्य मन्दिर भी बनाये जाने थे। इसके सफ़लतापूर्वक सम्पन्न हो जाने पर ये मन्दिर परिसर भारत के सबसे बड़े मन्दिर परिसरों में से एक होता। मन्दिर परिसर को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा राष्ट्रीय महत्त्व का स्मारक चिह्नित किया गया है व इसका पुनरुद्धार कार्य कर इसे फिर से वही रूप देने का सफ़ल प्रयास किया है। मन्दिर के बाहर लगे पुरातत्त्व विभाग के शिलालेख अनुसार इस मंदिर का शिवलिंग भारत के मन्दिरों में सबसे ऊँचा एवं विशालतम शिवलिंग है। इस मन्दिर का प्रवेशद्वार भी किसी हिन्दू भवन के दरवाजों में सबसे बड़ा है। मन्दिर के निकट ही इस मन्दिर को समर्पित एक पुरातत्त्व संग्रहालय भी बना है। शिवरात्रि के अवसर पर राज्य सरकार द्वारा यहां प्रतिवर्ष भोजपुर उत्सव का आयोजन किया जाता है। .

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मन्दिर

मन्दिर भारतीय धर्मों (सनातन धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म, सिख धर्म आदि) हिन्दुओं के उपासनास्थल को मन्दिर कहते हैं। यह अराधना और पूजा-अर्चना के लिए निश्चित की हुई जगह या देवस्थान है। यानी जिस जगह किसी आराध्य देव के प्रति ध्यान या चिंतन किया जाए या वहां मूर्ति इत्यादि रखकर पूजा-अर्चना की जाए उसे मन्दिर कहते हैं। मन्दिर का शाब्दिक अर्थ 'घर' है। वस्तुतः सही शब्द 'देवमन्दिर', 'शिवमन्दिर', 'कालीमन्दिर' आदि हैं। और मठ वह स्थान है जहां किसी सम्प्रदाय, धर्म या परंपरा विशेष में आस्था रखने वाले शिष्य आचार्य या धर्मगुरु अपने सम्प्रदाय के संरक्षण और संवर्द्धन के उद्देश्य से धर्म ग्रन्थों पर विचार विमर्श करते हैं या उनकी व्याख्या करते हैं जिससे उस सम्प्रदाय के मानने वालों का हित हो और उन्हें पता चल सके कि उनके धर्म में क्या है। उदाहरण के लिए बौद्ध विहारों की तुलना हिन्दू मठों या ईसाई मोनेस्ट्रीज़ से की जा सकती है। लेकिन 'मठ' शब्द का प्रयोग शंकराचार्य के काल यानी सातवीं या आठवीं शताब्दी से शुरु हुआ माना जाता है। तमिल भाषा में मन्दिर को कोईल या कोविल (கோவில்) कहते हैं। .

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राजारानी मंदिर

राजारानी मंदिर एक ११ वीं शताब्दी के हिंदू मंदिर भारत के ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित है। माना जाता है कि मंदिर को मूल रूप से इंद्रेस्वार के रूप में जाना जाता है। यह मंदिर में महिलाओं और जोड़ों के कामुक नक्काशी की वजह से स्थानीय रूप से "प्रेम मंदिर" के रूप में जाना जाता है। राजारानी मंदिर, दो संरचनाओं के साथ एक मंच पर पंचाट शैली में बनाया गया है: एक केंद्रीय मंदिर को एक बड़ा (कणिक शिखर) के साथ एक विस्फोट कहा जाता है, इसकी छत १८ मीटर (५९ फीट) की ऊंचाई पर बढ़ रहा है, और एक दृश्य हॉल एक पिरामिड छत के साथ जागोमोहन बुलाया जाता है। मंदिर का निर्माण सुस्त लाल और पीले बलुआ पत्थर से किया गया था जिसे स्थानीय रूप से "राजरानी" कहा जाता है। पवित्र स्थान के अंदर कोई छवि नहीं है, और इसलिए यह हिंदू धर्म के एक विशिष्ट संप्रदाय के साथ नहीं जुड़ा है, लेकिन मोटे तौर पर निवासी के आधार पर शैव के रूप में वर्गीकृत किया गया है। विभिन्न इतिहासकारों ने ११ वीं और १२ वीं शताब्दियों के बीच मूल निर्माण तिथि रखी और पुरी में जगन्नाथ मंदिर के रूप में लगभग उसी अवधि से संबंधित हैं। माना जाता है कि मध्य भारत में अन्य मंदिरों की वास्तुशिल्प इस मंदिर से पैदा हुई है, उल्लेखनीय लोगों में खजुराहो मंदिर और कदवा के तोतस्वर महादेव मंदिर हैं। मंदिर के चारों ओर की दीवारों पर विभिन्न मूर्तियां और शिव, नटराज, पार्वती के विवाह के दृश्यों का चित्रण, और विभिन्न भूमिकाओं और मूड में लंबा, पतला, परिष्कृत नायिका शामिल हैं, जैसे कि उसके सिर को क्षीणित संन्यासी से बदलना, अपने बच्चे से प्यार करते हुए, पेड़ की एक शाखा पकड़कर, उसके शौचालय में भाग लेते हुए, एक दर्पण की तलाश में, अपने पायल को बंद करने, अपने पालतू पक्षी को निहारना और संगीत वाद्ययंत्र बजाना। राजाराणी मंदिर भारत के पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा टिकटयुक्त स्मारक के रूप में रखा जाता है। .

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शिखर

खजुराहो के मंदिर का '''शिखर''' कोणार्क के सूर्य मंदिर का प्लान (सामने से दृश्य) संस्कृत में शिखर का शाब्दिक अर्थ 'पर्वत की चोटी' है किन्तु भारतीय वास्तुशास्त्र में उत्तर भारतीय मंदिरों के गर्भगृह के ऊपर पिरामिड आकार की संरचना को शिखर कहते हैं। दक्षिण भारत में इसी को 'विमानम्' कहते हैं। .

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श्री रघुनाथ जी मन्दिर

रघुनाथ जी भारत देश के राजस्थान राज्य के करौली जिला के प्रसिद्ध नगर हिण्डौन में स्थित एक प्रसिद्ध विख्यात मंदिर है। श्री रघुनाथ जी मंदिर एक हिंदू मंदिर है यह हिण्डौन का निपुण मंदिर है। मंदिर 650 वर्ष पुराना है। यह मंदिर तुलसीपुरा में नक्कश की देवी - गोमती धाम के पास स्थित है। रघुनाथ जी राम के हिंदू भगवान का एक नाम है। निकटतम शहर हिण्डौन (0 nbsp; किमी), करौली (30 किमी), गंगापुर (43 किमी किमी) है। श्रेणी:भारत के मन्दिर.

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श्री स्वमिनरयन मन्दिर, कराची

thumb स्वामीनारायण मंदिर, कराची (देवनागरी: श्री स्वमिनरयन मन्दिर, कराची, Nastaliq) एक हिंदू मंदिर कि नरनरायन देव स्वामीनारायण सम्प्रदाय की गदी के अंतर्गत आता है और केवल पाकिस्तान में स्वामीनारायण मंदिर है। मंदिर का आकार और हाते का बाग़ीचा के लिए उल्लेखनीय है, पर कराची शहर में बन्दर रोड पर.

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